मेरा नाम तपस है, 20 साल का जवान लड़का, दिल्ली के मयूर विहार का रहने वाला। मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ, बी.कॉम सेकंड ईयर। पतला-दुबला हूँ, लेकिन चेहरा ठीक-ठाक है, लड़कियाँ कहती हैं मेरी आँखों में नशा है। मेरा जुनून है चूत की तलाश, और वो भी ऐसी जो मेरे लंड को आग दे। मेरे घर में चार लोग हैं। मम्मी, शीला, 45 साल की, सरकारी स्कूल में टीचर, हमेशा साड़ी में, चेहरा सख्त लेकिन दिल नरम। पापा, राजेश, 48 के, पोस्ट ऑफिस में क्लर्क, गंजे हो चुके हैं, और दिनभर अखबार या टीवी से चिपके रहते हैं। फिर है मेरी बहन, तृप्ति, 22 की, एम.ए. इंग्लिश की स्टूडेंट। वो है असली माल—गोरी, 32B के कसे हुए चुचे, 30 इंच की कमर जो हर कूल्हे के मटकने पर लौंडों को बेचैन करती है, और 36 इंच की गांड, जो तंग लेगिंग्स में मानो लंड को चिढ़ाती है। उसका चेहरा भोला है, लेकिन आँखों में एक चमक, जैसे कुछ छुपा हो। उसे घूमना, शॉपिंग, और इंस्टा पर फोटो डालना पसंद है। हमारा घर 2BHK है, मम्मी-पापा का कमरा अलग, मेरा और तृप्ति का रूम साइड-बाय-साइड, और बाथरूम शेयर। यहीं से मेरी कहानी शुरू होती है।
मैं शुरू से तृप्ति के जिस्म का दीवाना था। उसकी गांड का मटकना, चुचों का उभार, और वो हल्की मुस्कान—सब कुछ मुझे पागल करता था। दिल्ली की सड़कों पर चूत की कमी नहीं, लेकिन मेरे लिए तृप्ति ही सब थी। उसका जिस्म मेरे ख्वाबों में बस्ता था, और मैं चाहता था कि मेरी पहली चुदाई उसी की चूत से हो। लेकिन भाई-बहन का रिश्ता और परिवार का डर मुझे रोकता था।
बात तीन महीने पुरानी है। कॉलेज में मेरे दोस्तों के चुदाई के किस्से सुनकर मेरा लंड तन जाता था। एक दिन, मैं घर लौटा, भूखा था, लेकिन चुदाई का भूत सवार था। मैंने खाना छोड़ा और अपने कमरे में कंप्यूटर ऑन किया। मेरी फेवरेट पॉर्न साइट पर एक चूत चुसाई का सीन चल रहा था। मेरा लंड मेरे हाथ में था, और मैं जोर-जोर से हिलाने लगा। तृप्ति की उस दिन कॉलेज में छुट्टी थी, वो घर पर थी। मुझे नहीं पता था कि वो मेरे कमरे में आ जाएगी। उसने स्क्रीन पर 5-6 सेकंड देखा, मेरे लंड को हिलते हुए घूरा, और चुपचाप चली गई। मैंने अपना माल गिराया और बाहर निकल गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो।
शाम को सब नॉर्मल था। तृप्ति ने कुछ नहीं कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। हमारी बातें वैसी ही थीं—मूवीज, कॉलेज, लव, सेक्स। लेकिन सिर्फ सतही, जैसे दोस्तों की तरह। मैं उसे अपनी हवस की बात बताने से डरता था। फिर दोस्तों ने अन्तर्वासना की साइट बताई। भाई-बहन की चुदाई की कहानियाँ पढ़कर मेरा दिमाग हिल गया। एक आइडिया आया—तृप्ति को बाथरूम में नंगी देखना। मैंने शाफ्ट की साइड से झाँकना शुरू किया। यार, क्या नजारा था! उसका नंगा जिस्म, 32B के चुचे, भूरे निप्पल्स पर पानी की बूँदें, और उसकी चूत—हल्के रेशमी बाल, होंठ चिपके हुए, जैसे कोई मासूम फूल। जब वो पीछे मुड़ी, उसकी गांड ने मेरे लंड को दर्द दे दिया। 36 इंच के मटके, गोरे, कसे हुए। मन किया, अभी चूतड़ खोलकर सारा रस चाट लूँ।
लेकिन झाँकने में रिस्क था। मैं लाइट बंद करता, ताकि वो मुझे न देखे। एक दिन गलती हो गई। मैंने स्टूल शाफ्ट के पास छोड़ दिया। तृप्ति को शक हुआ। उसने पूछा, “तू अभी कहाँ था?” मैंने कहा, “मूवी देख रहा था।” वो चुपचाप चली गई, लेकिन उसकी आँखों में सवाल था। मैंने और सावधानी बरतनी शुरू की। फिर भी, उसकी पैंटी सूंघता, जब वो कॉलेज जाती। उसकी तंग कैपरी में मटकती गांड मुझे बेचैन करती।
जब मम्मी-पापा शादी या सरकारी काम से बाहर जाते, घर में सिर्फ हम दोनों होते। मेरा दिमाग लंड से सोचता। मैंने एक केमिस्ट दोस्त से नींद की गोलियाँ लीं। तृप्ति के खाने में मिला देता। वो सो जाए, तो मैं उसका जिस्म छूता। उसके होंठों पर अपने होंठ रखता, उसकी गर्दन की महक सूंघता, उसके चुचों को टॉप के ऊपर से मसलता। उसकी पैंटी उतारकर चूत के दर्शन करता। इतनी मासूम चूत, यार, जैसे शहद की कटोरी। मैं रातभर उसकी चूत चाटता, गांड के छेद को सूंघता, जीभ से चखता। वो नींद में सिहरती, लेकिन मुझे असली चुदाई चाहिए थी।
मुझे पता था, तृप्ति को घूमना पसंद है। उसकी इंस्टा स्टोरीज में हिल स्टेशन्स, फोर्ट्स, और रिजॉर्ट्स भरे रहते। मैंने नवंबर में नीमराना, राजस्थान का प्लान बनाया। वहाँ का किला और खूबसूरती उसे पसंद आएगी, और मुझे अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। घरवालों ने हाँ कर दी। मैंने अपने पैसे जोड़े, दोस्तों से उधार लिया, और एक लग्जरी होटल बुक किया—जकूज़ी वाला बाथरूम, स्विमिंग पूल, रूफटॉप बार। तृप्ति की खुशी के लिए मैं कुछ भी करता।
हम सुबह निकले। दिल्ली से नीमराना का रास्ता, हाईवे की हवा, और तृप्ति की साइड में बैठकर उसकी खुशबू—सब कुछ मुझे और बेकरार कर रहा था। दोपहर को होटल पहुँचे। तृप्ति ने कमरा देखा—बड़ा बेड, जकूज़ी, और बाहर का व्यू। उसकी आँखें चमक उठीं। उसने कहा, “तपस, तूने तो कमाल कर दिया!” हमने लंच किया—पनीर बटर मसाला, नान, और कोल्ड ड्रिंक। फिर थोड़ा आराम किया। शाम को नीमराना फोर्ट घूमने गए। तृप्ति ने ब्लू टॉप और टाइट जीन्स पहनी थी, उसकी गांड हर कदम पर मटक रही थी। मैंने उसे शॉपिंग कराई—जयपुरी दुपट्टे, झुमके। रात को एक फैंसी रेस्तरां में डिनर, फिर एक रोमांटिक मूवी। देर रात होटल लौटे। तृप्ति ने मुझे गले लगाया, बोली, “आज बहुत मजा आया, भाई।” मैंने उसकी कमर पकड़ी, उसके गाल चूमे। उसकी आँखों में कुछ था, जैसे वो भी कुछ कहना चाहती हो।
वो नहाने गई। बाहर आई तो एक पतली क्रीम कुर्ती और काली लेगिंग्स में थी। उसकी ब्रा साफ दिख रही थी, और लेगिंग्स में उसकी गांड मानो मेरे लंड को बुला रही थी। मैंने नहाकर ग्रे बनियान और लोअर पहना। नवंबर की गर्मी थी, और मूड चुदाई का। मैंने सोच लिया, आज बात करनी है।
हम बेड पर बैठे, इधर-उधर की बातें कीं। नींद दोनों की गायब थी। मैंने उसका हाथ पकड़ा, बोला, “दीदी, मुझे कुछ कहना है।” उसने हाँ में सिर हिलाया। मैंने कहा, “जो बोलूँगा, शायद अजीब लगे। लेकिन मैं और नहीं रोक सकता। वादा कर, गुस्सा नहीं करेगी।” वो बोली, “साफ-साफ बता, क्या बात है? गुस्सा नहीं करूँगी, जल्दी बोल!” मैंने गहरी साँस ली, बोला, “दीदी, मैं तुझे बहुत पसंद करता हूँ। जब से लड़कियों को जाना, तुझे ही सोचता हूँ। तेरा जिस्म, तेरी हँसी, तेरा स्टाइल—सब कुछ मुझे पागल करता है। तुझे पाना चाहता हूँ। ये ट्रिप मैंने हमारे लिए बनाई है। प्लीज, मना मत करना।”
आप यह Bhai-Bahan Chudai Kahani | भाई बहन की चुदाई हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।
तृप्ति ने मुझे देखा, फिर पूछा, “क्या तू मुझे बाथरूम में नंगी देखता था?” मैंने कहा, “हाँ।” उसने पूछा, “मेरी अलमारी खोली कभी?” मैंने कहा, “बहुत बार। तेरी पैंटी सूंघने के लिए।” उसने मेरा हाथ छोड़ा, बोली, “मेरा कभी बॉयफ्रेंड नहीं रहा। मेरे अंदर भी बहुत कुछ चलता है। मैं शादी तक रुकना चाहती थी, पर कोई बात नहीं। मुझे तुझ पर शक था। तूने इतना खर्चा किया, प्यार करता है, तो ठीक है। लेकिन ये बात किसी को पता चली, तो जान से मार दूँगी।”
उसके मुँह से हाँ सुनते ही मैंने उसे खींचा। उसके चुचे मसले, उसकी जीभ चूसने लगा। उसका चुम्बन कच्चा था, जैसे सच में कोई बॉयफ्रेंड नहीं रहा। मैंने उसकी कुर्ती फाड़ दी। उसने मेरी छाती काट ली। हमारी लार टपक रही थी, जैसे दो भूखे जानवर। मैंने उसे बेड पर लिटाया, उसकी गर्दन पर दाँत गड़ाए। उसकी सिसकारियाँ मेरे लंड को और सख्त कर रही थीं। मैंने उसकी ब्रा उतारी। उसके गोरे चुचे, गुलाबी निप्पल्स—मानो मलाई के कटोरे। मैंने निप्पल्स को दाँतों से काटा, जीभ से चाटा, मुँह से चूसा। वो चीख रही थी, “तपस, और जोर से!” मेरा मन नहीं भरा। मैंने उसकी कांख चाटी, वो पागल हो गई। उसने मुझे नीचे गिराया, मेरी बनियान फाड़ी, मेरे मुँह पर थूक गिराया। मैंने उसे चाट लिया, जैसे कोई अमृत।
वो मेरे लोअर के ऊपर अपनी गांड टिकाकर हिलने लगी। मेरा लंड उसकी चूत की दरार से टकरा रहा था। उसने मेरे होंठ चूमे, मेरी छाती चाटी, मेरे पेट पर जीभ घुमाई। मेरा लोअर उतारा, मेरा लंड उसके मुँह से टकराया। उसने उसे पकड़ा, बोली, “पहली बार देखा, सोच रही हूँ, ये अंदर कैसे जाएगा।” मैंने कहा, “पहले मुँह में लो, चूत को पता है इसका स्वागत करना।” वो शरमाई, फिर जीभ से टोपा चाटने लगी। मेरे बदन में करंट दौड़ गया। मैंने उसका सिर दबाया, लंड उसके मुँह में सरकाया। उसका मुँह गर्म था, जैसे भट्टी। वो 20 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही, जैसे कोई प्यासी रंडी। मैंने उसे रोका, वरना मैं झड़ जाता।
मैंने उसे बेड पर पटका, उसकी लेगिंग्स उतारी। उसकी चूत सामने थी—हल्के बाल, गीली, जैसे शहद का चीरा। मैंने जीभ डाली, चाटना शुरू किया। उसकी टाँगें कांपने लगीं। वो बोली, “खा जा भाई, पी ले इसको। सारी तेरी है। इतना मजा तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा। मत रुक, चोद ले अपनी बहन को, कुत्ते! कर ले मेरी चूत से शादी, बन जा बहनचोद!” उसकी गालियाँ सुनकर मेरा लंड और तन गया। मैंने उसकी चूत को चूसा, जैसे कोई भूखा कुत्ता। बीच-बीच में उसकी गांड के छेद को छेड़ा। उसकी चीखें और तेज हुईं। मैंने उंगली उसकी गांड में डाली—इतनी गर्मी थी कि मेरा लंड तड़प उठा। मैंने उसकी गांड को जीभ से चाटा, सूंघा, चूसा। तृप्ति की गांड मटकने लगी, जैसे मेरी गुलाम।
मैंने अपना लंड उसकी चूत से टकराया, धीरे से अंदर डाला। उसका चेहरा दर्द और मजा दोनों दिखा रहा था। मैंने पूछा, “कैसा लगा बहना, जोर से डालूँ?” वो बोली, “हरामी कुत्ते, घुसेड़ दे, बन जा बहनचोद!” मैंने धीरे-धीरे डाला, उसका दर्द बढ़ा। उसने चादर पकड़ ली, लेकिन रुकने का इशारा नहीं किया। मैंने एक जोरदार झटका मारा, मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो चीखी, मुझे जकड़ लिया। मैं रुक गया, फिर धीरे-धीरे पेलना शुरू किया। उसकी गीली चूत मेरे लंड को निगल रही थी। हम दोनों एक नशे में डूब गए। मैंने उसकी चूत पर हमले किए, वो हर झटका मजे से सहती गई। उसकी सिसकारियाँ, उसकी गालियाँ—सब कुछ मुझे और पागल कर रहा था।
मैंने उसे देर तक पेला। जब मैं झड़ने वाला था, उसने कहा, “मेरे मुँह पर गिरा।” मैंने अपना माल उसके चेहरे पर छोड़ा। उसने उंगली से चाटा, मेरे लंड की आखिरी बूँदें पी लीं। हमने एक-दूसरे के होंठ चाटे, और उस रात को यादगार बनाया।
तीन महीने बाद भी हमारी चुदाई का सिलसिला चलता है। दिल्ली के इस 2BHK में, जब मम्मी-पापा ऑफिस में होते हैं, तृप्ति की चूत और गांड मेरी जिंदगी का खजाना हैं। नीमराना की उस रात ने हमें जोड़ा, और अब हम हर पल उस आग में जलते हैं।