Dadi aur pote ki sex story यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है और इसके सभी किरदार वास्तविक नहीं हैं। यह कहानी वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित हो सकती है, लेकिन यह केवल मनोरंजन के लिए लिखी गई है। मैं औरतों की इज्जत करता हूँ और अगर मेरी कहानी से किसी को आपत्ति हो तो मैं माफी माँगता हूँ। कृपया मुझे बताएँ। मैं जानता हूँ कि औरतों को समाज और जीवन में बहुत कुछ सहन करना पड़ता है, लेकिन यह केवल एक काल्पनिक कहानी है, इसे केवल फंतासी के तौर पर पढ़ें।
मेरा नाम रवि है, उम्र 27 साल, और मैं सच्ची दोस्ती में विश्वास करता हूँ। मुझे सेक्स कहानियाँ लिखना पसंद है और मैं चाहता हूँ कि मेरे पाठक मेरी कहानियों को पढ़कर अपने निजी अनुभव और भावनाएँ साझा करें। हमारे देश में ग्रामीण इलाके अभी भी अविकसित हैं। लोगों को खाना नहीं मिलता, बच्चे अशिक्षित हैं, और कई समस्याएँ हैं। मैंने तय किया है कि इनके लिए कुछ करूँ, लेकिन यह इतना आसान नहीं है क्योंकि आर्थिक और राजनीतिक समस्याएँ आड़े आती हैं। अगर आपकी दुआएँ मेरे साथ हों तो यह कोशिश सफल हो सकती है। कृपया दुआ करें कि मैं इसमें कामयाब हो जाऊँ। धन्यवाद।
यह कहानी एक छोटे से न्यूक्लियर परिवार की है, जिसमें दादी भी रहती थीं। रवि और बॉबी भाई-बहन थे, दोनों 18 साल के थे और 12वीं कक्षा में पढ़ते थे। उनके पापा एक दुकान पर काम करते थे और रात को देर से घर लौटते थे। माँ घर का काम संभालती थीं और दादी की सेवा करती थीं। रवि एक लंबा, चौड़ा, सीधा-सादा और भोला-भाला लड़का था, जिसका चेहरा मासूम और आँखें चमकदार थीं। माँ एक साधारण गृहिणी थीं, हमेशा साड़ी में, पूजा-पाठ और घर के काम में डूबी रहती थीं। बॉबी भी भोली-भाली थी, लंबे बाल और सादी सलवार-कमीज में रहने वाली, पढ़ाई में मस्त रहती थी। पापा दबंग और बिंदास थे, जो दिनभर दुकान पर मेहनत करते और रात को थककर सो जाते थे। दादी बिंदास औरत थीं, टीवी देखने की शौकीन, और घर में सबको हुकुम चलाने वाली। वो गोरी, भरे हुए बदन वाली, 55 साल की स्वस्थ और आकर्षक औरत थीं, जिनके चूचे भारी और गाँड गोल थी, जो उनकी साड़ी में साफ दिखता था। मुंबई के छोटे से वन रूम किचन फ्लैट में यह परिवार रहता था, जहाँ जगह इतनी कम थी कि रात को सब एक-दूसरे के करीब सोते थे। बाथरूम में दरवाजा नहीं, सिर्फ एक पुराना पर्दा लटका था, जो हल्की सी हवा में भी हिलता रहता था।
रवि और बॉबी एक साथ स्कूल जाते और पढ़ाई करते। घर में सब खुश थे। पापा की कमाई अच्छी थी, दादी की सेहत ठीक थी, और सब कुछ ठीक चल रहा था। लेकिन दादी की एक आदत थी कि वो दिन-रात टीवी देखती थीं। फिल्में देखते वक्त वो अभिनेताओं और अभिनेत्रियों के जिस्म पर गंदी टिप्पणियाँ करती थीं। “देख, इसकी चूची कितनी टाइट है, इसका लंड तो बड़ा मोटा होगा!” वो माँ के कान में फुसफुसातीं और दोनों हँस पड़ती थीं। रवि और बॉबी जब छोटे थे, तो ये बातें समझ नहीं आती थीं, लेकिन अब वो 18 के थे और दोस्तों की बातों, इंटरनेट और स्कूल की गपशप से चुदाई के बारे में कुछ-कुछ जान गए थे। फिर भी, घर में इस बारे में कोई खुलकर बात नहीं करता था।
एक दोपहर रवि बाथरूम में नहा रहा था। पर्दे के पीछे से कुछ अजीब सी आवाजें आ रही थीं। दादी को लगा कि शायद रवि को कोई तकलीफ हो रही है। वो चुपके से पर्दे के पास गईं और झाँककर देखा। रवि दूसरी तरफ मुँह करके खड़ा था, उसका शरीर हिल रहा था, और उसका लंड हाथ में था। दादी को समझ नहीं आया कि वो क्या कर रहा है। उत्सुकता में वो पर्दा हटाकर अंदर चली गईं। “रवि, ये क्या कर रहा है?” दादी ने धीरे से पूछा।
रवि को बिल्कुल नहीं पता था कि दादी पीछे हैं। वो मुठ मार रहा था, और ठीक उसी वक्त उसका वीर्य निकलने वाला था। दादी की आवाज सुनते ही वो घबरा गया और पलट गया। पलटते ही उसका गर्म वीर्य छूट गया और गलती से दादी की साड़ी और पेट पर जा गिरा। दादी एक पल के लिए सन्न रह गईं, उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। रवि का चेहरा डर से लाल हो गया, वो काँपते हुए बोला, “दादी, म…म…माफी, प्लीज, मैं… मैं…” वो बार-बार माफी माँगने लगा।
दादी ने उसे बख्शा नहीं। उन्होंने रवि का कान पकड़कर जोर से मरोड़ा और डाँटना शुरू किया, “ये क्या गंदा काम कर रहा है, बेशर्म! तुझे शर्म नहीं आती?” रवि की माँ भागकर आईं और दादी से सारी बात सुनकर शर्मिंदगी से चुप हो गईं। वो बिना कुछ बोले किचन में चली गईं। बॉबी कमरे में किताब खोले बैठी थी, उसे कुछ-कुछ समझ आ रहा था, लेकिन वो चुप रही। दादी ने रवि को 10 मिनट तक डाँटा, “तूने ये गंदा काम फिर किया तो देख लेना!” रवि ने सिर झुकाकर वादा किया, “दादी, मैं दोबारा नहीं करूँगा।”
उस दिन बॉबी ने रवि से पूछा, “भाई, क्या हुआ था?” रवि ने सिर झुकाकर कहा, “कुछ नहीं।” लेकिन बॉबी के बार-बार पूछने पर उसने बताया, “मैं मुठ मार रहा था, और दादी ने पकड़ लिया।” बॉबी जोर-जोर से हँस पड़ी, “हा हा, तू तो गया! लेकिन छोड़ ना, ये तो होता है। टेंशन मत ले।” रवि ने गुस्से में कहा, “हँसने की बात नहीं है, मैं बड़ा हो गया हूँ!” बॉबी ने चिढ़ाते हुए कहा, “हाँ, बड़ा मर्द बन गया, मुठ मारने वाला!”
कुछ दिन बाद रवि से रहा नहीं गया। उसका लंड दिनभर उसे बैचेन करता रहा। वो बार-बार उसे दबाता, लेकिन दादी की नजर उस पर थी, जैसे कोई हॉक की तरह। बाथरूम जाते ही दादी चुपके से झाँक लेती थीं। रवि ने सोचा कि रात को सब सो जाएँगे, तब वो मुठ मार लेगा। उस रात, जब सब सो गए, रवि चुपके से बाथरूम गया। लेकिन दादी को नींद नहीं थी। वो भी पीछे गईं और पर्दे के पीछे से आवाज सुनने लगीं। जब रवि मुठ मारने लगा, तो दादी को शक हुआ। वो अंदर गईं और धीमे से चिल्लाईं, “रवि!!!”
रवि का लंड खड़ा था, और वो डर के मारे उसे पैंट में डालने की कोशिश करने लगा। लेकिन दादी ने उसका हाथ पीछे खींच लिया। रवि का 6 इंच का सख्त लंड अब दादी के सामने था। दादी गुस्से से उसे घूर रही थीं। रवि ने काँपते हुए कहा, “दादी, मुझसे रहा नहीं जाता। बैचेनी होती है, कंट्रोल नहीं होता। गोटियों में दर्द होता है, और पढ़ाई में भी ध्यान नहीं लगता। प्लीज, आज करने दो।” दादी ने गुस्से में कहा, “अगर तुझे छूट दी तो तू दिन-रात यही करता रहेगा। इस उम्र में इतना बिगड़ गया, तो आगे क्या होगा?” रवि ने मिन्नत की, “दादी, मैं सिर्फ एक बार करूँगा, प्रॉमिस!”
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दादी ने देखा कि रवि का लंड अभी भी तना हुआ है। वो थोड़ा नरम पड़ते हुए बोलीं, “ठीक है, दिन में सिर्फ एक बार कर। वादा कर।” रवि ने तुरंत हाँ में सिर हिलाया। दादी ने उसका हाथ छोड़ दिया और बोलीं, “जा, हल्का कर ले।” रवि ने कहा, “दादी, आप जाओ।” दादी को देखना था, लेकिन वो चुप रही। पाँच मिनट बाद रवि बाहर आया, लाइट बंद की और सो गया।
उस रात दादी के मन में हलचल मच गई। कई सालों से उन्होंने सेक्स नहीं किया था। रवि को मुठ मारते देख उनके अंदर की औरत जाग उठी थी। अगले कुछ दिन दादी रवि से नरमी से पेश आने लगीं। कभी-कभी वो कहतीं, “जा, बाथरूम में कर के आ।” रवि को लगने लगा कि दादी अब उसकी दोस्त बन गई हैं।
एक रविवार की रात पूरा परिवार टीवी देख रहा था। पुरानी राजेश खन्ना की फिल्म चल रही थी। लाइट्स बंद थीं। बॉबी अपनी माँ की गोद में सिर रखकर लेटी थी। रवि दादी की गोद में सिर रखकर बेड पर लेटा था। पापा नीचे सो गए थे। दादी ने भूरी सूती साड़ी पहनी थी, और रवि ने हाफ पैंट और टी-शर्ट। फिल्म शुरू हुए 20 मिनट हो चुके थे, और विज्ञापनों की वजह से फिल्म 5 घंटे तक चलने वाली थी।
दादी धीरे-धीरे रवि के शरीर को सहला रही थीं। उनका हाथ उसके सिर से पीठ तक, फिर गाँड तक जा रहा था। वो बार-बार उसकी टी-शर्ट के अंदर हाथ डालकर उसकी छाती और पीठ को सहलातीं। रवि को अजीब लग रहा था, लेकिन साथ ही एक अनजाना सा उत्तेजन महसूस हो रहा था। उसका 6 इंच का लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। उसकी धड़कनें तेज हो गईं, और शरीर में झनझनाहट होने लगी। “दादी, ये क्या कर रही हो?” रवि ने धीरे से पूछा, लेकिन दादी चुप रही, बस उनकी उंगलियाँ और शरारती हो गईं।
दादी को यही चाहिए था। कई सालों बाद उनकी चूत में आग लगी थी, और वो अपने पोते से वो आग बुझाना चाहती थीं। वो बार-बार झुकतीं, जिससे उनके भारी चूचे रवि के चेहरे पर टच हो जाते। रवि को पहले तो हिचक हुई, लेकिन फिर उसने हल्के से दादी के चूचे को दाँतों से काट लिया। “आह्ह…” दादी के मुँह से सिसकारी निकली, और वो थोड़ा पीछे हटीं। लेकिन उन्हें मजा आया। वो फिर से अपने चूचे रवि के मुँह के पास ले आईं। रवि ने कभी हाथों से, तो कभी होठों से उनके चूचों को दबाया। “ओह्ह… रवि… और कर…” दादी धीरे से सिसकारी।
दादी के अंदर अब आग भड़क चुकी थी। वो और नहीं रुक पाईं। उन्होंने अपना ब्लाउज नीचे से खोल दिया और एक चूची रवि के मुँह के पास रख दी। रवि ने हल्के से चूची को काटा। “आह्ह… और जोर से…” दादी ने सिसकारी। रवि ने चूची को अपने होठों में लिया और चूसने लगा। दादी को ऐसा लगा जैसे वो सातवें आसमान पर हैं। “आह्ह… रवि… चूस मेरी चूची… और जोर से…” दादी की सिसकारियाँ तेज हो गईं। चूसने की “चप… चप…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। बॉबी और माँ नीचे टीवी में डूबी थीं, और पापा तो खर्राटे मार रहे थे।
कुछ देर बाद दादी ने दूसरी चूची निकाली। रवि ने उसे भी चूसना शुरू किया। “ओह्ह… मेरे राजा… कितना मजा दे रहा है…” दादी सिसकारी। उधर, दादी ने रवि की हाफ पैंट में हाथ डाला और उसका लंड टाँगों के बीच से पकड़ लिया। वो धीरे-धीरे उसे सहलाने लगीं। रवि की धड़कनें और तेज हो गईं। उसका लंड इतना सख्त था कि लग रहा था अभी फट जाएगा। “दादी… मत करो… निकल जाएगा…” रवि ने धीरे से कहा। दादी ने उसका हाथ हटाया और फिर से उसके बदन को सहलाने लगीं, लेकिन हर बार वो फिर से उसके लंड को छेड़ने लगतीं।
फिल्म खत्म होने वाली थी। दादी ने जल्दी से रवि को सीधा किया और अपना ब्लाउज ठीक कर लिया। फिल्म खत्म होने के बाद माँ ने रवि और बॉबी को दूध पिलाया। दोनों ने दूध पिया, बाथरूम जाकर सुसु किया और सो गए। माँ और दादी भी पानी पीकर और सुसु करके सो गईं। रवि और दादी बेड पर थे, बाकी सब नीचे।
करीब 20 मिनट बाद, जब सब सो चुके थे, रवि बाथरूम जाने के लिए उठा। दादी ने धीरे से पूछा, “कहाँ जा रहा है?” रवि ने कहा, “दादी, मुझे मुठ मारनी है।” दादी ने कहा, “मत जा, अभी सब सोए नहीं होंगे।” रवि ने मिन्नत की, “दादी, मेरी गोटियों में दर्द हो रहा है। प्लीज, मुझे करना है।” दादी ने रवि का लंड अपनी मुठ्ठी में पकड़ा और बोलीं, “दबाने से शांत हो जाएगा।” कुछ देर बाद रवि से रहा नहीं गया। उसने कहा, “दादी, मेरा निकलने वाला है, प्लीज छोड़ दो।”
दादी ने कहा, “रुक जा, बिस्तर गीला हो जाएगा, और कल तक बदबू करेगा। मेरी साड़ी के अंदर मुठ मार ले, सारा रस साड़ी में सूख जाएगा।” यह कहते हुए दादी ने अपनी साड़ी घुटनों तक ऊपर कर ली और रवि के लंड के पास अपने घुटने रख दिए। रवि थोड़ा एडजस्ट करके दादी के घुटनों के बीच आ गया। वो अपने लंड को जोर-जोर से हिलाने लगा। “आह्ह… दादी…” रवि सिसकारी।
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दादी ने रवि का हाथ हटाया और अपने नरम हाथों से उसके लंड को सहलाने लगीं। उनके हाथ इतने गर्म और मुलायम थे कि रवि का लंड और सख्त हो गया। “आह्ह… दादी… कितना मजा आ रहा है…” रवि की सिसकारियाँ तेज हो गईं। दादी प्यार से उसे सहला रही थीं, जैसे कोई औरत अपने मर्द को सुख देती है। कुछ ही मिनटों में रवि झड़ गया। दादी ने अपने जाँघों पर उसके गर्म वीर्य को महसूस किया। रवि का काम खत्म हो गया, लेकिन दादी की चूत में आग अभी भी जल रही थी। वो उसके नरम पड़ चुके लंड को सहलाती रहीं। रवि ने थैंक्यू बोला और स्कूल की वजह से सो गया।
दादी पर सेक्स का नशा चढ़ा हुआ था। उनकी चूत में आग लगी थी, और वो तब तक शांत नहीं होने वाली थी जब तक उनकी चूत को पूरा सुख न मिले। उस रात दादी ने अपनी उंगलियों से 4 बार मुठ मारी। “आह्ह… ओह्ह…” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, लेकिन सब सो चुके थे।
अगले दिन दादी अच्छे मूड में थीं। पहली बार उन्होंने ऐसा पाप किया था, जिसका रोमांच उन्हें पहले कभी नहीं मिला था। शाम को दादी ने रवि को एक शरारती स्माइल दी। रवि समझ गया कि दादी अब चालू हो चुकी हैं। उस रात, जब सब सो गए, रवि ने दादी की साड़ी ऊपर की और अपना लंड निकाला। उसे छूकर पता चला कि दादी ने चड्डी नहीं पहनी थी। रवि से रहा नहीं गया। उसने साड़ी के अंदर हाथ डालकर दादी की चूत को छूना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ चूत के छेद और गाँड के छेद के आसपास घूमने लगीं।
दादी नींद से जाग गईं, लेकिन चुप रही। वो देखना चाहती थीं कि रवि क्या करता है। रवि दोनों हाथों से उनकी साड़ी में टटोल रहा था, जैसे कोई भूखा खाने को देखकर ललचाता है। दादी को उसकी बेसब्री देखकर मजा आ रहा था। कुछ ही देर में उनकी चूत गीली हो गई। रवि ने देखा कि चूत से पानी बह रहा है। उसने अपनी उंगलियाँ चूत में डालनी शुरू कीं। “आह्ह… रवि…” दादी सिसकारी। उनका सब्र टूटने लगा। उन्होंने रवि का लंड पकड़ा और अपनी साड़ी के अंदर अपनी जाँघों पर रगड़ने लगीं। हल्की रोशनी में रवि ने दादी के चेहरे पर कामुकता और दर्द का मिश्रण देखा।
दादी ने रवि का लंड अपनी चूत के दरवाजे पर रगड़ा। “आह्ह… रवि… और रगड़… मेरी चूत को सहला…” दादी सिसकारी। दो मिनट तक ऐसा चलता रहा। रवि का लंड अब चूत में घुसने को तैयार था, लेकिन तभी वो झड़ गया। “आह्ह…” रवि की सिसकारी निकली। दादी को निराशा हुई, लेकिन वो इतनी कामुक थीं कि उन्होंने रवि का हाथ अपनी चूत पर रखकर रगड़ना शुरू किया। “आह्ह… ओह्ह… और जोर से…” दादी की सिसकारियाँ तेज हो गईं। 10 मिनट बाद दोनों थककर सो गए। लेकिन दादी की लंड की प्यास अभी बुझी नहीं थी।
रवि की माँ को शक होने लगा था। रात को कमरे में जो गंध आई थी, वो केवल एक शादीशुदा औरत ही पहचान सकती थी। लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं, क्योंकि दादी बड़ी थीं और बदनामी का डर था।
अगली रात दादी ने लाइट बंद होते ही अपनी साड़ी में हाथ डालकर मुठ मारनी शुरू की। उन्होंने अपना ब्लाउज खोल दिया। रवि ने हलचल महसूस की और छूकर देखा कि दादी की चूचियाँ खुली हैं। वो तुरंत उन्हें चूसने लगा। “आह्ह… रवि… और चूस मेरी चूची…” दादी सिसकारी। नीचे वो अपनी चूत में उंगली करके आग भड़का रही थीं। काफी देर तक चूचियाँ चूसने के बाद दादी ने रवि को अपने ऊपर खींच लिया। रवि का लंड पहले से खड़ा था। जैसे ही दादी ने उसे अपनी चूत पर रखा, वो अंदर फिसल गया। “आह्ह… ओह्ह… रवि… कितना मोटा लंड है तेरा…” दादी सिसकारी। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। रवि पहली बार चुदाई कर रहा था। दादी मदहोश हो रही थीं, लेकिन रवि जल्दी झड़ गया। “आह्ह…” उसकी सिसकारी निकली।
ऐसा कुछ दिनों तक चलता रहा। रवि अब एक नंबर का चोदू बन गया था। वो रात को आधा घंटा दादी की चूत पेलता। कभी उनकी चूत चाटता, “चप… चप…” की आवाज के साथ, तो कभी दादी से अपना लंड चुसवाता। “आह्ह… दादी… और चूसो…” वो सिसकारी। दादी की चूचियों के साथ खेलता, उन्हें मसलता। दादी भी पूरी तरह रवि के साथ मस्ती में डूब गई थीं।
लेकिन एक रात सब बदल गया। रवि की माँ ने अचानक लाइट ऑन कर दी। वो महीनों से दोनों की चुदाई की आवाजें सुन रही थीं। उन्हें शक था, और उस रात उन्होंने सच जानने के लिए लाइट जलाई। बेड पर दादी और रवि नंगे थे। रवि का लंड हवा में लहरा रहा था, और दादी की साड़ी उनके पेट तक ऊपर थी। माँ को देखते ही दोनों ने अपने शरीर ढक लिए और सोने का नाटक करने लगे। माँ चुप रही।
अगले दिन घर में सन्नाटा था। दादी और रवि दोनों खामोश थे। माँ के चेहरे से लग रहा था कि उन्हें गहरा सदमा लगा है। दादी के सामने उनकी आँखों में आँसू आए, लेकिन वो कुछ नहीं बोलीं। उस रात कोई सो नहीं पाया।
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दादी ने अगले दिन माँ से बात की। वो माँ के पास गईं और माफी माँगते हुए बोलीं, “बेटी, जो हुआ, वो गलत था। लेकिन हम सिर्फ प्यार कर रहे हैं। रवि से जो सुख मुझे मिल रहा है, वो कोई और नहीं दे सकता। प्लीज नाराज मत हो।” माँ रोते हुए बोलीं, “इससे घर की बदनामी होगी।” दादी ने कहा, “कुछ नहीं होगा। ये हमारा रिश्ता है।” माँ नहीं मानी और काम में लग गईं।
कुछ दिन बाद माँ ने देखा कि दादी और रवि उदास रहने लगे हैं। उन्हें लगा कि जब दोनों सेक्स कर रहे थे, तब खुश थे। माँ ने सोचा कि अगर वो इजाजत दे दें, तो घर में खुशी लौट आएगी। एक दोपहर माँ दादी के पास गईं। दादी खिड़की के पास बैठी थीं।
माँ ने कहा, “मैं आपसे कुछ पूछ सकती हूँ?” दादी ने कहा, “पूछो।” माँ बोलीं, “आप अपने पोते से बहुत प्यार करती हैं?” दादी ने सिर झुकाकर कहा, “हाँ।” माँ ने देखा कि दादी की आँखों से आँसू टपक रहे हैं। माँ ने पूछा, “आपको मुझसे कोई शिकायत है?” दादी ने ना में सिर हिलाया। माँ ने दादी का हाथ पकड़ा और बोलीं, “रवि को आपके साथ रहना अच्छा लगता है?” दादी ने हाँ में सिर हिलाया। माँ ने कहा, “मैं आपके बीच में नहीं आऊँगी। लेकिन एक वादा करना होगा। किसी को नहीं पता चलना चाहिए कि आपके और रवि के बीच क्या रिश्ता है। बॉबी की शादी का सवाल है, घर की इज्जत का सवाल है।”
दादी चुप रहीं। कुछ देर दोनों खामोश थीं। फिर माँ ने चाय लाकर दादी को दी और बोलीं, “जो कुछ मेरी वजह से हुआ, उसे भूल जाइए। मुझे माफ करें। आपके और रवि की खुशी से बढ़कर मेरे लिए कुछ नहीं। आप खुश रहें और रवि को भी खुश रखें।”
शाम को जब रवि घर आया, दादी के मन में फिर से अपने पोते के लिए प्यार उमड़ पड़ा। वो रात का इंतजार करने लगीं। रात को जब सब सो गए, रवि ने दादी की साड़ी उठाई और अपना लंड उनकी साड़ी में डालकर हिलाने लगा। दादी मन ही मन मुस्कुराने लगीं। उन्होंने रवि को गले से लगा लिया और उसे चूमने लगीं। रवि समझ गया कि दादी अब फिर से सेक्स के मूड में हैं।
दादी ने रवि का लंड अपने हाथ में लिया और उसे अपने मुँह में डाल लिया। वो लंड की चमड़ी को अपने होठों से ऊपर-नीचे करने लगीं। “आह्ह… दादी… मत करो, निकल जाएगा…” रवि सिसकारी। दादी नहीं रुकीं। उन्होंने रवि की टी-शर्ट उतारी और उसके बदन को चूमने लगीं। फिर अपना ब्लाउज उतारकर अपनी चूची रवि के मुँह के पास रख दी। रवि ने चूची को चूसना शुरू किया। “आह्ह… रवि… और जोर से चूस…” दादी सिसकारी। उनकी चूत से पानी बहने लगा।
दोनों से अब रहा नहीं गया। रवि का लंड दादी की चूत में घुस गया। “फच… फच…” की आवाज कमरे में गूँजने लगी। रवि जोर-जोर से धक्के मार रहा था। “आह्ह… रवि… मेरी चूत को फाड़ दे… और तेज…” दादी की सिसकारियाँ तेज हो गईं। रवि को कई दिनों बाद चुदाई का मौका मिला था, और वो पूरी ताकत से दादी को पेल रहा था। दादी को ऐसा सुख मिल रहा था कि वो बयान नहीं कर सकती थीं। यह खेल 30 मिनट तक चला। दोनों ने अपने कपड़े ठीक किए और सो गए।
माँ रात को दोनों की आवाजें सुनकर संतुष्ट हो गईं। बॉबी और पापा को कभी नहीं पता चला कि घर में क्या चल रहा था।
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