मेरे ससुरजी ने चूत और गांड रौंद डाली

Sasur Bahu Sex Story – Buddha Jawan Chudai हाय, मैं रूबी सिंघानिया हूँ, गुजरात से। मैं एक शादीशुदा औरत हूँ, उम्र 37 साल, और अपने पति प्रशांत के साथ सूरत में रहती हूँ। मेरा एक बेटा है, नंदू, जो अब 18 साल का हो चुका है, क्योंकि ये कहानी उस वक्त की है जब वो बड़ा हो गया था। मेरे ससुरजी, रमेश, 65 साल के हैं, लेकिन उनका शरीर अभी भी चुस्त-दुरुस्त है, मानो 45-50 साल के हों। हमारी फैमिली में बस हम चार लोग हैं—मैं, प्रशांत, नंदू और ससुरजी। मेरी शादी को अब 10 साल हो चुके हैं। जब मैं पहली बार ससुराल आई थी, तब सब कुछ बहुत अच्छा था। प्रशांत मुझे बहुत प्यार करते थे, और मेरी सास-ससुर मुझे अपनी बेटी की तरह मानते थे। लेकिन दो साल पहले मेरी सास का देहांत हो गया, और तब से ससुरजी की नजरें मुझ पर बदल गईं।

ससुरजी रिटायर्ड हैं, इसलिए दिनभर घर पर ही रहते हैं। उनकी नजरें अब मुझे वासना से घूरती थीं। कई बार मैंने देखा कि वो छत पर सुखाने रखे मेरे कपड़ों में से मेरी ब्रा और पैंटी को छूते थे, उनके साथ खेलते थे। मैंने चोरी-छुपे ये सब देखा, और मन में गुस्सा भी आया। कई बार सोचा कि प्रशांत को सब बता दूँ, लेकिन फिर लगा कि बाप-बेटे में झगड़ा क्यों करवाऊँ? मैं चुप रही, लेकिन ससुरजी की हिम्मत बढ़ती गई। वो बहाने बनाकर मेरे पास आते, कभी चाय बनाने को कहते, तो कभी किचन में मदद के बहाने मेरे करीब आने की कोशिश करते। उनका हाथ मेरे शरीर पर ‘गलती से’ छू जाता। मैं असहज हो जाती, लेकिन कुछ बोल नहीं पाती।

एक दिन सुबह के 7 बजे थे। प्रशांत जॉब पर चले गए थे, और नंदू को स्कूल छोड़ने गए थे। मैं नहाने की तैयारी कर रही थी। अपनी ब्रा, पैंटी और तौलिया बाथरूम में टांगकर मैंने कपड़े उतारने शुरू किए। पूरी नंगी होकर जैसे ही नहाने वाली थी, तभी ससुरजी की जोरदार आवाज आई, “रुबीना! जल्दी आओ!” घर में सब मुझे प्यार से रूबी की जगह रुबीना कहते हैं। उनकी आवाज से मैं डर गई। सोचा, कहीं कुछ अनहोनी तो नहीं हो गई? जल्दबाजी में मैंने सिर्फ नाइटी पहनी—न तो ब्रा, न पैंटी। वो नाइटी इतनी पतली थी कि मेरा शरीर साफ दिख रहा था। मैं बाहर दौड़ी, लेकिन ससुरजी कहीं दिखे नहीं। फिर मैंने गार्डन में देखा, वो वहाँ जमीन पर गिरे पड़े थे।

मैं भागकर उनके पास गई और उन्हें उठाने की कोशिश करने लगी। तभी मुझे एहसास हुआ कि उनकी नजरें मेरी नाइटी के पार मेरे बूब्स के निप्पल्स पर टिकी थीं। मैं शर्म से लाल हो गई। जैसे-तैसे उन्हें उठाया, तो उनका एक हाथ मेरी गांड पर चला गया। उन्हें तुरंत पता चल गया कि मैंने अंदर कुछ नहीं पहना। मैंने पूछा, “बाबूजी, क्या हुआ? कैसे गिर गए?” वो बोले, “बहू, पैर फिसल गया, गिर गया। सॉरी, तुम्हें इस हाल में बुलाना पड़ा।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं, पिताजी। आप आराम करें, मैं नहा लेती हूँ।” वो बोले, “बहू, मैं कीचड़ में गिर गया हूँ। पहले मुझे नहाने दे, तुम बाद में नहा लेना।” उनकी बात सुनकर मैं थोड़ा सोच में पड़ गई, लेकिन फिर लगा कि वो मेरे पिताजी जैसे हैं। मैंने कहा, “ठीक है, पिताजी, आप नहा लीजिए।”

वो बाथरूम में चले गए। थोड़ी देर बाद बाहर आए, तो मैं नहाने के लिए अंदर गई। नाइटी में अपने गुप्तांग छुपाने की कोशिश करते हुए मैं बाथरूम में घुसी। नहाते वक्त मैं अपनी धुन में थी, लेकिन जब तौलिया लेने के लिए हाथ बढ़ाया, तो चौंक गई—मेरा तौलिया गायब था! मन में शक हुआ कि ये ससुरजी की कोई चाल है। फिर सोचा, शायद जल्दबाजी में वो मेरा तौलिया ले गए होंगे। जैसे-तैसे शरीर पोंछकर मैंने पैंटी पहनने की कोशिश की, लेकिन उसे छूते ही कुछ गीला-चिपचिपा लगा। पैंटी को गौर से देखा, तो उसमें ससुरजी का वीर्य था, जो मेरी चूत पर भी थोड़ा-थोड़ा लग गया था। गुस्से से मेरा खून खौल उठा। मैंने पैंटी कचरे में फेंक दी। फिर ब्रा देखी, उसमें भी उनका वीर्य था। गुस्से में मैंने ब्रा भी कचरे में डाल दी।

आप यह Sasur Bahu Chudai Kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

अब मैंने अपनी चूत को अच्छे से साफ किया और दोबारा नहाया। लेकिन अब बाहर कैसे जाऊँ? मेरे पास न तौलिया था, न ब्रा-पैंटी। मुझे पछतावा होने लगा कि जल्दबाजी में ब्रा-पैंटी क्यों फेंक दी। मजबूरी में ससुरजी को आवाज लगानी पड़ी, “पिताजी, आप मेरा तौलिया गलती से ले गए। प्लीज मुझे दे दीजिए।” उन्होंने जवाब दिया, “ओह, बहू, सॉरी! जल्दबाजी में अपना तौलिया भूल गया था, तो तेरा ले लिया। ठहर, दूसरा तौलिया देता हूँ।” उनकी आवाज में कुछ शरारत थी, लेकिन मैं कुछ कर नहीं सकती थी। उन्होंने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया और कहा, “लो, बहू, तौलिया।” मैंने दरवाजा थोड़ा खोलकर हाथ बाहर निकाला। उनका हाथ मेरे हाथ को छू गया, और मुझे तौलिया थमा दिया।

इसे भी पढ़ें  सुंदर लड़की को प्रेम जाल में फँसाकर चोदा | Hot Love Sex Story

तौलिया देखकर मेरा गुस्सा और भड़क गया। वो इतना छोटा था कि मेरे शरीर को ढक ही नहीं सकता था, और उसमें दो छोटे-छोटे छेद भी थे। मैं समझ गई कि ससुरजी आज मुझे छोड़ने वाले नहीं। मजबूरी में मैंने उस तौलिये से शरीर पोंछा और उसे बूब्स के आसपास लपेटा, लेकिन वो इतना छोटा था कि मेरी चूत पूरी तरह ढक नहीं रही थी। मैंने तौलिया थोड़ा नीचे खींचा, तो मेरे आधे बूब्स और निप्पल्स दिखने लगे। तौलिये के छेद मेरी गांड के पास थे, जिससे मेरी गांड का गोरा रंग साफ दिख रहा था। मैं जल्दी से बाथरूम से निकली और अपने कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया। लेकिन बाहर निकलते वक्त ससुरजी की नजरें मेरे शरीर पर टिकी थीं। उनके पजामे में उनका लंड तना हुआ साफ दिख रहा था।

रात को जब प्रशांत घर आए, मैंने उन्हें सब बताने की बहुत कोशिश की, लेकिन हिम्मत नहीं हुई। मेरी आँखें भर आईं। उन्होंने पूछा, “क्या हुआ, रूबी?” मैंने कुछ नहीं कहा। अगली सुबह जब मैं उठी, तो देखा कि प्रशांत तैयार हो रहे थे। मैंने पूछा, “कहाँ जा रहे हो?” वो बोले, “ऑफिस के काम से दिल्ली, तीन दिन के लिए।” मेरे ऊपर जैसे आसमान टूट पड़ा। मैंने गुस्से में कहा, “अब बता रहे हो?” वो बोले, “डार्लिंग, कल रात तुम रो रही थी, मैं तुम्हें और परेशान नहीं करना चाहता था।” मैंने जिद की, “मुझे भी ले चलो!” वो गुस्सा हो गए और बोले, “बच्चों जैसी हरकत मत करो।” फिर उन्होंने मुझे अपनी बाहों में लिया और नंगा करके किस करने लगे। लेकिन जैसे ही मेरी पैंटी उतारी, वो बोले, “रूबी, अपनी चूत तो साफ रखा करो। तुम्हें पता है, मुझे बालों वाली चूत चोदना पसंद नहीं।” मैंने कहा, “इस बार कर लो, अगली बार साफ रखूँगी।” लेकिन उन्होंने मना कर दिया और अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। मेरे मुँह को चोदने लगे और उनका सारा वीर्य मेरे मुँह में भर गया। फिर मैंने जल्दी से कपड़े पहने और उन्हें बस स्टॉप छोड़ने चली गई।

अब घर में सिर्फ मैं और ससुरजी थे। मुझे उनसे डर लग रहा था। मैंने फिर से नहाने का फैसला किया, लेकिन इस बार पहले ही चेक कर लिया कि ब्रा, पैंटी और तौलिया सही जगह पर हैं। नहाने के बाद मैंने खाना बनाया। दोपहर में ससुरजी और मैंने साथ में खाना खाया। फिर मैंने कहा, “पिताजी, मैं सोने जा रही हूँ।” वो बोले, “ठीक है, बहू।” रात को ज्यादा रोने की वजह से मुझे नींद नहीं आई थी, तो दोपहर में गहरी नींद आ गई। नंदू स्कूल से लौटकर बाहर खेलने चला गया था। अचानक मेरे कमरे के दरवाजे पर खटखट की आवाज आई। मैं उठी और देखा कि नींद में मेरी साड़ी कमर तक सरक गई थी, पैंटी दिख रही थी, और साड़ी का पल्लू भी हट गया था। मैंने जल्दी से कपड़े ठीक किए और दरवाजा खोला। ससुरजी खड़े थे, हाथ में चाय का कप लिए। वो बोले, “बहू, तुम आज ज्यादा सो रही थी, तो मैंने सोचा चाय बना दूँ। ये तुम्हारे लिए है। नंदू को भी दूध पिला दिया है।” मैं मन ही मन सोचने लगी कि ये वही ससुरजी हैं, जिन्होंने कल मेरी पैंटी पर अपना वीर्य डाला था, और आज मेरे लिए चाय बना रहे हैं।

मैंने चाय पी और अपने काम में लग गई। लेकिन चाय पीने के एक घंटे बाद, लगभग 7 बजे, मुझे अजीब सी बेचैनी होने लगी। शरीर में हल्का-हल्का दर्द शुरू हुआ, ऐसा लगा जैसे शरीर टूट रहा हो। नींद सी आने लगी। मुझे शक हुआ कि ससुरजी ने चाय में कुछ मिलाया है। अचानक मैं अपने होश खोने लगी और किचन में गिर पड़ी। ससुरजी आए और मेरे सामने हँसने लगे। मैं थोड़ी बेहोशी की हालत में थी, न उठ पा रही थी, न हाथ-पैर हिला पा रही थी। लेकिन सब समझ रही थी। मैंने उठने की कोशिश की, लेकिन वो हँसते हुए बोले, “कुछ भी कर ले, बहू, अगले 10 घंटे तक तू अपने आप को नहीं संभाल पाएगी। मैंने चाय में ड्रग मिला दिया था।” मैं उन्हें घूरती रही, लेकिन कुछ कर नहीं पाई।

इसे भी पढ़ें  कमसिन लड़की की कुंवारी चुत

आप यह Sasur Bahu Chudai Kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

वो मुझे उठाकर मेरे कमरे में ले गए और बिस्तर पर पटक दिया। मैं सब समझ रही थी, लेकिन हिल-डुल नहीं पा रही थी। सिर्फ महसूस कर सकती थी। ससुरजी मेरे पास आए और मेरे गले पर चूमने लगे। मेरे होंठों पर किस किया, उन्हें काटने लगे। मुझे घिन आ रही थी। उन्होंने मेरी साड़ी उतार दी। अब मैं सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज में थी। मैं साड़ी नाभि के नीचे पहनती हूँ, तो मेरी नाभि उनकी आँखों के सामने नंगी थी। वो मेरी नाभि को चूमने लगे। मैं मुँह हिलाकर और आवाज निकालकर विरोध करने लगी, लेकिन मेरा शरीर लकवाग्रस्त जैसा हो गया था। धीरे-धीरे ससुरजी बोलने लगे, “आज तुझे जी भर के चोदूँगा, बहू। दो साल से भूखा हूँ।” मैंने कहा, “पिताजी, ये गलत है। मैं प्रशांत को सब बता दूँगी।” वो बोले, “मैं तुझे उस लायक छोड़ूँगा ही नहीं।”

उन्होंने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए और पेटीकोट भी उतार दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मेरी आँखों में आँसू थे, लेकिन उन्हें जरा भी दया नहीं आई। उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी भी उतार दी। अब मैं बिल्कुल नंगी उनके सामने पड़ी थी। रोना आ रहा था, लेकिन वो रुके नहीं। मेरी झांटों वाली चूत देखकर वो बोले, “साली रंडी, मेरे बेटे ने तुझे कितनी बार कहा कि चूत साफ रख, तू सुनती नहीं। चल, आज मैं तेरी चूत की शेविंग करता हूँ।” वो पुरुषों वाला रेजर और क्रीम ले आए। मैंने पहले कभी रेजर इस्तेमाल नहीं किया था, हमेशा हेयर रिमूवर ही यूज करती थी। रेजर देखकर मुझे डर लगने लगा। उन्होंने मेरी चूत पर क्रीम लगाई और कई बार अपनी उँगलियाँ मेरी चूत में डाल दी। ना चाहते हुए भी मेरा शरीर गर्म होने लगा। मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया। वो हँसने लगे और बोले, “कमीनी, नखरे कर रही है।”

फिर अचानक उन्होंने क्रीम हटा दी और बोले, “तुझे बिना क्रीम के शेव करूँगा, साली। तूने मुझे बहुत तड़पाया है, अब मैं तुझे तड़पाऊँगा।” वो रेजर मेरी चूत पर घुमाने लगे। मुझे कटने का डर था, और दर्द भी हो रहा था। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरी चूत के सारे बाल साफ कर दिए। फिर वो मुझे नंगी छोड़कर रूम से चले गए। तभी नंदू रूम में आ गया। मुझे नंगी देखकर बोला, “मम्मी, आपने कपड़े क्यों नहीं पहने?” मैं इतनी बेबस कभी नहीं थी। अपने 18 साल के बेटे के सामने नंगी पड़ी थी, और मुझे खुद पर घिन आ रही थी। ससुरजी आए और नंदू को बगल वाले कमरे में सुला आए।

जब वो वापस आए, तो सिर्फ अंडरवियर में थे। 65 साल की उम्र में भी उनका शरीर चुस्त था। वो मेरे सामने हँसने लगे और एक कैमरा निकाला। मेरी तस्वीरें खींचने लगे—मेरी चूत का क्लोज-अप, मेरे बूब्स, मेरी पूरी बॉडी। फिर बोले, “अगर तूने किसी को कुछ बताया, तो मैं जेल जाऊँगा, लेकिन तेरी इज्जत के चिथड़े उड़ा दूँगा।” फिर वो तेल की बोतल ले आए और मेरे पूरे शरीर पर तेल मलने लगे। मेरे बूब्स को बुरी तरह मसलने लगे। ना चाहते हुए भी मेरा शरीर गर्म होने लगा। मेरे निप्पल्स टाइट हो गए। वो समझ गए कि मैं गर्म हो रही हूँ। उन्होंने अपना लंड निकाला, जो अभी पूरी तरह तना नहीं था, लेकिन 7 इंच का था। वो मेरी चूत पर लंड घिसने लगे। बजाय चोदने के, वो मुझे तड़पा रहे थे। अपनी उँगलियों से मेरी चूत में उँगली करने लगे। मेरा शरीर उनका साथ देने लगा। मेरे मुँह से “आह… उह…” की आवाजें निकलने लगीं। मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया। वो हँसने लगे, और मैं शर्म से मर रही थी।

उन्होंने कहा, “ले, मुँह में ले।” मैंने मुँह फेर लिया। वो बोले, “सुबह मेरे बेटे का लंड जोर-जोर से चूस रही थी, अब क्या हुआ?” उन्होंने मेरा मुँह जबरदस्ती खोलने की कोशिश की, लेकिन मैंने मुँह नहीं खोला। फिर उन्होंने मेरी नाक दबा दी। मैं साँस नहीं ले पा रही थी। मजबूरी में मुँह खोला, तो उन्होंने अपना लंड मेरे मुँह में घुसा दिया। उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था। मैं घुटन महसूस कर रही थी, लेकिन वो मेरे मुँह को चोदते रहे। मैंने गुस्से में उनके लंड को काट लिया। वो चिल्ला उठे, और उनके लंड से खून निकलने लगा। वो गुस्से में बोले, “रुक, रंडी, तुझे दिखाता हूँ।” वो बाहर चले गए। मैं डर गई कि अब क्या करेंगे।

इसे भी पढ़ें  थोड़ा ही घुसाउंगा बोला पर पूरा पेल दिया भाई ने

आप यह Sasur Bahu Chudai Kahani हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

वो वापस आए, हाथ में एक 15 इंच लंबा और 3 इंच चौड़ा लकड़ी का डंडा लिए। मैं डर से काँपने लगी। उन्होंने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड पर तेल लगाने लगे। मैं जोर-जोर से रोने लगी, लेकिन वो गुस्से में थे। उन्होंने मेरी गांड के छेद में भी तेल डाला और डंडे को मेरी गांड पर रखकर जोर से धक्का दिया। मेरे मुँह से चीख निकल गई। ऐसा लगा जैसे मेरी गांड फट गई। उन्होंने दूसरा धक्का लगाया, और मेरी जान निकलने लगी। डर और दर्द के मारे मुझे पेशाब हो गया, जिससे बिस्तर गीला हो गया। उन्होंने डंडा निकाला, तो उस पर खून लगा था। वो बोले, “देख, रंडी, मुझे काटने का नतीजा। पहले तुझे चोदूँगा, फिर तेरी चूत को भोसड़ा बनाऊँगा।”

उन्होंने फिर से अपना लंड मेरे मुँह में डाल दिया। अब मैंने हार मान ली थी। मैं उनका लंड चूसने लगी। थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे मुँह पर अपने वीर्य की पिचकारी मार दी। उनका लंड ढीला पड़ गया। मेरे बूब्स पर भी उनके वीर्य की बूँदें थी। वो बोले, “चल, इसे चूसकर फिर खड़ा कर।” मैंने फिर चूसा, और उनका लंड फिर तन गया। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इतनी उम्र में उनका लंड इतनी जल्दी फिर खड़ा हो गया। अब वो मेरे ऊपर आए और अपना लंड मेरी चूत पर रखा। मेरे बूब्स को जोर-जोर से दबाने लगे, मेरे निप्पल्स को मसलने लगे। फिर एक जोरदार धक्का मारा, और उनका लंड मेरी चूत में घुस गया। मेरे मुँह से “आह…” निकल गया। वो धक्के मारते रहे—ढप-ढप-ढप की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं।

मैं फिर गर्म होने लगी, लेकिन मेरी गांड में अभी भी दर्द था। खून रुक नहीं रहा था। ससुरजी के करारे धक्कों के साथ मेरी चूत भी उनका साथ देने लगी। मैं शर्म के मारे मर रही थी। चुदाई के दौरान मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ दिया। मैं उनके स्टैमिना से हैरान थी। थोड़ी देर बाद उनके लंड ने मेरी चूत में वीर्य छोड़ दिया। जब उन्होंने लंड निकाला, तो उस पर खून था। मैं चौंक गई कि चूत में तो दर्द नहीं हुआ, फिर खून कहाँ से? तभी मुझे याद आया कि मैं पीरियड्स में हूँ। फिर भी ससुरजी ने मुझे कपड़े नहीं पहनने दिए। पीरियड्स के दौरान भी मुझे नंगा रखा। मेरी चूत से खून निकलता रहा, और मुझे दर्द हो रहा था। बिस्तर भी गंदा हो गया था। फिर भी वो अगले दिन दोपहर तक मुझे अलग-अलग स्टाइल में चोदते रहे। जब उन्होंने मुझे शीशे में मेरी गांड दिखाई, तो मैं हैरान रह गई। मेरी गांड का छेद फट गया था, मानो कोई चूत हो।

अब मुझमें थोड़ी जान आने लगी थी। मैं उठ पा रही थी, लेकिन ससुरजी का जी नहीं भरा था। पूरी रात और दिन चोदने के बाद भी वो कुछ नया करते रहे। मैं अपनी कहानी यहीं खत्म करती हूँ। प्लीज कमेंट करके जरूर बताएँ कि आपको कहानी कैसी लगी।

Related Posts

5 thoughts on “मेरे ससुरजी ने चूत और गांड रौंद डाली”

Leave a Comment