मेरे कुंवारे लंड ने चिकने लड़के की सील तोड़ी- 2

मैं, राजू, अपनी सिक्योरिटी गार्ड की वर्दी में चौकी पर बैठा था। रात का सन्नाटा चारों तरफ पसरा था। हल्की सी ठंडी हवा चल रही थी, और पोल पर लगी धीमी रोशनी में चौकी के आसपास का माहौल और भी रहस्यमयी लग रहा था। नील मेरे पास बैठा था, उसका गोरा-चिट्टा चेहरा रोशनी में चमक रहा था। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे बेचैन कर रही थी। वो 18-19 साल का कमसिन लड़का था, पतली कमर, मुलायम त्वचा, और गुलाबी होंठ, जो किसी को भी ललचा सकते थे। उसकी भरी हुई गांड उसकी टाइट जीन्स में साफ दिख रही थी, और मैं कई बार उसकी तरफ आकर्षित हो चुका था, पर नौकरी के डर से कभी कुछ करने की हिम्मत नहीं की थी।

कहानी का पिछला भाग: मेरे कुंवारे लंड ने चिकने लड़के की सील तोड़ी- 1

मैंने उससे मजाक में पूछा, “अबे, तू भी पिएगा क्या?” उसने ना में सिर हिलाया, और अपनी मासूम सी मुस्कान दी। मैंने फटाफट दो लार्ज पैग बनाए और गटागट पी गए। वो विदेशी स्कॉच थी, स्वाद ऐसा कि जीभ पर जैसे मखमल घुल गया। नशा धीरे-धीरे मेरे दिमाग में चढ़ने लगा। मैंने महसूस किया कि नील मुझे बड़ी ही कामुक नजरों से देख रहा था। उसकी आंखें जैसे मेरे जिस्म को चाट रही थीं। मैंने हंसते हुए कहा, “क्या इरादा है तेरा, नील?”

वो थोड़ा झेंपते हुए बोला, “मेरे इरादे से क्या होता है, राजू भैया। असली बात तो तुम्हारे इरादे पर टिकी है।” उसकी बात सुनकर मैं उसे घूरने लगा। वो आगे बोला, “मुझे तुमसे प्यार हो गया है।” उसकी आवाज में एक अजीब सी गर्मी थी, जो मेरे बदन में भी सनसनी दौड़ा गई।

मैंने उसे गौर से देखा। नील सचमुच बड़ा सैक्सी लौंडा था। उसकी गोरी त्वचा, गुलाबी होंठ, और भरी हुई गांड मेरे मन में कई बार गलत ख्याल ला चुके थे। लेकिन मैं हमेशा अपने आपको रोक लेता था। आखिर ये नौकरी मेरे लिए सबकुछ थी। मैंने उससे कहा, “नील, तू बड़े घर का लड़का है। तू मुझसे सब कुछ करवा भी ले, लेकिन कहीं तू मुझे फंसा न दे। आज तू मेरे साथ है, कल किसी और के साथ चला जाएगा। फिर मेरा क्या होगा? मुझे ये नौकरी चाहिए, यार।”

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नील मेरी बात सुनकर मेरे और करीब आ गया। वो मेरी बगल में सटकर बैठ गया। उसका मुलायम बदन मेरे गठीले जिस्म से टकराया, और मेरे दिल की धड़कन बढ़ गई। चौकी की लाइट मैंने पहले ही बंद कर दी थी, और पोल की हल्की रोशनी में हम एक-दूसरे को साफ देख पा रहे थे। नील ने मेरी आंखों में देखते हुए कहा, “तुम पहले मुझे अपना तो बनाओ, राजू भैया। डर के मारे इतना टंच माल छोड़ दोगे क्या?” उसकी बात में एक शरारत थी, जो मुझे अंदर तक भड़का रही थी।

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नशा अब मेरे दिमाग पर पूरी तरह से हावी हो चुका था। मैंने कहा, “ओये, क्या बोला तू?” नील मेरी आंखों में देख रहा था, और कसम से, उस पल मुझे अपने ऊपर काबू नहीं रहा। मैंने उसे अपनी बांहों में भर लिया। उसने भी देर न करते हुए अपने रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरी गोद में आकर बैठ गया। उसके गर्म होंठों की छुअन और उसकी सांसों की गर्मी ने मेरे बदन में आग लगा दी। मैंने उसे जोर से चूमना शुरू किया। उसके होंठ इतने नर्म थे कि मैं उन्हें चूसते हुए खो सा गया।

नील ने मेरे होंठों को अपने होंठों से जकड़ लिया और मेरे मुँह में अपनी जीभ डाल दी। “म्मम…”, उसकी सिसकारी मेरे कानों में गूंजी। मेरा लंड अब पैंट में तनकर सख्त हो चुका था, और नील अपनी गांड से उसे दबा रहा था। उसकी हर हरकत मुझे और उत्तेजित कर रही थी। उसने धीरे-धीरे अपनी शर्ट के बटन खोल दिए। उसका गोरा-चिट्टा सीना और फूले हुए गुलाबी निप्पल्स देखकर मेरा दिमाग हिल गया। मैंने बिना देर किए उसके एक निप्पल को मुँह में ले लिया और चूसने लगा। “आह्ह… राजू भैया… उह्ह…”, नील की सिसकारियां कमरे में गूंजने लगीं।

उसकी कामुक आवाजों ने मुझे और भड़का दिया। मैंने उसकी निक्कर में हाथ डाला और उसके छोटे से लंड को सहलाने लगा। उसका लंड मेरे 7 इंच के मोटे लंड से छोटा था, शायद 5 इंच का, लेकिन सख्त और गर्म। मैंने उसकी निक्कर नीचे खींच दी, और उसका चिकना, गोरा बदन मेरे सामने था। नील ने मेरी वर्दी के बटन खोल दिए और मेरे चौड़े, बालों वाले सीने को चूमने लगा। “उस दिन तुम न होते, तो वो मवाली मेरी ले लेता। लेकिन इसकी असली हकदारी तुम्हारी है, राजू भैया,” उसने धीमी आवाज में कहा।

उसकी बातों ने मेरे बदन में और आग लगा दी। मैंने कहा, “सच में, तू बड़ा नमकीन लौंडा है।” वो हंसते हुए मेरी बांहों में और सट गया। उसने मेरी पैंट की जिप खोली और मेरा लंड बाहर निकाल लिया। “आह… कितना बड़ा लंड है, राजू भैया,” उसने हैरानी से कहा। मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “हां, यार, बड़ा भी और कुंवारा भी। इसने आज तक किसी की नहीं ली।”

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नील मेरे लंड को सहलाते हुए बोला, “तो आज इसकी ओपनिंग कर दो।” उसकी बात सुनकर मैं और गर्म हो गया। मैंने उसे चौकी पर लिटा दिया और हम दोनों पूरी तरह नंगे हो गए। उसका गोरा, चिकना बदन मेरे सांवले, गठीले जिस्म के नीचे था। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसने लगा। मेरा लंड उसके लंड से टकरा रहा था, और मैं उसे चोदने की स्टाइल में ऊपर-नीचे हो रहा था। “आह्ह… उह्ह… राजू भैया…”, नील की सिसकारियां मुझे और उत्तेजित कर रही थीं।

मैं चित होकर लेट गया, और नील मेरे लंड को मुँह में लेने लगा। उसने मेरे लंड के सुपारे को चाटा, फिर धीरे-धीरे पूरा लंड मुँह में ले लिया। “म्मम… कितना मोटा है…”, वो बीच-बीच में बोल रहा था। मैंने उसके सिर को पकड़कर अपने लंड पर दबाया, और वो जोर-जोर से चूसने लगा। “आह… नील, तू तो बड़ा मस्त चूसता है,” मैंने सिसकते हुए कहा।

कुछ देर बाद मैंने उसे फिर से चित लिटाया और उसके ऊपर आ गया। मैंने उससे पूछा, “इतना बड़ा ले पाएगा?” उसने गर्मजोशी से कहा, “पता नहीं, लेकिन तुम ही मेरी सील तोड़ो, राजू भैया। मैं तुम्हें जिंदगी भर याद रखूंगा।” मैंने एक और पैग मारा, और फिर उसकी गांड को चूमने लगा। उसकी चिकनी, गोरी गांड इतनी मुलायम थी कि मैं उसे चाटने और मसलने से खुद को रोक नहीं पाया। “आह… राजू भैया… और करो…”, नील सिसक रहा था।

मैंने अपना लंड उसके छोटे से छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर घुसाने लगा। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा 7 इंच का लंड सिर्फ 3-4 इंच ही अंदर गया। “आह… उई… मम्मी… दर्द हो रहा है…”, नील दर्द से छटपटाने लगा। मैंने धीरे से कहा, “बस, थोड़ा बर्दाश्त कर।” मैंने फिर एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी गांड में समा गया। “आह्ह… फट गई मेरी… उई… मम्मी…”, नील की चीख निकल गई। उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन वो मुझे रोक नहीं रहा था।

मैंने उसे अपने नीचे दबा लिया, ताकि वो हिल न सके। उसकी गांड मेरे लंड को कस रही थी, और उसकी गर्मी मुझे पागल कर रही थी। “आह… नील, तेरी गांड तो जन्नत है,” मैंने सिसकते हुए कहा। कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ, और उसकी गांड मेरे लंड को लहक-लहक कर कसने लगी। “आह… राजू भैया… अब मजा आ रहा है… और करो…”, नील की आवाज अब दर्द से नहीं, बल्कि मजे से भरी थी।

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मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां बढ़ रही थीं, “आह्ह… उह्ह… चोदो मुझे… आह… मेरी गांड फाड़ दो…” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदने लगा। पहले मैंने उसे उल्टा किया और उसकी गांड में पीछे से लंड पेला। “पच… पच… पच…” की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। फिर मैंने उसे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के मारने लगा। उसकी सिसकारियां अब चीखों में बदल गई थीं, “आह… उई… राजू भैया… और जोर से… मेरी गांड फट रही है… आह्ह…”

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मैंने उसे फिर से चित लिटाया और उसके पैर अपने कंधों पर रखकर जोर-जोर से धक्के मारे। उसकी गांड मेरे लंड को पूरी तरह जकड़ रही थी। “आह… नील, तेरी गांड ने तो मेरे लंड को निचोड़ लिया,” मैंने सिसकते हुए कहा। करीब 10 मिनट तक मैंने उसे बिना रुके चोदा। आखिरकार, मेरा लंड उसकी गांड में झड़ने लगा। “आह्ह… ले साले… मेरा माल ले…”, मैंने चीखते हुए कहा। मेरा गर्म माल उसकी गांड में पिचकारी की तरह छूट रहा था। नील ने मेरे हाथों को कसकर पकड़ लिया और “आह… राजू भैया… भर दो मेरी गांड… उह्ह…” कहते हुए सिसकने लगा।

मेरा लंड पूरी तरह ढीला होने तक उसकी गांड में रहा। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने। नील ने जाते-जाते कहा, “ये पल मुझे जिंदगी भर याद रहेगा।” मैंने हंसते हुए पूछा, “मेरा कैसा लगा?” उसने शरारती अंदाज में कहा, “बड़ा मस्त था, लेकिन अगली बार और ढंग से पेलना।” मैंने हंसते हुए कहा, “चौकी में तो बस इतना ही हो सकता था।”

उसने कहा, “अगली बार मैं तुम्हें दिन में अपने फ्लैट पर बुलाऊंगा। हम साथ खाना खाएंगे, और फिर देखेंगे कि चौकी में ज्यादा मजा आया या मेरे रूम में।” मैंने हामी भर दी। उसने जाते-जाते पूछा, “आओगे ना?” मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “हां, जरूर।”

इस कहानी के अगले हिस्से में मैं बताऊंगा कि कैसे मैंने नील को उसके फ्लैट पर चोदा। मेरी ये कहानी आपको कैसी लगी? अपने विचार जरूर साझा करें।

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