माँ को चोदने में मज़ा आया

Gaon ki chudai मेरा नाम रामेश्वर है। मैं उत्तर प्रदेश के एक गाँव में रहता हूँ, जहाँ हमारा परिवार किसानी करता है। घर में मैं, मेरी दो बहनें रंजीता और संगीता, और मेरी माँ रहती हैं। पिताजी का देहांत चार साल पहले हो चुका है। मैं घर का सबसे बड़ा बेटा हूँ, मेरी उम्र 21 साल है। रंजीता 18 साल की है और संगीता 16 साल की, दोनों पूरी तरह जवान हो चुकी हैं। मेरी माँ, जिनकी उम्र 42 साल है, दिखने में इतनी सुंदर और जवान लगती हैं कि कोई नहीं कह सकता कि वो हमारी माँ हैं। लोग उन्हें देखकर यही समझते हैं कि वो हमारी बहनें हैं। माँ का फिगर एकदम भरा हुआ है, 36-28-38, और उनकी त्वचा इतनी गोरी और चिकनी है कि देखकर किसी का भी मन डोल जाए।

हमारा परिवार गाँव में जमींदारों में गिना जाता है। हमारे पास खूब जमीन-जायदाद है, और गाँव में हमसे अमीर कोई नहीं। हमारा बंगला गाँव का सबसे शानदार बंगला है, जिसे देखकर लोग रश्क करते हैं। घर का सारा काम-काज हमारे मुंशी काका देखते हैं, लेकिन मैं भी अब थोड़ा-थोड़ा काम संभालने लगा हूँ। मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ, जबकि मेरी दोनों बहनें स्कूल में हैं। रंजीता लंबी, गोरी, और भरे हुए फिगर वाली है, उसका चेहरा मासूम लेकिन आँखों में शरारत भरी है। संगीता थोड़ी छोटी है, लेकिन उसकी जवानी भी कमाल की है। दोनों बहनों के कपड़े हमेशा टाइट और फैशनेबल होते हैं, जो उनकी जवानी को और उभारते हैं।

बात उस दिन की है जब होली का त्योहार करीब था। मेरी बहनों के एग्जाम खत्म हो चुके थे, लेकिन मेरा कॉलेज का एग्जाम अभी बाकी था। उस दिन मैं अपने कंप्यूटर पर एक सेक्सी फिल्म डाउनलोड कर रहा था। जल्दबाजी में मैं उसे हाइड करना भूल गया और कंप्यूटर शटडाउन करके मुंशी काका के साथ खेतों में काम देखने चला गया। जब मैं शाम को घर लौटा, तो देखा कि रंजीता मेरे कंप्यूटर पर कुछ कर रही थी। उसका चेहरा लाल था, और मुझे देखते ही वो हड़बड़ा गई। वो जल्दी से उठी और चाय बनाने किचन में चली गई। मैंने कंप्यूटर देखा तो पाया कि उसने सेक्सी तस्वीरें मिनिमाइज की थीं। मैंने तुरंत उन्हें बंद किया और अपने रूम के अंदर बने बाथरूम में चला गया।

मेरा लंड उस वक्त खड़ा हो चुका था। मैं आपको बता दूँ कि मैं हर दो-तीन दिन में मुठ मारता हूँ। मेरा लंड 9 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है, जिसे देखकर गाँव की कई औरतें और लड़कियाँ दीवानी हो चुकी हैं। मैं बाथरूम में गया और मुठ मारने लगा, लेकिन जल्दबाजी में दरवाजा लॉक करना भूल गया। बाहर वाला बाथरूम शायद रंजीता या संगीता इस्तेमाल कर रही थीं, इसलिए व्यस्त था। मैं आँखें बंद करके मुठ मार रहा था, तभी अचानक माँ बाथरूम में घुस आईं। शायद उन्हें पेशाब की जोरदार तलब लगी थी। मेरे लंड को देखकर माँ की आँखें फटी की फटी रह गईं। उनके मुँह से निकला, “हाय राम! इतना बड़ा! ये तू क्या कर रहा है, रामू?” मैं घबरा गया और तुरंत वहाँ से भाग निकला, अपने लंड को छुपाने की कोशिश करते हुए।

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रात को हम सब अपने-अपने कमरे में सोते हैं। माँ का कमरा अलग है, मेरे कमरे के बगल में, और दूसरी तरफ रंजीता और संगीता का कमरा है। उस रात माँ के कमरे की लाइट अचानक गुल हो गई। शायद वायरिंग में कोई खराबी थी। माँ ने मुझे आवाज दी, “रामू, बेटा, जरा आ, लाइट ठीक कर दे!” मैं तुरंत माँ के कमरे में गया। रात को मैं सिर्फ़ तौलिया लपेटकर सोता हूँ, क्योंकि मुझे नंगा सोने की आदत है। जल्दबाजी में मैंने तौलिया लपेटा और माँ के कमरे में चला गया। मेरा लंड पहले से ही खड़ा था, क्योंकि मैं मुठ मार रहा था, जब माँ ने आवाज दी थी।

मैं स्टूल पर चढ़कर लाइट की ग्रिप चेक करने लगा। माँ नीचे खड़ी थीं, उनके हाथ में टॉर्च थी। अचानक मेरा तौलिया ढीला होकर नीचे गिर गया। माँ की नजर मेरे खड़े लंड पर पड़ी, और उनकी आँखें शर्म से झुक गईं। लेकिन वो तिरछी नजरों से मेरे लंड को देख रही थीं। मैंने जल्दी से तौलिया उठाकर लपेटा और माँ से कहा, “मम्मी, ये लाइट मैं ठीक नहीं कर पाऊँगा। मिस्त्री को बुला लेंगे। आप चाहें तो मेरे कमरे में सो सकती हैं।” माँ ने कहा, “ठीक है, रामू।”

रात के 11 बज रहे थे। मेरी दोनों बहनें सो चुकी थीं। मैं और माँ मेरे बिस्तर पर थे। मुझे रात को किसी को जकड़कर सोने की आदत है। सोते-सोते मेरा एक पैर माँ की जाँघ पर चला गया। मुझे गर्मी का अहसास हुआ। धीरे-धीरे मैंने अपना एक हाथ माँ की कमर पर रख दिया। आपको बता दूँ, मैं गाँव की कई औरतों और लड़कियों को चोद चुका हूँ, लेकिन कई दिनों से किसी को नहीं चोदा था। मेरे अंदर जोश भरा हुआ था। माँ ने कुछ नहीं कहा। मैंने धीरे से अपना हाथ उनकी कमर से ऊपर सरकाया और उनके ब्लाउज के ऊपर से उनके 36 इंच के मम्मों पर रख दिया। माँ की साँसें तेज हो गईं, लेकिन वो चुप रहीं।

थोड़ी देर बाद मैंने उनके मम्मों को धीरे-धीरे सहलाना शुरू किया। माँ करवट लेकर सीधी हो गईं। उन्होंने मेरा हाथ पकड़ा और मुस्कुराते हुए बोलीं, “क्या कर रहा है, शैतान?” मैंने कहा, “कुछ नहीं, मम्मी, मैं तो बस…” माँ ने हँसते हुए कहा, “तेरा हाथ यहाँ कैसे पहुँच गया?” शायद माँ को मेरा लंड पसंद आ गया था। मैं चुप रहा। थोड़ी देर बाद मेरा हाथ फिर उनके मम्मों पर चला गया। इस बार मैंने हल्के से दबाया और सहलाया। माँ जाग गईं और बोलीं, “बेटा, मैं तेरी माँ हूँ। ये सब ठीक नहीं है।”

मैंने भावुक होकर कहा, “माँ, पिताजी को गए चार साल हो गए। आप भी तो औरत हैं। आपकी भी जरूरतें हैं। प्लीज, माँ, बस एक बार। मैं वादा करता हूँ, इसके बाद कभी नहीं कहूँगा। अगर आप मना करेंगी, तो मैं घर छोड़कर चला जाऊँगा।” माँ थोड़ी देर चुप रहीं, फिर बोलीं, “ठीक है, सिर्फ़ एक बार।” मेरे दिल में लड्डू फूट रहे थे।

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मैंने धीरे से माँ का ब्लाउज खोला। उनके गोरे, भरे हुए मम्मे बाहर आ गए। मैं उनके निप्पलों को चूसने लगा। माँ जोर से सिसकारी, “आह्ह… रामू…” उनके दोनों हाथ मेरे बालों में फिर रहे थे। मैंने उनके ब्लाउज को पूरी तरह उतार दिया और उनके मम्मों को जोर-जोर से चूसने लगा। एक मम्मे को चूसता, तो दूसरे को अपने हाथों से मसलता। माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “ओह… आह्ह… रामू… ऐसे ही…” मैंने उनके होंठों पर किस किया। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे, जैसे प्यासे हों। माँ की जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी जीभ को चूस रहा था।

माँ ने कहा, “रामू, बहुत दिन से प्यासी हूँ। जल्दी मेरी प्यास बुझा दे।” मैंने कहा, “रुको ना, माँ, अभी तो शुरू किया है।” मैंने जल्दी से उनका पेटीकोट उतारा और उनकी पैंटी भी खींच दी। मैं खुद भी नंगा हो गया। मेरा लंड साँप की तरह फुफकार रहा था। माँ की चिकनी, गोरी चूत देखकर मैं पागल हो गया। मैंने तुरंत उनकी चूत पर मुँह रखा और कुत्ते की तरह चाटने लगा। माँ की चूत से एक मादक खुशबू आ रही थी, जो मुझे दीवाना बना रही थी। मैंने उनकी चूत को चाटा, उनके क्लिट को जीभ से सहलाया। माँ जोर-जोर से सिसकार रही थीं, “आह्ह… बेटा… ऐसे ही… चाट… ओह्ह… रहम कर अपनी माँ पर…”

माँ ने नशे में कहा, “देख, मादरचोद, जहाँ से तू निकला है, उसे अच्छे से चाट!” माँ अपनी कमर उछाल-उछालकर अपनी चूत चटवा रही थीं। मैं करीब 10 मिनट तक उनकी चूत चाटता रहा। उनकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी थी। फिर मैं उठा और माँ के होंठों को चूमने लगा। मैंने कहा, “माँ, चूस मेरे होंठ, देख तेरी चूत का स्वाद कितना मस्त है!” माँ ने मेरे होंठ चूसे और मुस्कुराईं।

मेरा लंड पूरी तरह तन चुका था। माँ ने मेरे लंड को हाथ में लिया और नापते हुए बोलीं, “हाय राम! ये तो गधे जैसा लंड है! तूने ये कहाँ से लाया? तेरे पिताजी का भी इतना बड़ा नहीं था। आज तो मेरी चूत फट जाएगी!” मैंने कहा, “माँ, इसका स्वाद चखो।” माँ ने पहले मना किया, लेकिन मैंने जबरदस्ती उनका मुँह अपने लंड पर रख दिया और एक धक्का मारा। मेरा लंड पूरा उनके मुँह में नहीं गया, लेकिन माँ अब बड़े चाव से उसे चूस रही थीं। “फुच… फुच…” की आवाजें आ रही थीं। माँ ने मेरे लंड को मुँह से निकाला और बोलीं, “चल, अब चोद दे!”

मैंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया। माँ की चूत पहले से ही चिकनी थी, लेकिन मेरा लंड 9 इंच लंबा और 4 इंच मोटा था। मैंने धीरे से उनका चूत के मुँह पर रखा और हल्का सा धक्का मारा। माँ के मुँह से निकला, “आह्ह… मादरचोद, प्यार से चोद ना, साले!” मैंने कहा, “साली, नखरे क्यों दिखाती है? अभी तो आधा भी नहीं गया!” फिर मैंने एक जोरदार धक्का मारा। माँ की चूत कुंवारी जैसी टाइट थी। मेरा पूरा लंड अंदर चला गया। माँ चीख पड़ीं, “साले, धीरे डाल! मेरी चूत फट गई!” मैंने नीचे देखा, उनकी चूत से खून निकल रहा था। माँ की आँखों में दर्द से आँसू आ गए थे।

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मैंने उनके मम्मों को चूसना शुरू किया, ताकि उनका दर्द कम हो। एक मिनट बाद मैंने लंड को धीरे-धीरे आगे-पीछे करना शुरू किया। माँ की सिसकारियाँ अब दर्द से मजे में बदल चुकी थीं, “आह्ह… ओह्ह… रामू… ऐसे ही… चोद…” मैंने स्पीड बढ़ाई और जोर-जोर से चोदने लगा। “पच… पच… फच… फच…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। माँ दो बार झड़ चुकी थीं, लेकिन मैं अभी तक नहीं झड़ा था। मुझे ख्याल आया कि माँ ने सिर्फ़ एक बार चुदने की इजाजत दी है। मैंने चुदाई को धीमा कर दिया, ताकि ज्यादा देर तक मजा ले सकूँ।

माँ को अब बहुत मजा आ रहा था। वो बोलीं, “बेटा, ऐसा मजा तो तेरे पिताजी से कभी नहीं आया। आज तूने मेरी जिंदगी मस्त कर दी।” मैंने कहा, “माँ, अगली बार भी दोगी ना चोदने के लिए?” माँ ने हँसते हुए कहा, “पागल, ऐसा लंड किसी औरत को मिले, तो वो कैसे मना करेगी? आज से हम माँ-बेटे नहीं, पति-पत्नी की तरह रहेंगे।” मैं जोश में आ गया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। माँ चिल्ला रही थीं, “आह्ह… ओह्ह… चोद… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…”

मैंने कहा, “माँ, कहाँ झड़ूँ?” माँ ने कहा, “अपनी पत्नी की चूत में डाल दे!” मैं जोर-जोर से चोदने लगा। मेरे मुँह से निकला, “आह्ह… ओह्ह… माँ… मैं गया… ओह्ह…” और मैंने सारा माल उनकी चूत में डाल दिया। चुदाई के बाद मैं उठा। माँ ने मेरे तौलिये से अपनी चूत साफ की और बोलीं, “रामू, आज के बाद तू मुठ नहीं मारेगा।” मैंने कहा, “अब मेरी बीवी जो मिल गई, मुठ क्यों मारूँगा?” माँ हँस पड़ीं और बोलीं, “शैतान!”

दोस्तों, ये मेरी पहली कहानी है। अगर कोई गलती हुई हो, तो माफ करना। अगले हिस्से में मैंने माँ की गांड मारी और अपनी दोनों बहनों को भी चोदा। आप लोग कमेंट करके बताइए, आपको ये कहानी कैसी लगी?

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