Indian aunty sex story – Mature woman fucked sex story – Building neighbor aunty sex story: दोस्तो, मैं राज शर्मा आपको अपनी उस खास इंडियन आंटी सेक्स कहानी सुनाने जा रहा हूं जिसमें मेरी बिल्डिंग की एक हॉट आंटी ने मुझे अपनी मुस्कान से लाइन मारना शुरू किया और एक शाम मैंने उसे बिल्डिंग की छत पर दबोच लिया। यह मेरी जिंदगी में पहली बार था जब मैंने किसी परिपक्व आंटी को चोदा और उसका मजा इतना गहरा था कि आज भी याद करके लंड खड़ा हो जाता है।
मैं एक अच्छी कसरती बॉडी वाला लड़का हूं, मेहनत से जिम में पसीना बहाया है और मेरा लंड भी पूरा मर्दाना है, सात इंच लंबा और तीन इंच मोटा, जो रोज मुठ मारने की आदत से और भी सख्त हो गया है। मेरी रगों में हमेशा ठरक दौड़ती रहती है, बस मौका ढूंढता हूं किसी भाभी या आंटी की मुलायम चूत में अपना लंड पेलने का। और आखिरकार वह मौका मुझे मिल ही गया।
उस आंटी का नाम था रेखा। मैं उन्हें रेखा आंटी कहता था। वह मेरी ही बिल्डिंग में नीचे वाले फ्लोर पर रहती थीं। जब भी मैं उनके दरवाजे से गुजरता, वह मुझे देखकर एक अजीब सी मुस्कान देतीं, ऐसी मुस्कान जो होंठों पर खेलती और आंखों में चमक लाती। पहले तो मैं समझ नहीं पाया, लेकिन हर बार वही नरम, आमंत्रण भरी मुस्कान। धीरे-धीरे मुझे लगा कि यह सिर्फ साधारण नमस्ते नहीं है, बल्कि कुछ और है। मैंने भी ध्यान देना शुरू किया और जवाब में मुस्कुराने लगा।
फिर बातें शुरू हुईं। आते-जाते हल्की-फुल्की बातें, हंसी-मजाक और जल्दी ही हम दोनों अच्छे दोस्त बन गए। उनकी आवाज में एक मिठास थी जो सुनते ही बदन में सिहरन दौड़ जाती। उनकी खुशबू, हल्की फूलों वाली परफ्यूम की महक, जब पास से गुजरतीं तो नाक में घुस जाती और लंड में हलचल मचा देती।
एक शाम की बात है। मैं अपने कमरे में लेटा हुआ अन्तर्वासना की कोई गर्म कहानी पढ़ रहा था। मेरा हाथ लोअर के अंदर था, लंड को धीरे-धीरे सहला रहा था, प्रीकम की चिपचिपी बूंदें उंगलियों पर लगी हुई थीं। तभी बाहर सीढ़ियों पर पायल की झनकार सुनाई दी। मैंने लंड को लोअर में ठूंसकर हाथ पोछा और दरवाजा खोलकर देखा। आवाज ऊपर छत की ओर जा रही थी। मैं चुपके से उनके पीछे-पीछे गया।
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छत पर हल्का अंधेरा छा रहा था, सूरज डूब चुका था और हवा में ठंडक घुल रही थी। रेखा आंटी तार पर सूखे कपड़े उतार रही थीं। उनकी साड़ी हवा में लहरा रही थी, पल्लू थोड़ा सरक गया था और गहरी ब्लाउज से उनके भारी स्तन झांक रहे थे। मैं छुपकर देखता रहा। जब उन्होंने अपनी ब्रा और पैंटी उतारीं, तो जल्दी से उन्हें दूसरे कपड़ों के नीचे छुपा लिया, लेकिन मैंने साफ देख लिया। सफेद ब्रा में उनके बड़े-बड़े स्तन कैसे सिमटे हुए थे और पैंटी पर हल्का गीला निशान साफ दिख रहा था। मेरी नजर उन पर टिक गई और मेरा लंड लोअर में तनकर दर्द देने लगा।
आंटी मेरे पास से गुजरते हुए रुक गईं। उनकी नजर मेरे उभरे हुए लंड पर पड़ी और वह हल्के से मुस्कुराईं। फिर बोलीं, “राज, तुम्हारी लोअर में तो कोई चूहा घुस आया है क्या?” उनकी आवाज में शरारत थी, आंखें चमक रही थीं।
मैंने भी हंसते हुए कहा, “नहीं आंटी, यह तो काला सांप है, अपना फन फैला रहा है।”
वह और करीब आईं, उनकी गर्म सांस मेरे कान को छू रही थी। “तो क्या यह सांप हमेशा अंदर ही फन फैलाता रहता है?”
“नहीं आंटी, बाहर निकलकर डसता भी है, लेकिन आजकल शिकार नहीं मिल रहा।”
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आंटी की आंखों में आग भड़क उठी। वह हल्के से हंसीं और बोलीं, “सांप और पानी तो अपना रास्ता खुद बना लेते हैं ना? जब बाहर निकालोगे तभी तो शिकार मिलेगा।”
यह सिग्नल इतना साफ था कि मैंने एक पल गंवाया नहीं। मैंने अपनी लोअर नीचे सरका दी। मेरा सख्त लंड हवा में उछलकर उनके सामने फनफनाया। उसकी नसें उभरी हुई थीं, सुपारा लाल और चमकदार। आंटी की सांस तेज हो गई। मैंने उनके हाथ से कपड़े ले लिए और अपना लंड उनके नरम हाथ में रख दिया।
पहले तो उन्होंने हाथ छुड़ाने का नाटक किया, लेकिन जैसे ही उनकी उंगलियां मेरे गर्म लंड को छुईं, उनकी सांस फूल गई। मैंने फिर उनका हाथ पकड़कर लंड पर कस दिया। अब वह धीरे-धीरे मुझे सहलाने लगीं, उनकी हथेली की गर्मी मेरे लंड को और सख्त कर रही थी। मैंने उनका पल्लू नीचे खींच दिया। ब्लाउज में कैद उनके भारी स्तन उभर आए। मैंने ब्लाउज के ऊपर से ही उन्हें दबाना शुरू किया। मुलायम, गर्म और भारी। आंटी की पकड़ मेरे लंड पर और मजबूत हो गई।
मैंने उनके गले पर होंठ रखे, हल्के से चूमा और फिर ब्लाउज के हुक खोल दिए। नीचे सफेद ब्रा में उनके गुलाबी निप्पल साफ दिख रहे थे। मैंने ब्रा को ऊपर सरकाया और उनके स्तनों को मुंह से पकड़ लिया। उनकी त्वचा पर हल्की पसीने की नमकीन महक थी। मैंने एक निप्पल को मुंह में लेकर चूसा, जीभ से घुमाया, फिर हल्के से दांतों से काटा। आंटी सिसकारीं, “आह्ह… राज… धीरे…” लेकिन उनका हाथ मेरे लंड को और तेजी से हिला रहा था।
काफी देर तक मैं उनके दोनों स्तनों को चूसता रहा, बारी-बारी से निप्पलों को चाटता, काटता। उनकी सिसकारियां हवा में घुल रही थीं। फिर अचानक आंटी अलग हुईं, ब्रा ठीक की और कपड़े उठाकर नीचे जाने लगीं। मेरा लंड तड़प रहा था। उनकी मोटी, गोल गांड साड़ी में लहराती हुई मुझे पागल बना रही थी। मैंने पीछे से उन्हें जकड़ लिया, उनके स्तनों को जोर से भींचा और अपना सख्त लंड उनकी गांड के बीच रगड़ने लगा।
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वह सिसकारीं, “छोड़ राज… रात है… कोई देख लेगा…”
मैंने कान में फुसफुसाया, “तो मेरे कमरे में चलो आंटी, वहां कोई नहीं देखेगा।”
वह हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं, “नहीं… फिर कभी… अभी घर में कोई नहीं, तुम्हारे अंकल टूर पर हैं।”
और वह सीढ़ियां उतरने लगीं। मैं उनके पीछे-पीछे। जैसे ही वह मेरे दरवाजे के सामने से गुजरीं, मैंने उनका हाथ पकड़ा, दरवाजा खोलकर उन्हें अंदर खींच लिया और कुंडी लगा दी।
अंदर कमरे की हल्की रोशनी में वह और खूबसूरत लग रही थीं। मैंने उन्हें बांहों में भर लिया, उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी सांसें गर्म थीं, होंठ मुलायम और रसीले। मैंने जीभ अंदर डाली, वह भी जवाब देने लगीं। काफी देर तक हम एक-दूसरे को चूमते रहे, लार मिलाते रहे।
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फिर मैंने उन्हें दीवार से सटाया, उनके हाथ ऊपर उठाकर पकड़ लिए और गर्दन पर किस करना शुरू किया। उनकी त्वचा की खुशबू नाक में भर रही थी। वह पहले तो बोलीं, “छोड़ दे राज… कोई देख लेगा…” लेकिन धीरे-धीरे उनका विरोध खत्म हो गया। मैंने उनका ब्लाउज पूरी तरह उतार दिया। छत पर ब्रा पहले ही उतार चुकी थीं, इसलिए उनके भारी, गुलाबी स्तन पूरी तरह नंगे हो गए। मैंने उन्हें मुंह से पकड़ लिया, एक को चूसता, दूसरे को हाथ से मसलता। निप्पल मेरी जीभ पर सख्त हो रहे थे। आंटी की सिसकारियां तेज हो गईं, “आह्ह… राज… आराम से… आह्ह… मजा आ रहा है…”
मैं नीचे झुका, उनकी नाभि को जीभ से चाटा, फिर पेटीकोट का नाड़ा खींचा। पेटीकोट नीचे गिरा। उनकी गोरी, मोटी जांघें खुल गईं। पैंटी पर गीलेपन का बड़ा निशान था। मैंने घुटनों पर बैठकर पैंटी में मुंह दबाया। उनकी चूत की गर्मी और हल्की सी मादक खुशबू मेरे नाक में घुस गई। मैंने उनकी एक टांग उठाई, जांघें चौड़ी कीं और पैंटी के ऊपर से ही चूत को जीभ से रगड़ने लगा। वह कांप रही थीं, हाथ मेरे सिर पर थे।
फिर मैंने पैंटी नीचे खींच दी। उनकी चूत पर हल्के काले बाल थे, होंठ गुलाबी और सूजे हुए। मैंने जीभ से चाटना शुरू किया, क्लिटोरिस को चूसा। आंटी की कमर उछल रही थी, “आह्ह… राज… क्या कर रहे हो… उफ्फ… चूसो… हां… ऐसे ही…” उनकी चूत से रस बह रहा था, मीठा-नमकीन। मैंने जीभ अंदर तक डाली, चूत को चाट-चाटकर साफ किया। वह झड़ गईं, उनका रस मेरे मुंह में भर गया।
फिर उन्होंने मुझे नंगा किया। घुटनों पर बैठकर मेरा लंड मुंह में लिया। उनकी गर्म, गीली जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी। मैंने उनके सिर पकड़कर मुंह चोदा। काफी देर तक वह चूसीं, गपागप आवाजें कर रही थीं। मैं बेकाबू हो गया। उन्हें बेड पर लिटाया, टांगें फैलाईं और लंड चूत पर रखकर एक जोरदार धक्का मारा। वह चीखीं, उनकी चूत टाइट और गर्म थी। मैंने होंठ चूमते हुए धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। जल्दी ही वह भी कमर उछालने लगीं।
फिर मैंने उनकी टांग कंधे पर रखी और गहराई तक पेला। पच-पच की आवाजें आने लगीं। वह खुद अपने स्तनों को मसल रही थीं। कुछ ही देर में वह दूसरी बार झड़ीं। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, बालों की चोटी पकड़ी और पीछे से जोर-जोर से चोदा। थप-थप की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। मैंने रफ्तार बढ़ाई और आखिरकार उनकी चूत में अपना वीर्य उड़ेल दिया। गर्म वीर्य उनकी बच्चेदानी तक पहुंचा।
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हम दोनों थककर लेट गए। उन्होंने बताया कि वह पहले भी मेरा लंड चोरी से देख चुकी थीं, जब मैं कमरे में मुठ मार रहा था। बोलीं, “महीनों से सपना देख रही थी कि यह मोटा लंड मेरी चूत में घुसे। मेरा पति तो जल्दी झड़ जाता है, मेरी भूख कभी नहीं मिटाता।”
फिर उनका हाथ फिर मेरे लंड पर आ गया। हम 69 पोजीशन में आ गए। मैं उनकी चूत चाट रहा था, वह मेरा लंड चूस रही थीं। उनकी चूत फिर गीली हो गई। वह ऊपर चढ़ गईं, लंड पर बैठीं और उछलने लगीं। उनके भारी स्तन हवा में लहरा रहे थे। मैंने उन्हें पकड़कर नीचे से ठोका। फिर घोड़ी बनाकर बाल पकड़कर चोदा। वह चिल्ला रही थीं, “फाड़ दे… और तेज… चोद… भुर्ता बना दे…” वह तीसरी बार झड़ीं। मैंने उन्हें फिर लिटाकर मिशनरी में तेज-तेज ठोका और दूसरी बार उनकी चूत में वीर्य भर दिया।
हम थककर सो गए। सुबह पांच बजे आंख खुली। मैंने उन्हें जगाया। वह साड़ी-ब्लाउज पहनने लगीं। मैंने उन्हें बुलाया, खड़ा हुआ और लंड उनके मुंह में दे दिया। वह मुस्कुराईं और चूसने लगीं। कुछ देर चुसवाने के बाद उन्होंने कहा, “अब जाना होगा राज, कोई देख लेगा।” और चली गईं।
मैं दरवाजा बंद करके फिर मुठ मारकर सो गया।
कहानी अगले भाग में जारी रहेगी। आपको यह इंडियन आंटी सेक्स कहानी कैसी लगी, जरूर बताइए।
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कहानी का अगला भाग: अंकल नाइट ड्यूटी में, आंटी लण्ड के ड्यूटी में
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