दोस्तों, कुछ ही दिन बीते थे जब हम तीनों दोस्तों—मैं जुबैर, मोहसिन और चंगेज—ने एक तंग कॉलोनी में किराए पर एक छोटा-सा कमरा लिया था। हम तीनों 21 साल के थे, एक ही कॉलेज में पढ़ते थे। मैं, जुबैर, लंबा, गठीला, गेहुंआ रंग, चेहरे पर हल्की दाढ़ी, और गंदी बातें करने में उस्ताद। मोहसिन, पतला, चुस्त, हमेशा चुदाई की कहानियों में डूबा, उसकी जुबान ऐसी कि भाभियां सुनकर गीली हो जाएं। चंगेज, मज़बूत कद, काला रंग, गंभीर चेहरा, लेकिन भाभियों की बात आते ही उसका लंड तन जाता। हम तीनों का एक शौक था—मंगलसूत्र वाली, गदराई, सेक्सी भाभियां। कॉलोनी में ऐसी कई थीं, लेकिन हमारा निशाना था पड़ोस का मकान, जो हमारे कमरे से सटा था।
हमारा कमरा और पड़ोस का मकान इतने करीब थे कि छतें आपस में जुड़ी थीं। बीच में एक चौक था, जहां लोहे की जाली लगी थी, हवा और रोशनी के लिए। उस ठंडी दोपहर को मैं और मोहसिन छत पर सिगरेट फूंक रहे थे। ठंडी हवा चल रही थी, और सिगरेट का धुआं हवा में उड़ रहा था। तभी चौक की जाली से एक औरत की आवाज़ आई, “अरे… भैया, छोड़ो ना… गंदा मत करो!” आवाज़ में मस्ती थी, लेकिन हल्की-सी झिझक भी। मैं और मोहसिन ने एक-दूसरे को देखा, फिर चुपके से जाली की ओर झांका।
नीचे चौक में एक वॉश बेसिन था। पास ही एक कांच का गिलास रखा था, जिसमें दारू की गंध थी। एक लड़का, 25-26 साल का, मज़बूत कंधे, टाइट जींस और काली टी-शर्ट में, एक साड़ी को ज़ोर-ज़ोर से खींच रहा था। औरत सामने के कमरे में थी, दिख नहीं रही थी, लेकिन उसकी हंसी भरी आवाज़ साफ थी, “अरे, साड़ी को ऐसे मत खींचो, फट जाएगी, हरामी!” लड़के ने हंसते हुए जवाब दिया, “फट जाए तो फट जाए, तेरी चूत तो बचेगी ना!” और एक ज़ोर का झटका मारा। तभी कमरे से औरत बाहर निकली—सिर्फ काले पेटीकोट और टाइट ब्लाउज़ में। वो लड़के से टकराई और उसकी बाहों में चिपक गई।
मेरा दिमाग ठनक गया। ये तो पड़ोस वाली प्रज्ञा भाभी थीं! प्रज्ञा भाभी, 28 साल की, सांवली, गदराया बदन, 36D की भारी छातियां, गले में चमचमाता मंगलसूत्र। हम उन्हें रोज़ देखते थे—साड़ी में, सिर पर पल्लू, हंसमुख लेकिन ढकी-छुपी। उनका पति, कोई सरकारी नौकरी वाला, अक्सर बाहर रहता था। और आज वो इस लड़के के सामने ऐसी थीं, जैसे कोई रंडी। उनका पेटीकोट जांघों तक चढ़ा था, और ब्लाउज़ उनकी छातियों पर फटा जा रहा था।
लड़के ने प्रज्ञा भाभी को दीवार से सटा दिया और उनके होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए। प्रज्ञा भाभी ने हल्का-सा धक्का दिया, “अरे… कोई देख लेगा, कुत्ते!” लेकिन उनकी आवाज़ में मज़ा था। लड़के ने उनकी बात अनसुनी की और ब्लाउज़ के ऊपर से उनकी 36D छातियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। प्रज्ञा भाभी की सांसें तेज़ हो गईं, “उह्ह… हरामी, धीरे… चोट लगेगी!” लेकिन वो खुद ही अपने पेटीकोट का नाड़ा खींचने लगीं। नाड़ा खुला, पेटीकोट नीचे गिरा, और उनकी काली पैंटी नज़र आई। वो बोलीं, “जल्दी कर, भोसड़ी वाले, टाइम नहीं है!” लड़का घुटनों पर बैठ गया, उनकी पैंटी को धीरे-धीरे नी सुना, और बोला, “वाह, क्या चिकनी चूत है… सुबह ही साफ की ना, रंडी?”
लड़के ने अपनी जीभ उनकी चूत पर रखी और चाटना शुरू किया। प्रज्ञा भाभी की सिसकारियां गूंजने लगीं, “आह्ह… उह्ह… और चाट, हरामी… मेरी चूत को रगड़ दे!” वो लड़के का सिर अपनी चूत पर दबा रही थीं, उनकी गांड मस्ती में हिल रही थी। दूसरे हाथ से उन्होंने ब्लाउज़ के हुक खोलने शुरू किए। एक-एक हुक खुलने के साथ उनकी भारी छातियां आज़ाद हो रही थीं। ब्लाउज़ खुला, और अब वो सिर्फ काले रंग की ब्रा में थीं। उनकी छातियां हर सांस के साथ ऊपर-नीचे हो रही थीं। लड़के ने गिलास उठाया, दारू के दो घूंट मारे, और फिर उनकी चूत चाटने में जुट गया। प्रज्ञा भाभी की सिसकारियां चीखों में बदल गईं, “ओह्ह… बस… और जोर से… चाट मेरी चूत, कुत्ते!”
उन्होंने गिलास उठाया और एक झटके में सारी दारू गटक ली। तभी वो अचानक कमरे की ओर भागीं, “चल, अंदर चल… ये जगह ठीक नहीं!” लड़का उनके पीछे दौड़ा। जाली से हमें सिर्फ उनके पैर दिख रहे थे। कमरे से उनकी गंदी बातें सुनाई दे रही थीं, “अरे… संभाल के… मेरी चूत में डाल, गांड में नहीं!” अब उनके पैर गायब हो गए, सिर्फ लड़के के पैर दिख रहे थे। थोड़ी देर बाद दोनों फिर चौक में आए। लड़के ने प्रज्ञा भाभी को गोद में उठा रखा था। उनकी ब्रा गायब थी, 36D छातियां नंगी, लड़के के सीने से दब रही थीं।
प्रज्ञा भाभी ने बाथरूम का दरवाज़ा पकड़ा और हंसते हुए बोलीं, “अब सही जगह डाल, हर बार गांड में क्यों घुसता है, हरामी!” उन्होंने अपनी दोनों टांगें लड़के की कमर पर लपेट लीं। लड़के ने अपना 8 इंच का मोटा लंड उनकी चूत पर सेट किया और धीरे से अंदर घुसाया। प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “ईईस्स… आह्ह… कितना मोटा है, भोसड़ी का… धीरे डाल!” फच-फच-फच की गीली आवाज़ शुरू हो गई। लड़का नीचे से ऊपर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था। प्रज्ञा भाभी मजे में उछल रही थीं, “हाय… चोद मुझे… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” उनकी छातियां हर धक्के के साथ उछल रही थीं, मंगलसूत्र उनके गले में लटक रहा था। लड़के ने उनकी गोल गांड को ज़ोर से पकड़ा, “क्या मस्त गांड है तेरी, रंडी… ले और!”
प्रज्ञा भाभी की चीखें तेज़ हो गईं, “आह्ह… उह्ह… और तेज़… चूत फट रही है!” लड़के ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। फच-फच-फच की आवाज़ तेज़ थी। प्रज्ञा भाभी चिल्ला रही थीं, “हाय… मार डाला… और जोर से… मेरी चूत को रगड़ दे!” लड़के ने उनकी गांड पर एक ज़ोर का थप्पड़ मारा, “ले, रंडी… और ले!” वो उनकी चूत में गहरे धक्के मार रहा था। प्रज्ञा भाभी की सिसकारियां चीखों में बदल गई थीं, “ओह्ह… बस… चूत में आग लग गई… और चोद!”
लड़के ने उन्हें नीचे उतारा और घोड़ी बनाया। प्रज्ञा भाभी की गोल गांड हवा में थी, उनकी चूत गीली और लाल। लड़के ने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाला और ज़ोर-ज़ोर से ठोकना शुरू किया। फच-फच-फच की आवाज़ तेज़ थी। प्रज्ञा भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… उह्ह… भोसड़ी का, फाड़ दे मेरी चूत!” लड़के ने उनकी कमर पकड़ी और धक्के और तेज़ कर दिए, “ले… तेरी चूत तो टाइट है, रंडी!” वो उनकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, और हर थप्पड़ के साथ प्रज्ञा भाभी की चीखें तेज़ हो रही थीं, “हाय… मार डाला… और जोर से!”
करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद प्रज्ञा भाभी की चूत गीली थी, उनका बदन पसीने से चमक रहा था। तभी उनकी नज़र ऊपर जाली की ओर गई, और मेरी आंखों से उनकी आंखें मिलीं। वो हड़बड़ा गईं, “अरे… छोड़, हरामी… ऊपर कोई है… निकल जल्दी!” लड़के ने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला, और दोनों कमरे की ओर भागे। मैं और मोहसिन हड़बड़ा कर जाली से हट गए।
हम अपने कमरे में लौटे और चंगेज को सब बताया। चंगेज का लंड तन गया, “यार, प्रज्ञा भाभी की चूत… मुझे भी चखनी है!” वो पागल हो गया था। मैंने मोहसिन को बताया कि मैंने उस सीन को अपने फोन में रिकॉर्ड कर लिया था। हमने फैसला किया कि इस वीडियो का इस्तेमाल करेंगे।
पहला दिन: जुबैर की बारी और ब्लैकमेल
अगले दिन दोपहर को मैं कॉलेज से लौटा। मोहसिन और चंगेज अभी कॉलेज में थे। प्रज्ञा भाभी बाहर अपने गीले बाल सुखा रही थीं, गीली नीली साड़ी उनके गदराए बदन से चिपकी थी, उनकी 36D छातियां साफ उभर रही थीं। मैं उनके पास गया और बोला, “भाभी, एक मिनट अंदर चलो, बात करनी है।” वो हड़बड़ा गईं, लेकिन चुपचाप अंदर चली गईं। मैंने दरवाज़ा बंद किया और अपना फोन निकाला, “ये देखो, भाभी… कल का वीडियो। अगर ये कॉलोनी में फैल गया, तो क्या होगा?”
प्रज्ञा भाभी का चेहरा सफेद पड़ गया। वो गिड़गिड़ाने लगीं, “जुबैर, प्लीज़… ये वीडियो डिलीट कर दो… मेरी इज़्ज़त मिट्टी में मिल जाएगी!” मैंने ठंडी सांस ली, “ठीक है, भाभी… लेकिन शर्त है। तुम मुझे और मेरे दोनों दोस्तों—मोहसिन और चंगेज—को जब तक हम चाहें, जैसे चाहें, चोदने दोगी। नहीं तो ये वीडियो तुम्हारे पति और कॉलोनी वालों तक पहुंच जाएगा।”
प्रज्ञा भाभी ने सिर झुकाया, उनकी आंखें गीली थीं। वो बोलीं, “ठीक है… लेकिन कोई और नहीं जानना चाहिए।” मैंने कहा, “बस, तुम चिंता मत करो। लेकिन आज से तुम हमारी रंडी हो।” वो चुप रही, लेकिन उनकी सांसें तेज़ थीं।
मैंने उनकी साड़ी का पल्लू खींचा, वो शरमाईं, “अरे… धीरे…” लेकिन उनकी आंखों में हल्की-सी मस्ती थी। मैंने उन्हें दीवार से सटा दिया और उनके होंठों को चूसने लगा। उनकी सांसें तेज़ हो गईं, “उह्ह… जुबैर… कोई आ जाएगा!” लेकिन वो मेरी शर्ट के बटन खोलने लगीं। मैंने उनकी साड़ी उतारी, फिर ब्लाउज़ के हुक खोले। उनकी 36D छातियां काले रंग की ब्रा में कैद थीं। मैंने ब्रा उतारी, उनकी नंगी छातियां मेरे सामने थीं, मंगलसूत्र उनके बीच लटक रहा था। मैंने उनकी एक चूची को मुंह में लिया और चूसने लगा, “उह्ह… चूस मेरी चूचियां… और जोर से!” मैंने उनकी दूसरी चूची को ज़ोर से मसला, वो चिल्लाईं, “आह्ह… धीरे, कुत्ते… दुखता है!”
मैंने उनका पेटीकोट और पैंटी उतार दी। उनकी चिकनी चूत गीली थी। मैं घुटनों पर बैठा और उनकी चूत चाटने लगा। प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “आह्ह… उह्ह… और चाट… मेरी चूत को रगड़ दे!” मैंने उनकी चूत में दो उंगलियां डाली और चाटता रहा। वो हिल रही थीं, “हाय… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” मैंने उनकी चूत को जीभ से रगड़ा, उनका रस मेरे मुंह में आ रहा था।
मैं खड़ा हुआ, अपनी जींस और अंडरवियर उतारा। मेरा 7 इंच का लंड, मोटा और सख्त, तना हुआ था। प्रज्ञा भाभी ने देखा, “हाय… कितना मोटा है… धीरे डालना!” मैंने उन्हें टेबल पर लिटाया, उनकी टांगें चौड़ी कीं, और अपना लंड उनकी चूत पर सेट किया। धीरे-धीरे अंदर घुसाया। प्रज्ञा भाभी चीखीं, “ईईस्स… आह्ह… फट गई चूत… धीरे!” फच-फच-फच की गीली आवाज़ शुरू हो गई। मैंने धक्के मारने शुरू किए, धीमे लेकिन गहरे, “ले, रंडी… मज़ा आ रहा है ना?” वो हांफ रही थीं, “हाय… चोद मुझे… और गहरा… मेरी चूत फाड़ दे!” उनकी छातियां उछल रही थीं, मंगलसूत्र उनके गले में लटक रहा था।
मैंने उनकी गांड पकड़ी, “क्या मस्त गांड है तेरी!” और एक ज़ोर का थप्पड़ मारा। वो चिल्लाईं, “आह्ह… मार डाला… और चोद!” मैंने उन्हें घोड़ी बनाया। उनकी गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाला और ज़ोर-ज़ोर से ठोकना शुरू किया। फच-फच-फच की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। प्रज्ञा भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… उह्ह… फाड़ दे मेरी चूत!” मैंने उनकी कमर पकड़ी, और धक्के और तेज़ कर दिए, “ले… और ले… तेरी चूत तो टाइट है!” मैंने उनकी गांड पर एक और थप्पड़ मारा, “चिल्ला, रंडी!” वो चीख रही थीं, “हाय… और जोर से… चूत में आग लग गई!”
मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी, उनका बदन पसीने से तर था। करीब 40 मिनट की चुदाई के बाद प्रज्ञा भाभी हांफ रही थीं, “बस… थका दिया, हरामी!” लेकिन उनकी आवाज़ में मज़ा था। वो टेबल पर लेट गईं, उनकी 36D छातियां अभी भी उछल रही थीं, मंगलसूत्र उनके पसीने से चिपक गया था।
दूसरा दिन: मोहसिन की बारी
अगले दिन मोहसिन की बारी थी। उसका 6 इंच का लंड, पतला लेकिन लंबा, सुबह से तना हुआ था। दोपहर को वो प्रज्ञा भाभी के घर गया। प्रज्ञा भाभी लाल साड़ी में थीं, गीले बाल, ब्लाउज़ उनकी छातियों पर टाइट। वो मोहसिन को देखकर बोलीं, “आ गए? अंदर आओ…” दरवाज़ा बंद करते ही मोहसिन ने उनकी कमर पकड़ी, “भाभी, वीडियो अभी मेरे पास है। आज तो तेरी चूत का रस निकालूंगा!” प्रज्ञा भाभी चुप थीं, लेकिन उनकी सांसें तेज़ थीं।
मोहसिन ने उन्हें बिस्तर पर धकेला और उनके गले पर चूमने लगा। प्रज्ञा भाभी बोलीं, “मोहसिन… धीरे… कोई सुन लेगा!” लेकिन वो उसकी जींस की ज़िप खोलने लगीं। मोहसिन ने उनकी साड़ी उतारी, ब्लाउज़ के हुक खोले, और उनकी 36D छातियों को आज़ाद किया। वो उनकी चूचियों को चूसने लगा, “वाह, भाभी… क्या मस्त चूचियां हैं!” प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “आह्ह… धीरे… चूचियां लाल हो जाएंगी!”
मोहसिन ने उनका पेटीकोट और पैंटी उतार दी। उनकी चूत गीली थी। वो उनके सामने खड़ा हुआ और अपना लंड उनके मुंह के पास ले गया, “चूस, रंडी… मेरे लंड को गीला कर!” प्रज्ञा भाभी ने उसका लंड मुंह में लिया और चूसने लगीं, “उह्ह… कितना सख्त है!” मोहसिन ने उनके सिर को पकड़ा और उनके मुंह में धक्के मारने लगा, “चूस, रंडी… और गहरा!”
फिर उसने उन्हें बिस्तर पर लिटाया, उनकी टांगें कंधों पर रखीं, और अपना 6 इंच का लंड उनकी चूत में डाला। प्रज्ञा भाभी चीखीं, “ईईस्स… आह्ह… लंबा है… धीरे!” फच-फच-फच की आवाज़ शुरू हो गई। मोहसिन ने तेज़, उछाल भरे धक्के मारने शुरू किए, “ले, रंडी… मज़ा आ रहा है ना?” वो चिल्ला रही थीं, “हाय… चोद मुझे… और गहरा… मेरी चूत में घुस जा!” उनकी छातियां उछल रही थीं, मंगलसूत्र उनके गले में लटक रहा था।
मोहसिन ने उन्हें पलट दिया और कुतिया की तरह चोदना शुरू किया। उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए बोला, “क्या मस्त गांड है, भाभी!” प्रज्ञा भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… उह्ह… मेरी चूत को चूस ले!” फच-फच-फच की आवाज़ तेज़ थी। मोहसिन ने उनके बाल पकड़े और धक्के और तेज़ कर दिए, “ले… और ले… तेरी चूत तो गीली है!” वो उनकी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, “चिल्ला, रंडी!” वो चीख रही थीं, “हाय… और जोर से… चूत फट रही है!”
करीब 35 मिनट की चुदाई के बाद प्रज्ञा भाभी हांफ रही थीं, “बस… थक गई!” वो बिस्तर पर लेट गईं, उनका बदन पसीने से भीगा था।
तीसरा दिन: चंगेज की बारी
तीसरे दिन चंगेज की बारी थी। उसका 7.5 इंच का लंड, मोटा और नसों से भरा, सुबह से बेचैन कर रहा था। दोपहर को वो प्रज्ञा भाभी के घर पहुंचा। प्रज्ञा भाभी हरी साड़ी में थीं, साड़ी का पल्लू हल्का-सा सरका हुआ, उनकी 36D छातियां ब्लाउज़ में उभर रही थीं। वो चंगेज को देखकर बोलीं, “आ गए? अंदर आ जाओ…” दरवाज़ा बंद करते ही चंगेज ने कहा, “भाभी, वीडियो मेरे पास भी है। आज तो तेरी गांड मारूंगा!” प्रज्ञा भाभी चुप रही, लेकिन उनकी सांसें तेज़ थीं।
चंगेज ने उनकी साड़ी खींचकर उतार दी और उन्हें दीवार से सटा दिया। वो उनकी 36D छातियों को ब्लाउज़ के ऊपर से मसलने लगा, “क्या मस्त चूचियां हैं, रंडी!” प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “आह्ह… धीरे… चोट लगेगी!” चंगेज ने उनका ब्लाउज़ फाड़ दिया, उनकी काली ब्रा बाहर आई। उसने ब्रा भी उतार दी, और उनकी चूचियों को चूसने लगा, “वाह… कितनी रसीली हैं!” वो उनके निपल्स को काटने लगा। प्रज्ञा भाभी चीखीं, “उह्ह… धीरे… लाल हो जाएंगे!”
चंगेज ने उनका पेटीकोट और पैंटी उतार दी। उनकी चूत गीली थी। उसने उन्हें ज़मीन पर लिटाया और उनकी चूत पर थूक दिया, “ले, रंडी… अब मज़ा आएगा!” उसने अपनी जीभ उनकी चूत पर रगड़ी, प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “आह्ह… उह्ह… चाट मेरी चूत… और जोर से!” चंगेज ने उनकी चूत में उंगली डाली और चाटता रहा, “क्या मस्त चूत है, भाभी!”
फिर उसने अपनी जींस उतारी। उसका 7.5 इंच का लंड तना हुआ था। प्रज्ञा भाभी ने देखा, “हाय… कितना मोटा है… धीरे डाल!” चंगेज ने उन्हें ज़मीन पर ही घोड़ी बनाया और अपना लंड उनकी चूत में डाला। प्रज्ञा भाभी चीखीं, “ईईस्स… आह्ह… फट गई… धीरे!” फच-फच-फच की आवाज़ शुरू हो गई। चंगेज ने गहरे, सख्त धक्के मारने शुरू किए, “ले, रंडी… तेरी चूत तो जन्नत है!” वो चिल्ला रही थीं, “हाय… चोद मुझे… और गहरा… मेरी चूत फाड़!” उनकी छातियां ज़मीन पर रगड़ रही थीं, मंगलसूत्र उनके गले में लटक रहा था।
चंगेज ने उनकी गांड पर ज़ोर का थप्पड़ मारा, “क्या मस्त गांड है!” वो उनके बाल पकड़कर धक्के मार रहा था, “चिल्ला, रंडी!” प्रज्ञा भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… उह्ह… मेरी चूत को रगड़ दे!” फच-फच-फच की आवाज़ तेज़ थी। करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद प्रज्ञा भाभी हांफ रही थीं, “बस… थक गई!” वो ज़मीन पर लेट गईं, उनका बदन पसीने से भीगा था।
चौथा दिन: गैंगबैंग
चौथे दिन हम तीनों ने फैसला किया कि अब प्रज्ञा भाभी की चूत और गांड को एक साथ रगड़ेंगे। हम दोपहर को उनके घर गए। प्रज्ञा भाभी काले रंग की साड़ी में थीं, साड़ी का पल्लू उनकी 36D छातियों पर टिका हुआ, मंगलसूत्र चमक रहा था। वो हमें देखकर हड़बड़ा गई, “अरे… तुम तीनों? ये क्या?” मैंने फोन निकाला और वीडियो दिखाया, “भाभी, ये वीडियो अभी भी हमारे पास है। आज तुझे हम तीनों जैसे चाहें चोदेंगे, नहीं तो…” प्रज्ञा भाभी का चेहरा सफेद पड़ गया, “प्लीज़… ऐसा मत करो… मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी!” मैंने कहा, “तो आज तू हमारी रंडी बन। हर बात माननी पड़ेगी।”
वो चुप रही, उनकी आंखें गीली थीं, लेकिन आखिरकार बोलीं, “ठीक है… लेकिन कोई और नहीं जानना चाहिए।” मैंने कहा, “बस, तू तैयार हो जा, कुतिया!” जैसे ही सौदा पक्का हुआ, प्रज्ञा भाभी की आंखों में एक अजीब-सी मस्ती चमकने लगी। वो धीरे से मुस्कुराईं, “तो फिर देर किस बात की, कुत्तों? शुरू करो!” उनकी आवाज़ में अब डर की जगह नंगी मस्ती थी।
मैंने उनकी साड़ी खींचकर फाड़ दी, “चुप, रंडी… आज तेरी चूत और गांड का भोसड़ा बनाएंगे!” मोहसिन ने उनका ब्लाउज़ फाड़ दिया, उनकी काली ब्रा बाहर आई। चंगेज ने ब्रा उतार दी और उनकी 36D छातियों पर थूक दिया, “ले, कुतिया… चूस!” उसने उनकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसला, उनके निपल्स को काटा। प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “आह्ह… धीरे, कुत्तों… चूचियां लाल हो जाएंगी!” लेकिन वो अपनी चूचियों को और आगे कर रही थीं, जैसे और मज़ा मांग रही हों।
मैंने उनका पेटीकोट और पैंटी फाड़कर उतार दी। उनकी चूत गीली थी, गांड गोल और टाइट। मोहसिन ने उनके चेहरे पर थूक दिया और अपना 6 इंच का पतला, लंबा लंड उनके मुंह में डाल दिया, “चूस, रंडी… मेरे लंड को गीला कर!” प्रज्ञा भाभी ने उसका लंड चूसना शुरू किया, “उह्ह… कितना सख्त है… और दो!” वो लंड को गले तक ले रही थीं, उनकी आंखें मस्ती में चमक रही थीं। मोहसिन ने उनके सिर को पकड़ा और उनके मुंह में धक्के मारने लगा, “चूस, कुतिया… और गहरा!”
मैंने उनकी चूत पर थूक दिया और अपना 7 इंच का मोटा लंड उनकी चूत में डाला। प्रज्ञा भाभी चीखीं, “ईईस्स… आह्ह… फट गई… और जोर से!” फच-फच-फच की गीली आवाज़ शुरू हो गई। चंगेज ने उनकी गांड पर थूक दिया और अपना 7.5 इंच का नसों से भरा लंड उनकी गांड में डालना शुरू किया। प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “नहीं… गांड में… आह्ह… फट जाएगी!” लेकिन वो अपनी गांड पीछे कर रही थीं, जैसे लंड को और अंदर लेना चाहती हों। चंगेज ने धीरे-धीरे अपना लंड उनकी टाइट गांड में घुसाया, “ले, रंडी… तेरी गांड तो जन्नत है!”
फच-फच-फच की आवाज़ तेज़ थी। मैं उनकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था, “ले, कुतिया… मज़ा आ रहा है ना?” मोहसिन उनके मुंह में लंड डाल रहा था, उनके गालों पर थप्पड़ मार रहा था, “चूस, रंडी… और जोर से!” चंगेज उनकी गांड में गहरे धक्के मार रहा था, “क्या टाइट गांड है, कुतिया!” प्रज्ञा भाभी की चीखें कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… मार डाला… मेरी चूत और गांड फट रही हैं!” उनकी 36D छातियां उछल रही थीं, मंगलसूत्र उनके गले में लटक रहा था, हर धक्के के साथ हिल रहा था।
मैंने उनका मंगलसूत्र पकड़ा और ज़ोर से खींचकर उतार दिया, “ले, कुतिया… अब तू हमारी रंडी है!” मैंने उनकी गर्दन पर थूक दिया और चूचियों पर थप्पड़ मारा। प्रज्ञा भाभी चिल्लाईं, “हाय… और मार… चोदो मुझे!” चंगेज ने उनकी गांड पर ज़ोर का थप्पड़ मारा, “भौंक, कुतिया!” प्रज्ञा भाभी हांफते हुए बोलीं, “भौ… भौ… और चोदो, कुत्तों!” मोहसिन ने उनके चेहरे पर थूक दिया और उनके मुंह में लंड और गहरा डाला, “चूस, रंडी… तेरा मुंह भी फाड़ दूंगा!”
हमने उनकी पोजीशन बदली। मैंने उन्हें ज़मीन पर लिटाया, उनकी टांगें कंधों पर रखीं, और उनकी चूत में लंड डाला। चंगेज ने उनकी गांड में लंड डाला, और मोहसिन उनके मुंह में। प्रज्ञा भाभी चिल्ला रही थीं, “आह्ह… उह्ह… मेरी चूत और गांड में आग लग गई… और जोर से!” उनकी छातियां उछल रही थीं, उनका बदन पसीने और थूक से चिपचिपा था। मैंने उनकी चूचियों पर थूक दिया और थप्पड़ मारा, “ले, रंडी… और चिल्ला!” चंगेज ने उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए कहा, “भौंक, कुतिया!” प्रज्ञा भाभी चीखीं, “भौ… भौ… चोदो मुझे… मेरी चूत और गांड फाड़ दो!”
मोहसिन ने उनके मुंह से लंड निकाला और उनके चेहरे पर माल छोड़ा, “ले, रंडी… तेरा मुंह सजा!” मैंने उनकी चूत में और तेज़ धक्के मारे, “ले, कुतिया… तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊंगा!” चंगेज ने उनकी गांड में गहरे धक्के मारे, “क्या मस्त गांड है, रंडी!” प्रज्ञा भाभी की चीखें अब बेकाबू थीं, “आह्ह… उह्ह… भोसड़ी के, मेरी चूत और गांड फाड़ दी… और चोदो!”
हमने फिर पोजीशन बदली। चंगेज ने उन्हें गोद में उठाया, उनकी टांगें अपनी कमर पर लपेटीं, और उनकी चूत में लंड डाला। मैंने पीछे से उनकी गांड में लंड डाला। मोहसिन ने उनका सिर पकड़ा और उनके मुंह में लंड डाल दिया। फच-फच-फच की आवाज़ तेज़ थी, प्रज्ञा भाभी की चीखें और सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… कुत्तों, मेरी चूत, गांड, मुंह… सब फाड़ दो!” उनकी 36D छातियां उछल रही थीं, उनका बदन थूक, पसीने और माल से सना था।
करीब 70 मिनट की चुदाई के बाद मैंने उनकी चूत में, चंगेज ने उनकी गांड में, और मोहसिन ने उनके चेहरे और चूचियों पर माल छोड़ा। प्रज्ञा भाभी ज़मीन पर लेट गईं, उनकी सांसें तेज़ थीं, उनका बदन थूक, पसीने और माल से चिपचिपा था। उनकी चूत और गांड लाल थीं, उनकी गर्दन पर मंगलसूत्र की जगह माल की लकीरें थीं। वो हांफते हुए बोलीं, “कुत्तों… मार डाला… लेकिन मज़ा आ गया!” उनकी आंखों में रंडी वाली मस्ती चमक रही थी।
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