कहानी का पिछला भाग: मामा ने प्रजनन का पाठ पढ़ा कर पेला मुझे 1
हाय दोस्तों, मैं दीपशिखा, एक बार फिर अपनी चुदाई की कहानी लेकर हाज़िर हूँ। पिछले हिस्से में तुमने पढ़ा कि कैसे मेरे मामा रितेश ने मुझे सेक्सी वीडियो दिखाकर चुदास जगाई थी। मम्मी-पापा के शादी में जाने के बाद मामा ने मेरी चूत चोदने की कोशिश की, पर मेरी कुँवारी और टाइट चूत में उनका मोटा लंड घुस नहीं पाया। अब आगे की कहानी सुनो, कि कैसे मामा ने मेरी चूत और गांड दोनों की धुनाई की।
रात को हमने 10 बजे तक खाना खाया और बेड पर आ गए। मैं और मामा टीवी देखने लगे। मैं आगे लेटी थी, और मामा मेरे पीछे। उनका लंड मेरी गांड से सट रहा था, और मैं महसूस कर रही थी कि वो धीरे-धीरे सख्त हो रहा है। अचानक मामा ने मेरे टॉप में हाथ डाला और मेरी स्पोर्ट्स ब्रा के ऊपर से चूचियों को मसलने लगे। मेरी चूत में गर्मी चढ़ने लगी, और मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “उम्म्ह… मामा, और ज़ोर से दबाओ!”
मामा ने पूछा, “दीपशिखा, वो सरप्राइज़ क्या है?”
मैंने शरारत से कहा, “रितेश, अपने आप पता चल जाएगा।”
मामा का लंड अब पूरी तरह तन गया था और मेरी गांड में चुभ रहा था। मैं चाह रही थी कि मामा जल्दी से मेरी चुदाई शुरू करें। मामा ने मेरा टॉप उतार दिया, और मैं सिर्फ़ स्पोर्ट्स ब्रा में थी। वो मेरे ऊपर चढ़ गए और ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को दाँतों से काटने लगे। फिर ब्रा को नीचे खींचकर मेरी दोनों चूचियाँ बाहर निकाल दीं। मेरे निप्पल बेर की गुठली जैसे काले, नुकीले और खुरदरे थे। मामा उन्हें दाँतों में दबाकर खींचने लगे। मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… रितेश, और चूसो!”
मामा ने मेरी ब्रा और शॉर्ट्स उतार दिए। अब मैं सिर्फ़ पैंटी में थी। वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरी चूचियाँ चूसने लगे, कभी एक तो कभी दूसरी। मेरी चूत पानी छोड़ रही थी, और मैं तड़प रही थी। मामा ने धीरे-धीरे अपना हाथ मेरी पैंटी के अंदर डाला। जैसे ही उनका हाथ मेरी चिकनी चूत पर गया, उनकी आँखें चमक उठीं। उन्होंने पूछा, “दीपशिखा, चूत के बाल कहाँ गए?”
मैंने मुस्कुराकर कहा, “यही तो सरप्राइज़ है, रितेश। मैंने तुम्हारे लिए चूत साफ़ कर दी।”
मामा पागल हो गए। उन्होंने झट से मेरी पैंटी उतारी और मेरी सांवली, चिकनी चूत को घूरने लगे। फिर खुद के सारे कपड़े उतारकर सिर्फ़ अंडरवियर में आ गए। उनके अंडरवियर में लंड तनकर बाहर निकलने को बेताब था। मामा ने मेरी चूत को सूँघा। उसकी मादक ख़ुशबू से वो और बेकाबू हो गए। उन्होंने अपने होंठ मेरी चूत पर रखे और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगे। मेरी चूत का दाना उनके मुँह में था, और वो उसे ऐसे खींच रहे थे जैसे खा जाएँगे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… रितेश, और चाटो, मेरी चूत फाड़ दो!”
मामा ने मेरी चूत का सारा पानी चाट लिया और अपनी खुरदरी जीभ को मेरी चूत के अंदर तक घुसेड़ दिया। मैं चरम पर थी, और मामा समझ गए कि मैं चुदने को तैयार हूँ। उन्होंने कहा, “दीपशिखा, मेरा लंड चूस, इसे गीला कर दे।”
मैंने शरारत से कहा, “पहले बाहर तो निकालो।”
मामा ने अपना अंडरवियर उतारा, और उनका काला, मोटा, 7 इंच लंबा लंड गुलाबी सुपारे के साथ मेरे सामने था। मैंने सुबह बैंगन से अपनी चूत की सील तोड़ी थी, लेकिन मामा का लंड उससे कहीं ज़्यादा मोटा और लंबा था। मैं डर गई कि ये मेरी चूत को फाड़ देगा। मामा ने मेरा मुँह पकड़ा और लंड अंदर डाल दिया। सिर्फ़ सुपारा ही मेरे मुँह में जा पा रहा था। लंड का स्वाद खट्टा-नमकीन था, और मुझे चूसने में मज़ा आने लगा। मैं हल्के से दाँत चुभाने लगी, और मामा सिसकारियाँ लेने लगे, “आह… दीपशिखा, और चूस!”
मामा ने कहा, “बस, अब छोड़ दे, नहीं तो मैं तेरे मुँह में झड़ जाऊँगा।”
मैंने कहा, “झड़ जाओ ना!”
लेकिन मामा को मेरी चूत चोदनी थी। उन्होंने मेरा मुँह छुड़ाया और मेरी गांड के नीचे तकिया रखकर मेरी टाँगें फैला दीं। फिर अपनी पैंट की जेब से वॉलेट निकाला और एक लाल रंग का कंडोम बाहर निकाला। मैंने पूछा, “ये क्या है?”
मामा बोले, “कंडोम है, कल खून निकला था ना, इसलिए।”
मैंने कहा, “इसे उतार दो, आज खून नहीं निकलेगा। बस धीरे-धीरे चोदना।”
मामा थोड़ा गुस्सा हुए और बोले, “ये ‘कीजिएगा’ क्या होता है? खुलकर बोल, मुझे अच्छा लगता है।”
मैंने हँसते हुए सब बता दिया, “रितेश, मैंने तुम्हारी वीडियो देखकर सुबह बैंगन से अपनी चूत की सील तोड़ ली। आज और कल की दो रातें हैं। आज धीरे से चोदो, और जब मेरी चूत खुल जाएगी, तो कल ज़ोर-ज़ोर से चुदाई करना।”
मामा खुश हो गए। उन्होंने अपने लंड पर ढेर सारा थूक लगाया और मेरी चूत पर सटाकर सहलाने लगे। धीरे-धीरे लंड मेरी चूत में घुसाने लगे। आधा लंड अंदर गया, लेकिन आगे नहीं जा पा रहा था, क्योंकि मेरी चूत अभी भी टाइट थी। मामा आधे लंड को ही अंदर-बाहर करने लगे और मेरे होंठ चूसने लगे। मैं खो सी गई थी। अचानक मामा ने ज़ोर का धक्का मारा, और उनका पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। मैं चीख पड़ी, “हाय मम्मी, मेरी चूत फट गई!”
मैं रोने लगी, लेकिन मामा रुके नहीं। थोड़ी देर बाद वो धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करने लगे। दर्द कम हुआ, और मज़ा आने लगा। मैं बोली, “रितेश, और ज़ोर से चोदो, मेरी चूत फाड़ दो!” मैं अपनी गांड आगे-पीछे करने लगी। कुछ देर बाद मेरी चूत से गर्म रस निकला, और मैं झड़ गई। लेकिन मामा रुके नहीं। उन्होंने मेरी टाँगें ऊपर उठाईं और और ज़ोर से धक्के मारने लगे। मेरी चूत कस गई, और मामा का लंड उसमें रगड़ खाने लगा। पाँच मिनट बाद मामा ने रफ़्तार बढ़ाई, और अचानक मेरी चूत में उनका गर्म माल भर गया। मामा मेरे ऊपर लेट गए, और उनका लंड मेरी चूत में ही रहा।
मामा ने पूछा, “दीपशिखा, मज़ा आया?”
मैंने मुस्कुराकर कहा, “बोहोत सारा!”
मामा बोले, “और चुदवाएगी?”
मैंने कहा, “तुम्हारी मर्ज़ी, रितेश।”
हम प्यार भरी बातें करने लगे। मैंने पूछा, “तुम्हारा लंड इतना सारा गर्म माल कैसे छोड़ता है?”
मामा बोले, “पहली बार चोदा है ना, और कई दिन से मुठ भी नहीं मारी थी।”
थोड़ी देर बाद मामा का लंड फिर तन गया। वो मेरी चूत को उंगली से सहलाने लगे। मैंने पूछा, “इतनी जल्दी कैसे खड़ा हो गया?”
मामा बोले, “तेरी गांड और नींबू जैसी चूचियाँ देखकर लंड फिर खड़ा हो गया।”
मैंने भी उनका लंड मसला। वो लोहे की रॉड जैसा सख्त था। मैं बोली, “रितेश, जल्दी से मेरी चूत में लंड पेल दो!”
मामा बोले, “अब मैं नहीं चोदूँगा। तू मेरे लंड पर बैठकर चुदवाए।”
मामा लेट गए और लंड पकड़कर बोले, “दीपशिखा, अपनी चूत मेरे लंड पर रखकर बैठ जा।”
मैंने वैसा ही किया। मामा का 7 इंच का लंड मेरी चूत में पेट तक धक्का मार रहा था। मैं गांड ऊपर-नीचे करने लगी। मुझे जन्नत का मज़ा आ रहा था। मामा बोले, “अब उल्टा मुड़ जा, मुझे तेरी गांड देखनी है।”
मैं उल्टा मुड़कर उनके लंड पर बैठ गई। मामा मेरी गांड पकड़कर ऊपर-नीचे करने लगे। उनका सुपारा मेरी चूत में रगड़ रहा था। फिर मामा बोले, “घोड़ी बन जा।” मुझे लगा वो पीछे से चूत चोदेंगे। मैं घोड़ी बनी, लेकिन मामा ने मेरी गांड के छेद पर वैसलीन लगाई।
मैं डर गई और बोली, “रितेश, ये क्या कर रहे हो?”
मामा बोले, “तेरी गांड मारनी है।”
मैंने मना किया, “मुझे दर्द होगा!” लेकिन मामा ने वैसलीन लगाकर लंड मेरी गांड के छेद पर सटाया। दर्द से मैं कराहने लगी और बोली, “रितेश, कल रात गांड मार लेना, आज छोड़ दो।”
मामा मान गए और घोड़ी बनाकर मेरी चूत चोदने लगे। दस मिनट तक ज़ोरदार चुदाई चली। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, “उम्म्ह… अहह… और ज़ोर से!” मैं फिर झड़ गई, लेकिन मामा रुके नहीं। उनकी रफ़्तार बढ़ी, और मैं समझ गई कि वो झड़ने वाले हैं। मैंने कहा, “रितेश, माल बाहर निकालो!”
मामा ने लंड मेरी चूत से खींचा और मेरे मुँह में डाल दिया। उनका गर्म माल मेरे मुँह में निकला। स्वाद ऐसा था जैसे इमली और नमक का गरम पानी। हम दोनों थककर एक-दूसरे की बाँहों में नंगे लेट गए और सो गए।
सुबह मुझे अपनी चूचियों में गुदगुदी हुई। मैंने आँख खोली तो मामा मेरी चूचियाँ सहला रहे थे। मैं समझ गई कि वो मॉर्निंग चुदाई चाहते हैं। मैं भी यही चाहती थी, क्योंकि सुबह की चुदाई में मर्द ज़्यादा प्यार और जोश दिखाते हैं। लेकिन मुझे याद आया कि रात की चुदाई के बाद मैंने चूत नहीं धोई थी। मामा ज़रूर चूत चाटेंगे, और उनका लंड का रस मेरी चूत में सूखा होगा। मैंने कहा, “रितेश, मैं बाथरूम से आती हूँ।”
मामा बोले, “अभी चुदाई करनी है, मत जा।”
मैंने कहा, “सू-सू करके आती हूँ।”
मामा ने मना नहीं किया। मैं कपड़े पहनने लगी, तो मामा बोले, “नंगी ही जा।”
मैंने कहा, “बाहर की खिड़की खुली है, कोई देख लेगा।”
बाथरूम में मैंने पैंटी उतारी और चूत धोई। चूत से मादक ख़ुशबू आ रही थी, जैसे मामा का लंड मेरे पास हो। चूत में चिपचिपाहट थी, क्योंकि रात का रस सूख गया था। मैंने चूत को अच्छे से धोया और कपड़े पहनकर बाहर आई। मैंने सोचा, रात के बर्तन धो लेती हूँ, फिर चुदाई करवाऊँगी। मैं सिर्फ़ पैंटी और टॉप में थी।
किचन में बर्तन धोते वक़्त मामा आए और मुझे पीछे से दबोच लिया। उनका लंड मेरी गांड में चुभ रहा था। वो नंगे थे। मामा ने मेरे टॉप में हाथ डालकर चूचियाँ मसलीं। मैं बोली, “रितेश, थोड़ा रुको, बर्तन धोकर रूम में आती हूँ। फिर जो करना है, कर लेना।”
मामा बोले, “नहीं, आज तेरी चूत की चुदाई किचन में ही करूँगा।”
मैंने कहा, “यहाँ चोट लग जाएगी।”
मामा बोले, “तू देखती जा!”
मामा ने मुझे घुमाया और मेरे होंठ चूसने लगे। उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रखा। मैं उनके लंड को मसल रही थी, और वो मेरे होंठ चूस रहे थे। फिर मामा ने मेरी पैंटी और टॉप उतार दिए और मेरी चूचियाँ चूसने लगे। मैंने अपनी चूचियाँ ऊपर उठाईं और छाती तान दी। मामा का एक हाथ मेरी कमर पर था, और दूसरा मेरी चूत सहला रहा था। मैं बोली, “रितेश, अब चोद दो, बर्दाश्त नहीं हो रहा!”
मामा ने मुझे किचन स्लैब पर बिठाया और मेरी जाँघें फैलाकर चूत चाटने लगे। चूत की ख़ुशबू उन्हें पागल कर रही थी। वो मेरे चूत के दाने को मुँह में खींच रहे थे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मामा ने चूत का सारा पानी चाट लिया। फिर वो नीचे बैठकर अपना लंड सहलाने लगे। उनका लंड आज और ज़्यादा मोटा और तना हुआ लग रहा था।
मैंने पूछा, “रितेश, आज इतना बड़ा क्यों है?”
मामा बोले, “मॉर्निंग में लंड ज़्यादा रस से भरा होता है, इसलिए मोटा और लंबा है। घुसा दूँगा!”
मामा ने कहा, “जल्दी मेरा लंड चूस, गीला कर दे।”
मैंने मना किया, “आज बहुत मोटा है, मुँह में नहीं जाएगा।”
मामा ने ज़बरदस्ती मेरा सिर पकड़ा और लंड मेरे मुँह में सटाया। लंड से मादक ख़ुशबू आ रही थी, जैसे रात का रस सूख गया हो। मैं मदहोश हो गई और लंड चूसने लगी। लंड खुरदरा और खट्टा-नमकीन था। सिर्फ़ सुपारा ही मेरे मुँह में जा रहा था। मामा का लंड गीला हो गया।
मामा ने मुझे स्लैब की ओर झुकाया। मैंने स्लैब पकड़ा, और मामा ने मेरे चूतड़ फैलाकर चूत चाटी। उनकी जीभ कभी मेरी गांड के छेद पर चली जाती, और मुझे गुदगुदी होती। मैं अपनी गांड अंदर खींच लेती, और मामा की जीभ मेरे चूतड़ों में फँस जाती। मामा समझ गए कि मुझे गांड चटवाना पसंद है। उन्होंने मेरे चूतड़ फैलाए और गांड का छेद चाटने लगे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत से रस बह रहा था, और मैं झड़ गई।
मामा खड़े हुए और अपने लंड और मेरी चूत पर ढेर सारा थूक लगाया। फिर लंड मेरी चूत पर सटाकर धक्का मारा। आधा लंड अंदर गया, और मुझे दर्द हुआ। मामा आधे लंड को अंदर-बाहर करने लगे। फिर एक ज़ोरदार धक्के में उनका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। मैं कराहने लगी। मामा ने मेरी चूचियाँ सहलाईं, और दर्द कम हुआ। वो धीरे-धीरे चोदने लगे। फिर रफ़्तार बढ़ाई। उनके चूतड़ मेरी गांड से टकरा रहे थे, और पच-पच की आवाज़ गूँज रही थी। मैं चिल्ला रही थी, “उम्म्ह… अहह… और ज़ोर से!”
मामा ने मुझे स्लैब पर बिठाया और सामने से चूत चाटी। फिर खड़े-खड़े लंड मेरी चूत में पेल दिया। मैंने उन्हें पैरों और हाथों से लॉक कर लिया। मामा मेरी कमर पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहे थे। दस मिनट बाद उनकी रफ़्तार बढ़ी। मेरा दो बार रस निकल चुका था, और चूत में दर्द होने लगा था। मैंने अपने बदन को कड़ा किया, और मेरी चूत और कस गई। मामा का लंड रगड़ खाने लगा, और अचानक उन्होंने सारा माल मेरी चूत में उड़ेल दिया। वो पसीने से तर थे और मेरे गले से लिपट गए।
मैंने उनके कान में कहा, “रितेश, तुम्हारी झाँटें बड़ी हो गई हैं, साफ़ कर लो। आज मैं तुम्हारा लंड जड़ तक चाटूँगी।”
मामा ने मेरे कान में कहा, “शाम से रात तक सू-सू रोककर रखना।”
मैंने पूछा, “क्यों?”
मामा बोले, “कुछ अलग चुदाई करनी है।”
मैं उनकी चुदाई की दीवानी थी, तो मान गई। फिर मामा फ्रेश होने गए, और मैं चाय-नाश्ता बनाने लगी।
कहानी का अगला भाग: मामा ने मुझे अपने मूत से नहला दिया