Mama Maa chudai हेल्लो दोस्तों, मैं मुन्नीलाल यादव, उम्र 18 साल, एक सीधा-सादा लड़का, जो गाँव के छोटे से घर में रहता हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 8 इंच है, रंग गोरा, और शरीर पतला लेकिन चुस्त। मैं आज आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी सच्ची घटना सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मेरे दिल-दिमाग को हिला कर रख दिया। ये कहानी मेरी माँ और मेरे मामा की है, जो एक-दूसरे के साथ ऐसी हरकतें करते थे, जो मैंने पहले कभी सोची भी नहीं थी। मेरी माँ, राधा, 32 साल की एक खूबसूरत औरत हैं। उनका रंग दूध सा गोरा, फिगर 36-30-34, और जिस्म ऐसा कि गाँव के मर्द उनकी एक झलक पाने को तरसते हैं। उनके लंबे काले बाल, गोल चेहरा, और गहरी आँखें किसी को भी दीवाना बना सकती हैं। मेरे मामा, टीटू, 35 साल के हैं, मोटे-ताजे, गठीले बदन वाले, और चेहरे पर हमेशा एक शरारती मुस्कान। वो मथुरा में रहते हैं और हर कुछ महीनों में हमारे घर आते हैं। मेरे पापा, रामलाल, 40 साल के हैं, बैंक में क्लर्क हैं, और सुबह से शाम तक काम में डूबे रहते हैं। उनकी जिंदगी बस काम और घर के बीच सिमटी है। मैं उम्मीद करता हूँ कि ये कहानी आपको पसंद आएगी, क्योंकि ये मेरी जिंदगी का वो सच है, जिसे मैं आज तक नहीं भूल पाया।
जब भी मेरे मामा हमारे घर आने वाले होते थे, माँ का चेहरा खिल उठता था। वो सुबह से ही तरह-तरह के पकवान बनाने में जुट जाती थीं। गाँव में हर बहन अपने भाई को प्यार करती है, लेकिन माँ का उत्साह कुछ ज्यादा ही होता था। वो सजती-संवरती थीं, जैसे कोई दुल्हन तैयार हो रही हो। उनकी साड़ी हमेशा चुस्त, ब्लाउज टाइट, और चेहरा मेकअप से चमकता। मुझे ये बात थोड़ी अटपटी लगती थी, लेकिन मैं छोटा था, सो ज्यादा नहीं सोचता था। एक दिन माँ ने मुझे बुलाया, “मुन्नीलाल, बेटा, बाजार जाकर पनीर, ताजी सब्जियाँ, और मिठाई ले आ। तेरे मामा आज आ रहे हैं। ये ले, 1000 का नोट। जल्दी कर!” उनकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी। मैंने झोला उठाया और बाजार चला गया। मन में सोच रहा था, “माँ इतनी खुश क्यों हो रही हैं? मामा तो पहले भी आते थे, पर ये जोश कुछ नया है।”
दोपहर के 2 बजे मैं अपनी पुरानी मोटरसाइकिल लेकर रेलवे स्टेशन पहुँच गया। मथुरा-छपरा एक्सप्रेस 3 घंटे लेट थी। मैं प्लेटफॉर्म पर इंतजार करता रहा, आँखें थक गईं, लेकिन मामा का इंतजार था, तो रुका रहा। आखिरकार ट्रेन आई। मामा उतरे, उनके चेहरे पर वही शरारती मुस्कान थी। मैंने उन्हें मोटरसाइकिल पर बिठाया और घर ले आया। घर पहुँचते ही माँ ने मामा को गले लगाया, जैसे कोई बिछड़ा हुआ प्रेमी मिल गया हो। फिर वो दोनों अंदर कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर लिया। मैं बाहर खड़ा हैरान था। मन में सवाल उठा, “कौन सी बहन अपने भाई से मिलने के लिए दरवाजा बंद करती है?” पर मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। मेरी उम्र ही ऐसी थी, मैं 18 साल का था, लेकिन चुदाई और सेक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानता था। मेरा ध्यान तो बस अपने वीडियो गेम में था।
मामा को आए 5 दिन हो चुके थे। पापा सुबह बैंक चले जाते थे और शाम को देर से लौटते। उनके पास मामा से बात करने का वक्त ही नहीं था। माँ और मामा दिनभर कमरे में बंद रहते थे। दरवाजा हमेशा लॉक। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैं सोचता, “क्या बात करते होंगे इतनी देर?” पर मैं भोला था, दुनिया को वैसा ही सीधा समझता था, जैसा मैं था। एक दोपहर मैं अपने टीवी पर वीडियो गेम खेल रहा था। प्यास लगी, तो गेम पॉज किया और किचन में पानी लेने गया। वहाँ का नजारा देखकर मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई। मामा किचन में खड़े थे, माँ को अपनी बाहों में जकड़े हुए। दोनों एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे, जैसे कोई प्रेमी-प्रेमिका हों। माँ ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जो उनके भरे हुए जिस्म को और निखार रही थी। मामा ने माँ की कमर पकड़ रखी थी, और माँ उन्हें “जानू… जानू…” कहकर पुकार रही थीं। मैं दीवार के पीछे छिप गया और सब देखने लगा।
माँ ने कढ़ाई में सब्जी चलाना शुरू किया, लेकिन मामा ने फिर से उन्हें पीछे से पकड़ लिया और उनके सीने से चिपक गए। माँ हँस रही थीं, उनकी हँसी में एक छिनालपन था। मामा उनके गालों को चूम रहे थे, और माँ उनकी बाहों में मचल रही थीं। मैंने देखा, मामा का एक हाथ माँ की साड़ी के ऊपर से उनकी जाँघों पर फिसल रहा था। मेरे दिमाग का फ्यूज उड़ गया। मैं समझ गया कि कमरे में बंद होकर ये दोनों क्या करते हैं। मामा मेरी माँ को चोदते थे। मेरी सगी माँ, जो इतनी खूबसूरत थी कि गाँव के हर मर्द की नजर उन पर थी, अपने सगे भाई के साथ सेट थी। मेरा खून खौल रहा था, लेकिन मैंने कुछ नहीं कहा। मैंने फैसला किया कि इनकी चुदाई को मोबाइल में रिकॉर्ड करूँगा और पापा को दिखाऊँगा, ताकि मामा को इस घर में दोबारा घुसने न दिया जाए।
मैं दीवार के पीछे छिपकर सब देखता रहा। मामा ने माँ की साड़ी को थोड़ा ऊपर उठाया और उनकी नंगी कमर पर हाथ फेरने लगे। माँ की साँसें तेज हो रही थीं। “जान, थोड़ा रुको, खाना तो बनने दे,” माँ ने हँसते हुए कहा, लेकिन उनकी आवाज में वासना साफ झलक रही थी। “तू कमरे में जा, टीवी देख। मैं अभी आती हूँ, फिर तू मुझे कसके पेल लेना,” माँ ने मामा के कान में फुसफुसाया। मामा बेमन से बेडरूम में चले गए। माँ ने खाना बनाया और मुझे बुलाकर कहा, “मुन्नीलाल, खाना तैयार है। भूख लगे तो किचन से निकाल लेना।” फिर वो मामा के कमरे में चली गईं और दरवाजा बंद कर लिया।
मैंने मौका देखकर दरवाजे के छोटे से छेद से अंदर झाँका। मामा ने माँ को बाहों में भर लिया था और उनके गालों पर चुम्मियाँ ले रहे थे। माँ की साड़ी अब भी उनके जिस्म को लपेटे हुए थी, लेकिन मामा ने धीरे-धीरे उसे खोलना शुरू कर दिया। “ओह जान, तूने कितना इंतजार करवाया। मेरा लंड तेरा इंतजार करते-करते थक गया,” मामा ने कहा और अपनी पैंट खोलकर लंड माँ के हाथ में दे दिया। उनका लंड 9 इंच लंबा, मोटा, और पूरी तरह तना हुआ था। माँ ने उसे पकड़ा और हल्के-हल्के सहलाने लगीं। माँ का चेहरा देखकर लग रहा था कि वो इस पल का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं। उनकी आँखों में चमक थी, होंठ थरथरा रहे थे।
माँ ने मामा को बेड पर धकेला और उनकी शर्ट उतार दी। मामा का गठीला बदन नजर आ रहा था। फिर माँ ने अपनी साड़ी का पल्लू गिराया। उनका ब्लाउज इतना टाइट था कि उनके 36 इंच के मम्मे बाहर निकलने को बेताब थे। मामा ने माँ को अपनी ओर खींचा और उनके ब्लाउज के बटन खोल दिए। माँ ने काली रंग की ब्रा पहनी थी, जो उनके गोरे जिस्म पर जच रही थी। मामा ने ब्रा के हुक खोले, और माँ के बड़े-बड़े दूध आजाद हो गए। मैं बाहर से ये सब देख रहा था, और मेरा लंड भी खड़ा हो गया। माँ के मम्मे इतने गोल और भरे हुए थे कि मेरा मन कर रहा था कि मैं खुद कमरे में घुस जाऊँ। लेकिन मैं बस देखता रहा। मामा ने माँ के एक मम्मे को हाथ में लिया और जोर-जोर से दबाने लगे। “आह्ह… स्सी… धीरे… जान,” माँ सिसकारी भरते हुए बोलीं। उनकी आवाज में दर्द और मजा दोनों थे।
मामा ने माँ के निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगे। माँ की साँसें और तेज हो गईं। “उह्ह… ओह्ह… चूसो… और चूसो…” माँ मचल रही थीं। मामा ने उनके दोनों मम्मों को बारी-बारी चूसा, दबाया, और निप्पल्स पर हल्के से काटा। माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… स्सी… उह्ह… टीटू, तू तो मेरे दूध का सारा रस पी जाएगा…” मामा ने जवाब दिया, “बहना, तेरे मम्मे तो जन्नत का फल हैं। इन्हें चूसने का मजा ही अलग है।” माँ हँस पड़ीं, “तो चूस ले, भाई। मेरी चूत भी तो देख, कितनी गीली हो रही है।” मामा ने माँ का पेटीकोट खोल दिया। अब माँ सिर्फ काली पैंटी में थीं। उनकी जाँघें गोरी और चिकनी थीं। मामा ने पैंटी के ऊपर से माँ की चूत को सहलाया, और माँ ने एक लंबी सिसकारी भरी, “आह्ह… उह्ह… टीटू, अब मत तड़पा…”
मामा ने माँ की पैंटी उतार दी। माँ की चूत बिल्कुल साफ थी, एक भी बाल नहीं। गुलाबी, गीली, और फूली हुई। मामा ने अपनी उंगलियाँ चूत पर फेरीं, और माँ मचल उठीं, “आह्ह… स्सी… उह्ह… हा… हा…” मामा ने एक उंगली चूत में डाली, और माँ की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “ओह्ह… भाई… और… और कर…” मामा ने दो उंगलियाँ डालीं और तेज-तेज अंदर-बाहर करने लगे। माँ का जिस्म काँप रहा था। वो बेड पर लेट गईं, और मामा उनके ऊपर चढ़ गए। मामा ने अपना लंड माँ की चूत पर रगड़ा, और माँ ने अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं। “चोद दे, टीटू… अब और मत तड़पा… मेरी चूत को फाड़ दे,” माँ ने चुदास में डूबकर कहा।
मामा ने अपना 9 इंच का लंड माँ की चूत में एक झटके में डाल दिया। माँ की चीख निकल गई, “आआह्ह… उह्ह… धीरे… मार डालेगा क्या!” लेकिन मामा रुके नहीं। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगे। बेड चर्र-चर्र की आवाज कर रहा था। माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… स्सी… चोद… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत को…” मामा का लंड माँ की चूत में अंदर-बाहर हो रहा था, और हर धक्के के साथ माँ का जिस्म हिल रहा था। माँ ने अपनी टाँगें मामा की कमर पर लपेट दीं, ताकि लंड और गहराई तक जाए। मामा ने माँ के मम्मों को फिर से पकड़ लिया और जोर-जोर से दबाते हुए चोदने लगे। “बहना, तेरी चूत तो जन्नत है… इतनी टाइट… इतनी गीली…” मामा बोले। माँ ने जवाब दिया, “तो चोद ना, भाई… अपनी बहन की चूत को और रगड़… मुझे मादरचोद बना दे…”
मैं बाहर खड़ा ये सब देख रहा था। मेरा लंड मेरी पैंट में तंबू बना रहा था। मन कर रहा था कि मैं भी अंदर जाऊँ, लेकिन मैं बस देखता रहा। मामा ने माँ को 30 मिनट तक लगातार चोदा। माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… उह्ह… हा… हा… टीटू… और जोर से… मेरी चूत फट रही है…” आखिरकार मामा ने एक लंबा धक्का मारा और माँ की चूत में ही झड़ गए। माँ ने भी अपनी टाँगें कसकर मामा को जकड़ लिया, जैसे सारा माल अंदर लेना चाहती हों। दोनों हाँफ रहे थे। माँ ने मामा के गाल पर एक चुम्मी दी और बोली, “भाई, तूने तो आज मेरी चूत की धुनाई कर दी।” मामा हँसे, “बहना, अभी तो ये शुरुआत है। रात को फिर से तुझे पेलूँगा।”
मैं चुपके से वहाँ से हट गया। मेरा दिमाग सुन्न था। मैंने फैसला किया कि इस चुदाई को रिकॉर्ड करूँगा और पापा को दिखाऊँगा। लेकिन उस पल मैं बस यही सोच रहा था कि मेरी माँ और मामा का ये रिश्ता कितना गलत था, और फिर भी कितना मजा दे रहा था। दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ।
Mst hai