मालकिन की गोरी चूत में काला लंड घुसाया

मेरा नाम परमेश है। मैं 32 साल का हूँ, शक्ल से थोड़ा काला, लेकिन गठीला बदन और पहाड़ी ताकत के साथ। दिल्ली के सकरपुर गाँव में एक छोटा-सा किराए का कमरा मेरा ठिकाना है। मैं एक जगुआर गाड़ी चलाता हूँ, जो मेरी मालकिन रीना शर्मा की है। रीना मैडम 35 साल की हैं, ग्रेटर कैलाश की रईस कोठी में रहती हैं। उनकी हॉटनेस और खूबसूरती ऐसी है कि कोई भी देखकर बेकाबू हो जाए। उनकी गोरी चमड़ी, टाइट गोल चूचियाँ, और भरी हुई गाँड किसी को भी दीवाना बना दे। उनके पति, अजय शर्मा, 40 साल के हैं, चार कंपनियों के मालिक, लेकिन ज्यादातर वक्त बिजनेस ट्रिप्स में बीतता है। रीना मैडम की जिंदगी में पैसों की कोई कमी नहीं—लाखों रुपये ब्यूटी पार्लर, जिम, और डिज़ाइनर कपड़ों पर खर्च करती हैं। उनके बच्चे, 18 और 20 साल के, हॉस्टल में पढ़ते हैं, तो कोठी में अक्सर सन्नाटा रहता है।

मैं पिछले तीन साल से उनकी गाड़ी चला रहा हूँ। शुरू में वो सख्त थीं, लेकिन मेरी मेहनत और वफादारी ने उनका भरोसा जीत लिया। वो मुझे अब नाम से बुलाती हैं, कभी-कभी हल्की-फुल्की बातें भी करती हैं। आज मैं आपको एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरे और रीना मैडम के बीच घटी। ये कहानी रक्षाबंधन के दिन की है, जब मैंने उनकी चुदाई की। ये कोई बनावटी बात नहीं; ये मेरी जिंदगी का वो लम्हा है, जिसने मुझे झकझोर दिया।

रीना मैडम की खूबसूरती का क्या कहना। उनकी लंबाई 5 फीट 6 इंच, गोरा रंग, और कातिलाना फिगर—34-28-36। उनके कपड़े हमेशा टाइट और रिवीलिंग—कभी डीप नेक ब्लाउज़, कभी स्किन-टाइट लेगिंग्स, जो उनकी गाँड और चूत के उभार को साफ दिखाते। उनके बाल लंबे, रेशमी, और हमेशा खुले रहते, जो उनकी कमर तक लहराते। उनकी आँखें भूरी, और होंठ गुलाबी, जो हर बार कुछ न कुछ शरारत बयान करते। वो जब चलती हैं, तो गाँड का उभार ऐसा हिलता है कि मेरा 9 इंच का काला, मोटा लंड पैंट में बेकाबू हो जाता। उनकी चूचियाँ इतनी टाइट और गोल कि ब्रा में भी उभरकर सामने आती हैं।

मैं गरीब घर से हूँ। मेरी बीवी, शांति, 30 साल की है, साधारण सी औरत। वो अपने मायके में तीन महीने से थी, और मेरी रातें अकेले कट रही थीं। मेरी बॉडी गठीली है, क्योंकि पहाड़ों में जन्मा हूँ। मेरा लंड 9 इंच लंबा, मोटा, और काला—जो मैडम को बाद में दीवाना बना देगा। मेरी उम्र का अंदाज़ा लगाना मुश्किल है, क्योंकि मेहनत और धूप ने चेहरा थोड़ा सख्त कर दिया, पर ताकत में कोई कमी नहीं।

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अब कहानी पर आता हूँ। रक्षाबंधन का दिन था। मालिक, अजय साहब, अपनी बहन के यहाँ मेरठ गए थे। मुझे रीना मैडम को आगरा ले जाना था, उनके भाई के पास। लेकिन दोपहर में उनके भाई का फोन आया कि वो शाम 6 बजे ग्रेटर कैलाश आएँगे और राखी बँधवाएँगे। उस दिन फैक्ट्री की छुट्टी थी, तो मुझे कहीं जाना नहीं था। मैं कोठी के गैरेज में कुर्सी पर बैठा था। मैडम घर में थीं, और बच्चे हॉस्टल में। कोठी में सन्नाटा था, बस मैं और मैडम ही थे।

दोपहर के 2 बजे मैडम ने मुझे बुलाया। वो एक लाल सिल्क की साड़ी में थीं, जिसका पल्लू इतना पतला कि उनकी गहरी क्लीवेज साफ दिख रही थी। “परमेश, खाना खा लो,” उन्होंने कहा। मैं हैरान था, क्योंकि वो कभी खाना नहीं देतीं। मैं घर से खाना लाता हूँ, पर उस दिन शांति मायके गई थी, तो मैं खाली पेट था। मैडम ने एक थाली में चिकन, रोटी, और सब्ज़ी परोसी। “खा लो, और आराम कर लो। शायद रात को मालिक के साथ बाहर जाना पड़े,” उन्होंने कहा। उनकी आवाज़ में हल्की-सी नरमी थी, जो मेरे मन में कुछ और ही ख्याल जगा रही थी।

मैं छत पर बने सर्वेंट क्वार्टर में चला गया। खाना खाकर लेट गया और मोबाइल पर सेक्स कहानियाँ पढ़ने लगा। एक ड्राइवर और मालकिन की चुदाई की कहानी पढ़ रहा था। कहानी में ड्राइवर अपनी मालकिन को बेड पर चोद रहा था, और मेरे दिमाग में रीना मैडम का चेहरा घूमने लगा। मेरा लंड तन गया। मैंने पैंट खोली, थूक लगाकर लंड को सहलाने लगा। धीरे-धीरे, ऊपर-नीचे, मुठ मार रहा था। मेरा 9 इंच का लंड पूरा तन चुका था, और मैं कहानी में खोया हुआ था।

अचानक दरवाज़े पर खटखट हुई। मैं चौंक गया। रीना मैडम खड़ी थीं, वही लाल साड़ी में। मैं डर के मारे सन्न रह गया। पैंट की चेन बंद की और हाथ जोड़कर बोला, “माफ कर दो, मैडम। गलती हो गई। मुझे लगा आप नहीं आएँगी।” मेरी आवाज़ काँप रही थी। लगा, आज नौकरी गई। मैडम ने मेरी तरफ देखा, फिर मोबाइल उठाया। “क्या देख रहे थे, परमेश? ब्लू फिल्म?” उन्होंने पूछा। मैंने शर्माते हुए कहा, “नहीं, मैडम, सेक्स कहानियाँ पढ़ रहा था।”

उन्होंने फोन चेक किया और मुस्कुराईं। “अरे, तू भी ये कहानियाँ पढ़ता है? मैं भी पढ़ती हूँ। रोज़। मालिक के पास वक्त कहाँ अब? रात-रात भर जागती हूँ, तो ये कहानियाँ ही सहारा हैं।” मैं हैरान था। मैडम ने कहा, “डरने की ज़रूरत नहीं। जो तू कर रहा था, वो मैं भी करती हूँ। पर ये बता, तू मुठ क्यों मार रहा था? तेरी बीवी तुझे मज़ा नहीं देती?”

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मैंने शर्म से सिर झुकाकर कहा, “मैडम, वो तीन महीने से मायके गई है। इसीलिए हर हफ्ते ऐसा करना पड़ता है।” मैडम ने मेरी तरफ देखा, उनकी आँखों में शरारत थी। “परमेश, तू इतना हॉट है, और तेरा बदन इतना मज़बूत। अपना रस यूँ बर्बाद मत कर। चल, मेरे साथ। मैं तुझे असली मज़ा देती हूँ।”

मैं स्तब्ध था। मैडम मुझे नीचे उनके बेडरूम में ले गईं। उनका बेडरूम किसी पांच सितारा होटल से कम नहीं—मखमली चादरें, हल्की रोशनी, और महकता हुआ माहौल। मैं घबरा रहा था। मैडम ने कहा, “बेड पर लेट जा।” मैंने झिझकते हुए कहा, “मैडम, मैं बेड गंदा कर दूँगा। आप लेट जाइए।” वो हँसीं और बेड पर लेट गईं।

उन्होंने अपनी लाल साड़ी उतारी। अब वो सिर्फ लाल ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी चूचियाँ ब्रा में कैद थीं, और पैंटी से उनकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। मैं देखता रह गया। मैडम ने मेरी तरफ देखा और ब्रा-पैंटी भी उतार दी। उनका गोरा बदन मेरे सामने था—34 इंच की टाइट चूचियाँ, पिंक निप्पल्स, और क्लीन शेव चूत, जो चमक रही थी। उनकी गाँड गोल और भरी हुई, जैसे कोई मूर्ति हो।

मेरा 9 इंच का काला, मोटा लंड तुरंत तन गया। मैडम ने उसे देखा और हैरान रह गईं। “परमेश, ये क्या! इतना बड़ा, मोटा, और काला लंड! मैं तो इसके लिए पागल हो गई। आज मेरी चूत को ये लंड चाहिए। घुसा दे इसे मेरे अंदर।” मैंने डरते हुए कहा, “मैडम, मालिक को पता चला तो?” वो बोलीं, “परमेश, डर मत। आज तू मेरी चूत का मालिक है। जो मन करे, कर।”

उनकी बातों ने मेरे डर को हवा कर दिया। मैंने अपना लंड पकड़ा और मैडम को बेड के किनारे खींचा। उनकी चूत पहले से गीली थी। मैंने लंड उनकी चूत पर रगड़ा। “आआह्ह… परमेश, धीरे,” वो सिसकारी। मैंने धीरे से लंड अंदर डाला। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड फंस रहा था। “उउउह्ह… कितना मोटा है तेरा लंड,” वो चीखीं। मैं डर गया, पर वो बोलीं, “रुक मत। धीरे-धीरे चोद।”

मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। “चट्ट… चट्ट…” चुदाई की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैडम की सिसकारियाँ तेज हुईं, “आआह्ह… हाँ… और गहरा…” मैंने उनकी चूचियाँ पकड़ीं और जोर-जोर से मसलने लगा। उनके पिंक निप्पल्स को उंगलियों से रगड़ा। “ओह्ह… परमेश, मेरी चूचियाँ चूस,” वो बोलीं। मैंने उनके निप्पल्स मुँह में लिए और चूसने लगा। उनकी सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आआह्ह… हाँ… ऐसे ही…”

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मैं बेड पर चढ़ गया। मैडम ने मुझे अपने ऊपर खींचा। उन्होंने मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया और नीचे से गाँड उठाकर धक्का मारा। “आआह्ह… पूरा अंदर गया!” वो चीखीं। मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “चट्ट… चट्ट… चप्प…” चुदाई की आवाज़ और उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। “परमेश, मेरी चूत फाड़ दे। तेरा काला लंड मेरे लिए बना है,” वो बोलीं।

मैंने उनके होंठ चूसने शुरू किए। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी। मैं उनकी चूचियाँ मसलता, निप्पल्स चूसता। वो बोलीं, “मुझे कुतिया बना।” मैंने उन्हें पलटाया। वो घुटनों के बल हो गईं। उनकी गोरी गाँड मेरे सामने थी। मैंने पीछे से उनकी चूत में लंड घुसाया। “आआह्ह… हाँ… और जोर से!” वो चीखीं। मैंने उनकी गाँड पर थप्पड़ मारे। “चट्ट… चट्ट…” थप्पड़ और चुदाई की आवाज़ से कमरा गूँज रहा था।

मैंने उनकी गाँड में उंगली डाली। “उउउह्ह… परमेश, तू कमाल है!” वो बोलीं। मैं एक साथ उनकी चूत में लंड और गाँड में उंगली डाल रहा था। “आआह्ह… मेरी चूत… मेरी गाँड… दोनों चोद!” वो सिसकार रही थीं। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ाई। उनकी चूचियाँ हिल रही थीं, गाँड लाल हो गई थी।

करीब दो घंटे तक मैंने उन्हें चोदा। उनकी चूत गीली थी, और मेरा लंड हर धक्के में और गहरा जाता। आखिरकार मैं झड़ गया। मेरा गर्म वीर्य उनकी चूत में भर गया। मैंने कपड़े पहने और खड़ा हो गया। मैडम ने मुझे पैसे देने चाहे, पर मैंने मना कर दिया। “मैडम, बस मुझे भूलना मत। जब भी मेरे लंड की ज़रूरत हो, बता देना।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “परमेश, तू मेरे लिए हमेशा तैयार रहना।”

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