माँ ने अपने यार से मेरी चूत को ठंडा करवाया

Maa ne Beti ki chudai karwayi मेरे सारे लंड वाले दोस्तों को मेरा प्यार भरा चुम्मा! मैं, नैंसी, एक 34-26-36 की गदराई जवान औरत हूँ, जिसकी चूत हर वक्त लंड के लिए तड़पती रहती है। मेरी गोरी चमड़ी, लंबे काले बाल, और भारी-भरकम मम्मे किसी को भी पागल कर सकते हैं। मेरी माँ, ज्योति, अपने ज़माने की मशहूर चुदक्कड़ थी, जिसके कई मर्दों के साथ नाजायज़ रिश्ते थे। अब उसका बदन ढल चुका है, लेकिन उसकी आँखों में वही पुरानी चमक बाकी है। वो अब लड़कियों की दलाली करती है। मेरी शादी को अभी छह महीने ही हुए थे, और मैं अपनी माँ के घर रहने आई थी। वहाँ दस दिन बीत चुके थे, और मेरी चूत में आग लगी थी। दो दिन से मैं चुदाई के लिए इतना तड़प रही थी कि बस कुछ समझ ही नहीं आ रहा था।

उस दोपहर मैं और माँ बालकनी में खड़े होकर बात कर रहे थे। माँ मुझे पड़ोस की सोनिया की कहानी सुना रही थी, कि कैसे उसने अपने कस्टमर को चूतिया बनाकर उसकी जेब से पैसे निकाले। माँ की बातें सुनते हुए मेरी नज़र सामने के खाली प्लॉट में पड़ी, जहाँ एक काला-सा कुत्ता एक कुतिया को ज़ोर-ज़ोर से चोद रहा था। उसकी चुदाई इतनी गज़ब थी कि कुत्ते का लंड कुतिया की चूत में फंस गया था। ये देखकर मेरी चूत में खुजली होने लगी। मेरा हाथ अपने आप मेरी चूत पर चला गया और उसे सहलाने लगा। माँ ने पीछे मुड़कर प्लॉट में देखा, फिर मेरी तरफ़ मुस्कुराते हुए बोली, “नैंसी, बड़ा दिल कर रहा है क्या?”

पहले माँ मुझसे ऐसी खुली बातें नहीं करती थी, लेकिन अब वो मेरे साथ बिल्कुल बिंदास हो गई थी। मैंने भी खुलकर जवाब दिया, “हाँ माँ, कई दिन से तड़प रही हूँ। यहाँ आए हुए भी तो कई दिन हो गए। ऐसा कर, अपने पति को फोन करके रात को बुला ले। रात को ऊपर के कमरे में दोनों जी भर के मज़े कर लेना। तू भी कर ले अपनी मर्ज़ी से। लेकिन माँ, मुझे इस वक्त ऐसा मर्द चाहिए जो मुझे उस कुत्ते की तरह चोदे, जो उस कुतिया को चोद रहा है। मेरा घरवाला तो बस नाम का मर्द है। दस झटके भी मार ले तो बड़ी बात है। उसमें मेरे इस गर्म जिस्म की आग बुझाने की हिम्मत ही नहीं। अगर उसमें दम होता, तो मैं यहाँ नहीं होती, बल्कि इस वक्त उसके नीचे पड़ी होती, अपनी टाँगें फैलाए।”

मैंने झूठ बोला। सच तो ये था कि मैं इन दो सालों में कई मर्दों से चुद चुकी थी। मैंने माँ से कहा, “माँ, तू तो अपने ज़माने में इस इलाके की सबसे मस्त जुगाड़ थी। मैंने तो तुझे कई बार अपनी आँखों से चुदते देखा है। जवान लड़कों से लेकर हर तरह के मर्दों के साथ। प्लीज़, आज मेरे लिए भी कोई इंतज़ाम कर दे। देख, तेरी बेटी कैसे तड़प रही है।” ये कहते हुए मैंने अपने भारी मम्मों को सहलाया। माँ ने मुस्कुराते हुए कहा, “परेशान न हो, मैं कुछ करती हूँ।”

उसने अपना मोबाइल निकाला और किसी को फोन किया। फिर बोली, “नैंसी, तेरा काम बन गया। आधे घंटे में सूरज आ जाएगा। आज जी भर के ऐश कर ले। सूरज वही है जो हमारे घर के पीछे रहता है। काला-सा, जमादाई-सा मर्द। लेकिन उसका लंड, साला, गधे जैसा मोटा और लंबा है। और चुदाई में उसका कोई जवाब नहीं। जब वो चोदता है, तो जान निकाल देता है।”

मैं याद करने लगी कि कैसे सूरज माँ को चोदता था। उसकी चुदाई की यादों ने मेरी चूत को और गीला कर दिया। माँ मेरे पास आई, उसने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी चूत पर हाथ रखा और मेरे एक मम्मे को मसलते हुए बोली, “कोई बात नहीं, तब तक मैं तेरी खुजली मिटा देती हूँ।” ये कहकर उसने मेरी नाइटी उतार दी। मुझे नंगी करके मेरे बदन को देखते हुए बोली, “माँ की लौंडिया, क्या सेक्सी बदन है तेरा! क्या मस्त फिगर है। तू तो सचमुच अपनी जवानी बर्बाद कर रही है। कह, तुझे शहर की सबसे टॉप रंडी बना दूँ? कमाई भी होगी और हर रोज़ नया लंड भी मिलेगा।”

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उसने मेरी टाँगें फैलाईं और मेरी चूत को देखकर बोली, “नैंसी, तेरी चूत तो सचमुच किसी कुंवारी लड़की जैसी है।” फिर मेरी चूत के होंठ फैलाकर उसमें एक उंगली डालते हुए बोली, “साली, लगता है तेरी ढंग से चुदाई कभी हुई ही नहीं। बड़ी टाइट चूत है तेरी।” ये कहकर उसने मुझे सोफे पर बिठाया और मेरी टाँगों के बीच बैठकर बोली, “साली, अब तू मेरे जिम्मे है। मैं तुझे पैसे कमाने और जवानी के मज़े लूटने का रास्ता दिखाऊँगी। वो मोटी थुलथुल सोनिया अपने अजीब-से जिस्म से इतने पैसे कमा रही है, तो तू तो साली, बड़ी मस्त आइटम है।”

इतना कहकर माँ ने मेरी चूत पर अपना मुँह रख दिया और चाटने लगी। मेरे मुँह से सिसकारी निकल गई, “उउउईईई माँआआआ… मम्म्म्म… माररर गयीईई… उउम्म्म…” माँ मेरी चूत का दाना मसल रही थी, और साथ ही उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। मैं सातवें आसमान पर थी। उसने अपनी जीभ मेरी चूत में डालकर मुझे चोदना शुरू कर दिया, और साथ ही उसकी दो उंगलियाँ भी मेरी चूत में घुस गईं। मैंने उसका सिर पकड़कर अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी गांड उछाल-उछालकर चूत चटवाने लगी। “उउउईईई माँआआ… खा जा मेरी चूऊत… जोर से चाट… हाय्य मम्म्म… बड़ा मज़ा आ रहा है…”

करीब दस मिनट तक माँ मेरी चूत चाटती रही। मैं अपने मम्मों के निप्पल मसलते हुए दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन मेरी चूत की आग और भड़क गई थी। मैं अब और ज़्यादा लंड के लिए तड़प रही थी। तभी डोरबेल बजी। माँ उठकर दरवाज़ा खोलने चली गई। मैं नंगी ही सोफे पर पड़ी थी, एक मम्मा सहलाते हुए और दूसरी उंगली अपनी चूत में डाले हुए।

माँ अंदर आई, और उसके पीछे एक काला-सा सांड जैसा मर्द था। सूरज, करीब छह फुट लंबा, हट्टा-कट्टा, और मज़बूत जिस्म वाला। मैं उसे देखकर चौंक गई और उठने लगी, लेकिन माँ ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा, “पड़ी रह, कोई बात नहीं। ये तो अपना ही है।” सूरज मेरे पास आया और मेरे बगल में बैठकर मेरा एक मम्मा पकड़कर मसलने लगा। माँ से बोला, “ज्योति, ये तेरी लड़की नैंसी है ना? बहनचोद, क्या मस्त जवान हो गई है! क्या बदन निकाला है साली का! जब मैं तुझे चोदता था, तब ये छोटी-सी थी, और अब देख, साली क्या मस्त जुगाड़ बन गई है।”

उसके मर्दाना हाथों का स्पर्श पाकर मेरे मम्मे और सख्त हो गए, और मेरी चूत में आग और भड़क उठी। उसने अपने काले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और चूसने लगा। मैं उसके ताकतवर जिस्म पर हाथ फेर रही थी। उसने धीरे से अपनी जीभ मेरे मुँह में सरका दी, और मैं उसकी जीभ चूसने लगी। माँ ने उसकी पैंट खोलकर उसका अंडरवियर नीचे कर दिया। मेरी नज़र उसकी पैंट पर टिकी थी। जैसे ही माँ ने उसका अंडरवियर उतारा, उसका लंड बाहर निकला। मेरी साँस रुक गई। उसका लंड, बिल्कुल उसके जैसा काला, करीब दस इंच लंबा और चार इंच मोटा था। मैंने उसे पीछे धकेला और उसके सामने बैठ गई।

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उसका लंड मेरे मुँह के सामने था। मैं उसे पकड़कर मुँह में डालने ही वाली थी कि सूरज ने मुझे रोका और माँ से बोला, “साली रंडी, इसे समझाया नहीं? लंड पकड़कर मुँह में डाल रही है।” माँ मेरे पास आई और बोली, “नैंसी, ऐसे नहीं। लंड पकड़कर मुँह में डालना अच्छा नहीं लगता। तू इसके सामने मुँह खोलकर बैठ जा, ये खुद अपना लंड तेरे मुँह में डालेगा।”

मैंने उसका लंड अपने मुँह में लिया और चूसने लगी। करीब पाँच मिनट तक मैं उसका विशाल लंड चूसती रही। जब उसका लंड मेरे मुँह में और बड़ा हो गया, तो उसने मेरे बाल पकड़े और मेरा मुँह चोदने लगा। यह सब करीब दस मिनट तक चला। फिर उसने मुझे सोफे पर बिठाया और मेरे सामने बैठ गया। वो अब पूरी तरह नंगा था। उसका ताकतवर जिस्म देखकर मैं और मचल रही थी। उसने फिर से मेरे होंठ चूसने शुरू किए। इस बार मैंने अपनी जीभ बाहर निकाली, और वो मेरी जीभ चूसने लगा। फिर उसने मेरी गर्दन चाटते हुए मेरे एक मम्मे को चूम लिया। मैं तड़प उठी और बोली, “मेरी जान, देख मेरे ये सेक्सी मम्मे। बड़े-बड़े हैं ना? चूस ले इन्हें।”

मैंने अपना एक मम्मा पकड़कर उसके मुँह से लगा दिया। उसने मेरे मम्मे को मसलना शुरू किया और दूसरे को मुँह में लेकर चूसने लगा। वो मेरे निप्पल को काट रहा था। मैं मस्ती में सिसकारियाँ भरने लगी, “आआह्ह्ह… उउउ… चूस ले मेरे राजा…” करीब पाँच मिनट तक वो मेरे मम्मों को जी भरकर चूसता रहा। माँ मेरी चूत का दाना मसल रही थी, जिससे मैं और गर्म हो रही थी। जब उसने मुझे छोड़ा, तो मेरे मम्मों पर लाल-नीले निशान चमक रहे थे। मैं अब पूरी तरह जल रही थी। मुझे अब किसी भी सूरत में लंड चाहिए था।

सूरज ने मेरी चूत पर मुँह रखा और बोला, “वाह, नैंसी, तेरी माँ सही कह रही थी। तेरी चूत तो मालपुए जैसी है। लगता है तेरा पति तुझे ढंग से चोदता ही नहीं।” मैंने कहा, “सच कह रही हूँ, अगर वो मुझे चोदने लायक होता, तो मैं यहाँ तेरे सामने नंगी पड़ी न होती। इस वक्त वो मेरी चूत मार रहा होता।” उसने मेरी चूत के होंठ फैलाए और चूसने लगा। मैं फिर से तड़पने लगी। मैंने उसका सिर अपनी टाँगों के बीच दबा लिया और अपनी गांड उछाल-उछालकर अपनी चूत उसके होंठों से रगड़ने लगी। “हाय माँ… क्या मज़ा है चूत चटवाने में… चाट मेरे राजा… जोर से चाट… मेरी चूत का दाना भी चाट… मादरचोद, तू सच में मर्द है… आज इसे भोसड़ा बना दे…”

वो मेरे मम्मे मसल रहा था, और फिर उसने मेरी गांड के नीचे हाथ रखकर मेरे चूतड़ दबाते हुए मेरी चूत चाटने लगा। मैं अचानक झटके से झड़ गई। मेरी चूत से रस की धार फूट पड़ी। करीब एक मिनट तक मैं झड़ती रही, और वो मेरी चूत चूसता रहा। जब वो अलग हुआ, तो मेरे चेहरे पर संतुष्टि थी, लेकिन मेरी चूत की आग अभी बुझी नहीं थी।

सूरज ने मेरी टाँगें पूरी तरह हवा में फैला दीं और अपना लंड मेरी चूत पर रख दिया। मैंने अपने हाथों से अपनी चूत के होंठ फैलाए। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। मेरी चूत में फिर से आग लगने लगी। मैं अपनी गांड उछाल-उछालकर उसका विशाल लंड अपनी चूत में लेने की कोशिश करने लगी। लेकिन वो हर बार मेरा मज़ा खराब कर देता। जैसे ही मैं गांड उछालती, वो अपना लंड हटा लेता। मैं चिल्लाने लगी, “मादरचोद, डाल दे ना अपना लंड मेरी इस प्यासी चूत में। क्यों तड़पा रहा है? आज तक मेरी चूत सिर्फ मेरे पति की लुल्ली से चुदती आई है। मर्द का लंड इसे आज पहली बार मिला है।”

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इस बार उसने अपना लंड मेरी चूत पर टिकाया, मेरी गांड के नीचे हाथ डालकर मेरे चूतड़ पकड़े और एक ज़ोरदार झटके में अपना आधा लंड मेरी चूत में पेल दिया। मेरी जान निकल गई। ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरी चूत फाड़ दी हो। मैंने अपनी गांड हवा में उछाली और चिल्लाई, “उउउईईई… मम्म्म्म… माररर गयीईई… फाड़ दी मेरी चूऊत… माँआआ… मादरचोद, ये क्या कर दिया… मेरी चूत की माँ चोद दी… हाय, तेरा लंड है या मूसल… मेरी चूत फट गई…” लेकिन उसने मुझे जकड़ रखा था। मेरी टाँगें उसकी टाँगों में फँसी थीं। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और एक और झटका मारा। उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा गया।

मैं दर्द से तड़प रही थी, लेकिन वो बिना रुके मेरी चूत चोदने लगा। दो-तीन मिनट बाद जब दर्द थोड़ा कम हुआ, तो उसने मेरे होंठों से अपने होंठ हटाए और बोला, “क्या कहती है? अगर ज़्यादा दर्द हो रहा है, तो निकाल लूँ अपना लंड तेरी इस मस्त फुद्दी से?” मैंने चिल्लाकर कहा, “मादरचोद, इतने साल से तड़प रही हूँ कि कोई मेरी चूत फाड़ दे। चोद-चोदकर इसका भोसड़ा बना दे। और तू कह रहा है निकाल लूँ? आज पहली बार मेरी चूत को मज़ा आ रहा है। पहली बार मुझे औरत होने का एहसास हो रहा है। चोद मेरे राजा, मेरी टाँगें उठा-उठाकर जितना दिल करे चोद।”

उसने मेरी टाँगें अपने कंधों पर रखीं, मेरे मम्मे अपने हाथों में लिए और अपना लंड मेरी चूत में ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा। उसका लंड मेरी चूत की जड़ तक जा रहा था। जब वो धक्का मारता, तो मेरे चूतड़ फैल जाते और दब जाते। जब मैं नीचे से धक्का मारती, तो उसका लंड थोड़ा बाहर निकलता, और मेरी गांड और गोल हो जाती। हमारी चुदाई की लय सेट हो चुकी थी। मैं जैसे जन्नत में थी। मैं चिल्ला रही थी, “आआह्ह्ह… उउउ… चोद मेरे राजा… फाड़ दे मेरी फुद्दी… आज जैसी चुदाई मेरी चूत की पहले कभी नहीं हुई… ले मेरी जान, चोद ले अपनी नैंसी को… तेरी रंडी बन गई हूँ… जब कहेगा, जहाँ कहेगा, तेरा लंड अपनी चूत में डलवाऊँगी…”

वो करीब पंद्रह मिनट से मेरी टाँगें हवा में उठाकर मुझे चोद रहा था। अब वो झड़ने वाला था। मैं भी झड़ने के करीब थी। उसने कहा, “मेरी जान, मैं अब झड़ने वाला हूँ।” मैंने कहा, “मैं भी झड़ने वाली हूँ। बस, चार-पाँच धक्के और मार दे।” उसने पूरे ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। मैं चार-पाँच धक्कों बाद झड़ गई। मेरी चूत से रस की धार निकल रही थी। उसी वक्त उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मेरी चूत में अपना रस गिराने लगा। उसका गर्म रस मेरी चूत में गिरता हुआ मुझे एक अलग ही सुख दे रहा था।

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