आखिर माँ चुद ही गयी

अक्षय 23 साल का एक युवक था, जो बैंगलोर में रहता था। 5 फुट 7 इंच लंबा, चौड़ा कंधा, और 7 इंच लंबे और 5 इंच मोटे लंड के साथ, वह खुद को किसी से कम नहीं समझता था। कॉलेज के दिनों से ही लड़कियों और औरतों के साथ उसका अनुभव काफी रहा था। 19 की उम्र में पहली बार चुदाई का मजा चखने के बाद, 20 तक उसने कई लड़कियों और औरतों को चोदा। मगर उसकी ज़िंदगी में एक मोड़ तब आया, जब उसने अपने घर की औरतों को एक नई नजर से देखना शुरू किया।

यह बात करीब तीन साल पुरानी है, जब अक्षय अपने बुआ के बेटे की शादी में शामिल होने गया था। शादी में उसकी बुआ, मामी, मौसी, और चाची सभी सजधज कर आई थीं। अक्षय ने उन्हें पहले कभी इस नजर से नहीं देखा था। लेकिन उस दिन जब वे सजी-धजी आईं, तो उनकी कसावट भरी चूचियों और भारी गांडों ने उसकी नज़रें खींच लीं। बारात में जब नाचने का मौका आया, तो अक्षय ने मौका नहीं छोड़ा। कभी किसी की गांड से टकरा कर, तो कभी किसी के उभार से छूकर, उसने अपनी उत्तेजना को और बढ़ा लिया।

रात होते-होते उसकी हालत ऐसी हो गई कि उसे जाकर बाथरूम में मुठ मारनी पड़ी। पहली बार उसके मन में ख्याल आया कि अगर उसे घर की ही औरतों को चोदने का मौका मिल जाए, तो कितना अच्छा होगा। उसके हिसाब से घर की औरतों को चोदने के फायदे ही फायदे थे – जब चाहो, जहां चाहो, मौका मिल सकता था, और किसी को शक भी नहीं होता।

लेकिन अक्षय को समझ नहीं आ रहा था कि शुरुआत कहां से करे। उसने सोचा कि अगर गलत औरत को चुन लिया, और वह किसी को बता बैठी, तो उसकी जिंदगी तबाह हो जाएगी। इसलिए उसने फैसला किया कि वह सबसे पहले अपनी मां, आशा, को टारगेट करेगा।

आशा 43 साल की आकर्षक महिला थी। उसकी चूचियां 36D की, कमर 32 की, और गांड 34 की थी। उसका शरीर किसी जवान लड़की से कम नहीं था। पापा के 50 साल के होने की वजह से अक्षय को शक था कि शायद मां की गांड उतनी चुदाई नहीं खाती होगी, जितनी चूत। आशा सामान्य तौर पर साड़ी या सूट में रहती थी। घर में मैक्सी पहनना उसकी आदत थी, और बाहर निकलते समय वह हमेशा पारंपरिक कपड़े ही पहनती थी।

अक्षय के पापा की मेडिकल की दुकान थी, और घर में वे तीन लोग ही रहते थे – अक्षय, उसके पापा, और उसकी मां। उसकी बड़ी बहन की शादी हो चुकी थी, और छोटी बहन पढ़ाई के लिए बाहर थी। इस तरह घर में अक्सर मां और अक्षय अकेले ही रहते थे।

अक्षय ने मां और पापा की चुदाई पर नजर रखना शुरू किया। वह रात के समय दरवाजे की दरार से झांककर देखता था कि उनके बीच क्या चल रहा है। लगभग पंद्रह दिन तक उसने यह सिलसिला जारी रखा। उसे समझ में आ गया कि उसके पापा हर तीसरे दिन मां के साथ चुदाई करते थे, लेकिन वे झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगाते थे। अक्सर मां ठंडी नहीं हो पाती थी, और पापा पहले ही झड़ जाते थे।

अक्षय को यकीन हो गया था कि मां के अंदर चुदाई की अधूरी प्यास बाकी थी। वह सही मौके की तलाश में था।

फिर एक दिन अक्षय की मां की सहेलियां उनके घर पर आईं। वे पांच-छह औरतें थीं, जो हर कुछ दिनों में मिलती थीं। आमतौर पर यह मुलाकात तब होती थी जब उनके पति घर पर नहीं होते थे। अक्षय ने सोचा कि यह सही मौका है उनकी बातचीत सुनने का।

वह चुपचाप पास के कमरे में बैठ गया और उनकी बातों पर ध्यान देने लगा। पहले तो वे अपने परिवार और बच्चों की बातें कर रही थीं, मगर धीरे-धीरे उनकी बातों में खुलापन आने लगा।

उन्होंने अपने निजी जीवन के बारे में खुलकर बात की। अक्षय को समझ आया कि उन औरतों में से कोई भी अपने पति से पूरी तरह संतुष्ट नहीं थी। सभी के पति उनसे उम्र में काफी बड़े थे और चुदाई में ज्यादा दम नहीं था।

बातों-बातों में अक्षय की मां ने भी एक टिप्पणी की, जिसने अक्षय के लिए दरवाजे खोल दिए। आशा ने हंसते हुए कहा, “आजकल तो लड़के-लड़कियां 18-19 की उम्र में ही चुदाई करने लगते हैं। अगर हम लोग आज के जमाने में पैदा हुई होतीं, तो पूरा मजा लिया होता।”

अक्षय को अपनी योजना का अगला कदम साफ दिखने लगा। उसने तय किया कि एक रंडी को पैसे देकर घर बुलाएगा और कुछ ऐसा इंतजाम करेगा कि मां उसे चोदते हुए पकड़ ले।

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अक्षय ने पूरी योजना तैयार कर ली थी। वह जानता था कि उसकी मां ने जो कहा, वह मजाक में था, लेकिन उसे इस बात से रास्ता मिल गया था। अगले कुछ दिनों तक उसने एक सही मौके की तलाश की। आखिरकार, एक दिन उसकी मां अपनी सहेलियों के साथ बाजार गई, और अक्षय को घर पर अकेला छोड़ गई। यही मौका था।

अक्षय ने इंटरनेट के जरिए एक रंडी का नंबर निकाला, जो शहर में ग्राहकों के घर जाकर काम करती थी। वह जानता था कि इस काम में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए। उसने रंडी को फोन किया और मिलने की बात की। कुछ घंटे बाद रंडी घर पहुंच गई।

दरवाजा खोलते ही अक्षय ने देखा कि वह लगभग 28 साल की थी, गोरी और कसी हुई। उसने लाल रंग की टाइट टी-शर्ट और काली स्किन-फिट जीन्स पहनी थी, जिससे उसके उभार साफ दिख रहे थे। लंबे काले बाल खुले हुए थे, और होठों पर हल्की लिपस्टिक लगी थी।

“अंदर आओ,” अक्षय ने कहा, दरवाजा हल्का सा खुला छोड़ दिया ताकि मां के आने पर दरवाजे को खोलने में देर न लगे।

अक्षय उसे अपने कमरे में ले गया। वहां पहले से ही बिस्तर पर एक पतली चादर बिछी हुई थी। कमरे में हल्की सी अंधियारी रोशनी थी, जिससे माहौल और भी गर्म लग रहा था। रंडी ने कमरे में घुसते ही अपनी टी-शर्ट उतार दी, और अक्षय ने उसकी गोरी चमड़ी को देखकर अपने लंड को कसकर पकड़ लिया।

“जल्दी करो, किसी भी वक्त मेरी मां आ सकती है,” अक्षय ने कहा।

रंडी मुस्कुराई और बोली, “जल्दी नहीं, मजा लेना है तो धीरे-धीरे।”

अक्षय उसे पलंग पर लेटा कर उसके होंठों पर किस करने लगा। उसकी सांसें तेज हो रही थीं।

करीब 20 मिनट तक दोनों मस्त चुदाई कर रहे थे। रंडी के उभारों को दबाते हुए अक्षय पूरी तरह से खो चुका था, जब अचानक दरवाजे पर मां के कदमों की आहट हुई। अक्षय ने जान-बूझकर दरवाजा बंद नहीं किया था, जिससे मां सीधा कमरे में आ सकें।

मां ने जैसे ही कमरे में कदम रखा, उनकी आंखें फटी रह गईं। उन्होंने देखा कि उनका बेटा एक औरत के ऊपर लेटा हुआ था, और दोनों बुरी तरह से उलझे हुए थे।

“अक्षय! ये क्या कर रहे हो?” आशा ने तेज आवाज में कहा।

अक्षय ने तुरंत ऊपर से हटते हुए अपनी पैंट पहन ली। रंडी ने जल्दी से अपना दुपट्टा उठा कर अपने उभारों को ढक लिया।

“मां, मैं क्या करता? लड़का हूं, जरूरत पड़ती है,” अक्षय ने थोड़ा झिझकते हुए कहा।

आशा ने रंडी को गुस्से में घूरा, “तुम यहां से निकलो, और दोबारा कभी मेरे घर मत आना!”

रंडी बिना कुछ कहे कमरे से बाहर निकल गई।

मां ने अक्षय को घूरते हुए कहा, “ये सब क्या हो रहा है? घर में ऐसी हरकतें?”

अक्षय ने थोड़ा शांत होकर कहा, “मां, आपने ही तो अपनी सहेलियों से कहा था कि लड़के-लड़कियां 18-19 की उम्र में चुदाई करने लगते हैं। तो मैंने क्या गलत किया?”

आशा थोड़ी चुप हो गई। उसने खुद को संभालते हुए कहा, “मैंने मजाक किया था। इसका मतलब ये नहीं कि घर में रंडी बुलाओ।”

अक्षय ने मां की ओर देखते हुए कहा, “मां, मैं क्या करूं? गर्लफ्रेंड नहीं है। आप ही मेरी मदद कर सकती हैं।”

आशा ने आंखें तरेरते हुए कहा, “अक्षय, ये गलत है। मैं तुम्हारी मां हूं।”

अक्षय मुस्कुराया और बोला, “तो? चुदाई से कौन सा नुकसान होता है। आप भी तो अपनी सहेलियों से कहती हैं कि पापा जल्दी झड़ जाते हैं और आपकी प्यास अधूरी रह जाती है।”

मां ने कुछ देर सोचा, फिर रसोई की तरफ चली गई।

अगले दिन जब अक्षय लंच के लिए बैठा, तो मां चुपचाप उसके पास आकर बैठ गईं। उनके चेहरे पर हल्की झिझक थी, लेकिन उनकी आंखों में कुछ और ही था।

“अक्षय,” मां ने धीरे से कहा, “मैं समझती हूं कि तेरी उम्र में ये सब होता है। लेकिन किसी बाहर वाली के साथ मत किया कर। कोई बीमारी हो सकती है।”

अक्षय ने तपाक से कहा, “तो आप ही मेरी मदद कर दो न, मां।”

आशा ने उसे घूरा और कहा, “तू पागल हो गया है। मैं तेरी मां हूं।”

अक्षय मुस्कुराया और धीरे से बोला, “मां, पोर्न में भी तो सब होता है। मां-बेटे की चुदाई से भी मजा आता है।”

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आशा का चेहरा लाल हो गया। उन्होंने तुरंत बात पलटने की कोशिश की, लेकिन अक्षय वहीं रुका रहा। उसके अंदर एक अजीब सा जुनून जाग चुका था।

रात को जब मां चाय लेकर अक्षय के कमरे में आईं, तो अक्षय ने उन्हें पकड़कर दीवार से लगा दिया। उसने मां के होंठों के पास जाकर हल्का सा फूंक मारा। आशा का बदन हल्का कांप उठा।

“अक्षय, ये क्या कर रहे हो?” आशा ने गुस्से से कहा।

“मां, बस एक बार ट्राय कर लो। अगर अच्छा न लगे तो छोड़ देंगे,” अक्षय ने उनकी कमर पर हाथ फेरते हुए कहा।

आशा ने कुछ देर सोचा और धीरे से कहा, “पागल मत बन, तेरा दिमाग खराब हो गया है।”

लेकिन अक्षय ने हार नहीं मानी। उसने मां की साड़ी के पल्लू को हल्का खींचते हुए उनके गालों पर हल्का सा किस कर दिया। आशा ने झटके से खुद को दूर किया, लेकिन उनकी आंखों में साफ दिख रहा था कि वह भी कहीं न कहीं इसे महसूस कर रही थीं।

अगली सुबह जब पापा दुकान चले गए, तो अक्षय चुपचाप रसोई में गया। मां किचन के काउंटर पर चाय बना रही थीं। अक्षय ने पीछे से जाकर उनकी कमर पकड़ ली। आशा ने हड़बड़ा कर कहा, “अक्षय, छोड़ो मुझे। पापा कभी भी आ सकते हैं।”

“पापा को दुकान पर देर लगेगी, मां। बस एक बार।” अक्षय ने उनके कान में धीरे से फुसफुसाया।

आशा ने उनकी ओर घूर कर देखा, मगर अक्षय की आंखों में देखकर उनकी झिझक टूटने लगी। वह पलट कर अक्षय के पास आईं और हल्के से बोलीं, “किचन में नहीं। अपने कमरे में आओ।”

अक्षय के लिए यह सुनहरा मौका था। वह मां के पीछे-पीछे उनके कमरे तक गया। मां पलंग पर बैठ गईं, और अक्षय ने दरवाजा हल्के से बंद कर दिया।

“क्या कर रहे हो, अक्षय? यह गलत है,” आशा ने धीमे स्वर में कहा, मगर उनके स्वर में दृढ़ता नहीं थी।

“मां, हमें कोई नहीं देख रहा,” अक्षय ने धीरे से उनके गाल सहलाते हुए कहा।

आशा ने कुछ नहीं कहा। अक्षय ने उनकी साड़ी का पल्लू उतारा और उनके निप्पलों के ऊपर से उनके ब्लाउज को सहलाने लगा। मां ने अपनी आंखें बंद कर लीं। अक्षय ने धीरे-धीरे उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए, और उनकी 36D की भरी चूचियां बाहर आ गईं।

“क्या मस्त चूचियां हैं, मां। लगता है पापा ने इनकी कदर ही नहीं की,” अक्षय ने कहते हुए उनके निप्पल चूसना शुरू कर दिया।

“आह… अक्षय,” आशा के मुंह से हल्की कराह निकली।

“तू अब मेरी रंडी है, मां। तेरी चूत को मस्त चाटूंगा,” अक्षय ने कहा और नीचे झुककर उनकी पैंटी के ऊपर से चूत को चाटना शुरू कर दिया।

अब आशा ने भी हार मान लिया था और उसने सोचा अगर जो ख़ुशी उसे पति से नहीं मिली शायद बेटे से ही मिल जाये और वैसे भी बेटा अब रंडियों के चक्कर में फसने लगा है, उससे अच्छा है अपनी माँ की प्यास बुझाये।

“अब चोद दे मुझे, अक्षय। मुझसे अब और सहा नहीं जाता,” आशा ने तड़पते हुए कहा।

“चोदूंगा तो सही मां, लेकिन मेरी तीन शर्तें हैं,” अक्षय ने कहा।

“क्या चाहिए तुझे अब, मादरचोद?” आशा ने गुस्से में कहा।

“पहले मेरी बात मान मां, फिर चोदूंगा।”

“सब मानूंगी, बस अब चोद दे,” आशा ने जल्दी से कहा।

अक्षय ने उनके ब्लाउज को उतार दिया, और मां ने खुद अपनी ब्रा खोल दी। अक्षय ने मां को खड़ा करके कहा, “मेरे कपड़े खोल, रंडी।”

आशा खड़ी हुईं और अक्षय के कपड़े खोलने लगीं। उनके हाथ कांप रहे थे, लेकिन उनका चेहरा गवाही दे रहा था कि वह पूरी तरह तैयार थीं।

अक्षय ने मां को पलंग पर लिटाया और उनकी चूत पर हल्का सा चूमा।

“अब 69 की पोजीशन में आ मां,” अक्षय ने कहा।

आशा ने अक्षय के ऊपर आकर उसका लंड मुंह में भर लिया। अक्षय ने उनकी चूत को खोलकर चाटना शुरू कर दिया।

“आह… अक्षय… और कर,” आशा ने कराहते हुए कहा।

अक्षय ने उनके बाल पकड़कर गुस्से से कहा, “अब तू मेरी कुतिया बन, मां। डॉगी स्टाइल में चोदूंगा तुझे।”

आशा तुरंत घुटनों के बल आ गईं। अक्षय ने अपने लंड पर थूक लगाया और उनकी चूत पर रगड़ते हुए एक ही झटके में अंदर डाल दिया। आशा के मुंह से जोर की चीख निकली।

“आह्ह्ह… मर गई, अक्षय… धीरे कर,” आशा ने चिल्लाते हुए कहा।

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“चुप रंडी। अब मजा आएगा,” अक्षय ने उनकी गांड पर थप्पड़ मारते हुए कहा और तेज-तेज धक्के मारने लगा।

“अक्षय… तू तो तेरे बाप से बड़ा मर्द निकला,” आशा ने कहा।

कुछ ही देर में दोनों झड़ गए और वहीं पलंग पर निढाल लेट गए।

अक्षय और आशा पलंग पर निढाल पड़े थे। दोनों की सांसे तेज़ चल रही थीं। आशा ने अपनी आंखें बंद कर लीं, मगर उनके चेहरे पर एक अजीब संतुष्टि थी। अक्षय ने उनकी नंगी कमर पर हल्के-हल्के हाथ फेरते हुए कहा, “मां, तू तो सच में पूरी रंडी है। तेरा बदन कितना मस्त है।”

आशा ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “तेरे बाप ने कभी इस तरह प्यार नहीं किया। तू तो पूरा जानवर है।”

अक्षय ने उनके चेहरे को दोनों हाथों में लिया और उनके होंठों पर हल्की सी किस की। फिर बोला, “अब तो जब पापा दुकान पर होंगे, हम रोज मस्ती करेंगे।”

आशा ने उसे गुस्से से देखा, मगर उनके होंठों पर मुस्कान थी। “बदमाश कहीं का! लेकिन हां, पापा को कभी इस बारे में मत बताना, वरना बहुत बड़ा झगड़ा हो जाएगा।”

अक्षय हंसा और बोला, “पापा को क्यों बताऊंगा, मां? ये तो हमारा सीक्रेट है।”

आशा उठने लगीं, लेकिन अक्षय ने उनका हाथ पकड़कर उन्हें वापस पलंग पर खींच लिया। “कहां जा रही हो, रंडी? अभी तो असली मजा शुरू हुआ है।”

“पागल मत बन, अक्षय। अब नहीं। पापा आने वाले होंगे,” आशा ने हल्के गुस्से से कहा।

अक्षय ने उनके कान के पास जाकर फुसफुसाते हुए कहा, “तेरी चूत अभी भी गीली है, मां। एक और राउंड करते हैं।”

आशा ने उसे हल्के से धक्का देते हुए कहा, “बस कर अब। पापा आएंगे तो देख लेंगे।”

अक्षय ने उनकी गांड पर हल्की सी चपत लगाई और कहा, “ठीक है, लेकिन रात में फिर मस्त चुदाई करेंगे।”

आशा उठकर अपने कपड़े पहनने लगीं। उनके शरीर पर जगह-जगह अक्षय के प्यार के निशान थे। उन्होंने साड़ी पहनी और रसोई की तरफ बढ़ गईं।

अक्षय पलंग पर पड़ा उनके जाने को देखता रहा और अपने लंड को हल्के-हल्के सहलाने लगा। “आज रात को फिर से मम्मी की गांड मारूंगा,” उसने मन में सोचा।

रात को जब पापा दुकान से लौटे, तो अक्षय और आशा ने सब कुछ सामान्य रखने की पूरी कोशिश की। आशा ने अक्षय की ओर देखते हुए हल्की मुस्कान दी, जिसे देख अक्षय समझ गया कि रात को कुछ और मजा मिलने वाला है।

रात के खाने के बाद जब पापा टीवी देख रहे थे, तो अक्षय चुपके से मां के पास जाकर फुसफुसाया, “रात को जल्दी आ जाना मेरे कमरे में।”

आशा ने हल्की मुस्कान के साथ उसकी तरफ देखा और धीमे से सिर हिलाया। पापा को शक न हो, इसलिए वह ज्यादा कुछ नहीं बोलीं।

आधी रात को जब पापा गहरी नींद में सो गए, तो आशा चुपके से अक्षय के कमरे में आईं। अक्षय ने दरवाजा हल्के से बंद किया और उन्हें पीछे से कसकर पकड़ लिया।

“आ गया तू फिर से? पागल है क्या?” आशा ने मुस्कुराते हुए कहा।

“हां, और आज तुझे जमकर चोदूंगा, मां। तेरा बदन अभी और प्यासा है,” अक्षय ने कहा और उनकी साड़ी को नीचे सरकाने लगा।

इस बार दोनों ने बिना किसी हिचकिचाहट के पूरी रात मस्ती की। अक्षय ने आशा को हर तरह से चोदा – पलंग पर, फर्श पर, और आखिर में बाथरूम में भी।

सुबह जब पापा जागे, तो आशा रसोई में चाय बना रही थीं और अक्षय अपने कमरे में निढाल पड़ा था। उनके चेहरों पर रात की मस्ती का असर साफ दिख रहा था।

“अब तो ये रोज का सिलसिला बनेगा,” अक्षय ने खुद से कहा और मां की तरफ देखते हुए मुस्कुराया। आशा ने भी हल्के से मुस्कान दी और सिर हिलाया।

कहानी समाप्त।

 

 

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