माँ बेटी की चुदाई

Naukrani aur Beti ki Chudai Kahani मैं एक बिजनेसमैन हूँ। उम्र 65 साल, लंबा कद, गोरा रंग, और मज़बूत शरीर। चालीस साल से बिजनेस की दुनिया में हूँ, और इस लंबे करियर में मैंने खूब पैसा और रसूख कमाया। शहर में लोग मुझे ‘साहब’ कहकर पुकारते हैं। मेरा सबसे बड़ा शौक है औरतों का जिस्म। जवानी से लेकर अब तक मैंने कई औरतों के साथ रंगरलियाँ मनाई हैं। मेरा लंड हर रोज़ एक नई चूत की तलाश में रहता है। बीवी को चोदने में अब मज़ा नहीं आता, वो बूढ़ी हो चुकी है। वैसे भी, अपनी बीवी को चोदने में वो मज़ा कहाँ जो किसी पराई औरत की चूत मारने में आता है। मैंने अपने बच्चों की टीचर को चोदा, घर में काम करने वाली हर नौकरानी को बिस्तर पर लिटाया। ये सब मैं बहुत छुपाकर करता हूँ, ताकि मेरी इज्ज़त बनी रहे।

मेरे बंगले में सात नौकर काम करते हैं। सबको बंगले के पीछे क्वार्टर दिए हैं। उनमें से एक है पाशा, उसकी बीवी बानो, 37 साल की, घर में सफाई का काम करती है। बानो के मम्मे इतने बड़े हैं कि उसकी साड़ी उन्हें ढक नहीं पाती। उसकी गांड भी मोटी और रसीली है। उसे देखकर लगता है कि पाशा उसकी प्यास नहीं बुझाता। एक दिन बानो मेरे कमरे में आई, बोली, “साहब, सफाई करनी है।” उसने साड़ी का पल्लू ऊपर बांधा और झुककर झाड़ू लगाने लगी। उसकी गोरी, मोटी टाँगें दिख रही थीं। पल्लू ऐसा बंधा था कि उसके भारी मम्मे मुझे ललचा रहे थे। मैंने कहा, “बानो, बाद में सफाई करना, पहले इधर आ।” वो बोली, “साहब, मेरा आदमी इधर आ गया तो देखेगा।” मैंने फट से फोन उठाया और पाशा को अकिल के पास फाइल लेने भेज दिया। अब बानो मेरे सामने खड़ी थी। मैंने कहा, “बानो, तू अपने मम्मे दिखा रही है, लगता है तेरे बदन में आग लगी है।” वो शरमाई, फिर बोली, “साहब, पाशा कुछ काम का नहीं। उसका लंड खड़ा ही नहीं होता, और अगर होता भी है तो झट से पानी निकल जाता है। मैं तो बस गर्म रह जाती हूँ, मेरी खुजली शांत नहीं होती।”

मैंने पूछा, “तू किसका लगाती है?” वो बोली, “पाशा के भाई का, लेकिन वो अब गाँव चला गया।” मैंने कहा, “तो अब मैं तेरी खुजली मिटाता हूँ। कपड़े उतार, नंगी हो जा। बिस्तर पर लेटकर अपनी चूत खोलकर दिखा, अपनी गांड का छेद दिखा।” बानो बिस्तर पर लेट गई। उसने दोनों हाथों से अपनी चूत खोली, उसकी गोल, रसीली गांड का छेद भी दिखाया। उसकी चूत गीली थी, जैसे आग लगी हो। वो बोली, “साहब, मेरी बुर में अपना लौड़ा घुसाओ, मेरी खुजली शांत करो। आपके लौड़े के लिए मैंने नंगी होकर चूत खोल दी।” मैंने पैंट खोली, मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकला। मैंने उसकी चूत पर लंड रगड़ा, धीरे-धीरे उसे और गर्म किया। उसकी चूत से पानी टपक रहा था। मैंने उसके मम्मों को चूसा, उसके काले निप्पल मुँह में लेकर हल्का सा काटा। “आह्ह… साहब… और चूसो…” वो सिसकारियाँ भर रही थी। मैंने उसकी गांड को दोनों हाथों से मसला, उसकी चूत में लंड डालकर धीमे-धीमे धक्के मारने लगा। “उम्म… साहब… आह्ह… कितना मोटा है आपका…” बानो की आवाज़ में प्यास थी। मैंने धक्कों की रफ्तार बढ़ाई, कमरे में ‘थप-थप’ की आवाज़ गूँज रही थी। वो अपने पैरों से मुझे जकड़ रही थी, जैसे मुझे और अंदर खींचना चाहती हो।

बानो गरम हो चुकी थी। वो बोली, “साहब, पाशा तो चूतिया है, उसका खड़ा नहीं होता। उसका भाई मादरचोद गाँव चला गया। आप चोदो, मेरी बुर की आग बुझाओ।” उसकी गंदी बातों से मेरा जोश और बढ़ गया। मैंने उसके मम्मों को और ज़ोर से दबाया, उसकी चूत में लंड को गहरे तक ठूँसा। “आह्ह… साहब… और ज़ोर से… मेरी बुर फाड़ दो…” वो चिल्ला रही थी। तभी अचानक दरवाज़ा खुला और मेरी बीवी सुधा अंदर आ गई। उसने देखा कि मैं उसकी नौकरानी की बीवी को नंगी करके चोद रहा हूँ। बानो घबरा गई, लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने धक्के जारी रखे। सुधा गुस्से में बोली, “मेरे होते हुए तू एक नौकरानी के साथ ये सब कर रहा है?” मैंने बानो को चोदते हुए कहा, “सुधा, तेरी उम्र हो गई। मुझे जवानी चाहिए। देख, बानो कितनी गर्म है, इसके मम्मे, इसकी चूत, सब जवानी से भरे हैं। इसे मेरे लंड से अपनी खुजली मिटानी थी। तू जा, मुझे मज़ा लेने दे।” सुधा चिल्लाई, “मैं ये नहीं चलने दूँगी!” मैंने बानो की चूत में और ज़ोर से धक्के मारते हुए कहा, “सुधा, तू अपने कमरे में जा और आराम कर। मुझे रंडियों का मज़ा लेने दे।” मैंने बानो को देर तक चोदा। मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक गया, और आखिर में मेरा वीर्य उसकी चूत में गिरा। “आह्ह… साहब… कितना गर्म है आपका माल…” बानो सिसकारी। वो भी झड़ चुकी थी। जाने से पहले बोली, “साहब, मेरी बुर को भूलना नहीं। मुझे अपनी रंडी बनाकर रखो।” पाशा आया तो बानो चली गई। मैंने बानो को मेरे कमरे की सफाई का काम दे दिया। सुधा के कमरे की सफाई भी अब बानो ही करती थी। मालकिन और नौकरानी, दोनों एक ही लंड से चुद रही थीं।

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एक दिन पाशा मेरा ड्रिंक बना रहा था। तभी एक 18-19 साल की लड़की आई और बोली, “बाबा, अम्मा ने बुलाया है।” पाशा ने बताया कि ये उसकी बेटी मनु है। मेरा लंड तन गया। मनु की जवानी देखकर मेरी आँखें चमक उठीं। उसके बड़े-बड़े मम्मे, भारी गांड, और चलते वक्त हिलती कमर ने मुझे पागल कर दिया। मैं उसकी चूत देखने को बेताब हो गया। अगले दिन बानो आई, उसने कपड़े उतारे और नंगी हो गई। मैंने उसके मम्मों को चूसा, उसकी चूत में उंगली डाली, और उसे गर्म कर दिया। जब उसकी चूत में आग लग गई, मैंने कहा, “साली, अपने मर्द को छोड़कर मालिक से चुदवाती है, रंडी। जा, अपने मर्द का ढीला लंड ले अपनी बुर में, कुतिया।” वो बोली, “साहब, मेरा मर्द कुछ चोद ही नहीं पाता। आप ही चोदो।” मैंने कहा, “तेरी चूत मारने में अब मज़ा नहीं आता, हरामज़ादी।” मैं उसे चोदने के बाद पैसे देता था। बानो डर गई कि अब ना पैसा मिलेगा, ना लंड। वो बोली, “साहब, मैं आपकी रंडी हूँ, मुझे लगाओ।” मैंने कहा, “तेरी चूत की प्यास बुझा दूँगा, लेकिन तुझे मेरा एक काम करना होगा। मनु को मेरे साथ चुदवाने के लिए तैयार कर।” वो बोली, “साहब, वो मेरी बेटी है, मैं ये कैसे करूँ?” मैंने कहा, “अगर तूने ये नहीं किया तो मैं तुम सबको नौकरी और घर से निकाल दूँगा।” बानो गर्म हो चुकी थी, बोली, “साहब, जो आप कहेंगे, मैं करूँगी। बस मेरी बुर चोदो।” मैंने उसकी चूत में लंड डाला और जानवर की तरह उसे पेला। “आह्ह… साहब… और ज़ोर से… मेरी बुर फाड़ दो…” वो चिल्ला रही थी। माँ और बेटी दोनों को चोदने का ख्याल मेरे लंड को और सख्त कर रहा था। मैंने बानो की खूब चुदाई की, और वो शांत हो गई। उसने कहा, “साहब, मैं मनु को काम के लिए भेजूँगी।”

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अगले दिन मनु सफाई करने आई। सुधा भी खुश थी कि अब बानो नहीं आती। मनु झाड़ू लगा रही थी, और मैं ड्रिंक लेकर उसे देख रहा था। मैंने कहा, “मनु, सफाई छोड़, इधर आ।” मैंने उसे शरबत दिया। वो पीने लगी। मैंने कहा, “मनु, तू बहुत खूबसूरत है।” वो शरमाई। मैंने कहा, “तू इतनी गोरी है, क्या तेरा पूरा बदन इतना ही गोरा है?” वो बोली, “नहीं साहब, पहले मैं बहुत पतली थी। अब जाकर ऐसा बदन हुआ है।” मैंने कहा, “पास आकर दिखा, तू कैसी है।” वो पास आई। मैंने उसके मम्मों की तरफ इशारा करके कहा, “तू तो बड़ी हो गई है।” वो फिर शरमाई। मैंने पूछा, “बड़ी होने के बाद तूने वो किया जो बड़े लोग करते हैं? तुझे पता है ना बड़े क्या करते हैं?” वो डर गई। मैंने कहा, “डर मत, बता।” वो बोली, “मैंने अम्मा और चाचा को देखा है।” मैंने पूछा, “तूने क्या देखा?” वो बोली, “चाचा को हम काकू बुलाते हैं। काकू मेरा फ्रॉक उठाकर देखता था। बोलता था, मस्ती का खेल खेलेंगे। फिर अपना पजामा खोलकर अपना लंड दिखाता था। मेरे मम्मे दबाता था, मेरे हाथ में अपना लंड देता था। अम्मा को पता चला तो काकू को निकाल दिया।” मैंने सोचा, बानो काकू से चुदवाती थी। जब काकू ने मनु पर नज़र डाली, तो बानो ने उसे निकाल दिया और अपनी चूत की खुजली मेरे लंड से मिटाने लगी।

मैंने मनु को 100 रुपये दिए, वो चली गई। अगले दिन वो फिर काम करने आई। मैंने कहा, “मनु, इधर आ। मेरे बदन पर तेल लगा।” मैं सिर्फ अंडरवियर में बिस्तर पर लेट गया। मैंने कहा, “मैंने कम कपड़े पहने हैं, लोग देखेंगे, दरवाज़ा बंद कर दे।” मनु ने तेल लगाना शुरू किया। उसका नरम हाथ मेरे बदन पर घूम रहा था। कुंवारी लड़की का मज़ा ही अलग होता है। मैं बहुत गर्म हो गया। मेरा लंड अंडरवियर में तन गया। मैंने पैर फैलाए, और मनु मेरी जाँघों पर तेल लगा रही थी। मैंने कहा, “मनु, तेरा काकू अच्छा था या मेरा?” वो डर गई। मैंने कहा, “डर मत, देखके बता।” मैंने अंडरवियर से लंड बाहर निकाला। मनु शरमाने लगी, लेकिन उसकी आँखें मेरे लंड पर टिकी थीं। मैंने कहा, “इस पर तेल लगा, डर मत, मैं कुछ नहीं करूँगा।” मनु ने धीरे-धीरे तेल लगाना शुरू किया। मैंने पूछा, “तेरी अम्मा और काकू क्या करते थे, सब बता।” वो बोली, “अम्मा काकू को लेकर पलंग पर जाती थी। मुझे बाहर जाने को कहती थी। मैं खिड़की की दरार से देखती थी। अम्मा साड़ी ऊपर करती थी, ब्लाउज़ के बटन खोलती थी। काकू अपना लंड निकालकर अम्मा की चूत में डालता था। दोनों को मज़ा आता था। काकू ऊपर-नीचे हिलता था, अम्मा के मम्मे चूसता था। फिर काकू के लंड से सफेद गाढ़ा पानी निकलता था। फिर काकू चला जाता था, और अम्मा मुझे बुलाती थी।” मैंने पूछा, “ये देखकर तुझे भी मन करता है ना ये सब करने का?” वो शरमाई और डर गई। मैं समझ गया कि मनु को ये सब अच्छा लगता है, तभी वो काकू का लंड हाथ में लेती थी। मनु के हाथ मेरे लंड पर चल रहे थे। मैं इतना गर्म हो गया कि उसके हाथ में ही झड़ गया। “आह्ह…” मैं सिसकारा। मैंने कहा, “मनु, देख, जो तेरी अम्मा की चूत में काकू का निकलता था, वही तेरे हाथ में निकल गया।” वो शरमाई। मैंने कहा, “मनु, तू मेरा ध्यान रख, मैं तुझे अच्छे कपड़े और गहने दूँगा।” मनु खुश होकर चली गई।

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मुझे काम के लिए बाहर जाना पड़ता था। मैंने कभी बाहर रंडी नहीं खरीदी, क्योंकि उससे बीमारी हो सकती है। बाहर जाने पर चोदने की तलब लगती थी। छह दिन बाद जब मैं लौटा, तो मनु के लिए कपड़े लाया। वो बहुत खुश हुई। मैंने पूछा, “तेरी अम्मा क्या करती थी?” वो बोली, “अम्मा वॉचमैन के साथ वही करती थी जो काकू के साथ करती थी।” मैंने कहा, “मनु, मेरे पास आ। तूने मेरे लंड पर तेल लगाया, अब तू मुझे अपनी चूत दिखा, हिसाब बराबर होगा।” वो शरमाई। मैंने उसका घाघरा ऊपर किया, उसे पलंग पर लिटाया, और उसकी चड्डी नीचे खींच दी। उसकी चूत गोरी थी, उस पर हल्के-हल्के बाल थे। मैंने उसकी चूत को सूँघा, फिर उंगलियों से सहलाया। मैंने उसकी चूत चाटनी शुरू की। “आह्ह… साहब…” मनु सिसकारी। उसे मज़ा आने लगा। तभी मैंने खिड़की से देखा कि सुधा दूर से आ रही थी। मैं रुक गया। मैंने मनु को जाने को कहा। वो खुश थी, क्योंकि उसे कपड़े मिले थे, और मैंने सिर्फ उसकी चूत देखी, कुछ किया नहीं। सुधा कुछ कागज़ लेकर चली गई। लेकिन मेरा लंड, जो मनु की चूत देखकर तन गया था, उसे शांत करना था। मैंने बानो को बुलाया। वो आई, दरवाज़ा बंद किया, और मेरी पैंट खोलकर मेरा लंड चूसने लगी। “उम्म… साहब, आपका लौड़ा कितना मोटा है…” वो बोली। उसने अपने कपड़े उतारे, पलंग पर लेट गई, और मेरा लंड अपनी चूत पर रखकर बोली, “साहब, अपनी रंडी की चूत पेल दो। बहुत दिन से इस रंडी को लौड़ा नहीं लगा।” मैंने उसकी चूत में लंड घुसाया और ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगा। “थप-थप-थप…” कमरे में आवाज़ गूँज रही थी। मैंने कहा, “बानो, तेरी चूत तो अब भोसड़ा हो गई है। कितनों का लंड लिया तूने? मरद के भाई से चुदवाती है, वॉचमैन का लंड लेती है, चिनाल, कितने लौड़े खाती है, रंडी।” वो बोली, “साहब, मेरा मरद चोदता नहीं। मेरी बेटी भी मेरे मरद की नहीं, मेरे पिछले साहब की है।” मैं बानो पर चढ़ गया, बोला, “रंडी, तुझे लंड का इतना शौक है तो मेरे दोस्तों को खुश कर, इनाम दूँगा।” वो बोली, “साहब, आप बताओ, किसका लगाना है, मैं पैर खोल दूँगी।” उसकी बातों से मैं और जोश में आ गया। मैंने उसे और ज़ोर से चोदा। “आह्ह… साहब… मेरी बुर मारो… और ज़ोर से…” वो चिल्ला रही थी। मेरा वीर्य उसकी चूत में निकला। ये सुनकर खुशी हुई कि मनु उसके पिछले मालिक की बेटी है। अब मनु को चोदने में और मज़ा आएगा।

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