खेत में हगने आई भाभी ने चुदवाया

मेरे घर में मेरी सौतेली माँ, भाभी और मैं रहते थे। मेरे पिताजी ने कम उम्र की औरत से शादी की थी, जो मेरी सौतेली माँ बनीं। उनकी उम्र 35 साल थी, और वो गाँव की सबसे हसीन औरतों में से थीं। उनकी गोरी चमड़ी, भरे हुए बोबे और मटकती गाण्ड हर मर्द का दिल धड़का देती थी। मेरे पिताजी और भैया की एक हादसे में मौत हो गई थी, जब भैया की शादी को बस तीन महीने हुए थे। तब से माँ खेतों का काम संभालती थीं, और भाभी घर का सारा काम देखती थीं। मैं, विभूति, उनका लाड़ला था, और दोनों मुझे बहुत प्यार करती थीं।

बचपन से मैं माँ के साथ खेतों में लेट्रिंग के लिए जाता था। हमारे गाँव में बाथरूम की सुविधा नहीं थी, तो सभी औरतें-मर्द खेतों में ही हगने जाते थे। हमारे घर के पीछे कुछ दूरी पर खेत थे, जहाँ गाँव की सारी औरतें लेट्रिंग के लिए आती थीं। माँ मुझे अपने पास बिठाती थीं, और मैं रोज उनकी चूत और गाण्ड देखता था। लेट्रिंग के बाद माँ मुझे नहलाती थीं, और नहाने से पहले मेरे लण्ड की तेल से मालिश करती थीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लण्ड पर फिसलती थीं, और वो प्यार से उसे सहलाती थीं, जैसे कोई अनमोल चीज हो।

भाभी के आने के बाद, कई बार मैं उनके साथ भी लेट्रिंग के लिए जाता था। भाभी भी मेरे लण्ड की मालिश करती थीं, और उनकी नरम-नरम हथेलियाँ मेरे लण्ड को और सख्त कर देती थीं। उनकी चूत देखते वक्त मेरे मन में अजीब सी हलचल होती थी, पर मैं कुछ बोलता नहीं था। लेकिन जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ, मैंने अकेले ही लेट्रिंग जाना शुरू कर दिया। अब मैं 22 साल का गबरू जवान था, रोज कसरत करता था, और मेरी बॉडी मस्त मस्कुलर हो गई थी। मेरा लण्ड भी अब पहले से ज्यादा लंबा और मोटा हो गया था, जिसे देखकर गाँव की औरतें सिसकियाँ भरती थीं।

हर सुबह नहाने से पहले, भाभी या माँ मुझे तेल देती थीं लण्ड की मालिश के लिए। उनकी नजरें मेरे लण्ड पर टिकती थीं, और मुझे लगता था कि वो सिर्फ मालिश नहीं, कुछ और भी चाहती थीं। एक दिन माँ की तबियत खराब थी, तो वो जल्दी सो गईं। मैं रात को लेट्रिंग के लिए निकलने वाला था, पानी का डिब्बा उठाया ही था कि भाभी ने हँसते हुए टोका, “अरे देवर जी, कहाँ चले हगने?”

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “भाभी, बस हग कर आता हूँ।”

भाभी ने ठहाका लगाया, “पहले तो मेरे साथ हगने जाते थे, और अब अकेले-अकेले? कहीं गाँव की दूसरी औरतों के साथ तो नहीं हगते?”

उनकी बात सुनकर मैं शरमा गया, “भाभी, आपने ही तो मेरे साथ हगना बंद कर दिया, और अब मुझ पर इल्जाम?”

भाभी ने आँख मारी, “कोई बात नहीं, बंद किया तो क्या, अब फिर से शुरू कर देते हैं। चलो, आज मेरे साथ चलो।”

मैंने हँसते हुए कहा, “ठीक है, चलो।”

हम दोनों घर के पीछे खेतों की तरफ निकल पड़े। रास्ते में भाभी आगे-आगे चल रही थीं, और उनकी गाण्ड साड़ी में मटक रही थी। उनकी कमर पतली थी, और साड़ी उनकी गाण्ड के उभारों को और निखार रही थी। मैं उनके पीछे-पीछे चलते हुए उनकी मटकती गाण्ड देख रहा था, और मेरा लण्ड पैन्ट में तनने लगा। कुछ देर बाद हम खेतों में एक साफ जगह पर पहुँचे।

भाभी ने अपनी साड़ी ऊपर की और चड्डी नीचे खिसकाई। उनकी गोरी-गोरी टाँगें और झाँटों वाली चूत मेरे सामने थी। वो मेरे सामने हगने बैठ गईं। मैंने भी अपनी पैन्ट और अंडरवियर नीचे किया और हगने बैठ गया। भाभी ने मेरे लण्ड को घूरते हुए कहा, “अरे वाह, देवर जी, तुम्हारी नुन्नी तो अब पूरा लण्ड बन गया है।”

मैंने हँसते हुए जवाब दिया, “हाँ भाभी, ये तो आप और माँ की मेहरबानी है।”

हम दोनों हँस पड़े। भाभी ने फिर कहा, “पर इतने बाल क्यों हैं लण्ड पर? कभी साफ नहीं करते?”

मैंने शरमाते हुए कहा, “भाभी, इसके बारे में सोचा ही नहीं। और आपने भी तो कभी सिखाया नहीं।”

मैं उनकी चूत को गौर से देख रहा था। उनकी चूत की फाँकें साफ दिख रही थीं, और हल्का सा पानी उसमें चमक रहा था। भाभी ने मेरी नजर पकड़ ली और हँसते हुए बोलीं, “क्या देवर जी, किसी की चूत नहीं देखी जो मेरी चूत को ऐसे घूर रहे हो?”

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मैंने बिंदास जवाब दिया, “देखी तो बहुत हैं भाभी, और पेली भी हैं।”

भाभी ने चौंकते हुए पूछा, “क्या? कब? किसकी पेली?”

मैंने हँसते हुए कहा, “भाभी, मैं रोज खेतों में लेट्रिंग के लिए आता हूँ। गाँव की सारी औरतें यहीं आती हैं। अब तक हर औरत की चूत देख चुका हूँ—लड़कियाँ, भाभियाँ, यहाँ तक कि नई-नई दुल्हनें भी।”

भाभी ने आँखें चौड़ी करते हुए कहा, “अरे वाह, मेरा शेर! मैं तो तुम्हें बच्चा समझ रही थी, और तुम तो बाजी मार गए। सिर्फ देखी हैं, या कुछ किया भी है?”

मैंने ठहाका लगाया, “हाँ भाभी, जो औरत रात को चूत में खुजली लेकर यहाँ आती है, उसकी मैं खूब पेलता हूँ।”

भाभी ने गुस्से और मजाक के मिक्स टोन में कहा, “क्या विभूति, गाँव की सारी औरतों को चोदा, और घर की चूतों का ख्याल नहीं रखा?”

मैंने चौंकते हुए कहा, “मतलब? भाभी, मैं समझा नहीं।”

भाभी ने आँख मारी, “ज्यादा भोले मत बन। मैंने और माँ ने तुम्हारे लण्ड की इतनी मालिश की, और तुमने कभी हमारी तरफ ध्यान ही नहीं दिया।”

मैंने हैरानी से कहा, “भाभी, आपको और माँ को मैं कैसे चोद सकता हूँ?”

भाभी ने हँसते हुए जवाब दिया, “वाह! रोज लण्ड की मालिश करवा सकते हो, हमारे साथ हग सकते हो, नहा सकते हो, तो चोद क्यों नहीं सकते? और माँ की चिंता मत कर, वो तो सालों से तुम्हारे लण्ड के लिए तरस रही हैं। इसीलिए तो वो रोज तुम्हारे लण्ड की मालिश करती थीं।”

मैंने हैरानी से पूछा, “सच में?”

भाभी ने पक्के तौर पर कहा, “हाँ। एक दिन मैंने माँ को चूत में गाजर डालते देख लिया था। वो मुझे देखकर डर गई थीं, पर मैंने कहा कि इसमें छुपाने की क्या बात है। मैं भी तो उंगली या गाजर डाल लेती हूँ। तब माँ ने कहा कि अब समय आ गया है कि विभूति का लण्ड लिया जाए, ताकि उनकी चूत की प्यास बुझ सके।”

मैंने जोश में कहा, “अगर ऐसी बात है, तो मैं अब आप दोनों को कभी प्यासा नहीं रहने दूँगा। आज से गाँव की औरतों की चूत मारना बंद।”

भाभी ने हँसते हुए कहा, “नहीं-नहीं, गाँव की चूतों को भी चोदते रहना। उनकी भी प्यास बुझा दे, पर हम सास-बहू को रोज चोदना।”

मैंने हँसकर कहा, “ठीक है भाभी, जैसा आप कहें।”

हगते वक्त मेरा लण्ड खड़ा हो गया था। भाभी की नजर उस पर पड़ी, और वो बोलीं, “अरे, ये क्या? तेरा लण्ड तो अभी से तन गया! शायद रोज इस टाइम चुदाई करता होगा?”

हम दोनों हँस पड़े। हमने अपनी-अपनी गाण्ड धोई और घर की तरफ चल पड़े। घर पहुँचते ही भाभी ने देखा कि माँ सो रही थीं। उन्होंने दरवाजा बंद किया और मुझसे लिपट गईं। उनके नरम होंठ मेरे होंठों से टकराए, और हम दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। भाभी के होंठ इतने रसीले थे कि मैं खो सा गया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उनकी जीभ चूस रहा था। हमने करीब 15 मिनट तक एक-दूसरे के होंठ चूसे, जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो।

फिर मैंने भाभी के बोबे दबाने शुरू किए। उनके बोबे इतने बड़े और सख्त थे कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रहे थे। मैंने उनकी साड़ी ऊपर उठाई और चड्डी नीचे खींच दी। उनकी झाँटों वाली चूत मेरे सामने थी, और उसकी मादक गंध मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने उनकी चूत चाटनी शुरू की। कभी उनकी चूत की फाँकों को जीभ से सहलाता, तो कभी उनके दाने को चूसता। भाभी मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं और सिसकियाँ भरने लगीं, “आह्ह.. विभूति.. चाट.. मेरी प्यासी चूत को चाट.. आह.. उफ्फ.. इसे खा जा..”

उनकी चूत से खारा और चिकना पानी निकलने लगा, जिसे मैं चटकारे लेकर पी गया। भाभी ने एक बार झड़ने के बाद राहत की साँस ली। फिर वो उठीं और मेरी पैन्ट खोलने लगीं। मेरा लण्ड इतना सख्त था कि पैन्ट से निकालने में दिक्कत हो रही थी। आखिरकार उन्होंने मेरी पैन्ट और अंडरवियर उतार दिया। मेरा लण्ड देखकर वो बोलीं, “बाप रे, ये तो पहले से भी ज्यादा मोटा और लंबा हो गया है।”

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मैंने हँसते हुए कहा, “ये आप और माँ की मालिश का कमाल है।”

भाभी ने मेरा लण्ड हाथ में लिया और चूसने लगीं। मेरे लण्ड पर हल्की सी मूत की गंध थी, जो भाभी को और उत्तेजित कर रही थी। वो मेरे लण्ड का टोपा चूस रही थीं, और उनकी जीभ मेरे लण्ड के चारों तरफ घूम रही थी। मैं सिसकियाँ भर रहा था, “आह्ह.. भाभी.. क्या मस्त चूसती हो.. उफ्फ..”

करीब 10 मिनट तक चूसने के बाद मैंने कहा, “भाभी, बस करो, नहीं तो मुँह में ही झड़ जाऊँगा।”

पर भाभी ने मेरी बात अनसुनी की और चूसती रहीं। आखिरकार मैंने उनके मुँह में ही अपना सारा माल छोड़ दिया। भाभी ने एक-एक बूँद चटकारे लेकर पी ली। माल निकलने के बाद भी वो मेरा लण्ड चूसती रहीं, जिससे वो फिर से तन गया।

भाभी ने बिस्तर पर अपनी टाँगें चौड़ी कीं, और मैंने उनका इशारा समझ लिया। मैंने अपना लण्ड उनकी चूत पर सेट किया और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। उनकी चूत टाइट थी, क्योंकि भैया की मौत के बाद उन्होंने किसी से चुदाई नहीं की थी। मेरा लण्ड मुश्किल से अंदर जा रहा था। मैंने एक जोरदार झटका मारा, और भाभी दर्द से चिल्ला पड़ीं, “आह्ह.. विभूति.. आराम से.. मेरी चूत फट जाएगी..”

मैंने उनकी बात अनसुनी की और एक और झटका मारा। अब मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में था। भाभी की आँखों से आँसू निकल आए, पर कुछ देर बाद वो मजे लेने लगीं। मैंने उनकी चूत को जोर-जोर से पेलना शुरू किया। भाभी सिसकियाँ भर रही थीं, “आह.. विभूति.. फाड़ दे मेरी चूत.. उफ्फ.. और जोर से..”

हमारी चुदाई करीब 20 मिनट तक चली। इस बीच भाभी दो बार झड़ चुकी थीं। मैंने अपना माल उनकी चूत में नहीं डाला, बल्कि लण्ड निकालकर उनके मुँह में डाल दिया। कुछ ही झटकों में मैंने उनके मुँह में माल छोड़ दिया, और भाभी ने उसे पूरा पी लिया।

रात भर हमने चार बार चुदाई की। हर बार भाभी की चूत को मैंने अलग-अलग तरीके से पेला। कभी मैंने उन्हें घोड़ी बनाकर चोदा, तो कभी उनकी टाँगें कंधों पर रखकर। सुबह चार बजे हम थककर सो गए। सुबह जल्दी उठना पड़ा, क्योंकि गाँव का रूटीन ऐसा ही था। माँ भी सुबह उठ चुकी थीं, और उनकी तबियत अब ठीक लग रही थी।

सुबह मैं फिर अकेले लेट्रिंग के लिए खेतों में गया। वहाँ गाँव की एक नई दुल्हन, कोयल, जो कुछ दिन पहले अपने मायके आई थी, मेरे पास हगने बैठ गई। मैं उसकी चूत पहले भी मार चुका था। उसकी चूत अभी भी वैसी ही टाइट थी, जैसी शादी से पहले थी।

मैंने हँसते हुए कहा, “अरे कोयल, कब आई ससुराल से?”

वो हगते हुए बोली, “बस कल आई हूँ। तू बता, चुदाई का धंधा कैसा चल रहा है?”

मैंने उसकी चूत देखते हुए कहा, “मस्त चल रहा है। पर ये क्या, शादी के बाद भी तेरी चूत वैसी ही है?”

कोयल ने उदास होकर कहा, “क्या करूँ, मेरे पति में दम नहीं। जब से तुझसे चुदी हूँ, उनके लण्ड में मजा ही नहीं आता। अब तुझसे चुदवाने आई हूँ।”

मैंने कहा, “ठीक है, पर अभी थोड़ा बिजी हूँ। बाद में चोद दूँगा।”

कोयल ने हँसते हुए कहा, “हाँ, अब तो घर की चूतों को फाड़ने में लगा होगा।”

मैंने चौंककर पूछा, “तुझे कैसे पता?”

वो बोली, “कल रात मैं तुम्हारे पीछे-पीछे खेत में आई थी। सोचा था तुझसे चुदवा लूँ, पर भाभी साथ थी। मैंने छुपकर तुम दोनों की बातें सुन लीं।”

मैंने कहा, “क्या करूँ कोयल, भाभी ठीक कह रही थीं। भैया और पिताजी की मौत के बाद उनकी चूत प्यासी थी। उन्हें खुश रखना मेरी जिम्मेदारी है।”

कोयल ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, ठीक है। उन्हें खुश रख, पर मेरी चूत को भी चोद दे।”

मैंने हँसकर कहा, “ठीक है, अगली बार तुझे तीन बार चोदूँगा।”

हम दोनों हँसने लगे और अपनी-अपनी गाण्ड धोकर घर लौट गए। घर पहुँचते ही मैं नहाने गया। आज भाभी की जगह माँ ने मुझे तेल दिया और बोलीं, “ले बेटा, तेल। ठीक से मालिश करना। पहले तो हमारे हाथों से लगवाता था, अब माँ और भाभी से शर्माता है?”

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मैंने हँसते हुए कहा, “शर्म कैसी माँ, बस तुम्हारे हाथों में दर्द न हो, इसलिए खुद लगा लेता हूँ।”

माँ की आँखों में शरारत थी। वो बोलीं, “मेरे बेटे के लण्ड की मालिश से मेरे हाथ क्यों दुखेंगे? ये तो मेरी मेहनत है कि तेरा लण्ड इतना मस्त हो गया।”

मैंने उनकी बात सुनकर कहा, “ठीक है माँ, आज तुम ही मालिश कर दो।”

हम बाथरूम में गए। माँ ने गर्म पानी की बाल्टी भरी और बोलीं, “कपड़े उतार।” मैं कपड़े उतारने लगा, पर माँ ने पहले ही अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार दिया। वो सिर्फ सफेद चड्डी में थीं। उनके बड़े-बड़े बोबे मेरे सामने लटक रहे थे, और उनकी गोरी टाँगें किसी हूर की तरह लग रही थीं। मेरा लण्ड तुरंत तन गया।

माँ ने मेरे लण्ड को देखा और बोलीं, “बाप रे, विभूति, तेरा लण्ड तो अब पूरा मर्दों वाला हो गया है।”

मैंने कहा, “हाँ माँ, ये तुम और भाभी की मेहनत का नतीजा है।”

माँ ने मेरे लण्ड पर तेल लगाया और मालिश करने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लण्ड पर जादू कर रही थीं। वो जानबूझकर अपने बोबे मेरी टाँगों से टकरा रही थीं। मैं आँखें बंद करके मजे ले रहा था, और मेरे मुँह से सिसकियाँ निकल रही थीं, “आह.. माँ.. उफ्फ..”

अचानक माँ ने मेरा लण्ड मुँह में ले लिया। मैंने आँखें खोलीं और कहा, “ये क्या कर रही हो?”

माँ ने हँसते हुए कहा, “नई तरह की मालिश, बेटा। और वैसे भी, कल रात तेरी और भाभी की चुदाई की आवाजें मैंने सुन ली थीं।”

मैंने कहा, “तो माँ, तुम भी भाभी की तरह मालिश चाहती हो?”

माँ ने शरारती अंदाज में कहा, “मैं तो सालों से तेरे लण्ड के लिए तरस रही हूँ।”

मैंने माँ को खड़ा किया और उनके होंठ चूमने लगा। उनके होंठ इतने नरम थे कि मैं खो गया। मैंने उनके बोबे दबाने शुरू किए, जो इतने बड़े थे कि मेरे हाथों में समा ही नहीं रहे थे। फिर मैं नीचे बैठा और उनकी चड्डी उतार दी। उनकी चूत बिना बालों की, चिकनी और पानी से गीली थी। मैंने उनकी चूत चाटनी शुरू की। उनकी चूत की गंध मुझे पागल कर रही थी। माँ सिसकियाँ भर रही थीं, “आह.. बेटा.. चाट.. मेरी चूत को चाट.. उफ्फ..”

मैंने उनकी चूत का सारा पानी चाट लिया। फिर मैंने उनकी एक टाँग ऊपर की और अपना लण्ड उनकी चूत पर सेट किया। उनकी चूत टाइट थी, क्योंकि पिताजी की मौत के बाद उन्होंने कभी चुदाई नहीं की थी। मैंने धीरे से लण्ड डाला, पर वो दर्द से चिल्ला पड़ीं, “आह.. विभूति.. आराम से..”

मैंने एक जोरदार झटका मारा, और मेरा पूरा लण्ड उनकी चूत में घुस गया। माँ की आँखों से आँसू निकल आए, पर कुछ देर बाद वो मजे लेने लगीं। मैंने उनकी चूत को जोर-जोर से पेलना शुरू किया। माँ चिल्ला रही थीं, “फाड़ दे.. मेरी चूत को फाड़ दे.. आह..”

हमारी चुदाई लंबी चली। मैंने अपना सारा माल माँ की चूत में डाल दिया। जैसे ही मैं हाँफते हुए अलग हुआ, मैंने देखा कि भाभी बाथरूम के दरवाजे पर खड़ी थीं। वो अपनी चूत साड़ी के ऊपर से मसल रही थीं और हमारी चुदाई देख रही थीं। हम तीनों एक-दूसरे को देखकर हँस पड़े।

अब मैं रोज माँ और भाभी की चूत पेलता हूँ। कभी-कभी खेतों में गाँव की औरतों की चूत भी मार लेता हूँ। कोयल को भी मैंने अगले दिन खेत में चोदा, और उसकी चूत का पानी निकाल दिया। अब मेरा लण्ड गाँव में मशहूर हो गया है, और हर प्यासी चूत मेरे पास आती है।

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  1. मोटे लंबे टाइट हथियार की शौकीन संस्कारी घोड़ी या पाकिजा मोहतरमा है क्या कोई, जिसके संस्कार और मजहब अपनी गहराई नपवाना चाहते हो, जिसको चुपके से मजे लेने हो। ❤️ कोई स्कूल गर्ल, कॉलेज गर्ल, अविवाहित फीमेल, हाऊसवाईफ, तलाकशुदा महिला, विधवा, आंटी जो प्यासी या असंतुष्ट हो पुरी गुप्त तरीके से संबन्ध रखना चाहती हो तो पुरी privacy की गारंटी मेरी है बेहिचक मुझे इनबॉक्स में मेसेज करें ..❤️ मैं एक हाई प्रोफाइल ब्रीडर हूं, मैं इंजीनियर और हार्ड फकर हूं… मेरा मूसल लंड देखना चाहता हो तो Msg करो… चुत और लंड का कोई मजहब या धर्म नहीं होता..❤. ये दो तो बस एक दूसरे में समानाचाहते हैं ❤️💋😍

    औरत 🧕को जब येह यकीन हो जाए की जिस मर्द 🐂 से वो चुदवा रही है वो उसकी समाज में बनी प्रतिष्ठा को कोई आहत नही पहूँचायेगा और वही मर्द उसको चरम सुख 👉👌💦भी देता है तोह ऐसे मर्द 🕺 हर औरत 💃की पेहली पसंद होते हैं 😘💋😍❤️

    किसी हाउस वाइफ 🤱को सच मे प्यार 🍆🫦👉👌💦की जरूरत है जिसके पति🤦‍♂️ प्यार नही करते या बाहर रहते है अकेली पड़ जाती हो तो वो मुझे मेसेज करो सबकुछ दोनो के बीच ही रहेगा हाउसवाइफ या लड़की मैसेज करे❤️

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