जंगल में बाबा ने चोदा, बॉयफ्रेंड देख रहा था

Jangal Baba ne choda दोस्तो, मैं सोनम, एक बार फिर अपनी चुदाई की कहानी लेकर हाज़िर हूं। मेरी उम्र 27 साल है, मेरा फिगर 34-30-36 है, जो मेरे भरे-भरे चूचों, पतली कमर और उभरी हुई गांड से और भी कातिलाना लगता है। मेरी सहेली रिया, 26 साल की, गोरी, लंबी और 32-28-34 के फिगर वाली हसीन लड़की है। और महेश, मेरा बॉयफ्रेंड, 29 साल का, लंबा, कसरती बदन और शरारती मुस्कान वाला लड़का, जिसका 7 इंच का मोटा लंड मेरी चूत की प्यास बुझाता है।

मेरी पिछली कहानी(सहेली के बॉयफ्रेंड को अपना चोदू यार बना लिया-1) में मैंने बताया था कि कैसे मैंने अपनी सहेली रिया के बॉयफ्रेंड महेश को अपना चोदू यार बना लिया। उसने मुझे मसाज के बहाने अपने दोस्त के रूम पर चोदा, और फिर एक दिन कार में भिखारी के सामने मेरी चूचियां और गांड दिखवाकर मस्ती की। अब आगे की कहानी सुनिए, जो जंगल में हुई मेरी चुदाई की है।

उस दिन महेश मुझे कार में घुमाने ले गया था। हम दोनों की चुदास भड़की हुई थी। कार में पहले ही मैंने उसका लंड चूसा था, और उसने एक भिखारी को मेरी चूचियां और गांड दिखाई थी। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और महेश का लंड भी तनकर तैयार था। उसने अपनी पैंट उतार दी, और अब वो नीचे से पूरा नंगा था, सिर्फ ऊपर एक काली टी-शर्ट पहने हुए। मैं भी सिर्फ चुन्नी से अपनी चूचियां ढके थी, और नीचे मेरी लेगी और पैंटी पहले ही उतर चुकी थी। महेश ने गाड़ी को जंगल की ओर एक सुनसान जगह पर ले गया, जहां रोड से सिर्फ गाड़ी की छत दिखाई देती थी। चारों तरफ घना जंगल था, और हल्की-हल्की ठंडी हवा चल रही थी, जो मेरे नंगे बदन को और गुदगुदा रही थी।

महेश ने मुझे आगे वाली सीट पर घोड़ी बनाया। मेरी गांड ऊपर थी, और मेरी चूत पूरी तरह नंगी उसके सामने थी। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू किया। उसका गर्म और सख्त लंड मेरी चूत की फांकों पर फिसल रहा था, और मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। “आह्ह… महेश… डाल दे अब… और मत तड़पा…” मैं सिसकार रही थी। उसने मेरी कमर पकड़ी और एक जोरदार धक्के के साथ अपना 7 इंच का लंड मेरी चूत में पेल दिया। “आह्ह…” मैं दर्द और मजे में चीख पड़ी। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर तक गया। वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगा। हर धक्के के साथ उसकी जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं, और “पट-पट… थप-थप…” की आवाज़ गाड़ी में गूंज रही थी।

मुझे चुदाई का मजा आने लगा। मैं अपनी गांड को और पीछे धकेल रही थी ताकि उसका लंड और गहराई तक जाए। “आह्ह… महेश… और जोर से… चोद मुझे…” मैं सिसकार रही थी। उसने मेरे बाल पकड़ लिए और मेरे मुंह में अपनी उंगलियां डाल दीं। वो मुझे कुतिया की तरह चोद रहा था, और मैं हर धक्के का मजा ले रही थी। गाड़ी हल्के-हल्के हिल रही थी, और मेरी चूचियां हवा में उछल रही थीं। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था, और मेरी चूत से पानी टपक रहा था।

अचानक एक पुलिस की गाड़ी जैसा सायरन बजा। हम दोनों सहम गए। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गयी, और महेश ने तुरंत अपना लंड मेरी चूत से निकाल लिया। हमने जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहने। मैंने अपनी लेगी और कुर्ती पहनी, और महेश ने अपनी पैंट। हमने गाड़ी को वहां से निकाला और रोड पर आ गए। लेकिन रोड पर कोई पुलिस नहीं थी। शायद वो सायरन किसी और गाड़ी का था। हमने राहत की सांस ली, लेकिन अभी भी मेरी चूत में अधूरी चुदास जल रही थी।

थोड़ी देर बाद गाड़ी चलाते-चलाते अचानक महेश ने गाड़ी रोकी। उसने बाहर जाकर इंजन चेक किया और बोला, “यार, गाड़ी गर्म हो गयी है। इंजन में पानी की कमी है।” हम जंगल के बीचों-बीच फंस गए थे। आसपास कोई दुकान या पानी का ठिकाना नहीं था। महेश ने कहा, “चलो, जंगल की ओर चलते हैं, शायद कहीं पानी मिल जाए।” हम दोनों जंगल की ओर चल पड़े। अभी हम थोड़ा ही आगे बढ़े थे कि अचानक बारिश शुरू हो गयी। बारिश इतनी तेज़ थी कि हम पलभर में भीग गए। हमने दौड़कर पास में एक छोटी सी झोपड़ी देखी और वहां भाग गए।

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झोपड़ी के पास पहुंचे तो देखा कि एक बाबा वहां थे। वो करीब 50-55 साल के थे, लंबे, दुबले-पतले, लेकिन तगड़े दिखते थे। उनकी लंबी सफेद दाढ़ी और मूंछें थीं, और वो एक भगवा धोती पहने थे, जो बारिश में पूरी तरह भीग चुकी थी। उनकी धोती में उनका लंड साफ़ दिख रहा था, जो भीगने की वजह से और उभरकर नज़र आ रहा था। महेश ने मेरे कान में फुसफुसाया, “सोनम, इससे चुदवाएगी?” मैंने उसकी बात सुनकर पहले तो चौंक गयी, लेकिन मेरी चूत अभी भी गर्म थी। महेश के लंड ने मेरी चुदास को और भड़का दिया था, और अब बाबा का लंड देखकर मेरे अंदर एक अजीब सा रोमांच जाग गया।

मैंने महेश की ओर देखा और धीरे से हां में सिर हिलाया। वो मुस्कराया और बोला, “ठीक है, मैं बाबा से पानी लेने जाता हूं। तुम तब तक इसे गर्म कर दे।” मैंने मन ही मन मुस्कराते हुए सोचा, ये तो मज़ेदार होने वाला है। महेश बाबा से पानी मांगने गया और बोला, “बाबा, हमारी गाड़ी खराब हो गयी है। थोड़ा पानी मिलेगा?” बाबा ने हां कहा और पानी लेने अंदर गए। महेश ने मुझे इशारा किया और पानी का बर्तन लेकर गाड़ी की ओर चला गया। हमारी गाड़ी झोपड़ी से करीब दस मिनट की पैदल दूरी पर थी।

अब मैं और बाबा झोपड़ी में अकेले थे। बारिश की फुहारें अभी भी हल्की-हल्की पड़ रही थीं। मैंने अपनी भीगी हुई कुर्ती को थोड़ा नीचे खींचा ताकि मेरी चूचियां और उभरकर दिखें। मैंने बाबा से कहा, “बाबा, मेरी लेगी बारिश में गंदी हो गयी है। थोड़ा पानी डालकर इसे धोना है।” बाबा ने कहा, “ठीक है, बेटी, मैं पानी लाता हूं।” वो एक लोटा पानी लेकर आए। मैं जानबूझकर नीचे झुकी और अपनी लेगी धोने का नाटक करने लगी। मेरी चूचियां मेरी कुर्ती से बाहर झांक रही थीं, और मैं उन्हें हिलाने लगी ताकि बाबा की नज़रें उन पर टिक जाएं। मेरी गांड भी मैंने थोड़ा उठा रखी थी, जो मेरी टाइट लेगी में और उभर रही थी।

मैंने चोरी-चोरी बाबा की ओर देखा। उनकी धोती में उनका लंड धीरे-धीरे तन रहा था। उसकी धोती अब पूरी तरह टेंट बन चुकी थी। मैं मन ही मन मुस्करायी। मैंने और जोर से अपनी चूचियां हिलायीं और धीरे-धीरे अपनी गांड को बाबा की ओर सरकाया। अब मेरी गांड और बाबा का लंड बस कुछ इंच की दूरी पर थे। मैंने एकदम से अपनी गांड पीछे की और बाबा के लंड पर सटा दी। बाबा थोड़ा चौंके, लेकिन जब मैंने कुछ नहीं कहा, तो वो और नज़दीक आए। उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड पर रगड़ना शुरू कर दिया।

मेरे बदन में एक अजीब सी गर्मी दौड़ने लगी। मैंने फिर भी कुछ नहीं कहा। अब बाबा का हौसला बढ़ गया। उन्होंने मेरी कमर पकड़ी और अपने लंड को मेरी गांड पर और जोर से रगड़ा। मैंने पीछे हाथ बढ़ाकर उनकी कमर पकड़ ली और अपनी गांड को उनके बदन से सटा दिया। बाबा से अब रहा नहीं गया। उन्होंने लोटा नीचे फेंक दिया और मेरे ऊपर झुक गए। उनके हाथ मेरी चूचियों पर आ गए, और वो मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियों को मसलने लगे। “आह्ह… बाबा…” मैं सिसकार उठी। मुझे यही चाहिए था।

बाबा ने मेरी लेगी को एक झटके में नीचे खींच दिया। मैंने अपनी पैंटी भी उतार फेंकी। अब मैं नीचे से पूरी नंगी थी। बाबा ने अपनी धोती उठाई और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे। उनका लंड करीब 7 इंच का था, मोटा और नसों से भरा हुआ। उसकी गर्मी मेरी चूत पर महसूस हो रही थी। “आह्ह… बाबा… डाल दो…” मैं सिसकार रही थी। बाबा ने मेरी कमर पकड़ी और एक जोरदार धक्के के साथ अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। “आह्ह…” मेरी चूत जैसे फट गयी। उसका लंड इतना मोटा था कि मेरी चूत की दीवारें खिंच गयीं।

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बाबा ने मेरी चूचियों को कुर्ती के ऊपर से ही मसलना शुरू किया और मुझे कुतिया की तरह चोदने लगे। हर धक्के के साथ उनकी जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं, और “पट-पट… थप-थप…” की आवाज़ जंगल में गूंज रही थी। बारिश की फुहारें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं, और मैं चुदाई के मजे में डूब रही थी। “आह्ह… बाबा… और जोर से… चोदो मेरी चूत को…” मैं चिल्ला रही थी। बाबा के धक्के इतने तेज़ थे कि मेरी चूचियां मेरी कुर्ती से बाहर निकल आयी थीं।

कुछ देर बाद बाबा ने मुझे खड़ा किया और मेरी ओर घुमाया। मैंने उनके लंड को हाथ में पकड़ लिया। वो मेरे होंठों को चूसने लगे। उनकी दाढ़ी मेरे चेहरे पर गुदगुदा रही थी, लेकिन उनके होंठों का स्वाद मुझे पागल कर रहा था। मैं भी उनके होंठों को चूसने लगी। बाबा ने मेरी कुर्ती और ब्रा उतार दी। अब मेरी चूचियां उनके सामने पूरी नंगी थीं। वो मेरी चूचियों पर टूट पड़े और मेरे निप्पल्स को चूसने लगे। “आह्ह… बाबा… और चूसो… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी। मैं उनकी पीठ को सहलाने लगी।

बाबा ने अपनी धोती पूरी तरह उतार दी और पूरे नंगे हो गए। फिर वो मुझे झोपड़ी की दीवार के पास ले गए और मेरी एक टांग उठाकर मुझे दीवार से सटा दिया। उन्होंने अपने लंड को मेरी चूत पर सेट किया और फिर से पेल दिया। “आह्ह…” मैं चीख पड़ी। वो मुझे खड़ी-खड़ी चोदने लगे। मैं उनकी बांहों में लिपट गयी और चुदाई का मजा लेने लगी। बाबा के लंड में गजब का दम था। हर धक्का मेरी चूत को चीर रहा था। “आह्ह… बाबा… फाड़ दो मेरी चूत को…” मैं सिसकार रही थी।

कुछ देर बाद बाबा ने मुझे उनके गद्दे पर ले गए। वो गद्दे पर लेट गए और मुझे अपने लंड पर झुकने को कहा। मैंने उनके लंड को मुंह में लिया और चूसने लगी। उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था। “स्स्स… आह्ह… बेटी… और चूस… आह्ह…” बाबा सिसकार रहे थे। मैंने उनके लंड को जोर-जोर से चूसा, और उनकी गोटियों को भी सहलाया। पांच मिनट तक मैंने उनका लंड चूसा, लेकिन वो अभी भी नहीं झड़े।

फिर बाबा ने मुझे अपने लंड पर बैठने को कहा। मैं उनकी जांघों पर बैठ गयी और उनके लंड को अपनी चूत में ले लिया। मैं ऊपर-नीचे होने लगी। उनका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। “आह्ह… बाबा… कितना मोटा है तुम्हारा लंड… आह्ह…” मैं सिसकार रही थी। बाबा ने मेरी चूचियों को मुंह में लिया और चूसने लगे। मेरे निप्पल्स को वो अपने दांतों से हल्के-हल्के काट रहे थे, जिससे मेरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था। मैं उनकी जांघों पर कूद रही थी, और मेरी चूत से “पच-पच…” की आवाज़ आ रही थी।

करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं एक बार फिर झड़ गयी। मेरी चूत से पानी टपक रहा था। बाबा ने मुझे नीचे पटका और मेरी टांगें चौड़ी कर दीं। वो मेरे ऊपर लेट गए और मेरे होंठों को चूसते हुए मेरी चूत में लंड पेलने लगे। “आह्ह… बाबा… और जोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” मैं चिल्ला रही थी। बाबा के धक्के इतने तेज़ थे कि मेरी चूत में जलन होने लगी। मुझे लग रहा था कि बाबा को शायद सालों बाद चूत मिली थी। वो हवस में पागल होकर मुझे चोद रहे थे।

लगभग आधे घंटे तक बाबा ने मेरी चूत को चोद-चोदकर उसका भोसड़ा बना दिया। मेरी चूत लाल हो गयी थी, और मुझे हल्का सा दर्द होने लगा। लेकिन मजा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी। “आह्ह… बाबा… और चोदो… मेरी चूत को फाड़ दो…” मैं चिल्ला रही थी। आखिरकार, बाबा के धक्के और तेज़ हुए, और उन्होंने मेरी चूत में अपना गर्म-गर्म माल छोड़ दिया। “आह्ह…” मैं निढाल होकर गद्दे पर पड़ी रही। बाबा भी हांफते हुए मेरे बगल में लेट गए। मेरी चूत उनके माल से पूरी तरह भर गयी थी।

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बारिश अब रुक चुकी थी, और बाहर सब शांत था। मैंने उठकर बाबा के लंड को चाटकर साफ कर दिया। उनका लंड अभी भी हल्का सा तना हुआ था। बाबा ने कहा, “बेटी, बाहर जाकर देख, कोई है तो नहीं?” मैं गांड मटकाते हुए बाहर गयी। बाहर कोई नहीं था। मैं वापस आयी और अपने कपड़े पहनने लगी। बाबा ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोले, “इतनी जल्दी क्या है? आजा, मेरी गोद में बैठ।” उन्होंने मुझे अपनी जांघों पर बिठा लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। मैं भी उनके होंठों को चूसने लगी। उनकी दाढ़ी मेरे चेहरे पर गुदगुदा रही थी।

कुछ देर बाद मुझे उनके लंड की गर्मी फिर से अपनी गांड पर महसूस हुई। उनका लंड फिर से तन गया था। बाबा ने मुझे उठने को कहा और अपने लंड को हाथ में पकड़कर ऊपर की ओर किया। “बेटी, इस पर बैठ जा,” उन्होंने कहा। मैं धीरे से उनके लंड पर बैठ गयी। उनका लंड फिर से मेरी चूत में घुस गया। “आह्ह…” मैं सिसकार उठी। मैं उनके लंड पर उछलने लगी, और वो मेरी चूचियों को चूसने लगे। “आह्ह… बाबा… और चूसो… मेरे निप्पल्स को काट दो…” मैं सिसकार रही थी।

15 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरी चूत फिर से उनके माल से भर गयी। मैंने उनके लंड को चाटकर साफ किया। बाबा खुश हो गए और बोले, “मेरे एक गुरुजी हैं, उनका लंड मुझसे भी बड़ा है। बोल, कब सेवा देगी?” मैंने हंसकर कहा, “जल्दी, शायद अगले हफ्ते।” बाबा बोले, “ठीक है, तो दो-दो लंड से चुदने को तैयार रहना।” मैंने कहा, “बिल्कुल, बाबा। बहुत मजा आएगा।”

मैंने अपने कपड़े पहने, और बाबा ने अपनी धोती बांध ली। तभी मैंने देखा कि महेश झोपड़ी की ओर आ रहा था। वो अंदर आया और बाबा को पानी का बर्तन वापस किया। हमने बाबा को धन्यवाद कहा और झोपड़ी से निकलकर गाड़ी की ओर जाने लगे। मैंने महेश से पूछा, “तुम अभी लौटे?” वो मुस्कराया और बोला, “नहीं, मैं तो बाहर से छुपकर तुम्हारी चुदाई देख रहा था।” मैंने गुस्से में उसकी गोटियों को पकड़कर भींच दिया। वो “सॉरी-सॉरी” बोलने लगा। मैंने उसकी गोटियां छोड़ दीं, और उसने मुझे गले लगाकर किस कर लिया।

हम गाड़ी में बैठे और वापस चल दिए। महेश ने कहा, “तो, दो-दो लंड से कब चुदेगी?” मैंने हंसकर कहा, “अगले हफ्ते।” वो बोला, “लगता है बाबा का लंड बहुत पसंद आ गया?” मैंने कहा, “दिलाया तो तुमने ही है।” ये कहकर मैंने उसे बांहों में भर लिया और उसके लंड को सहलाते हुए उसके गालों पर चूम लिया।

दोस्तो, मेरी जंगल में सेक्स की कहानी आपको कैसी लगी? अपने मैसेज और कमेंट्स में जरूर बताएं। आपकी राय से मुझे और बेहतर कहानियां लिखने की प्रेरणा मिलेगी।

कहानी का अगला भाग: मेरे बॉयफ्रेंड ने दो बाबाओं से चुदवा दिया

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