इंटरव्यू में खड़ा लंड देखकर मैडम ने ऑफिस में ही लंड पकड़ा

Office sex story – Interview sex story: सभी फड़कती चूतों और रसीली आंटियों को मेरा प्यार भरा चुम्बन। ज्यादा समय बर्बाद न करते हुए सीधे अपनी हॉट कहानी शुरू करता हूँ।

बात उन ठंडी सर्दियों की है जब मैं हरियाणा से गुड़गांव एक बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में इंटरव्यू देने गया था। नई नौकरी की तलाश में था। जैसे ही मैं रिसेप्शन पर पहुँचा, वहाँ जनसंपर्क अधिकारी स्वाति से मुलाकात हुई। उसने काली शॉर्ट स्कर्ट और टाइट टॉप पहना था, जिससे उसकी गोरी जाँघें और गहरी क्लीवेज साफ झलक रही थी। उसकी मोटी-मोटी चुचियाँ और उभरी हुई गोल गांड देखते ही मेरे लंड में आग लग गई। लंड पैंट के अंदर तनकर दर्द करने लगा। मैं पागलों की तरह बस उसकी चुचियों और हिलती गांड को घूरता रहा। टांग पर टांग चढ़ाकर लंड को दबाने की कोशिश की, मगर वो शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था।

तभी मेरा नाम पुकारा गया। मैं जैसे-तैसे खड़ा हुआ तो मेरा खड़ा लंड पैंट में साफ उभरा हुआ था। स्वाति की नज़रें सीधे मेरे लंड पर टिक गईं, उसने मुस्कुराते हुए होंठ चाटे। मैं शर्मा गया, लेकिन लंड और जोर से उछलने लगा।

अंदर जाकर “गुड मॉर्निंग मैडम” कहते हुए मैंने लंड छुपाते हुए कुर्सी पर बैठने की कोशिश की। स्वाति ने तुरंत टोका, “मैंने आपको बैठने को कहा था क्या?” उसकी आवाज़ में शरारत थी। मैं हकलाया, “सॉरी मैडम, मजबूरी है।” वो खुद खड़ी हो गई और मेरे सामने आकर मेरे उभरे लंड को बेशर्मी से निहारने लगी। मैंने दोनों जाँघों के बीच लंड दबाकर खड़ा हो गया।

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स्वाति ने नज़दीक आकर धीरे से पूछा, “क्या छिपा रहे हो? भगवान ने इसे छिपाने के लिए नहीं बनाया।” मैं सकपका गया, चेहरा लाल हो गया। मैंने हिम्मत करके कहा, “मैडम, आपकी चुचियाँ और गांड देखकर मेरा लंड सुबह से खड़ा है, अब बैठ ही नहीं रहा। आप इंटरव्यू लेने की बजाय मुझे छेड़ रही हैं। सच कहूँ तो आपको देखते ही मैं भगवान से यही माँग रहा था कि आपकी चूत मारने का मौका मिल जाए।”

वो हँस पड़ी, “तुम्हारी हिम्मत और तुम्हारा माल दोनों मुझे पसंद आए। तुम सेलेक्ट हो गए हो। आज रात 11 बजे इस पते पर आना।” मैं फूला नहीं समाया। जाते-जाते हाथ मिलाने के बहाने मैंने उसकी चूची पर चुटकी काटी तो वो चौंका, लेकिन अगले ही पल उसने मेरे लंड को जोर से पकड़कर सहलाया और बोली, “रात का इंतज़ार करो।”

रात ग्यारह बजे मैं उसके बताए फ्लैट पर पहुँचा। दरवाज़ा खोलते ही स्वाति ने पतली सी लाल नाईटी में मुझे गले लगा लिया। नाईटी इतनी पतली थी कि उसके काले निप्पल और झाँटों वाली चूत साफ दिख रही थी। उसकी सहेली कहीं पार्टी में गई थी, घर में हम दोनों अकेले थे। दरवाज़ा बंद करते ही उसने मेरे होंठ चूसने शुरू कर दिए। मैंने भी उसके रसीले होंठ चबाने शुरू किए, एक हाथ से दरवाज़ा लॉक किया और दूसरे से उसकी नरम गांड मसलने लगा। ठंड के बावजूद हम दोनों के बदन में आग लग चुकी थी।

कपड़े उतारते देर नहीं लगी। स्वाति घुटनों पर बैठी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… गोग… इतनी जोर-जोर से चूस रही थी कि मैंने उसके बाल पकड़कर मुँह चोदना शुरू कर दिया। तीस-पैंतीस झटके में ही मैं उसके गले में झड़ गया। वो एक बूंद नहीं गिरने दी, सब पी गई।

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दो मिनट बाद ही मेरा लंड फिर तन गया। मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया, उसके बड़े-बड़े दूध मुँह में लेकर चूसने लगा, निप्पल काटने लगा। एक हाथ से उसकी चूत का दाना रगड़ रहा था। स्वाति की चूत पूरी गीली हो चुकी थी, वो बिलबिला रही थी, “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… अब नहीं सहा जाता… जल्दी से चोदो मुझे।”

मैंने उसके गांड के नीचे तकिया लगाया, लंड का सुपारा चूत पर रगड़ा और एक जोरदार झटका मारा। आधा लंड अंदर चला गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि स्वाति चीख उठी, “आअह्ह्ह्ह… मार गई… धीरे… ऊईईई…!” मैंने उसके होंठों पर होंठ रखकर चुप कराया और धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर पेल दिया। अब वो भी गांड उछाल-उछाल कर चुदवा रही थी, “हाँ… और जोर से… आह ह ह ह ह्हीईई… फाड़ दो मेरी चूत… ओह्ह्ह्ह…!” मैंने स्पीड बढ़ाई, कमरे में फच-फच… फचाक… फचाक की आवाज़ें गूँजने लगीं। पच्चीस-तीस जोरदार ठुकाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़े, उसकी चूत ने मेरे लंड को जोर से जकड़ लिया, मैं उसकी चूत के अंदर ही पिचकारियाँ मारता रहा।

काफी देर तक हम एक-दूसरे से चिपके रहे, पसीने से तर। फिर मेरी नज़र उसकी गोल मटोल गांड पर गई। मैंने क्रीम ली और उसकी गांड के छेद में अच्छे से मलने लगा। वो चौंकी, “ये क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “सुबह से तुम्हारी गांड देखकर ही तो लंड खड़ा हुआ था। आज इसे भी खोलूँगा।” वो शर्मा गई, “मैंने कभी गांड नहीं मरवाई।” मैंने मुस्कुराकर कहा, “अब मरवा लो।”

लंड पर क्रीम लगाकर मैंने सुपारा उसकी गांड के छेद पर टिकाया और हल्का धक्का मारा। सुपारा अंदर चला गया। वो चिल्लाई, “आह्ह्ह… रहने दो… बहुत दर्द हो रहा… ऊई माँ…!” मैं मर जाऊँगी…!” मैं रुका नहीं, धीरे-धीरे पूरा लंड गांड में उतारता गया। जब पूरा अंदर गया तो कुछ देर रुककर हल्के-हल्के झटके देने लगा। पहले दर्द था, फिर धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। स्वाति खुद गांड उछालने लगी, “ओह्ह्ह… आह्ह्ह… गांड में भी इतना मज़ा… हाँ और जोर से… आह्ह्ह्हीईई…!” मैंने स्पीड पकड़ी, उसकी गांड को पीट-पीट कर चोदने लगा। काफी देर की चुदाई के बाद मैं उसकी गांड में ही झड़ गया। पूरी रात हमने चूत और गांड दोनों मारते रहे, तीन-तीन बार और चुदाई की।

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सुबह उठते ही उसने कहा, “मेरी रूममेट रिया भी तुमसे मिलना चाहती है, उसकी चुदाई की कहानी फिर कभी।”

आपको ये सच्ची-सी लगने वाली कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताना।

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