Bahan ki chut aur gaand mari sex story – Desi bihari incest kahani: मेरा नाम भवेश है, उम्र 24 साल, रंग गोरा, कद 5 फीट 10 इंच, और बदन जिम में तराशा हुआ, मसल्स टोन्ड और चेहरा ऐसा कि लड़कियाँ बार-बार पलटकर देखें। मैं मुजफ्फरपुर, बिहार का रहने वाला हूँ, और ये मेरी जिंदगी की पहली सच्ची कहानी है, जो मेरे दिलो-दिमाग में हमेशा के लिए बसी हुई है। ये कहानी मेरी ममेरी बहन रेशमा के बारे में है, जो मेरे मामा की बेटी है। रेशमा 19 साल की है, बारहवीं कक्षा में पढ़ती है, सांवली लेकिन कातिलाना हुस्न की मालकिन। उसकी आँखें काली और गहरी, होंठ गुलाबी और रसीले, और फिगर 34-28-36, जिसे देखकर कोई भी मर्द बेकाबू हो जाए। उसकी चाल में एक नजाकत थी, और जब वो हँसती थी, तो उसकी हँसी में मादकता झलकती थी। ये कहानी उस वक्त की है, जब मैं मामा के घर गया, और मेरी जिंदगी ने ऐसा मोड़ लिया, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था।
हर साल छुट्टियों में मैं अपने गाँव जाता था, लेकिन इस बार मैंने मामा के घर जाने का फैसला किया। मामा का घर मुजफ्फरपुर से कुछ दूर, एक छोटे से कस्बे में है, जहाँ चारों तरफ हरियाली और शांति बिखरी रहती है। मैं वहाँ कई सालों बाद गया था, शायद चार-पाँच साल। आखिरी बार जब मैंने रेशमा को देखा था, वो आठवीं कक्षा में थी, छोटी-सी, मासूम, पतली-दुबली। लेकिन अब वो पूरी तरह जवानी में कदम रख चुकी थी। उसका बदन भरा हुआ था, चुचियाँ गोल और उभरी हुई, कमर पतली, और गांड ऐसी कि जींस में भी उसकी उभार साफ दिखती थी। उस दिन वो लाल रंग की टाइट टी-शर्ट और नीली जींस में थी, जिससे उसका फिगर और भी निखर रहा था। उसे देखते ही मेरे मन में गलत खयाल आने लगे। एक तरफ वो मेरी बहन थी, रिश्ते में, लेकिन दूसरी तरफ मेरा लंड उसे देखकर बेकाबू हो रहा था। मैं खुद को कोस रहा था, लेकिन चूत और लंड का कोई रिश्ता नहीं मानता, और मेरा दिल भी अब उसी राह पर चल पड़ा था।
पहले दिन मैंने रेशमा से हल्की-फुल्की बातें शुरू कीं। वो पढ़ाई में व्यस्त थी, लेकिन मेरे साथ हँसती-बोलती थी। उसकी आवाज में एक मासूमियत थी, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही बात थी। मैंने उसका ध्यान खींचने के लिए उसकी हर छोटी-बड़ी बात मानना शुरू किया। वो कहती कि उसे चॉकलेट चाहिए, मैं तुरंत लाकर देता। वो कहती कि उसका फोन रिचार्ज कर दो, मैं कर देता। धीरे-धीरे हमारी नजदीकियाँ बढ़ने लगीं। लेकिन मामी की नजरें मुझे शक भरी लगती थीं। वो 40 साल की थीं, सख्त मिजाज, और हर वक्त मुझे घूरती थीं, जैसे मेरे इरादों को भाँप रही हों। उनके सामने मैं संभलकर रहता, लेकिन रेशमा के साथ मेरी बातें बढ़ती जा रही थीं। हम रात को देर तक बात करते, कभी उसकी पढ़ाई के बारे में, कभी उसकी सहेलियों के बारे में।
मैंने रेशमा को अपने जाल में फँसाने का प्लान बनाया। एक दिन मैंने उसे एक झूठी कहानी सुनाई कि मेरी गर्लफ्रेंड मुझे छोड़कर चली गई, और मैं बहुत दुखी हूँ। मैंने उससे कहा, “रेशमा, मेरे साथ ऐसा क्यों हुआ? क्या मैं इतना बुरा हूँ?” मेरी आवाज में दर्द था, और मैंने नाटक करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। रेशमा ने मेरी बात सुनी, और उसकी आँखें नम हो गईं। उसने मुझे गले लगाया और कहा, “भैया, आप बहुत अच्छे इंसान हैं। कोई आपको कैसे छोड़ सकता है?” उसका गर्म बदन मेरे सीने से टकराया, और उसकी साँसें मेरे गले पर लग रही थीं। मैं समझ गया कि मेरा प्लान काम कर रहा है। उसका गले लगना मेरे लिए हरी झंडी था।
अब मैंने उसमें जलन पैदा करने का खेल शुरू किया। मैं उसकी सहेलियों से जानबूझकर ज्यादा बात करने लगा। उसकी सहेली प्रिया, जो गाँव में ही रहती थी, मेरे साथ हँसती-बोलती थी, और रेशमा ये देखकर तिलमिलाने लगती थी। एक दिन उसने गुस्से में कहा, “भैया, आप प्रिया से इतना क्यों बोलते हो? मुझे अच्छा नहीं लगता।” मैंने बनावटी मासूमियत से पूछा, “क्यों, क्या हुआ? वो तो बस दोस्त है।” रेशमा ने शरमाते हुए कहा, “मुझे… मुझे आपसे प्यार हो गया है, भैया।” मैंने हैरानी का नाटक किया और कहा, “रेशमा, ये क्या बोल रही हो? तू मेरी बहन है, पागल हो गई है क्या?” लेकिन वो अड़ गई, “नहीं, भैया, मैं सच कह रही हूँ। मैं आपसे प्यार करती हूँ।” मेरे होंठों पर हल्की-सी मुस्कान तैर गई। मेरा जाल पूरी तरह काम कर गया था।
अब मुझे बस सही मौके की तलाश थी। तीन महीने बाद वो मौका आया। मामी के भाई की शादी थी, और मामा, मामी, और नानी सब शादी में चले गए। घर में सिर्फ रेशमा, उसका छोटा भाई रवि, और मैं रह गए। रवि 17 साल का था, थोड़ा नासमझ, और पढ़ाई में डूबा रहता था। उसने शादी में जाने की बजाय घर पर रहना पसंद किया, क्योंकि उसके एग्जाम नजदीक थे। मैंने मौका देखते ही नानी के घर जाने का बहाना बनाया और शाम को उनके घर पहुँच गया। रेशमा उस वक्त एक सफेद रंग की सलवार-कमीज में थी, जिसमें उसकी चुचियाँ और गांड की उभार साफ दिख रही थी। मुझे देखते ही उसकी आँखें चमक उठीं, और वो बार-बार मेरे पास आकर बात करने की कोशिश करने लगी।
रात को हमने खाना खाया। रवि और मैं एक कमरे में सोने चले गए, जबकि रेशमा अपने कमरे में। उसका कमरा छोटा था, लेकिन साफ-सुथरा। उसकी बेड पर गुलाबी रंग की चादर बिछी थी, और दीवार पर कुछ पुरानी तस्वीरें टँगी थीं। रात के बारह बजे, जब चारों तरफ सन्नाटा था, मैं चुपके से रेशमा के कमरे में गया। वो हल्की नींद में थी, उसकी सलवार-कमीज थोड़ी ऊपर खिसकी हुई थी, और उसका पेट दिख रहा था। मैंने धीरे से उसे छुआ, और वो चौंककर जाग गई। उसने फुसफुसाते हुए पूछा, “भैया, आप यहाँ क्या कर रहे हो? रवि देख लेगा तो बवाल हो जाएगा!” मैंने धीमी आवाज में कहा, “कुछ नहीं होगा, रेशमा। बस तुझसे मिलने आया हूँ।” वो शरमाई और बोली, “मुझे आपकी बहुत याद आ रही थी। फोन करना चाहा, पर बैलेंस खत्म हो गया।”
हम बातें करने लगे, तभी बिजली चली गई। कमरे में अंधेरा छा गया, और मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने मौका देखकर उसे गले लगाया और उसके गुलाबी होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका बदन काँप रहा था, और वो पीछे हटते हुए बोली, “भैया, ये क्या कर रहे हो? ये गलत है!” मैंने उसकी कमर पर हाथ रखा और कहा, “प्यार में कुछ गलत नहीं, रेशमा। तू भी तो मुझसे प्यार करती है।” वो मना करती रही, लेकिन मैंने उसे फिर से चूमा। उसके होंठ इतने नरम थे कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। धीरे-धीरे वो भी मेरा साथ देने लगी। उसकी साँसें गर्म थीं, और उसका बदन मेरे स्पर्श से तप रहा था।
मैंने उसकी कमीज के ऊपर से उसकी चुचियों को सहलाना शुरू किया। उसकी ब्रा के नीचे उसके निप्पल सख्त हो चुके थे, जो मुझे साफ महसूस हो रहे थे। मैंने उसकी कमीज को धीरे-धीरे ऊपर उठाया और उसकी सफेद ब्रा को खोल दिया। उसकी चुचियाँ गोल, भरी हुई, और सांवली थीं, जिनके निप्पल गहरे भूरे रंग के थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। वो सिसकियाँ लेने लगी, “आह… भैया… ये क्या… उह…” उसकी आवाज में शरम और उत्तेजना का मिश्रण था। मैंने उसकी दूसरी चूची को हाथ से दबाया और उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया। उसकी स्किन इतनी मुलायम थी कि मैं हर पल और बेकाबू होता जा रहा था।
मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोला और धीरे से नीचे सरकाया। उसकी सफेद पैंटी पर एक छोटा-सा गीला धब्बा था, जो बता रहा था कि वो कितनी उत्तेजित थी। मैंने उसकी पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया, और वो जोर से सिसकी, “आह… भैया… नहीं…” मैंने कहा, “शांत हो जा, कुछ नहीं होगा।” मैंने उसकी पैंटी को धीरे से उतारा। उसकी चूत सांवली थी, छोटे-छोटे बालों से सजी, और उसकी क्लिट गुलाबी और उभरी हुई थी। मैंने अपनी उंगली उसकी चूत पर फिराई, और वो इतनी गीली थी कि मेरी उंगली फिसल रही थी। मैंने धीरे से एक उंगली अंदर डाली, और वो “उम्म… आह…” की आवाजें निकालने लगी। मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना शुरू किया, और उसकी सिसकियाँ तेज हो गईं, “आह… भैया… धीरे… उह…” कुछ ही मिनटों में वो झड़ गई, उसका बदन काँप रहा था, और उसकी साँसें तेज थीं।
मैंने अपना 7 इंच का लंड, जो अब पूरी तरह सख्त हो चुका था, उसके हाथ में दे दिया। मेरा सुपारा गुलाबी था, और लंड की नसें उभरी हुई थीं। वो शरमाते हुए उसे सहलाने लगी। मैंने कहा, “रेशमा, इसे मुँह में ले।” वो मना करने लगी, “नहीं भैया, ये गलत है।” लेकिन मेरे बार-बार कहने पर उसने मेरे लंड को मुँह में लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे सुपारे पर घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। वो धीरे-धीरे चूसने लगी, और मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उसका सिर पकड़ा और अपने लंड को उसके गले तक ठूँस दिया। वो हल्का-सा हाँफी, लेकिन चूसती रही।
अब मैं उसकी चूत चोदने के लिए बेताब था। मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि पहला धक्का मारा तो लंड फिसल गया। मैंने फिर कोशिश की, लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था। रेशमा ने अपने पापा का कंडोम लाकर दिया और कहा, “भैया, इसे पहन लो, और वैसलीन भी लगा लो।” मैंने कंडोम पहना, वैसलीन लगाया, और फिर से कोशिश की। इस बार मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया, और वो दर्द से चीख पड़ी, “आह… भैया… दर्द हो रहा है!” मैंने तुरंत उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए ताकि आवाज बाहर न जाए। मैंने दूसरा धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। उसकी चूत से हल्का-सा खून निकला, और वो रोने लगी, “भैया, छोड़ दो… बहुत दर्द हो रहा है।”
मैंने उसे शांत किया और तीसरा धक्का मारा। मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत की गहराइयों में समा गया। “पच… पच… पच…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। रेशमा “आह… उह… भैया… धीरे…” की सिसकियाँ ले रही थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और उसकी चूत मेरे लंड को कसकर जकड़ रही थी। कुछ देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगी। उसकी गांड उछल-उछलकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी। मैंने कंडोम उतार दिया और उसकी चूत को बिना किसी रुकावट के चोदना शुरू किया। उसकी गीली चूत मेरे लंड को पूरा निगल रही थी, और “पचाक… पचाक…” की आवाजें तेज हो गई थीं। मैंने उसकी चुचियों को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। वो चिल्ला रही थी, “आह… भैया… और तेज… उह… चोद दो मेरी चूत को!”
मैंने उसे गालियाँ देना शुरू किया, “ले रंडी, मेरी बहन बनेगी? भोसड़ी वाली, ले मेरा लंड!” वो भी जोश में आ गई और बोली, “हाँ भैया, चोदो मुझे… मैं तुम्हारी रंडी हूँ!” 20 मिनट की चुदाई के बाद वो तीन बार झड़ चुकी थी, लेकिन मेरा लंड अभी भी जोश में था। मैंने स्पीड बढ़ाई, जैसे 5G नेटवर्क की रफ्तार, और “धप… धप… धप…” की आवाजों के साथ हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। उसकी चूत से मेरा और उसका रस मिलकर बह रहा था।
चुदाई के बाद रेशमा रोने लगी। वो मुझे डाँटने लगी, “भैया, आपने मेरे साथ ये क्या कर दिया? अब मैं क्या करूँगी?” मैंने उसे गले लगाया और कहा, “शांत हो जा, रवि जाग जाएगा। जो हो गया, सो हो गया।” मैंने उसे समझाया, और धीरे-धीरे वो शांत हो गई। उसे नींद आने लगी, और वो अपनी बेड पर लेट गई। लेकिन मेरा लंड अभी भी शांत नहीं था। मैंने उसे फिर से हिलाया और दोबारा चोदने की सोची। मैं उसके पास लेट गया और निंद में ही उसकी चुचियों को चूसने लगा। मेरी उंगलियाँ उसकी चूत में थीं, और वो निंद में ही “उम्म… आह…” की आवाजें निकाल रही थी। मैंने तेजी से फिंगरिंग की, और वो फिर से झड़ने वाली थी। तभी वो जाग गई और बोली, “भैया, प्लीज चोद दो ना… मुझे और चाहिए।”
मैंने नाटक किया, “रेशमा, ये गलत है।” लेकिन वो बोली, “कुछ गलत नहीं है, भैया।” मैंने मौका देखकर कहा, “ठीक है, लेकिन अब तू मेरी रखैल बनेगी। जब मैं चाहूँ, तुझे चोदूँगा।” वो हँसते हुए बोली, “ठीक है, भैया।” मैंने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया और गले तक ठूँस दिया। वो साँस लेने के लिए तड़प रही थी, लेकिन मैंने नहीं निकाला। जब निकाला, तो वो हाँफ रही थी। फिर हम 69 की पोजीशन में आए। मैं उसकी चूत चाट रहा था, और वो मेरा लंड चूस रही थी। उसकी चूत का स्वाद नमकीन था, और मैं उसे चाट-चाटकर तीन बार झड़वा चुका था।
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने उसकी चुचियों को चूसा, और वो फिर से जोश में आ गई। मैंने उसकी चूत में उंगली डाली, और वो इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। मैंने उसे घोड़ी बनाया और अपना लंड उसकी चूत पर सेट किया। एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड अंदर घुस गया। वो छटपटाने लगी, “आह… भैया… धीरे…” मैंने उसे कसकर पकड़ा और दूसरा धक्का मारा। मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया। “पचाक… पचाक…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। वो चिल्ला रही थी, “आह… भैया… फाड़ दो मेरी चूत… उह…” मैंने गालियाँ देना शुरू किया, “ले रंडी, मेरी बहन बनेगी? भोसड़ी वाली कुतिया!” वो भी जोश में आ गई और बोली, “हाँ भैया, चोदो मुझे… मैं तुम्हारी रंडी हूँ!”
20 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी चूत में फिर से झड़ गया। फिर मैंने उसकी गांड की ओर ध्यान दिया। मैंने उसकी गांड में उंगली डाली, और वो चीख पड़ी, “भैया, ये क्या कर रहे हो? तुम तो जनवर हो!” तभी रवि के जागने की आवाज आई। हम दोनों डर गए और भागकर बाथरूम में चले गए। वहाँ मैंने उसकी गांड में साबुन लगाया, और मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने कहा, “रेशमा, अब तेरी गांड मारूँगा।” वो मना करने लगी, “नहीं भैया, बहुत दर्द होगा। चूत चोद लो, प्लीज।” लेकिन मैंने जिद की। आखिरकार वो मान गई।
मैंने किचन से ऑलिव ऑयल लिया और उसकी गांड के छेद पर मालिश शुरू की। उसकी गांड गोल और सख्त थी, और उसका छेद छोटा-सा और गुलाबी। मैंने धीरे-धीरे उंगली डाली, और वो “आह… भैया… दर्द हो रहा है…” कहने लगी। मैंने तेल डाला और दो उंगलियाँ डालीं। अब उसे मजा आने लगा था। मैंने अपने लंड पर ढेर सारा तेल लगाया और उसकी गांड पर सेट किया। पहला धक्का मारा, लेकिन लंड फिसल गया। मैंने फिर से कोशिश की, और इस बार मेरा सुपारा उसकी गांड में घुस गया। वो चीखी, “आह… भैया… निकालो!” लेकिन मैंने उसे चुप कराया। धीरे-धीरे मैंने आधा लंड अंदर डाला और धक्के मारने शुरू किए। “थप… थप…” की आवाजें बाथरूम में गूँज रही थीं। मैं उसकी चुचियों को दबा रहा था और उसकी चूत में उंगली कर रहा था। वो “आह… उह… भैया… और तेज…” चिल्ला रही थी।
मैंने गालियाँ देना शुरू किया, “ले रंडी, मेरी बहन बनेगी? भोसड़ी वाली!” 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं उसकी गांड में झड़ गया। वो इतनी थक चुकी थी कि बेहोश-सी हो गई। मैंने उसे पानी पिलाया, और वो होश में आई। तभी बाथरूम का दरवाजा खटखटाया गया। हम दोनों डर के मारे काँपने लगे।
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