ये कहानी मेरी और मेरी बड़ी दीदी के बीच की उस रात की है, जब हमारी वासना ने सारी हदें तोड़ दीं। मेरा नाम राकेश है, उम्र 18 साल, जौनपुर का रहने वाला, पतला-दुबला लेकिन तेज दिमाग वाला लड़का। स्कूल में पढ़ता था, और 2014 में अपनी मां के साथ पटना अपनी बड़ी मां के घर आया था। मेरी मां, 40 साल की, सादी-सादी औरत, जो हमेशा घर के कामों में उलझी रहती थीं। बड़ी मां, 45 की उम्र, गंभीर स्वभाव, घर की जिम्मेदारी संभालने वाली, थोड़ी मोटी लेकिन गोरी। उनके बेटे, मनीष, 22 साल के, कॉलेज में पढ़ते थे और ज्यादातर बाहर रहते थे। छोटी दीदी, प्रिया, 20 साल की, पतली कमर, टाइट बूब्स, और चुलबुली सी लड़की, जो मुझसे खुलकर हंसी-मजाक करती थी। उनकी हंसी और चुस्ती देखकर मेरा दिल धक-धक करता था। बड़ी दीदी, शालिनी, 25 साल की, एकदम गोरी, भरे हुए जिस्म वाली, बड़ी-बड़ी चूचियां और गोल-मटोल गांड, जो किसी को भी पागल कर दे। वो नर्स थीं, और उनकी बच्ची, जो अभी कुछ महीने की थी, उनकी गोद में हमेशा रहती थी। जीजा जी, अजय, 30 साल के, सांवले, थोड़े गुस्सैल, पटना में जॉब करते थे, लेकिन दीदी के साथ उनकी बनती नहीं थी।
हम सब बड़ी मां के छोटे से तीन कमरे वाले घर में रहते थे। घर में जगह कम थी, और रात को सन्नाटा छा जाता था, सिवाय चांदनी की हल्की रोशनी के, जो खिड़की से कमरे में झांकती थी। मैं पटना में नया था, और बहनों के साथ रहना मेरे लिए अजीब था। छोटी दीदी प्रिया मेरे साथ जल्दी घुल-मिल गई थी। वो कभी मेरे कंधे पर हाथ रख देती, कभी मजाक में मेरे सीने को छू लेती। उसके टाइट बूब्स मेरे हाथ से टकराते, और मेरा लंड पैंट में तन जाता। मैं चुप रहता, पर मन में आग लग जाती। “क्या राकेश, इतना शरमाता क्यों है?” प्रिया हंसते हुए कहती, और मैं बस मुस्कुरा देता। मेरे मन में उसकी चुदाई के ख्याल आते, लेकिन हिम्मत नहीं होती।
बड़ी दीदी शालिनी के साथ मेरा रिश्ता धीरे-धीरे बना। वो शांत थीं, लेकिन उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उनकी चूचियां इतनी बड़ी थीं कि ब्लाउज में मुश्किल से समाती थीं, और उनकी गांड हर कदम पर लचकती थी। जीजा जी के साथ उनकी अनबन साफ दिखती थी। वो अक्सर उदास रहती थीं, और जीजा जी रात को ड्यूटी पर चले जाते थे। बच्ची के जन्म के बाद दीदी की चूचियां और रसीली हो गई थीं। वो दूध पिलाते वक्त अपना ब्लाउज खोल देती थीं, और उनके गुलाबी निप्पल से दूध की बूंदें टपकती थीं। मैं चोरी-छिपे देखता, और मेरा लंड तन जाता। “क्या देख रहा है, राकेश?” एक बार दीदी ने मुझे पकड़ लिया, और मैं हड़बड़ा गया। “कुछ नहीं, दी,” मैंने कहा, पर मेरे चेहरे की लाली सब बता रही थी।
एक रात, जब जीजा जी नाइट ड्यूटी पर थे, और घर में सन्नाटा था, मैं चुपके से दीदी के कमरे में गया। चांदनी की रोशनी में दीदी की साड़ी ऊपर उठी थी, और उनकी एक चूची बच्ची के मुँह में थी। दूसरी चूची खुली थी, और दूध की बूंदें चादर पर टपक रही थीं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने धीरे से उनकी चूची को छुआ। उसकी नरमी और गर्मी ने मुझे पागल कर दिया। मैंने हल्के से दबाया, और दीदी की नींद में कोई हरकत नहीं हुई। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने अपने होंठ उनके निप्पल पर रख दिए। दूध का स्वाद मेरे मुँह में घुल गया, मीठा और गर्म। मैं धीरे-धीरे चूसने लगा, और मेरा लंड पैंट में फटने को तैयार था।
तभी दीदी की आंख खुल गई। मैं डर के मारे ठंडा पड़ गया, सोचा अब तो पिटाई होगी। लेकिन दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींच लिया और बोलीं, “ये गलत है, राकेश, पर मुझे ये चाहिए।” उनकी आवाज में वही वासना थी, जो मैंने उनकी आंखों में देखी थी। मैंने कहा, “दी, चुदाई का मजा तभी है जब दिल और जिस्म दोनों साथ हो।” दीदी ने मेरी कमर पकड़ी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। उनकी नंगी चूचियां मेरे सीने से दब गईं, और उनकी गर्म सांसें मेरे गाल पर लग रही थीं।
मैंने दीदी के होंठों को चूमना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और हम एक-दूसरे की लार पी रहे थे। दीदी की सांसें तेज थीं, और उनका जिस्म गर्म हो रहा था। मैंने उनका ब्लाउज पूरा खोल दिया, और उनकी चूचियां मेरे सामने नंगी थीं। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। दूध मेरे मुँह में टपक रहा था, और दीदी सिसकारियां भर रही थीं। “आह… राकेश… धीरे… निप्पल में दर्द हो रहा है,” दीदी ने कहा, पर उनकी आवाज में मस्ती थी। मैंने कहा, “दी, तुम्हारी चूची का दूध तो जन्नत है।”
मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाया, और उनकी जांघों को चूमने लगा। उनकी चूत की गंध मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने उनकी पैंटी उतारी, और उनकी रसीली चूत मेरे सामने थी। चूत के ऊपर छोटे-छोटे बाल एक त्रिकोण बनाते थे, जैसे कोई पोर्नस्टार की चूत। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत पर फिराई, और दीदी की टांगें कांपने लगीं। “राकेश… चाट मेरी चूत को… और जोर से,” दीदी ने कहा। मैंने उनकी चूत के दाने को चूसा, और मेरी जीभ उनकी चूत के अंदर तक गई। दीदी मेरे सिर को अपनी चूत में दबा रही थीं, और उनकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं।
मैंने अपनी पैंट उतारी, और मेरा सात इंच का लंड बाहर आया, कड़क और तना हुआ। दीदी ने मेरे लंड को देखा और बोलीं, “इतना बड़ा लंड… मेरी चूत तो आज फट जाएगी।” मैंने कहा, “दी, आज तुम्हारी सारी आग बुझा दूंगा।” मैंने उनकी टांगें फैलाईं और अपने लंड को उनकी चूत के मुँह पर रखा। धीरे से मैंने लंड अंदर डाला, और दीदी की चूत इतनी टाइट थी कि मुझे जोर लगाना पड़ा। दीदी दर्द से सिसकारीं, “आह… राकेश… धीरे… मेरी चूत में आग लग रही है।” मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए, ताकि उनकी आवाज बाहर न जाए।
धीरे-धीरे दीदी की चूत ढीली हुई, और मेरा लंड सटासट अंदर-बाहर होने लगा। दीदी अब मजा ले रही थीं। “चोद मुझे, राकेश… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे,” दीदी चिल्ला रही थीं। मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और उनकी चूत में जड़ तक लंड पेलने लगा। उनकी चूचियां उछल रही थीं, और दूध की बूंदें बाहर छलक रही थीं। मैंने एक चूची को मुँह में लिया और चूसते हुए उनकी चूत को चोदता रहा। दीदी की गांड पर मैंने थप्पड़ मारे, और उनकी गोल-मटोल गांड लाल हो गई।
कुछ देर बाद दीदी ने कहा, “राकेश, मुझे घोड़ी बनाकर चोद।” मैंने उन्हें घोड़ी बनाया, और उनकी गांड मेरे सामने थी। मैंने उनकी गांड के छेद को चाटा, और दीदी सिहर उठीं। “आह… मेरी गांड में भी डाल दे,” दीदी ने कहा। मैंने अपने लंड पर थूक लगाया और उनकी गांड में धीरे-धीरे डाला। उनकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अटक रहा था, लेकिन धीरे-धीरे वो ढीली हुई। मैंने उनकी गांड को चोदना शुरू किया, और दीदी की सिसकारियां चीखों में बदल गईं। “राकेश… मेरी गांड फाड़ दे… और जोर से,” दीदी चिल्ला रही थीं।
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लगभग 40 मिनट तक मैंने उनकी चूत और गांड को चोदा। दीदी की चूत से पानी निकल गया, और उनकी टांगें कांपने लगीं। मैं भी चरम पर था, और मेरा माल उनकी चूत में ही गिर गया। हम दोनों हांफ रहे थे, और दीदी मेरे सीने पर लेट गईं। उनकी चूचियों से दूध मेरे सीने पर टपक रहा था। मैंने उनकी चूची को फिर से चूसा, और दीदी ने मेरे लंड को सहलाया। “राकेश, तूने मेरी सारी प्यास बुझा दी,” दीदी ने कहा। मैंने कहा, “दी, ये तो बस शुरुआत है।”
उस रात के बाद हमने कई बार चुदाई की। जब भी जीजा जी नाइट ड्यूटी पर जाते, मैं दीदी के कमरे में जाता, और हम रात भर चुदाई का खेल खेलते। दीदी की चूचियों का दूध, उनकी रसीली चूत, और उनकी टाइट गांड ने मुझे उनका गुलाम बना दिया। छोटी दीदी प्रिया के साथ भी मेरे मन में ख्याल आने लगे, लेकिन वो कहानी फिर कभी।