Dost Ki Bhabhi ki Chudai: हेलो दोस्तों, मेरा नाम मॉन्टी है। मैं बरोड़ा, गुजरात का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 27 साल है, और मैं एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करता हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 10 इंच है, रंग गोरा, और बॉडी फिट है क्योंकि मैं जिम जाता हूँ। मेरे दोस्त का नाम करन है, वो 26 साल का है, स्लिम बिल्ड, और सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहा है। हम दोनों कॉलेज के दिनों से पक्के दोस्त हैं। करन का भाई समीर, 34 साल का, मध्यम कद, थोड़ा सांवला, और एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है। समीर की बीवी, यानी नयना भाभी, 32 साल की हैं, लेकिन उनकी खूबसूरती और फिगर ऐसा है कि कोई नहीं कह सकता कि वो दो बच्चों की माँ हैं। उनका फिगर 36-26-38 है, गोरी रंगत, लंबे काले बाल, और आँखें इतनी गहरी कि किसी का भी दिल धड़क जाए। वो हमेशा गुजराती साड़ी पहनती हैं, टाइट ब्लाउज़ के साथ, जिसमें उनके बूब्स उभरे हुए दिखते हैं, और खुली कमर इतनी गोरी कि नज़र हटाना मुश्किल हो जाता है। करन के घर में उसके मम्मी-पापा भी रहते हैं। पापा, 55 साल के, सरकारी नौकर हैं, और मम्मी, 50 साल की, हाउसवाइफ हैं। करन की दो छोटी भतीजियाँ, 8 और 10 साल की, स्कूल में पढ़ती हैं।
हमारा एक-दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता था। करन के घर की गर्मजोशी और उनके परिवार का प्यार मुझे हमेशा अपना-सा लगता था। मैं जब भी उनके घर जाता, नयना भाभी कुछ न कुछ काम करती दिखतीं। कभी झाड़ू लगातीं, तो कभी पोछा। जब वो पोछा लगातीं, तो उनकी साड़ी थोड़ी ऊपर खिसक जाती, और उनकी भारी, गोल गांड साड़ी में से साफ दिखती। मैं हमेशा भाभी को इज़्ज़त से देखता था, क्योंकि करन की मम्मी मुझे बेटे जैसा मानती थीं। लेकिन मैं इंसान हूँ, नज़रें तो भटकती ही थीं, फिर भी मैंने कभी गलत नहीं सोचा।
कुछ महीने पहले की बात है। करन ने एक नई स्कूटी खरीदी, नंबर 1001। एक दिन मैं उनके घर गया, तो देखा समीर भाभी को स्कूटी सिखा रहा था। मैंने मज़ाक में कहा, “वाह भाभी, आप तो प्रो हो गईं!” भाभी हँसीं और बोलीं, “हाँ, सीखना तो पड़ेगा ना। बच्चों को स्कूल छोड़ने-लाने में काम आएगी।” मैंने तारीफ की और बात खत्म हो गई। कुछ दिन बाद करन को कॉल सेंटर में नौकरी मिल गई। उसकी शिफ्ट बदलती रहती थी, तो वो अक्सर घर पर नहीं मिलता। भाभी ही बच्चों को स्कूल छोड़ने-लाने लगीं।
एक महीने पहले मैं बाज़ार में शॉपिंग करने गया। पार्किंग में बाइक खड़ी करते वक्त मैंने 1001 नंबर की स्कूटी देखी। मैंने सोचा, करन भी आया होगा। मैंने उसे कॉल किया, लेकिन उसने नहीं उठाया। मैं मॉल में गया, उसे ढूंढा, पर वो नहीं मिला। शॉपिंग के बाद बिल काउंटर पर लंबी लाइन थी। मैं खड़ा था, तभी पास वाले काउंटर पर नयना भाभी दिखीं। वो साड़ी में थीं, लाल रंग की, और अकेली लग रही थीं। मैंने उन्हें बुलाने की कोशिश नहीं की, क्योंकि वो दूर थीं। बिल बनवाकर वो बाहर निकलीं। मैंने देखा, वो एक लड़के के साथ बात कर रही थीं। फिर वो लड़का अपनी कार लाया, और भाभी उसके साथ कार में बैठकर चली गईं। स्कूटी वहीँ पार्किंग में खड़ी रह गई। मैंने सोचा, शायद कोई रिश्तेदार होगा, और ज़्यादा ध्यान नहीं दिया।
कुछ दिन बाद, शाम को 7 बजे मैं करन के घर गया। करन नौकरी पर था, बाकी सब घर पर थे। मैं सोफे पर बैठा, समीर मेरे पास था, और भाभी सब्जी काट रही थीं। उनकी मम्मी किचन में थीं। भाभी मेरे लिए पानी लाईं, मैंने थैंक्स कहा। वो वापस किचन चली गईं। जब वो दोबारा आईं, मैंने कहा, “भाभी, कुछ दिन पहले मैंने आपको बिग बाज़ार में देखा था।” वो चौंक गईं और मुझे घूरने लगीं। मैंने कहा, “आप बिल की लाइन में थीं ना?” वो चुप रहीं। तभी समीर ने पूछा, “कब?” मैंने जैसे ही कुछ बोलना शुरू किया, भाभी ने होंठ पर उंगली रखकर इशारा किया कि चुप रहो। मुझे लगा, कुछ गड़बड़ है। मैंने बात पलट दी और बोला, “भाभी, आपने लाल ड्रेस पहनी थी ना उस दिन?” समीर हँसा और बोला, “ये तो ड्रेस पहनती ही नहीं!” मैंने कहा, “शायद कोई और थी, लेकिन आप जैसी ही दिखती थी।” समीर बोला, “क्या यार, तू भी!” फिर हमने थोड़ी बात की, और मैं घर चला गया।
अगले दिन दोपहर को एक अनजान नंबर से कॉल आया। मैंने उठाया।
मैं: “हेलो?”
वो: “हेलो, मैं नयना।”
मैं: “कौन नयना?”
वो: “अरे, करन की भाभी!”
मैं: “ओह, सॉरी भाभी, आपकी आवाज़ नहीं पहचानी। बोलिए?”
नयना: “सुनो, तुमने मुझे बिग बाज़ार में देखा था ना? प्लीज़ किसी को मत बताना।”
मैं: “हाँ, आप इशारा कर रही थीं ना, कुछ न बोलने को?”
नयना: “हाँ, प्लीज़ किसी को मत बताना, खासकर करन को।”
मैं: “ठीक है, भाभी। लेकिन बताओ तो, आप क्या छुपा रही हो?”
नयना: “प्लीज़, मैं बता नहीं सकती। बस किसी को मत बताना।”
मैं: “ठीक है, नहीं बताऊँगा। लेकिन मुझे तो बताओ, क्या बात है?”
नयना: “लंबी कहानी है, बाद में बताऊँगी।”
मैं: “नहीं, भाभी, अभी थोड़ा तो बताओ।”
नयना: “प्लीज़, बस इतना वादा करो कि किसी को नहीं बताओगे।”
मैं: “हाँ, वादा है। अब बताओ।”
नयना: “जब तुमने मुझे मॉल में देखा, मैं किसी के साथ थी। वो मेरा कॉलेज फ्रेंड था।”
मैं: “तो इसमें छुपाने की क्या बात है?”
नयना: “बस, प्लीज़ किसी को मत बताना।”
मैं: “ठीक है, लेकिन वो कौन था?”
नयना: “मेरा कॉलेज फ्रेंड।”
मैं: “ओह, लेकिन भाभी, आप इतना डर क्यों रही हो?”
नयना: “पिछले तीन साल से हम मिल रहे हैं। किसी को पता नहीं।”
मैं: “मतलब वो आपका बॉयफ्रेंड है?”
नयना: “तुम जो समझो। बस किसी को मत बताना।”
मैं: “ठीक है, लेकिन मुझसे वादा करो, आप मुझे उससे मिलवाओगी।”
नयना: “क्या करोगे मिलकर?”
मैं: “बस, देखना चाहता हूँ, आपका बॉयफ्रेंड कैसा है।”
नयना: “ठीक है, बाद में।”
मैं: “बाय।”
वो: “बाय।”
रात को मैं सोचने लगा कि भाभी घर पर कितनी सीधी-सादी बनती हैं, और बाहर बॉयफ्रेंड के साथ घूमती हैं। फिर मैंने सोचा, उनकी ज़िंदगी, उनका फैसला। सुबह उठा तो उनके नंबर से मैसेज था, “थैंक्स।” दो दिन बाद फिर उनका कॉल आया। बोलीं, “अगर मेरे बॉयफ्रेंड से मिलना है, तो बिग बाज़ार की पार्किंग में आ जाओ।” मैं वहाँ पहुँचा। स्कूटी खड़ी थी, लेकिन भाभी नहीं दिखीं। तभी एक कार आई, और भाभी उसमें से उतरीं। मैं तो देखता रह गया। भाभी ने छोटी स्कर्ट और टाइट टॉप पहना था। मैंने उन्हें कभी ऐसे कपड़ों में नहीं देखा था। वो एकदम हॉट लग रही थीं।
भाभी ने कहा, “हेलो, मॉन्टी।” फिर अपने बॉयफ्रेंड को बुलाया। “ये पीयूष, और पीयूष, ये मॉन्टी।”
मैं: “हाय।”
पीयूष: “हाय, तुम नयना के दोस्त हो?”
मैं: “नहीं, उनके देवर करन का दोस्त हूँ।”
पीयूष: “ठीक है।”
नयना: “बस, हो गई बात। अब मैं चलती हूँ।”
मैं: “ठीक है, बाय।”
वो दोनों कार में बैठकर चले गए। मैं भाभी को स्कर्ट में देखकर हैरान था। घर पर साड़ी, और यहाँ मॉडर्न कपड़े! दो घंटे बाद भाभी का कॉल आया। बोलीं, “मूवी देखने चलोगे?” मैंने पूछा, “कहाँ?” उन्होंने सिनेमाघर का पता दिया। मैं पहुँचा। भाभी फिर साड़ी में थीं। मैं सोचने लगा, कपड़े कब बदले? मूवी शुरू हुई। मैं, पीयूष, और भाभी साथ बैठे। इंटरवल में भाभी बोलीं, “कुछ खाने का लाऊँ?” मैंने कहा, “चलो, मैं भी आता हूँ।” पीयूष को बुलाया, पर वो बोला, “मैं यहीं हूँ।” बाहर निकले तो भाभी ने मुझे पैसे और अपना मोबाइल थमाया और बोलीं, “मैं वॉशरूम जाकर आती हूँ।”
मैंने उनके मोबाइल में पीयूष के मैसेज देखे। ज़्यादातर शायरी और चुटकुले थे। लेकिन एक फोल्डर था, नयना के नाम का। उसमें कई लड़कों के नाम थे। मैंने कुछ मैसेज पढ़े। सारे सेक्स चैट थे, रात के समय के। मुझे समझ आया कि भाभी रात को कई लड़कों से ऐसी चैट करती हैं। घर जाकर मैंने सोचा, भाभी तो बड़ी चालू हैं! फिर मैंने एक नया नंबर लिया और रात को भाभी को मैसेज किया। पहले कोई जवाब नहीं आया। फिर मैंने लिखा, “दोस्त नहीं तो क्या, थोड़ी चैट कर सकते हैं?” वो मान गईं। धीरे-धीरे हमारी सेक्स चैट शुरू हुई। इतनी गर्म चैट थी कि मेरा लंड खड़ा हो गया। रोज़ रात को हम चैट करने लगे। एक दिन भाभी ने मुझे मॉल में मिलने बुलाया। मैं गया। वो मुझे देखकर चौंक गईं। बोलीं, “ये सारे मैसेज तुमने किए?” मैंने कहा, “आप मेरे नंबर पर रिप्लाई नहीं करती थीं।” वो थोड़ा नाराज़ हुईं, फिर मानीं। लेकिन शर्त रखी, “किसी को कुछ मत बताना।”
मैंने वादा किया। रात को चैट में मैंने पूछा, “भाभी, मेरे साथ सेक्स करोगी?” उन्होंने मना कर दिया। बोलीं, “मैं सिर्फ़ समीर के साथ करती हूँ।” मैंने कहा, “ठीक है, कभी मन हो तो बता देना।” वो बोलीं, “ठीक है।” एक दिन भाभी ने कॉल किया। बोलीं, “मूवी चलोगे?” मैंने पूछा, “कौन-कौन है?” वो बोलीं, “मैं, तुम, और मेरा एक और फ्रेंड।” मैंने पूछा, “पीयूष?” वो बोलीं, “नहीं, दूसरा।” मूवी हॉल में उन्होंने मुझे अपने एक और “कॉलेज फ्रेंड” से मिलवाया। मैं समझ गया कि भाभी हर किसी को “कॉलेज फ्रेंड” बोलती हैं। मूवी के बाद भाभी ने कहा, “पीयूष को कुछ मत बताना। ये हम दोनों का सीक्रेट है।”
अगले दिन सुबह 11:30 बजे मैंने भाभी को कॉल किया। पूछा, “कहाँ हो?” वो बोलीं, “बच्चों को स्कूल छोड़ने आई हूँ।” मैंने कहा, “मैं भी आ जाऊँ?” वो बोलीं, “हाँ, आ जाओ। शॉपिंग जाना है।” मैंने कहा, “शॉपिंग बाद में भी कर सकते हैं। मेरे फ्लैट पर चलो, फिर जाएँगे।” वो बोलीं, “ठीक है, आती हूँ।” वो हल्की पीली साड़ी में आईं, टाइट ब्लाउज़ में उनके बूब्स उभरे हुए थे। मैंने उन्हें सोफे पर बिठाया, पानी दिया। वो बोलीं, “ये तुम्हारा घर है?” मैंने कहा, “नहीं, मेरे दोस्त का फ्लैट। वो रात को आएगा।” वो थोड़ा घबराईं, बोलीं, “अगर किसी ने देख लिया तो?” मैंने दरवाज़ा बंद किया और कहा, “कोई नहीं आएगा। भाभी, एक बात पूछूँ? ये सारे कॉलेज फ्रेंड्स असली हैं?” वो बोलीं, “हाँ, क्यों?” मैंने कहा, “दोनों की उम्र 38-40 लगती है। कॉलेज फ्रेंड कैसे?” वो चुप रहीं। फिर बोलीं, “ठीक है, बताती हूँ, लेकिन वादा करो, किसी को नहीं बताओगे।”
मैंने वादा किया। वो बोलीं, “एक दिन मैं करन को सुबह उठाने गई। वो सिर्फ़ टॉवल में सोया था। नींद में उसका टॉवल खुल गया। मैंने उसका लंड देखा। इतना बड़ा था कि मैं देखती रह गई। समीर ने बताया था कि सबका साइज़ एक जैसा होता है, लेकिन करन का बहुत बड़ा था। मैंने करन को लाइन दी, पर उसने भाव नहीं दिया। मुझे डर था कि वो समीर या पापा को बता देगा। फिर मैं मॉल में नए लड़कों से मिलने लगी। पीयूष से मिली, उसके साथ मज़ा किया। लेकिन नया टेस्ट और मज़ेदार लगा, तो चैटिंग से और लोगों से मिली। पर करन जैसा कोई नहीं मिला।” मैंने पूछा, “तो आप सचमुच करन से चुदना चाहती हो?” वो बोलीं, “हाँ, लेकिन ये मुमकिन नहीं।” मैंने कहा, “मैं मुमकिन कर दूँगा।” वो बोलीं, “ठीक है, ट्राई करो। लेकिन मैं न फंस जाऊँ।” मैंने वादा किया कि कुछ नहीं होगा। फिर मैंने मज़ाक में कहा, “भाभी, मुझे भी मौका दोगी?” वो बोलीं, “बाद में।” मैंने कहा, “अभी कोई नहीं है। सिर्फ़ 10 मिनट।” वो हँसीं और बोलीं, “ठीक है।”
हम बेडरूम में गए। मैंने दरवाज़ा बंद किया। भाभी ने साड़ी उतारने की कोशिश की। मैंने कहा, “रुको, मैं उतारता हूँ।” वो बोलीं, “जल्दी करो, मुझे घर जाना है।” मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी खींची। उनकी गोरी कमर और टाइट ब्लाउज़ में कैद बूब्स देखकर मेरा लंड टाइट हो गया। मैंने कहा, “भाभी, ब्लाउज़ भी उतार दूँ?” वो बोलीं, “हाँ, जल्दी।” मैंने ब्लाउज़ के हुक खोले। उनके 36 साइज़ के बूब्स सफेद सिल्की ब्रा में उभरे हुए थे। मैंने ब्रा के ऊपर से उनके बूब्स दबाए। वो सिसकीं, “आह्ह…” मैंने ब्रा खोल दी। उनके गोल, भारी बूब्स आज़ाद हो गए। निप्पल गुलाबी और टाइट थे। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया, चूसने लगा। भाभी की साँसें तेज़ हो गईं, “उफ्फ… मॉन्टी… आह्ह…” मैंने दूसरा बूब्स दबाया, निप्पल को उंगलियों से मसला। वो कराह रही थीं, “आह्ह… और ज़ोर से…”
मैंने उनका पेटीकोट खींचा। वो अब सिर्फ़ सफेद सिल्की पैंटी में थीं। उनकी चूत के छोटे-छोटे बाल पैंटी के ऊपर से दिख रहे थे। मैंने पैंटी के ऊपर से उनकी चूत को सहलाया। वो गीली हो चुकी थीं। मैंने पैंटी उतारी। उनकी चूत गुलाबी, गीली, और मस्त थी। मैंने उस पर जीभ फेरी। भाभी ने मेरा सिर पकड़ लिया, “आह्ह… चाटो… और ज़ोर से…” मैंने उनकी चूत को चूसा, जीभ अंदर-बाहर की। वो सिसक रही थीं, “उफ्फ… मॉन्टी… आह्ह… कितना मज़ा…” उनकी चूत का रस मेरे मुँह में था। मैंने उनकी क्लिट को जीभ से रगड़ा। वो चिल्लाईं, “आह्ह… बस… और मत तड़पाओ…”
मैंने अपनी टी-शर्ट और पैंट उतारी। मेरा 7 इंच का लंड अंडरवियर में तन गया था। भाभी ने उसे देखा और बोलीं, “वाह… ये तो पीयूष से भी बड़ा है।” मैंने कहा, “आपको देखकर और टाइट हो गया।” वो बोलीं, “जल्दी करो, डाल दो।” मैंने अंडरवियर उतारा। मेरा लंड पूरा तना हुआ था। भाभी ने उसे हाथ में लिया, सहलाया। बोलीं, “कितना मोटा लंड है तेरा…” मैंने उनके पैर फैलाए, अपने लंड पर थूक लगाया। पूछा, “नयना, डाल दूँ?” वो बोलीं, “हाँ, जल्दी… मुझे भाभी मत बुला।” मैंने कहा, “ठीक है, नयना। तुम्हारी चूत बहुत मस्त है।” मैंने धीरे से लंड उनकी चूत पर रगड़ा। वो सिसकीं, “आह्ह… डाल दे…” मैंने एक ज़ोरदार झटका मारा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। वो चिल्लाईं, “आह्ह… मॉन्टी… कितना दर्द… लेकिन मज़ा…” उनकी आँखों में आँसू थे, पर चेहरा खुशी से चमक रहा था।
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उनकी चूत टाइट होती जा रही थी। “पच… पच…” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। भाभी सिसक रही थीं, “आह्ह… उफ्फ… और ज़ोर से… चोदो मुझे…” मैंने स्पीड बढ़ाई। उनके बूब्स उछल रहे थे। मैंने एक बूब्स पकड़ा, निप्पल चूसा। वो बोलीं, “आह्ह… मॉन्टी… तेरा लंड… कितना मोटा… उफ्फ…” मैंने उनके पैर और फैलाए, गहरे धक्के मारे। उनकी चूत गीली थी, और हर धक्के के साथ “पच… पच…” की आवाज़ तेज़ हो रही थी। वो चिल्लाईं, “आह्ह… बस… मैं झड़ने वाली हूँ…” मैंने कहा, “नयना, मैं भी…” वो बोलीं, “प्लीज़, अंदर मत झड़ना।” मैंने पूछा, “कहाँ?” वो बोलीं, “बूब्स पर… फिर मुँह में…” मैंने लंड बाहर निकाला, उनके बूब्स पर सारा वीर्य गिरा दिया। वो उंगलियों से वीर्य उठाकर चाटने लगीं। फिर मेरा लंड मुँह में लिया, चूसने लगीं। “उम्म… स्स्स…” वो मेरा लंड चाट रही थीं, जैसे कोई लॉलीपॉप हो।
थोड़ी देर बाद वो बोलीं, “बस, अब मैं जाऊँ?” मैंने कहा, “फिर कब?” वो बोलीं, “जब तू बुलाए।” मैंने कहा, “सच?” वो हँसीं, “हाँ, तुझसे ज़्यादा मज़ा आया। समीर और पीयूष से भी बेहतर।” मैंने कहा, “तो रोज़ आ जाया कर।” वो बोलीं, “हर रोज़? मुमकिन है?” मैंने कहा, “हाँ, जब मन करे, आ जाना।” फिर हमने करीब एक महीने तक रोज़ सेक्स किया। एक दिन मैंने पूछा, “नयना, सच बताओ, अब तक कितनों के साथ किया?” वो बोलीं, “24-25 के साथ।” मैं हैरान था। मैंने कहा, “फिर क्या चाहिए?” वो बोलीं, “कुछ नहीं। लेकिन करन के साथ करना है। तू सेटिंग करवा दे।” मैंने कहा, “ठीक है, मैं कर दूँगा।” वो अब रोज़ मेरे पास आती है, और हर बार पूछती है, “करन से कब चुदवाएगा?”
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