हाय, मेरा नाम कुणाल बहल है। मैं अभी 21 साल का हूँ और बी.आर्क की पढ़ाई कर रहा हूँ। मेरी जिंदगी की सबसे अजीब और उत्तेजक कहानी ये है कि मैं अपनी ही दीदी, नीतू, के बच्चे का बाप हूँ। ये सब कैसे हुआ, आज मैं आपको बताने जा रहा हूँ। उस वक्त मैं 18 साल का था, बारहवीं में पढ़ता था, और जिंदगी में सेक्स के बारे में कुछ नहीं जानता था। मेरे लिए ये सब एक अनजान दुनिया थी, जो मेरी दीदी ने मुझे दिखाई।
मैं अपने माँ-बाप का इकलौता बेटा हूँ। घर में सब मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मेरी हर खुशी का ख्याल रखते हैं। मेरी मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा लाड़-प्यार से पाला, और मेरी बड़ी दीदी, नीतू, भी मेरे लिए माँ जैसी थी। नीतू दीदी 28 साल की थीं, लंबी, गोरी, और भरे हुए बदन वाली। उनकी आँखें बड़ी-बड़ी थीं, और हँसी इतनी प्यारी कि कोई भी उनसे नजरें नहीं हटा पाए। उनकी शादी 20 साल की उम्र में हुई थी, लेकिन उनके पति ने उन्हें छोड़कर दूसरी शादी कर ली और अब वो यूएसए में रहते थे। दीदी चंडीगढ़ में अकेली रहती थीं, एक बड़े से फ्लैट में, जहाँ वो अपनी जिंदगी अपनी शर्तों पर जी रही थीं। जब मैंने बारहवीं के एग्जाम पास किए, तो मम्मी-पापा ने फैसला किया कि मुझे आगे की पढ़ाई के लिए दीदी के पास चंडीगढ़ भेजा जाए। मैं दीदी से मिलने को लेकर खुश भी था और मम्मी-पापा से दूर जाने के ख्याल से उदास भी।
एग्जाम के करीब एक महीने बाद पूरी फैमिली मुझे दीदी के पास छोड़ने चंडीगढ़ आई। दीदी ने मुझे देखते ही गले से लगा लिया, मेरे माथे को चूमा, और उनकी गर्म साँसों ने मेरे चेहरे को छू लिया। उनकी खुशबू, उनके मुलायम हाथ, सब कुछ ऐसा था कि मैं थोड़ा घबरा गया। दो दिन तक हम सब साथ रहे, हँसी-मजाक हुआ, और फिर मम्मी-पापा मुझे दीदी के पास छोड़कर वापस लौट गए। अब चंडीगढ़ में सिर्फ मैं और दीदी थे। स्कूल की छुट्टियाँ चल रही थीं, तो हम दोनों दिनभर घर पर ही रहते थे।
दीदी मुझे बहुत प्यार करती थीं। चूंकि उनका कोई बच्चा नहीं था, वो मुझे अपने बच्चे की तरह मानती थीं। वो मेरे लिए खाना बनातीं, मुझे अपने हाथों से खिलातीं, और यहाँ तक कि मुझे नहलाने में भी मदद करतीं। मैंने कभी इन बातों को गलत नहीं सोचा, क्योंकि मेरे लिए ये सब प्यार का हिस्सा था। लेकिन एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिसने मेरी जिंदगी बदल दी।
एक सुबह दीदी घर में झाड़ू लगा रही थीं। उन्होंने हल्की गुलाबी रंग की नाइटी पहनी थी, जो उनके घुटनों तक थी। वो जब झुकतीं, तो उनकी नाइटी का गला थोड़ा नीचे सरक जाता, और उनकी गहरी क्लीवेज दिखने लगती। उनकी चूचियाँ, जो भरी-भरी और गोरी थीं, ब्रा के अंदर से साफ झलक रही थीं। मैं सोफे पर बैठा था, और मेरी नजर बार-बार उनकी तरफ जा रही थी। पहले मैंने ध्यान नहीं दिया, लेकिन जब दीदी मेरे पास आईं, तो उनकी चूचियाँ और करीब से दिखीं। मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा। मैंने कभी ऐसा कुछ महसूस नहीं किया था। मेरा लंड धीरे-धीरे टाइट होने लगा, और मैं घबरा गया। तभी दीदी ने मुझे देख लिया और हल्के से मुस्कुराते हुए बोलीं, “क्या देख रहा है, कुणाल?” उनकी आवाज में शरारत थी, लेकिन वो फिर अपने काम में लग गईं। मैंने जल्दी से कहा, “कुछ नहीं, दीदी,” और नजरें हटा लीं।
उस रात हम दोनों एक ही बेड पर सो रहे थे, जैसा कि हमेशा करते थे। दीदी की नाइटी उनके घुटनों तक खिसक गई थी, और उनकी गोरी जाँघें चाँदनी में चमक रही थीं। मैं बार-बार दिन वाली घटना को याद कर रहा था। उनकी चूचियों का ख्याल मेरे दिमाग से नहीं जा रहा था। रात को अचानक मुझे लगा कि मेरे लंड से कुछ गीला-गीला निकला। मेरा अंडरवियर चिपचिपा हो गया। मुझे लगा शायद मैंने नींद में सुसु कर लिया। मैं डर गया, क्योंकि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ था। मैंने दीदी को जगाया, “दीदी, उठो, मेरे साथ कुछ हुआ है।” दीदी नींद में थीं, लेकिन मेरी आवाज सुनकर उठ गईं। “क्या हुआ, इतनी रात को?” उन्होंने आलस भरी आवाज में पूछा। मैंने शर्माते हुए कहा, “दीदी, मेरा अंडरवियर गीला हो गया। शायद मैंने सुसु कर लिया।” दीदी हल्के से हँसीं और बोलीं, “चल, बाथरूम चलते हैं, मैं तुझे साफ कर देती हूँ।”
बाथरूम में दीदी ने मेरी निकर और अंडरवियर उतार दिया। मेरा लंड अभी भी थोड़ा सख्त था, और जब दीदी ने उसे पानी से साफ किया, तो उनकी उंगलियों का स्पर्श मुझे अजीब सा लगा। मैंने पूछा, “दीदी, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। आज क्या हुआ?” दीदी ने नरम आवाज में कहा, “ये नॉर्मल है, कुणाल। इस उम्र में ऐसा हो जाता है। अब चल, सो जाते हैं।” मैं चुपचाप उनके साथ बेड पर वापस आ गया, लेकिन मेरा दिमाग उलझा हुआ था।
अगली सुबह दीदी मुझे नहलाने बाथरूम ले गईं। उन्होंने मेरे सारे कपड़े उतार दिए और मुझे नहलाना शुरू किया। जब उनका हाथ मेरे लंड पर लगा, तो वो फिर से सख्त होने लगा। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। दीदी ने मेरे लंड को साबुन से साफ किया, और उनकी उंगलियाँ मेरे सुपारे पर धीरे-धीरे फिसल रही थीं। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो गया था, करीब 7 इंच लंबा और मोटा। मैंने शर्माते हुए पूछा, “दीदी, मेरी नुन्नी ऐसी क्यों हो रही है?” दीदी ने हल्का सा हँसते हुए कहा, “अरे, ये नुन्नी नहीं, अब ये लंड है। तू बड़ा हो गया है, इसलिए ये भी बड़ा हो गया।” मैंने मासूमियत से पूछा, “लंड क्यों, दीदी?” दीदी ने कहा, “समय आने पर तुझे सब पता चल जाएगा।”
फिर मैंने पूछा, “दीदी, आपकी भी नुन्नी… मेरा मतलब लंड बड़ा हुआ होगा?” दीदी जोर से हँस पड़ीं और बोलीं, “पागल, औरतों का लंड नहीं होता। हमारे पास चूत होती है, जिससे हम सुसु करते हैं।” मैंने उत्सुकता से कहा, “दीदी, मुझे देखना है!” मैं जिद करने लगा, क्योंकि घर में सब मेरी जिद मानते थे। दीदी पहले थोड़ा हिचकिचाईं, फिर मुस्कुराते हुए बोलीं, “ठीक है, लेकिन ये सिर्फ तू देखेगा।” उन्होंने अपनी सलवार नीचे खींची और फिर अपनी पैंटी भी। उनकी चूत साफ थी, हल्के भूरे बालों से घिरी, और गुलाबी होंठ चमक रहे थे। मैंने मासूमियत से कहा, “ये चूत है?” दीदी ने हँसते हुए कहा, “हाँ, इसे चूत कहते हैं। अंग्रेजी में वजाइना।” मैंने फिर पूछा, “दीदी, चूत क्यों होती है?” दीदी ने सोचते हुए कहा, “इससे बच्चा पैदा होता है। लेकिन ये सब तुझे शादी के बाद समझ आएगा।”
नाश्ते के बाद मैं उदास हो गया। मेरे दिमाग में ढेर सारे सवाल थे। दीदी ने मुझे उदास देखा और पूछा, “क्या हुआ, कुणाल?” मैंने कहा, “दीदी, आप कहती हैं कि मुझसे पूछो, लेकिन फिर बताती नहीं। बच्चा कैसे पैदा होता है?” दीदी ने गहरी साँस ली और बोलीं, “ठीक है, मैं बताती हूँ। जब मर्द का लंड औरत की चूत में जाता है और उसका पानी अंदर छोड़ता है, तो उससे बच्चा बनता है। जो रात को तेरा निकला था, वो वही पानी था।” मैंने फिर जिद की, “दीदी, मुझे करके देखना है।” दीदी ने सख्ती से कहा, “नहीं, कुणाल, ये सिर्फ पति-पत्नी करते हैं।”
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। लेकिन एक रात मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। मैंने देखा दीदी की नाइटी उनके जाँघों तक खिसक गई थी। उनकी गोरी जाँघें और काली पैंटी की झलक मुझे दीवाना बना रही थी। मैंने धीरे से उनकी नाइटी और ऊपर उठाई। उनकी चूत अब मेरे सामने थी, नरम और गीली। मैंने धीरे से अपनी उंगली उस पर रखी। उसका गर्म और मुलायम एहसास मेरे बदन में बिजली दौड़ा गया। मैंने उंगली से चूत के होंठ खोलने की कोशिश की, तभी दीदी की नींद खुल गई। “कुणाल, ये क्या कर रहा है?” उनकी आवाज में गुस्सा और घबराहट थी। मैंने डरते हुए कहा, “दीदी, मैं बस चूत देख रहा था। प्लीज, मुझे एक बार अंदर डालने दो।” दीदी ने मना किया, लेकिन मैंने जिद पकड़ ली। बच्चे की तरह मैंने कहा, “अगर आप नहीं मानेंगी, तो मैं कल सुबह अपने घर चला जाऊँगा।” ये सुनकर दीदी की आँखें नम हो गईं। वो मुझे बहुत प्यार करती थीं, और मेरी जिद उनके लिए बर्दाश्त करना मुश्किल था।
मैंने दीदी को रोते देखा तो मुझे भी बुरा लगा। मैंने कहा, “दीदी, प्लीज मत रोओ। मैं कहीं नहीं जाऊँगा, लेकिन बस एक बार करने दो।” दीदी ने लंबी साँस ली और बोलीं, “ठीक है, कुणाल। लेकिन सिर्फ एक बार, और जैसा मैं कहूँ, वैसा करना।” मैंने खुशी से हामी भरी।
दीदी ने धीरे-धीरे अपनी सलवार और पैंटी उतारी। उन्होंने सिर्फ अपनी ब्रा और कुर्ता पहना हुआ था। मैंने कहा, “दीदी, कुर्ता भी उतार दो।” दीदी ने थोड़ा हिचकिचाते हुए कुर्ता उतारा, लेकिन ब्रा नहीं। उनकी भारी चूचियाँ ब्रा में कसी हुई थीं, और मैं उनसे नजरें नहीं हटा पा रहा था। दीदी बेड पर लेट गईं और बोलीं, “आ मेरे ऊपर।” मैं उनके ऊपर चढ़ गया। दीदी ने मेरे लंड को अपने नरम हाथों में लिया। उनकी उंगलियाँ मेरे सुपारे पर फिसलीं, और मेरा 7 इंच का लंड तुरंत कड़क हो गया। दीदी ने हल्के से कहा, “कुणाल, तेरा तो बहुत बड़ा है।” उन्होंने मेरे लंड को अपनी चूत के मुँह पर रखा और रगड़ने लगीं। उनकी चूत गीली थी, और हर रगड़ के साथ “आह्ह” की हल्की सी सिसकारी उनके मुँह से निकल रही थी। मैंने भी धीरे से उनकी जाँघों को सहलाना शुरू किया। उनकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरा बदन काँप रहा था।
लंड चूत में नहीं जा रहा था। दीदी ने कहा, “रुक, तेल ला।” मैं उठकर तेल की बोतल लाया। दीदी ने मेरे लंड पर और अपनी चूत पर ढेर सारा तेल लगाया। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड पर फिसल रही थीं, और हर बार वो मेरे सुपारे को हल्के से दबातीं, जिससे मैं सिहर उठता। फिर दीदी ने लंड को अपनी चूत पर रखा और बोलीं, “एक जोर का धक्का मार।” मैंने हल्का सा धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में थोड़ा सा घुसा। “आह्ह!” दीदी की सिसकारी निकली, और मुझे भी हल्का दर्द हुआ। दीदी ने कहा, “रुक, थोड़ा रुक।” कुछ देर बाद दर्द कम हुआ, और दीदी ने कहा, “अब फिर से धक्का मार।” इस बार मैंने पूरी ताकत से धक्का मारा। “पच!” की आवाज के साथ मेरा 7 इंच का लंड उनकी चूत में पूरा घुस गया। दीदी ने जोर से सिसकारी ली, “उह्ह्ह… कुणाल, धीरे!” मैं रुक गया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसमें जकड़ा हुआ था।
कुछ देर बाद दीदी ने कहा, “अब धीरे-धीरे अंदर-बाहर कर।” मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। हर धक्के के साथ “पच-पच” की आवाज गूँज रही थी। दीदी की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… कुणाल, हाँ, ऐसे ही!” उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर लग रही थीं। मैंने उनके कंधों को पकड़ा और धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। दीदी ने अपनी गाँड उठानी शुरू की, और हर धक्के में वो मेरा साथ दे रही थीं। उनकी चूत अब और गीली हो गई थी, और हर धक्के में “चप-चप” की आवाज के साथ उनका पानी मेरे लंड पर लिपट रहा था। मैंने उनकी ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को दबाना शुरू किया। दीदी ने आँखें बंद कर लीं और सिसकारियाँ लेती रहीं, “आह्ह… ओह्ह… हाँ, कुणाल!”
करीब 15 मिनट की चुदाई के बाद दीदी की चूत से पानी की धार निकली। “उह्ह्ह… कुणाल!” उनकी सिसकारी पूरे कमरे में गूँज रही थी। उनकी चूत अब इतनी चिकनी हो गई थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने और जोर-जोर से धक्के लगाए। तभी मुझे लगा कि मेरा लंड फटने वाला है। मैंने कहा, “दीदी, कुछ निकलने वाला है!” दीदी ने हाँफते हुए कहा, “कोई बात नहीं, बस धक्के मारते रह!” और फिर मेरे लंड से गर्म-गर्म पानी की पिचकारी उनकी चूत में छूटी। “आह्ह्ह!” मैंने जोर से सिसकारी ली, और दीदी भी उसी वक्त फिर से झड़ गईं। “ओह्ह… कुणाल!” उनकी आवाज में मस्ती थी। मैं थककर उनके ऊपर ढेर हो गया। मेरा लंड अभी भी उनकी चूत में था, और धीरे-धीरे वो सिकुड़ने लगा। “पच” की आवाज के साथ लंड बाहर निकला, और दीदी की चूत से ढेर सारा सफेद पानी बहने लगा।
मैंने पूछा, “दीदी, ये क्या निकल रहा है?” दीदी ने हँसते हुए कहा, “ये तेरा और मेरा पानी है, कुणाल। इससे बच्चा बनता है। इसे चुदाई कहते हैं।” मैंने पहली बार जाना कि सेक्स क्या होता है। दीदी ने मुझे गले लगाया और बोलीं, “अब तू मुझे छोड़कर नहीं जाएगा ना?” मैंने कहा, “नहीं, दीदी, मैं कहीं नहीं जाऊँगा।” दीदी ने कहा, “ये बात किसी को मत बताना, कुणाल। ये सिर्फ पति-पत्नी करते हैं, भाई-बहन नहीं।” मैंने वादा किया कि मैं किसी को नहीं बताऊँगा।
हम बाथरूम गए। मैं नंगा था, और दीदी ने अपनी ब्रा भी उतार दी। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियाँ मेरे सामने लटक रही थीं। मैंने कहा, “दीदी, मुझे आपका दूध पीना है।” दीदी ने हल्के से मुस्कुराते हुए अपनी एक चूची मेरे मुँह में दी। मैंने उसे चूसना शुरू किया, और दूसरी चूची को धीरे-धीरे दबाने लगा। “आह्ह… कुणाल, धीरे!” दीदी की सिसकारी फिर से शुरू हो गई। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। इस बार मैंने बिना पूछे उनका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। दीदी ने हल्का सा गुस्सा दिखाते हुए कहा, “मैंने सिर्फ एक बार कहा था, कुणाल!” लेकिन वो मेरे लंड को सहलाती रहीं। मैंने उदास होने की एक्टिंग की, तो दीदी ने मुझे मनाया और बोलीं, “ठीक है, रोज कर लेंगे, लेकिन किसी को मत बताना।”
हम खड़े-खड़े चुदाई करने लगे। मैंने दीदी की चूत पर लंड रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “पच!” लंड एक ही बार में उनकी चूत में समा गया। “आह्ह्ह… कुणाल, धीरे!” दीदी की सिसकारी गूँजी। मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। “पच-पच-चप-चप” की आवाज बाथरूम में गूँज रही थी। दीदी की चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थीं। मैंने उनकी गाँड को पकड़ा और जोर-जोर से धक्के लगाने लगा। दीदी भी अपनी कमर हिला रही थीं, “उह्ह… हाँ, कुणाल, और जोर से!” करीब 20 मिनट बाद मैं फिर से झड़ गया। “आह्ह्ह!” मेरे लंड से पानी की धार दीदी की चूत में गिरी, और दीदी भी दो बार झड़ चुकी थीं। “ओह्ह… कुणाल, कितना मज़ा आया!” दीदी ने हाँफते हुए कहा।
हमने नहाया और कमरे में वापस आए। अगले कुछ दिन हमने जमकर चुदाई की। हर रात, हर सुबह, हम एक-दूसरे में खोए रहते। फिर मेरे स्कूल शुरू हो गए। एक दिन मैं अपने कमरे में बैठा था, तभी दीदी आईं और बोलीं, “कुणाल, मैं प्रेग्नेंट हूँ।” मैं चौंक गया। “क्या, दीदी?” दीदी ने दोहराया, “हाँ, मैं प्रेग्नेंट हूँ। तू हर बार मेरी चूत में पानी छोड़ देता था, इसलिए ऐसा हुआ।” मैं डर गया। “अब क्या होगा, दीदी? सब जानते हैं कि आपके पति सात साल से आपके साथ नहीं हैं।” दीदी ने शांत स्वर में कहा, “कोई बात नहीं। हम घर शिफ्ट कर लेंगे। नई जगह पर किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। रिश्तेदारों को कह देंगे कि मैंने बच्चा गोद लिया है।”
उस दिन से आज तक मैं और दीदी साथ हैं। दीदी अब दो बच्चों की माँ हैं—एक बेटी और एक बेटा। दोनों बहुत सुंदर हैं। हमारी जिंदगी अब नई जगह, नए रंग में है। लेकिन वो पहली रात, वो पहली चुदाई, वो कभी नहीं भूलती।
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