दोस्तो, मैं सैम, तुम्हारा बिंदास यार, अपनी आखिरी फैमिली चुदाई कहानी लेकर आया हूँ। पिछली बार तुमने पढ़ा कि बैंगलोर में मैंने दीदी और उनकी जेठानी प्रेरणा के साथ मज़े किए।
कहानी का पिछला भाग: दीदी के घर में दो चूत चोदी
उसी दिन रात नौ बजे की ट्रेन थी, और दीदी की ननद शिवानी मेरे साथ मुंबई जा रही थी। फर्स्ट एसी केबिन में हम अकेले थे। शिवानी ने पहले नखरे दिखाए, तड़पाया, फिर अपनी चूत मेरे लंड के हवाले कर दी। चुदाई इतनी ज़ोरदार और रिस्की थी कि तुम्हारा लंड खड़ा हो जाएगा और चूत गीली हो जाएगी। चलो, शुरू करते हैं।
बैंगलोर से निकले तो दीदी ड्राइवर के साथ आगे थीं। शिवानी खिड़की के पास बैठी थी, प्रेरणा उसके बगल में, और मैं पीछे। रास्ते में शिवानी ने कहा, “ज़रा गाड़ी रोक, चिप्स और कोल्ड ड्रिंक लेते हैं।” प्रेरणा ने सहमति दी। हमने एक दुकान से सामान लिया और स्टेशन की ओर बढ़े। वहाँ पहुँचकर मैंने शिवानी का सूटकेस और अपना बैकपैक उतारा। प्लेटफॉर्म 2 पर ट्रेन खड़ी थी। दीदी ने जल्दबाज़ी की, “सैम, सामान रख, टाइम हो रहा है।” प्रेरणा बोली, “पहले शिवानी का सूटकेस।”
मैंने उसका सामान फर्स्ट एसी के दो-बर्थ केबिन में रखा, फिर अपना बैग नॉन-एसी कोच में सेट करके लौटा। दीदी ने हिदायत दी, “खाना खा लेना और सो जाना।” प्रेरणा ने आँख मारी, “शिवानी को संभालना।” दीदी हँस पड़ी। हम शिवानी के केबिन में गए। वहाँ एक औरत अपने सर्टिफिकेट भूलने की बात कहकर उतर रही थी। उसने शिवानी को टिकट थमाया, “टीटीई को दिखा देना।” दीदी और प्रेरणा ने उसका सामान उतारा। तभी ट्रेन हिली और चल पड़ी। मैं फुर्ती से चढ़ा। शिवानी बोली, “सैम, यहीं रुक। टिकट मुंबई तक का है।” मैंने कहा, “बैग लाता हूँ।”
मेरा कोच चार डिब्बे दूर था। वापस आया तो केबिन लॉक था। शिवानी ने आवाज़ दी, “दो सेकंड।” दरवाज़ा खुला। उसने पीली नाइटी पहनी थी, जो घुटनों तक थी। उसकी 34 की चूचियाँ नाइटी से उभर रही थीं। गोरी जाँघें और नीली पैंटी की झलक मेरे लंड को बेकरार कर रही थी। हम निचली बर्थ पर बैठे। शिवानी ने पूछा, “बैंगलोर में कितने दिन रहा?” मैंने बताया, “10 दिन।” वो बोली, “तुझे देखा नहीं।” मैंने कहा, “तुम जब आईं, मैं बुआ के घर था।” वो हँसी, “वहाँ क्या किया?” मैंने मज़ाक किया, “बुआ ने खूब खाना खिलाया।”
वो बोली, “गर्लफ्रेंड है?” मैंने कहा, “हाँ, कॉलेज में।” उसने चुटकी ली, “कुछ किया उसके साथ?” मैंने हँसकर कहा, “उसके साथ नहीं, औरों के साथ ज़रूर।” मैं उसकी चूचियों को घूर रहा था। उसने पकड़ा, “क्या देख रहा है?” मैंने मज़ाक किया, “प्यास लगी, पानी दे।” वो हँसी, “पानी या कुछ और?” मैंने कहा, “जो तू दे, ले लूँगा।” वो गंभीर हो गई। “सैम, मैं शादीशुदा हूँ। गलत है।” मैंने उसका हाथ पकड़ा। “शिवानी, बस थोड़ा मज़ा।” वो बोली, “पति को पता चला तो बवाल हो जाएगा।”
मैंने उसकी उंगलियाँ सहलाईं। “हम अकेले हैं।” उसकी साँसें तेज़ हुईं। मैंने फुसफुसाया, “तेरी जवानी को यूँ बेकार मत कर।” वो शरमाई। “सैम, मुझे सोचने दे।” मैंने उसकी कमर पकड़ी, हल्के से खींचा। वो बोली, “ट्रेन में? कोई आ गया तो?” मैंने केबिन लॉक किया। “कोई नहीं आएगा।” वो बोली, “तुझे इतनी जल्दी क्यों है?” मैंने उसकी जाँघ पर हाथ फेरा। “तुझे देखकर कंट्रोल नहीं हो रहा।” वो हँसी। “बड़ा बेशरम है तू।”
मैंने उसकी नाइटी की ज़िप खींची। वो बोली, “रुक, अभी नहीं।” ज़िप आधी खुली। उसकी चूचियाँ दिखीं। ब्रा नहीं थी। मैंने एक चूची दबाई। वो सिहरी। “सैम, धीरे। दुखता है।” मैंने चूची मुँह में ली, हल्के से चूसी। वो सिसकारी। “ये गलत है… पर अच्छा लग रहा है।” मैंने नाइटी उतार दी। उसकी पैंटी गीली थी। मैंने पैंटी खींची। उसकी गुलाबी चूत साफ़ थी। वो शरमाई। “सैम, इतनी जल्दी? शर्मिंदगी हो रही है।”
मैंने उसे बर्थ पर बिठाया, जाँघें फैलाईं। वो बोली, “पहले तू कपड़े उतार।” मैंने टी-शर्ट और ट्रैक पैंट फेंकी। मेरा 7 इंच का लंड अंडरवियर में तना था। उसने देखा। “इतना बड़ा? डर लग रहा है।” मैंने उसका हाथ लंड पर रखा। वो बोली, “मेरे पति का इतना नहीं।” मैंने उसकी चूत चाटी। रस हल्का नमकीन था। वो सिसकारी। “सैम, धीरे… गुदगुदी हो रही है।” मैंने जीभ गहराई में डाली। वो तड़पी। “बस… अजीब लग रहा है।”
मैंने चाटा। वो चीखी। “सैम, कुछ हो रहा है!” वो झड़ गई। रस मेरे मुँह में बहा। वो हाँफते हुए बोली, “पहली बार ऐसा हुआ।” मैंने लंड उसकी चूत पर रगड़ा। वो बोली, “रुक, डर लग रहा है।” मैंने उसके होंठ चूसे। “शिवानी, बस थोड़ा।” वो बोली, “धीरे डाल।” मैंने लंड सेट किया, धीरे धक्का मारा। सुपारा घुसा। वो चीखी। “आह… दर्द हो रहा है!” मैंने रुककर उसकी चूचियाँ चूसीं। वो बोली, “बस, और नहीं।”
मैंने धीरे हिलाया। वो सिसकारी। “धीरे…” मैंने आधा लंड डाला। वो बोली, “निकाल… फट जाएगी!” मैंने होंठ चूसे, पूरा लंड पेला। वो चीखी। “हाय… फट गई!” उसने मेरी पीठ खरोंची। मैं रुका। वो बोली, “सैम, सिर्फ दर्द हो रहा है।” मैंने धीरे चोदा। वो बोली, “अब थोड़ा अच्छा है।” 15 मिनट बाद वो झड़ी। उसकी चूत ने मेरे लंड को निचोड़ा। मैं भी झड़ा। वो बोली, “अंदर क्यों? प्रेग्नेंट हो गई तो?” मैंने कहा, “पिल ले लेना।”
मैंने लंड निकाला, ट्रेन के तौलिये से साफ़ किया। वो बोली, “वॉशरूम जाऊँ।” उसने वन-पीस पहना और चली गई। वापस आई, दरवाज़ा लॉक किया, मेरी गोद में बैठी। “सैम, पहले दर्द हुआ। अब फिर गर्मी चढ़ रही है।” मैंने उसे नंगा किया, दीवार से सटाया। उसकी एक टाँग बर्थ पर रखी, लंड पेला। ट्रेन की हलचल से लंड गहरा जा रहा था। वो सिसकारी। “सैम, धीरे… कोई सुन लेगा!” मैंने ज़ोर से चोदा। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से टकरा रही थीं।
वो बोली, “खतरनाक है… पर मज़ा आ रहा है!” 10 मिनट बाद वो झड़ी। रस मेरे लंड पर बहा। मैंने उसे गोद में उठाया। उसकी गांड मेरे हाथों में थी। खड़े-खड़े चोदा। वो चीखी। “सैम, और तेज़!” मैंने बर्थ पर लिटाया, गांड के नीचे तकिए रखे, टाँगें कंधों पर लीं। उसकी चूत खुली थी। मैंने लंड पेला, ज़ोर से चोदा। वो चीखी। “सैम, फाड़ दे!” 5 मिनट बाद वो तीसरी बार झड़ी। मैं झड़ने वाला था। मैंने लंड निकाला, उसे बिठाया, और उसके चेहरे पर गाढ़ा, गर्म माल छोड़ा। मेरा लंड पिचकारी मार रहा था। वो हाँफते हुए हँसी। “सैम, ये क्या कर दिया? गंदा कर दिया।” मैंने तौलिये से उसका चेहरा साफ़ किया।
हम पसीने से तर थे। 10 मिनट बाद गुप्तांग साफ़ किए, कपड़े पहने। तभी डोर नॉक हुआ। 32 साल की हॉट औरत, उपासना, थर्मस माँग रही थी। उसकी साड़ी में 36 की चूचियाँ उभरी थीं। वो हमें घूर रही थी। मैं समझ गया, हमारी चुदाई की आवाज़ें सुनकर वो गर्म थी। वो चली गई। शिवानी ने दरवाज़ा लॉक किया। “सैम, मेरे पति ने कभी ऐसा नहीं चोदा।” मैंने कहा, “जब मन करे, फोन करना।” डिनर आया। हमने खाया और अपनी बर्थ पर लेट गए।
शिवानी की नाइटी में वो आग थी। मैंने उसकी पैंटी पर किस किया। वो बोली, “सैम, सोना है। सुबह।” मैं सो गया। सुबह उसे किस करके जगाया। वो बोली, “रात को दर्द हुआ। डर लग रहा है।” मैंने उसकी चूचियाँ सहलाईं। “बस एक बार।” वो बोली, “धीरे।” मैंने नाइटी उतारी, टाँगें फैलाईं, लंड पेला। वो सिसकारी। “आह… धीरे!” मैंने ज़ोर से चोदा। वो झड़ी। मैंने उसे पलटा, डॉगी स्टाइल में चोदा। उसकी गांड थरथराई। वो चीखी। “सैम, और ज़ोर से!” मैं झड़ा। वो फिर झड़ी।
मुंबई स्टेशन पर उतरे। शिवानी के पति बाहर थे। मैंने उसका सूटकेस उन्हें दिया। वो चली गई। मैं टैक्सी से घर गया।
दोस्तो, शिवानी की चूत का मज़ा कैसा लगा? ये मेरी आखिरी फैमिली चुदाई कहानी थी। तुम्हारे ढेर सारे प्यार और मेल्स के लिए शुक्रिया। अब अगली बार किसी नई कहानी के साथ मिलता हूँ!
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