दीदी की जेठानी और उसकी बहन को चोदा

दोस्तो, मैं सैम, एक बार फिर अपनी ज़िंदगी की रसीली कहानी लेकर हाज़िर हूँ। पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी पूनम दीदी को उनकी ससुराल बैंगलोर छोड़ने गया, और ट्रेन में उनकी चूत और गांड की चुदाई का मज़ा लिया।

कहानी का पिछला भाग: 1st क्लास ट्रेन में दीदी के साथ सेक्स

ससुराल पहुँचते ही दीदी ने बताया कि उनके जेठ की दूसरी शादी चार महीने पहले प्रेरणा नाम की एक हॉट लड़की से हुई, जो उनकी कंपनी के फाइनांस डिपार्टमेंट में थी। जेठ की पहली बीवी से बच्चा नहीं हुआ, तो सात साल बाद तलाक़ दे दिया। अब प्रेरणा उनकी नई बीवी थी, और दीदी के ससुर जी अस्पताल में भर्ती थे।

हम दीदी की ससुराल पहुँचे, तो उनका घर एक तीन मंज़िला शानदार बंगला था। दीदी की सास और जेठ अस्पताल जा रहे थे। दीदी ने सास के पैर छुए, और उन्होंने हमें आराम करने को कहा। सास बोलीं, “शाम को अस्पताल आ जाना।” फिर वो चली गईं। हम बंगले में दाखिल हुए, तो दीदी की जेठानी प्रेरणा और उनकी बहन नैना बाहर आईं। प्रेरणा ने दीदी से गले मिलकर कहा, “ये मेरी बहन नैना है।” दीदी बोलीं, “और ये मेरा छोटा भाई समर्थ, प्यार से सैम।”

प्रेरणा और नैना दोनों एकदम माल थीं। प्रेरणा ने टाइट ब्लाउज़ और लहंगा पहना था, जिसमें उसकी 36 इंच की चूचियाँ उभरी हुई थीं। उसकी गोरी कमर चमक रही थी। नैना ने डीप-कट टॉप और स्कर्ट पहनी थी, जिससे उसकी गोरी टाँगें और गांड का उभार साफ़ दिख रहा था। प्रेरणा ने मुझसे हाथ मिलाया, और उसकी नरम उंगलियों का स्पर्श मेरे लंड में बिजली दौड़ा गया। नैना ने भी हाथ मिलाया, और उसकी आँखों में शरारत थी, जैसे वो मुझे नाप रही हो। दीदी अपना सामान रखने अपने पहले मंज़िल के बेडरूम में चली गईं। मैं गेस्ट रूम में ठहरा, लेकिन वहाँ वॉशरूम नहीं था, तो मुझे पहली मंज़िल का कॉमन वॉशरूम यूज़ करना था।

दीदी मुझे गेस्ट रूम में ले गईं। मैंने कहा, “दीदी, ये दोनों तो आग हैं!” दीदी बोलीं, “हाँ, दोनों गर्म माल हैं। मेरे जेठ भी मेरे पति की तरह दिन-रात पैसे के पीछे भागते हैं।” मैंने मज़ाक में कहा, “ट्राई मारूँ क्या?” दीदी ने गुस्से से देखकर आँख मारी, “संभलकर, ये मेरा ससुराल है!” मैंने कहा, “चिंता मत करो, सब धीरे-धीरे करूँगा।” फिर मैंने दीदी के गुलाबी होंठों को चूम लिया और उनकी चूची को हल्के से दबाया। उनकी साँसें तेज़ हुईं, लेकिन वो मुस्कराकर बाहर चली गईं।

मैंने टी-शर्ट उतारी, तौलिया लिया, और कॉमन वॉशरूम में नहाने गया। गर्म पानी मेरे जिस्म पर गिर रहा था, और रात की चुदाई की यादों ने मेरा लंड खड़ा कर दिया। मेरा 7 इंच का लंड फौलाद की तरह तन गया। अचानक दरवाज़ा खुला, और नैना सामने थी! वो मेरे तने हुए लंड को घूर रही थी, उसकी आँखों में हवस चमक रही थी। मैंने लंड नहीं छिपाया, बल्कि उसे और तानकर खड़ा रहा। वो दरवाज़ा बंद करके चली गई। मेरे मन में उसकी चूत की आग जाग गई।

नहाकर बाहर आया, तो हॉल में नैना और प्रेरणा मुझे देखकर हँस रही थीं। नैना बोली, “क्या सैम, किसको याद कर रहे थे?” मैंने कहा, “तुम्हें, नैना। तुम तो एकदम कयामत हो!” प्रेरणा बोली, “और मैं?” मैंने कहा, “तुम तो आग हो, प्रेरणा। तुम्हारा फिगर तो दिल चुरा लेता है!” प्रेरणा हँसी, “तो इस आग से दूर रहो।” मैंने कहा, “हम तो आग में कूदने वाले हैं!” प्रेरणा बोली, “ठीक है, समय आने पर देखेंगे।” मैंने पूछा, “वो समय कब आएगा?” वो मुस्कराई, “बहुत जल्द।” दीदी दूर से ये सब सुनकर मुस्करा रही थीं।

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मैं रूम में कपड़े बदलने गया। एक टाइट टी-शर्ट और जीन्स पहनी, जिसमें मेरा लंड उभर रहा था। हॉल में लौटा, तो दीदी, प्रेरणा, और नैना चाय और नाश्ता कर रही थीं। दीदी ने मुझे चाय, चकली, ड्रायफ्रूट्स, और कुछ सैंडविच दिए। मैंने सिर्फ़ चाय और ड्रायफ्रूट्स लिए, क्योंकि मेरा ध्यान प्रेरणा और नैना की चूचियों पर था। फिर दीदी ने ड्राइवर से गाड़ी निकालने को कहा, क्योंकि हमें ससुर जी को अस्पताल देखने जाना था।

गाड़ी में दीदी ड्राइवर के बगल में बैठीं, और मुझे प्रेरणा और नैना के बीच पीछे। प्रेरणा ने टाइट ब्लाउज़ और साड़ी पहनी थी, जिसमें उसकी चूचियाँ दबकर उभर रही थीं। नैना की स्कर्ट उसकी गोरी टाँगों को और सेक्सी बना रही थी। उनकी चूचियाँ मेरे बाइसेप्स को टच हो रही थीं। कुछ देर बाद वो दोनों जानबूझकर अपने बूब्स मेरे बाजुओं पर रगड़ने लगीं। उनके नरम, गर्म उभारों का स्पर्श मेरे लंड को कड़क कर रहा था। मैंने मौका देखकर उनकी चूचियाँ दबानी शुरू कीं। प्रेरणा की चूचियाँ भारी और मुलायम थीं, जबकि नैना की टाइट और कड़क। दोनों ने आँखें बंद कर मज़ा लेना शुरू किया।

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दीदी साइड मिरर से सब देख रही थीं और मुझे इशारा किया, “संभल, ड्राइवर देख लेगा!” मैंने प्रेरणा का हाथ अपने लंड पर रखा। उसने मेरी ज़िप खोली, मेरा तना हुआ लंड बाहर निकाला, और हल्के-हल्के सहलाने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड के सुपारे पर नाच रही थीं, और मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मेरा लंड फौलाद की तरह कड़क हो गया। प्रेरणा ने रूमाल से मेरे लंड को ढका और ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगी। नैना मेरी बाँह पर अपनी चूची रगड़ रही थी। कुछ मिनट बाद मेरे लंड से गर्म पिचकारी निकली, और रूमाल भीग गया। मैंने दोनों की चूचियाँ और ज़ोर से दबाईं। नैना सिसकारी, “आह… सैम, मज़ा आ रहा है!”

अस्पताल की बेसमेंट पार्किंग में गाड़ी रुकी। हमने जल्दी से खुद को ठीक किया और लिफ्ट से दूसरी मंज़िल पर गए, जहाँ ससुर जी ICU में थे। दीदी, जीजू, जेठ, सास, प्रेरणा, नैना, और मैं बाहर खड़े थे। सास ने हल्की हरी साड़ी और टाइट ब्लाउज़ पहना था, जिसमें उनकी चूचियाँ उभरी हुई थीं। डॉक्टर ने बताया कि ससुर जी को तीन घंटे बाद प्राइवेट वॉर्ड में शिफ्ट करेंगे, और डरने की बात नहीं है। सबके चेहरे तनावमुक्त हो गए।

जीजू बोले कि उन्हें अपनी बहन और जीजा को लेने एयरपोर्ट जाना है। दीदी उनके साथ चली गईं। सास और जेठ रात को अस्पताल में रुकने वाले थे। प्रेरणा ने दीदी से कहा, “हम नैना के साथ शॉपिंग के लिए मार्केट जा रहे हैं। सैम को भी ले चलते हैं।” दीदी ने आँख मारकर कहा, “हाँ, इसे भी मार्केट दिखा दो।” दीदी और जीजू SUV में चले गए, और हम प्रेरणा की कार में। प्रेरणा और नैना आगे बैठीं, मैं पीछे।

हाइवे पर कुछ देर बाद दीदी की गाड़ी बायीं ओर मुड़ी, और हम सीधे गए। प्रेरणा ने गाड़ी एक साइड में रोकी। नैना जल्दी से पीछे आई और मेरे बगल में बैठ गई। उसकी स्कर्ट उसकी जाँघों तक चढ़ गई थी, और उसकी गोरी टाँगें चमक रही थीं। मैं समझ गया कि अब कार सेक्स का मज़ा आएगा। गाड़ी एक सुनसान बंगले के पीछे रुकी, जहाँ घुप्प अंधेरा था। नैना ने मेरा लंड पकड़ लिया और ज़ोर-ज़ोर से सहलाने लगी। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड के सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थीं, और मेरी साँसें तेज़ हो गईं। मैंने उसके गुलाबी होंठों को चूसना शुरू किया, मेरी जीभ उसकी जीभ से टकरा रही थी। उसका मुँह गर्म और मीठा था।

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प्रेरणा बोली, “एंजॉय करो, मैं रात में मज़ा लूँगी।” मैंने नैना का डीप-कट टॉप उतारा। उसकी लाइट ब्राउन निप्पल्स वाली चूचियाँ बाहर निकलीं, कड़क और गोल। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया, ज़ोर से चूसा, और दूसरी चूची को मसलने लगा। उसका निप्पल मेरे मुँह में कड़क हो गया, और मैंने उसे हल्के से दाँतों से काटा। नैना सिसकारी, “आह… सैम, ज़ोर से चूस… मेरे मम्मों को खा जा!” उसकी सिसकारियाँ मेरे लंड को और तान रही थीं। मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी उतारी। उसकी छोटी, डार्क पिंक चूत गीली थी, और उसका रस चमक रहा था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत की फाँकों में डाली, और उसका नमकीन, गर्म रस मेरे मुँह में बहने लगा। मैं कुत्ते की तरह चाटने लगा, मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई में जा रही थी।

नैना मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी, “आह… सैम, और चाट… मेरी चूत को चूस ले!” उसकी चूत का रस मेरे मुँह में बह रहा था, और मैं उसे चाट-चाटकर साफ़ कर रहा था। प्रेरणा का चेहरा लाल हो गया था, उसकी साँसें तेज़ थीं। मैंने अपनी जीन्स और अंडरवियर उतार दिया। मेरा 7 इंच का लंड हवा में तन गया। नैना बोली, “वाउ, तेरा लंड तो गज़ब है!” मैंने कहा, “तेरी चूचियाँ भी तो कयामत हैं!” वो बोली, “मेरे पति को इनकी परवाह नहीं।” मैंने कहा, “मुंबई आ, मेरे पास चली आना।”

मैंने नैना को पूरी नंगी कर दिया। मैंने कहा, “नैना, फ्रंट सीट पर बैठ, सीट को 180 डिग्री सीधा कर और पीछे पुश कर।” वो नंगी फ्रंट सीट पर गई, सीट को पीछे कर सीधा कर लिया। मैं डैशबोर्ड और उसकी टाँगों के बीच बैठा। उसकी चूत की फाँकें फैलाईं, और मेरी जीभ उसकी गीली, गर्म चूत में गहरे तक गई। गाड़ी के टिंटेड शीशों की वजह से बाहर कुछ नहीं दिख रहा था। शाम के 7:30 हो चुके थे। नैना बोली, “सैम, अब चोद दे! मेरी चूत तड़प रही है!” मैंने कहा, “जान, अभी चाटने का मज़ा ले रहा हूँ। आज तेरी चूत की आग बुझा दूँगा।”

प्रेरणा की चूत में भी खुजली थी। मैंने उसकी साड़ी ऊपर की और उसकी चूची दबाई। वो बोली, “पहले इसे चोद, रात को मैं तुझसे चुदवाऊँगी। तेरा लंड पूरी रात चूसूँगी।” मैंने अपने लंड पर थूक लगाया, नैना की चूत के मुँह पर सुपारा सेट किया, और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी टाइट चूत में घुस गया। वो चिल्लाई, “उई मम्मी, मर गई! सैम, धीरे!” मैंने कहा, “जान, अभी तो आधा गया है।” उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड जकड़ा हुआ था। मैंने एक और धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में जड़ तक उतर गया। उसकी चीख निकली, “आह, बाहर निकाल! मेरी चूत फट जाएगी!”

प्रेरणा हँसी, “साली, लंड की जल्दी थी, अब झेल!” मैंने लंड वैसे ही रखा, और उसकी चूचियाँ मसलने लगा। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में नरम रबड़ की तरह थीं। कुछ मिनट बाद मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। नैना की सिसकारियाँ दर्द से सुख में बदल गईं। वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देने लगी। मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और उसके 36 साइज़ के बूब्स मेरे हर धक्के में हिल रहे थे। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और उसका गर्म रस मेरे लंड को भिगो रहा था।

प्रेरणा ने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ खोल दिया। उसकी 36 इंच की चूचियाँ लाइट पिंक निप्पल्स के साथ चमक रही थीं। मैंने उसकी चूची मसली, और वो सिसकारी। मैं प्रेरणा को स्मूच करने लगा, उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं नैना को चोद रहा था। मेरा लंड नैना की चूत में गचागच धक्के मार रहा था। उसकी चूत की गर्मी और टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी। 10 मिनट बाद मेरा लंड टाइट हुआ, और मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। मेरे लंड से गर्म पिचकारी निकली, और सारा माल नैना की चूत में चला गया। वो दो बार झड़ चुकी थी, और उसका रस मेरे लंड को भिगो रहा था।

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मैं थककर पीछे लेट गया। नैना पसीने से भीगी थी। प्रेरणा ने नैपकिन दिया, और नैना ने अपनी चूत पोंछी। वो मेरा लंड साफ़ करने लगी। मैंने कहा, “जान, चाटकर साफ़ कर।” वो बोली, “तूने मेरी चूत चाटी थी?” मैंने कहा, “तेरी चूत को गर्म करने के लिए चाटा था।” तभी प्रेरणा ने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका गर्म मुँह मेरे लंड को फिर से खड़ा कर रहा था। वो मेरे सुपारे को जीभ से चाट रही थी, और उसकी साँसें मेरे लंड पर गर्म हवा की तरह लग रही थीं। 10 मिनट बाद मेरा लंड फिर तन गया।

प्रेरणा ने अपने सारे कपड़े उतार दिए। उसकी 22-23 साल की उम्र में 36 इंच की चूचियाँ और गोरा बदन आग लगा रहा था। उसने अपनी चूत मेरे मुँह पर रखी, और मैं उसकी गीली, गर्म चूत चाटने लगा। उसका रस मीठा और नमकीन था, और मेरी जीभ उसकी चूत की गहराई में जा रही थी। नैना मेरा लंड चूस रही थी, और प्रेरणा नैना की चूत चाट रही थी। हमारा त्रिकोण 15 मिनट चला। प्रेरणा मेरे मुँह में झड़ी, उसका गर्म रस मेरे गले से नीचे गया। नैना प्रेरणा के मुँह में झड़ी। हमारी सिसकारियाँ कार में गूँज रही थीं।

नैना फिर मेरे लंड पर बैठी। उसकी चूत अब इतनी गीली थी कि मेरा लंड एक ही धक्के में जड़ तक घुस गया। वो उछल-उछलकर मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थी। प्रेरणा की चूत मेरे मुँह पर थी, और मैं उसकी चूत के होंठों को चूस रहा था। वो दोनों एक-दूसरे को स्मूच कर रही थीं, उनके होंठों की चपचपाहट मेरे कानों में थी। 10 मिनट बाद मेरा लंड अकड़ गया। मैंने स्पीड बढ़ाई, और नैना की चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। हम दोनों एक साथ झड़े, और प्रेरणा मेरे मुँह में। उसका रस मेरे चेहरे पर बह रहा था।

रात 9:30 हो चुके थे। हमने जल्दी कपड़े पहने और घर की ओर निकल पड़े। घर पहुँचे, तो कोई नहीं था। मेड ने बताया कि जीजू की फ्लाइट 8:45 बजे आई थी। हम अपने-अपने रूम में गए, कपड़े बदले, और हॉल में चाय पीने बैठे। दोस्तो, कार सेक्स का मज़ा कैसा लगा? इसके आगे की कहानी अगली बार।

कहानी का अगला भाग: बुआ के घर में बुआ की चूत चुदाई

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