दीदी के घर में दो चूत चोदी

Porn Family Sex Story: दोस्तो, मैं सैम, तुम्हारा यार, एक बार फिर अपनी ज़िंदगी की चटपटी, आग सी कहानी लेकर हाज़िर हूँ। पिछली कहानी में तुमने पढ़ा कि मैंने बुआ के घर तृषा, निशा, तान्या, और सीमा की चूत का मज़ा लिया।

कहानी का पिछला भाग: तीन नंगी लड़कियों के साथ सेक्स का मजा

एक हफ्ते की मौज-मस्ती के बाद मैं पूनम दीदी की ससुराल वापस आया। उसी दिन मेरी ट्रेन थी, और मैंने दीदी और उनकी जेठानी प्रेरणा की चूत चोदी। लंड तानकर और चूत गीली करके तैयार हो जाओ, ये कहानी तुम्हें तड़पाएगी!

बुआ, तृषा, और निशा के साथ हफ्ते भर की चुदाई के बाद मैं सुबह 10 बजे दीदी की ससुराल पहुँचा। मेरी ट्रेन रात 8 बजे की थी। घर पहुँचा तो सन्नाटा था। सब किसी पूजा के लिए गाँव के मंदिर गए थे। सिर्फ़ पूनम दीदी घर पर थीं। दीदी ने हल्की नीली साड़ी और नेवी ब्लू लो-कट ब्लाउज़ पहना था, जिसमें उनकी 34 की चूचियाँ क़यामत ढा रही थीं। मुझे देखते ही वो बोलीं, “अब याद आई अपनी दीदी की?” मैंने मज़ाक किया, “दीदी, मैं तो हर पल तुम्हें याद करता था।”

वो हँसीं, “किसके साथ ज़्यादा मज़ा किया? तृषा, निशा, या बुआ?” मैंने चौंकाते हुए कहा, “बुआ के साथ।” दीदी हैरान, “क्या? सच-सच बता!” मैंने कहा, “फूफा जी तो बिज़नेस में बिज़ी रहते हैं। बुआ की प्यास बुझाई मैंने।” दीदी की आँखें चमकीं, “और?” मैंने बताया, “तृषा, निशा, उनकी फ्रेंड्स नीतू, तान्या, सीमा, सबको चोदा। तान्या की गांड देखकर तुम्हारी याद आई, दीदी। पर तुम्हारी चूचियों जैसा माल किसी में नहीं।” दीदी मुस्कराईं और नौकर को नाश्ता लाने को कहा।

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नौकर को दीदी ने बेडरूम में नाश्ता लगाने को कहा। मैं समझ गया, दीदी को मेरा लंड चाहिए। वो बोलीं, “चल, बेडरूम में बातें करते हैं।” मैंने पूछा, “बाकी लोग कहाँ हैं?” दीदी बोलीं, “ससुर जी के हॉस्पिटल से आने पर सासू माँ ने महापूजा रखी है। मैंने पीरियड्स का बहाना बनाया।” दीदी ने नौकर और ड्राइवर को सब्ज़ी लाने भेजा, मेन डोर लॉक किया, और घर चेक किया। वो बेडरूम में आईं और मेरी गोद में बैठ गईं।

हम एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। दीदी के रसीले होंठ शहद जैसे थे। मैंने कहा, “पहले छोटे भाई की भूख मिटाओ।” मैंने उनकी साड़ी का पल्लू सरकाया। उनकी चूचियाँ ब्लाउज़ से बाहर झाँक रही थीं। मैंने एक चूची बाहर निकाली और चूसने लगा। दीदी सिसकारी, “आह… सैम, चूस… तेरा स्पर्श याद करती थी!” मैंने ब्लाउज़ की डोरी खोली। उनकी ब्रा और ब्लाउज़ ज़मीन पर गिरे। उनकी 34 की चूचियाँ नरम और भारी थीं। मैंने दोनों को बारी-बारी चूसा, निप्पल्स को दाँतों से काटा।

मैंने साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। दीदी ने पैंटी नहीं पहनी थी। उनकी साफ़ चूत चमक रही थी। दीदी ने मेरी टी-शर्ट और पैंट फेंकी, मेरा लंड अंडरवियर से निकाला, और चूसने लगीं। उनकी गर्म जीभ मेरे सुपारे पर नाच रही थी। मैंने उन्हें बेड पर लिटाया। हम 69 में डूब गए। मैंने दीदी की चूत की फाँकें खोलीं। उसकी गंध नशीली थी। मेरी जीभ उनकी चूत में गहराई तक गई। दीदी मेरे लंड को गले में ले रही थीं। वो सिसकारी, “चाट… सैम, खा जा!” और मेरा सिर दबाया। वो मेरे मू में झड़ गईं। मैंने सारा रस चट गया।

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मैंने लंड उनकी चूत पर सेट किया और एक ज़ोरदार धक्का मारा। लंड जड़ तक घुसा गया। दीदी कसक के साथ बोलीं, “आह… सैम!” वो गांड उचकाकर थीं। मैंने धीरे-धीरे चोदा। मेरा लंड उनकी गीली चूत को रगड़ रहा था। दीदी बोली, “रुक, एकसाथ झड़ेंगे।” मैंने स्पीट रखी। दो मिनट बाद मैंने ज़ोर बढ़ाया। दीदी की चूत अकड़ी। हम एकसाथ झड़े। मैं उनकी चूत में पिचकारी छोड़ दी। हम लिपटे रहे। मैंने लंड निकालकर उनके मू में दिया। दीदी ने चाटकर साफ़ किया।

दीदी चाय बनाने कं थीं। डोरबेल बजी। नौकर और ड्राइवर सामान लाए। नौकर बोला, “नाश्ता नहीं हुआ?”। मैंने हँसकर कहा, “तेरी बीबीजी की बातें सुनकर पेट भर गया।” दीदी आईं, बोलीं, “तू गेस्ट रूम में सो जा, ट्रेन है।” मैंने शॉवर लिया और गेस्ट रूम में सो गया। दरवाज़ा था।

शाम 4:30 बजे आँख खुली। मैं दीदी के रूम गया, वो नहीं थीं।। नौकर ने बताया, सब हॉल में हैं। मैं जीन्स और टी-शर्ट में हॉल गया। दीदी, सासू माँ, प्रेरणा, और शिवानी थीं। मैंने पैर छुए। सासू माँ ने बगल में बिठाया, पूछा, “ट्रेन कब की?” मैंने कहा, “9 बजे, नॉन-एसी।” वो बोलीं, “शिवानी भी उसी ट्रेन से जा रही है। ध्यान रखना।” शिवानी ने छोटा वन-पीस पहना था, उसकी गोरी जाँघें चमक रही थीं। सासू माँ ने कहा, “ये ड्रेस अच्छी है, पर ससुराल में साड़ी पहनना।” शिवानी बोली, “पूनम दीदी ने गिफ्ट की।”

प्रेरणा बोली, “सैम, मैं सामान लाने में मदद करती हूँ।” हम गेस्ट रूम गए। प्रेरणा ने मुझे दीवार से सटाया और मेरे होंठ चूसने लगी। उसने साड़ी और लो-कट ब्लाउज़ पहना था। मैंने उसकी चूचियाँ ब्लाउज़ से निकालीं और चूसीं। उसने मेरी ज़िप खोली। मैंने उसका पेटीकोट उठाया, पैंटी नीचे की, और उसे गोद में उठाकर लंड पेल दिया। उसकी चूत गीली थी। मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदा। दीदी ने आवाज़ लगाई, “क्या हुआ?” मैंने कहा, “ब्लू ट्रैक सूट नहीं मिल रहा।” दीदी बोली, “छत पर है।” प्रेरणा बोली, “मैं ले आती हूँ।” ये हमारा कोडवर्ड था।

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दीदी रूम में आईं, हमें चुदते देखा, आँख मारी, और चली गईं। 10 मिनट बाद मैं और प्रेरणा एकसाथ झड़े। प्रेरणा बोली, “दीदी ने देख लिया।” मैंने कहा, “मैं बात करूँगा।” हम कपड़े ठीक करके हॉल गए। रात 7:30 बजे थे। शिवानी ने सासू माँ से आशीर्वाद लिया। मैं, दीदी, और प्रेरणा ने भी लिया। हम सामान लेकर गाड़ी में स्टेशन के लिए निकले।

दोस्तो, दीदी और प्रेरणा की चूत का मज़ा कैसा लगा? ट्रेन में शिवानी के साथ क्या हुआ, अगली कहानी में बताऊँगा। मेरा लंड तो चूत का दीवाना है!

कहानी का अगला भाग: दीदी की ननद के साथ ट्रेन में चुदाई

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