Punjabi bhabhi devar sex story – Married woman cheating sex story: मेरा नाम साधना है, अमृतसर की रहने वाली, पाँच फुट पाँच इंच का कद, गोरा रंग, तीखे नैन-नक्श, पर असली बात मेरी वो भारी-भरकम गोल छातियाँ थीं जिनको देखकर कॉलेज में हर लड़की जलती थी। लड़कियाँ आपस में कहतीं, “यार काश मेरी भी साधना जैसी टाइट गोल चूचियाँ होतीं तो मैं तो सारे लड़कों को पागल कर देती।” लड़के तो मेरे पीछे-पीछे घूमते ही थे, बस एक झलक पाने को तरसते थे।
इन चूचियों की पहली चुसाई मनोज ने की थी, मेरा पहला बॉयफ्रेंड। वो मुझे कॉलेज के पीछे वाले पार्क में ले जाता, कुर्ता ऊपर उठाकर ब्रा नीचे सरका देता और घंटों चूसता रहता। कभी-कभी इतना ज़ोर से चूसता कि निशान पड़ जाते और मुझे दुपट्टे से छुपाना पड़ता। उसके बाद तो लाइन लग गई थी। जिसको मौका मिला उसने मेरी जवानी का रसपान किया। मैं भी खुलकर मज़े लेती थी, कॉलेज की सबसे बड़ी रांड का ठप्पा मेरे माथे पर था और मुझे उसमें मज़ा आता था।
फिर जब बातें घर तक पहुँचने लगीं तो माँ ने फटाफट लड़का ढूँढा और मोहन से सगाई पक्की हो गई। मोहन अमेरिका में था, देखने में हैंडसम। सगाई के बाद वो मुझे बार-बार मिलने बुलाने लगा। एक दिन होटल में उसने सीधे मेरी चूचियों पर हाथ रख दिया।
“अरे बाबू, शादी के बाद ना,” मैंने शर्माते हुए कहा। वो हँसा, “ऊपर से तो मज़े लेने दे यार, नीचे तो शादी के बाद ही खोलूँगा।”
फिर उसने मेरी सलवार ऊपर की, ब्रा ऊपर सरकाई और दोनों चूचियाँ मुँह में लेकर चूसने लगा। मेरी चुचुकें पत्थर जैसी खड़ी हो गई थीं। उसने मेरी जाँघें सहलाईं, पैंटी के ऊपर से ही फुद्दी पर उँगलियाँ फेरीं। मैं भीग गई थी पर रुक गई।
शादी हो गई, सुहागरात को मोहन ने मुझे सात बार चोदा, मोटा लौड़ा पूरा अंदर लिया, मैंने खूब एक्टिंग मारी पर अंदर से स्वर्ग में थी। एक महीना हर रात चुदाई चली, फिर वो अमेरिका चला गया। मैं प्यासी रह गई।
सावन में मायके आई तो मनोज से फिर चुदवाई। फिर माँ से झूठ बोलकर पुराने आशिकों से मिलती रही।
इसी बीच मेरी छोटी बहन कोर्ट मैरिज कर पेट से हो गई। उसकी सास को घुटने का दर्द, रामदेव शिविर जाना पड़ा, जेठानी को भी साथ जाना पड़ा। माँ ने मुझे कहा, “एक हफ़्ता अपनी बहन के पास रह आ।”
वहाँ पहुँची तो मेरी नज़र सीधे मेरी बहन के देवर पर पड़ी, नाम था विक्की। बॉडी कमाल की, चौड़ी छाती, मांसपेशियाँ फटी हुईं। मैंने बहन से मज़ाक में कहा, “तेरा देवर तो माल है।” वो हँसकर बोली, “ले लो दीदी।”
मैंने पल्लू सरकाना, झुककर चूचियाँ दिखाना शुरू किया। एक दिन डिनर टेबल के नीचे उसने मेरा पाँव दबाया, मैंने अपना पाँव उसकी जाँघ पर रगड़ दिया।
अगले दिन उसने जीजा को बाहर भेज दिया। रात को 12 बजे उसने मुझे अपने कमरे में बुलाया। मैं हल्की नाइटी पहने गई। दरवाज़ा बंद होते ही उसने मुझे दीवार से सटाया, नाइटी ऊपर उठाई, पैंटी नीचे की और मेरी चूचियाँ मसलने लगा।
“भाभी… कितने दिन से तरस रहा था इन चूचियों को चूसने को…” “तो चूस लो देवर जी… पूरी रात तुम्हारी हूँ मैं…”
उसने मुझे गोद में उठाया, बेड पर फेंका, नाइटी फाड़ दी। मेरी चूचियों पर टूट पड़ा, फिर नीचे आया, फुद्दी चाटी, मैं तड़प उठी। फिर अपना मोटा लौड़ा मेरे मुँह में ठूँसा। मैंने ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… करते पूरा गला तक लिया।
फिर घोड़ी बनाकर पीछे से पेला, “ले रंडी भाभी… आज तेरी बुर में अपना रस भर दूँगा…” “हाँ देवर जी… चोदो अपनी रंडी भाभी को… आह्ह्ह… फाड़ दो… पूरा अंदर डालो…”
पूरी रात आठ बार चोदा। अगले छः दिन भी यही सिलसिला, किचन में, बाथरूम में, छत पर। मैं उसकी रखैल बन गई थी।
बाकी फिर कभी…
तुम्हारी रंडी साधना