भाभी बोली किसी भी तरह माँ बना दो, देवर ने चोद डाला

Devar ne bhabhi ko pregnant kiya sex story – Devar impregnates bhabhi sex story: हेलो दोस्तों, मेरा नाम विशाल है, उस वक्त मैं 30 साल का था, अभी 34 का हूँ। भानु मेरा दूर का रिश्तेदार भाई था, उम्र में मुझसे सात साल बड़ा। उसकी बीवी गीता भाभी, 29 साल की, गोरी-चिट्टी, 5 फुट 4 इंच, थोड़ी भारी काया, चौड़े कूल्हे, 36 साइज के बड़े-बड़े स्तन। शादी को ठीक दस साल हो चुके थे, पर कोई औलाद नहीं।

एक दिन मैं उनके शहर गया, दुकान पर मिले, फिर घर चले गए। घर पहुँचा तो भाभी ने दरवाजा खोला, गुलाबी साड़ी में, पेटीकोट से नीचे बंधी, पेट का गोरा हिस्सा झलक रहा था। मुझे देखकर मुस्कुराईं और अंदर बुलाया।

बातों-बातों में भानु ने बताया कि सारे डॉक्टर, दिल्ली-मुम्बई तक देख लिया, लाखों रुपये खर्च हो गए, पर गीता माँ नहीं बन पाई। मैंने कहा, “भाई, मेरे शहर में मेरा दोस्त तरुण नई फर्टिलिटी लैब खोलकर बैठा है, भाभी को मेरे साथ भेज दो, आखिरी कोशिश कर लो।” भानु ने समझाया तो भाभी मान गईं।

रात नौ बजे की ट्रेन थी। ट्रेन में भयंकर भीड़ थी, हम एक ही बर्थ पर सिमट कर बैठे। भाभी की साड़ी का पल्लू बार-बार सरक रहा था, ब्लाउज में बड़े स्तन दब रहे थे। भीड़ के धक्कों से उनका कूल्हा मेरी जाँघ से रगड़ खा रहा था। थोड़ी देर में मेरा लंड पैंट में तनकर खड़ा हो गया। भाभी ने महसूस किया, हल्के से मुस्कुराईं और पल्लू ठीक किया।

रात ग्यारह बजे मेरे शहर पहुँचे। ठंड थी, रिक्शा नहीं मिला, पैदल घर आए। ढाबे से खाना पैक कराया। घर पहुँचकर मैंने दरवाजा खोला, लाइट जलाई। भाभी फ्रेश होने बाथरूम गईं। बाहर आईं तो नीली साटन की पतली नाइटी में, बिना ब्रा के। नाइटी घुटनों से ऊपर, गुलाबी-भूरे निप्पल साफ दिख रहे थे। मैं देखता रह गया।

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खाना खाया। सिर्फ एक डबल बेड था। मैंने कहा, “भाभी आज यहीं सही, सुबह इंतजाम कर दूँगा।” वो बोलीं, “कोई बात नहीं, मुझे ऐतराज नहीं।”

लाइट बन्द की, साइड लैम्प जलाया, दोनों एक ही चादर में लेट गए। भाभी मेरी तरफ मुँह करके थीं। बातें करते-करते भाभी रोने लगीं। मैंने गले लगाया। उनका गर्म बदन मेरे सीने से चिपक गया। रोते-रोते बोलीं, “विशाल, किसी भी तरह मुझे माँ बना दो, मैं तेरा एहसान जिंदगी भर नहीं भूलूँगी।”

बाहर बारिश शुरू हो गई। बिजली कड़की तो भाभी और कसकर चिपक गईं। मैंने उनके बिखरे बाल सँवारे, माथे पर हल्का सा किस किया। वो सिहर उठीं। मैंने गाल पर, फिर कान की लौ पर जीभ फेरी। भाभी की साँसें तेज़ हो गईं।

मैंने नाइटी के ऊपर से बायाँ स्तन सहलाया। निप्पल कड़क हो चुके थे। धीरे-धीरे नाइटी का नाड़ा खोला, कंधों से नीचे सरकाया। भाभी ने खुद हाथ ऊपर करके नाइटी उतार दी। अब सिर्फ गुलाबी पैंटी में थीं। स्तन बड़े-बड़े, गोल, हल्के भूरे-गुलाबी निप्पल। मैंने बायाँ स्तन हाथ में लिया, हल्के से दबाया, फिर जीभ से निप्पल को छुआ। भाभी की पहली सिसकी निकली, “आह्ह… विशाल…”

मैंने निप्पल मुँह में लेकर धीरे-धीरे चूसा, जैसे बच्चा दूध पीता है। दूसरा स्तन हाथ से मसल रहा था। भाभी की साँसें और तेज़ हो गईं। फिर मैं नीचे की ओर आया, पेट पर किस किया, नाभि में जीभ घुमाई। भाभी की कमर अपने आप ऊँची हो रही थी।

पैंटी के ऊपर से चूत पर उँगली फेरी, पूरी गीली थी। मैंने पैंटी का नाड़ा खोला, धीरे-धीरे नीचे सरकाया। भाभी ने कूल्हे ऊपर उठाकर पैंटी उतरवा दी। चूत बिल्कुल साफ, गुलाबी, छोटा सा क्लिट तना हुआ। मैंने पहले उँगली से क्लिट सहलाया, भाभी की कमर उछल गई, “ओह्ह… विशाल…”

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दो उँगलियाँ चूत में डालीं, धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा। चुप-चुप की आवाज आने लगी। फिर जीभ से क्लिट को छुआ, हल्के-हल्के चाटने लगा। भाभी ने मेरे सिर को पकड़ लिया, “आह्ह… क्या कर रहे हो… हाय…” मैंने जीभ अंदर तक घुसाई, रस चखता रहा।

मैंने निक्कर उतारा। मेरा लंड 8 इंच लम्बा, बहुत मोटा, सुपारा गुलाबी-लाल, चमक रहा था। भाभी ने देखा, हाथ बढ़ाया। मैंने उनका हाथ पकड़कर लंड पर रखा। वो सहलाने लगीं।

फिर 69 की पोजीशन में आ गए। मैंने उनकी चूत फिर से चाटना शुरू किया, उँगलियाँ अंदर-बाहर। भाभी ने मेरा लंड मुँह में लिया, पहले सुपारे को चूमा, जीभ से चाटा, फिर आधा मुँह में लिया। धीरे-धीरे चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… आवाजें आने लगीं।

पन्द्रह मिनट बाद भाभी काँपने लगीं, “विशाल… मैं… आ रही हूँ… आह्ह्ह…” रस मेरे मुँह में छूट गया, मैंने सब पी लिया।

फिर मैं ऊपर आया। लंड चूत पर रगड़ा। सुपारा चूत के मुँह पर रखा, हल्का दबाया। भाभी बोलीं, “धीरे… बहुत मोटा है…” मैंने सिर्फ सुपारा अंदर किया, रुक गया। भाभी की साँसें तेज़ थीं। फिर धीरे-धीरे आधा लंड अंदर किया। भाभी की आँखें बन्द, “आह्ह्ह… धीरे…” मैं रुका, फिर पूरा एक झटके में अंदर। भाभी चीखीं, “आह्ह्ह… बस…”

पाँच मिनट तक हल्के-हल्के धक्के मारे। भाभी की चूत ढीली पड़ी। फिर वो खुद कमर ऊपर उठाने लगीं। मैंने स्पीड बढ़ाई। बेड चरमराने लगा, “आह्ह… ह्ह्ह… विशाल… और जोर से…” मैंने टाँगें कंधों पर रखीं, जड़ तक पेलने लगा।

जब माल आने वाला था, मैंने कहा, “गीता… ले… आज तेरी कोख भर दूँगा…” और सारी गर्मी चूत के सबसे अंदर छोड़ दी। भाभी भी मेरे साथ झड़ गईं, “हाँ… भर दे… मुझे माँ बना दे…”

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फिर लंड निकालकर मुँह में दिया। भाभी ने सारी बूँदें चाट लीं।

हम नंगे बाथरूम गए। शावर के नीचे फिर डॉगी में पेला, फिर चूत में माल डाला।

सुबह लैब गए। रिपोर्ट पॉजिटिव। भाभी रो पड़ीं और मुझे गले लगा लिया।

पूरा हफ्ता मेरे पास रहीं, हर कोने में, हर रात घंटों चुदाई की, हर बार चूत में वीर्य डाला। नौ महीने बाद सुंदर सा बेटा पैदा हुआ।

आज भी जब मौका मिलता है, हम मिलते हैं।

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