Kirayedar bhabhi sex story – Jhanto bhari chut sex story: हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम देव है, मैं दिल्ली से हूं. एक बार मैं फिर से एक नई सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूं.
कहानी का पिछला भाग: भाभी जी लंड पर हैं
मैंने आपको अपनी पिछली सेक्स स्टोरी में कैसे मैंने अपने लंड से भाभी की चूत और गांड की सेवा करके उन्हें खुश कर दिया था. इस तरह जब भी हम दोनों को मौका मिलता, हम चुदाई कर लेते.
उस दिन गांड मराने के बाद भाभी के पास उनकी सहेली प्रिया जी का कॉल आया. वो भाभी की बेस्ट फ्रेंड थीं. प्रिया जी भी दिल्ली में ही रहती थीं, इसलिए प्रिया जी ने भाभी को अपने यहां 2-3 दिन रहने के लिए बुलाया.
इसके बाद नताशा भाभी, राम भैया, मां और दादा जी से आज्ञा लेकर प्रिया जी के घर रहने चली गईं.
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यहां मैं ऊपर अपनी एक किरायेदार सीमा भाभी को लेकर थोड़ा चिंतित था क्योंकि जैसा कि मैंने आपको अपनी पिछली सेक्स स्टोरी में बताया था कि जब मैं नताशा भाभी के साथ सेक्स में मशगूल था, तब दरवाजा बंद करना भूल जाने के कारण कैसे सीमा भाभी ने वो सब नजारा देख लिया था. शायद इसी वजह से सीमा भाभी का नजरिया अब मेरे लिए बदला-बदला नजर आने लगा था.
मैंने इस बात को ऐसे महसूस किया कि जो सीमा भाभी बिना मतलब के मुझसे बात नहीं करती थीं, आज वो मुझे अकेले पाकर कैसे कमेंट मारने लगी थीं. इससे पहले कि मैं इस कहानी में आगे बढ़ूं, मैं आप सभी को सीमा भाभी के बारे में बताना चाहूंगा.
सीमा भाभी हमारे घर के तीसरे फ्लोर के एक फ्लैट में रहती थीं. वो एक हाउस वाइफ थीं. सीमा भाभी की शादी को 5 साल हो गए थे, उनकी एक 4 साल की छोटी लड़की भी थी. भाभी के हज्बैंड यानी कि भैया का नाम विकास था, जो कि पेशे से एक टूरिस्ट वैन के ड्राइवर थे. इस वजह से अक्सर बाहर चलते ही रहते थे. आए दिन वे कहीं बाहर घूमने के लिए भी बुकिंग लेते रहते थे.
आज से 2 साल पहले सीमा भाभी और विकास भैया को रूम की तलाश थी, इसलिए हमने उनको कमरा रेंट पर दे दिया था.
भाभी एक शांत स्वभाव की 27 साल की पतली सी, छोटे चूचों वाली माल किस्म की औरत हैं. भाभी अपने काम से काम रखती हैं.
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मेरा ऊपर आना-जाना किसी न किसी बहाने से लगा रहता था. जब भी मम्मी कपड़े धोती थीं तो मैं ही उन धुले हुए कपड़ों को ऊपर सूखने डालने जाता था. तीसरे फ्लोर की ग्रिल पर ही मैं कपड़े सुखाने डालता था. इसलिए जब भी मेरा ऊपर जाने का चक्कर लगता था, मैं भाभी के कमरे में जरूर झांक लेता था. मुझे अक्सर भाभी एक मैक्सी में ही दिखती थीं. उनकी मैक्सी का गला इतना बड़ा होता था कि अगर भाभी कभी झुकी हुई दिख जाती थीं, तो मुझे उनकी दोनों चुचियां बाहर आती हुई दिखने लगती थीं. मेरी भी हमेशा यही कोशिश रहती थी कि मैं भाभी को कुछ ऐसी पोजिशन में देखने का प्रयास करूं, जिसमें मुझे उनके मस्त चुचे हिलते हुए दिख जाएं.
इस बात को भाभी ने भी ताड़ लिया था. इसलिए भाभी मुझे देखते ही सबसे पहले अपनी मैक्सी का गला ठीक करती थीं.
सीमा भाभी को लेकर मेरे मन में सिवाए उनके मस्त जिस्म को देखने के अलावा कभी कोई बुरे विचार नहीं आए थे क्योंकि हम एक दूसरे से ना के बराबर बात करते थे.
वैसे भी सीमा भाभी का फिगर नताशा भाभी जितना सेक्सी तो नहीं था, जिसे देखकर मेरा लंड भी सलामी दे दे. मतलब सीमा भाभी से मेरा अब तक ऐसा ही बर्ताव रहता था.
लेकिन जब से सीमा भाभी ने मुझे नताशा भाभी के साथ चुदाई करते देखा था. तब से उनके बर्ताव में बदलाव आने लगा था. मैंने भी उनकी चाहत को समझ लिया था कि जो भाभी अपने काम से काम रखती थीं, आज वही भाभी मुझे देखकर स्माइल पास करती हैं और अकेले मिलने पर कमेंट भी मारती हैं.
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उनके इस बदलते बर्ताव से मुझे टेंशन होने लगी थी, क्योंकि मुझे थोड़ा डर लगा रहता था कि कहीं सीमा भाभी, मेरी मम्मी को सब कुछ ना बता दें. यही सोचते हुए मुझे उनसे जाकर बात करना उचित लगा.
मैं नताशा भाभी के जाने के दूसरे ही दिन सीमा भाभी से बात करने के लिए ऊपर तीसरे फ्लोर पर गया. उस वक्त दिन के 3 बज रहे थे.
मैंने सीमा भाभी के कमरे के बाहर खड़ा होकर उन्हें आवाज दी, पर भाभी की कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई. उस टाइम भाभी के कमरे का दरवाजा खुला था, बस एक पर्दा लगा था. मैंने पर्दे को थोड़ा खिसकाकर अंदर झांका, अंदर झांकते ही मेरी गांड फट गई.
भाभी और उनकी 4 साल की बेटी सो रही थी. भाभी के दोनों चुचे मैक्सी के गले से बाहर की तरफ निकले हुए थे. मैं उनके पर्दे को छोड़कर अपने रूम में नीचे जाने लगा.
मुझे अभी भी सीमा भाभी के नंगे चुचे वासना से भड़का रहे थे. नीचे जाते ही मैं जल्दी से टॉयलेट में घुस गया और भाभी के नाम की मुठ मारने लगा. बस पांच मिनट में लंड हल्का हो गया तो मैं अपने रूम में आकर सो गया.
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दो घंटे की गहरी नींद लेने के बाद मैं उठ गया. थोड़ी देर बाद मां भी आ गई थीं. मां बताने लगीं कि तेरी नताशा भाभी का कॉल आया था, तेरी भाभी वहां अभी और 2-3 दिन रहने की इजाजत मांग रही थीं क्योंकि तेरी भाभी की सहेली के पति काम के सिलसिले में कुछ दिनों के लिए न्यूयॉर्क जा रहे हैं. जिस कारण नताशा वहां और रुकने की इच्छा जाहिर कर रही थीं, मैं उसकी बात मान गई हूं.
मैं मां की बात सुनकर ‘हूं हां’ कहकर चुप ही रहा.
फिर मैं खाना खाकर सोने के लिए अपने रूम में आ गया. बिस्तर पर लेटते ही दोपहर का वही सब नजारा मेरी आंखों के सामने आ गया कि कैसे सीमा भाभी अपने चूचों को बाहर निकाले सो रही थीं. यही सोचते हुए मेरा लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया और मैं फिर से टॉयलेट में जाकर भाभी के नाम की मुठ मारने लगा.
अब मेरे मन में सीमा भाभी की चुदाई के विचार आने लगे थे. इसलिए मेरा मन फिर से भाभी के चुचे देखने का होने लगा. मैंने सोचा कि भाभी को देखने का कल वाला समय ही सही रहेगा क्योंकि रात में जाने में खतरा था. अगर भाभी दिन में मुझे देखतीं, तो मैं बहाना बना सकता था कि मैं काम से आया था, लेकिन रात में क्या बहाना बनाया जा सकता था.
दूसरे दिन मैं जानबूझकर उसी टाइम पर ऊपर भाभी के कमरे के बाहर आ गया. उधर कल जैसी ही स्थिति आज भी थी. मैंने फिर से पर्दा खिसकाकर अंदर झांकने की कोशिश की. मैंने देखा कि आज उनकी एक चूची मैक्सी के गले के बाहर थी और भाभी की मैक्सी उनकी जांघों तक उठी हुई थी जिससे भाभी की बिना पैंटी की चूत दिख रही थी. हालांकि उनकी काली झांटों के कारण चूत तो ठीक से नहीं दिखी लेकिन नजारा बड़ा गर्म था.
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इस सीन को देखकर मेरा लंड एकदम रॉड की तरह खड़ा हो गया. मैंने आज थोड़ी हिम्मत की और जैसे ही थोड़ा पास जाकर देखने की कोशिश की कि उतने में ही भाभी ने करवट ले ली. उनके करवट लेने से मेरी गांड फट के हाथ में आ गई और मैं हड़बड़ाहट से बाहर निकलने की कोशिश करने लगा, जिससे दरवाजे के पास टेबल पर रखा ग्लास गिर गया. गिलास गिरने की आवाज से भाभी की झट से आंख खुल गई.
भाभी मुझे देखते ही अपनी जांघों से मैक्सी ठीक करने लगीं और अपना बाहर निकला हुआ मम्मा मैक्सी के अंदर कर लिया. मैं चुपचाप सिर झुकाकर वहीं खड़ा हो गया.
सीमा भाभी गुस्से से कहने लगीं- देव, तुम्हें इस तरह मेरे कमरे में अंदर आकर मुझे देखते हुए शर्म नहीं आई?
मैं- भाभी सॉरी, वैसे भी मैंने आपको आवाज दी थी. पर जब आपका कोई उत्तर नहीं मिला, तब मैं अंदर आ गया.
जबकि आज मैंने भाभी को आवाज दी ही नहीं थी.
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भाभी- अच्छा तो इसका मतलब ये हुआ कि तुम सीधा अंदर आ जाओगे और कल भी तुम आए थे ना?
मैं उनके मुंह से ये सुनकर चौंक गया.
मेरे मुंह से अचानक ही निकल गया कि नहीं भाभी, मैं तो आज ही आया हूं और आपने मुझे देख भी लिया.
भाभी अपने मुखड़े पर बिल्कुल हल्की सी स्माइल के साथ, जो कि उन्होंने बिल्कुल शो नहीं होने दी थी, कहने लगीं- अच्छा आज देख लिया, नहीं तो तुम क्या कल भी आते? सच बताओ तुम कल भी आए थे न क्योंकि कल ये पर्दा ऐसे भी आधा खुला हुआ था?
उनकी इस बात से मेरी फट गई. मैंने इस बात का ध्यान ही नहीं दिया था. मैं हड़बड़ाते हुए कहने लगा- नहीं भाभी, वो तो मैं ऐसे ही बस कपड़े सुखाने आया था.
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भाभी- झूठ मत बोलो देव, कल आंटी जी ने कोई कपड़े धोए ही नहीं थे, ये बात तुम भी जानते हो.
मैं- सॉरी भाभी.
भाभी- मुझे ऐसे देखते हुए तुम्हें शर्म नहीं आती क्या? ऑश, सॉरी में तो भूल ही गई थी, शर्म और तुम्हें, जो कि अपने भाई की वाइफ को ऐसे चोदता हो, उसे शर्म किधर से आती होगी.
भाभी के मुंह से खुल्लम खुल्ला ‘चोदता हो’ जैसे शब्द सुनकर मेरे लंड में हलचल होने लगी.
मैं- भाभी प्लीज मेरी बात पर यकीन कीजिए, मैंने आज आपको आवाज दी थी, आपने नहीं सुना था, तब मैंने पर्दा हटाकर देखा था, तो आप सो रही थीं. जैसे ही मैं जाने को हुआ, ये ग्लास गिर गया. सॉरी भाभी, मेरा वो मतलब नहीं था जैसा आप सोच रही हो. मैं तो बस इसी बारे में एक रिक्वेस्ट करने आया था आपसे बात करने के लिए.
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भाभी- किस बारे में बात करने के लिए आए थे?
मैं- भाभी जो अभी आपने कहा, आपने उस दिन मुझे और नताशा भाभी को चुदाई करते हुए देख लिया था, इसलिए मैं आपसे रिक्वेस्ट करने आया था कि प्लीज इस बात को मम्मी को कभी ना बताएं.
भाभी- वाह बेटा, चुदाई करते वक्त तुम्हें ये बात नहीं सूझी थी. जब तो काफी मजे से चूत चाट रहे थे तुम अपनी भाभी की, और वो भी बड़े चाव से देवर का लंड चूस रही थी.
अब खुल्लम खुल्ला लंड चूत चुदाई जैसे शब्द माहौल की कामुकता को खोलने लगे थे.
मैं- सॉरी भाभी.
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भाभी- वैसे चल कब से रहा ये सब नताशा और तेरा? और मुझसे झूठ मत बोलना.
मैं- भाभी उस दिन सेकंड टाइम था.
भाभी- फर्स्ट टाइम कब हुआ था?
मैं- फर्स्ट टाइम, वो जब मैं एग्जाम देने एमपी गया था, तब वहां हुआ था.
भाभी- बहुत पक्की चुदक्कड़ लगती है ये नताशा, जो एक साथ दो लंड खा रही है, एक अपने पति का और एक तेरा. उसके पति से उसका पूरा नहीं होता क्या, जो अब वो तेरे लंड के पीछे पड़ी है?
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भाभी के इस तरह के शब्द सुनकर मेरे लंड में हलचल होने शुरू हो गई और लंड धीरे-धीरे भाभी के सामने निक्कर में ही टेंट बनाने लगा जिसको भाभी ने भी नोटिस कर लिया.
मैं भी सीमा भाभी के सामने खुलकर चुदाई भरे शब्द इस्तेमाल करता हुआ बात करने लगा, जिससे भाभी गर्म हो जाएं.
मैं- दरअसल भाभी, नताशा भाभी बोलती हैं कि राम भैया का लंड मेरे लंड से छोटा है और मेरे जितना मोटा लंड भी नहीं है. जिस वजह से नताशा भाभी भैया के संग चुदाई में प्यासी की प्यासी रह जाती हैं.
मैं देख रहा था कि सीमा भाभी अब मेरे खड़े लंड को निहार रही थीं.
भाभी- अच्छा जभी तेरा ये ऐसे निक्कर फाड़ के बाहर आने को हो रहा है.
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मैं भाभी के सामने निक्कर के ऊपर से लंड को एडजस्ट करते हुए कहने लगा- नहीं भाभी, ये तो बस आपकी रिस्पेक्ट में खड़ा हुआ है.
ये सुनते ही भाभी के मुखड़े पर कटीली मुस्कराहट आ गई- अच्छा दिखा तो जरा अपना लंड, मैं भी तो देखूं कि ये सही से रिस्पेक्ट कर भी रहा है या नहीं.
मैंने अंजान बनते हुए पूछा- मतलब भाभी?
भाभी- अब लंड दिखा रहा है या वहीं आकर निक्कर के ऊपर से पकड़ूं इसे?
मैं भाभी के बेड के करीब आ गया. करीब आते ही भाभी ने निक्कर के ऊपर से मेरा लंड पकड़कर दबा दिया- वाकई देव, बड़ा सॉलिड लंड है तेरा.
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मैं- भाभी लेकिन आप वो बात मम्मी को तो नहीं बताओगी ना?
भाभी- चूतिए, अगर बताना ही होता, तो मैं उसी दिन बता सकती थी, लेकिन जब से तेरा लंड नताशा की चूत चोदते हुए देखा है ना, तब से यही सोचकर मेरी चूत पता नहीं कितनी बार पानी छोड़ चुकी है. मेरे नीचे पता नहीं अजीब सी इचिंग होने लगती है, जब भी मैं वो लम्हा याद करती हूं, जिसमें तुम नताशा की चूत चाट रहे थे.
मैं मन ही मन समझ गया था कि सीमा भाभी भी अपनी चूत मुझसे चटवाना चाहती हैं.
भाभी ने काफी गर्म होते हुए मैक्सी के ऊपर से अपनी चूत को सहलाया- मुझे कल भी पता था, जब तुमने कल मुझे आवाज दी थी. मैंने जानबूझकर अपने मम्मे बाहर करके सोते हुए रहने का ड्रामा किया था. मैं देखना चाह रही थी कि तुम मेरे मम्मे देखकर क्या करते हो. लेकिन तुम कल चले गए थे. आज मैंने ही वहां टेबल पर किनारे पर जानबूझकर ग्लास रखा था ताकि मेरे करवट लेते टाइम तुम जल्दी से जाने की सोचो, तो पहले पर्दे से फिर ग्लास से टकराने से वो गिर जाए.
मैं भाभी की प्लानिंग सुनकर टोटली शॉक्ड था. मुझे जानकर इतनी हैरानी हो रही थी कि मैं सीमा भाभी की चुदास को शब्दों में बयान नहीं कर सकता. फिर आखिरकार भाभी के नर्म हाथों में मेरा लंड आ गया था, जिसे भाभी सहलाने लगी थीं. मैंने भी भाभी के छोटे-छोटे चुचे मैक्सी के ऊपर से पकड़कर धीरे-धीरे मसलने शुरू कर दिए, भाभी की सांसें तेज हो गईं, आह.. ह्ह्ह.. इह्ह, जैसे हल्की सिसकारियां निकलने लगीं.
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भाभी ने मेरे लंड को निक्कर से बाहर निकाल लिया और नर्म उंगलियों से सुपारे को सहलाने लगीं, ऊपर-नीचे हिलाने लगीं, मेरे लंड से पानी टपकने लगा. मैंने भाभी की मैक्सी का गला नीचे खींचकर उनके छोटे लेकिन सख्त निप्पलों को मुंह में लेकर चूसने लगा, एक चूचे को चूसते हुए दूसरे को उंगलियों से मरोड़ता रहा, भाभी की आंखें बंद हो गईं और वे मेरे बालों में उंगलियां फेरने लगीं, ओह्ह.. देव.. आह.. कितना अच्छा लग रहा है.
फिर मैंने भाभी की मैक्सी पूरी उतार दी, भाभी बिल्कुल नंगी हो गईं. मैंने उनके छोटे चुचों को जीभ से चाटा, निप्पलों को काटा, फिर पेट पर किस करते हुए नीचे आया, भाभी की जांघों को चूमा, अंदरूनी जांघों को चाटा, भाभी की सिसकारियां बढ़ गईं, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह. मैंने उनकी झांटों वाली चूत पर नाक रगड़ी, सुगंध सूंघी, फिर उंगली से चूत के होंठ अलग करके क्लिट को जीभ से छुआ, भाभी की गांड उछल गई, ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई.
तभी भाभी ने भी मेरे लंड को पकड़ लिया. उन्होंने मेरे निक्कर में हाथ डालकर लंड को बाहर निकाल लिया था. कुछ देर में ही लंड एकदम भाभी के मुंह के सामने तन्ना रहा था. भाभी भी मेरे गुलाबी सुपारे को बड़ी ललचाई नजर से देख रही थीं. मैं भाभी के मुंह में लंड डालने को हुआ, पर भाभी ने लंड चूसने से मना कर दिया.
भाभी- प्लीज देव, मैं ये सब नहीं चूसती हूं, तुम्हारे भैया का लंड भी मैंने आज तक नहीं चूसा है.
मैं भाभी को इमोशनल करते हुए बोला- भाभी हमने भी तो कभी चुदाई नहीं की है, आपको मेरी कसम है, आज सिर्फ मेरे कहने पर कर लो, इसके बाद मैं कभी आपको लंड चूसने के लिए नहीं कहूंगा.
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भाभी- ठीक है, देव आज तुम्हारे लंड का रस चखकर देखती हूं.
भाभी के मुंह में लंड देते हुए मैंने उन्हें बेड पर लिटाया और खुद उनके ऊपर चढ़ गया. भाभी मेरा पूरा लंड मुंह में लेकर बड़े मजे से चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. गोग, जैसे पहली बार चूस रही हों लेकिन धीरे-धीरे एक्सपर्ट बनती जा रही हों.
फिर भाभी ने अपनी चूत की तरफ इशारा किया. मैंने फौरन भाभी को अपने ऊपर खींच लिया और 69 में आकर भाभी की झांटों भरी चूत पर अपने होंठ रख दिए. अब मैं अपनी जीभ से भाभी की चूत चाटने लगा, झांटों को मुंह में लेकर खींचा, क्लिट को चूसा, उंगली अंदर डालकर अंदर-बाहर करने लगा, आह इह्ह ओह्ह ओह, आह.. ह्ह्ह.. इह्ह, भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं. दूसरी तरफ भाभी भी मेरे लंड को काफी अच्छे से चाट रही थीं, सुपारे को चूस रही थीं, अंडों को मुंह में ले रही थीं.
कुछ ही देर बाद भाभी गांड उठा-उठाकर अपनी चूत मेरे होंठों पर रगड़ने लगीं. जिससे कुछ देर बाद ही उनकी चूत का लावा मेरे मुंह पर फूट पड़ा. भाभी ने अपना सारा कामरस मेरे मुंह पर निकाल दिया, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई. मेरा लंड भी झड़ गया था जिसे भाभी ने भी पूरा सफाचट किया हुआ था.
मैं मन ही मन हंस रहा था कि सीमा भाभी भी कितनी बड़ी चुसक्कड़ निकली, कहां तो लंड चूसने में कतरा रही थीं और कहां मेरे लंड का रस चाटकर साफ कर दिया.
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खैर, अब मैं उठकर भाभी के ऊपर लेट गया और मैंने भाभी की टांगों को अच्छे से चौड़ा कर दिया ताकि लंड बेहिचक सीधा भाभी जी की चूत में घुस जाए.
मैंने अपना लंड भाभी की चूत पर सेट किया और एक जोरदार झटका दे मारा, जिससे मेरा आधा लंड सीधा भाभी की चूत में घुस गया. इसी के साथ ही भाभी की आंखें बड़ी हो गईं और एक दर्द भरी कराह भी निकल गई.
मैंने उनकी आह कराह को इग्नोर किया और ताबड़तोड़ 5-6 झटकों में अपना पूरा लंड भाभी की चूत में घुसेड़ डाला. भाभी की मादक सिसकारियां निकलने लगीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… देव.
मैं भाभी की चूत पर धड़ाधड़ वार करता हुआ कहने लगा- आह भाभी, कैसा लगा मेरा लंड?
भाभी- डंडा सॉलिड है तुम्हारा देव, तुम्हारे भैया से भी मोटा लंड है तुम्हारा, ऐसा लग रहा है तुम्हारा ये लंड मेरी चूत को फाड़ ही देगा.
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कुछ देर बाद मैंने भाभी के दोनों पैरों को अपने कंधों पर रख लिया. इससे भाभी का भोसड़ा खुलकर मेरे सामने आ गया था. भाभी के भोसड़े पर लंड रखकर मैं जोरदार झटके मारने में लग गया. भाभी भी मजे से अपनी गांड उठा-उठाकर अपनी चूत चुदवाने का मजा लूट रही थीं.
इसके बाद मैंने भाभी को अपने लंड पर बैठने के लिए कहा. ये मेरा फेवरिट पोज है.
मैं सीधा लेट गया और भाभी टांगें खोलकर मेरे लंड पर बैठने लगीं. उनके मेरे लंड पर बैठते ही मेरा 6 इंच का लंड उनकी चूत को फाड़ता हुआ पूरा का पूरा भाभी की चूत में फंस गया, जिससे भाभी को थोड़ा दर्द होना शुरू हो गया. भाभी ने दर्द के मारे अपनी गांड थोड़ा ऊपर उठा ली. मैंने नीचे से भाभी की चूत में धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए.
अब भाभी को मेरे खड़े लंड पर जंप करने में आराम हो गया था. आखिरकार वही हुआ, भाभी मस्त हो गईं. अब मैं अपनी स्पीड बढ़ाकर जोर-जोर से उनकी गांड उठाकर उन्हें चोदने लगा. भाभी जी ने भी मेरे खड़े लंड पर मजे से जंपिंग करना शुरू कर दिया, जिससे मुझे परम आनंद की प्राप्ति होने लगी, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई, जैसे हर जंप पर सिसकारियां भर रही हों.
इस बार फिर से भाभी ने मेरे लंड पर अपना कामरस निकाल दिया, जिससे मेरा लंड पूरा भाभी के माल में लथपथ हो गया. अब मेरा लंड और चिकना हो गया था. मैं भाभी की चिकनी चूत की तेजी से चुदाई करने लगा.
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अंत मैं भी भाभी की चूत में ही डिसचार्ज हो गया.
कुछ देर बाद हम एक दूसरे को साफ करने के लिए बाथरूम में आ गए. भाभी मुझे नहलाने लगीं, मेरे लंड को अच्छे से साफ करने लगीं और अपने माल से लथपथ अपनी चूत को भी साफ करने लगीं.
इसके बाद सीमा भाभी मेरे लंड की मुरीद हो गईं. इसी तरह जब भी विकास भैया लंबे टूर पर जाते, भाभी और मैं जमकर चुदाई का मजा ले लेते. आपको मेरी यह सेक्स कहानी कैसी लगी प्लीज मुझे मेल कीजिएगा.
इसके बाद मैं अपनी अगली सेक्स स्टोरी में लिखूंगा कि नताशा भाभी, जो कि अब तक अपनी बेस्ट फ्रेंड प्रिया के घर कुछ दिन रहने के लिए गई थीं. नताशा भाभी को लाने के चक्कर में मैंने कैसे प्रिया जी से संभोग किया.
मेरी हिंदी में एडल्ट सेक्स स्टोरी पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद.
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कहानी का अगला भाग: चाची को करवाई लंड की सवारी
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