देवर के लंड से घर में सबको चुदवाना था

Family samuhik chudai sex story: सुप्रिया, 22 साल की जवान और खूबसूरत लड़की, अपने बारे में पहले बता दूं। मेरी शादी जालंधर के एक रईस परिवार में हुई है। मेरे पति संजय एक प्राइवेट कंपनी में बड़े ओहदे पर हैं, लेकिन उनकी टूरिंग जॉब की वजह से वो अक्सर घर से बाहर रहते हैं। मेरे ससुराल में मेरे सास-ससुर, जो धार्मिक प्रवृत्ति के हैं, और मेरे पति की चार बहनें हैं। सबसे बड़ी हेमा दीदी, 38 साल की, विधवा, एक स्कूल टीचर, जो अपनी 18 साल की जवान बेटी रितु के साथ हमारे बगल वाले घर में रहती हैं। दूसरी अनीता, 35 साल की, तीसरी प्रिया, 32 साल की, और सबसे छोटी माधुरी, 28 साल की, जो हाल ही में एक तीन महीने के बच्चे की मां बनी है। माधुरी इस कहानी की सबसे बड़ी किरदार है। मेरा देवर सुधीर, 25 साल का, इस कहानी का नायक है। वो सेहत महकमे में लैब टेक्नीशियन की सरकारी नौकरी पा चुका है और अपनी पोस्टिंग का इंतज़ार कर रहा है। मेरा मायका भी जालंधर में है, जहां मेरे मम्मी-पापा, छोटी बहन मीरा, 20 साल की, और भाई पियूष, 18 साल का, रहते हैं।

अप्रैल में मेरी शादी संजय से हुई। सुहागरात की रात मैं दुल्हन के जोड़े में सजी-धजी बिस्तर पर बैठी थी, मन में अनगिनत ख्याल और रोमांच का तूफान। मैं सोच रही थी कि आज मेरी जिंदगी का सबसे हसीन पल होगा। तभी संजय कमरे में आए। मैंने परंपरा निभाते हुए उनके पैर छूने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मुझे कंधों से पकड़कर बिस्तर पर बैठा दिया। उनकी आंखों में एक अजीब सी जल्दबाज़ी थी। बिना कुछ कहे, उन्होंने मुझे अपनी ओर पीठ करने को कहा। मैंने वैसा ही किया, लेकिन मेरे दिल में एक अजीब सी घबराहट थी।

संजय ने मेरे लहंगे को ऊपर उठाया और मेरी कच्छी को नीचे सरकाकर मेरे चूतड़ों पर हाथ फेरने लगे। उनकी उंगलियां मेरी त्वचा पर रेंग रही थीं, लेकिन उसमें वो प्यार नहीं था, जो मैंने सपनों में देखा था। अचानक, उन्होंने मेरे चूतड़ों पर एक जोरदार थप्पड़ मारा। मैं चौंक गई, लेकिन कुछ कहने से पहले ही उन्होंने मुझे उल्टा लिटाया और बिना किसी चेतावनी के अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया। दर्द का ऐसा तूफान उठा कि मेरी चीख निकल गई। मैं तड़प रही थी, मेरी आंखों में आंसू थे, लेकिन संजय को जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ा। कुछ ही पलों में उनका वीर्य मेरी गांड में छूट गया। वो हांफते हुए मेरे पास लेट गए और बोले, “सुप्रिया, मज़ा आया?”

मैं कुछ कह पाती, उससे पहले वो मुझे कपड़े पहनने को कहकर सो गए। उनके खर्राटों की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी, और मैं बिस्तर पर बैठी अपनी किस्मत को कोस रही थी। मेरी चूत अब तक कुंवारी थी, उसने तो छुआ तक नहीं। मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरी सुहागरात ऐसी होगी। मैं रात भर रोती रही, मेरे जिस्म में एक अजीब सी बेचैनी थी। मैंने संजय की ओर देखा, लेकिन वो कपड़े पहने गहरी नींद में थे। मैंने उनके लंड का दीदार तक नहीं किया था।

अगली सुबह माधुरी दीदी चाय लेकर हमारे कमरे में आईं। मुझे देखते ही वो हंस पड़ीं और बोलीं, “भाभी, लगता है भैया ने रात भर सोने नहीं दिया, हाय रे तेरा ये चेहरा!” उनकी नज़र बिस्तर पर गई, और वो अचानक चुप हो गईं। मेरी आंखों में आंसू और चेहरे पर उदासी देखकर वो कुछ पल ठिठकीं, फिर चाय रखकर चली गईं। मैं नहाकर तैयार हुई, लेकिन मन अनमना था। संजय ऑफिस चले गए, और थोड़ी देर बाद माधुरी दीदी फिर मेरे पास आईं। पहले तो वो इधर-उधर की बातें करती रहीं, फिर अचानक गंभीर होकर बोलीं, “भाभी, एक बात पूछूं, सच बताओगी?”

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मैंने कहा, “दीदी, आप जो भी पूछना चाहती हो, बेझिझक पूछो।”

वो थोड़ा हिचकिचाईं, फिर बोलीं, “सुप्रिया, सुबह जब मैं आई थी, तू बहुत उदास लग रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे तू रात भर रोई हो। और बिस्तर भी एकदम साफ था। सुहागरात के बाद बिस्तर का ऐसा साफ होना… कुछ तो गड़बड़ है। सच बता, क्या हुआ?”

मैंने पहले तो टालने की कोशिश की, “दीदी, ऐसा कुछ नहीं, आपको गलतफहमी हुई।”

लेकिन माधुरी दीदी ने मेरी आंखों में देखा और बोलीं, “भाभी, मैं भी औरत हूं, मुझे सब समझ आता है। सुहागरात को दुल्हन के साथ क्या होता है, ये मुझे पता है। अगर कोई बात है, तो बता। मैं तेरी मदद करूंगी।”

उनके इस प्यार भरे लहजे ने मेरा दिल पिघला दिया। मैंने उन्हें अपनी पूरी सुहागरात की कहानी सुना दी। मैंने अपनी फटी हुई गांड दिखाई और बताया कि संजय ने मेरी चूत को छुआ तक नहीं। मेरी बात सुनकर माधुरी दीदी का चेहरा लाल हो गया। वो गुस्से में अपने माथे पर हाथ मारकर बोलीं, “हाय भगवान, ये क्या कर दिया मेरे भाई ने!”

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कुछ देर चुप रहने के बाद वो बोलीं, “भाभी, जो हुआ वो बहुत गलत हुआ। लेकिन मैं तेरे साथ हूं। अगर तुझे एतराज न हो, तो मैं तेरे लिए एक ऐसे मर्द का इंतज़ाम कर सकती हूं, जो तेरी हर सैक्स की इच्छा पूरी कर देगा। वो इतना दमदार होगा कि तू अपनी सुहागरात की सारी कसर भूल जाएगी। और हां, ये बात घर की बात, घर में ही रहेगी। कोई बाहर नहीं जानेगा। अब फैसला तेरा है, लेकिन एक बार अपने और इस परिवार के बारे में सोच ले।”

मैं उनकी बात सुनकर सन्न रह गई। उनकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो मेरे दर्द को समझ रही थीं। मैंने हिम्मत करके पूछा, “दीदी, आप ये क्या कह रही हो? क्या आपको पहले से सब पता था?”

माधुरी दीदी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “भाभी, मैंने तो बस एक बड़ी बहन की तरह तेरे लिए सोचा। अगर मेरी बात से तुझे बुरा लगा, तो माफी मांगती हूं।” वो जाने लगीं, लेकिन मैंने उन्हें रोक लिया।

“दीदी, रुकिए। बुरा मानने की बात नहीं। लेकिन बताइए ना, वो कौन है जो मेरी सैक्स की प्यास बुझाएगा और किसी को पता भी नहीं चलेगा?” मैंने हंसते हुए पूछा।

माधुरी दीदी खिलखिलाकर हंस पड़ीं। “भाभी, अब शर्म कैसी? खुलकर बोल, तू अपनी चूत का उद्घाटन कैसे लंड से करवाना चाहती है? पहले कभी चुदाई का मज़ा लिया है, या अभी तक कुंवारी है? मैं तुझसे वादा करती हूं, जो लंड मैं लाऊंगी, वो तुझे ऐसा मज़ा देगा कि तू सारी दुनिया भूल जाएगी।”

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मैंने शर्माते हुए कहा, “दीदी, मैंने तो अपने आपको संजय के लिए संभालकर रखा था। लेकिन अब जैसा आप कहेंगी, वैसा ही होगा।”

माधुरी दीदी ने मेरे बूब्स को हल्के से दबाते हुए कहा, “बस भाभी, अब जल्द ही तेरी चूत में एक ऐसा लंड होगा, जो तेरी जवानी के सारे अरमान पूरे कर देगा।”

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मैंने उत्सुकता से पूछा, “दीदी, वो कौन है? बताइए ना!”

वो रहस्यमयी अंदाज़ में बोलीं, “भाभी, वो मेरे बच्चे का बाप है। और जल्द ही तेरे होने वाले बच्चों का भी बाप होगा।”

मैं चौंक गई, “क्या? तो क्या जीजाजी?”

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माधुरी दीदी हंस पड़ीं, “भाभी, तू बस मज़ा लेने की सोच, पेड़ गिनने की नहीं। जल्द ही तेरी चूत फटकर भोसड़ा बनने वाली है।”

मैंने बेचैनी से कहा, “दीदी, अब और इंतज़ार नहीं होता।”

वो बोलीं, “बस भाभी, ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते। शायद उससे भी पहले काम बन जाए। मैं तेरी चुदाई का पूरा इंतज़ाम कर रही हूं।” ये कहकर वो हंसते हुए चली गईं।

एक हफ्ते बाद घर में सास-ससुर की तीर्थ यात्रा की बात शुरू हुई। माधुरी दीदी ने मुझे फुसफुसाकर कहा कि मैं सास-ससुर को तीर्थ यात्रा के लिए प्रेरित करूं। मैंने वैसा ही किया। सास-ससुर ने 15 तारीख को यात्रा का प्रोग्राम बना लिया। उसी दिन सास ने माधुरी दीदी को कहा, “माधुरी, तुम 15 को जालंधर आ जाओ। हम यात्रा पर जा रहे हैं, तुम घर और सुप्रिया का ख्याल रखना।”

माधुरी दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “मम्मी, आप बेफिक्र होकर जाइए। मैं 15 की शाम तक आ जाऊंगी।”

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उसके बाद दीदी ने मुझे फोन करके कहा, “भाभी, अब जैसा मैं कहूं, वैसा करना।” मैं उनके निर्देशों का पालन करने लगी। 14 की शाम को मैं सास-ससुर के जाने की तैयारी कर रही थी, तभी दीदी का फोन आया।

वो बोलीं, “भाभी, अब तू भी अपनी तैयारी शुरू कर। कल मम्मी-पापा के जाने के बाद, जब भैया भी ऑफिस के लिए निकल जाएं, तो सबसे पहले अपने जिस्म को अच्छे से साफ करना। सुधीर को चूत और कांख के बाल बिल्कुल पसंद नहीं। अपनी चूत को चमकाकर रखना। जब मैं घर पहुंचूं, तो तू नंगी होकर मेरा इंतज़ार करना।”

मैंने चौंककर कहा, “दीदी, तो क्या सुधीर? मेरा देवर?”

दीदी ने मेरी बात काटते हुए कहा, “भाभी, जैसा मैं कह रही हूं, वैसा कर।” और फोन काट दिया।

उसी शाम संजय घर आए और बोले, “सुप्रिया, मुझे कल ऑफिस के काम से एक हफ्ते के लिए दिल्ली जाना है। तू मेरे साथ चल।”

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मैंने तुरंत कहा, “ये कैसे हो सकता है? मम्मी-पापा कल तीर्थ यात्रा पर जा रहे हैं, और माधुरी दीदी घर की देखभाल के लिए आ रही हैं। मेरा जाना ठीक नहीं होगा।”

संजय मेरी बात से सहमत हो गए और बोले, “ठीक है, मैं सुबह आठ बजे निकल जाऊंगा। मैं सुधीर से कह दूंगा कि वो तेरा ख्याल रखे।”

सुधीर ने शरारती अंदाज़ में हंसते हुए कहा, “भैया, आप और मम्मी-पापा बेफिक्र होकर जाइए। मैं भाभी का पूरा ख्याल रखूंगा।”

अगली सुबह मैं किचन में सास-ससुर के लिए खाना बना रही थी। सुधीर मेरे पास आया और धीरे से बोला, “भाभी, माधुरी दीदी से बात हो गई ना? मैं मम्मी-पापा को बस स्टैंड छोड़कर दीदी को लेने जा रहा हूं। भैया के जाने के बाद जैसा दीदी ने कहा है, वैसा ही करना।”

सास-ससुर और संजय के जाने के बाद मैंने सबसे पहले नहाया। अपने जिस्म को अच्छे से साफ किया, खासकर अपनी चूत और कांख के बाल हटाए। मैंने आईने के सामने खड़े होकर अपने नंगे जिस्म को देखा। मेरे गोरे, गदराए बूब्स, पतली कमर और उभरी हुई गांड देखकर मैं खुद ही मदहोश हो गई। मैंने अपने बूब्स को हल्के से दबाया, मेरी चूत में एक अजीब सी सनसनाहट होने लगी। मैं सोचने लगी कि आज मेरी कुंवारी चूत का उद्घाटन होने वाला है। तभी घंटी बजी। मैंने सोचा, शायद माधुरी दीदी और सुधीर आए हों। उत्साह में मैंने बिना कुछ पहने ही दरवाज़ा खोल दिया।

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लेकिन दरवाज़े पर माधुरी दीदी या सुधीर नहीं, बल्कि हेमा दीदी खड़ी थीं। मुझे नंगी देखकर उनकी आंखें फटी की फटी रह गईं। मैं घबराकर भागी और कमरे में जाकर कपड़े ढूंढने लगी। हेमा दीदी भी मेरे पीछे कमरे में आ गईं और गुस्से में बोलीं, “सुप्रिया, ये क्या बदतमीज़ी है? तुझे शर्म नहीं आती, इस तरह नंगी घर में घूमते हुए? ये इज्जतदार घर है, कोई रंडीखाना नहीं!”

मैंने डरते हुए कहा, “दीदी, ये सब माधुरी दीदी ने मुझे करने को कहा था।”

हेमा दीदी सन्न रह गईं। “क्या बक रही है तू? माधुरी तुझे ऐसा क्यों कहेगी?”

मैंने उन्हें पूरी बात बताई। अपनी फटी गांड और कुंवारी चूत दिखाकर कहा, “दीदी, अब तो यकीन हो गया ना? माधुरी दीदी ने वादा किया है कि आज मेरी चूत को लंड का मज़ा मिलेगा।”

हेमा दीदी ने हैरानी से पूछा, “तो क्या माधुरी का पति साहिल भी आ रहा है? लेकिन सुधीर तो माधुरी को लेने गया है। बता, वो कौन है?”

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मैंने कहा, “दीदी, माधुरी दीदी ने बताया कि वो उनके बच्चे का बाप है और मेरे होने वाले बच्चों का भी बाप होगा। लेकिन नाम नहीं बताया।”

हेमा दीदी कुछ सोच में पड़ गईं और बोलीं, “ठीक है, मैं चलती हूं। रितु घर पर अकेली है।” तभी फिर से घंटी बजी। दीदी ने कहा, “लगता है माधुरी और सुधीर आ गए। तू उन्हें मत बताना कि मैं यहां हूं। मैं अंदर कमरे में रहूंगी।”

मैंने दरवाज़ा खोला। सुधीर मुझे नंगी देखकर बोला, “वाह भाभी, तेरा ये मस्त जिस्म! मेरा तो मन कर रहा है तुझे यहीं पटककर चोद दूं।”

माधुरी दीदी ने हंसते हुए कहा, “अरे मेरे सैंयां, थोड़ा सब्र कर। बस अब कुछ ही देर में तेरा लंड भाभी की चूत में होगा।”

माधुरी दीदी सुधीर से लिपट गईं। सुधीर ने उन्हें सोफे पर पटक दिया और उनके कपड़े उतारने लगा। माधुरी दीदी ने भी सुधीर की शर्ट और पैंट उतार दी। कुछ ही पलों में दोनों मेरी तरह पूरी तरह नंगे हो गए। मैंने माधुरी दीदी की चूत देखी, जो घने बालों से भरी थी। मैंने कहा, “दीदी, आपने मुझे तो चूत के बाल साफ करने को कहा, लेकिन आपकी चूत पर तो जंगल उगा है!”

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माधुरी दीदी ने हंसकर कहा, “भाभी, मेरी चूत आज तक सिर्फ मेरे सैंयां के लिए सजी है। मैंने कभी खुद इसे साफ नहीं किया। अब मेरा बलमा मेरी चूत की सफाई करेगा, फिर मेरी और तेरी दोनों की चुदाई करेगा।”

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मैंने सुधीर का लंड देखा। उस पर एक कच्छी लटक रही थी। मैंने पूछा, “दीदी, ये कच्छी किसकी है?”

माधुरी दीदी ने कच्छी हटाते हुए कहा, “भाभी, ये मेरी कच्छी है। मेरे सैंयां के लंड पर हमेशा मेरी कच्छी सजती है।”

कच्छी हटते ही सुधीर का लंड उछलने लगा। मैंने हैरानी से कहा, “दीदी, ये लंड है या तीसरी टांग? मेरी कलाई जितना मोटा तो होगा!”

माधुरी दीदी ने हंसते हुए कहा, “हां भाभी, ये मेरी कलाई जितना मोटा है।” उन्होंने सुधीर के लंड को चूम लिया। सुधीर ने दीदी को गोद में उठाया और बोला, “मेरी प्यारी बहना, पहले तेरी चूत को साफ कर लूं।”

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वो मेरे कमरे की ओर चल पड़े। मैंने कहा, “देवर जी, उधर कहां?”

सुधीर बोला, “भाभी, तेरी चूत का उद्घाटन तेरे ही बिस्तर पर होगा।”

मैंने घबराते हुए कहा, “चलो, दूसरे कमरे में चलते हैं।”

माधुरी दीदी ने कहा, “नहीं भाभी, तेरी चूत का उद्घाटन तेरे बिस्तर पर ही होगा।”

सुधीर दीदी को गोद में लिए मेरे कमरे में गया। तभी माधुरी दीदी चौंकी और बोलीं, “अरे, हेमा दीदी! तू यहां?”

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सुधीर ने दीदी को गोद से उतारा। मैं कुछ बोलती, उससे पहले माधुरी दीदी बोलीं, “मेरे सैंयां, लगता है तेरा लंड हेमा दीदी को भी भा गया। तेरा लंड सचमुच किस्मत वाला है। जिस चूत को चाहता है, वो खुद चलकर तेरे लंड के पास आ जाती है।”

हेमा दीदी, जो अब तक कमरे में चुप थीं, बाहर आईं। उनकी सलवार और कच्छी फर्श पर पड़ी थीं। वो नीचे से नंगी थीं। माधुरी दीदी ने उनके बाकी कपड़े भी उतार दिए। अब हेमा दीदी भी हमारी तरह पूरी तरह नंगी थीं। माधुरी दीदी ने उनकी चूत देखकर कहा, “मेरे बलमा, तेरी बड़ी दीदी की चूत पर तो जंगल उगा है।”

सुधीर ने मेरे चूतड़ पर थप्पड़ मारकर मेरे बूब्स खींचे और बोला, “भाभी, तुझे पता है मुझे चूत पर बाल पसंद नहीं। जब तू जानती थी कि हेमा दीदी भी यहां हैं, तो उनकी चूत क्यों नहीं साफ की?”

मैंने कहा, “देवर जी, अब कर देती हूं।”

सुधीर और मैंने मिलकर माधुरी दीदी और हेमा दीदी की चूत को अच्छे से साफ किया। सुधीर ने माधुरी दीदी की चूत पर एक लंबा चूमा लिया और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया। वो माधुरी दीदी के जिस्म से खेलने लगा। दीदी के गोरे बूब्स को वो बारी-बारी से चूस रहा था, कभी उनके निप्पल्स को हल्के से काटता, तो कभी अपनी जीभ से उनके पेट और नाभी को चाटता। माधुरी दीदी सिसकियां ले रही थीं, “उउउऊऊ… मेरे सैंयां… आआहह…”

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दोनों भाई-बहन 69 की पोजीशन में आ गए। सुधीर दीदी की चूत को चाट रहा था, और दीदी उसके लंड को मुंह में लेकर चूस रही थीं। दीदी की जीभ सुधीर के लंड के सुपाड़े पर गोल-गोल घूम रही थी, और सुधीर दीदी की चूत में अपनी जीभ गहरे तक डाल रहा था। कमरे में उनकी सिसकियों और चूसने की आवाज़ें गूंज रही थीं।

कुछ देर बाद सुधीर चित लेट गया। माधुरी दीदी ने अपनी चूत को उसके लंड पर रखा और धीरे-धीरे उस पर बैठ गईं। सुधीर ने नीचे से धक्के मारने शुरू किए। दीदी अपने भाई के लंड पर नाच रही थीं, “आआहह… उउउऊऊ… मेरे बलमा… चोद मुझे… स्स्सीईई…”

सुधीर दीदी के बूब्स को मसल रहा था, कभी उन्हें जोर से दबाता, तो कभी उनके निप्पल्स को खींचता। पांच मिनट बाद दीदी की चूत से कामरस छलक गया। वो सुधीर के लंड से उठीं और मुझसे बोलीं, “भाभी, अब तू मेरे भाई के लंड से मेरी चूत का रस चाट।”

मैंने सुधीर के लंड को मुंह में लिया। दीदी का चूत रस और सुधीर के लंड का स्वाद मेरे मुंह में घुल गया। मैंने लंड को चाट-चाटकर साफ किया और बोली, “देवर जी, तुम्हारा लंड तो लाजवाब है।”

मैं फिर से लंड चूसने लगी। तभी माधुरी दीदी घोड़ी बन गईं और बोलीं, “भैया, अब तू अपनी बहन को अपने मनपसंद ढंग से चोद।”

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सुधीर ने पीछे से दीदी की चूत में अपना लंड डाला और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। दीदी भी अपनी गांड पीछे धकेलकर लंड को गहरे तक ले रही थीं। वो चिल्ला रही थीं, “आआहह… मेरे सैंयां… तेरा लंड मेरी बच्चेदानी को ठोक रहा है… उउउऊऊ… चोद मुझे… और जोर से…”

सुधीर दीदी के चूतड़ों को पकड़कर और तेजी से धक्के मारने लगा। जब वो झड़ने के करीब आया, तो बोला, “मेरी जान, मैं आ रहा हूं।”

दीदी ने कहा, “मेरे बलमा, मुझे तेरा वीर्य पीना है।”

सुधीर ने लंड निकाला और दीदी के मुंह में डाल दिया। वीर्य की पिचकारी दीदी के मुंह में गिरी, और वो चटकारे लेकर उसे चाट गईं। सुधीर ने दीदी के जिस्म पर बिखरे अपने वीर्य को चाटा और बोला, “दीदी, तुझे चोदने में वही मज़ा आया, जो पहली बार तेरी चूत की सील तोड़ते वक्त आया था। तेरी चूत अब भी उतनी ही टाइट है।”

माधुरी दीदी ने उसे चूमते हुए कहा, “उउउऊऊ… मेरे सैंयां, मुझे भी लगा कि आज मेरी चूत फिर से फट जाएगी।”

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दोनों हंसने लगे, लेकिन सुधीर का लंड अभी भी तना हुआ था। मैंने कहा, “देवर जी, क्या बस अपनी बहन को ही चोदते रहोगे, या अपनी भाभी और बड़ी दीदी की चुदाई भी करोगे?”

सुधीर ने कहा, “भाभी, मेरे लंड पर पहला हक मेरी जान माधुरी का है। जब तक वो न बोले, मैं तुम्हें या हेमा दीदी को छूऊंगा भी नहीं।”

मैंने और हेमा दीदी ने माधुरी दीदी की ओर हसरत भरी नज़रों से देखा। हेमा दीदी बोलीं, “माधुरी, प्लीज़ सुधीर को बोल। बेचारी सुप्रिया कितने दिन से तड़प रही है।”

माधुरी दीदी ने कहा, “क्या सिर्फ भाभी तड़प रही है, या तुझे भी जल्दी है?”

हेमा दीदी ने सुधीर के लंड को ललचाई नज़रों से देखते हुए कहा, “माधुरी, जब से मैंने सुधीर का लंड देखा, मेरी चूत में बाढ़ आ गई है। मैं भी अपने भाई के लंड से चुदना चाहती हूं।”

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माधुरी दीदी मुस्कुराईं और बोलीं, “ठीक है, लेकिन मेरी एक शर्त है।”

हम दोनों ने एक साथ पूछा, “क्या शर्त?”

माधुरी दीदी ने सुधीर का लंड पकड़कर कहा, “अगर तुम दोनों को मेरे सैंयां के लंड का मज़ा लेना है, तो हेमा दीदी, तुम्हें अपनी बेटी रितु की चूत का उद्घाटन सुधीर के लंड से करवाना होगा।”

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हेमा दीदी गुस्से में बोलीं, “माधुरी, तुझे पता है तू क्या बोल रही है? रितु मेरी बेटी है, तुम दोनों की भानजी!”

मैंने कहा, “दीदी, आप भी तो सुधीर की बहन हैं। जब आप अपने भाई से चुदने को तड़प रही हैं, तो रितु क्यों नहीं? वो अब 18 की हो गई है। उसकी चूत को भी अब लंड चाहिए।”

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माधुरी दीदी के बार-बार कहने पर हेमा दीदी मान गईं, लेकिन बोलीं, “ठीक है, लेकिन जब सुधीर रितु को चोदेगा, मैं वहां नहीं रहूंगी।”

माधुरी दीदी ने हंसकर कहा, “ये हुई ना रंडी वाली बात!”

फिर वो सुधीर से बोलीं, “मेरे सैंयां, अब तेरे सामने एक कुंवारी चूत और तेरी बड़ी बहन की चूत है। पहले भाभी की चूत का भोसड़ा बना, फिर हेमा दीदी को चोद। और फिर अपनी अधूरी इच्छा रितु को चोदकर पूरी करना।”

माधुरी दीदी ने मुझे कहा, “भाभी, अब अपनी प्यासी चूत की आग बुझा ले।”

मैंने सुधीर का लंड लपककर चूम लिया। सुधीर मेरे बूब्स को मसलने लगा। मैं उसके लंड और टट्टों को चूमने-चाटने लगी। उसका लंड मेरे मुंह में था, और मैं उसे गले तक ले रही थी। सुधीर मेरे जिस्म पर हाथ फेर रहा था, मेरी नाभी को चूम रहा था। मैंने उसका लंड अपनी चूत पर रगड़ना शुरू किया। उसकी गर्मी से मेरी चूत सिहर उठी। मेरे मुंह से सिसकियां निकलने लगीं, “आआहह… उउउऊऊ…”

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सुधीर ने मेरे होंठ चूसते हुए कहा, “भाभी, तू तो मस्त माल है।” वो मेरे गाल, कान, गले को चूमता हुआ मेरे बूब्स तक पहुंचा। मेरे निप्पल्स को वो अपने दांतों से हल्के से काट रहा था। फिर वो मेरी नाभी, जांघों और चूत के आसपास चूमने लगा। उसने मेरी चूत पर एक लंबा चूमा लिया और अपनी जीभ मेरी चूत में डाल दी। मैं मस्ती में चिल्ला उठी, “आआहह… मेरे राजा… उउउऊऊ… चाटो… और चाटो…”

मेरी चूत से कामरस छलक गया। सुधीर ने उसे चाट लिया और मेरे होंठों को चूसने लगा। मैं अपने ही कामरस की महक से मदहोश हो गई। सुधीर ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे चूतड़ों के नीचे एक तकिया लगाया। मेरी चूत पूरी तरह उभर गई। उसने मेरी चूत को फिर से चूमा और अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के सूराख पर रगड़ने लगा। मैं अपनी गांड उठाकर लंड को अंदर लेने की कोशिश करने लगी, लेकिन वो बार-बार लंड हटा लेता।

मैंने बेचैनी से कहा, “देवर जी, अब मत तड़पाओ। अपना लंड मेरी चूत में डाल दो।”

सुधीर ने एक हल्का सा धक्का मारा। उसका सुपाड़ा मेरी चूत में फंस गया। मैं चिल्ला उठी, “आआहह…” उसने मेरे बूब्स पकड़े और एक और धक्का मारा। इस बार उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया। दर्द से मेरी चीख निकल गई। मेरी चूत से खून की धार निकली, जो सुधीर के पेट पर गिरी। माधुरी दीदी ने कहा, “भाभी, अब तू कुंवारी से औरत बन गई। मेरे सैंयां ने तेरी चूत की सील तोड़ दी।”

सुधीर धीरे-धीरे अपना पूरा लंड मेरी चूत में पेलने लगा। दर्द के साथ-साथ मज़ा भी आने लगा। मैं अपनी गांड उठाकर उसके धक्कों का जवाब देने लगी, “आआहह… उउउऊऊ… चोदो मुझे… मेरे राजा… स्स्सीईई…”

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सुधीर ने अपने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी। मेरे बूब्स को वो बेरहमी से मसल रहा था। मैं भी पूरे जोश में उसका साथ दे रही थी। कुछ देर बाद मेरी चूत से फिर से कामरस छलक गया। मैंने सुधीर से लंड निकालने को कहा, लेकिन वो बोला, “साली, अभी तो चुदने को उछल रही थी, अब भाग रही है?”

मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “देवर जी, मेरी चूत में दर्द हो रहा है। प्लीज़ छोड़ दो।”

माधुरी दीदी ने मेरी हालत देखकर सुधीर को लंड निकालने को कहा। सुधीर ने झट से लंड निकाला। मेरी चूत से खून टपक रहा था, और बिस्तर भी खून से लथपथ था। सुधीर ने माधुरी दीदी से कहा, “दीदी, ये साली भाग गई। अब मेरे लंड का क्या?”

माधुरी दीदी ने कहा, “मेरे सैंयां, हेमा दीदी की चूत अभी तेरे लंड का इंतज़ार कर रही है।”

सुधीर ने हेमा दीदी को चित लिटाया और उनका लंड उनकी चूत में पेलने लगा। हेमा दीदी दर्द से कराह उठीं, “आआहह… स्स्सीईई…” सुधीर ने उनके बूब्स मसलते हुए कहा, “दीदी, तेरी चूत से दो बच्चे निकल चुके हैं, और तू अब भी दर्द का नाटक कर रही है?”

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उसने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा लंड हेमा दीदी की चूत में पेल दिया। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। हेमा दीदी मस्ती में चिल्ला रही थीं, “उउउऊऊ… भाई… चोद मुझे… आआहह…” लेकिन कुछ देर बाद वो भी दर्द से लंड निकालने को कहने लगीं। सुधीर ने बिना झड़े लंड निकाल लिया।

हेमा दीदी ने कहा, “माधुरी, तू इस लंड को कैसे झेल लेती है? इसने तो मेरी चूत का बैंड बजा दिया।”

माधुरी दीदी हंसकर बोलीं, “इसलिए तो मैं सुधीर की दीवानी हूं।”

फिर वो सुधीर का लंड चूसने लगीं। सुधीर ने माधुरी दीदी को फिर से चोदा और उनके चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया। इसके बाद वो बोला, “भाभी, दीदी, मेरी बहन की चूत से मेरा वीर्य चाटो।”

मैंने और हेमा दीदी ने माधुरी दीदी की चूत से सुधीर का वीर्य चाट लिया। फिर सुधीर ने मेरी एक बार और चुदाई की। उसने मेरे बूब्स को चूसते हुए, मेरी चूत में धक्के मारे। मैं चिल्ला रही थी, “आआहह… उउउऊऊ… मेरे राजा… चोदो मुझे…” आखिर में उसने मेरी चूत में अपना वीर्य छोड़ दिया। उसकी गर्मी मेरी चूत में महसूस हो रही थी। मुझे ऐसा मज़ा आया, जैसे मैं स्वर्ग में हूं।

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दोस्तों, आपको मेरी ये कहानी कैसी लगी? क्या आपको भी लगता है कि घर की बात घर में ही रहनी चाहिए? अपने विचार कमेंट में ज़रूर बताएं।

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2 thoughts on “देवर के लंड से घर में सबको चुदवाना था”

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