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मेरा नाम वकार है, और आज मैं आपको अपनी जिंदगी का वो सच सुनाने जा रहा हूँ, जिसने मुझे और मेरी फूफी शाइबा जबीन, जो बाद में पप्पी टैक्सी बन गई, को एक अनोखे रिश्ते में बाँध दिया। ये कहानी तब की है जब मैं अपनी कॉलेज प्रवेश परीक्षा की तैयारी के लिए फूफी के घर रहने गया था। उनका घर एक छोटे से शहर में था, जहाँ गलियों में दिन के उजाले में भी सन्नाटा रहता था। फूफी का जिस्म ऐसा था, जैसे कोई शराब की बोतल—हर कटाव नशीला और हर नजर को लुभाने वाला। उनके बड़े-बड़े दूध, भारी गांड, और वो काले बाल जो रात की तरह लहराते थे, किसी को भी बेकाबू कर सकते थे। मैं शुरू से ही उनके जिस्म का दीवाना था, पर हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

एक गर्मी की दोपहर, घर में सन्नाटा था। सब अपने काम में व्यस्त थे, और सिर्फ़ फूफी घर पर थीं। उस दिन मुझे फूफा के साथ कॉलेज जाना था, पर फूफी ने कहा, “वकार, मैं तुझे छोड़ देती हूँ।” उनकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी, जो मेरे दिल को छू गई। कॉलेज पहुँचते ही वो मुझे छोड़कर सीधे प्रिंसिपल के ऑफिस में चली गईं। पहले तो मुझे कुछ समझ नहीं आया, पर ये अब रोज का रुटीन बन गया था। मेरा मन बेचैन था। आखिर फूफी वहाँ करती क्या हैं? मैंने फैसला किया कि आज सच जानना है।

मैं चुपके से प्रिंसिपल के ऑफिस में पहले ही घुस गया और एक अलमारी के पीछे छुप गया। जैसे ही कॉलेज की घंटी बजी, फूफी और प्रिंसिपल रूम में आए। प्रिंसिपल, एक अधेड़ उम्र का मर्द, जिसका चेहरा लालच से भरा था, ने फूफी को दीवार से सटा लिया। उसने उनकी सलवार के ऊपर से उनकी चूत को सहलाना शुरू किया, जैसे कोई भूखा शिकारी अपने शिकार को ताड़ रहा हो। फूफी की साँसें तेज हो गईं, और वो बोलीं, “जल्दी करो, मुझे और तड़पाओ मत।” प्रिंसिपल ने उनकी सलवार उतारी और उनकी ब्रा खोलकर उनके दूध बाहर निकाल दिए। उनके दूध इतने भरे हुए थे कि वो हिलते हुए किसी पके आम की तरह लग रहे थे।

प्रिंसिपल ने अपना 8 इंच का लंड निकाला, जो पहले से ही तन चुका था। फूफी ने उसे अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। वो लंड को ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई बच्चा अपने पसंदीदा लॉलीपॉप को चाटता है। लंड पूरा गीला हो गया था। फिर प्रिंसिपल ने फूफी को टेबल पर लिटाया और उनकी चूत में अपना लंड पेल दिया। फूफी की सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं, “आह्ह… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…!” प्रिंसिपल ने उनकी चूत को 15 मिनट तक दनादन चोदा, कभी उनकी गांड में लंड डाला, कभी चूत में। फूफी की चूत से पानी बह रहा था, और आखिर में प्रिंसिपल ने अपना सारा माल उनके मुँह में डाल दिया। फूफी ने एक बूंद भी बर्बाद नहीं की और सारा पी गईं। मैंने ये सब अपने मोबाइल में रिकॉर्ड कर लिया, मेरा लंड पत्थर की तरह सख्त हो चुका था।

प्रिंसिपल के जाने के बाद फूफी ने कपड़े पहने और चली गईं। मैं चुपके से अपनी क्लास में चला गया, लेकिन मेरा दिमाग उसी चुदाई के सीन में अटक गया। उस दिन मुझे पता चला कि मेरी फूफी कितनी बड़ी रंडी हैं। वो लंड के लिए पागल थीं, और मैंने ठान लिया कि अब उन्हें अपनी राखेल बनाऊँगा।

अगले कुछ दिन मैंने फूफी की हर हरकत पर नजर रखी। पता चला कि वो दिन में 5-6 मर्दों से चुदवाती थीं—कभी प्रिंसिपल, कभी कोई दुकानदार, कभी पड़ोस का कोई मर्द। उनकी चुदाई की मैंने कई वीडियो और तस्वीरें ले लीं। एक दिन घर में सिर्फ़ मैं और फूफी थे। मैंने सारी तस्वीरें और वीडियो उनके व्हाट्सएप पर भेज दीं। फूफी ने तस्वीरें देखीं और उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं। वो बोलीं, “वकार, ये तुझे कहाँ से मिलीं?”

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मैंने कहा, “फूफी, मुझे सब पता है। तुम कितनी बड़ी गस्ती हो। तुम्हें बस लंड चाहिए।” मेरी बात सुनकर वो सन्न रह गईं और बोलीं, “प्लीज, वकार, ये बात किसी को मत बताना। मैं जो तू कहेगा, वो करने को तैयार हूँ।” वो रोने लगीं। मैंने उन्हें गले लगाया और कहा, “फूफी, आप ये सब क्यों करती हो? क्या फूफा आपका ख्याल नहीं रखते?”

वो बोलीं, “अगर वो मेरा ख्याल रखते, तो मैं बाहर क्यों चुदवाती?” उनकी बात सुनकर मैंने उन्हें चुप कराते हुए सहलाना शुरू किया। उनकी साँसें गरम हो गईं। मैंने उनकी सलवार के ऊपर से उनकी चूत को छुआ, और वो सिहर उठीं। फिर वो बोलीं, “अब तुझे मुझसे क्या चाहिए?”

मैंने कहा, “मुझे वही चाहिए जो बाकी सबको चाहिए।” वो बोलीं, “मैं तेरे साथ ये नहीं कर सकती। तू मेरा बेटा जैसा है।”

मैंने कहा, “बेटा जैसा हूँ, बेटा नहीं हूँ। बाहर चुद सकती हो, तो घर में क्या प्रॉब्लम है?” मेरी बात सुनकर वो चुप हो गईं। मैंने उनका बायाँ दूध पकड़ा और सहलाने लगा। पहले तो उन्होंने रोकने की कोशिश की, पर फिर उन्हें मजा आने लगा। उनकी चूत गीली हो गई थी। मैंने उनकी सलवार के ऊपर से उंगली करनी शुरू की। वो और गरम हो गईं और बोलीं, “अगर तुझे चोदना ही है, तो जल्दी चोद। अब मुझसे रहा नहीं जाता।”

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मेरा लंड भी तन चुका था। मैंने अपने कपड़े उतारे, और फूफी ने भी अपनी सलवार और कुरता उतार दिया। उनकी चूत देखकर मेरा मुँह में पानी आ गया—गुलाबी, रसीली, जैसे कोई ताजा फूल। मैंने अपना मुँह उनकी चूत पर रखा और चूसना शुरू कर दिया। फूफी की सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… वकार… और चूस… मेरी चूत को खा जा…” वो मेरा सिर अपनी चूत पर दबा रही थीं। 10 मिनट बाद उनकी चूत से पानी निकल गया। मैंने अपना 7 इंच का लंड उनके मुँह में डाल दिया। फूफी ने उसे ऐसे चूसा जैसे कोई प्यासा पानी पी रहा हो। मैंने भी उनके मुँह में लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। कुछ ही देर में मेरा माल निकल गया, और फूफी ने सारा पी लिया।

फिर फूफी बोलीं, “अब मेरी चूत की बारी है।” उन्होंने मेरा लंड फिर से मुँह में लेकर गीला किया और अपनी टाँगें खोलकर मेरे सामने चूत रख दी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उनकी चूत में समा गया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। मैंने उन्हें 20 मिनट तक दनादन चोदा। कमरे में पच-पच की आवाजें गूंज रही थीं। फूफी चिल्ला रही थीं, “और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे… आह्ह… चोद…!” आखिर में मैंने अपना माल उनकी चूत में ही छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे के ऊपर लेट गए।

फूफी बोलीं, “वकार, आज सचमुच बड़ा मजा आया। आज से मैं सिर्फ़ तेरी हूँ।” मैंने कहा, “फूफी, मेरे पास एक आइडिया है। क्यों न मैं तुम्हारा दलाल बन जाऊँ? तुम जितना चाहो चुदवाओ, मैं तुम्हारे लिए क्लाइंट लाऊँगा। तुम्हें लंड चाहिए, मुझे पैसे। मस्त डील है।” फूफी ने थोड़ा सोचा और बोलीं, “पहले मेरी चूत का नंबर एक बार और लगाओ, फिर मैं हाँ कहूँगी।”

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मैंने तुरंत उनकी चूत चाटनी शुरू की। उनकी चूत का स्वाद ऐसा था जैसे कोई मीठा रस। मैंने 10 मिनट तक उनकी चूत चूसी, फिर अपना लंड उनकी चूत में डाला और 15 मिनट तक चोदा। हम दोनों थककर बिस्तर पर लेट गए। शाम को फूफी नहाकर किचन में थीं। मैंने पीछे से उनकी सलवार उतारी और उनकी गांड में अपना लंड डाल दिया। फूफी चौंक गईं, पर जल्दी ही उन्हें मजा आने लगा। मैंने उनकी गांड 10 मिनट तक मारी, और वो सिसकारियाँ भरती रहीं, “आह्ह… मेरी गांड… और जोर से…” फिर मैंने उनसे पूछा, “फूफी, क्या सोचा?”

वो बोलीं, “जैसी तेरी खुशी, वैसी मेरी खुशी।” मैंने उन्हें गले लगाया और एक लंबी चुम्मी ली। अब मेरा अगला प्लान था फूफी के लिए क्लाइंट ढूंढना। मैंने एक चकले वाले से बात की और कहा कि मेरे पास एक मस्त माल है। उसने कहा, “पहले उसे लाओ, फिर पैसे की बात करेंगे।” मैंने कहा, “कल लाता हूँ।”

अगले दिन मैं फूफी को लेकर चकले पर गया। वहाँ दो मर्द थे। उन्होंने फूफी को देखा और तुरंत अपने लंड पकड़ लिए। एक ने कहा, “कहाँ से लाया ये कमाल की औरत? इसे रखता हूँ, तुझे 50,000 दूँगा।” मैंने कहा, “मेरी एक शर्त है। हम सुबह 8 बजे आएँगे, दोपहर 2 बजे चले जाएँगे। इस बीच तुम जितना चाहो चोदो।” उसने कहा, “डन।” उसने मुझे 15,000 रुपये एडवांस दिए और फूफी का हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख लिया। उसने पूछा, “तेरा नाम क्या है?”

फूफी बोलीं, “शाइबा जबीन।” उसने कहा, “आज से तू पप्पी टैक्सी है।” फूफी ने हँसकर कहा, “बहुत अच्छा नाम है।” फिर दोनों मर्द नंगे हो गए और फूफी को भी नंगा कर दिया। एक ने फूफी की चूत में लंड डाला, दूसरा उनके मुँह में। फूफी की चुदाई की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं। उस दिन से शाइबा जबीन पप्पी टैक्सी बन गईं।

पप्पी टैक्सी कुछ ही दिनों में मशहूर हो गईं। मैं उनकी चुदाई की वीडियो बनाता और एक पॉर्न साइट पर अपलोड करता। एक दिन साइट वालों का मैसेज आया कि वो पप्पी को पॉर्न स्टार बनाना चाहते हैं। मैंने पप्पी से बात की, और वो मान गईं। उनकी पहली पॉर्न वीडियो सुपरहिट हुई। पप्पी ने बड़े-बड़े पॉर्न स्टार्स के साथ काम किया और एकदम प्रो बन गईं। अब वो एक बार में 5 मर्दों को संभाल लेती थीं। उनकी गांड, उनके दूध, और उनकी चूत—सब कुछ एक पूरा पैकेज था।

एक दिन पप्पी का एक आशिक मिला, एक 50 साल का हट्टा-कट्टा मर्द। उसने पप्पी को अपने फार्महाउस बुलाया। हम वहाँ पहुँचे, और उसने पप्पी को जोर से जप्पी डाली। फिर उसने पप्पी के दूध दबाने शुरू किए। पप्पी ने उसे रोका और कहा, “थोड़ा रुको।” अंदर जाते ही दोनों नंगे हो गए। उसका 12 इंच का लंड देखकर मेरी आँखें फटी रह गईं। पप्पी ने उसका लंड मुँह में लिया और चूसकर गीला किया। फिर उसने पप्पी की चूत में लंड डाला और डेढ़ घंटे तक चोदा। मैं ये सब देखकर इतना गरम हो गया कि मैंने भी कपड़े उतारे और पप्पी को उसी मर्द के सामने चोदना शुरू कर दिया। उसने पूछा, “ये कौन है?”

पप्पी बोलीं, “ये मेरा दलाल है, और मेरा बेटा भी।” वो मर्द चौंक गया और बोला, “तो तू इसके सामने चुदवाती है?” पप्पी ने कहा, “इसमें क्या हरज है? ये मेरे लिए सबसे अच्छा लंड लाता है। वकार, आई लव यू।” उसकी बात सुनकर मर्द का लंड फिर खड़ा हो गया। उसने कहा, “अगर ये लड़का मुझे अपनी गांड देगा, तो मैं तुम दोनों को 1 लाख दूँगा।” पप्पी तुरंत मान गईं। उन्होंने उसका लंड गीला किया और मेरी गांड पर सेट किया। उसने एक धक्का मारा, और मैं दर्द से चिल्ला उठा। पप्पी ने अपना दूध मेरे मुँह में डाल दिया। आधे घंटे तक उसने मेरी गांड मारी, फिर अपना माल पप्पी के मुँह में डाला। हमने पैसे लिए और चले गए।

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मुझे पप्पी पर गुस्सा था। मैंने कहा, “आपने ऐसा क्यों किया?” वो बोलीं, “बेटा, मेरी जाए तो ठीक, तेरी जाए तो रोने लगे? इन पैसों से हम गोवा जाएँगे।” मैं खुश हो गया। गोवा में पप्पी और मैंने खूब मजे किए। वो मुझे अब भी फूफी कहते हैं, पर उनका प्यार कुछ और ही है।

बाद में पप्पी ने मुझे अपने बेटे अली से मिलवाया। अली का अपनी गर्लफ्रेंड से ब्रेकअप हो गया था, और वो उदास था। मैंने कहा, “फूफी, अली को चूत की जरूरत है।” पप्पी बोलीं, “मैं क्या कर सकती हूँ?” मैंने कहा, “आपको ही कुछ करना होगा।” अगले दिन मैं अली को लेकर पप्पी के पास गया। मैंने कहा, “फूफी, रूम में जाओ, लाइट बंद कर दो।” वो तैयार हो गईं। अली और मैं रूम में गए। अली ने अंधेरे में पप्पी को जप्पी डाल दी और उनके दूध दबाने शुरू कर दिए। पप्पी को मजा आने लगा। अली ने अपना लंड पप्पी के हाथ में दिया, और पप्पी ने उनकी चूत में उंगली शुरू की। फिर अली ने पप्पी की चूत चाटी और अपना लंड उनकी चूत में डाल दिया।

10 मिनट बाद मैंने लाइट ऑन की। अली चौंक गया और बोला, “अम्मी, आप यहाँ?” मैंने कहा, “चुप कर, पहले फारिग हो जा।” अली गुस्से में था, पर पप्पी ने उसका लंड मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। मैंने भी पप्पी की चूत में लंड डाला। 15 मिनट बाद हम तीनों एक साथ झड़ गए। अली ने पप्पी से पूछा, “अम्मी, ये सब कब से चल रहा है?”

पप्पी बोलीं, “बेटा, गुस्सा मत कर। कई साल पहले मेरी एक सहेली ने मुझे प्रिंसिपल से चुदवाया। वो मुझे ब्लैकमेल करने लगा। फिर वकार ने मुझे देख लिया और मेरा पार्टनर बन गया।” अली गुस्से में बोला, “साली, गस्ती औरत!” मैंने कहा, “चुप कर, वो तेरी माँ है।” पप्पी ने अली का लंड फिर मुँह में लिया, और मैंने उनकी चूत में लंड डाला। हम तीनों फिर झड़ गए। अली ने पप्पी के दूध पकड़े और बोला, “अम्मी, मैं आपको गलत बोला। माफ कर दो।”

पप्पी बोलीं, “बेटा, आज से ये चूत तुम और वकार की है। जब चाहो, जैसे चाहो चोदो।” अली ने उनकी चूत में लंड डाला और 5 मिनट में झड़ गया। फिर मैंने पप्पी को 20 मिनट तक चोदा। हम तीनों थककर लेट गए। अली बोला, “अम्मी, आपमें गर्मी बहुत है।” पप्पी हँसीं और बोलीं, “बेटा, मैं तुम्हारी माँ भी हूँ।” हमने रात घर पर बिताई और एक नया रिश्ता शुरू किया।

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