Doctor patient sex – Copper t insertion sex: नमस्ते दोस्तों, मैं स्वीटी पुरोहित हूँ, कर्नल पुरोहित की इकलौती बेटी और अब उनकी निजी रखैल भी।
कहानी का पिछला भाग: बाप की नजर बेटी की जवान चूत पर – 4
पापा के साथ रोज़ की चुदाई ने मेरे जिस्म को और भी रसीला बना दिया था। चूचे एक कप बड़े होकर 34D हो गए, कमर पतली और गांड इतनी उठी कि पैंट में भी साफ झलकती थी। दिन-रात चुदाई के ख्याल दिमाग में घूमते रहते थे।
घर में हम दोनों ज्यादातर नंगे ही रहते, नाइटी और एसी का बिल बचता था, बस कंडोम और आई-पिल का खर्चा बढ़ता था।
तीन बार अबॉर्शन करवाना पड़ा था क्योंकि मैं अपने ही पापा के बच्चे की माँ नहीं बन सकती थी। पापा को कंडोम बिल्कुल पसंद नहीं, मुझे भी नहीं। चमड़ी से चमड़ी की रगड़ और आखिर में बच्चेदानी पर गर्म वीर्य की बौछार, यही असली जन्नत है।
एक दिन मैंने कहा, “पापा, मैं कॉपर-टी लगवा लेती हूँ।” पापा ने हँसकर हामी भर दी, “जा बेटी, फिर तो खुलकर चोदेंगे।”
पापा साथ नहीं जा सकते थे, तीसरा कोई हमराज़ भी नहीं था। मैं अकेले ही निकल पड़ी। नहा-धोकर क्रॉप टॉप और माइक्रो स्कर्ट पहनी, ब्रा-पैंटी घर पर ही छोड़ दी। शीशे में खुद को देखकर खुद ही गर्म हो गई।
क्लीनिक दूर चुना ताकि कोई जान-पहचान वाला न मिले। गूगल पर नया क्लीनिक दिखा, रेटिंग अच्छी थी। अंदर गई तो डॉक्टर देखकर दंग रह गई। बेहद जवान, शायद 25-26 का, ताज़ा-ताज़ा डॉक्टर बना था।
मैं खड़ी थी, वो बैठा। मेरी स्कर्ट इतनी छोटी कि जाँघें पूरी नंगी, चूत बस इंच भर कपड़े से छुपी थी। उसकी नज़रें वहीं अटक गईं।
मैंने टोका, “हैलो डॉक्टर!” वो हड़बड़ाया, “ह…हाँ, प्लीज़ बैठिए…” चेहरा लाल।
मैं मुस्कुराई, बैठ गई। टॉप इतना छोटा कि क्लीवेज आधा बाहर। उसकी नज़रें वहीं घुस गईं।
“गुड मॉर्निंग डॉक्टर, कॉपर-टी लगवानी है।”
वो चौंका, “शादीशुदा तो नहीं लगतीं?” “नहीं… बस सेक्स लाइफ बहुत अच्छी चल रही है,” मैंने शरमाते हुए कहा।
वो हँसा, “किस्मतवाली हो… चलिए उस केबिन में टेस्ट करेंगे।”
केबिन में ऑपरेशन टेबल जैसा बेड था। मैं बैठ गई। वो आया और बोला, “लेट जाइए, कपड़े हटाने होंगे।”
मैंने सोचा आज मस्ती हो जाए। वो मशीन की तरफ मुड़ा, मैंने फटाक से क्रॉप टॉप उतार फेंका। ब्रा थी ही नहीं, मेरे गोरे-गोरे चूचे उछलकर बाहर आ गए।
वो पलटा तो देखता रह गया। मैं सिर्फ माइक्रो स्कर्ट में लेटी थी।
“वाउ… मैं नीचे के कपड़ों की बात कर रहा था,” वो हकलाया।
मैंने माथे पर हाथ मारा, फिर टॉप वापस रख दिया। खड़ी हुई, स्कर्ट नीचे सरकाई। अब सिर्फ थॉन्ग पैंटी और हाई हील्स। पीठ उसकी तरफ थी, गांड पूरी नंगी।
जब घूमी तो उसकी आँखें फट गईं। पैंट में तंबू खड़ा हो चुका था।
वो बोला, “पैंटी भी उतारनी होगी।”
मैंने शरमाते हुए पूछा, “ज़रूरी है?” “हाँ, बिल्कुल,” उसकी आँखें लालसा से चमक रही थीं।
मैंने थॉन्ग नीचे सरकाई, हाथ से चूत ढककर लेट गई। वो ग्लव्स पहनकर अल्ट्रासाउंड करने लगा। उसके हाथ पेड़ू पर फेर रहे थे, जैल ठंडी-ठंडी लग रही थी। मैंने आँखें बंद कर लीं, साँसें तेज हो गईं।
अचानक उसने मेरे हाथ हटाए और खुद टाँगें फैला दीं। मेरी गांड टेबल के किनारे, चूत उसके मुँह के बिल्कुल सामने।
वो झुका, चूत को उंगलियों से फैलाया, अंदर झाँका। उसका गर्म साँस चूत पर लग रहा था। अंगूठा दाने पर दबा था, मैं काँप गई।
फिर अचानक एक उंगली अंदर घुसेड़ दी। मैं उछली, “आह्ह्ह…”
वो टटोलता रहा, नाक चूत पर टिकाकर खुशबू सूंघने लगा। मैं बर्दाश्त न कर सकी। हाई हील की एड़ी उसके सिर के पीछे टिकाई और सिर खींचकर चूत में घुसा दिया।
जैसे ही उसके होंठ चूत से छुए, मैंने जाँघों से सिर दबा लिया, बाल कसकर पकड़ लिए। वो भी पूरा साथ देने लगा। ग्लव्स उतारे, जाँघें मसलने लगा और जीभ चूत में घुमाने लगा।
“च्ट्ट… च्ल्लप… च्ट्ट…” उसकी जीभ दाने पर रगड़ रही थी, दो उंगलियाँ अंदर-बाहर। मैं चिल्लाई, “आह्ह्ह डॉक्टर… ओह्ह्ह… येस्स… चाटो… आह्ह्ह…”
हाथ उसके हाथ पकड़कर चूचों पर रख दिए। वो निचोड़ने लगा, दाँतों से निप्पल काटने लगा। मैं गांड उठा-उठाकर मुँह पर रगड़ रही थी।
दो मिनट में ही मैं झड़ने लगी, “आह्ह्ह… बस… आ रहा है… ओह्ह्ह्ह…” चूत से रस की बौछार, उसका पूरा चेहरा भिगो दिया। मेरी कमर हवा में अकड़ गई, बाल उसके हाथों में उखड़ आए।
झड़कर मैं ढीली पड़ गई। चूचों पर लाल निशान, टाँगें लुढक गईं। उसका चेहरा मेरे रस से चिपचिपा, बाल बिखरे।
मैं आँखें बंद कर साँसें ले रही थी कि अचानक चूत पर गर्म-गर्म लंड का सुपारा लगा। मैंने आँख खोली ही थी कि उसने एक झटके में पूरा लंड पेल दिया, गोटियाँ चटाक से गांड से टकराईं।
वो चूचे चूसते हुए धकापेल चालू कर दी। मैं अभी निचुड़कर आई थी, ऊपर से बिना पूछे चोदने लगा। गुस्सा आ गया।
मैंने जोर से धक्का मारा, “पुच्छ…” करके लंड बाहर निकला। चूत में खालीपन लगा, पर आत्मसम्मान बड़ा था।
वो हक्का-बक्का देखता रह गया। मैं उठकर बैठ गई, “क्या कर रहे हो?”
वो हकलाया, “सॉरी… पर तुम इतनी हॉट हो…”
मैंने होंठ चबाए, फिर मुस्कुरा दी। आज कॉपर-टी भी लगवानी थी और इस नौजवान डॉक्टर का लंड भी चखना था… पर अपनी शर्तों पर।
प्यारे पाठकों, अगले भाग में देखिए कैसे मैंने उस डॉक्टर को अपने नीचे लिटाकर उसका लंड चूसा और फिर उससे चुदवाया।
कहानी का अगला भाग: चूत में कॉपर टी लगाने वाले डॉक्टर से चुदी- 2
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