Teacher student sex story – Virgin college girl defloration sex story – Virgin pussy broken sex story: मेरा नाम शिवानी शुक्ला है, उम्र उन्नीस साल चार महीने, मैं B.A. सेकंड ईयर की छात्रा हूँ। कॉलेज में सहेलियाँ जब अपनी चुदाई की बातें करतीं तो मेरी चूत में खुजली सी होने लगती। सब बता रही होतीं कि उनका बॉयफ्रेंड कैसे चोदता है, कितना मोटा लंड है, कितनी देर टिकता है, और मैं बस सुनकर रात को उंगली करके सो जाती। अब बस हो गया, मुझे भी असली लंड चाहिए था।
मैंने खुद को संवारना शुरू कर दिया। पहले जीन्स पहनती थी, अब टाइट स्टाइलिश पैंट और लेगिंग्स, ऊपर क्रॉप टॉप या गहरे गले का कुर्ता। मेरे बूब्स 34C के हैं, कमर पतली, चूतड़ भारी और गोल, जब पैंट में चलती तो गांड की शेप साफ दिखती, लड़के पीछे-पीछे घूरते। मुझे मजा आने लगा।
फिर हमारे कॉलेज में नए कंप्यूटर लेक्चरर आए, मनीष सर, उम्र लगभग अट्ठाईस साल। गोरा रंग, कद पाँच फुट दस इंच, चौड़े कंधे, हल्की दाढ़ी, बाल हमेशा सेट रहते। उनकी एक मुस्कान देखकर मेरी पैंटी गीली हो जाती। वो भी मुझे घूरते थे, मेरे बूब्स पर, गांड पर। मैं समझ गई थी कि मौका बन सकता है।
एक दिन क्लास के बाद मैं उनके पास गई और बोली, “सर, मुझे कंप्यूटर में बहुत दिक्कत आ रही है, क्या आप घर पर ट्यूशन पढ़ा देंगे?” वो मुस्कुराए, “हाँ क्यों नहीं, पापा से बात कर लो।” मैंने कहा, “पापा ने ही कहा है सर, कल सुबह साढ़े आठ बजे से शुरू कर दें?” वो बोले, “ठीक है शिवानी, मैं आ जाऊँगा।”
अगली सुबह मैंने खास तैयारी की। काली रंग की बहुत छोटी प्लेटेड स्कर्ट, जो बैठते ही गांड के नीचे तक सिमट जाती थी, अंदर लाल रंग की पतली जी-स्ट्रिंग पैंटी, सिर्फ एक पतली डोरी गांड के बीच में, ऊपर सफेद रंग का पतला शिफॉन टॉप, अंदर ब्रा नहीं, मेरे गुलाबी-भूरे निप्पल साफ उभरे हुए थे। टॉप का गला इतना गहरा था कि जरा सा झुकते ही आधे बूब्स बाहर आने को होते। बाल खोले हुए, हल्का गुलाबी लिप ग्लॉस, और हल्की खुशबू लगा ली।
साढ़े आठ बजे बेल बजी। मनीष सर आए, सफेद शर्ट, नीली जीन्स, परफ्यूम की हल्की खुशबू। पापा-मम्मी से दो मिनट बात करके मुझे बैठक रूम में बुला लिया। मैं अंदर गई तो उनकी नजरें मेरी नंगी जांघों पर जम गईं, फिर बूब्स पर, फिर होंठों पर। मैंने शरमाते हुए मुस्कुरा दिया। पापा-मम्मी ऑफिस चले गए, घर में अब सिर्फ हम दोनों।
मैंने मासूमियत से पूछा, “सर, आज कहाँ से शुरू करें?” वो बोले, “पहले बुक ले आओ।” मैंने जानबूझकर बुक ऊँचे शेल्फ पर रखी थी। कुर्सी पर चढ़ी, स्कर्ट अपने आप ऊपर चढ़ गई, लाल पैंटी और गांड की गोलाई साफ दिख रही थी। मैंने ऊपर से देखा, वो मेरी गांड को ही घूर रहे थे, उनके मुँह से हल्की सी साँस निकली। मैं धीरे-धीरे उतरी, बुक टेबल पर रखी। उनकी पैंट में उभार साफ दिख रहा था।
फिर वो बोले, “चलो कंप्यूटर के पास बैठते हैं।” मैं छोटे गोल स्टूल पर बैठी, स्कर्ट और ऊपर चढ़ गई, जाँघें पूरी नंगी। वो मेरे पीछे खड़े होकर माउस चलाने लगे। उनका लंड मेरे कंधे से टकरा रहा था। मैंने हल्का सा कंधा पीछे दबाया, वो और सख्त हो गया। उनकी साँसें मेरी गर्दन पर गर्म-गर्म लग रही थीं।
धीरे से उनका हाथ मेरे कंधे पर आया, फिर गर्दन सहलाने लगे। मैंने कुछ नहीं बोला। उनका हाथ नीचे सरका और टॉप के ऊपर से बूब्स दबाने लगा। मैंने आह भरी। वो फुसफुसाए, “शिवानी, तू बहुत खूबसूरत है।” मैंने कुछ नहीं कहा, बस आँखें बंद कर लीं। उनका हाथ टॉप के अंदर घुस गया, मेरे गुलाबी-भूरे निप्पल को उँगलियों से मसलने लगे।
तभी बाहर पापा की कार की आवाज आई, हम अलग हो गए। मैं खिड़की पर गई, देखा पापा-मम्मी जा चुके थे। मनीष सर भी मेरे पीछे आ गए। उनका लंड मेरी गांड से सटा हुआ था। मैंने हल्का सा पीछे दबाया। वो बेकाबू हो गए। एक हाथ स्कर्ट में घुसा और मेरे चूतड़ को जोर से दबाया। मैंने कराह दिया। वो मेरी गांड को मसलते रहे, फिर पैंटी की डोरी साइड की और उंगली मेरे छेद पर फिराने लगे।
मैं पलटी, हमारी नजरें मिलीं। अगले ही पल उनके होंठ मेरे होंठों पर थे। वो मुझे चूम रहे थे, जीभ अंदर, मैं भी उनकी जीभ चूसने लगी। उनका हाथ मेरे टॉप में था, बूब्स मसल रहा था, निप्पल खींच रहा था। मैंने उनका शर्ट का बटन खोलना शुरू किया। वो मुझे दीवार से सटाकर चूमते रहे, एक हाथ स्कर्ट में घुसा और पैंटी के ऊपर से चूत सहलाने लगा। मेरी चूत पूरी गीली थी, पैंटी तर थी।
मैंने उनकी जीन्स की चेन खोली, अंदर हाथ डाला। उनका लंड बहुत गर्म और सख्त था, सुपारी लाल-गुलाबी रंग की, मोटाई मेरी कलाई जितनी। मैं सहलाने लगी। वो सिसकारी भरे, “शिवानी…”
फिर वो मुझे गोदी में उठाकर बेडरूम में ले गए। बिस्तर पर लिटाया। पहले मेरी स्कर्ट ऊपर की, फिर धीरे-धीरे पैंटी नीचे सरकाई। मेरी चूत बिल्कुल साफ और गुलाबी थी, छोटी सी क्लिट ऊपर उभरी हुई। वो घुटनों के बल बैठ गए, मेरा दोनों पैर फैलाया और मुँह मेरी चूत पर रख दिया। जीभ अंदर तक, क्लिट चूस रहे थे, मैं कमर उछालने लगी, “आह्ह्ह मनीष… आह्ह्ह्ह…” वो दो उँगलियाँ अंदर डालकर चोदने लगे, साथ में चूसते रहे। मैं पाँच मिनट में ही झड़ गई, पूरा बदन काँप गया।
फिर मैं उनके सामने घुटनों पर बैठ गई। उनका लंड मेरे मुँह के ठीक सामने था। मैंने पहले सुपारी चाटी, नमकीन स्वाद, फिर धीरे-धीरे मुँह में लिया। वो मेरे बाल पकड़कर धीरे-धीरे मुँह में धक्के देने लगे। मैं जितना ले सकती थी लेती, बाकी हाथ से सहलाती।
फिर वो मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरे ऊपर आए। लंड को चूत पर रगड़ा। मैं बोली, “मनीष, धीरे करना, पहली बार है।” वो बोले, “हाँ जान, मैं संभाल लूँगा।” पहले सिर्फ सुपारी अंदर की, मैंने दाँत भींच लिए। फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर। एक जगह पर रुकावट महसूस हुई, फिर जोर का धक्का, मेरी सील टूट गई, हल्का सा खून निकला। मैं चीख पड़ी, “आह्ह्ह्ह्ह…” वो रुक गए, मेरी पीठ सहलाने लगे, मेरे बूब्स चूसने लगे। दर्द धीरे-धीरे कम हुआ। मैंने खुद कमर हिलाई। वो समझ गए, फिर हल्के-हल्के धक्के देने लगे।
धीरे-धीरे स्पीड बढ़ाते गए। मेरी टाँगें उनके कंधे पर रख दीं, लंड बहुत गहराई तक जा रहा था। मैं सिसकियाँ भर रही थी, “आह्ह्ह… ह्ह्ह… मनीष… और जोर से…” वो मेरे बूब्स मसल रहे थे, निप्पल चूस रहे थे। मैं दूसरी बार झड़ गई।
फिर वो मुझे घोड़ी बना कर पीछे से लगे। पहले गांड में उंगली की, थूक लगाया। मैं डर गई, “मनीष गांड में नहीं…” पर वो नहीं माने। सुपारी गांड के छेद पर रखी, धीरे-धीरे दबाया। बहुत दर्द हुआ, मैं तकिए में मुँह दबाकर रोने लगी। आधा गया, फिर एक जोर का धक्का, पूरा अंदर। मैं चीखी, “हाय मर गई…” वो रुक गए, मेरी पीठ सहलाते रहे। धीरे-धीरे हिलने लगे। दर्द कम हुआ और मजा आने लगा। मैं खुद गांड पीछे करने लगी। वो मेरे बूब्स पकड़कर तेज-तेज धक्के देने लगे। मैं तीसरी बार झड़ गई।
अंत में वो फिर चूत में आए। इस बार पूरी स्पीड, बिस्तर जोर-जोर से हिल रहा था। मैं चीख रही थी, “मनीष… फाड़ दो… आह्ह्ह्ह…” वो बोले, “शिवानी ले… मेरा सारा माल ले…” और उनका गर्म वीर्य मेरी चूत में भर गया।
हम दोनों पसीने से तर, हाँफते हुए लेटे रहे। दस-पंद्रह मिनट बाद मैं नहाने चली गई। जब बाहर आई तो मनीष सर जा चुके थे। टेबल पर एक कागज था, “सॉरी शिवानी… मैं खुद को रोक नहीं पाया। अगर माफ कर सके तो कॉलेज में बता देना।”
मैंने पढ़कर मुस्कुरा दिया। उन्हें क्या पता, मैंने ही तो सब प्लान किया था। मेरी चूत की खुजली आखिरकार मिट गई थी।