Gaon ki bhabhi sex कहानी का पिछला भाग: चूत में भूत – 2
सोना की चूत चोदने के बाद मैं और वो बाथरूम में हाँफ रहे थे। उसकी चूत से मेरा और उसका रस टपक रहा था, और वो मेरे सीने से चिपककर साँसें ले रही थी। मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “सोना, डर मत। ये भूत अब भाग गया, लेकिन अगर इसे और पक्का करना है, तो थोड़ा और करना पड़ेगा। नहीं तो ये साला फिर से तेरी चूत में दाने उगा देगा। बाहर रोमा भाभी हैं, वो सब संभाल लेंगी। कोई कुछ नहीं बोलेगा।”
सोना अभी भी थोड़ी डरी हुई थी। वो बोली, “भाईसाहब, अगर गाँव वालों को पता चल गया तो मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी। मैं रंडी बन जाऊँगी।” मैंने उसकी कमर पकड़कर उसे अपनी तरफ खींचा और कहा, “अरे, तेरा राज मेरे सीने में दफन है। मैं कल सुबह जा रहा हूँ, और रोमा भाभी को कुछ नहीं पता चलेगा। तू बस चुदाई का मजा ले, और इस भूत को हमेशा के लिए भगा दे!”
सोना ने मेरे 8 इंच लंबे और 3 इंच मोटे लंड को देखा, जो अभी भी तना हुआ था। उसने शरमाते हुए कहा, “भाईसाहब, आपका लंड तो गजब का है। लेकिन प्लीज, थोड़ा धीरे चोदना।” मैंने हंसते हुए जवाब दिया, “सोना रानी, मैं शरीफ आदमी हूँ। मैं तेरी चूत नहीं चोद रहा, बस तेरे चूत के भूत की पिटाई कर रहा हूँ। तू जमीन पर लेट, अपनी टाँगें चौड़ी कर, और गांड हिलाकर चुदवाने को तैयार हो। साले भूत को आज मेरे लंड की मार पड़ेगी, तब पता चलेगा कि गाँव की भाभियों की चूत तंग करने का अंजाम क्या होता है!”
सोना की चूत के पास एक छोटी-सी फुंसी थी, जो अब सूख रही थी। मैंने उस पर उंगली रखकर कहा, “देख, ये दाना तो बड़ा खतरनाक हो रहा था। अगर आज इसे न भगाया, तो 2-3 दिन में तू बैठ भी नहीं पाएगी। चल, अब आराम से लेट, अपनी चूत खोल, और मेरे लंड से इस भूत को भगाने दे।” सोना जमीन पर लेट गई। उसने अपनी टाँगें चौड़ी कीं और हवा में उठा दीं। उसकी चिकनी, गीली चूत मेरे सामने थी, जैसे मुझे चोदने के लिए बुला रही हो।
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मैं उसकी टाँगों के बीच घुटनों के बल बैठ गया। मैंने उसकी एक टाँग उठाकर अपने कंधे पर रखी और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पर टिकाया। सोना की साँसें तेज हो गईं, और वो “उह… आह…” की सिसकारियाँ लेने लगी। मैंने धीरे से एक झटका मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। “उई… मर गई!” सोना चिल्लाई। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसे चीरता हुआ अंदर गया। मैंने एक और जोरदार झटका मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया।
“फच… फच…” की आवाजें बाथरूम में गूँजने लगीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। सोना की चूत का रस मेरे लंड को चिकना कर रहा था। वो “आह… उह… चोदो… और चोदो!” चिल्ला रही थी। मैं उसके ऊपर झुक गया, मेरे होंठ उसके होंठों को छू रहे थे। उसने अपनी टाँगें मेरी कमर के पीछे लपेट लीं और मुझे कसकर जकड़ लिया। वो चिल्ला रही थी, “राजा, दो महीने बाद आज चुद रही हूँ। तेरा लंड बहुत मस्त है! जोर से मार… मेरी चूत फाड़ दे!”
मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और गहरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूचियाँ जोर-जोर से हिल रही थीं। मैंने एक हाथ से उसकी चूची पकड़ी और निप्पल को उमेठा। सोना “उई… आह… फाड़ दो!” चिल्ला रही थी। मैं बोला, “साले भूत, आज तेरी खैर नहीं! तूने इसकी चूत को तंग किया, अब मेरे लंड की मार खा!” मैंने उसकी चूत में गहरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत का रस इतना बह रहा था कि बाथरूम का फर्श गीला हो गया।
करीब 10 मिनट तक मैंने उसे उसी पोजीशन में चोदा। फिर मैंने लंड बाहर निकाला। सोना चिल्लाई, “अरे, और चोदो ना!” मैंने कहा, “सोना रानी, जरा इस भूत को और तड़पाने दे।” मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। “फच… फच…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। मैंने उसके चूतड़ों को कसकर थप्पड़ मारे, और वो “आह… उह… और जोर से!” चिल्ला रही थी। मैंने उसकी चूचियों को पीछे से मसला और निप्पल्स को उमेठा।
थोड़ी देर बाद मैंने अपना सारा वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। सोना भी झड़ गई, और उसकी चूत से रस टपक रहा था। वो मुझसे चिपककर बोली, “राजा, तूने तो मेरी चूत का भूत मार डाला। बहुत मजा आया!” मैंने अपना लंड बाहर निकाला, जो वीर्य से चिपचिपा हो गया था। मैंने कहा, “देख, ये साला भूत मर गया। अब इसे मुँह में लेकर चूस, इसका खून पी!”
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सोना शरमाई और बोली, “मुझे शर्म आती है।” मैंने कहा, “अरे, ये काली पट्टी बाँध ले। इससे तुझे दूसरे भूत की आवाजें भी सुनाई देंगी।” मैंने अपना काला रुमाल निकाला और उसकी आँखों पर बाँध दिया। फिर मैंने बाथरूम का दरवाजा खोला और रमेश को फुसफुसाकर अंदर बुलाया। रमेश ने पूछा, “इतनी देर क्यों?” मैंने उसे चुप रहने का इशारा किया।
रमेश ने जल्दी से अपने कपड़े उतारे। मैंने सोना के मुँह के सामने अपना लंड रखा और कहा, “चूस रानी, इस भूत का खून पी। बड़ा मीठा है!” सोना ने मेरा लंड मुँह में लिया और “लप… लप…” करके चूसने लगी। वो जमीन पर बैठी थी, और उसका चेहरा मस्ती में डूबा हुआ था। मेरा लंड फिर से तन गया। मैंने उसे घोड़ी बनाया और कहा, “अब दूसरा भूत हवा में घूम रहा है। इसे भी मारना है।”
मैंने रमेश को इशारा किया। उसने सोना की कमर पकड़ी और एक झटके में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। सोना ने मेरा लंड मुँह से निकाला और चिल्लाई, “अरे, ये क्या?” मैंने कहा, “तू मेरा लंड चूस, ये दूसरा भूत तेरी चूत में घुस गया है। मैं इसे ठीक करता हूँ।” रमेश अब उसे जोर-जोर से चोद रहा था। मैंने फिर से अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। अब सोना मुँह में मेरा लंड चूस रही थी और चूत में रमेश का लंड ले रही थी। रमेश बीच-बीच में उसकी चूचियों को भी मसल रहा था।
सोना चुदाई के मजे में डूब गई थी। मैंने रमेश को इशारा किया, और वो चुपके से रुक गया। सोना बोली, “भूत ने चोदना बंद कर दिया, लेकिन चूत में अभी भी है। भाईसाहब, इसे पिटाई करो!” मैंने रमेश को हटाया और फिर से अपना लंड सोना की चूत में पेल दिया। मैं चिल्लाया, “साले, सोना भाभी को तंग करता है? आज तेरी खैर नहीं!” रमेश अब सोना के मुँह की तरफ था और उसकी चूचियाँ मसल रहा था। मैंने कहा, “अब ये साला चूचियों में घुस गया। मुँह खोल, इसे मंत्र से तेरे मुँह में घुसाऊँगा।”
रमेश ने अपना लंड सोना के मुँह में डाल दिया। अब सोना की चूत में मेरा लंड था, और मुँह में रमेश का। “लप… लप…” और “फच… फच…” की आवाजें बाथरूम में गूँज रही थीं। करीब 5 मिनट तक हमने उसे ऐसे ही चोदा। फिर मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया। रमेश ने भी 6-7 धक्कों के बाद अपना माल उसकी चूत में डाल दिया। सोना की चूत वीर्य से लबालब भर गई थी। रमेश खुशी से फूला नहीं समा रहा था। वो चुपके से बाहर चला गया।
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मैंने सोना की पट्टी खोली और कहा, “सोना, तेरे दोनों भूत मर गए।” वो मुझसे लिपट गई और बोली, “भाईसाहब, तूने तो मेरी चूत को जन्नत दिखा दी। जब भी गाँव आए, मेरी चूत जरूर मारना।” हम दोनों एक-दूसरे से चिपके रहे। उसका नंगा बदन मेरे बदन से रगड़ रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने कहा, “चल, कपड़े पहनकर बाहर चलते हैं।”
सोना ने हंसते हुए कहा, “भाईसाहब, आज पता चला कि भूत भी लंड की तरह होता है।” मैंने जवाब दिया, “भूत किसी भी रूप में हो सकता है, बस दिखता नहीं। जब तेरी आँखें बंद थीं, तो मेरे मंत्रों से तूने भूत को महसूस किया।” वो हँसकर हामी भरने लगी।
हम बाहर आए। रोमा भाभी मुस्कुराते हुए सोना के चूतड़ों पर हाथ फेरकर बोली, “क्यों, भाईसाहब ने चूत का भूत भगा दिया ना?” सोना ने शरमाते हुए कहा, “हाँ, भाभी। अब मेरी चूत भूत-मुक्त है।” सोना अपने घर चली गई।
हमने रमेश और रोमा के साथ खाना खाया। रोमा ने हमें दूध पिलाया। मैंने रमेश से कहा, “अबे, जा अपनी भाभी को चोद। कल सुबह 7 बजे की बस पकड़नी है। भाभी की चूत खाली पड़ी है। पूरी रात लंड डाले रख, वरना भाभी किसी और से चुदवाने लगेगी।” रमेश हँसकर अपने कमरे में चला गया। मैंने उससे कहा, “रोमा भाभी से कहना कि मेरे कमरे में एक गिलास पानी रख दें।”
थोड़ी देर बाद रोमा पानी का गिलास लेकर आई। उसका ब्लाउज खुला हुआ था, और चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं। वो बोली, “भाईसाहब, रात 3 बजे मैं आपको जगा दूँगी। मुझे आपसे अपनी गांड मरवानी है।” उसने मेरे पजामे के ऊपर से मेरे लंड पर हाथ फेरा। मैंने उसके ब्लाउज में हाथ डालकर उसकी चूचियाँ मसलीं।
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रात 3 बजे रोमा बाथरूम के रास्ते मेरे कमरे में आई। उसने सिर्फ पेटीकोट पहना था, और उसकी चूचियाँ नंगी थीं। वो बोली, “चलो, भाईसाहब, मेरी गांड मारो।” बाथरूम में हमने नल खोल दिया ताकि आवाज बाहर न जाए। मैंने उसका पेटीकोट उतारा और उसकी गांड पर थप्पड़ मारे। उसकी गांड गोल और चिकनी थी। मैंने अपना लंड उसकी गांड के छेद पर रगड़ा। वो “आह… उह…” की सिसकारियाँ ले रही थी।
मैंने धीरे से अपना लंड उसकी गांड में डाला। “उई… मर गई!” रोमा चिल्लाई। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी गांड इतनी टाइट थी कि मेरा लंड उसे चीर रहा था। “फट… फट…” की आवाजें गूँज रही थीं। मैंने उसकी चूचियों को मसला और निप्पल्स को उमेठा। रोमा “आह… उह… और जोर से… मेरी गांड फाड़ दो!” चिल्ला रही थी। करीब 20 मिनट तक मैंने उसकी गांड मारी। फिर मैंने अपना वीर्य उसकी गांड में छोड़ दिया। वो भी झड़ गई और हाँफते हुए मुझसे लिपट गई।
सुबह 5 बजे तक हमने गांड मारी, फिर अपने कमरों में चले गए। सुबह 6 बजे मैं और रमेश खेतों में घूमने गए। वहाँ बसंती और उसकी भाभी मिलीं। दोनों ने हमारे लंड को मस्ती से चूसा। “लप… लप…” की आवाजें खेतों में गूँज रही थीं। लेकिन बस पकड़ने की जल्दी थी, इसलिए हमने उनकी चूत नहीं चोदी। मैंने बसंती से वादा किया, “अगली बार तेरी चूत जरूर चोदूँगा।”
6:30 बजे हमने नहा-धोकर खाना खाया और शहर की बस पकड़ ली। रास्ते में मैं रमेश की तारीफ करता रहा कि उसने सोना जैसी मस्त भाभी की चूत मुझे दिलवाई। रमेश भी मेरे भूत भगाने की कला से खुश था। हमने हर महीने गाँव आने का प्लान बनाया। मुझे यकीन था कि गाँव की बाकी भाभियाँ भी मेरे लंड से अपनी चूत का भूत भगवाएँगी।
साथियों, ये काल्पनिक कहानी कैसी लगी? क्या राकेश अगली बार गाँव में और भाभियों की चूत का भूत भगाएगा? अपने विचार कमेंट में बताएँ!
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Gaon me hugg ne ko jaave tb bhosdika
bhut khulli hui gand me ghus jaate hai.