चूत में भूत – 1

Chut ka bhoot कुछ महीने पहले की बात है, जब मेरी दोस्ती ऑफिस के गार्ड रमेश से हुई। शुरू में तो बस हल्की-फुल्की बातें होती थीं, लेकिन धीरे-धीरे हम दोनों इतने खुल गए कि अब हर बात बिंदास होकर करते। मैं, राकेश, अभी कुंवारा हूँ, लेकिन चुदाई का शौक पुराना है। अब तक सौ से ज्यादा रंडियों की चूत चोद चुका हूँ। मेरा लंड 8 इंच लंबा और इतना मोटा है कि औरतें देखते ही सिहर उठती हैं। रमेश शादीशुदा है, उसकी बीवी और दो बच्चे गाँव में रहते हैं। हम दोनों की बातें अक्सर औरतों की चूत, गांड और चुदाई के इर्द-गिर्द घूमती थीं। धीरे-धीरे हम साथ में रंडियों के पास भी जाने लगे। रमेश ने एक दिन बताया कि उसने अपने गाँव की 5-6 भाभियों को चोद रखा है। उसने बड़े गर्व से कहा, “राकेश, अगर तू मेरे साथ गाँव चलेगा, तो 3-4 भाभियाँ तेरे लंड के नीचे आने को तैयार हो जाएँगी।”

एक दिन बातों-बातों में रमेश ने जिक्र किया एक औरत का, जिसका नाम था सोना। वो उसकी बीवी रोमा की सहेली थी। सुनने में सुंदर, लेकिन रमेश के सारे जतन उसको पटाने में नाकाम रहे। उसने बताया, “सोना को चोदना आसान नहीं, साली बड़ी चालाक है।” बस फिर क्या था, मेरे और रमेश के दिमाग में एकदम चिंगारी सी कौंधी। हमने सोना को चोदने की पूरी प्लानिंग कर डाली। तय हुआ कि 15 तारीख को हम गाँव जाएँगे। उस दिन दोपहर 12 बजे हम रमेश के गाँव पहुँच गए।

गाँव में रमेश का घर छोटा-सा लेकिन ठीक-ठाक था। उसकी बीवी रोमा और दो बच्चे वहाँ थे। रोमा ने साड़ी का घूंघट निकाला हुआ था, जैसे गाँव की औरतें करती हैं। रमेश ने मेरा परिचय करवाया, “रोमा, ये राकेश भाईसाहब हैं। मेरे दोस्त भी और साहब भी। इनके सामने घूंघट की जरूरत नहीं।” रोमा ने तुरंत घूंघट हटाया और हल्की मुस्कान के साथ बोली, “नमस्ते, भाईसाहब!”

मैंने रोमा को गौर से देखा। वो थोड़ी सांवली थी, लेकिन उसका बदन ऐसा कि लंड अपने आप खड़ा हो जाए। उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी और तनी हुई थीं कि ब्लाउज में कैद होने को तैयार ही नहीं थीं। ब्लाउज के नीचे उसने कुछ नहीं पहना था, जिससे उसके निप्पल्स का उभार साफ दिख रहा था। चूचियों का कुछ हिस्सा ब्लाउज से बाहर झाँक रहा था, जैसे कोई जेल से भागने को बेताब हो। उसका फिगर गदराया हुआ था, चोदने में मजा देने वाला। मैंने मन ही मन सोच लिया कि इसकी चूत तो मैं जरूर मारूंगा।

रोमा चाय बनाने चली गई। जब वो झुककर चाय देने आई, तो उसकी चूचियाँ ब्लाउज के गले से बाहर आने को बेताब हो गईं। मैं उसकी चूचियों में झाँक रहा था, और वो ये बात भाँप गई। उसने मुझे एक चालाक, जहरीली-सी मुस्कान दी, जैसे कह रही हो, “देख लो, लेकिन छूने की हिम्मत है?” मेरे लंड ने तुरंत टनक कर सलामी दे दी। उसकी वो मुस्कान देखकर मुझे यकीन हो गया कि इसकी चूत चोदी जा सकती है। मैंने मन में ठान लिया कि रोमा भाभी को चोदकर ही रहूंगा।

हम तीनों चाय पीते हुए बातें करने लगे। रोमा बड़ी बातूनी थी, और मुझे उसमें थोड़ी चालू-सी अदा भी दिखी। रमेश ने बातों-बातों में रोमा को बताया कि मैं भूत-प्रेत भगाने में उस्ताद हूँ। हम चाय पी ही रहे थे कि तभी गाँव की एक औरत, बसंती, वहाँ आ धमकी। रोमा ने उसे बुलाया, “आओ बसंती, बैठो! रमेश आए हैं, और ये उनके दोस्त राकेश भाईसाहब।” बसंती ने हल्की-सी मुस्कान दी और बैठ गई। थोड़ी देर बाद रोमा किसी काम से अंदर चली गई। मौका देखकर रमेश ने बसंती की चूचियाँ मेरे सामने ही मसल दीं और बोला, “बसंती, तुझे चोदने का बड़ा मन कर रहा है!”

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बसंती ने शरारती हंसी हंसते हुए कहा, “चल ना, खेत में घूमकर आते हैं। गन्ने बड़े-बड़े हो रहे हैं, वहाँ चुदवाने में मजा आएगा। तेरा केला खाए हुए भी तो बरसों हो गए!” रमेश ने हंसकर मेरी तरफ देखा और बोला, “राकेश भाईसाहब का केला भी बड़ा मस्त है, इसे भी आजमा ले!” बसंती ने आँख मारते हुए कहा, “दोनों आना, दोनों के केले खा लूँगी!” और हंसते हुए अंदर चली गई।

बसंती ठीक-ठाक थी, लेकिन रोमा के सामने फीकी पड़ती थी। मैंने रमेश से कहा, “यार, तू दो महीने बाद गाँव आया है, जा अपनी बीवी के पास थोड़ा लेट!” रमेश खी-खी करके हंसा और बोला, “भाई, बीवी की चूत तो रात में भी लेंगे। अभी चल, बसंती की चूत बजाते हैं। साली बड़ी मस्त होकर चुदवाती है, और लंड भी लपलपाकर चूसती है।” घड़ी में एक बज रहा था। रमेश ने कहा, “दो बजे खेत में चलकर बसंती को चोदते हैं, फिर पाँच बजे सोना आएगी, तब उसे फंसाएंगे।” हमने खाना खाया, और मैं आराम करने के लिए कमरे में चला गया।

दो बजे रमेश ने मुझे झकझोरा, “चल, बसंती को चोदकर आते हैं!” लेकिन मेरा दिमाग तो रोमा भाभी को चोदने के प्लान में उलझा था। मैंने कहा, “यार, मुझे बड़ी थकान हो रही है। तू जा, मैं थोड़ा आराम कर लूँ। फिर तुझे सोना भाभी की चूत भी दिलवानी है। अगर ज्यादा थक गया, तो वो प्लान खराब हो जाएगा।” रमेश ने ठीक है कहा और अकेले खेत की ओर निकल गया। उसके बच्चे बाहर खेल रहे थे, और घर में सिर्फ मैं और रोमा भाभी रह गए।

थोड़ी देर बाद रोमा मेरे कमरे में आई। उसने साड़ी का पल्लू थोड़ा सँभाला हुआ था, लेकिन उसकी चूचियाँ फिर भी ब्लाउज से बाहर झाँक रही थीं। वो बोली, “भाईसाहब, मुझे एक दिक्कत है। अगर आप किसी को नहीं बताएँगे, तो मैं आपको बताऊँ?” मैंने कहा, “हाँ, भाभी, बताओ।” रोमा ने थोड़ा झिझकते हुए कहा, “रात को मुझे नींद नहीं आती। ऐसा लगता है जैसे कोई मेरी साड़ी उठा रहा हो। एक-दो बार मैंने सोचा कि नंगी सो जाऊँ, तो भूत साड़ी कैसे उठाएगा? लेकिन फिर भी ऐसा लगता है जैसे कोई मेरी टाँगें चौड़ी कर रहा हो और मेरी चूत चोदना चाहता हो। भाईसाहब, मुझे लगता है कोई भूत मुझे तंग कर रहा है। आप चेक करके बता दो कि कोई भूत तो मेरे ऊपर नहीं चढ़ा?”

उसकी बात सुनकर मेरा लंड उछलने लगा। मैंने मौके को भाँपते हुए कहा, “भाभी, भूत चेक तो कर दूँगा, लेकिन इसके लिए आपको जगह-जगह छूना पड़ेगा। आपको बुरा तो नहीं लगेगा?” रोमा ने इठलाते हुए कहा, “अरे भाईसाहब, आप मेरा इलाज करेंगे, और मैं बुरा मानूँ? क्या मैं इतनी बुरी लगती हूँ आपको?” उसने एक कामुक अंगड़ाई ली, जिससे उसकी चूचियाँ और उभर आईं। मैं समझ गया कि लाइन साफ है।

मैंने कहा, “भाभी, अगर साड़ी उतार देंगी, तो चेक करने में आसानी होगी।” रोमा ने मुस्कुराकर कहा, “बस इतनी-सी बात?” और एक झटके में उसने साड़ी उतार दी। अब वो सिर्फ लो-कट ब्लाउज और पेटीकोट में मेरे सामने खड़ी थी। उसका गदराया बदन देखकर मेरा लंड चड्डी में तंबू बना रहा था। मैंने कहा, “भाभी, जरा मेरी आँखों में देखो।” उसने अपनी बड़ी-बड़ी आँखों से मेरी आँखों में देखा। मैंने उसके गालों पर हाथ फेरा, फिर धीरे-धीरे उसकी गर्दन से होता हुआ मेरा हाथ उसकी चूचियों तक पहुँच गया।

ब्लाउज के ऊपर से मैंने उसकी मोटी, गदराई चूचियाँ कसकर दबाईं। रोमा की साँसें तेज हो गईं, और उसने “उह… आह…” की हल्की सिसकारी भरी। मेरा हाथ अब उसके पेट पर फिसला, फिर पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत को रगड़ने लगा। मैंने दो-तीन बार उसकी चूत को जोर से रगड़ा, जिससे वो और गर्म हो गई। उसने “आह… उह… भाईसाहब…” कहते हुए अपनी कमर हिलाई। मैंने हाथ हटाया तो वो तुरंत बोली, “भाईसाहब, भूत भगाइए ना! बड़ा मजा आ रहा है।”

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मैंने कहा, “भाभी, तुम्हारे बदन में भूत चिपटा हुआ है। इसे भगाने के लिए तुम्हें पूरा नंगा करना पड़ेगा।” रोमा की चूत अब गीली हो चुकी थी। वो बोली, “मैं तैयार हूँ। चलो, बाथरूम में चलते हैं।” उसने बताया कि उनके बाथरूम के दो दरवाजे हैं—एक मेरे कमरे की तरफ, दूसरा उसके बेडरूम की तरफ। मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था। रोमा साड़ी उठाकर अपने कमरे की तरफ चली गई। तभी बाथरूम से खट-खट की आवाज आई। रोमा ने बाथरूम से झाँककर कहा, “जल्दी आओ ना, भाईसाहब!”

मैं बाथरूम में दाखिल हुआ। रोमा सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। वो बोली, “मेरा भूत भगाओ ना!” मैं थोड़ा घबरा रहा था, लेकिन मौका ऐसा था कि छोड़ना नहीं चाहता था। मैंने कहा, “भाभी, अपने कपड़े तो उतारो।” रोमा ने शरारती अंदाज में कहा, “आप ही उतार दो ना, मुझे शर्म आ रही है।” मैंने उसे अपनी बाँहों में भर लिया। मेरे होंठ उसके होंठों से चिपक गए। मैंने कहा, “आज तेरे सारे भूत भगा दूँगा।” हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसकी जीभ को चूस रहा था।

कुछ देर बाद मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोले। उसकी चूचियाँ फुदककर बाहर आ गईं। बड़ी, तनी हुई, गोल-मटोल चूचियाँ, जिनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे। मैंने दोनों चूचियों को हल्के से दबाया, फिर जोर से मसला। रोमा “आह… उह… भाईसाहब…” कहते हुए सिसक रही थी। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, दूसरी चूची को हाथ से मसल रहा था। मेरा लंड अब गीला हो चुका था, और चड्डी में तनाव साफ दिख रहा था।

रोमा ने मेरी चड्डी की तरफ देखा और बोली, “भाईसाहब, आपका औजार तो गाँव की सारी औरतों की चूत का भूत भगा देगा।” मैंने उसका पेटीकोट का नाड़ा खोला, और वो नीचे सरक गया। उसकी चूत मेरे सामने थी—चिकनी, गीली, और चोदने को बेताब। मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरा, और वो सिहर उठी। “उह… भाईसाहब, ये भूत साला रोज तंग करता है। आज इसे फाड़ दो!”

मैंने अपने कपड़े उतारे, सिर्फ चड्डी में था। मेरा 8 इंच का लंड चड्डी से बाहर झाँक रहा था। रोमा ने उसे देखकर कहा, “वाह, क्या मस्त लंड है! इससे चुदने में तो जन्नत का मजा आएगा।” मैंने उसकी चूत को फिर से रगड़ा, और वो “आह… उह…” करती रही। मैंने उसे फर्श पर लिटाया। उसने अपनी टाँगें फैलाईं, और उसकी चूत का मुँह मेरे लंड को बुला रहा था। मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रगड़ा, लेकिन अंदर नहीं डाला। मैं उसे और तड़पाना चाहता था।

मैंने उसकी चूचियों को फिर से मसला, निप्पल्स को उमेठा। रोमा चिल्ला रही थी, “राजा, अब डाल दो ना! मेरी चूत को और मत तड़पाओ!” मैंने उसकी जाँघों को पकड़ा, और अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पर सेट किया। धीरे से एक हल्का झटका मारा, और आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। रोमा ने “उई… मर गई!” कहकर मुझे कसकर पकड़ लिया। मैंने एक और झटका मारा, और मेरा पूरा 8 इंच का लंड उसकी चूत में समा गया।

“आह… उह… ऊई… मर गई!” रोमा की सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी गीली थी कि लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। “फच… फच…” की आवाजें बाथरूम में गूँज रही थीं। मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई, और रोमा की चूचियाँ जोर-जोर से हिलने लगीं। वो चिल्ला रही थी, “मादरचोद, चोद! मेरी चूत फाड़ दे! उई… आह… कितना मजा आ रहा है!”

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मैंने उसकी जाँघें और ऊपर उठाईं, और गहरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत का रस बह रहा था, और मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। मैंने उसकी चूचियों को कसकर मसला, निप्पल्स को उमेठा। रोमा “आह… उह… चोदो राजा, फाड़ दो!” कहते हुए अपनी गांड उछाल रही थी। मैंने कहा, “तेरी चूत के भूत को आज फाड़कर ही छोड़ूँगा!”

करीब 10 मिनट तक मैंने उसे उसी पोजीशन में चोदा। फिर मैंने लंड बाहर निकाला। रोमा चिल्लाई, “अरे, और चोदो ना! रमेश अभी नहीं आएगा!” मैंने कहा, “तेरी चूत ने मेरे लंड को और गर्म कर दिया। जरा इसे मुँह में लेकर प्यार कर।” रोमा तुरंत घोड़ी बन गई और मेरा लंड चूसने लगी। “लप… लप…” की आवाजें आ रही थीं। मैंने उसके चूतड़ों को कसकर थप्पड़ मारे, जिससे वो और जोश में आ गई।

हम 69 की पोजीशन में आ गए। मैं उसकी चूत का रस चाट रहा था, और वो मेरा लंड लपलपाकर चूस रही थी। उसकी चूत का स्वाद नमकीन और उत्तेजक था। मैंने उसकी चूत में जीभ डाली, और वो “आह… उह… भाईसाहब…” कहते हुए सिहर रही थी। थोड़ी देर बाद मैंने उसे फिर से घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड पेल दिया। “फच… फच…” की आवाजें फिर से गूँजने लगीं। मैंने उसकी चूचियों को पीछे से मसला, और वो “उई… मर गई… चोदो!” चिल्ला रही थी।

करीब 15 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—घोड़ी, मिशनरी, और फिर दीवार के सहारे। हर धक्के के साथ रोमा की सिसकारियाँ तेज होती जा रही थीं। आखिरकार, मैंने उसकी चूत में अपना सारा माल छोड़ दिया। “आह… उह…” रोमा भी झड़ गई, और उसकी चूत से रस टपक रहा था। हम दोनों फर्श पर गिर पड़े, हाँफते हुए एक-दूसरे को देख रहे थे। रोमा ने मुझे बाँहों में भरा और बोली, “राकेश, आज तूने मेरी चूत का भूत भगा दिया। बड़ा मजा आया!”

थोड़ी देर बाद हमने कपड़े पहने और बाहर आ गए। रोमा दो कप चाय लेकर आई। हम मुस्कुराते हुए चाय पी रहे थे। रोमा बोली, “भाईसाहब, कब जाओगे?” मैंने कहा, “मैं और रमेश कल सुबह जाएँगे।” रोमा ने शरारती अंदाज में कहा, “मेरी चूत का भूत तो तुमने भगा दिया, लेकिन वादा करो कि रात को एक बार और चोदोगे। जब रमेश सो जाएगा, मैं बाथरूम में आ जाऊँगी।”

मैंने हंसते हुए हामी भरी। रोमा ने फिर कहा, “रात में मेरी गांड भी मारना। मुझे गांड मरवाने में बड़ा मजा आता है।” मैं हैरान था। मैंने कहा, “रमेश तो कहता है कि उसने कभी गांड नहीं मारी।” रोमा ने हंसते हुए बताया, “रमेश के पीछे मैं बसंती के पति सोहन से चूत और गांड दोनों मरवाती हूँ। उसका लंड 5 इंच का है, चूत तो ठीक नहीं मारता, लेकिन गांड बड़ी मस्त मारता है।”

रात को तीन बजे हमने फिर से चुदाई की योजना बनाई। मैंने वादा किया कि उसकी गांड जरूर मारूँगा।

क्या आपको लगता है कि राकेश और रोमा की रात की चुदाई उतनी ही मस्त होगी? अपनी राय नीचे कमेंट में बताएँ!

आगे की कहानी पढ़ें: चूत में भूत-2

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