मेरा नाम करण है। मैं गुजरात के एक छोटे से शहर से हूँ, उम्र 26 साल, हाइट 5 फीट 7 इंच, और रंग सांवला। दिखने में मैं ठीक-ठाक हूँ, जिम जाता हूँ, तो बदन थोड़ा कसा हुआ है। ये कहानी मेरी और नीतू की है, जो मेरे साथ पिछले साल घटी। नीतू 21 साल की थी, उसका फिगर 32-28-32, गोरी-चिट्टी, लंबे काले बाल, और आँखें इतनी गहरी कि देखने वाला डूब जाए। उसकी चाल में एक अजीब सी कशिश थी—जब वो चलती थी, तो उसकी कमर का लचकना और गांड का उछलना किसी का भी ध्यान खींच लेता था। उसकी माँ, शीला आंटी, 40 साल की थीं, साधारण कद-काठी, गेहुंआ रंग, और हमेशा साड़ी में रहती थीं। वो मुझे अपना भाई मानती थीं, और उनकी वजह से ही मेरी नीतू से मुलाकात हुई।
मैं उस वक्त एक कंपनी में नौकरी करता था। शनिवार और रविवार को छुट्टी होती थी, तो मैं अक्सर शीला आंटी के घर चला जाता। उनका घर छोटा सा था—दो कमरे, एक छोटा सा हॉल, और रसोई। नीतू और उसकी माँ के साथ वहाँ रहना मुझे अच्छा लगता था। धीरे-धीरे नीतू और मेरी दोस्ती प्यार में बदल गई। जब मैं उनके घर जाता, वो मुझे गले लगाती। उसका गर्म शरीर मेरे सीने से टकराता, और वो धीरे से कहती, “करण, आई लव यू।” मैं भी उसे गले लगाकर “आई लव यू” बोलता। उसकी साँसें मेरे गले पर पड़तीं, और दिल की धड़कन तेज हो जाती।
हमारी बातें धीरे-धीरे किस तक पहुँच गईं। नीतू को लिप-किस करना बहुत पसंद था। वो मेरे होंठों को चूसती, और मैं उसकी जीभ को अपने मुँह में लेता। उसकी साँसों की गर्मी और होंठों की नरमी मुझे पागल कर देती। उसे चॉकलेट खाना बहुत पसंद था। मैं हमेशा डेरी मिल्क लेकर जाता। वो तभी चॉकलेट खाती, जब मैं उसे अपने होंठों से देता। मैं चॉकलेट को अपने मुँह में रखता, और वो मेरे होंठों से चूस लेती। उसका ये अंदाज़ इतना कामुक था कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता। वो हँसकर कहती, “करण, तू कितना नॉटी है!”
ये सिलसिला कुछ हफ्तों तक चला। जब मैं रात को उनके घर रुकता, नीतू “गुड नाइट” बोलकर अपने रूम में चली जाती। लेकिन कई बार वो मेरे पास आकर लेट जाती। वो अपनी कुरती ऊपर उठाती, ताकि उसके नरम-नरम बूब्स मेरे सीने से टच हों। उसकी ब्रा इतनी पतली होती कि उसके निप्पल्स का उभार साफ़ दिखता। हम लिप-किस करते, और मैं उसके बूब्स को धीरे-धीरे दबाता। वो सिसकारियाँ भरती, “उम्म… करण, और दबा!” उसके बूब्स इतने मुलायम थे कि मैं उन्हें “आम” कहता। वो हँस पड़ती और कहती, “तू तो बस मेरे आमों का दीवाना है!”
धीरे-धीरे हमारी हरकतें और बढ़ गईं। मैं उसके बूब्स को मसाज करता, निप्पल्स को उंगलियों से सहलाता। वो अपनी कुरती पूरी तरह ऊपर कर देती, और मैं उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके बूब्स चूसने लगता। उसकी सिसकारियाँ, “आह्ह… करण, और चूस!” मेरे लंड को और सख्त कर देतीं। एक बार मैंने उसकी ब्रा खोलने की कोशिश की, तो वो शरमाते हुए बोली, “नहीं, मम्मी जाग जाएँगी!” लेकिन उसकी आँखों में वो चमक थी, जो बता रही थी कि वो भी उतनी ही गर्म थी जितना मैं।
एक रात, जब मैं उनके घर रुका, सिर्फ़ नीतू, शीला आंटी, और मैं थे। उस रात नीतू मेरे रूम में “गुड नाइट” बोलने आई। वो एक टाइट कुरती और लेगिंग्स में थी, जिसमें उसका फिगर और भी मस्त लग रहा था। मैंने मज़ाक में कहा, “नीतू, कुछ करना है?” वो शरमाई, फिर धीरे से बोली, “क्या करना है, करण?” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा, “सेक्स!” वो थोड़ा झिझकी, उसकी साँसें तेज हो गईं। वो बोली, “सच्ची? लेकिन कोई प्रॉब्लम तो नहीं होगी ना?” मैंने उसे भरोसा दिलाया, “कुछ नहीं होगा, मैं हूँ ना। दर्द हुआ तो संभाल लूँगा।” वो थोड़ा हँसी, फिर बोली, “ठीक है, लेकिन धीरे-धीरे करना!”
हम बेड पर बैठ गए। मैंने उसे गले लगाया, और हम लिप-किस करने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मैं उसके होंठों को चूस रहा था। उसकी सिसकारियाँ, “उम्म… आह्ह…” मेरे कानों में गूँज रही थीं। मैंने उसकी कुरती के ऊपर से उसके बूब्स दबाए। वो बोली, “करण, और ज़ोर से दबा! मुझे मज़ा आ रहा है!” मैंने उसकी कुरती ऊपर उठाई, और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके बूब्स को चूसने लगा। उसका 32 साइज़ का बूब्स मेरे मुँह में था, और मैं उसके निप्पल्स को जीभ से सहला रहा था। वो सिसकार रही थी, “आह्ह… करण, कितना अच्छा लग रहा है!”
करीब 15 मिनट तक मैं उसके बूब्स चूसता रहा। फिर मैंने उसकी कुरती और ब्रा उतार दी। उसने मेरी टी-शर्ट भी उतार दी। अब वो सिर्फ़ लेगिंग्स में थी, और मैं सिर्फ़ जीन्स में। मैंने उसकी लेगिंग्स के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया। वो गीली हो चुकी थी, उसकी लेगिंग्स पर गीलापन साफ़ दिख रहा था। मैंने उसकी लेगिंग्स और पैंटी धीरे-धीरे उतारी। उसने अपनी चूत के बाल साफ किए हुए थे। उसकी चूत गुलाबी और गीली थी, देखकर मेरा 6 इंच का लंड और सख्त हो गया।
मैंने कहा, “नीतू, मेरे लंड को छू!” उसने शरमाते हुए मेरा लंड पकड़ा। उसका नरम हाथ मेरे लंड पर पड़ा, तो मुझे लगा जैसे करंट दौड़ गया। वो बोली, “करण, ये तो बहुत सख्त है!” मैंने कहा, “इसे चूस!” वो थोड़ा हिचकिचाई, फिर मेरे लंड को मुँह में ले लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी। “स्स्स… आह्ह…” मैं सिसकार रहा था। वो मेरे लंड को चॉकलेट की तरह चूस रही थी, कभी जीभ से चाटती, कभी पूरा मुँह में लेती। वो बोली, “करण, इसका टेस्ट तो चॉकलेट जैसा है!” मैंने हँसकर कहा, “तो तू रोज़ चॉकलेट खा!” वो 15 मिनट तक मेरा लंड चूसती रही। जब मेरा वीर्य निकलने वाला था, उसने उसे नीचे गिरा दिया।
अब मेरी बारी थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया। उसका स्वाद इतना मस्त था कि मैं रुक नहीं पा रहा था। मैं अपनी जीभ को उसकी चूत की गहराई में ले गया। वो सिसकार रही थी, “आह्ह… करण, और चाट! उफ्फ… कितना मज़ा आ रहा है!” वो अपनी गांड उठा-उठाकर मेरी जीभ को और गहराई तक ले जा रही थी। उसकी चूत से पानी निकल रहा था, और मैं उसे चाट रहा था। वो एक बार झड़ गई, उसकी सिसकारियाँ, “आह्ह… उफ्फ…” पूरे कमरे में गूँज रही थीं।
मैंने कहा, “नीतू, अब तुझे चोदूँ?” वो बोली, “हाँ, करण! चोद लो!” लेकिन फिर उसने कहा, “पर पीछे से नहीं, मुझे डर लगता है!” मैंने उसे समझाया, “पहले पीछे से ट्राई करें, अगर दर्द हुआ तो रुक जाएँगे।” वो थोड़ा हिचकिचाई, फिर बोली, “ठीक है, लेकिन पहले कंडोम लगा लो!” मैंने कंडोम निकाला और अपने लंड पर चढ़ाया। मैंने उसे बेड पर झुकने को कहा। वो अपनी लेगिंग्स और पैंटी पहले ही उतार चुकी थी, तो उसकी मस्त गांड मेरे सामने थी। मैंने अपने लंड को उसकी गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे दबाया। लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था। मुझे भी दर्द हो रहा था, क्योंकि ये मेरा पहला बार था।
नीतू ने मेरे लंड को पकड़ा और सही जगह सेट किया। मैंने एक ज़ोर का धक्का मारा, मेरा 5 इंच लंड अंदर चला गया। वो दर्द से चीख पड़ी, “आह्ह… करण, निकालो! बहुत दर्द हो रहा है!” मैंने लंड बाहर निकाला और उसे गले लगाकर लिप-किस करने लगा। वो रो रही थी, “करण, बहुत दर्द हुआ!” मैंने उसे चुप कराया, “रानी, थोड़ा सब्र कर, मज़ा आएगा।” जब उसका दर्द कम हुआ, मैंने फिर से लंड उसकी गांड में डाला। इस बार धीरे-धीरे, “पचाक-पचाक” की आवाज़ के साथ मेरा लंड अंदर गया। उसकी गांड से हल्का खून निकला, और वो फिर चीखी, “आह्ह… धीरे करो!”
मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। वो सिसकार रही थी, “उफ्फ… करण, अब मज़ा आ रहा है!” वो अपनी गांड को पीछे-आगे कर रही थी, मेरा लंड उसकी गांड की गहराई में जा रहा था। “पचाक-पचाक” की आवाज़ और उसकी सिसकारियाँ, “आह्ह… और ज़ोर से!” कमरे में गूँज रही थीं। करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद वो दो बार झड़ चुकी थी। मैंने कहा, “नीतू, मैं झड़ने वाला हूँ!” उसने कहा, “अंदर ही झड़ जाओ!” मैं उसकी गांड में झड़ गया। हम दोनों पसीने से तर थे। वो मेरे सीने पर लेट गई और बोली, “करण, ये तो बहुत मज़ा आया! ऐसा लग रहा है जैसे मैंने कुछ नया सीख लिया।”
अगले दिन सुबह हमने फिर किस किया। मैंने उसकी कुरती के ऊपर से उसके बूब्स दबाए। वो बोली, “करण, रात का मज़ा अभी भी याद है!” मुझे ऑफिस जाना था, तो मैं चला गया। अगले शनिवार को जब मैं गया, नीतू ने दरवाजे पर ही मुझे लिप-किस किया। उसने एक टाइट टॉप और स्कर्ट पहनी थी, जिसमें उसकी गांड और बूब्स का उभार साफ़ दिख रहा था। हमने चॉकलेट एक-दूसरे के मुँह से खाई। उस रात शीला आंटी जाग रही थीं, तो हमने सिर्फ़ किस किया और मैंने उसके बूब्स चूसे। वो बोली, “करण, पिछले हफ्ते की चुदाई भूल नहीं पा रही!”
अगली रात जब शीला आंटी सो गईं, नीतू मेरे रूम में आई। वो एक ढीली सी नाइटी में थी, जिसमें से उसके बूब्स का उभार साफ़ दिख रहा था। वो बोली, “करण, आज मुझे चोदो ना, प्लीज!” मैंने कहा, “आज तेरी चूत चोदूँगा!” वो मना करने लगी, “नहीं, उंगली से मज़ा नहीं आता, पीछे से चोदो!” लेकिन मैंने कहा, “रानी, एक बार चूत में लंड लेकर देख!” हमने एक घंटे तक किस किया। मैंने उसकी नाइटी उतारी, वो बिना ब्रा के थी। मैंने उसके बूब्स चूसे, निप्पल्स को काटा। वो सिसकार रही थी, “आह्ह… करण, और चूस!”
उसने मेरी पैंट उतारी और मेरा लंड चूसने लगी। वो 5 मिनट तक मेरे लंड को चूसती रही, फिर बोली, “बस, अब चोदो! और इंतज़ार नहीं होता!” मैंने उसकी चूत को अपनी जीभ और उंगली से चोदा। वो अपनी गांड उठा रही थी, “आह्ह… करण, और गहरा! तेरे लंड को चूत में चाहिए!” वो एक बार झड़ गई। फिर उसने कहा, “प्लीज, अब लंड डालो!” मैंने कंडोम लगाया और एक ज़ोर का धक्का मारा। मेरा आधा लंड उसकी चूत में फिसल गया। वो चीखी, “आह्ह… दर्द हो रहा है!” उसकी आँखों से आँसू निकल आए। मैं रुक गया, लेकिन वो बोली, “रुको मत, चोदो!”
मैंने एक और धक्का मारा, मेरा पूरा 6 इंच का लंड उसकी चूत में गया। “पचाक-पचाक” की आवाज़ गूँज रही थी। वो चिल्ला रही थी, “आह्ह… और ज़ोर से! चोदो मुझे!” मैंने उसे तेज़-तेज़ धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत से खून निकल रहा था, और कंडोम पर भी खून लगा था। उसने कंडोम उतारकर फेंक दिया और बोली, “चोदो ना, मज़ा आ रहा है!” मैंने 20 मिनट तक उसे चोदा। वो तीन बार झड़ चुकी थी। जब मैं झड़ने वाला था, उसने कहा, “अंदर मत निकालना!” उसने मेरा लंड बाहर निकाला और हाथ से हिलाकर वीर्य निकाल दिया। वो बोली, “करण, इतना मज़ा! हम रोज़ ऐसा कर सकते हैं?” मैंने कहा, “रानी, मुझे ऑफिस जाना होता है, वरना रोज़ चोदता!”
हम सो गए। ये सिलसिला कुछ साल चला। फिर मैं दो साल बाद नौकरी छोड़कर छत्तीसगढ़ चला गया। लेकिन हमारी बातचीत आज भी होती है।
दोस्तों, आपको मेरी और नीतू की ये चुदाई की कहानी कैसी लगी? कमेंट में ज़रूर बताएँ!
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