दोस्तो, मैं सैम, एक बार फिर अपनी ज़िंदगी की रसीली कहानी लेकर हाज़िर हूँ। पिछली कहानी में आपने पढ़ा कि मैं अपनी पूनम दीदी को उनकी ससुराल बैंगलोर छोड़ने गया, और वहाँ उनकी जेठानी प्रेरणा और उसकी बहन नैना के साथ कार में चुदाई का मज़ा लिया। अब अगले दिन मैं अपनी बुआ तृप्ति के घर जा रहा था।
कहानी का पिछला भाग: दीदी की जेठानी और उसकी बहन को चोदा
सुबह जल्दी उठकर मैंने जिम किया, नाश्ता खाया, और दीदी से बुआ के घर का पता पूछा। दीदी बोलीं, “बुआ का घर यहाँ से 8 किलोमीटर दूर है।” मैंने कहा, “रिक्शा मिलेगा ना?” दीदी ने ड्राइवर को मुझे ड्रॉप करने को कहा। मैंने पूछा, “ड्रैवर कब आएगा? मुझे जल्दी वापस भी आना है।” दीदी ने आँख मारकर कहा, “हाँ, तुझे यहाँ मज़े जो मिल रहे हैं!” मैंने हँसते हुए कहा, “सब आपका आशीर्वाद है।”
ड्राइवर हॉल में आया। दीदी ने उसे सास और जेठ के लिए नाश्ता और चाय का बड़ा बैग दिया। मैंने दीदी के पैर छुए। दीदी बोलीं, “अरे, बुआ का पार्सल तो ले जा!” मैं रूम में पार्सल लेने गया, तो दीदी पीछे थीं। वो बोलीं, “बुआ की बेटी निशा से मिल लेना, वो तेरे टाइप की है।” मैंने पूछा, “कितनी बड़ी है?” दीदी बोलीं, “तुझसे दो साल बड़ी, और उसकी छोटी बहन तृषा 18 की है।” मैंने कहा, “ठीक है, देखता हूँ।”
ड्राइवर और मैं निकल गए। 25 मिनट में मैं बुआ के बंगले के बाहर था। गेट पर घंटी बजाई, तो काका ने गेट खोला। मैंने प्रणाम किया और उनके पैर छुए। काका खुश हो गए, बोले, “बेटा, कैसे हो?” मैंने कहा, “ठीक हूँ, आप कैसे हो?” काका बोले, “निशा और तृषा कॉलेज गई हैं, बुआ अपने कमरे में हैं, और साहब विदेश गए हैं।” मैंने कहा, “मैं बुआ को सरप्राइज़ देता हूँ।”
पार्सल लेकर मैं पहली मंज़िल पर बुआ के तीसरे बेडरूम में गया। दरवाज़ा खुला था, और अंदर का नज़ारा देखकर मेरा लंड तन गया। बुआ तृप्ति बेड पर पूरी नंगी लेटी थीं, उनके 36 इंच के गोरे, टाइट बूब्स चमक रहे थे। उनकी चूत साफ़ थी, और वो एक मोटी गाजर अपनी चूत में ज़ोर-ज़ोर से अंदर-बाहर कर रही थीं। उनकी आँखें बंद थीं, और मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह… और गहरा… मेरी चूत की प्यास बुझा दे!” उनकी गोरी जाँघें फैली थीं, और चूत का गुलाबी दाना चमक रहा था।
मैंने बुआ का फिगर पहले कभी नोटिस नहीं किया था। उनका 36-30-42 का बदन टाइट था, क्योंकि वो सारा घर का काम करती थीं। मैं दरवाज़े पर खड़ा सब देख रहा था। धीरे से मैंने उनके बेड पर पड़े कपड़े उठाए और बाहर फेंक दिए। कुछ मिनट बाद बुआ शांत हुईं, और उनकी आँखें खुलीं। मुझे देखकर वो सकपका गईं, और कपड़े ढूँढने लगीं। ना मिलने पर उन्होंने बेडशीट से अपने बदन को ढका और बैठ गईं।
मेरा लंड पैंट में तंबू बना रहा था। मैं उनके पास गया, बगल में बैठा, और उन्हें बाँहों में ले लिया। बुआ चुप थीं। मैंने उनके गाल पर किस किया और उन्हें बेड पर लिटा दिया। उनकी साँसें तेज़ थीं। मैंने बेडशीट हटाई, और उनके गोरे, भरे हुए बूब्स मेरे सामने थे। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और ज़ोर से चूसने लगा। उसका निप्पल मेरे मुँह में कड़क हो गया, और मैंने उसे हल्के से दाँतों से काटा। बुआ सिसकारी, “आह… सैम, और चूस… मेरी चूचियों को खा जा… बहुत प्यासी हूँ!” उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं।
मैंने एक हाथ उनकी चूत पर रखा। उनकी चूत गीली थी, और रस टपक रहा था। मैंने बीच वाली उंगली उनकी चूत में डाली, और उनकी चूत ने मेरी उंगली को जकड़ लिया। मैंने बूब्स चूसना बंद किया और नीचे सरककर उनकी चूत चाटने लगा। मेरी जीभ उनकी चूत की फाँकों में गहरे तक गई, और उनका नमकीन, गर्म रस मेरे मुँह में बहने लगा। मैं कुत्ते की तरह चाट रहा था। बुआ बोलीं, “सैम, ये गलत है… तू मेरा बेटा है!” मैंने कहा, “गाजर से चुदाई सही थी?” वो बोलीं, “फिर भी तू मेरा भतीजा है।”
मैंने कहा, “बुआ, जब वासना की आग लगती है, तो रिश्ते नहीं देखे जाते। तुम्हारी चूत लंड के लिए तड़प रही है।” बुआ बोलीं, “तेरे अंकल को मेरी परवाह नहीं।” मैंने कहा, “मैं तुम्हारी प्यास बुझाऊँगा। तुम इतनी हॉट हो, कोई भी तुम्हें चोदने को तैयार हो जाएगा।” बुआ बोलीं, “तू बड़ा जवान हो गया!” मैंने फिर उनकी चूत चाटनी शुरू की। मेरी जीभ उनके दाने पर नाच रही थी, और वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थीं। उनकी चूत उछल रही थी, और सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह… सैम, चाट ले… मेरी चूत को सुख दे!”
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मैंने कपड़े उतारे। मेरा 7 इंच का लंड तन गया। बुआ बोलीं, “तेरा लंड तो बहुत मोटा है!” मैंने कहा, “ये तुम्हारी चूत के लिए बना है।” मैंने लंड का सुपारा उनकी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में जड़ तक घुस गया। बुआ चिल्लाईं, “आह, मार डाला! बाहर निकाल, मेरी चूत फट जाएगी!” मैंने कहा, “बुआ, थोड़ा दर्द होगा, फिर मज़ा आएगा।” मैंने लंड वैसे ही रखा और उनकी चूचियाँ मसलने लगा। उनकी चूचियाँ नरम और भारी थीं।
कुछ मिनट बाद मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। बुआ की सिसकारियाँ दर्द से सुख में बदल गईं। वो अपनी गांड उठाकर मेरा साथ दे रही थीं। मैंने स्पीड बढ़ाई, और मेरे हर धक्के में उनकी चूचियाँ हिल रही थीं। उनकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और गर्म रस मेरे लंड को भिगो रहा था। 12 मिनट बाद मेरा लंड कड़क हुआ, और मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। मेरे लंड से पिचकारी निकली, और सारा माल उनकी चूत में चला गया। बुआ भी झड़ गईं, और उनकी चूत का रस मेरे लंड पर बह रहा था। वो बोलीं, “तू तो बहुत जवान है! कितनी गर्लफ्रेंड्स हैं?”
मैंने कहा, “एक थी, ब्रेकअप हो गया। उसे सेक्स में इंटरेस्ट नहीं था।” बुआ बोलीं, “उसे शादी के बाद समझ आएगा।” हम नंगे बेड पर बातें कर रहे थे। बुआ वॉशरूम जाने लगीं। उनकी गोल, गोरी गांड देखकर मेरा लंड फिर तन गया। बुआ ने शीशे में देख लिया, बोलीं, “क्या देख रहा है?” मैंने कहा, “तुम्हारा 36-30-42 का फिगर। तुम्हारी गांड नगमा जैसी है।” बुआ बोलीं, “तुझे नगमा याद कैसे?” मैंने कहा, “उसकी XXX देखकर मुठ मारी है।” बुआ हँसी, “अब मेरे नाम की मारेगा?” मैंने कहा, “तुम तो लाइव हो!”
बुआ बोलीं, “चल, नाश्ता करते हैं।” मैंने कहा, “तू शॉवर ले, मैं बाद में लूँगा।” बुआ बोलीं, “साथ में ले, डरता है क्या?” मैंने कहा, “फिर तेरी ले लूँगा तो?” वो बोलीं, “रोका किसने है?” बुआ बाथरूम गईं, और मैं पीछे। हम एक-दूसरे पर शैम्पू लगा रहे थे। बुआ ने मेरे सीने पर बॉडी जेल लगाया, फिर नीचे सरककर मेरा लंड पकड़ लिया। वो घुटनों पर बैठीं और मेरे लंड को मसलने लगीं। मैंने उनका हाथ हटाया और लंड उनके होंठों पर रगड़ा। बुआ ने साबुन धोया और मेरा लंड लॉलीपॉप की तरह चूसने लगीं। उनका गर्म मुँह मेरे लंड को स्वर्ग में ले जा रहा था।
10 मिनट चूसने के बाद मेरा लंड फौलाद हो गया। मैंने बुआ को बाथटब के पास घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी चूत में लंड डाला। उनकी चूत गीली थी, और मेरा लंड आसानी से घुस गया। मैंने ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारे। उनकी चूचियाँ हिल रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं, “आह… सैम, और ज़ोर से… मेरी चूत फाड़ दे!” मैंने 25 मिनट तक चोदा। बुआ ने मुझे रोका और कमोड पर बिठाया। वो मेरी गोद में बैठीं, और मेरा लंड उनकी चूत में ले लिया। वो उछल-उछलकर चुदाई का मज़ा ले रही थीं। उनकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह… सैम, चोद दे… मेरी चूत को भर दे!”
मेरा लंड टाइट हुआ। बुआ ने लंड बाहर निकाला और ज़ोर-ज़ोर से हिलाया। जब सुपारा लाल हुआ, उन्होंने लंड मुँह में लिया, और मेरा सारा माल पी लिया। हमने शॉवर लिया और हॉल में नाश्ता करने बैठे। काका ने चाय और नाश्ता दिया। बुआ बोलीं, “काका, सैम के लिए डबल अंडा ऑमलेट बनाओ।” काका बोले, “आप सैम से बातों में व्यस्त हो गईं।” नाश्ते के बाद हम टीवी लाउंज में बातें करने लगे। काका ने कहा, “मैं ड्राइवर के साथ मार्केट जा रहा हूँ।” बुआ ने पैसे दिए और कहा, “मटन या चिकन ले आना।”
काका के जाने के बाद बुआ ने मेन गेट बंद किया और रूम में चली गईं। 20 मिनट बाद वो लाइट ब्लू साड़ी में निकलीं। उनका ब्लाउज़ बैकलेस था, और पीठ नंगी चमक रही थी। वो मेरे बगल में बैठीं। मैंने उनकी पीठ सहलाई। बुआ झुकीं, और उनका पल्लू गिर गया। उनके बूब्स ब्लाउज़ से बाहर झाँक रहे थे। मैंने रिमोट साइड में रखा और उनकी चूचियाँ ब्लाउज़ के ऊपर से चूसने लगा। बुआ सिसकारी, “आह… सैम, और चूस… मेरे बूब्स को प्यार दे!” मैंने ब्लाउज़ खोला, और उनकी चूचियाँ बाहर निकालीं। मैंने उनके निप्पल्स चूसे, और वो मेरे सिर को दबा रही थीं।
मैंने बुआ को गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। रास्ते में सीढ़ियों पर उनकी चूचियाँ चूसता रहा। बेड पर लिटाकर मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट उतार दिया। उनकी साफ़ चूत चमक रही थी। मैंने कहा, “तृप्ति डार्लिंग, क्लीन चूत चूसने में मज़ा है।” बुआ बोलीं, “तेरा लंड अंकल और अविनाश से बड़ा है।” मैंने उनकी चूत चाटी, और वो सिसकारी, “सैम, चोद दे… मेरी चूत को लंड दे!” मैंने उनकी गांड के नीचे तकिए रखे, और लंड पर थूक लगाकर एक धक्के में उनकी चूत में पेल दिया। बुआ चिल्लाईं, “आह, मार डाला! बाहर निकाल!”
मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए। बुआ मज़ा लेने लगीं। 5 मिनट बाद वो झड़ गईं, और मैंने ज़ोर-ज़ोर से चोदा। मेरा लंड कड़क हुआ, और मैं उनकी चूत में झड़ गया। बुआ का बदन पसीने से भीगा था, और उनकी चूचियों पर पसीने की बूँदें चमक रही थीं। मैंने उनकी चूचियाँ चूमीं। बुआ बोलीं, “तुझे चुदाई इतनी अच्छी कैसे आती है?” मैंने पूछा, “अविनाश कौन है?” बुआ बोलीं, “निशा का बॉयफ्रेंड।” मैंने कहा, “हम अब दोस्त हैं, तेरे राज़ मेरे पास सुरक्षित हैं।”
लैंडलाइन बजा। काका बोले, “गाड़ी का टायर पंचर हो गया।” बुआ बोलीं, “ठीक करवाकर तृषा को कॉलेज से ले आना।” मैंने पूछा, “निशा और तृषा कब आएँगी?” बुआ बोलीं, “तृषा ढाई बजे, निशा साढ़े चार बजे। अभी 11 बजे हैं।” मैंने कहा, “हमारे पास तीन घंटे हैं।” बुआ बोलीं, “मुझे खाना बनाना है।” वो कपड़े लेने झुकीं, तो मैंने कहा, “नंगे ही खाना बना।” बुआ हँसी। मैंने हॉल के पर्दे बंद किए और बुआ को बुलाया।
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बुआ नंगी सीढ़ियों से उतरीं, उनकी चूचियाँ और गांड हिल रही थीं। किचन में वो खाना बनाने लगीं। मैं कभी उनकी चूचियाँ दबाता, कभी चूत सहलाता। बुआ आटा गूँधने बैठीं, तो मैं उनकी चूत चाटने लगा। वो बोलीं, “काम नहीं करने देगा?” मैंने कहा, “तू अपना काम कर, मैं मेरा।” बुआ ने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसने लगीं। हम 69 पोज़िशन में आ गए। 5 मिनट बाद मैं ज़मीन पर लेटा, और बुआ मेरे लंड पर बैठीं। वो उछल-उछलकर चुदाई का मज़ा ले रही थीं। 20 मिनट बाद हम झड़े। हमारा रस किचन की ज़मीन पर गिरा।
मैंने ज़मीन साफ़ की। बुआ ने चपातियाँ, सब्ज़ी, और एग करी बनाई। साढ़े बारह बजे काम खत्म हुआ। मैंने बुआ को गोद में उठाकर बेडरूम ले गया। बुआ बोलीं, “इतना प्यार मत कर, तुझे मिस करूँगी।” मैंने कहा, “हर 2-3 महीने में आऊँगा।” हमने कपड़े बदले और लॉबी में टीवी देखने लगे। बुआ ने वही साड़ी पहनी, लेकिन ब्लाउज़ बदला। पौने दो बजे मेन गेट की घंटी बजी। बुआ ने दरवाज़ा खोला, सामने काका और तृषा थे।
दोस्तो, बुआ के साथ हार्डकोर सेक्स का मज़ा कैसा लगा? अगली कहानी में और मज़ा आएगा।
कहानी का अगला भाग: बुआ की कमसिन जवान बेटी की बुर खोली
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