स्तनों में भरा दूध खाली किया चूस चूस कर

मेरा नाम पुनीत मिश्रा है, उम्र करीब 45 साल। मैं भोपाल का रहने वाला हूँ। शादीशुदा हूँ, दो बच्चे हैं, और एक प्राइवेट कंपनी में अच्छे पद पर काम करता हूँ। मेरी जिंदगी सेट थी, लेकिन दो साल पहले एक ऐसी घटना हुई जिसने सब कुछ बदल दिया। बात दिसंबर की है, जब मेरी कंपनी ने मुझे इंदौर में नया ऑफिस सेट करने की जिम्मेदारी दी। बच्चों के स्कूल चल रहे थे, तो मैं परिवार को साथ नहीं ले जा सका। कंपनी ने मुझे इंदौर में एक बड़ा सा मकान दिया, जहाँ मैं अकेला रहता था। विशाल घर, खाली-खाली सा, बस मेरी गूँजती साँसें और कुछ अधूरी ख्वाहिशें।

एक दिन मेरे पुराने दोस्त ने फोन पर बताया कि उसका एक जानकार कपल, मधुर और निमकी, इंदौर में कुछ महीनों के लिए रहने की जगह ढूँढ रहा है। दोनों की उम्र 26-27 साल थी, और उनका एक तीन महीने का बच्चा था। मधुर किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, और उनकी माली हालत अभी इतनी मज़बूत नहीं थी कि अपना घर ले सकें। दोस्त ने सुझाव दिया कि मैं अपने मकान का एक हिस्सा किराए पर दे दूँ। इससे मकान का रखरखाव होता रहेगा, मुझे अकेलेपन से राहत मिलेगी, और उनकी मदद भी हो जाएगी। मैंने सोचा, क्यों नहीं? नए लोग, नई बातें, शायद जिंदगी में थोड़ा रंग आ जाए।

अगले दिन मधुर और निमकी मेरे घर आए। मधुर सीधा-सादा, मेहनती लड़का था, लेकिन निमकी को देखकर मेरे होश उड़ गए। वो खास सुंदर नहीं थी, लेकिन उसका दुबला-पतला जिस्म, टाइट जींस और टी-शर्ट में ढला हुआ, कयामत ढा रहा था। उसके स्तन इतने भरे हुए थे कि टी-शर्ट फटने को तैयार थी। मैं समझ गया कि वो अपने बच्चे को दूध पिलाती होगी। उसकी चाल में एक अजीब सी लचक थी, और आँखों में हल्की सी शरारत। मैंने बातचीत में उन्हें पसंद किया और मकान का एक हिस्सा किराए पर देने को तैयार हो गया।

पहले ही दिन से निमकी का आना-जाना मेरे घर में शुरू हो गया। मैंने उसे अपने हिस्से की चाबी दे दी थी, ताकि कामवाली आए तो वो घर साफ करवा ले। उनके पास ज्यादा सामान नहीं था, क्योंकि वो जल्दी ही अपना घर लेने की सोच रहे थे। मैंने निमकी से कहा, “तुम दिनभर अकेली रहती हो, मेरा टीवी देखो, फ्रिज में सामान रखो, आराम से रहो।” उसने मुस्कुराकर हाँ कर दी। बस, फिर क्या, उसका मेरे घर में आना-जाना बढ़ गया। और मेरी नजरें? वो तो उसके भरे हुए स्तनों पर अटक-अटक कर रह जाती थीं।

कभी-कभी वो बिना ब्रा के आती। उसके बड़े-बड़े निप्पल्स टी-शर्ट के ऊपर से साफ दिखते। मैं तो जैसे पागल हो जाता। मन में ख्याल आता कि ये औरत कितनी आग है। उसकी हर अदा, हर हँसी, हर नजर मुझे बेकरार कर रही थी। मुझे लगता था कि उसने भी मेरी नजरों को भांप लिया था, लेकिन वो कुछ कहती नहीं, बस हल्का सा मुस्कुरा देती।

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एक दोपहर की बात है। ऑफिस में काम कम था, तो मैं बिना बताए घर लौट आया। दरवाजा खुला था, अंदर टीवी की आवाज आ रही थी। मैं चुपके से अंदर गया, तो देखा निमकी सोफे पर बैठी अपने बच्चे को दूध पिला रही थी। उसने सिर्फ एक ढीली सी शर्ट पहनी थी, जिसके सामने के बटन खुले थे। अंदर ब्रा नहीं थी। उसका एक स्तन पूरी तरह नंगा था, और दूसरा आधा ढका हुआ। बच्चा उसके निप्पल से चिपका हुआ था। मैं जैसे जम गया।

मुझे देखकर वो थोड़ा हड़बड़ा गई। उसने शर्ट ठीक करने की कोशिश की, लेकिन बच्चे को डिस्टर्ब नहीं करना चाहती थी, तो चुप रही। मैंने इशारे से कहा, “कोई बात नहीं, तुम आराम से रहो।” और दूसरे सोफे पर बैठ गया। टीवी देखने का बहाना था, लेकिन मेरी नजरें बार-बार उसके स्तनों पर चली जाती थीं। वो भी अब खुलकर बात करने लगी थी। तभी मैंने देखा कि उसका दूसरा स्तन, जो ढका हुआ था, उससे दूध टपक रहा था। उसकी शर्ट धीरे-धीरे गीली हो रही थी, और कपड़े के पार से उसका निप्पल साफ दिख रहा था।

मैंने नादान बनते हुए पूछा, “अरे, निमकी, तुम्हारी शर्ट तो पूरी गीली हो रही है, क्या हुआ?” वो शरमाते हुए बोली, “पुनीत भाई साहब, क्या करूँ, मेरे स्तनों में इतना दूध है कि टपकता ही रहता है।” उसने बताया कि ये उसके लिए बड़ी परेशानी है। दूध ज्यादा होने से दर्द होता है, और पंप से निकालने में भी तकलीफ होती है। मैंने मजाक में कहा, “अरे, इसमें क्या? मधुर से कहो, वो तुम्हारी मदद कर दे।”

वो हल्का सा हँसी और बोली, “वो तो ऐसा नहीं करते। उन्हें मेरा दूध पसंद ही नहीं। कहते हैं गंदा लगता है।” मैंने हैरानी जताई, “अरे, ऐसा कौन सा मरद है जो ये मौका छोड़ेगा?” अब हमारी बातें खुलकर होने लगीं। मेरे अंदर की आग भड़क रही थी। मैंने सोचा, मौका है, थोड़ा और आगे बढ़ाया जाए। मैंने शरारत भरे लहजे में कहा, “हाय, निमकी, काश मैं तुम्हारी मदद कर पाता।” मुझे डर था कि शायद ज्यादा बोल गया, पर उसने मुस्कुराकर कहा, “क्या, पुनीत भाई साहब, आप सच में मेरी मदद करेंगे?”

मैंने तुरंत कहा, “क्यों नहीं!” वो बोली, “तो ठीक है।” तब तक उसका बच्चा सो चुका था। उसने बच्चे को धीरे से स्तन से हटाया और पलंग पर सुलाने चली गई। जब वो वापस आई, तो मेरे सामने खड़ी हो गई। अपने एक स्तन को पकड़कर बोली, “इसको तो बच्चे ने खाली कर दिया, लेकिन दूसरा देखो, पत्थर की तरह सख्त हो गया है।” मैंने कहा, “मैं इसे चूसकर खाली कर दूँगा।” वो हँस पड़ी और बोली, “यही तो मैं भी चाहती हूँ।”

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वो मेरे पास आई, थोड़ा झुकी, और अपनी शर्ट को दूसरे स्तन से सरका दिया। उसका भरा हुआ स्तन और सख्त निप्पल मेरे चेहरे के सामने था। मेरे दिल की धड़कनें तेज हो गईं। मैंने होंठ खोले, और उसने अपना निप्पल मेरे मुँह में दे दिया। मैं धीरे-धीरे चूसने लगा। दूध पतला और हल्का मीठा था। मैं हर घूँट को गटक रहा था। मेरे लिए ये सपना सच होने जैसा था। मैंने जोर से चूसना शुरू किया। उसके स्तन में इतना दूध था कि हर साँस के साथ मेरा मुँह भर जाता।

मेरा लंड अब पैंट में तनकर बेकाबू हो रहा था। निमकी की साँसें भी तेज थीं। वो मेरे बगल में सोफे पर बैठ गई। मैं एक स्तन चूस रहा था, और मेरा हाथ खुद-ब-खुद उसके दूसरे स्तन पर चला गया। मैं उसे हल्के-हल्के दबाने लगा। उसने मुझे नहीं रोका। मेरी बीवी के अलावा मैंने किसी औरत को ऐसे नहीं छुआ था। निमकी का जिस्म जवान, मुलायम, और आग की तरह गर्म था।

धीरे से मैंने उसकी शर्ट उतार दी। नीचे वो सिर्फ पजामा पहने थी। मेरे हाथ अब उसके पूरे बदन पर चल रहे थे। वो “आह… ऊह…” की सिसकियाँ ले रही थी। अब ये सिर्फ दूध खाली करने की बात नहीं थी। हम दोनों जानते थे कि ये आग कहीं और जा रही है। मैंने उसका पजामा और पैंटी उतार दी। अब वो पूरी नंगी थी। उसका गोरा जिस्म, भरे हुए स्तन, और चिकनी जाँघें देखकर मेरे होश उड़ गए।

मेरे हाथ उसकी चूत की ओर बढ़े। बालों के बीच उसकी चूत पूरी गीली थी। बच्चे के जन्म के बाद उसकी चूत थोड़ी ढीली थी, लेकिन इतनी गर्म और रसीली थी कि मेरी उँगलियाँ आसानी से अंदर चली गईं। वो सिसक रही थी, “पुनीत… आह… छूओ मुझे… और…” मैं समझ गया कि वो चुदने को बेकरार है।

मैंने अपने कपड़े उतार फेंके। मेरा लंड तनकर लोहे की तरह सख्त था। निमकी का हाथ मेरे लंड पर आया और उसने उसे जोर से पकड़ लिया। मेरे बदन में आग सी दौड़ गई। वो बोली, “पुनीत, ये कितना मोटा है… आह…” मैंने उसके पूरे बदन को चूमना शुरू किया। उसकी गर्दन, कंधे, स्तन, पेट… हर जगह मेरे होंठ चल रहे थे। वो मुझसे लिपट रही थी, जैसे बरसों की प्यासी हो।

मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया। उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत के ऊपर रगड़ने लगी। उसकी चूत का रस मेरे लंड पर लग रहा था। हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से चिपक गए। मैं उसकी जीभ चूस रहा था। वो बोली, “पुनीत… डाल दो… अब और मत तड़पाओ…” मैंने एक हल्का सा झटका मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया।

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“आआह्ह…” उसकी चीख निकल गई। उसकी चूत इतनी गर्म और गीली थी कि मेरा लंड जैसे पिघल रहा था। मैंने धीरे-धीरे चोदना शुरू किया। “थप-थप” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। वो सिसक रही थी, “आह… पुनीत… और जोर से… चोदो मुझे…” मैंने जोर बढ़ाया। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। वो दो बार झड़ चुकी थी, लेकिन चुदवाना नहीं रुका। वो अपनी कमर उठा-उठाकर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी।

उसके स्तनों से फिर दूध टपक रहा था। मैंने एक स्तन को मुँह में लिया और चूसते हुए चोदता रहा। वो चिल्ला रही थी, “हाय… पुनीत… मेरी चूत फाड़ दो… आह…” मैं बेतहाशा चोदे जा रहा था। मेरा लंड शायद इतना सख्त कभी नहीं हुआ था। एक जवान औरत, वो भी किसी और की बीवी, मेरे नीचे थी। मैंने सोचा, इससे बेहतर क्या हो सकता है?

मैंने और जोर से धक्के मारने शुरू किए। वो तीसरी बार “आआह्ह…” कहकर झड़ी। उसी पल मैं भी झड़ गया। मेरे गर्म वीर के फव्वारे उसकी चूत में खाली हो गए। हम दोनों पसीने से तर, एक-दूसरे की बाँहों में गिर पड़े। थोड़ी देर बाद जब होश आया, तो डर सा लगा। निमकी रोने लगी, “पुनीत, ये क्या हो गया… मधुर को पता चला तो?” मैंने उसे समझाया, “निमकी, जो हुआ, वो हमारा राज रहेगा। किसी को कुछ मत बताना।”

हमने कपड़े पहने। वो बच्चे को लेकर अपने कमरे में चली गई। उसकी चाल में थोड़ा लड़खड़ापन था। इसके बाद मैंने कई बार उसके स्तनों से दूध खाली करने में उसकी मदद की। जब भी मौका मिलता, हम चुदाई कर लेते। कुछ महीनों बाद उसके स्तन सूख गए, लेकिन हमारी चुदाई नहीं रुकी। मधुर और निमकी अपना घर ले गए, मेरी फैमिली भी इंदौर आ गई, लेकिन हम कॉन्टैक्ट में रहे। हर कुछ हफ्तों में हम इंदौर के बाहर किसी रिसॉर्ट में मिलते और चुदाई का मजा लेते।

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