दोस्तों, मेरा नाम मनोज पारेख है। मैं हिमाचल प्रदेश के शिमला शहर में नौकरी करता हूँ। मेरा परिवार दिल्ली में मेरे पिताजी के पास रहता है। मेरे दो बच्चे हैं—4 साल की बेटी नव्या और 2 साल का बेटा। शिमला में मेरा एक कमरे का घर है, जो पूरे परिवार के लिए छोटा पड़ता है। इसलिए जब मेरी बीवी कोमल बच्चों को लेकर कुछ दिन के लिए शिमला आती है, तो हमें होटल में ठहरना पड़ता है। पिछले साल जब कोमल परिवार के साथ आई, मैंने अपने बॉस को उनसे मिलवाने ले गया। मेरे बॉस मुझसे ज्यादा बड़े नहीं—बस 5-6 साल का फर्क। लेकिन ठरकीपन में उनका कोई जवाब नहीं। ऑफिस में उनकी लड़कियों के साथ रंगरलियों की कहानियाँ हवा में उड़ती रहती हैं।
जब बॉस परिवार से मिलने आए, उनकी नज़रें बार-बार कोमल पर टिक रही थीं। मैं जानता था वो कमीने हैं, तो उनकी हरकत पर हैरानी नहीं हुई। सोचा, “ताड़ ही तो रहा है, क्या बिगड़ेगा?” प्राइवेट जॉब में “हाँ जी” की नौकरी और “ना जी” का घर—मैं कुछ बोल भी नहीं सकता था। लेकिन हैरानी की बात ये थी कि कोमल को भी कोई ऐतराज़ नहीं था। वो हल्की मुस्कान के साथ बॉस को देख रही थी। कोमल, मेरी बीवी—नाम की तरह उसका बदन भी नरम और रसीला। 29 की उम्र में, दो बच्चों की माँ होने के बाद भी उसका फिगर ऐसा कि लगे अभी शादी हुई हो। चूचे गोल और टाइट, कमर पतली—साड़ी में दीपिका पादुकोण सी लगती। बॉस की आँखें उसी पर अटकी थीं।
कोमल भी रह-रहकर बॉस को ताक रही थी। मेरे बॉस पहाड़ी हैं—हैंडसम, जिम जाने वाला सुडौल बदन, गोरा रंग, भरा हुआ शरीर। हाइट नॉर्मल, पर लड़कियाँ उनकी तरफ खिंची चली आती हैं। शायद कोमल भी उनमें से एक थी। वो बार-बार साड़ी का पल्लू गिराकर बॉस की शरारती नज़रों का जवाब दे रही थी। परिवार से मिलने के बाद बॉस बोले, “मनोज, मैं चलता हूँ।” तभी कोमल तपाक से बोली, “अरे सर, रात का खाना हमारे साथ खाइए। आपके लिए स्पेशल डिश बनाऊँगी—मीठी और तीखी दोनों।” बॉस के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान तैर गई। वो बोले, “ज़रूर! मेरे बेस्ट एम्प्लॉई की बीवी बुलाए और मैं न आऊँ? ऐसा कैसे हो सकता है!” उन्होंने मुझसे हाथ मिलाया, सबको अलविदा कहा, और चले गए।
मैं काम पर गया। शाम 6 बजे लौटा तो कोमल ने खाने की पूरी तैयारी कर रखी थी। मुझे देखते ही बोली, “आपके बॉस नहीं आए?” मैं खीझ गया—बीवी को मुझसे ज़्यादा बॉस की फिक्र! गुस्से में बोला, “क्या मैं बॉस को जेब में लेकर घूम रहा हूँ? एक कप चाय बना दे।” वो बोली, “ठीक है, पर बॉस को फोन कर पता तो कर लीजिए—कब आएँगे?” मैं चिढ़कर बोला, “फोन न करूँ तो चाय नहीं पिलाएगी?” वो समझ गई कि मैं चिढ़ रहा हूँ। चुपचाप किचन में चली गई। मैंने फोन निकाला ही था कि डोरबेल बजी। कोमल किचन में थी। मैंने दरवाज़ा खोला—बॉस खड़े थे। झूठी मुस्कान के साथ “गुड इवनिंग” बोला, और मन ही मन गाली दी, “आ गया कमीना! काम तो करवाता ही है, ऊपर से बीवी पर भी नज़र।”
बॉस मुझे धकेलते हुए अंदर घुसे—बॉस हैं, कहीं भी आ सकते हैं। मैंने दरवाज़ा बंद किया। वो सोफे पर बैठ गए। कोमल चाय की ट्रे लेकर आई—सिर्फ़ एक कप। बॉस को नमस्ते कर कप सामने रखा। बॉस ने कोमल के चूचों को ताड़ते हुए कप उठाया। मैं बंदर सा उनकी हरकतें देख रहा था। बॉस बोले, “मनोज, तुम चाय नहीं लोगे?” कोमल बोली, “सर, आप लीजिए। इनके लिए दूसरा कप लाती हूँ।” बॉस ने उसकी आँखों में देखकर कहा, “हाँ, लेने ही तो आया हूँ।” कोमल मटकती हुई किचन चली गई। मैं बॉस के पास बैठा, बातें करने लगा। कोमल दूसरा कप लेकर आई, मेरे सामने ट्रे रखी, और हमारे सामने बैठ गई। उसका पल्लू नीचे सरका था—दूधिया चूचों की दरार झलक रही थी। बॉस गिद्ध सा ताड़ रहा था। कोमल अनजान बनी रही।
हम तीनों बातें करने लगे। तभी नव्या खेलती हुई कोमल के पास आई। बॉस बोले, “मिसेज़ पारेख, आपको देखकर नहीं लगता आप दो बच्चों की माँ हैं। फिगर जबरदस्त मेंटेन किया है।” कोमल शरारती मुस्कान के साथ बोली, “थैंक्यू, सर।” नव्या से बोली, “बेटी, बेडरूम में टीवी देखो। मैं अंकल के लिए खाना परोसती हूँ।” वो किचन चली गई। 10 मिनट में खाना टेबल पर सजा। हमने खाना शुरू किया। रात गहराने लगी, ठंड बढ़ रही थी। खाने के बाद बॉस बोले, “मिसेज़ पारेख, खाना लाजवाब था। बरसों बाद इतना मज़ा आया।” कोमल बोली, “थैंक्यू। आप आते रहिए, फिर सेवा करूँगी।” बॉस मुस्कुराए। कोमल बोली, “सर, अगर बुरा न मानें तो आज रात यहीं रुक जाइए। रात हो गई है, बाहर ठंड है। सुबह नाश्ता कर चले जाइए।” बॉस ऐसे मुस्कुराए जैसे कोमल ने उनकी मन की बात छीन ली। बोले, “क्यों नहीं? मेरी बीवी-बच्चे जम्मू गए हैं। घर में बोर हो जाऊँगा। यहाँ टाइम पास हो जाएगा।” कोमल भी मुस्कुराई, जैसे कोई मकसद पूरा हो गया।
वो बोली, “मैं सोने का इंतज़ाम करती हूँ।” फिर रुकी। मैंने पूछा, “क्या सोच रही है?” वो बोली, “हमारे पास दो ही कमरे हैं। एक में पिताजी, एक में हम।” मैंने कहा, “कोई बात नहीं। हम ड्राइंग रूम में सो जाएँगे, बॉस अंदर। एक रात की बात है।” कोमल बोली, “हाँ, सही है।” वो बिस्तर लगाने चली गई। लौटकर बोली, “नव्या दादाजी के साथ सो रही है। सर का बिस्तर लगा दिया। आप बातें कर लें, मैं यहाँ सोने की तैयारी करती हूँ।” मैंने बॉस से कहा, “चलिए, अंदर बैठते हैं।” हम अंदर गए। थोड़ी बातें हुईं। बॉस बोले, “यार, तेरी बीवी ने कमाल का खाना बनाया। ज़्यादा खा लिया, नींद आ रही है। तू भी सो जा, वो बाहर इंतज़ार कर रही होगी।” मैंने कहा, “ठीक है, बॉस। सुबह साथ ऑफिस निकलेंगे।” बाहर आया। कोमल ने ड्राइंग रूम में बिस्तर सजाया था—पिंक नाइटी, ऊपर कार्डिगन। मैंने बॉस का दरवाज़ा बंद किया, कंबल में लेटा। कोमल किचन में बर्तन साफ कर रही थी। मैंने आवाज़ लगाई। वो बोली, “10 मिनट में आती हूँ।” मुझे नींद आ गई।
नींद में दरवाज़ा खुलने की आवाज़ सुनाई दी। कंबल टटोला—कोमल नहीं थी। मैंने इधर-उधर देखा—वो कहीं नहीं। तभी अंदर से बातों की आवाज़ आई। दबे पाँव बॉस के कमरे की ओर बढ़ा। चाबी के छेद से झाँका—लाइट जल रही थी। कोमल बॉस के साथ बिस्तर पर लेटी थी, उनकी छाती सहला रही थी। बॉस उसकी कमर पर हाथ फेर रहे थे। क्या बातें कर रहे थे, सुनाई न दिया। लेकिन 2 मिनट बाद बॉस ने कोमल के होंठ चूसने शुरू किए। कोमल भी पूरा साथ दे रही थी। दोनों लिपट गए। बॉस ने कोमल का कार्डिगन उतारा, नाइटी के ऊपर से चूचे दबाए, होंठ चूसते रहे। कोमल बॉस की पैंट की ज़िप सहलाने लगी। बॉस का दूसरा हाथ उसकी गांड मसल रहा था। नज़ारा गर्म था। मैं चुपचाप देखने लगा—मेरी बीवी गैर मर्द के साथ कैसे खेल रही थी।
कुछ मिनट चूमाचाटी के बाद बॉस ने पैंट उतारी, अंडरवियर समेत नीचे सरकाया, और लंड कोमल के हाथ में थमा दिया। कोमल ने लंड पकड़ा—बॉस की सिसकारी निकली, “सी… सी… हा… हा…” कोमल तेज़ी से लंड हिलाने लगी। बॉस ने कोमल का सिर पकड़ा, लंड पर होंठ सेट किए। कोमल चूसने लगी। बॉस मज़े में डूबे, “आह… ई… ओह… म्म…” उनकी शर्ट उतरी—मज़बूत छाती नंगी। कोमल लॉलीपॉप सा चूस रही थी। 2 मिनट बाद बॉस ने नाइटी खींचकर उतारी, कोमल के चूचे दबाए, मुँह में भरे। कोमल सिसकारी, “हूँ… हूँ… सी… हा… ओ…” बॉस ने उसकी चूत रगड़नी शुरू की। कोमल की टाँगें खुलीं—बॉस की तीन उंगलियाँ चूत में घुसीं। वो नंगी तड़पने लगी। बीच-बीच में बॉस के होंठ चूसती। बॉस तेज़ी से उंगली अंदर-बाहर कर रहे थे। कोमल की हवस बढ़ रही थी।
बॉस ने कोमल की टाँगें फैलाईं, चूत पर जीभ लगाई। कोमल चीखी, “आउ… हम्म… अह… सी… हा…” चूत चटवाने लगी। थोड़ी देर बाद बॉस उठे, लंड चूत पर सेट किया, और धक्का मारा। कोमल चिल्लाई, “मम्मी… ऊँ… उनहूँ…” बॉस ने चुदाई शुरू की। दोनों मज़े में डूबे। मैं बाहर लंड हिलाते हुए एक बार झड़ चुका था। बॉस ने कोमल को इस पोज़ में खूब ठोका, फिर घोड़ी बनाया। पीछे से लंड पेला—10 मिनट चोदा। “उ… उ… अ… आ… सी… ऊँ…” की आवाज़ें बाहर तक आ रही थीं। अचानक बॉस ने लंड निकाला, धीरे-धीरे कोमल की गांड में डाला। कोमल उचकी, फिर पूरा लंड ले लिया। बॉस ने तेज़ी से गांड ठोकी। 10 मिनट बाद उनकी रफ्तार धीमी हुई, और वो बिस्तर पर ढेर हो गए। कोमल भी सामान्य हुई। मैं चुपके से अपने बिस्तर पर लेट गया। उनकी चुदाई देखकर मैं दो बार झड़ चुका था। नींद आ गई।
सुबह उठा तो बॉस जा चुके थे। कोमल बोली, “वो जल्दी निकल गए। नाश्ता करने फिर आएँगे।” मैं समझ गया—अगली बार कोमल क्या परोसेगी। दोस्तों, कहानी कैसी लगी? बताइए!