बिन ब्याही माँ बनाया अपनी बहन को

मेरी बहन करिश्मा, 21 साल की, और मैं, मोहक, 23 का, दिल्ली में रहते हैं। हम सुल्तानपुर के रहने वाले हैं।। करिश्मा की खूबसूरती ऐसी कि कोई भी देखे तो लंड खड़ा हो जाए।। उसकी मस्त चूचियाँ, गोल-मटोल गांड, गुलाबी होंठ, और वो आँखें, जोशी मानने में दिल में उतर जाएँ। अब वो लड़की नहीं, पूरी औरत बन चुकी है।। हमारे मम्मी-पापा एक बाढ़ की त्रासदी में चल बसे। बस हम भाई-बहन रह गए, एक-दूसरे का सहारा बनकर।

सुल्तानपुर का घर हमें सूना लगने लगा। हर दीवार, हर कोना मम्मी-पापा की याद दिलाता। आखिर हमने दिल्ली का रुख किया। पापा ने फिक्स्ड डिपॉजिट और जीवन बीमा छोड़ा, जिससे पैसों की कमी नहीं हुई। इतना पैसा था कि बिना नौकरी किए भी जिंदगी आराम से कट जाए। हमने लक्ष्मी नगर में, दिल्ली यूनिवर्सिटी के पास, एक किराए का फ्लैट लिया। शुरुआत में सब मुश्किल था। रातें मम्मी-पापा की याद में आँसुओं में बीतती थीं। लेकिन धीरे-धीरे हमने खुद को संभाला। पढ़ाई पर ध्यान दिया और जिंदगी को पटरी पर लाए।

करिश्मा की खूबसूरती किसी जादू से कम नहीं। उसका फिगर ऐसा, जो टाइट जीन्स और टॉप पहनकर निकलती, तो लोग उसे घूर-घूरकर देखते। उसकी गांड की थिरकन, चूचियों का उभार, सब कुछ आग लगाने वाला। मुझे ये सब बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था। दिल में जलन सी होती थी। मैं सोचता, क्यों न करिश्मा सिर्फ मेरी रहे? मैंने उसके साथ दोस्ती का रिश्ता गहरा किया। धीरे-धीरे वो खुल गई। अब हम साथ घूमने-फिरने लगे। वो मुझे भैया कहती, लेकिन मैंने कहा, “करिश्मा, आज से मुझे मोहक कहो। भैया सुनकर अजीब लगता है।” वो हँसकर मान गई।

बात 31 दिसंबर 2019 की है। नया साल आने वाला था। हमने कनॉट प्लेस के एक पॉश होटल में न्यू ईयर पार्टी का प्लान बनाया। वहाँ हमने जमकर मस्ती की। बीर के नशे में चूर होकर डांस फ्लोर पर थिरके। करिश्मा की चूचियाँ मेरी छाती से सट रही थीं। मेरे हाथ उसकी कमर पर, और उसके हाथ मेरे कंधों पर। हमारी साँसें एक-दूसरे से टकरा रही थीं। उसकी आँखों में नशा था, और मेरी आँखों में हवस। अचानक, न जाने कैसे, हमारे होंठ मिल गए। हम एक-दूसरे को चूमने लगे, जैसे बरसों की प्यास बुझ रही हो। उसका गर्म जिस्म मेरे जिस्म से लिपट गया। मेरे लंड में तनाव आ गया।।

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हमारे बदन आग की तरह तप रहे थे। रात गहरी हो चुकी थी। हमने कैब बुक की और फ्लैट की ओर चल पड़े। रास्ते में हम एक-दूसरे का हाथ थामे बैठे थे। करिश्मा मेरे कंधे पर सिर रखकर बैठी थी। उसकी साँसें मेरे गले को छू रही थीं। घर पहुँचते ही मैंने दरवाजा बंद किया और करिश्मा को दीवार से सटा लिया। “करिश्मा, नया साल शुरू। मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूँ। मैं नहीं चाहता कोई और तेरे में आए। क्यों न हम दोनों पति-पत्नी की तरह रहें? आज जो हुआ, उसे हमेशा बरकरार रखें?”

वो मेरी आँखों में देख रही थी। मेरी साँसें तेज थीं। दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। अचानक वो मेरे गले और मेरे होंठों को चूसने लगी। बोली, “मक, मैं तुम्हारी हूँ। आज से हम एक-दूसरे के।।” हम बिस्तर पर गिर पड़े। मैं उसे पालगों की तरह चूम रहा था। उसका जिस्म गर्म तवे सा तप रहा था।। उसने मेरी शर्ट के बटन खोले और मेरी छाती पर जीभ फेरने लगी। उसकी जीभ मेरे निप्प्ले पर रुकी, तो मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने उसकी चूचियों को जोर से मसला। उसकी साँसें तेज हो गई। मैंने उसका टॉप उतारा। वो काली ब्रा में थी। ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाया, फिर हूक खोल दिया। उसकी गोल, भारी चूचियाँता आजाद हो गईं। बीच में पिंक निप्पल्स, जैसे चेरी। मैंने एक निप्प्ल मुँह में लिया और चूसने लगा।।

करिश्मा सिसक रही थी। “मोहक, मेरी जान, चूचियों में क्या है? नीचे जा, मेरी चूत में आग लगी है।” मैं नीचे सरक गया। उसकी जीन्स का बटन खोला, जिप नीचे की, और पैंट उतार दी। वो काली पैंटी में थी। मैंने पैंटी को सूँघा। उसकी चूत की मादक खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। पैंटी उतारी तो उसकी चूत दिखी। हल्के भूरे बाल, चूत गीली और गर्म। मैंने उंगली से छूआ, तो वो सिहर उठी। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी और चाटने लगा। “आआह… ऊँ ह… हाय… मोहक…!” वो सिस्कारियाँ भर रही थी। मैंने उसकी चूत के दाने को चूसा, तो वो बिस्तर पर छटपटाने लगी।।

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फिर मैंने उसे उलटाया। उसकी गोल, रसीली गांड़ मेरे सामने थी। मैंने उसके चूतड़ों को फैलाया और गांड़ के छेद को जीभ से चाटा। वो चिल्ला उठी, “मोहक, तू मुझे मार डालेगा! हाय, ये क्या कर रहा है?” मैंने उसकी गांड़ को और चाटा, फिर उसकी चूत में उंगली डाल दी। वो पागल सी हो रही थी। मैंने उसकी टाँगें ऊँची कीं और अपना लंड निकाला। मेरা लंड तनकर लोहे सा हो गया था। मैंने लंड को उसकी चूत के मुँह पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। “आख…!” करिश्मा चीख पड़ी। “मोहक, नहीं… दर्द हो रहा है… प्लीज़, धीरे!” मैं रुका। उसकी चूचियों को मसला, उसके होंठ चटे। फिर एक उंगली उसके मुँह में डाल दी। वो उसे चूसने लगी। मैंने दूसरा धक्का मारा। मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ अंदर घुस गया। “फच… फच…!” की आवज़

करिश्मा की आँखों में आँसू थे। मैंने देखा, मेरा लंड खून से सना था। वो डर गई, “मोहक, ये खून?” मैंने कहा, “पहली बार चूत की झिल्ली फटती है। अब दर्द नहीं होगा।” मैंने फिर लंड डाला और जोर-जोर से चोदने लगा। “फच्छ… फाख… फचक-फचक!” की आवाजें गूँज रही थीं। करिश्मा सिसक रही थी, “आ-हा… ऊँ ह… हाय…! मोहक, और…!” मैं गालियाँ देता हुआ चोद रहा था, “ले रंडी, मेरा लंड ले! तेरी चूत फाड़ दूंगा! मेरी दुलहन बन!” वो जवाब देती, “हाँ… चो… हाय…! मैं तेरी रंडी… फाड़ दे!” मैंने उसकी चूत में गहरे धक्के मारे। फिर मैं झड़ गया। मेरा माल उसकी चूत में गिरा।

रातभर हमने चार बार चोदा। मैंने उसकी चूत रगड़ी, गांड़ मारी। सुबह तक उसकी चूत और गांड़ लाल हो चुकी थी।। वो थी, “मोहक, तूने मुझे जन्नत दिखाई।।”

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दो महीने बाद करिश्मा को पेट में दर्द हुआ। हम डक़कट्टर के पास गए। “आप इसके कौन?” डक़कट्टर ने पूछा। मेरी आवज़। मैंने बो, “मह इसका हसबद हूँ।।” “बधाई हो, आप बाप बनने वाले हैं!” हमने लक्ष्मी नगर का फ्लैट छोड़ दिया। नया मकान लिया, जहाँ लोग हमें पति-पत्नी समझते हैं। अब मेरा बेटा है।।

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