मेरा नाम उर्वशी है। मैं 18 साल की हूँ, कॉलेज में पढ़ती हूँ, और दिल्ली के एक मिडिल-क्लास मोहल्ले में रहती हूँ। मैं गोरी-चिट्टी, 5 फुट 4 इंच लंबी, और मेरी फिगर 34-28-36 है। मेरी चूचियाँ गोल और भारी हैं, जो मेरी टाइट कुर्तियों में और भी उभरकर दिखती हैं। मेरे लंबे काले बाल और भूरी आँखें मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। मेरे घर में मेरे अलावा मेरा भाई धीरज, जो 21 साल का है, और मेरे मम्मी-पापा रहते हैं। धीरज भैया का कद 6 फुट है, गठीला बदन, चौड़ी छाती, और क्रिकेटर होने की वजह से उनका जिस्म मज़बूत और मसल्स से भरा है। उनके गहरे भूरे बाल और गहरी काली आँखें उन्हें और आकर्षक बनाती हैं। मम्मी 42 साल की हैं, साड़ी में हमेशा सजी-संवरी रहती हैं, और पापा 45 साल के हैं, एक सरकारी ऑफिस में काम करते हैं।
ये कहानी परसों की है, जब मम्मी-पापा नानी के घर गए थे, और घर में सिर्फ़ मैं और धीरज भैया थे। उस रात कुछ ऐसा हुआ कि मैं अपने ही भाई की वासना में खो गई, और उसने मुझे रात भर चोदा। मैंने उसके गठीले जिस्म की मालिश शुरू की थी, लेकिन कब मेरी चूत उसकी आग में जलने लगी, मुझे खुद नहीं पता। वो बहनचोद निकला, और मैं भी उसकी दीवानी हो गई।
बात उस दिन की है। सुबह से ही मम्मी-पापा नानी के घर जाने की तैयारी में थे। नानी की तबीयत खराब थी, तो वो दोनों जल्दी निकल गए। घर में सिर्फ़ मैं और भैया रह गए। धीरज भैया उस दिन क्रिकेट मैच खेलकर लौटे थे। वो डिस्ट्रिक्ट लेवल के खिलाड़ी हैं, और क्रिकेट उनका जुनून है। उस दिन मैच में कैच लेने के चक्कर में वो एक दूसरे खिलाड़ी से टकरा गए थे। उनकी पीठ में चोट लगी थी, और वो दर्द से थोड़ा परेशान दिख रहे थे। मैंने देखा कि वो बार-बार अपनी पीठ पकड़कर कराह रहे थे। मैंने कहा, “भैया, आप डॉक्टर के पास चले जाओ। अभी तो सिर्फ़ तीन बजे हैं, क्लिनिक खुला होगा।”
भैया ने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं उर्वशी, इतनी बड़ी चोट नहीं है। बस थोड़ा दर्द है। मम्मी होतीं तो मालिश कर देतीं। तुम सरसों का तेल गर्म कर दो, उसमें थोड़ा लहसुन डालकर। मेरी पीठ की मालिश कर दे, आराम हो जाएगा। पिछले महीने भी तो ऐसा हुआ था, मम्मी ने मालिश की थी, और एक घंटे में दर्द गायब।”
मैंने हंसते हुए कहा, “ठीक है, भैया। आप तो बस मौका ढूंढते हो मालिश करवाने का।” मैं किचन में गई, एक कटोरी में सरसों का तेल लिया, और गैस पर गर्म किया। लहसुन की कुछ कलियाँ डालकर तेल को अच्छे से तैयार किया। उसकी खुशबू पूरे किचन में फैल गई। मैं तेल लेकर भैया के कमरे में गई। भैया ने अपनी नीली टी-शर्ट उतारी और सिर्फ़ पजामे में पलंग पर पेट के बल लेट गए। उनकी चौड़ी पीठ और मज़बूत मसल्स देखकर मेरा दिल धड़कने लगा। मैंने अपने आप को समझाया, “उर्वशी, ये तेरा भाई है, कंट्रोल कर।” मैं पलंग पर उनके पास बैठ गई और तेल उनकी पीठ पर डालकर मालिश शुरू की।
उनकी पीठ पर तेल लगाते हुए मेरी उंगलियाँ उनके मज़बूत मसल्स पर फिसल रही थीं। उनका जिस्म गर्म था, और तेल की चिकनाहट से मेरी उंगलियाँ उनके कंधों और कमर पर आसानी से घूम रही थीं। मैंने देखा कि भैया की आँखें बंद थीं, और वो हल्के-हल्के कराह रहे थे, “आह… उर्वशी, थोड़ा और ज़ोर से दबा…” मैंने ज़ोर लगाकर उनकी पीठ को मसला, लेकिन मेरा ध्यान बार-बार उनके गठीले जिस्म पर जा रहा था। मेरी साँसें तेज़ होने लगीं, और मेरी चूत में हल्की सी गीलापन महसूस होने लगा। मैंने अपने मन को भटकाने के लिए बात शुरू की, “भैया, आपका मैच कैसा रहा?”
भैया ने आँखें खोलीं और बोले, “अच्छा था, बस यही चोट लग गई। तू बता, कॉलेज में क्या चल रहा है?” मैंने हल्के से हंसकर कहा, “बस वही, असाइनमेंट, प्रोजेक्ट, और दोस्तों के साथ मस्ती।” बात करते-करते मैं उनकी कमर तक गई। मेरी उंगलियाँ उनकी रीढ़ की हड्डी के पास मालिश कर रही थीं। तभी भैया सीधे होकर लेट गए। मैंने देखा कि उनके पजामे में तंबू बना हुआ था। उनका मोटा लंड खड़ा हो गया था, और वो मेरी टाइट कुर्ती में उभरी चूचियों को घूर रहे थे। मेरे होंठों को देखकर उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मुझे लगा, उनकी भी हालत मेरी जैसी हो गई है।
मैं थोड़ा झिझकी, लेकिन मेरी चूत अब पूरी गीली थी। मैंने अपनी नज़रें हटाने की कोशिश की, लेकिन भैया की आँखों में वासना साफ़ दिख रही थी। तभी वो बोले, “उर्वशी, एक बात पूछूँ?” मैंने हल्के से सिर हिलाया, “हाँ, बोलो।” वो बोले, “गर्लफ्रेंड होना ज़रूरी है क्या आजकल?” मैंने हंसते हुए कहा, “भैया, आजकल तो जिसके पास गर्लफ्रेंड या बॉयफ्रेंड नहीं, उसकी दोस्तों में मज़ाक उड़ती है। ये तो स्टेटस की बात हो गई है।” भैया ने गहरी सांस ली और बोले, “एक बात पूछना चाहता हूँ, मम्मी-पापा को मत बताना।” मैंने कहा, “नहीं बताऊँगी, बोलो ना।”
वो बोले, “अखिलेश को जानती है? मोड़ के पास रहता है, लंबा लड़का।” मैंने कहा, “हाँ, वो तो आपका दोस्त है ना?” भैया ने सिर हिलाया और बोले, “हाँ, वही। उसकी बहन दिशा को देखा है तूने?” मैंने कहा, “हाँ, उसे तो अच्छे से जानती हूँ। वो सुनिधि की बेस्ट फ्रेंड है।” भैया ने धीरे से कहा, “पता है, दिशा आजकल मुझे लाइन दे रही है।” मैं चौंक गई। मुझे बिल्कुल पसंद नहीं था कि भैया किसी ऐसी लड़की के चक्कर में पड़ें। मैंने तुरंत कहा, “भैया, आप दिशा से बिल्कुल दोस्ती मत करना। मैं उसे अच्छे से जानती हूँ। सुनिधि ने बताया था कि वो चार-पांच लड़कों के साथ बहुत कुछ कर चुकी है।”
भैया ने हैरानी से मेरी ओर देखा, “क्या कह रही है? बहुत कुछ कर चुकी है?” मैंने कहा, “हाँ, भैया। सुनिधि ने सब बताया। दिशा पहले लोकेश के साथ थी, प्रेग्नेंट हो गई थी, और नर्सिंग होम में उसका एबॉर्शन हुआ था।” भैया ने राहत की सांस ली और बोले, “अच्छा हुआ, तूने मुझे उसकी सच्चाई बता दी।” इतना कहकर उन्होंने मुझे अपने गले से लगा लिया। मेरी चूचियाँ उनके सीने से दब गईं। मेरी टाइट कुर्ती में मेरे निप्पल्स साफ़ उभर रहे थे। मैं पहले ही गीली थी, और अब उनकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। मेरी साँसें और तेज़ हो गईं। भैया ने मेरी पीठ सहलानी शुरू की, उनकी उंगलियाँ मेरी कमर से होते हुए मेरे कूल्हों तक गईं। मैं सिहर उठी।
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अचानक भैया ने मेरे होंठों को अपने होंठों से लॉक कर लिया। वो मेरे निचले होंठ को चूसने लगे, जैसे कोई भूखा जानवर अपनी शिकार को चख रहा हो। मैं “उम्म…” की सिसकारी लेते हुए पिघलने लगी। मेरे जिस्म में आग सी लग गई। मैंने भी उनके होंठों को चूमना शुरू किया। हमारी साँसें गर्म थीं, और कमरे में चूमा-चाटी की “चप… चप…” की आवाज़ें गूंज रही थीं। भैया ने मेरी कुर्ती के ऊपर से मेरी चूचियों को दबाना शुरू किया। उनकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को मसल रही थीं। मैं “आह… भैया… उह्ह…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी कुर्ती अब मेरे कंधों तक खिसक चुकी थी। भैया ने उसे पूरा उतार दिया और मेरी काली ब्रा भी खोल दी। मेरी 34 साइज़ की चूचियाँ आज़ाद हो गईं। मेरे निप्पल्स कड़क हो चुके थे, और भैया उन्हें देखकर बोले, “उर्वशी, क्या माल है तू!” वो मेरी चूचियों को मसलने लगे, मेरे निप्पल्स को उंगलियों से रगड़ने लगे। मैं “आह… उह्ह… भैया…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मेरी लेगिंग्स में गीलापन साफ़ दिख रहा था।
भैया ने मुझे पलंग पर लिटाया और मेरी लेगिंग्स को धीरे-धीरे खींचकर उतारा। मेरी काली पैंटी भी गीली थी। वो उसे देखकर मुस्कुराए और बोले, “तेरी चूत तो पहले से तैयार है!” मैं शरमाते हुए बोली, “भैया… ये गलत है…” लेकिन मेरी आवाज़ में चाहत साफ़ थी। भैया ने मेरी पैंटी भी उतार दी। मैंने सुबह ही अपनी चूत के सारे बाल साफ़ किए थे, तो मेरी चूत चिकनी और गुलाबी थी। भैया ने उसे देखा और बोले, “आह… कितनी चिकनी चूत है तेरी!” वो मेरी चूत को चाटने लगे। उनकी जीभ मेरे क्लिट पर घूम रही थी, और वो उसे चूस रहे थे। मैं “आह्ह… भैया… उह्ह… और…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मेरी चूत से गर्म पानी रिस रहा था, और मैं सिहर रही थी। भैया ने अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाला, और मैं “ओह्ह… भैया… हाय…” चिल्ला उठी। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी।
फिर भैया ऊपर आए और मेरी चूचियों के निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसने लगे। वो एक निप्पल को चूस रहे थे, और दूसरे को उंगलियों से मसल रहे थे। मैं “आह… उह्ह… भैया… और चूसो…” कह रही थी। मेरी आँखें बंद थीं, और मैं पूरी तरह उनकी वासना में खो चुकी थी। तभी मुझे उनके लंड का ख्याल आया। मैंने उन्हें धक्का देकर ऊपर किया और उनका पजामा उतार दिया। उनका 7 इंच का मोटा लंड मेरे सामने था, जिसकी नोक पर वीर्य की बूंदें चमक रही थीं। मैंने उसे अपने मुँह में लिया और चूसना शुरू किया। “उम्म… भैया… कितना मज़ा है…” मैंने कहा। उनका लंड नमकीन और गर्म था। मैं उसे लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी। भै Chod Bhai Sexy Behan” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। भैया “आह… उर्वशी… और चूस… मेरी रंडी…” कह रहे थे। मैंने करीब 10 मिनट तक उनका लंड चूसा, और फिर वो बोले, “अब तुझे चोदने दे।”
मैंने शरमाते हुए कहा, “भैया… मैंने कब रोका? ये आपकी चीज़ है, जो चाहे करो!” भैया ने मेरे पैर और चौड़े किए और अपनी कमर मेरी चूत के पास लाए। उनका मोटा लंड मेरी चूत के मुँह पर था। वो बोले, “तैयार है ना?” मैंने सिर हिलाया, और उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह… उह्ह…” मैं चिल्ला उठी। उनका पूरा लंड मेरी गीली चूत में घुस गया। दर्द से मेरी आँखों में आँसू आ गए। “भैया… धीरे… दर्द हो रहा है…” मैंने कहा। लेकिन भैया रुके नहीं। वो “उह्ह… कितनी टाइट है तेरी चूत…” कहते हुए मुझे पेलने लगे। “चप… चप… फट… फट…” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। मैं “आह… भैया… धीरे… उह्ह…” चिल्ला रही थी।
पहले तो दर्द हुआ, लेकिन धीरे-धीरे मज़ा आने लगा। मैंने अपनी गांड उठानी शुरू की और बोली, “भैया… और ज़ोर से… पेलो…” भैया और जोश में आ गए। “ले साली… मेरी रंडी… आज तेरी चूत फाड़ दूँगा…” वो गंदी बातें करते हुए मुझे चोद रहे थे। मैं “आह… उह्ह… भैया… और ज़ोर से… फाड़ दो मेरी चूत…” चिल्ला रही थी। हमने मिशनरी पोज़ीशन में 15 मिनट तक चुदाई की, फिर भैया ने मुझे घुमाया और डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू किया। मेरी चूचियाँ हिल रही थीं, और मैं “आह… ओह्ह… भैया… और गहरा…” चिल्ला रही थी। भैया मेरे कूल्हों को पकड़कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहे थे। “फट… फट…” की आवाज़ पूरे कमरे में गूंज रही थी।
फिर मैंने भैया को लिटाया और उनकी कमर पर बैठ गई। मैं उनकी छाती पर हाथ रखकर अपनी गांड ऊपर-नीचे कर रही थी। मेरा पानी बार-बार निकल रहा था, और भैया “आह… उर्वशी… तू तो जन्नत की सैर करा रही है…” कह रहे थे। मैं “उह्ह… भैया… आपका लंड… हाय…” की सिसकारियाँ ले रही थी। करीब दो घंटे की चुदाई के बाद भैया का वीर्य मेरी चूत में छूटा। मैं भी झड़ चुकी थी। हम दोनों निढाल होकर पलंग पर गिर गए। मैं उनके सीने पर सिर रखकर लेट गई। मेरी चूत लाल और सूजी हुई थी, लेकिन मज़ा इतना था कि मैं उसे भूल नहीं सकती थी।
शाम को सात बजे हम उठे। भैया ने मेरे होंठों को फिर चूमा और मेरी चूचियों को सहलाया। वो बोले, “मैं मार्केट से खाना लाता हूँ।” वो बाहर गए और खाना लेकर आए। हमने साथ बैठकर खाना खाया। तभी मेरी नज़र टेबल पर पड़े एक पैकेट पर गई। मैंने पूछा, “ये क्या है?” भैया मुस्कुराए और बोले, “वियाग्रा।” मैं समझ गई कि रात अभी बाकी है। मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “भैया, आज तो मेरी खैर नहीं।” वो हँसे और बोले, “अब तो तुझे रात भर चोदूंगा।”
उन्होंने टैबलेट खाई, और फिर शुरू हो गए। अब वो रुके ही नहीं। “ले उर्वशी… मेरी रंडी… तेरी चूत को आज रगड़ दूँगा…” वो पोर्न स्टार की तरह मुझे चोदने लगे। मैं “आह… भैया… और ज़ोर से… उह्ह… फाड़ दो…” चिल्ला रही थी। “चप… चप… फट… फट…” की आवाज़ें कमरे में गूंज रही थीं। वो मुझे हर पोज़ीशन में चोद रहे थे। कभी मिशनरी, कभी डॉगी, कभी मेरे पैर उनके कंधों पर। मैं बार-बार झड़ रही थी, और मेरी चूत से पानी रिस रहा था। रात भर चुदाई चली। सुबह तक मेरी चूत इतनी सूज चुकी थी कि मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। लेकिन मज़ा इतना था कि मैं हर पल को जी रही थी।
दोस्तों, ये थी मेरे और मेरे बहनचोद भैया की कहानी। आपको ये कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी चुदाई का मज़ा लिया है? कमेंट में ज़रूर बताएँ!
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