ये बात उस वक्त की है जब हमारा पूरा परिवार देहरादून के फॅमिली टूर पर गया था। कोरोना ने सबकी जिंदगी को थाम सा दिया था, और ये हमारा लॉकडाउन के बाद पहला टूर था। पापा और मम्मी का तो बस एक ही मकसद था—तीन दिन अपनी दुनिया में खोकर रंगरेलियां मनाना। इसलिए उन्होंने अपने लिए अलग कमरा बुक किया, और मेरे और मेरे भाई गोलू के लिए दूसरा कमरा। शायद उन्हें लगा कि हम भाई-बहन बस मोबाइल में घुसे रहेंगे या कार्टून देखेंगे। लेकिन उनको कहां पता था कि हमने उस होटल के पलंग को चुदाई के धक्कों से ऐसा हिलाया कि उनका कमरा भी शरमा जाए।
मेरा नाम प्रतिज्ञा है, उम्र उन्नीस साल। मैं कॉलेज में हूं, और जवानी की गर्मी मेरे जिस्म में आग सी लगा रही थी। मेरी फिगर टाइट है—चूचे भरे हुए, गान्ड कसी हुई, और चेहरा ऐसा कि कॉलेज के लड़के मेरे पीछे पागल रहते हैं। लेकिन मैं किसी को घास नहीं डालती थी, क्योंकि मन में एक अजीब सी बेचैनी रहती थी। मेरा भाई गोलू, जो इक्कीस का है, जिम में पसीना बहाता है। उसका बदन सख्त, सीना चौड़ा, और बाजू ऐसे कि किसी को भी ललचा दें। मम्मी-पापा भी अभी जवान लगते हैं। मम्मी की उम्र भले चालीस के आसपास हो, लेकिन उनकी गान्ड का उभार और चूचों की कसावट किसी जवान लड़की को मात देती है। पापा उनके दीवाने हैं। हर कुछ महीनों में वो दोनों किसी होटल में चले जाते हैं, और फिर रात भर उनके कमरे से बेड की चरमराहट और मम्मी की सिसकारियां सुनाई देती हैं।
हम भाई-बहन को टूर की आदत थी। पहले हम बस होटल में पिज्जा खाते, कार्टून देखते, और हंसी-मजाक करते। लेकिन अब जवानी का जोश हमारे दिमाग पर हावी था। गोलू की नजरें पिछले कुछ महीनों से मुझ पर कुछ ज्यादा ही ठहरने लगी थीं। कभी मैं बाथरूम से नहाकर निकलती, तो वो मुझे तौलिया में देखकर आंखें सेंकता। मैं भी उसे नोटिस करती थी, लेकिन मन में डर और शर्म दोनों थे। फिर भी, मेरी चूत में एक अजीब सी खुजली होती थी जब वो मुझे ऐसे देखता। मैं सोचती, “ये गलत है, लेकिन क्यूं इतना अच्छा लगता है?”
हम दिल्ली से अपनी स्कॉर्पियो में उत्तराखंड पहुंचे। रास्ते में पहाड़ों की ठंडी हवा, हरे-भरे जंगल, और नदियों का शोर मन को सुकून दे रहा था। देहरादून में पापा ने एक थ्री-स्टार होटल बुक किया था। होटल का माहौल बड़ा रॉयल था—बाहर लॉन में फव्वारे, रात में हल्की रोशनी, और ठंडी हवा में हल्का सा कोहरा। हमारा कमरा तीसरी मंजिल पर था। कमरे में दो सिंगल बेड, मखमली पर्दे, बड़ा सा टीवी, और खिड़की से बाहर पहाड़ों का नजारा। बाथरूम में बड़ा सा शीशा था, और शावर ऐसा कि मन करता था घंटों नहाओ। कमरे में हल्की सी गर्माहट थी, लेकिन बाहर की ठंडी हवा खिड़की से आ रही थी।
शाम को हमने होटल के रेस्तरां में खाना खाया। मम्मी ने लाल रंग की टाइट साड़ी पहनी थी, जिसमें उनके चूचे और गान्ड का उभार साफ दिख रहा था। पापा की नजरें मम्मी पर टिकी थीं। खाने के दौरान पापा का हाथ मम्मी की जांघ पर चला गया, और मम्मी ने शरारती अंदाज में मुस्कुराया। मैं और गोलू एक-दूसरे को देखकर हंस पड़े। खाना खत्म होते ही मम्मी-पापा अपने कमरे में चले गए। मम्मी की चाल में एक मस्ती थी, और पापा उनके पीछे-पीछे ऐसे चल रहे थे जैसे आज रात वो मम्मी को चोद-चोदकर हलाल कर देंगे।
हम दोनों भाई-बहन ने कोई जल्दी नहीं की। हम लॉन में बैठे। गोलू ने होटल के बार से दो बीयर मंगवाई। हमने हल्का-हल्का सिप किया। रात का सन्नाटा, झींगुरों की आवाज, और ठंडी हवा में बीयर का नशा धीरे-धीरे चढ़ रहा था। गोलू ने कहा, “प्रतिज्ञा, मम्मी-पापा तो फुल मूड में हैं। लगता है उनका बेड आज टूट जाएगा।” मैंने हंसकर कहा, “हां, लेकिन उनको तो बस यही चाहिए।” हम दोनों हंसे, लेकिन गोलू की आंखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने मेरी जांघ पर हल्का सा हाथ रखा। मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ गई।
रात के करीब दस बजे हम अपने कमरे में आए। कमरे में हल्की सी ठंड थी, तो गोलू ने हीटर ऑन किया। मैंने टाइट ग्रे टी-शर्ट और ब्लैक शॉर्ट्स पहने थे, जिसमें मेरी गान्ड का उभार साफ दिख रहा था। गोलू ने ट्रैक पैंट और ढीली बनियान पहनी थी। हम बेड पर बैठे और नेटफ्लिक्स पर एक सीरीज लगाई। सीरीज में गर्मागर्म सीन थे—एक भाई-बहन की कहानी, जो सौतेले थे। लड़की की सिसकारियां और लड़के के धक्कों की आवाज सुनकर मेरी चूत में हलचल होने लगी। मैंने देखा कि गोलू का लंड पैंट में तन रहा था। उसकी सांसें तेज थीं, और वो बार-बार मेरी तरफ देख रहा था।
मैंने डरते हुए पूछा, “गोलू, ये सब ठीक है? भाई-बहन में ऐसा होता है?” गोलू ने मेरी आंखों में देखा और बोला, “क्यूं नहीं? मेरे दो दोस्त तो अपनी बहनों के साथ चुदाई कर चुके हैं।” मैंने हैरानी से कहा, “नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है?” उसने फोन निकाला और एक वीडियो चलाया। वीडियो में उसका दोस्त सोनू अपनी बहन श्रृष्टि को चोद रहा था। श्रृष्टि की चूत में सोनू का लंड अंदर-बाहर हो रहा था, और वो चिल्ला रही थी, “आह… और जोर से… चोद मुझे…” मेरी चूत गीली हो गई। मेरे जिस्म में आग सी लग गई।
गोलू ने मेरी तरफ देखा और बोला, “देख, प्रतिज्ञा, मैं भी यही चाहता हूं। हम दोनों के बीच भी ऐसा हो। मौका भी है, और मजा भी आएगा। तुझे भी तो चुदाई का मन करता होगा, और मुझे भी। बाहर किसी के साथ करेगी, तो लोग ब्लैकमेल करेंगे। लेकिन घर का माल घर में रहे, तो कोई टेंशन नहीं।” उसकी बातें मेरे दिमाग में गूंज रही थीं। मेरी चूत में खुजली बढ़ रही थी, और मन में एक अजीब सी उत्तेजना थी। मैंने डरते हुए कहा, “लेकिन गोलू, ये गलत तो नहीं? और तू वीडियो तो नहीं बनाएगा ना? किसी को बताएगा भी नहीं?” उसने हल्के से मुस्कुराया और बोला, “अरे, तू मेरी बहन है। मैं तेरा भरोसा नहीं तोड़ूंगा।”
मैंने हल्के से हां में सिर हिलाया। मेरे दिल की धड़कन तेज थी, और जिस्म में गर्मी बढ़ रही थी। गोलू ने तुरंत अपना बेड मेरे बेड से सटा दिया। कमरे में हल्की सी रोशनी थी, और बाहर पहाड़ों का सन्नाटा। गोलू मेरे करीब आया। उसका गर्म जिस्म मेरे जिस्म से टकराया। उसकी सांसों की गर्मी मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थी। उसने धीरे से मेरी टी-शर्ट उतारी। मेरी काली ब्रा में मेरे चूचे कसकर भरे थे। उसने ब्रा के ऊपर से मेरे चूचों को मसला। उसके सख्त हाथों की छुअन से मेरे जिस्म में करंट सा दौड़ गया। मैंने उसकी बनियान उतारी। उसका चौड़ा सीना और सख्त बाजू देखकर मेरी चूत और गीली हो गई।
मैंने उसके बालों में उंगलियां फिराईं, और वो मेरी ब्रा खोलकर मेरे चूचों को आजाद कर दिया। मेरे गुलाबी निप्पल सख्त हो चुके थे। उसने एक निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर घूम रही थी, और मैं सिसकारियां लेने लगी, “आह… गोलू… और चूस… कितना मजा आ रहा है…” वो मेरे चूचों को बारी-बारी चूस रहा था, और कभी-कभी दांतों से हल्का सा काट लेता था। मेरी चूत अब पानी छोड़ रही थी, और मेरी पैंटी गीली हो चुकी थी।
उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरे शॉर्ट्स उतार दिए। मेरी काली पैंटी पर गीलापन साफ दिख रहा था। उसने पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाया, और फिर धीरे से पैंटी उतार दी। मेरी चिकनी, गीली चूत देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। उसने अपनी पैंट उतारी, और उसका मोटा, लंबा लंड मेरे सामने था। वो सात इंच से ज्यादा लंबा और इतना मोटा था कि मेरे मुंह में पानी आ गया। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। गोलू सिसकारियां लेने लगा, “आह… प्रतिज्ञा… तू तो कमाल है…”
फिर वो नीचे गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मेरे मुंह से बस “आह… उह… गोलू… और चाट…” निकल रहा था। उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसकी उंगली फिसल रही थी। फिर उसने दो उंगलियां डालीं और मेरी चूत को रगड़ने लगा। मैं चिल्ला उठी, “गोलू… साले… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे…” उसने मेरी चूत को चाटते हुए मेरी गान्ड के छेद को हल्का सा सहलाया, और मेरे जिस्म में आग सी लग गई।
कुछ देर बाद वो लेट गया, और मैं उसके लंड को चूसने लगी। उसका लंड इतना मोटा था कि मेरे मुंह में मुश्किल से समा रहा था। मैं उसकी गोटियों को सहलाते हुए लंड को चूस रही थी, और वो मेरे चूचों को मसल रहा था। मैंने उसका लंड गले तक लिया, और वो सिसकारियां लेने लगा, “आह… प्रतिज्ञा… तू तो रंडी जैसी चूस रही है…” मैंने उसकी आंखों में देखा और कहा, “अब चोद दे मुझे, गोलू… मेरी चूत तेरा लंड मांग रही है।”
वो तुरंत उठा और मेरी टांगें चौड़ी कीं। उसने मेरी टांगें अपने कंधों पर रखीं और अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसका लंड एक ही धक्के में पूरा अंदर चला गया। मैं चीख पड़ी, “आह… मर गई… कितना मोटा है तेरा लंड…” वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा। उसका लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था। बेड की चरमराहट और मेरी चूत से फच-फच की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी। कमरे में हमारी सांसों की गर्मी और पसीने की गंध फैल रही थी।
मैं उसके होठों को चूसने लगी, और वो मेरे चूचों को मसलते हुए चोद रहा था। उसने मेरी गान्ड के नीचे तकिया रखा ताकि उसका लंड और गहराई तक जाए। हर धक्के के साथ मेरी चूत से पानी टपक रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “चोद साले… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” वो और वाइल्ड हो गया। उसने मुझे घोड़ी बनाया और पीछे से अपना लंड मेरी चूत में पेल दिया। उसकी गोटियां मेरी गान्ड से टकरा रही थीं, और मैं सिसकारियां ले रही थी, “आह… गोलू… तू तो जंगली है… और पेल…”
कुछ देर बाद उसने मुझे अपनी गोद में बिठाया। मैं उसके लंड पर उछल रही थी, और वो मेरे चूचों को चूस रहा था। मेरी चूत उसके लंड को निगल रही थी, और मैं बार-बार झड़ रही थी। फिर उसने मुझे दीवार से सटाकर चोदा। मेरी पीठ दीवार से रगड़ रही थी, और उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। हम दोनों पसीने से तर थे, और कमरे में सिर्फ हमारी सिसकारियां और बेड की आवाज गूंज रही थी।
रात भर हमने अलग-अलग पोज में चुदाई की। कभी मैं उसके ऊपर थी, कभी वो मुझे नीचे दबाकर चोद रहा था। सुबह के चार बजे तक हम रुके नहीं। आखिरकार वो मेरे चूचों पर झड़ गया, और हम दोनों हांफते हुए बेड पर गिर पड़े। मेरी चूत में हल्का सा दर्द था, लेकिन मजा ऐसा कि मैं अभी भी गोलू के लंड को चूसना चाहती थी।
अगले दिन दोपहर बारह बजे हम उठे। मम्मी-पापा भी उसी वक्त अपने कमरे से निकले। उनकी आंखों में वही थकान थी जो हमारी थी। शायद वो भी रात भर चुदाई में बिजी थे। अगले दो दिन हमने दिन में बाहर घूमने का नाटक किया, लेकिन रात होते ही कमरे में चुदाई का प्रोग्राम शुरू हो जाता। गोलू की चुदाई में एक जंगलीपन था जो मुझे पागल कर देता था। कभी वो मेरी चूत चाटता, कभी मैं उसका लंड चूसती। हर रात हम नई-नई पोजीशन ट्राई करते।
अब तो जब मम्मी-पापा बाहर जाते हैं, हम घर में भी चुदाई कर लेते हैं। गोलू का लंड और मेरी चूत अब एक-दूसरे के बिना अधूरे हैं। उस टूर ने हमारी जिंदगी बदल दी। हमारा रिश्ता अब सिर्फ भाई-बहन का नहीं, बल्कि दो जवान जिस्मों का है, जो एक-दूसरे की आग बुझाते हैं।