मेरा नाम मनीषा है। मैं साउथ दिल्ली में अपने मम्मी पापा के साथ रहती हूँ। मेरी उम्र 19 साल है, गोरा बदन, काले लंबे बाल, 5 फीट 4 इंच की हाइट और मेरी आँखों का रंग भूरा है। एक दिन मैं अपनी सहेलियों के साथ शॉपिंग करके घर पहुँची। अपने कमरे में पहुँचकर मैंने अपनी मेज की दराज खोली तो पाया कि मेरी ब्लू रंग की पैंटी वहाँ रखी हुई थी। Bhai aur uske dosto ke sath group sex
मुझे याद नहीं आ रहा था कि मैंने कभी अपनी पैंटी वहाँ रखी हो। इतने में मैंने कदमों की आवाज मेरे कमरे की ओर बढ़ते सुनी। मेरी समझ में नहीं आया कि मैं क्या करूँ। मैं दौड़कर अलमारी में जा छुपी। देखती हूँ कि मेरा छोटा भाई विवेक, जो 18 साल का है, अपने दोस्त अमित के साथ मेरे कमरे में दाखिल हुआ।
“मनीषा,” विवेक ने आवाज लगाई।
मैं चुपचाप अलमारी में छुपी उन्हें देख रही थी।
“अच्छा है वो घर पर नहीं है। अमित, मैं पहली और आखिरी बार ये सब तुम्हारे लिए कर रहा हूँ। अगर उसे पता चल गया तो वो मुझे जान से मार डालेगी,” विवेक ने कहा।
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“शुक्रिया दोस्त, तुम्हें तो पता है तुम्हारी बहन कितनी सुंदर और सेक्सी है,” अमित ने लालची नजरों से कहा।
विवेक ने मेरा ड्रॉअर खोला और वो ब्लू पैंटी निकालकर अमित को पकड़ा दी। अमित ने पैंटी को अपने चेहरे पर ले जाकर जोर से सूँघा, “उफ्फ्फ… विवेक, तुम्हारी बहन की चूत की खुशबू तो अभी भी इसमें बसी है, क्या मादक महक है!” उसने पैंटी को अपने होंठों पर रगड़ा और जीभ से चाटने लगा, “म्म्म… इसकी चूत का स्वाद भी इसमें है!” विवेक जमीन पर नजरें गड़ाए खामोश खड़ा था, लेकिन उसकी साँसें तेज हो रही थीं।
“यार, ये धुली हुई है। अगर ना धुली होती तो चूत के पानी की गंध और तीखी होती,” अमित ने पैंटी को फिर से सूँघते हुए कहा, उसकी आँखें उत्तेजना से चमक रही थीं। उसने पैंटी को अपने गालों पर रगड़ा और फिर उसे अपने मुँह में डालकर चूसने लगा, “आह्ह्ह… तेरी बहन की चूत का रस तो जैसे शहद है!”
“तुम पागल हो गए हो,” विवेक हँसते हुए बोला, लेकिन उसकी आवाज में हल्की उत्तेजना थी।
“कम ऑन विवेक, माना वो तुम्हारी बहन है, लेकिन तुम इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि वो बहुत ही सेक्सी है,” अमित ने कहा, पैंटी को अपने लंड पर रगड़ते हुए। “इसकी चूत की गंध ने तो मेरा लंड खड़ा कर दिया!”
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“मैं मानता हूँ वो बहुत ही सुंदर और सेक्सी है, लेकिन मैंने ये सब बातें अपने दिमाग से निकाल दी हैं,” विवेक ने जवाब दिया, लेकिन उसकी आँखों में झिझक साफ दिख रही थी।
“अगर वो मेरी बहन होती तो…” अमित कहने लगा, “क्या तुम उसके नंगे बदन की कल्पना करते हुए मूठ नहीं मारते हो?”
विवेक कुछ बोला नहीं और खामोश खड़ा रहा, उसका चेहरा लाल होने लगा।
“शरमाओ मत यार, अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो यही करता,” अमित ने कहा, पैंटी को फिर से सूँघते हुए, “इसकी गाँड की महक भी इसमें बाकी है, उफ्फ्फ…!”
“क्या तुम्हारी बहन की कोई बिना धुली हुई पैंटी यहाँ नहीं है?” अमित ने पूछा।
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“जरूर यहीं कहीं होगी। मैं ढूँढता हूँ, तब तक खिड़की पर निगाह रखो। अगर मनीषा आती दिखे तो बताना,” विवेक कमरे में मेरी पैंटी ढूँढने लगा।
विवेक और अमित को ये नहीं पता था कि मैं घर आ चुकी थी और अलमारी में छिपकर उनकी हरकत देख रही थी। “वो रही, मिल गई,” विवेक ने गंदे कपड़ों के ढेर से मेरी लाल पैंटी की ओर इशारा करते हुए कहा। अमित ने कपड़ों के ढेर में से मेरी लाल पैंटी उठाई, जो मैंने दो दिन पहले पहनी थी।
वो कुछ देर उसे निहारता रहा, फिर पैंटी पर लगे दाग को अपनी नाक के पास ले जाकर जोर से सूँघने लगा, “उफ्फ्फ… विवेक, ये तो तेरी बहन की चूत और गाँड की मिली-जुली खुशबू है, क्या मस्त गंध है!” उसने पैंटी को अपने होंठों पर रगड़ा और जीभ से चाटा, “म्म्म… इसका रस तो अभी भी ताजा है!” फिर उसने पैंटी को अपने लंड पर लपेट लिया और सहलाने लगा, “आह्ह्ह… ये तो मेरे लंड को पागल कर रही है!”
“तुम सही में पागल हो गए हो,” विवेक बोला, लेकिन उसकी आँखें पैंटी पर टिकी थीं।
“क्या तुम सूँघना छोड़ोगे?” अमित ने पूछा, पैंटी को अपने चेहरे पर रगड़ते हुए।
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“किसी हालत में नहीं,” विवेक शरमाते हुए बोला, उसकी साँसें और तेज हो गईं।
“मैं जानता हूँ तुम इसे सूँघना चाहते हो, पर मुझसे कहते शरमा रहे हो,” अमित बोला, “चलो यार, इसमें शरमाना कैसा, आखिर हम दोस्त हैं।”
विवेक कुछ देर तक सोचता रहा, उसकी उंगलियाँ बेचैन थीं। “तुम वादा करते हो कि इसके बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगे।”
“पक्का वादा करता हूँ,” अमित ने कहा, “आओ अब और शरमाओ मत, सूँघो इसे, कितनी मादक खुशबू है।”
विवेक अमित के नजदीक पहुँचा और उससे मेरी लाल पैंटी ले ली। थोड़ी देर उसे निहारने के बाद वो उसे अपनी नाक पर ले जाकर जोर से सूँघने लगा, “उफ्फ्फ… आह्ह्ह… ये तो सच में कमाल की गंध है!” उसने पैंटी को अपने होंठों पर रगड़ा और जीभ से चाटा, “म्म्म… मनीषा की चूत का स्वाद… उफ्फ्फ!” उसकी आँखें बंद हो गईं और वो पैंटी को अपने चेहरे पर रगड़ने लगा, जैसे कोई नशा कर रहा हो।
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मुझे ये देखकर विश्वास नहीं हो रहा था कि मेरा भाई मेरी पैंटी को इस तरह सूँघेगा और चाटेगा। “सही में अमित, बहुत ही सेक्सी स्मेल है, मानना पड़ेगा,” विवेक सिसकते हुए बोला, “मेरा लंड तो इसे सूँघते ही खड़ा हो गया है।” उसने पैंटी को अपने लंड पर रगड़ा, “आह्ह्ह… कितना मजा आ रहा है!”
“मेरा भी,” अमित अपने लंड को सहलाते हुए बोला, “क्या तुम अपना पानी इस पैंटी में छोड़ना चाहोगे?”
“क्या तुम सीरियस हो?” विवेक ने पूछा, उसकी आँखों में लालच और झिझक थी।
“हाँ,” अमित ने जवाब दिया, पैंटी को अपने लंड पर जोर से रगड़ते हुए।
“मगर मुझे किसी के सामने मूठ मारना अच्छा नहीं लगता,” विवेक ने कहा।
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“अरे यार, मैं कोई पराया थोड़े ही हूँ। हम दोस्त हैं और दोस्ती में शरम कैसी,” अमित बोला, अपनी पैंट खोलते हुए।
पैंट नीचे सरकाते ही उसका खड़ा लंड उछलकर बाहर निकल पड़ा। उसने मेरी ब्लू पैंटी को अपने लंड के चारों तरफ लपेट लिया और दूसरी लाल पैंटी को अपनी नाक पर लगा लिया। “आह्ह्ह… मम्म्म… तेरी बहन की चूत की गंध ने तो मुझे दीवाना कर दिया!” वो जोर-जोर से अपने लंड को हिलाने लगा। फिर विवेक ने भी अपनी पैंट उतारकर अमित की तरह ही करने लगा। दोनों लड़के उत्तेजना में डूबे हुए थे, “पच… पच… आह्ह्ह…” उनके लंड हिलाने की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं।
दोनों को इस हालत में देखते हुए मेरी चूत में आग लग रही थी। मैंने अपना हाथ अपनी पैंट के अंदर डालकर अपनी चूत पर रखा तो पाया कि वो पूरी गीली हो चुकी थी। “म्म्म… उफ्फ्फ…” मेरी सिसकारियाँ अलमारी में दब रही थीं। मेरी उंगलियाँ मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रही थीं, “आह्ह्ह… कितना गर्म हो गया है मेरा जिस्म!” मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी।
“मेरा अब छूटने वाला है,” विवेक ने सिसकते हुए कहा।
मैंने देखा कि उसका शरीर कड़ा हुआ और उसके लंड से सफेद वीर्य की पिचकारी मेरी पैंटी में गिर रही थी। “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… तेरी पैंटी में कितना मजा है!” वो तब तक अपना लंड हिलाता रहा, जब तक सारा पानी नहीं निकल गया। फिर उसने अपने लंड को मेरी पैंटी से पोंछा और अपने हाथ भी साफ किए।
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थोड़ी देर में अमित का भी वीर्य निकला, “आह्ह्ह… मम्म्म… तेरी बहन की चूत की गंध ने मुझे पागल कर दिया!” उसने पैंटी को अपने लंड पर रगड़ा और सारा पानी उसमें उड़ेल दिया। “इससे पहले कि तुम्हारी बहन आ जाए और हमें ये करता हुआ पकड़ ले, मुझे यहाँ से जाना चाहिए,” अमित अपनी पैंट पहनते हुए बोला। दोनों लड़के मेरे कमरे से चले गए। मैं खिड़की से कूदकर मुख्य दरवाजे से घर में दाखिल हुई तो देखा विवेक डाइनिंग टेबल पर सैंडविच खा रहा था।
“हाय मनीषा,” विवेक बोला।
“हाय विवेक, कैसे हो?” मैंने जवाब दिया।
“आज तुम्हें आने में काफी लेट हो गई?”
“हाँ, फ्रेंड्स के साथ शॉपिंग में थोड़ी देर हो गई,” मैंने जवाब दिया।
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मैं किचन में गई और अपने लिए कुछ खाने को निकालने लगी। मुझे पता था कि विवेक मेरी ओर कितना आकर्षित है। जैसे ही मैं थोड़ा झुकी, मैंने देखा कि वो मेरी झाँकती पैंटी को घूर रहा था। “उफ्फ्फ… ये लड़का तो मेरी चूत का दीवाना है,” मैंने मन में सोचा। दूसरे दिन मैं सोकर लेट उठी। मुझे काम पर जाना नहीं था।
विवेक कॉलेज जा चुका था और मम्मी पापा काम पर जा चुके थे। मैं अपनी बिस्तर पर पड़ी थी। मेरी आँखों के सामने कल का दृश्य घूम रहा था। किस तरह विवेक और अमित ने मेरी पैंटी में अपना वीर्य छोड़ा था। “आह्ह्ह… कितना गंदा और सेक्सी था वो सब!” सोचते-सोचते मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया और मैं अपनी उंगली से अपनी चूत की चुदाई करने लगी। “म्म्म… उफ्फ्फ… कितना गीला हो गया है!” थोड़ी देर में मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया।
मैं बिस्तर से उठी और अपने सारे कपड़े उतार दिए। आईने के सामने नंगी खड़ी होकर अपने बदन को निहारने लगी। मेरा पतला जिस्म, गुलाबी चूत, और गोल चूतड़ सही में सेक्सी दिख रहे थे। “विवेक और अमित ने सही कहा था, मैं तो सच में लंड खड़ा करने वाली हूँ!” मैंने अपने चूतड़ों पर हाथ फेरा और फिर कपड़ों के ढेर से अपनी लाल पैंटी उठा ली।
अमित के वीर्य के दाग उसपर साफ दिख रहे थे। मैंने पैंटी को अपनी नाक पर ले जाकर जोर से सूँघा, “उफ्फ्फ… ये तो कमाल की महक है!” मैंने जीभ निकालकर दाग को चाटा, “म्म्म… इसका वीर्य तो नमकीन और गर्म है!” मेरी चूत में फिर से खुजली शुरू हो गई। मैंने विवेक की पैंटी भी उठाई, जिसमें उसका वीर्य था। उसे सूँघते हुए मैंने जीभ से चाटा, “आह्ह्ह… मेरे भाई का पानी भी कितना मस्त है!” मेरी चूत से पानी टपक रहा था।
मैंने सोच लिया कि जिस तरह विवेक ने मेरे कमरे की तलाशी ली थी, मैं भी उसके कमरे में जाऊँगी। बहुत सालों बाद मैं उसके कमरे में गई। बिस्तर के नीचे झाँककर देखा तो गंदी मैगजीनें पड़ी थीं। उसके कपड़ों को टटोला तो उसकी शॉर्ट्स मिली, जिसपर वीर्य के दाग थे। मैंने उसे सूँघा, “उफ्फ्फ… विवेक का लंड भी तो कमाल का है!” मैंने शॉर्ट्स को चाटा और अपनी चूत में उंगली करने लगी। “आह्ह्ह… मम्म्म…” मेरी चूत ने फिर पानी छोड़ दिया।
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मैंने तय किया कि आज शाम जब विवेक कॉलेज से आएगा, मैं घर पर ना होने का बहाना करके छुपूँगी और उसे देखूँगी। मुझे उम्मीद थी कि वो फिर मेरी पैंटी में मूठ मारेगा। मैंने अपनी दिनभर पहनी पैंटी कपड़ों के ढेर पर फेंकी और खिड़की के पीछे छुप गई। एक नोट छोड़ा कि मैं रात को देर से आऊँगी। विवेक घर आया और मेरे कमरे में गया। उसने मेरी पैंटी उठाकर सूँघी, “म्म्म… मनीषा की चूत की गंध तो पागल कर देती है!” उसने अपनी पैंट खोली और पैंटी को अपने लंड पर लपेटकर मूठ मारने लगा। “पच… पच… आह्ह्ह…”
मैंने सोच लिया कि उसे रंगे हाथों पकड़ूँगी। चुपके से खिड़की से हटकर कमरे के पास पहुँची। दरवाजा थोड़ा खुला था। मैं अंदर गई। विवेक की आँखें बंद थीं और वो मेरी पैंटी को अपने लंड पर रगड़ रहा था। “आह्ह्ह… तेरी चूत की महक… उफ्फ्फ…” “विवेक, ये क्या हो रहा है?” मैंने जोर से पूछा।
वो उछलकर खड़ा हो गया, “ओह, मर गए!” उसने जल्दी से पैंट ऊपर की और पैंटी कपड़ों के ढेर पर रख दी। उसकी आँखों में डर था। “आई आम सॉरी, मैं इस तरह कमरे में नहीं आना चाहती थी,” मैंने कहा।
“मुझे माफ कर दो,” वो बोला।
“कोई बात नहीं, अब जाओ, मुझे नहाना है,” मैंने शांत स्वर में कहा। वो चुपचाप चला गया। रात को वो अपने कमरे में बंद रहा। खाने के टेबल पर वो खामोश था। “बेटा, क्या बात है?” मम्मी ने पूछा। “कुछ नहीं माँ, बस थक गया हूँ,” उसने मेरी ओर देखकर कहा। मैंने मुस्कुराकर उसका हौसला बढ़ाया।
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रात में मैं उसके कमरे गई। “हाय, ठीक हो?” मैंने पूछा।
“बस शर्मिंदगी हो रही है,” उसने कहा।
“शर्माने की जरूरत नहीं। ये सब कबसे चल रहा है?” मैंने पूछा।
“अमित तुमसे प्यार करता है। उसने मुझे 100 रुपये दिए तुम्हारी पैंटी दिखाने के लिए। मैं उसे लाया और उसने सूँघी। मैं भी नहीं रुक पाया। तुम्हारी पैंटी की गंध ने मुझे गर्मा दिया,” उसने कहा।
“गंदी हरकत थी, पर मुझे अच्छा लगा,” मैंने हँसकर कहा। “जब चाहे कर सकते हो।”
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“सही में? अभी? मम्मी पापा सो रहे हैं,” उसने पूछा।
“हाँ, पर मैं देखूँगी,” मैंने कहा।
हम मेरे कमरे में गए। मैंने टीवी ऑन किया और दरवाजा बंद किया। विवेक ने मेरी पैंटी सूँघी। मैंने खींचकर सूँघी, “म्म्म… मस्त है!” हम हँसे और बेड पर बैठ गए।
“दिन में कितनी बार मूठ मारते हो?” मैंने पूछा।
“कम से कम 3 बार,” उसने कहा।
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“अमित को बताओगे कि मैंने तुम्हें पकड़ा?”
“सोचा नहीं।”
“वो स्मार्ट है। मुझे उसके साथ सोना चाहिए?” मैंने पूछा।
“हाँ, उसका सपना पूरा हो जाएगा,” उसने कहा।
हम खामोश बैठे। “विवेक, अगर तुम अपना लंड दिखाओ, तो मैं अपनी चूत दिखाऊँगी,” मैंने कहा। उसने हाँ कहा।
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“पहले कौन?” उसने पूछा।
“तुम मेरा लंड देख चुकी हो, पहले तुम,” वो बोला।
“ठीक है, पर तुम दोबारा दिखाओ,” मैंने कहा।
मैंने जींस और काली पैंटी उतारी। मेरी गुलाबी चूत उसके सामने थी। वो 10 मिनट घूरता रहा। मैंने कपड़े पहने, “तेरी बारी।” उसने जींस और शॉर्ट्स उतारी। उसका 7 इंची लंड बाहर आया। मैंने घूरा, फिर उसने कपड़े पहने।
“कल मम्मी पापा बाहर जा रहे हैं। अमित को लाऊँ?” उसने पूछा।
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“हाँ,” मैंने कहा।
“वो जल जाएगा जब सुनेगा मैंने तेरी चूत देखी,” उसने कहा।
“उससे कहना, कल तुम दोनों देख सकते हो,” मैंने कहा।
अगले दिन विवेक का फोन आया, “अमित अपने दोस्त को लाए तो ठीक है?”
“अगर राज रखेंगे, तो ठीक है,” मैंने कहा।
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शाम को मैं घर पहुँची। विवेक, अमित और अमरीश (कैमरे के साथ) सोफे पर थे। “हाय मनीषा, ये अमरीश है,” विवेक ने परिचय करवाया।
“हेलो,” मैंने शरमाते हुए कहा।
“कमरे में चलें?” विवेक ने पूछा।
“हाँ,” मैंने कहा।
“सब बता दिया?” मैंने विवेक से पूछा।
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“हाँ,” उसने कहा।
कमरे में अमरीश ने कैमरा रखा। “विवेक कहता है तुम अपनी चूत दिखाओगी,” अमित बोला।
“हाँ, दिखानी पड़ेगी,” मैंने हँसकर कहा।
“चूत की फोटो खींचूँ?” अमरीश ने पूछा।
“किसे दिखाओगे?” मैंने पूछा।
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“मेरी वेबसाइट पर, चेहरा नहीं दिखेगा,” उसने कहा।
“ठीक है,” मैंने कहा।
मैंने जींस और पैंटी उतारी। मेरी चूत सबके सामने थी। अमरीश ने फोटो लिया। मैंने कपड़े पहने और बिस्तर पर बैठ गई। हम बात करने लगे। अमरीश बीयर लाया। बातें सेक्स पर आई।
“ब्लू फिल्म बनाएँ?” अमित ने कहा।
“अच्छा लगता है,” मैंने कहा।
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“आज ही शूट करें?” अमरीश ने कहा।
“शुरुआत कैसे करें?” अमित ने पूछा।
“मनीषा का इंटरव्यू,” अमरीश ने कहा।
मैं कुर्सी पर बैठी। अमरीश ने कैमरा फोकस किया।
“मनीषा, उम्र?”
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“19,” मैंने कहा।
“ये लड़का कौन?”
“मेरा भाई विवेक।”
“इसका लंड देखा?”
“हाँ, बचपन में और कल, जब ये मेरी पैंटी में मूठ मार रहा था,” मैंने शरमाते हुए कहा।
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“अच्छा लगा?”
“हाँ,” मैंने कहा।
“फिर देखोगी?”
“हाँ,” मैंने कहा।
“लाइसेंस दिखाओ,” अमरीश ने कहा। हमने दिखाए। “दोस्तों, ये सही में बहन-भाई हैं,” उसने कहा।
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“विवेक, अपना लंड दिखाओ,” अमरीश ने कहा।
विवेक ने जींस और शॉर्ट्स उतारी। उसका लंड तनकर खड़ा था। “क्या कहती हो मनीषा?”
“जानदार और सेक्सी,” मैंने कहा।
“मनीषा, मुँह खोलो, विवेक अपना लंड डालेगा,” अमरीश ने कहा।
मैं चौंकी, “ये ठीक है?” मैंने झिझकते हुए कहा।
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“हाँ,” अमरीश बोला।
विवेक ने अपना लंड मेरे चेहरे पर रगड़ा। “आह्ह्ह… कितना गर्म है,” मैंने कहा। मैंने मुँह खोला, उसने लंड डाला। मैं धीरे-धीरे चूसने लगी, फिर जोर से। “ग्लप… ग्लप… मम्म्म…” उसने लंड निकाला, “पुक्क्क” की आवाज आई।
“कमाल की चूसती हो,” अमरीश ने कहा। “अमित, क्या कहते हो?”
“हाँ, मस्त स्टाइल है,” अमित अपने लंड को हिलाते हुए बोला।
“मनीषा, अपनी चूत दिखाओ,” अमरीश ने कहा।
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मैंने जींस और पैंटी उतारी। “आह्ह्ह… कितनी गीली है,” मैं सिसकी। अमरीश ने चूत पर जूम किया। “एकदम चिकनी!”
“चूत से खेलो,” उसने कहा।
मैंने उंगली अंदर डाली, “म्म्म… आह्ह्ह… कितना गर्म है!”
“अब गाँड दिखाओ,” अमरीश ने कहा।
मैंने घूमकर गाँड ऊपर की। “विवेक, देख तेरी बहन की गाँड,” अमित बोला।
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“पूरी नंगी होकर लेटो, टाँगें ऊपर,” अमरीश ने कहा।
मैंने सैंडल, टॉप और ब्रा उतारी। बिस्तर पर लेटकर टाँगें छाती पर रखीं। “आह्ह्ह… सब खुल गया!” अमरीश ने चूत और गाँड पर जूम किया।
“विवेक, चूत चाटो,” अमरीश ने कहा।
“मुझे कोई ऐतराज नहीं,” मैंने कहा।
विवेक ने मेरी चूत पर जीभ रखी। “म्म्म… आह्ह्ह… चाट ले मेरी चूत को!” वो चूत से गाँड तक चाटने लगा। “चप… चप…”
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“स्वाद कैसा है?” अमरीश ने पूछा।
“मजा आ गया!” विवेक ने कहा।
“चूत या गाँड?” अमित ने पूछा।
“पहले चखने दो,” विवेक ने उंगली चूत में डाली, चूसी, फिर गाँड में घुमाई। “चूत ज्यादा मस्त है।”
“मुझे भी चखाओ,” मैंने कहा।
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विवेक ने उंगलियाँ चूत में डालीं। “आह्ह्ह… उफ्फ्फ…” मैंने उसकी उंगलियाँ चूसीं। “म्म्म… मेरी चूत का रस!” वो फिर चूत में जीभ डालकर चूसने लगा। “चप… चप… आह्ह्ह…”
“कैसा लग रहा है?” अमरीश ने पूछा।
“म्म्म… बहुत मजा!” मैं सिसकी।
“लंड गाँड में लोगी?” अमरीश ने पूछा।
“हाँ, पेल दे मेरी गाँड में!” मैंने कहा, मन में हल्का डर था।
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विवेक ने लंड मेरी गाँड पर रगड़ा। “आह्ह्ह… कितना मोटा है!” उसने धीरे-धीरे लंड डाला। “पच… पच… उफ्फ्फ… धीरे!” उसका 7 इंची लंड पूरी तरह घुस गया।
“कसकर धक्के मारो,” अमरीश ने कहा।
विवेक ने मेरे चूतड़ पकड़कर जोर से चोदा। “पच… पच… फच… फच… आह्ह्ह… फाड़ दे मेरी गाँड… और जोर से!” मैं चीख रही थी। मैंने अपनी चूत में उंगली डाली। “तेरी गाँड तो स्वर्ग है!” विवेक बोला।
“आह्ह्ह… मेरी चूत भी चोद… मैं गई!” मेरी चूत ने पानी छोड़ा। “मेरा भी छूट रहा है!” विवेक ने वीर्य मेरी गाँड में उड़ेल दिया। “आह्ह्ह… मम्म्म…” हम पसीने से तर थे। मैंने उसे चूमा।
अमरीश ने शूटिंग रोकी। “आज का आखिरी सीन। जल्द मिलेंगे। बाय।”
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“बाय,” मैंने कहा।
“फिर शूट करें?” अमित ने पूछा।
“हाँ,” हमने कहा।
अमित और अमरीश चले गए। मम्मी पापा आए। हम खाना खाकर सो गए। दो हफ्ते बाद विवेक बोला, “अमित और अमरीश दूसरी फिल्म करना चाहते हैं।”
“कब?” मैंने पूछा।
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“मम्मी पापा दो दिन बाहर जाएँगे,” उसने कहा।
शाम को मैं घर पहुँची। तीनों सोफे पर थे। “हाय, कैसे हो?” मैंने पूछा।
“ठीक हैं,” अमित बोला।
“ये कैमरा स्टैंड है,” अमरीश ने कहा।
“शूटिंग कहाँ?” मैंने पूछा।
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“यहीं,” अमरीश ने कहा।
कैमरा ऑन हुआ। “दोस्तों, मनीषा के साथ हैं।” मैंने हाथ हिलाया। “ये विवेक है।”
“शुरू हो जाओ,” अमरीश ने कहा।
विवेक ने मुझे चूमा। “म्म्म… चप…” हमारी जीभें खेल रही थीं। “गाँड दिखाओ,” अमरीश ने कहा।
मैंने पैंट, टॉप, ब्रा और पैंटी उतारी। पैंटी सूँघकर विवेक की ओर फेंकी। उसने सूँघी, “उफ्फ्फ… तेरी चूत की महक!” मैं सोफे पर लेटी, टाँगें कंधे पर रखीं। अमरीश ने गाँड पर जूम किया। “विवेक, गाँड तैयार करो।”
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विवेक ने उंगलियाँ गीली करके मेरी गाँड में डालीं। “आह्ह्ह… धीरे!” अमरीश ने कपड़े उतारे और मुझे गोद में उठाकर सोफे पर लिटाया। उसने लंड मेरी गाँड में डाला। “पच… पच… उफ्फ्फ… कितना मोटा है!”
“विवेक, चूत में डालो,” अमरीश ने मेरे मम्मे भींचते हुए कहा। विवेक ने लंड मेरी चूत में पेला। “आह्ह्ह… फाड़ दे मेरी चूत!” दोनों जोर से चोद रहे थे। “पच… पच… फच… फच… हाआआ… और जोर से… मेरी गाँड और चूत फाड़ दो!” मेरी साँसें उखड़ रही थीं।
अमरीश ने मुझे घोड़ी बनाया। उसने मेरी गाँड में वीर्य छोड़ा। “आह्ह्ह… मम्म्म…” उसने कैमरा मेरी गाँड पर जूम किया। “गाँड फैलाओ,” उसने कहा। मैंने फैलाई, वीर्य टपक रहा था। “विवेक, अब तू!”
विवेक ने लंड मेरे मुँह में दिया। “ग्लप… ग्लप…” फिर मेरी गाँड में पेला। “पच… पच… आह्ह्ह… फाड़ दे!” उसने वीर्य छोड़ा। “आह्ह्ह… मम्म्म…” मैंने उसका वीर्य चूसा। “अगली बार मिलेंगे,” मैंने कहा।
“दोस्तों, अब हम इस शूट को अगले लेवल पर ले जाते हैं!” अमरीश ने कैमरा जूम करते हुए कहा। “मनीषा, तैयार हो तीनों लंड एक साथ लेने के लिए?”
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मैंने उत्तेजना और हल्के डर के साथ मुस्कुराया, “हाँ, फाड़ दो मुझे… सब एक साथ आ जाओ!” मेरी चूत और गाँड पहले ही गीली और खुली हुई थी।
अमरीश ने कैमरा स्टैंड पर सेट किया और मेरे पास आया। मैंने घोड़ी बनने के लिए अपने घुटनों और हाथों पर पोजीशन ली। विवेक मेरे पीछे आया और उसने अपना 7 इंची लंड एक झटके में मेरी गाँड में पेल दिया। “आह्ह्ह… उफ्फ्फ… कितना मोटा है!” मैं चीख पड़ी, मेरी गाँड में जलन और मजा एक साथ हो रहा था। वो जोर-जोर से धक्के मारने लगा, “पच… पच… फच… फच… तेरी गाँड तो जन्नत है!”
उसी वक्त अमित मेरे सामने आया और अपना लंड मेरे मुँह में ठूंस दिया। “ग्लप… ग्लप… मम्म्म…” मैंने उसे गले तक लिया, मेरी लार उसके लंड पर चमक रही थी। वो मेरे बाल पकड़कर मेरा मुँह चोदने लगा, “आह्ह्ह… तेरे मुँह की गर्मी तो कमाल है, मनीषा!” मेरी साँसें उखड़ रही थीं, लेकिन मैं रुकी नहीं।
अमरीश नीचे लेट गया और मुझे अपनी छाती पर खींच लिया। उसने अपना मोटा लंड मेरी चूत में डाल दिया। “आह्ह्ह… ओह्ह्ह… मेरी चूत फट जाएगी!” मैं चीखी, उसका लंड मेरी चूत की दीवारों को रगड़ रहा था। अब तीनों एक साथ मुझे चोद रहे थे—विवेक मेरी गाँड में, अमरीश मेरी चूत में, और अमित मेरे मुँह में। “पच… पच… ग्लप… फच… आह्ह्ह…” कमरे में चुदाई की आवाजें और मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थीं।
“हाआआ… और जोर से… मेरी चूत और गाँड फाड़ दो… उफ्फ्फ… चोदो मुझे!” मैं पागलों की तरह चीख रही थी। मेरी चूत से पानी रिस रहा था, और मेरी गाँड विवेक के धक्कों से लाल हो गई थी। अमित ने मेरे मुँह से लंड निकाला और मेरे चेहरे पर थप्पड़ मारे, “ले रंडी, और चूस!” मैंने फिर उसका लंड चूसा, “म्म्म… कितना टेस्टी है!”
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“मनीषा, हम सब तेरे अंदर पानी छोड़ेंगे!” अमरीश ने मेरे मम्मों को नोंचते हुए कहा। “हाँ… उड़ेल दो… मेरी चूत, गाँड, मुँह… सब भर दो!” मैं सिसक रही थी।
पहले अमरीश का शरीर कड़ा हुआ, “आह्ह्ह… ले मेरा पानी!” उसने मेरी चूत में वीर्य की बौछार कर दी। “उफ्फ्फ… कितना गर्म है!” मेरी चूत उसके पानी से भर गई। उसी वक्त विवेक ने मेरी गाँड में धक्के तेज किए, “आह्ह्ह… मम्म्म… तेरी गाँड में मेरा पानी!” उसका वीर्य मेरी गाँड में टपकने लगा।
अमित ने मेरा मुँह चोदते हुए चीखा, “ले मनीषा, मेरा रस पी ले!” उसके लंड से गर्म वीर्य मेरे मुँह में गिरा। “ग्लप… म्म्म…” मैंने उसका सारा पानी निगल लिया और जीभ से होंठ चाटे, “आह्ह्ह… कितना नमकीन है!”
तीनों ने अपने लंड निकाले। मैं थककर सोफे पर गिर पड़ी, मेरी चूत और गाँड से वीर्य टपक रहा था। “कैमरे में देखो, मनीषा,” अमरीश ने कहा। मैंने कैमरे में मुस्कुराते हुए देखा, मेरे चेहरे पर अमित का वीर्य चमक रहा था। “दोस्तों, ये थी मनीषा की हार्डकोर चुदाई! अगली बार और मजा लेंगे!” मैंने हाथ हिलाया, “बाय-बाय!”
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