मेरा नाम प्रीति है, और यह कहानी मेरे जीवन के एक ऐसे पहलू की है, जो मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मेरे साथ घटेगा। मेरा छोटा भाई और भाभी… मैं कभी नहीं जानती थी कि वे दोनों मेरे जीवन को इस तरह बदल देंगे।
कहानी का पिछला भाग, भाभी की जुबानी: पति आर्मी में और मैं देवर से चुद गयी
उस रात जब मैं अपने कमरे में सो रही थी, मुझे एहसास भी नहीं था कि मेरा भाई, जिसे मैं हमेशा एक बच्चा मानती थी, मेरे साथ कुछ ऐसा करने की हिम्मत जुटाएगा। मैं अपनी पैंटी और ब्रा में थी, गर्मी की वजह से पूरी तरह आरामदायक।
थोड़ी देर बाद, मुझे कुछ अजीब महसूस हुआ। मैंने हल्की आहट सुनी, और जब मैंने आंखें खोलीं, तो देखा कि मेरा भाई मेरे पास खड़ा है। मैं हक्का-बक्का रह गई और गुस्से में उसे डांटने लगी।
“तुम यहां क्या कर रहे हो?” मैंने सख्ती से पूछा।
लेकिन वह बिना किसी डर के मेरी ओर बढ़ा। तभी मेरी भाभी दरवाजा बंद करके अंदर आ गईं। मैं और चौंक गई।
“भाभी, आप भी? क्या हो रहा है यह?” मैंने लगभग चिल्लाते हुए पूछा।
भाभी मुस्कुराते हुए बोलीं, “चुप हो जाओ, प्रीति। यह तुम्हारे लिए ही अच्छा है। बाहर के लड़कों से चुदवाने से अच्छा है कि घर में ही सब हो।”
मैं भौचक्की रह गई थी। भाभी की बातों ने मुझे पूरी तरह चौंका दिया था, लेकिन उनके चेहरे पर कोई हिचकिचाहट नहीं थी। उनके आत्मविश्वास भरे शब्दों ने मेरे गुस्से और शर्म को पिघलाना शुरू कर दिया था।
“भाभी, लेकिन यह गलत है,” मैंने धीमे स्वर में कहा, लेकिन मेरी आवाज में वो मजबूती नहीं थी जो होनी चाहिए थी।
भाभी मेरी ओर आईं और मेरे गाल पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “देखो प्रीति, तुम्हारी भाभी होने के नाते मैं तुम्हारे लिए बुरा नहीं चाहती। तुम्हें पता है कि तुम्हारा भाई तुम्हें चाहता है। और मैं नहीं चाहती कि वह बाहर जाकर कोई गलती करे। अगर घर में ही उसका मन लग जाए तो क्या बुरा है?”
उनकी बातों में एक अलग सा तर्क था, जो मेरे मन को कहीं न कहीं पिघला रहा था। मैंने भाई की ओर देखा। उसकी आंखों में वही भूख थी, जो मैंने पहले किसी और लड़के में देखी थी। लेकिन यह मेरा अपना भाई था, जिसे मैंने हमेशा एक बच्चा समझा था।
“भाभी, अगर कोई सुन लेगा तो?” मैंने धीरे से पूछा।
भाभी मुस्कुराईं और बोलीं, “किसी को कुछ नहीं पता चलेगा। सब सो रहे हैं। और फिर… जब पहली बार किसी ने तुम्हें चूमा था, तब क्या तुमने सोचा था कि कोई देखेगा?”
उनकी बातों से मैं लाल पड़ गई। हां, मैंने पहले भी बाहर के लड़कों के साथ समय बिताया था, लेकिन इस तरह घर के अंदर… अपने भाई के साथ, यह कल्पना से परे था।
भाभी ने धीरे से मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर पर बैठा दिया। भाई पास आकर बैठ गया। उसकी सांसें तेज हो रही थीं। मैं महसूस कर सकती थी कि वह कितना उत्तेजित था। भाभी ने धीरे से मेरे कंधे पर हाथ रखा और कहा, “छोड़ो प्रीति, बस इस पल को जीओ। यह तुम्हारा भाई है, बाहर का कोई लड़का नहीं।”
मैंने धीरे से सर झुका लिया। मुझे नहीं पता था कि मैं क्या कर रही थी, लेकिन मेरे शरीर ने विरोध करना छोड़ दिया था। भाई ने धीरे से मेरे गाल पर हाथ फेरा और मेरी आंखों में देखा। मैं उसकी आंखों में झांक रही थी, और फिर धीरे-धीरे उसने मेरे होंठों को चूम लिया।
उसका स्पर्श अनजान था लेकिन कहीं न कहीं परिचित भी। उसकी जीभ मेरे मुंह में धीरे-धीरे उतर रही थी, और मेरे हाथों ने जाने-अनजाने उसकी कमर को पकड़ लिया।
भाभी पास खड़ी थीं, मुस्कुरा रही थीं। “अभी तो बस शुरुआत है, प्रीति। यह रात बहुत लंबी है,” उन्होंने कहा और धीरे-धीरे मेरा ब्रा का हुक खोलने लगीं।
मैंने महसूस किया कि मेरी सांसें तेज हो रही थीं, और मेरा दिल तेजी से धड़कने लगा था। भाभी के हाथ जब मेरी ब्रा का हुक खोल रहे थे, तो मेरे भीतर एक अजीब सी सिहरन दौड़ रही थी।
“भाभी…” मैंने हल्के से विरोध करने की कोशिश की, लेकिन मेरी आवाज कमजोर थी, मानो मैं खुद ही चाहती थी कि वह न रुकें।
“कुछ मत सोचो, प्रीति। बस इसे महसूस करो,” भाभी ने मेरे कान में फुसफुसाया, और उनके शब्दों में एक अलग सा जादू था।
मेरी ब्रा धीरे-धीरे उतर गई, और मैं अपने भाई के सामने आधी नंगी बैठी थी। उसका लंड लोवर के अंदर से साफ दिख रहा था, जैसे बाहर आने के लिए बेचैन हो। उसकी नजरें मेरे खुले हुए सीने पर जमी हुई थीं।
भाई ने धीरे-धीरे अपना हाथ आगे बढ़ाया और मेरी चूचियों को हल्के से सहलाने लगा। उसके स्पर्श से मेरे होंठों से एक हल्की सिसकारी निकल गई।
“आह… अंकित…” मैंने अनजाने में उसका नाम लिया।
भाभी पास खड़ी थीं और मुस्कुराते हुए इस दृश्य का आनंद ले रही थीं।
“देखो प्रीति, तुम्हें अच्छा लग रहा है न? बस अब खुद को रोकना मत,” उन्होंने कहा और धीरे से मेरी पैंटी की इलास्टिक पर उंगली फेरने लगीं।
मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया था, लेकिन मैं रुकने वाली नहीं थी। मेरे शरीर ने पूरी तरह से भाभी और भाई के हाथों में समर्पण कर दिया था।
अंकित ने धीरे से मेरी चूचियों को अपने हाथ में भर लिया और हल्के से दबाने लगा। उसकी पकड़ मजबूत होती जा रही थी, और मेरी सांसें और तेज हो रही थीं।
“भाभी, बहुत मुलायम हैं…” अंकित ने कहा, मानो पहली बार किसी औरत के शरीर को छू रहा हो।
“अब तुम्हारी हैं, अंकित। जितना चाहो, इनसे खेलो,” भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा और मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींच दिया।
मुझे खुद पर यकीन नहीं हो रहा था कि मैं ये सब होने दे रही थी, लेकिन मेरे भीतर उठ रही गर्मी ने हर तर्क को दबा दिया था।
अब मैं उनके सामने पूरी तरह नंगी थी। अंकित की नजरें मेरी चूत पर जम गईं, और उसने हल्के से अपने होंठ काट लिए।
“बहुत सुंदर है, भाभी,” उसने कहा।
भाभी ने मेरी जांघों को हल्के से सहलाते हुए कहा, “अब इसे चाटकर देखो। तुम्हारी बहन है, लेकिन अब तुम्हारी औरत भी है।”
अंकित झुका और उसकी जीभ मेरी चूत को छू गई। जैसे ही उसकी गर्म सांसें वहां महसूस हुईं, मेरे पूरे शरीर में बिजली दौड़ गई।
“आह… अंकित… और… मत रुको…” मैंने पहली बार खुलकर अपने मन की बात कही।
उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को छू रही थी। भाभी मेरी चूचियों को मसल रही थीं और मेरे होंठों को चूम रही थीं।
पूरा कमरा हमारी सिसकारियों से भर गया था।
अंकित की जीभ जैसे-जैसे मेरी चूत के अंदर गहराई तक उतरती जा रही थी, मेरे पूरे बदन में एक अलग ही नशा छा रहा था। उसकी हर हलचल मेरे भीतर सिहरन पैदा कर रही थी।
प्रिया भाभी मेरे ऊपर झुक गईं और मेरे होंठों को चूसने लगीं। उनके मुलायम होंठों की गर्मी ने मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर दिया था। मेरी उंगलियां अनजाने में अंकित के बालों में गड़ गईं और मैंने उसे अपनी चूत के और करीब खींच लिया।
“आह… अंकित… ऐसे ही… और अंदर…” मैं खुद को रोक नहीं पा रही थी।
अंकित की जीभ मेरी चूत के हर हिस्से को चाट रही थी। वह बीच-बीच में अपने होंठों से मेरी चूत के ऊपर वाले हिस्से को चूसता और फिर गहराई तक जीभ डाल देता। मेरी टांगें अब उसके सिर को और जोर से दबा रही थीं।
प्रिया भाभी ने मेरे निप्पल को अपने मुंह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे निप्पल के चारों तरफ गोल-गोल घुम रही थी, जिससे मेरी सांसें और तेज हो गईं।
“प्रीति… तू बहुत गर्म है… तेरे भाई का तो आज मजा लग गया,” प्रिया भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैं केवल कराहते हुए उनकी बात का जवाब दे रही थी।
अंकित ने अपना लोवर उतार दिया। उसका लंड पूरी तरह तन कर खड़ा था। उसकी मोटाई देखकर मेरी चूत और ज्यादा भीगने लगी थी।
प्रिया भाभी ने अंकित का लंड पकड़ा और उसे मेरी चूत के पास लाकर धीरे-धीरे रगड़ने लगीं।
“देख प्रीति, आज तेरा भाई तुझे पूरी तरह चोदने वाला है। तैयार हो?” उन्होंने मेरी आंखों में देखते हुए पूछा।
मैंने शर्माते हुए अपनी आंखें बंद कर लीं और धीरे से सिर हिला दिया।
अंकित ने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के अंदर हल्के से धकेला। जैसे ही उसकी टिप ने मेरी चूत में एंट्री ली, मेरे मुंह से एक जोर की सिसकारी निकल गई।
“आह… अंकित… धीरे… बहुत मोटा है…” मैंने कहा।
प्रिया भाभी ने मेरे बालों में हाथ फेरते हुए कहा, “आराम से कर, अंकित। पहली बार है।”
अंकित धीरे-धीरे अपना लंड अंदर डालता जा रहा था। मेरी चूत पूरी तरह से उसके लंड को कस कर पकड़ रही थी। जैसे ही उसका पूरा लंड अंदर गया, मेरे मुंह से अनायास ही आहें निकल गईं।
“आह… आह… पूरा अंदर चला गया…”
अंकित कुछ पल के लिए रुका और मेरी आंखों में देखने लगा। “भाभी, बहुत टाइट है…” उसने कहा।
“तो धीरे-धीरे पेल, मजा आएगा,” प्रिया भाभी ने हंसते हुए कहा और मेरी चूचियों को जोर से मसलने लगीं।
अंकित ने धीरे-धीरे अपनी कमर को हिलाना शुरू किया। हर बार जब वह अपने लंड को बाहर निकालकर वापस अंदर धकेलता, मेरी चूत और ज्यादा भीग जाती थी।
“आह… अंकित… तेज कर…” मैंने उसके कूल्हों को अपने हाथों से पकड़कर उसे और गहराई तक धकेलने की कोशिश की।
अंकित अब जोर-जोर से मेरी चूत में ठोकने लगा था। प्रिया भाभी मेरी निप्पल को चूस रही थीं और उनकी उंगलियां मेरी गांड के पास घूम रही थीं।
“भाभी… आप भी कर दो…” मैंने फुसफुसाते हुए कहा।
प्रिया भाभी ने मेरी गांड पर उंगली रख दी और धीरे-धीरे उसे अंदर डालने लगीं। अंकित का लंड मेरी चूत में था और प्रिया भाभी की उंगली मेरी गांड में। यह अहसास इतना तीव्र था कि मेरे पूरे शरीर में एक अलग सी उत्तेजना भर गई थी।
“आह… आह… भाभी… अंकित… मत रुको…”
अंकित अब पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था। उसकी हर thrust मेरे पूरे बदन को झनझना रही थी।
करीब 10 मिनट तक लगातार चोदने के बाद अंकित ने कहा, “भाभी… अब मैं झड़ने वाला हूं…”
“झड़ जा, अंकित। प्रीति की चूत के अंदर ही पानी छोड़ दे,” प्रिया भाभी ने कहा।
अंकित ने दो और जोर के धक्के मारे और मेरे अंदर ही अपना पूरा पानी छोड़ दिया। उसके गर्म वीर्य की गर्माहट मैंने अपनी चूत के अंदर महसूस की।
हम तीनों बिस्तर पर पसीने से लथपथ पड़े थे।
अंकित मेरे ऊपर से उतर गया और मेरे पास लेट गया। प्रिया भाभी ने मेरी चूचियों को सहलाते हुए कहा, “आज तो तूने अपने भाई को पूरा मस्त कर दिया। अब हर रात इसी तरह मस्ती करेंगे।”
मैंने शर्माते हुए सिर हिलाया।
“अगली बार तेरी गांड मारेगा, अंकित। तैयार रहना,” प्रिया भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा।
मैंने आंखें बंद कर लीं और सोचने लगी कि यह सब कितना गलत था, लेकिन मेरे अंदर की प्यास ने हर तर्क को पीछे छोड़ दिया था।
उस रात के बाद, हमारे बीच कुछ भी पहले जैसा नहीं रहा।
आगे की कहानी भाई की जुबानी: माँ को बस में गरम करके गांव लेजाकर चोदा
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