Pyasi bhabhi sex story – Devar bhabhi sex story: हैलो फ्रेंड्स, मेरा नाम देव है और मैं दिल्ली का रहने वाला हूं. मेरी उम्र 27 साल है और हाइट 5 फुट 6 इंच है. लंड नपा हुआ 6 इंच का है.
आज मैं जो घटना बताने जा रहा हूं, वो मेरे जीवन की सच्ची घटना है. यह घटना आज से करीब 2 साल पहले की है, जब मैं अपने चाचा के घर भोपाल मध्यप्रदेश में एग्जाम के सिलसिले में गया था. मेरे चाचा भोपाल में रहते हैं. उनके दो लड़के हैं. बड़े भाई राम की उम्र 30 साल और छोटे भाई श्याम की उम्र 27 साल की है. राम और श्याम भैया दोनों एक ही कंपनी में काम करते हैं.
यह बात उन दिनों की है, जब राम भैया की शादी को 8 महीने हुए थे.
मैंने भोपाल स्टेशन पहुंचते ही देखा कि चाचा जी मुझे लेने आए थे. मेरे आने से पहले मां ने चाचा जी को बता दिया था कि मैं आने वाला हूं. इसके लिए उन्होंने वहां रहने के लिए मुझे काफी बार कहा भी था. आज उनकी इसी चाहत के कारण मुझे एग्जाम तक वहीं रुकना पड़ा.
वहां जाते ही चाचा चाची ने मुझे खूब प्यार किया, साथ ही उनके बेटे श्याम और राम भैया और राम भैया की वाइफ यानी नताशा भाभी भी मुझसे बड़े स्नेह से मिले.
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नताशा भाभी के बारे में बताना चाहूंगा. नताशा भाभी की उम्र 25 साल की है. उनकी हाइट 5 फुट है. भाभी जरा मांसल हैं. भाभी की गांड जरा बड़ी है, जिसको देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए. आगे सीने पर उनके दो बड़े-बड़े आम तने हैं, जिन्हें देखते ही चूसने का मन करता है. शुरू में नताशा भाभी को लेकर मेरे मन में कोई गलत विचार नहीं थे, पर दो दिन बाद ऐसा हुआ, जो मैंने सोचा ही नहीं था.
मुझे भाई भाभी के साथ वाला कमरा दिया हुआ था, जो पहली फ्लोर पर था. उधर एक टॉयलेट और दो कमरे बने थे. एक में भैया भाभी रहते थे, दूसरे में मुझे ठहराया गया था. इस कमरे में एक खास बात ये थी कि बगल के कमरे में हो रही बात अगर दीवार से कान लगाकर सुनी जाए, तो सब सुनाई पड़ता है.
तीसरे दिन जब मैं खाना खाकर सोने के लिए गया, तो मैंने देखा भाभी के कमरे से कुछ आवाज आ रही है. मैंने कान लगाकर सुनने की कोशिश की. भाभी भाई से कह रही थीं- तुमसे कभी कुछ नहीं होता, तुम्हें बस अपना-अपना दिखता है, मैं वैसी प्यासी की प्यासी रह जाती हूं.
यह सुनकर मैं हैरान हुआ. भाई बस भाभी को चुप कराने में लगे हुए थे, लेकिन भाभी चुप होने का नाम ही नहीं ले रही थीं. फिर थोड़ी देर बाद भाभी रोने लगीं और भाई भाभी को चुप कराने लगे. इस बीच मुझे कब नींद आ गई, मुझे पता नहीं चला.
सुबह जब मैं उठा, तो मेरे दिमाग में वही सब बातें चल रही थीं, जिस कारण मेरा लंड काफी टाइट पोजिशन में सीधा खड़ा हो रहा था और मेरे निक्कर के ऊपर से ही उभरकर दिख रहा था. मैं सोते वक्त अंडरवियर उतारकर एक पतले से निक्कर में सोता हूं, जिस वजह से मेरा खड़ा लंड पूरा दिखाई देता है.
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अभी मैं ये सब सोच ही रहा था कि तभी अचानक मैंने मेरे कमरे की तरफ आती हुई पायल की आवाज सुनी. मैं जल्दी से आंख बंद करके सोने का नाटक करने लगा. मैंने थोड़ी आंख खोलकर देखा कि भाभी नाश्ते की प्लेट रखकर मेरे फूले हुए लंड को निहार रही थीं, जो कि पहले से ही काफी देर से खड़ा था.
भाभी थोड़ा पास आईं और झुककर बड़े गौर से मेरे फूले हुए लंड को देखने लगीं, जैसे उन्होंने इतना बड़ा लंड कभी देखा ही न हो. देखते ही देखते भाभी का एक हाथ उनकी चूत पर आ गया और वे अपनी चूत को ऊपर से ही सहलाने लगीं.
थोड़ी देर बाद भाभी मुझे आवाज देते हुए कमरे से निकल गईं. फिर मैंने उठकर नाश्ता किया और थोड़ी देर बाद निक्कर वहीं उतारकर तौलिया पहनकर टॉयलेट की तरफ आ गया. मैं जैसे ही टॉयलेट में घुसा, मेरे पैरों तले जमीन खिसक गई. मैंने देखा वहां पहले से ही भाभी थीं और अपनी चूत की झांटें साफ कर रही थीं. उनका सर नीचे चूत की तरफ था, जिससे शायद भाभी को मेरे आने का पता नहीं चला. शायद भाभी दरवाजा लॉक करना भूल गई थीं या जानबूझकर ऐसा किया था, मुझे नहीं मालूम.
जब मैंने दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया, तो दरवाजा खुल गया था. इसके बाद जो नजारा मेरी आंखों के सामने था, उसे देखकर मेरी गांड फट गई थी.
चूंकि भाभी ने मुझे नहीं देखा, या देखने की कोशिश नहीं की, क्योंकि भाभी चूत की शेविंग बनाने में इतनी तल्लीन हो गई थीं कि मैं उनके सामने खड़ा दो मिनट तक देखता रहा था.
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भाभी की मदमस्त देह देखकर और उनकी बिल्कुल गोरी चिट्टी चूत देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया. इस वजह से मेरी तौलिया में लंड ने टेंट बना दिया. मेरा मन करने लगा कि अभी के अभी भाभी की चूत में लंड पेलकर चूत फाड़ दूं.
दो मिनट के बाद जैसे ही भाभी ने ऊपर देखा और घबराते हुए कहा- तूम.. यहां!
भाभी अपने बड़े-बड़े चूचों को और चूत छुपाने की नाकाम कोशिश करने में लग गईं.
जैसे ही सॉरी कहते हुए मैं आगे बढ़ा, मेरा तौलिया खुलकर नीचे गिर गया. मेरे खड़े लंड को देखकर भाभी की दोनों आंखें बड़ी हो गईं और उनके दोनों हाथ मुंह पर आ गए.
भाभी बिल्कुल शांत रहकर मेरे खड़े लंड को देखती रहीं. मैंने अचानक अपना तौलिया उठाकर लंड के ऊपर रख लिया और भाभी से सॉरी कहने लगा.
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मैं- भाभी आई एम सो सॉरी, मुझे नहीं पता था कि अंदर आप हो.
भाभी- तुम अंदर कैसे आए, क्या दरवाजा लॉक नहीं था?
मैं- नहीं भाभी, लॉक होता तो अंदर कैसे आ जाता?
भाभी- हम्म, मैं ही आज डोर लॉक करना भूल गई होऊंगी.
मैं- सॉरी भाभी जो हुआ, मुझसे गलती से हुआ.
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भाभी- गलती तुम्हारी है ही, तुम्हारे चक्कर में ही ये सब हुआ है.
मैं- मेरे चक्कर में? वो कैसे भाभी, मैं समझा नहीं?
भाभी मेरे लंड की तरफ इशारा करते हुए कहने लगीं- इसको देखो अभी भी खड़ा हुआ है, सुबह जब मैं तुम्हारे कमरे में आई, तब तुम्हारा यही लंड मुझे घूर रहा था, मन कर रहा था कि पकड़कर खा जाऊं इसे, यही सोच रही थी कि निक्कर में इतना तगड़ा दिख रहा है तो बिना निक्कर का कैसा होगा, बस इसके चक्कर में शायद डोर लॉक करना भूल गई और शेविंग करने लगी. इतने में तुम आ गए और साथ ही इसके दर्शन करवा दिए.
मैं- क्यों भाभी, भैया का इतना बड़ा नहीं है क्या?
भाभी- उनका लंड तुम्हारे लंड का आधा है वैसे भी तुम्हारा लंड मोटा भी काफी है, जिस किसी की भी चूत में जाएगा, फाड़ के रख देगा.
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यह कहकर भाभी हंसने लगीं, साथ ही मैं भी हंसने लगा.
मैं- प्लीज जो आज हुआ भाभी, ये बात किसी को मत बताना.
भाभी- ओके, पर एक शर्त पर.
मैं- कौन सी शर्त भाभी?
भाभी ने मेरा लंड तौलिया के ऊपर से ही पकड़ते हुए कहा- इसे मेरी चूत में डालना होगा.
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यह कहकर भाभी ने तौलिया खींच लिया और मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले उन्होंने नीचे बैठते हुए मेरे लंड को पकड़कर अपने मुंह में भर लिया और चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गी.. गों.. गों.. गोग, जैसे लंड को पूरा निगलने की कोशिश कर रही हों.
भाभी इस तरह से लंड चूस रही थीं, जैसे मानो लंड चूसाई में बहुत एक्सपर्ट हों. मेरा लंड एक लोहे की रॉड की तरह हो गया, जिसे भाभी ने चूस-चूसकर और कड़क कर दिया था. भाभी का इस तरह लंड चूसना मानो कोई परमसुख की प्राप्ति हो, भाभी जिस तरह मेरे लंड को पकड़कर मुंह में आगे-पीछे कर रही थीं, उससे लग रहा था कि वे मेरा सारा रस पी जाने को व्याकुल थीं.
तभी अचानक मेरे लंड से वो रस निकल ही गया, जिसे भाभी ने बड़ी शिद्दत से चूसने का मन बना लिया था. लंड से रस की पिचकारी निकलते ही भाभी ने मुंह से लौड़ा निकाला, जिससे कि मेरा सारा माल उनके मम्मों पर गिर गया.
भाभी ने मेरे लंड रस को अपने मम्मों पर मलते हुए मेरे लंड को ऊपर से साफ कर दिया.
मैंने भाभी से पूछा- भाभी, आपको लंड चूसना इतना पसंद है, फिर तो भैया का लंड तो आप बिल्कुल नहीं छोड़ती होगी?
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भाभी ने कहा- नहीं, तुम्हारे भैया का लंड इतनी देर तक खड़ा ही नहीं रहता है, मुंह में लेते ही वो अपना सारा रस निकाल देते हैं और फिर मेरी ये बेचारी चूत प्यासी की प्यासी रह जाती है. पर आज ये चूत प्यासी नहीं रहेगी क्योंकि आज इसको बहुत मोटा लंड खाने को मिलेगा, जिसे ये खाकर अपनी प्यास बुझाएगी. चलो आज तुम्हारे लंड की खैर नहीं.
इतने में राम भैया भाभी को पुकारने लगे, जो कि भाभी और मैंने सुन लिया था.
तो भाभी ने कहा- तुम्हारे भैया को ड्यूटी भेजकर खेल करते हैं. अभी उनको ड्यूटी जाना है.
फिर भाभी कपड़े पहनकर चली गईं.
थोड़ी देर बाद भैया के साथ चाचा जी और श्याम भैया भी ड्यूटी के लिए निकल गए. उन सब के जाने के दस मिनट बाद चाची भी पड़ोस में चली गईं.
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मेरे पूछने पर भाभी ने बताया कि चाची आजकल पास में अपने भांजे की बहू से मिलने जाती हैं.
कुछ देर बाद चाची के जाते ही मैं अपने कमरे में आया और देखा कि भाभी मैक्सी पहने मेरे कमरे में बैठी हुई हैं. भाभी की मैक्सी काफी झीनी थी, ऊपर से भाभी ने ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी, जिस कारण उनके बड़े-बड़े चुचे साफ-साफ दिख रहे थे.
भाभी के चुचे देखकर मेरा सोया हुआ लंड फिर से खड़ा होने लगा. मेरे फन उठाते लंड को भाभी ने भी देख लिया और उनके चेहरे पर हल्की सी स्माइल आ गई.
मेरे भाभी के पास आते ही भाभी मेरे ऊपर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ीं. भाभी की मैक्सी के ऊपर से ही मैंने उनके बड़े-बड़े चुचे मसले और मैक्सी उतारकर उनको दोनों चूचों को आजाद कर दिया.
इसी बीच भाभी ने मेरा निक्कर उतारकर मेरे लंड पकड़कर जोरों से दबाने लगीं.
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हम दोनों बिस्तर पर गुत्थम गुत्था हो गए. मैंने भाभी के चूचों को पकड़कर होंठों को बहुत बुरी तरह चूमना शुरू कर दिया. भाभी मेरे खड़े लंड को दबाए जा रही थीं. फिर भाभी लंड को पकड़कर उसके करीब मुंह लाकर लंड चूसने लगीं, ग्ग्ग्ग.. ग्ग्ग्ग.. गी.. गों.. गोग, जैसे पूरी गहराई तक ले रही हों.
मैंने भी 69 में आकर भाभी की टांगों को फैला दिया और उनकी झांट रहित गुलाबी चूत पर अपने होंठ रख दिए, आह इह्ह ओह्ह ओह, आह.. ह्ह्ह.. इह्ह, जैसे भाभी सिसकारियां ले रही हों.
इस 69 की पोजिशन में भाभी ने मेरा लंड चूस-चूसकर मेरा लंड लाल कर दिया. मैंने भी भाभी की चिकनी चूत को बुरी तरह चाटी, आह ह ह ह ह्हीईई आअह्ह्ह्ह, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई, भाभी की सिसकारियां बढ़ती गईं.
भाभी का पानी निकलते ही वे उठकर कहने लगीं- देव, अब जल्दी से पेल दो अपना लंड, मेरी चूत से बर्दाश्त नहीं हो रहा है.
मैंने भाभी को सीधा चित्त लेटाया और अपना लंड उनकी चूत पर सेट करके उनकी गांड पकड़कर अंदर की तरफ धक्का दे मारा. मेरा थोड़ा सा लंड ही भाभी की चूत के अंदर क्या घुसा, भाभी की आंखें फैल गईं, उनकी दर्द के मारे चीख निकल गई.
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मैंने फौरन उनके मुंह पर हाथ रखा और दूसरा जोरदार झटका दे मारा, जिससे मेरा आधा लंड भाभी की चूत में समा गया. भाभी जल बिन मछली की तड़फ उठीं- उम्म्ह… अहह… हय… याह… हाय राम मार डाला देव, तेरे इस मोटे लंड ने तो मेरी चूत फाड़ दी, प्लीज देव धीरे घुसाओ, तुम्हारा लंड बहुत मोटा है.
मैं- ठीक है भाभी.
मैंने धीरे-धीरे भाभी को चोदने की स्पीड बढ़ाई और भाभी की चूत में आहिस्ता-आहिस्ता अपना पूरा लंड घुसा दिया. कुछ देर की पीड़ा के बाद भाभी अब मेरे लंड के मजा ले रही थीं- देव, सच में तुम्हारा लंड बड़ा तगड़ा है, मेरी चूत का तो तुमने भोसड़ा बना दिया है, आह.. और जोर-जोर से चोदो मुझे, आह..
मैं- भाभी, आपकी चूत इतनी टाइट है कि ऐसा लग रहा है, जैसे मैंने ही आपकी चूत की सील तोड़ी हो.
कुछ पांच मिनट की चुदाई के बीच में ही भाभी ने अपना सारा पानी मेरे लंड पर छोड़ दिया. मैं गांड उठा-उठाकर भाभी को चोदता रहा.
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इस तरह भाभी एक बार और झड़ गई थीं. फिर मैंने भाभी को लंड पर बैठाने की मंशा जाहिर की. भाभी उठकर अपनी फूली हुई चूत को मेरे लंड पर टिकाकर बैठ गईं. मेरा लंड भाभी की चूत को चीरता हुआ उनकी चूत की गहराइयों में समा गया.
फिर इस आसन में मैंने भाभी को जमकर अपने लंड पर कुदाया. भाभी भी उछल-उछलकर लंड के मजा ले रही थीं, आह्ह.. ह्ह.. आऊ.. ऊऊ.. ऊउइ ..ऊई ..उईईई, जैसे हर धक्के पर सिसकारियां भर रही हों. भाभी ने फिर से लंड पर अपना सारा पानी निकाल दिया, जिससे मेरा लंड, मेरी जांघें सारी जगह भाभी के पानी से गीली हो गईं.
मैंने भाभी को लेटाकर उनके दोनों पैर अपने कंधों पर रखे, इससे भाभी की चूत पूरी तरह से खुल गई थी. फिर मैंने भाभी की चूत में लंड घुसाकर उन्हें खूब चोदा. कुछ देर बाद मैंने भाभी की चूत को अपने रस से भर दिया.
चुदाई होने के बाद भाभी ने मुझे बहुत प्यार किया और इस तरह भाभी के साथ मैंने दो दिन तक खूब चुदाई का मजा लिया. मैंने भाभी की छोटी सी चूत का भोसड़ा बना दिया था.
फिर एग्जाम खत्म होने के बाद मैं वापस दिल्ली आ गया. दो दिन बाद भाभी का कॉल आया और उन्होंने बताया कि वे मुझे कितना मिस करती हैं.
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भैया के लंड से भाभी अब भी कितनी प्यासी हैं. एग्जाम के 6 महीने बाद भाई भाभी दिल्ली आए. दिल्ली में उनकी काफी सहेलियां रहती हैं.
अगली सेक्स स्टोरी में मैं आपको लिखूंगा कि कैसे ना-ना करके भाभी ने अपनी गांड मरवायी और कैसे अपनी शादीशुदा सहेली को भी मुझसे चुदवा दिया.
मेरी अडल्ट सेक्स स्टोरी पढ़ने के लिए धन्यवाद.
कहानी का अगला भाग: भाभी जी लंड पर हैं
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