भाभी की मटकती गांड

हेलो दोस्तों, मेरा नाम अभि है, उम्र 23 साल, और मैं पटना, बिहार से हूँ। लंबाई 5 फीट 10 इंच, रंग गोरा, और बदन जिम में कसरत से तराशा हुआ। हर जवान लड़के की तरह मेरा भी सपना था कि किसी हसीन, मस्त, जवान औरत के साथ रंगरलियाँ मनाऊँ, उसकी चूत का रस चखूँ, और उसकी भारी-भारी गांड को थामकर मजे लूँ। हर बार जब मैं किसी भाभी के ब्लाउज में कैद उनकी कसी-कसी चूचियों को हिलते देखता, मेरा लंड तन जाता। मन करता कि कब इनके ब्लाउज के बटन खोलूँ, उनकी ब्रा उतारूँ, और उन चूचियों को अपने हाथों में दबाकर मसलूँ। उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसूँ और उनकी गांड को थपथपाकर लाल कर दूँ। मोहल्ले की हर गोरी, चिकनी, और मादक भाभी को देखकर मेरे मन में यही ख्याल आता कि ये रात को अपने पति के लंड की सवारी करके कितना मज़ा लेती होंगी, कैसे जन्नत की सैर करती होंगी।

मोहल्ले की भाभियों से मेरी अच्छी बनती थी। कोई भी काम हो, उनका ये देवर हमेशा तैयार रहता। चाहे सामान लाना हो या कोई छोटा-मोटा काम, मैं हाज़िर। लेकिन मेरी नज़र हमेशा उनकी मटकती कमर और भारी चूतड़ों पर रहती। एक बार मेरे दूर के भैया, रमेश, जो 30 साल के थे, अपनी पत्नी रीना भाभी के साथ हमारे घर रहने आए। रीना भाभी, उम्र 26 साल, गोरी, लंबाई 5 फीट 6 इंच, और बदन ऐसा कि देखते ही लंड सलामी देने लगे। उनकी चूचियाँ 34D की थीं, जो ब्लाउज में हमेशा उभरी रहतीं, और उनकी गांड इतनी भारी और मटकती थी कि चलते वक्त हर कदम पर लहराती थी। भाभी की मुस्कान और उनकी आँखों की चमक ऐसी थी कि किसी का भी दिल धड़क जाए।

बात एक रात की है। गर्मी की वजह से नींद नहीं आ रही थी। मैं बेचैन होकर बाहर आँगन में टहलने निकला। सामने भैया-भाभी के बेडरूम की खिड़की से ट्यूबलाइट की हल्की रोशनी बाहर आ रही थी। खिड़की पर पर्दा था, लेकिन एक दरवाजा हल्का खुला था ताकि हवा आ-जा सके। मैंने सोचा, भैया इतनी रात को क्या पढ़ रहे हैं? जिज्ञासा में मैं दबे पाँव खिड़की के पास गया और नीचे से झाँककर अंदर देखा। जो नज़ारा देखा, मेरी साँसें थम गईं।

रीना भाभी पूरी नंगी पेट के बल लेटी थीं। उनकी मटकती, गोल, मसालेदार गांड ऊपर की ओर उभरी थी, जैसे कोई मखमली तकिया हो। भैया उनकी पीठ पर सरसों का तेल लगाकर मालिश कर रहे थे। उनके हाथ धीरे-धीरे भाभी के चूतड़ों पर फिसल रहे थे, और वो उनकी गांड को मसल रहे थे। भाभी के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह्ह… स्स्स्स… ह्ह्हम्म…”। जब भैया अपनी उँगली पर तेल लगाकर भाभी की गांड के छेद में धीरे-धीरे डालते, तो भाभी बोल उठतीं, “अरे धीरे बाबा, दर्द होता है!” भैया उनकी जाँघों पर बैठे थे, लुंगी में लिपटे हुए, और दोनों हाथों से भाभी के चूतड़ों को मसल रहे थे। भाभी की सिसकारियाँ सुनकर लग रहा था कि वो इस मालिश से बहुत मज़ा ले रही थीं।

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मैंने देखा, भैया अब हल्के से नीचे लेट गए और पीछे से भाभी की गांड पर अपनी जीभ फेरने लगे। भाभी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आआह्ह… ओह्ह…”। भैया ने उनके चूतड़ों को और फैलाया, जिससे भाभी की चूत दो फाँकों में बँट गई। उनकी गुलाबी चूत का छेद साफ दिख रहा था। भैया ने अपनी उँगली उसमें डाल दी और अंदर-बाहर करने लगे। भाभी को जैसे नशा चढ़ रहा था, उनकी आँखें बंद थीं, और वो मादक सिसकारियाँ ले रही थीं। फिर भैया भाभी के चूतड़ों के नीचे आए और अपनी जीभ से उनकी चूत को चाटने लगे। लप-लप की आवाज़ के साथ भाभी की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “उफ़्फ़… आह्ह… और चाटो… हाय!” उनकी साँसें गर्म और भारी थीं।

फिर भाभी पीठ के बल लेट गईं। भैया ने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी गोल, मांसल जाँघों की मालिश शुरू की। उनकी चूत के दोनों होंठों को अँगूठे से रगड़ा, फिर ढेर सारी थूक डालकर चूत को चिकना कर दिया। भैया ने अपनी जीभ से चूत को रगड़-रगड़कर लाल कर दिया, और उँगली तेजी से अंदर-बाहर करके चूत को गीला कर दिया। भाभी की झाँटें, जो हल्की काली और घुंघराली थीं, भैया ने अपने होंठों में दबाकर हल्के से खींचीं। भाभी को इससे और नशा चढ़ गया। उनकी चूत की सुंदरता देखते ही बनती थी। ये नज़ारा इतना मादक था कि मेरा 7 इंच का लंड चड्डी में तनकर कुटुब मीनार की तरह खड़ा हो गया। चड्डी गीली हो गई थी, क्योंकि लंड ने पानी छोड़ दिया था।

मेरा मन कर रहा था कि अभी भाभी को चोद दूँ। मैंने देखा, भैया अब भाभी के सिर की तरफ गए और उनकी चूत में जीभ से खेलने लगे। भाभी ने भैया का 6 इंच लंबा और मोटा लंड पकड़ लिया और उसके गुलाबी सुपारे को अपनी जीभ से चाटने लगीं। “हम्म… ओह… कितना मज़ा आ रहा है,” भाभी बोलीं। थोड़ी देर बाद भाभी ने भैया का लंड मुँह में ले लिया और धीरे-धीरे चूसने लगीं। “हम्म… स्स्स… और चूसो,” भैया बोले। भाभी ने लंड को मज़बूती से पकड़कर पूरा खड़ा कर दिया।

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अब भैया ने भाभी की चूत फैलाई और अपने लंड को अंदर डाला। “खप-खप” की आवाज़ के साथ लंड उनकी नरम, रेशमी चूत की गहराई में समा गया। भैया ने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए, और भाभी को जन्नत की सैर करवाने लगे। “आह्ह… और जोर से… हाय… चोदो मुझे,” भाभी सिसकारते हुए बोलीं। फिर भाभी ने कहा, “अब गांड भी मारो ना!” भैया ने लंड को चूत से निकाला और गांड के छेद पर लगाकर धक्का मारा। “आह्ह… धीरे… उफ़्फ़,” भाभी चीखीं। भैया ने गांड की धुनाई शुरू की और 3-4 मिनट में झड़ गए। उनके लंड से गर्म वीर्य का फव्वारा निकला, जिसे देखकर मेरा लंड भी फिर से गीला हो गया। लेकिन मैं क्या करता? दबे पाँव वापस आकर सो गया। उस रात बड़ी मुश्किल से कटी। मैंने ठान लिया कि मुझे भी भाभी की गांड मारनी है।

कुछ दिन बाद मौका मिल गया। एक दिन घर में कोई नहीं था, सब शादी में गए थे। मैं अचानक भाभी के बेडरूम में जा पहुँचा। भाभी नहाकर टॉवल लपेटे हुए बाहर निकली थीं। मुझे देखकर वो मुस्कुराईं और बोलीं, “अरे अभि, तू यहाँ? आज घर में कोई नहीं है, कल तक बस हम दोनों अकेले हैं।” उनकी मुस्कान में एक शरारत थी। मैंने कहा, “हाँ भाभी, जानता हूँ। वैसे, आप बहुत सुंदर हो।” भाभी हँसीं और बोलीं, “आज इतनी तारीफ क्यों?” मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “भाभी, आज मेरी दिल की तमन्ना पूरी कर दो।” “क्या है तेरी तमन्ना?” भाभी ने कातिलाना अंदाज़ में पूछा।

मैंने कहा, “भाभी, आपकी गांड मारना चाहता हूँ। इतनी मटकती, भरी-भरी, गोरी गांड मैंने कभी नहीं देखी। आपकी खूबसूरती की कसम, ज़िंदगी भर आपका गुलाम रहूँगा।” ये कहते हुए मैं उनके टॉवल से लिपट गया और उन्हें अपनी बाहों में उठा लिया। टॉवल नीचे गिर गया, और भाभी गुलाबी ब्रा और पैंटी में थीं। उनकी चूचियाँ ब्रा में कैद थीं, और पैंटी उनकी चूत को मुश्किल से ढक रही थी। मैंने उनके होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया। 4-5 मिनट तक हम एक-दूसरे के होंठ चूसते रहे। उनकी जीभ मेरी जीभ से लड़ रही थी, और थूक का आदान-प्रदान हो रहा था। उनके होंठ गुलाब की पंखुड़ियों जैसे नरम और मीठे थे।

मैंने भाभी को गोद में उठाया हुआ था, उनकी गोल जाँघें मेरी कमर के इर्द-गिर्द थीं। फिर मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनकी ब्रा खोल दी। उनकी 34D की चूचियाँ आजाद हो गईं। मैंने उनके निप्पल्स को मुँह में लिया और चूसने लगा। “आह्ह… अभि… और चूस… हाय,” भाभी सिसकारी। मैंने उनके निप्पल्स को अँगूठे और उँगली से मसला, फिर चूचियों की मालिश की। उनकी चूचियाँ और सख्त हो गईं। मैंने उनकी नाभि को चाटा, जो गहरी और मादक थी। भाभी बोलीं, “जल्दी पैंटी उतार, मेरी चूत की खुजली मिटा दे।”

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मैंने उनकी पैंटी उतारी और उनकी चूत को जीभ से चाटना शुरू किया। “हाय… उफ़्फ़… कितना मज़ा देता है तू… आह्ह,” भाभी सिसकारी। मेरी जीभ उनकी चूत में साँप की तरह अंदर-बाहर हो रही थी। मैंने उनकी चूत को लप-लप चाटा, और उनकी झाँटों को होंठों में दबाकर खींचा। फिर मैंने उनके चूतड़ उठाए और गांड के नीचे तकिया रखा। उनकी गांड का काला छेद चमक रहा था। मैंने उस पर थूक लगाया और जीभ से सहलाया। “आह्ह… अभि… ये क्या कर रहा है… उफ़्फ़,” भाभी की सिसकारियाँ तेज हो गईं।

मैंने अपने 7 इंच के लंड को तैयार किया। भाभी से कहा, “टाँगें फैलाओ, गांड में लंड डालना है।” मैंने धक्का मारा, और लंड उनकी गांड में घुस गया। “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है,” भाभी बोलीं। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारे, और गांड की चुदाई शुरू की। फिर मैं नीचे लेट गया, और भाभी मेरे लंड पर अपनी गांड टिकाकर बैठ गईं। मैंने उनकी गांड को चीरना शुरू किया और पीछे से उनकी चूचियाँ दबाने लगा। “आह्ह… और जोर से… मार मेरी गांड,” भाभी चिल्लाईं। मैंने अपनी उँगलियाँ उनकी चूत में डाली और चूत की चुदाई भी शुरू की।

गांड और चूत की एक साथ चुदाई से भाभी को दोगुना मज़ा मिल रहा था। “हाय… अभि… तू तो जन्नत दिखा रहा है… आह्ह… और चोद,” भाभी बोलीं। थोड़ी देर बाद मैंने लंड गांड से निकाला और उनकी चूचियों पर वीर्य गिरा दिया। भाभी की गांड की सैर करके मैं उनका गुलाम बन गया। आज भी जब मौका मिलता है, उनकी गांड मारने जाता हूँ।

आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी मटकती गांड की सैर की है? कमेंट में बताएँ!

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