नमस्ते दोस्तों, आपने कहानी के पिछले हिस्से में पढ़ा कि माँ के देहांत के बाद पापा ने बुआ की मदद से मेरे साथ शादी कर ली। हमारी सुहागरात में पापा ने मुझे बेटी से बीवी बनाया और अब हम पति-पत्नी की तरह चुदाई का मज़ा ले रहे हैं। इस हिस्से का पूरा लुत्फ़ उठाने के लिए आपको कहानी के पहले पाँचों भाग एक साथ पढ़ने चाहिए, तभी असली मज़ा आएगा।
कहानी का पिछला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 5
मैंने पापा से कहा, “जी, सुनिए ना, आज दीदी का फोन आया था।”
पापा ने हल्के से मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “अरे, उनकी तो रोज़ बात होती है।”
मैंने उत्साह से कहा, “हाँ, पर वो हमें अपने घर बुला रही हैं।”
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पापा ने भौंहें चढ़ाते हुए पूछा, “यार, कुछ दिन बाद तो हम वैसे भी उनके यहाँ जाने वाले हैं। फिर अभी क्यों बुला रही हैं?”
मैंने जवाब दिया, “वो कह रही थीं कि इस शनिवार को एक बार आ जाओ।”
पापा ने थोड़ा सोचते हुए कहा, “ठीक है, शनिवार को देखेंगे।”
मैंने तुरंत कहा, “नहीं, मैंने दीदी को बोल दिया कि हम शनिवार को आ रहे हैं।”
पापा ने मेरी आँखों में देखते हुए नखरे से कहा, “जान, जब रानी साहिबा ने हुक्म दे ही दिया है, तो इस गुलाम की क्या मजाल जो ना माने।” फिर वो शरारती अंदाज़ में बोले, “अब अगर मेरी रानी की इजाज़त हो, तो क्या मैं अपनी जान को प्यार कर सकता हूँ?”
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मैंने उनकी आँखों में देखकर हल्की सी स्माइल दी और बोली, “किसने रोका आपको प्यार करने से?”
पापा मेरे ऊपर झुके और अपने गर्म होंठ मेरे होंठों पर रखकर मुझे चूमने लगे। उनकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं, और मैं उनके नीचे लेटी, उनकी बाहों में खो सी गई। मेरी बाहें उनके गले में थीं, और मैं उनके हर चुंबन का जवाब दे रही थी। मैंने नशीले अंदाज़ में उनकी आँखों में देखकर कहा, “डार्लिंग, क्या आप अपनी जान को सारी ज़िंदगी ऐसे ही प्यार करते रहेंगे?”
पापा ने मेरे होंठों को चूमते हुए जवाब दिया, “मेरी जान, तुम मेरी रूह हो। भले दो जिस्म हों, पर जान तो एक ही है।”
मेरी चूचियाँ अब नाइटी की क़ैद से आज़ाद होने को तड़प रही थीं। तभी पापा ने अपना हाथ मेरी नाइटी की डोरी पर रखा और एक झटके में उसे खींच दिया। नाइटी दो हिस्सों में खुल गई, और मेरी ब्रा में क़ैद चूचियाँ पापा की आँखों के सामने थीं, जो आज़ादी के लिए बेताब थीं। मैंने अपनी चूचियों को इस तरह देखते हुए पापा की आँखों में देखा और मुस्कुराकर बोली, “ऐसे क्या देख रहे हो? पहली बार देख रहे हो क्या?” फिर मैंने शरारत से अपनी चूचियों को अपने हाथों से दबाया और बिस्तर पर उल्टा लेट गई।
पापा मेरे ऊपर चढ़ गए और मेरी नंगी पीठ को चूमते हुए बोले, “जान, अपने हाथों को क्यों तकलीफ़ दे रही हो? तेरा दास है ना!”
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उनके होंठ मेरे गालों पर रगड़ते हुए बोले, “कितनी हॉट हो तुम, मेरी जान, कितनी नमकीन। बस ऐसे ही मेरी बाहों में रहो।” मैं बेल की तरह पापा से लिपट गई। वो मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को मसल रहे थे। मैंने उत्तेजना भरे लहजे में कहा, “जी, कितना दबाएँगे? देखिए ना, मेरी ब्रा अब कसने लगी है। आआह्ह्ह…”
पापा ने मेरी ब्रा के ऊपर से ही मेरी चूचियों को चूमना शुरू कर दिया। मैंने जानबूझकर कहा, “मेरी ब्रा कस रही है,” ताकि वो जल्दी से उसे उतार दें। मैं चाहती तो खुद उतार सकती थी, पर पापा से ब्रा उतरवाने का मज़ा ही कुछ और था।
पापा ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया और उसे मेरी बाहों से निकालकर दूर फेंक दिया। अब मेरे बदन पर सिर्फ़ पैंटी थी, और पापा के बदन पर अंडरवियर। वो मुझे अपनी बाहों में लेकर मेरे गालों और गर्दन को चूमने लगे, साथ ही मेरी चूचियों को मसल रहे थे।
मैं तड़प रही थी। पापा के ऊपर चढ़कर उनके होंठों को चूमते हुए बोली, “क्या रात भर इनसे खेलने का इरादा है? दूध नहीं पिएँगे, डियर? आओ, मेरा बच्चा, दूध पी लो। भूख लगी है ना?” मैंने अपनी चूची पकड़कर पापा के मुँह पर रख दी और बोली, “जी, पीजिए ना। जब आप इन दूधों को पीते हो, तो बड़ा मज़ा आता है।”
पापा ने मेरी आँखों में देखकर मुस्कुराते हुए अपना मुँह नीचे किया और मेरे निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगे। मैंने उनके बालों में हाथ डालकर सहलाया और बोली, “जी, मुँह में भरकर ज़ोर-ज़ोर से चूसिए ना, जैसे रोज़ चूसते हो।” पापा ने मेरी चूची को जितना हो सकता था, मुँह में भर लिया और जैसे आम चूसते हैं, वैसे ही मेरे दूध चूसने लगे। मैं मस्ती में सिसकारियाँ भरने लगी, “आआह्ह्ह… सीसी… आआह्ह…”
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मैंने कहा, “जी, आप तो मुझे पूरी तरह गर्म कर देते हो। आह्ह… सीसी… ऊ माँ… आआह्ह… अब रहा नहीं जाता।”
पापा मेरी चूचियों को बारी-बारी चूस रहे थे, कभी दबाकर खींचते। मैं पूरी तरह गर्म हो चुकी थी। मैंने तड़पते हुए कहा, “आआह्ह… जी, जानू, बस कीजिए ना। रहा नहीं जाता। क्यों तड़पा रहे हो? डाल दीजिए ना अपना… आह्ह… प्लीज़, एक बार डालकर चोद दीजिए, फिर सारी रात चूसते रहना।”
पापा मेरे ऊपर से उठे और मेरी नाइटी को मेरे बदन से निकालकर दूर फेंक दिया। अब मेरे बदन पर सिर्फ़ पैंटी थी, जो मेरी चूत के रस से पूरी गीली हो चुकी थी। मेरी चिकनी जाँघें रोशनी में चमक रही थीं। पापा ने अपने होंठ मेरी जाँघों पर रख दिए और उन्हें चाटने लगे। कभी वो मेरी जाँघों को दाँतों से हल्का काट लेते, जिससे मैं सिसकार उठी, “उउउउफ्फ… आह्ह… सीसी… ऊ माँ… आआह्ह…” मेरा हाथ उनके बालों में चल रहा था। उनकी जीभ और दाँतों से मेरी चूत और पानी छोड़ने लगी, जिससे मेरी पैंटी पूरी तरह गीली हो गई।
पापा मेरी जाँघों को चूमते हुए धीरे-धीरे मेरी पैंटी के पास आए। उन्होंने मेरी पैंटी के ऊपर से अपनी जीभ दरारों में घुसाई और मेरी चूत का रस चूसने लगे। कुछ देर बाद, पापा ने मेरी पैंटी उतार दी। मैंने अपनी गाँड उठाकर उनकी मदद की, और मेरी पैंटी उनके हाथ में थी।
पापा ने मेरी पैंटी को एक तरफ़ फेंककर मेरी दोनों टाँगों को फैलाया और मेरी चिकनी चूत पर हाथ फेरने लगे। मैं पूरी नंगी लेटी थी, और पापा मेरी चूत को सहलाते हुए मेरी आँखों में देख रहे थे। मैंने शरारत से कहा, “इसे क्या देख रहे हो? रोज़ तो देखते हो।”
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पापा ने जवाब दिया, “कसम से, जान, तुम एक नशा हो। क्या कमाल की खूबसूरत हो तुम। जो तुम्हें इस हाल में देख ले, वो पागल हो जाएगा।”
मैंने ताना मारते हुए कहा, “अच्छा? औरतों के बारे में सब यही कहते हैं ना?”
पापा ने हँसते हुए कहा, “नहीं, मेरी जान, सिर्फ़ तुम्हें ही ये कहा।”
मैंने होंठ दाँतों से काटते हुए पूछा, “और मेरी सौतन को?” (अब मैं मम्मी को अपनी सौतन समझती थी।)
पापा बोले, “वो तो एकदम ठंडी थी।”
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मैंने शरारत से कहा, “और मैं?”
पापा ने जवाब दिया, “तुम तो आग हो, जान। मुझे निचोड़ लेती हो।”
उनके मुँह से ये सुनकर मेरा दिल खुशी से झूम उठा। पापा ने मेरे खड़े निप्पलों को ज़ोर से मसला, तो मैं चिल्ला पड़ी, “उई माँ! कितना ज़ोर से करते हो, दर्द होता है!”
पापा मेरे ऊपर छा गए और मेरे बदन को चूमते हुए नीचे की ओर बढ़े। उन्होंने मेरी चूची को फिर से मुँह में लिया और चूसने लगे। साथ ही, उनकी उंगली मेरी चूत में घुस गई और अंदर-बाहर होने लगी। मैं पहले से ही गर्म थी, और अब उनकी उंगली और चूची चूसने से मैं और तड़प उठी। मैंने अपने चूतड़ उठाकर उनकी उंगली से खुद को चुदवाना शुरू कर दिया।
मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उनके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए कहा, “जी, अब रहा नहीं जाता। डाल दीजिए ना अपना मेरे अंदर।”
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पापा बोले, “क्या, जान, मज़ा नहीं आ रहा?”
मैंने तड़पते हुए कहा, “मज़ा तो बहुत आ रहा है, पर अब रहा नहीं जाता। बस, एक बार डाल दीजिए, फिर सारी रात यही करते रहना।”
पापा ने मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए और उसे मुँह में भरकर चूसने लगे। मैंने अपनी चूत को हाथों से खोलकर चटवाना शुरू किया और अपने चूतड़ उछालकर उनके सिर पर हाथ रख दिया। मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आआह्ह्ह… आआह्ह्ह…”
मुझसे रहा नहीं गया। मैंने चिल्लाकर कहा, “आआह्ह… जी, बस कीजिए ना! क्यों तड़पा रहे हो? डाल दीजिए ना अपना लंड!”
पापा उठे, उनके मुँह पर मेरी चूत का रस लगा था, जिसे वो जीभ से चाटने लगे। मेरी आँखों में देखकर बोले, “जान, कितना स्वादिष्ट है। दिल करता है, बस तेरी चूत पीता रहूँ।”
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मैं शरमाकर बोली, “आप भी ना!”
पापा मेरी टाँगों के बीच आए। उनका लंड अंडरवियर में तनकर खड़ा था। मैंने उनके लंड को देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “आपका तो देखो कैसे खड़ा है! अंडरवियर में भी नहीं समा रहा।”
पापा ने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया और बोले, “जान, अंडरवियर भले ना सहे, तुम तो संभाल लेती हो।”
मैं उनकी आँखों में देखते हुए अपनी चूत को सहलाने लगी। पापा बोले, “डार्लिंग, उतारो ना इसे।”
मैंने उनकी अंडरवियर में उंगली फँसाकर नीचे खींच दी। पापा का 9 इंच लंबा, 3 इंच मोटा लंड मेरी आँखों के सामने झूल रहा था। पापा ने एक तकिया उठाकर मेरे चूतड़ों के नीचे रख दिया और मेरी टाँगों के बीच खड़े होकर अपने लंड को सहलाने लगे। मैंने मस्ती में अपनी चूत को सहलाते हुए कहा, “जी, अब आ भी जाइए ना, जानू। क्यों तड़पा रहे हो? डाल दीजिए ना इसे मेरे अंदर।”
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पापा मेरे ऊपर आए और अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगे। मैंने जल्दी से उनका लंड पकड़कर अपनी चूत से सटा लिया और बोली, “मारो ना धक्का अंदर। बड़ी खुजली हो रही है।” मैंने अपनी गाँड उठा दी। मेरी चूत का पानी और पापा का प्री-कम मिलकर लंड को चिकना कर चुका था।
पापा ने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका 6 इंच लंड मेरी चूत में घुस गया। मैं चिल्ला पड़ी, “उई माँ! कितने ज़ोर से डालते हो! एक ही बार में पूरा घुसा दिया। मर गई मैं! मेरी तो गाँड निकाल देते हो!” मेरे मुँह से गालियाँ निकल रही थीं, “आआह्ह्ह… उईईई… माँ… कितना लंबा और मोटा है आपका!”
पापा मेरे ऊपर लेटकर मेरे होंठों को चूमते हुए बोले, “जान, क्या करूँ? तुम्हें देखते ही होश खो बैठता हूँ। तुम चीज़ ही ऐसी हो।”
मैं उनकी आँखों में देखकर हल्के से मुस्कुराई और बोली, “आप भी ना… आआह्ह्ह… धीरे…”
पापा ने अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा। उनका पूरा 9 इंच लंड मेरी चूत की गहराइयों में समा गया। मैं बिस्तर पर 3 इंच पीछे खिसक गई और चीख पड़ी, “उफ्फ्फ… अरे, थोड़ा धीरे धक्का… माँ… कितना मोटा है आपका!”
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पापा मेरे ऊपर झुके और हल्के-हल्के धक्के मारने लगे। वो बोले, “डार्लिंग, अब कुछ मत कहो। जवानी का मज़ा लो।” उनकी स्पीड बढ़ गई। हम दोनों पसीने से तर-बतर हो चुके थे। उनके हर धक्के के साथ मेरी चूत में चप-चप की आवाज़ गूँज रही थी। मैं सिसकार रही थी, “आआह्ह… सीसी… ऊ माँ… आआह्ह…”
पापा ने मेरी चूत में अपने प्यार का समंदर बहा दिया और मेरे ऊपर ढेर हो गए। मैंने उन्हें अपनी बाहों में कस लिया। कुछ देर हम ऐसे ही लिपटे रहे, हमारी साँसें धीरे-धीरे नॉर्मल हुईं। मैंने शिकायती लहजे में कहा, “कितने ज़ोर से करते हो आप। मेरी चीख अगर बच्चों ने सुन ली होती, तो?” मैंने अपनी ब्रा उठाकर पहनने की कोशिश की।
पापा ने मेरी ब्रा छीनकर फेंक दी और बोले, “यार, ये क्या कर रही हो? सारी रात इसे उतारती-पहनती रहोगी?”
मैं मुस्कुराकर उनसे लिपट गई और बोली, “आप भी ना, रात भर सोने ही नहीं देते। पता नहीं कितनी बार करेंगे।”
पापा ने रात में एक बार और मुझे चोदा। हमें नींद कब आई, पता ही नहीं चला।
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अब मैं पापा के साथ अपने पुराने रिश्ते को भूल चुकी थी। मैं उनसे बीवी की तरह पेश आती थी, बात-बात पर सवाल करती, “कहाँ जा रहे हो? इतनी देर कहाँ थे? कब आओगे?” पापा भी मुझसे डरने लगे थे, जैसे हर मर्द अपनी बीवी से डरता है। पहले वो घर आते ही पैग लगाते थे, पर अब मेरी इजाज़त के बिना शराब को हाथ नहीं लगाते।
मैंने पापा को बुआ के घर जाने के लिए मना लिया। मैंने सामान पैक करना शुरू कर दिया। पापा ने पूछा, “जान, इतने कपड़े क्यों ले रही हो? हम तो रात को रुकेंगे नहीं।”
मैंने पूछा, “क्यों?”
पापा ने मुझे बाहों में भरते हुए कहा, “जान, तुम्हारे बिना मुझे नींद कहाँ आती है? और अगर वहाँ रुके, तो तुम पूजा दीदी के साथ सोओगी। तुम दोनों की बातें कभी खत्म ही नहीं होतीं।”
मैंने कहा, “जी, अगर दीदी रUkेंगी, तो मैं उन्हें कैसे मना कर सकती हूँ?”
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पापा बोले, “जान, कोई बहाना बना देना। बच्चों की पढ़ाई है, काम है, कुछ भी।”
मैंने हँसते हुए कहा, “ना बाबा, मैं नहीं मना करूँगी। दीदी कितना छेड़ती हैं। आप ही बोल देना कि मुझसे नहीं होगा।”
पापा ने मुझे पीछे से बाहों में कस लिया और बोले, “जो हुक्म, सरकार। पर आज की रात तो अपनी है ना? आओ, क्यों तड़पा रही हो? आज बड़ा मूड है।”
मैंने उनकी आँखों में देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “जानू, आप बताइए, आपका मूड कब नहीं होता? आपका डंडा तो जब देखो, खड़ा ही रहता है।”
पापा ने मेरे पेट पर हाथ फेरते हुए कहा, “मेरी जान, उसे तुम खड़ा रखती हो अपनी अदाओं से।”
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मैंने शरारत से कहा, “झूठ! अभी भी देखिए, पीछे से कैसे चुभ रहा है।”
पापा ने मुझे बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया। मैंने उनकी ओर देखते हुए कहा, “आज जल्दी सो जाते हैं। सुबह जल्दी उठना है।”
पापा ने नखरे से कहा, “यार, तुम्हें हमेशा जल्दी की पड़ी रहती है। देखो, कब से तड़प रहा हूँ।” वो अपने खड़े लंड को सहलाते हुए बोले, “देखो, अपनी रानी के लिए कितना बेकरार है।”
मैंने मुस्कुराकर कहा, “आपका तो हर समय खड़ा रहता है।” मैंने अपनी बाहें खोलकर उन्हें अपने पास बुलाया। पापा ने मुझे बाहों में भरकर चूमना शुरू कर दिया। कब हमारे कपड़े उतर गए, पता ही नहीं चला। वो मेरी चूचियों को सहलाते और मसलते हुए मेरी गर्दन को चूम रहे थे।
मैं सिसकार उठी, “आआह्ह… जी… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा। डाल दीजिए ना।”
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पापा ने मेरी टाँगों को फैलाया और मेरी चूत के सामने अपने 9 इंच के लंड को लहराते हुए बोले, “तुम पकड़कर सेट करो, मैं धक्का मारता हूँ।”
मैंने उनके लंड को पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया और बोली, “जरा धीरे डालना।”
पापा ने मेरी टाँगों को उठाकर एक ज़ोरदार धक्का मारा। उनका लंड मेरी चूत में डंडनाता हुआ घुस गया। मैं चीख पड़ी, “उई माँ! कितने ज़ोर से डालते हो! मेरी चीख बच्चों ने सुन ली तो?”
पापा मेरे होंठों को चूमते हुए बोले, “जान, तुम पास हो, तो मुझे कुछ और दिखता ही नहीं।”
मैंने तड़पते हुए कहा, “मेरे दूध दबाने वाला कोई नहीं है? देखो, कैसे हिल रहे हैं। आपका लंड एक बार में पूरा घुसा देते हो। मेरी तो जान निकल जाती है। आआह्ह… उईई… माँ…”
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पापा ने मेरी टाँगों को और फैलाया और अपने लंड को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगे। मैं उनके चूतड़ों पर हाथ रखकर सिसकार रही थी, “आआह्ह… सीसी… ऊ माँ…” मेरी चूत ने ढेर सारा पानी छोड़ दिया, जिससे उनका लंड पिस्टन की तरह चिकना हो गया।
पापा ने लंड बाहर निकाला और एक झटके में फिर से जड़ तक घुसा दिया। मैं चिल्ला उठी, “आआह्ह… पापा… और ज़ोर से… आआह्ह…” मैं नीचे से अपने चूतड़ उछालकर उनकी ताल में ताल मिला रही थी।
मैंने पापा को बाहों में कस लिया और झड़ने लगी। मेरी चूत भर-भरकर पानी छोड़ रही थी। पापा भी 2-3 धक्कों के बाद मेरे ऊपर ढेर हो गए। उनके लंड ने मेरी चूत में गर्म लावा उड़ेल दिया। हम दोनों पसीने से तर-बतर, एक-दूसरे की बाहों में लिपटे रहे। कमरे में मेरी सिसकारियों और बिस्तर की चरमराहट की आवाज़ गूँज रही थी।
पापा ने फिर से मेरी चूची चूसना शुरू कर दिया। वो जानते थे कि इससे मैं फिर से गर्म हो जाऊँगी। मैं जल्दी से उठी और अपने बदन को साफ करने लगी। अपनी नाइटी उठाकर पहनने लगी, तो पापा बोले, “जान, ये क्या कर रही हो? एक बार और करते हैं।”
मैंने कहा, “नहीं, जी। आज बस इतना ही। सुबह जल्दी उठना है।”
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पापा बोले, “ठीक है, पर नाइटी क्यों पहन रही हो? नंगे ही सोते हैं ना, जैसे रोज़ सोते हैं।”
मैंने हँसते हुए कहा, “जानती हूँ, अगर नंगी रही, तो आप फिर शुरू हो जाओगे। देखो, आपका शेर फिर से कैसे उछल रहा है।”
पापा ने हँसकर कहा, “यार, कुछ तो रहम करो।”
मैं उनकी बाहों में समाकर सो गई। सुबह जल्दी उठकर मैंने बच्चों को तैयार किया और खुद तैयार होने लगी। पापा बोले, “यार, और कितना टाइम लगेगा?”
मैंने कहा, “बस, 2 मिनट में आ रही हूँ।”
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पापा ने ताना मारा, “आधे घंटे से 2 मिनट ही बोल रही हो।”
मैं जल्दी से तैयार होकर बाहर आई और पापा को देखकर बोली, “आपसे 2 मिनट का सब्र भी नहीं होता। बस आवाज़ लगाए जा रहे हो। अच्छे से तैयार भी नहीं होने देते।” मैंने अपने बाल ठीक करते हुए मुस्कुराकर पूछा, “बताइए, मैं कैसी लग रही हूँ, जी?”
पापा ने मेरा हाथ पकड़कर कहा, “यहाँ बताऊँ? वैसे, छोटे जनाब से भी पूछ सकती हो।”
मैं हँसकर बोली, “आपको तो बस उसकी पड़ी रहती है। बच्चे साथ हैं, कुछ तो देखो।”
हम बच्चों के साथ गाड़ी में बैठे। पापा ने घर लॉक किया, और हम बुआ के घर की ओर निकल पड़े। 3 घंटे बाद हम उनके घर पहुँचे।
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बुआ मुझे और बच्चों को देखकर बहुत खुश हुईं। मैं बुआ के साथ उनके बेडरूम में गई। अभी भी शर्म की वजह से मैं मुँह नहीं उठा रही थी। बुआ बोलीं, “भाभी, शर्माना छोड़ो। वैसे, तुमने पापा पर जादू कर दिया है।”
मैंने हँसकर कहा, “क्या, दीदी, आप भी शुरू हो गईं?”
बुआ मुस्कुराईं और बोलीं, “अरे, भाभी, अपने आप को देखो। लगता है, पापा ने दिन-रात मेहनत की है।”
मैं समझ गई कि वो मेरी बढ़ी हुई चूचियों की बात कर रही थीं। मैंने शरमाते हुए कहा, “दीदी, साइज़ बढ़ेगा कैसे नहीं? सारी रात इन्हें मुँह में लेकर चूसते रहते हैं। कुछ पहनने ही नहीं देते।”
बुआ हँसकर बोलीं, “सब मर्द एक जैसे होते हैं। मेरे वाले भी यही करते हैं। पूरी नंगी करके चूची चूसते हैं।”
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मैंने कहा, “दीदी, मैंने कितनी बार कहा कि बस करो, पर वो बोलते हैं, ‘पहनोगी, फिर उतारोगी।’ तो मैं भी सोचती हूँ, बार-बार क्या पहनती रहूँ?”
हम दोनों जोर-जोर से हँसने लगीं। बुआ मेरे गले लगीं और चुपके से मेरी चूचियों को मसलने लगीं। मेरे कान में बोलीं, “वाह, भाभी, ये तो बड़ी हो गईं। 15 दिन में खूब काम हुआ है।”
मैं शरमा गई। तभी फूफा जी बोले, “अरे, सलहज जी, हमसे भी गले मिल लो।”
बुआ ने कहा, “जाओ, उनसे भी मिल लो।”
मैंने शरमाते हुए कहा, “मुझे शर्म आती है।”
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फूफा जी बोले, “हमें हमारा हक़ चाहिए।” उन्होंने मुझे अपने सीने से कसकर दबा लिया। मैं उनकी बाहों में अपनी जवानी को महसूस कर रही थी।
पापा ने पूछा, “जीजा जी, सब अच्छा है ना?”
फूफा जी ने मेरी चूचियों को सहलाते हुए कहा, “साले साहब, तुम्हारी तो लॉटरी निकल आई। हूर की परी है तुम्हारी सलहज। तुम्हें तो खूब मज़ा मिलता होगा।” फिर उन्होंने मुझे किस किया।
पापा बोले, “आप लोग बातें करो।” वो बुआ के साथ किचन में चले गए। बच्चे बुआ के बच्चों के कमरे में खेलने चले गए। फूफा जी ने मुझे अपनी गोद में बिठा लिया और मेरे होंठों को चूसने लगे। फिर मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से मेरी चूचियों को मसलने लगे।
मैंने कहा, “जीजू, क्या कर रहे हैं? कोई देख लेगा। आप तो अपने साले के सामान पर कब्ज़ा कर रहे हैं।”
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जीजू बोले, “कोई नहीं है। मुझे भी मेरा हक़ चाहिए।”
मैं शरमा गई। जीजू ने कहा, “जानती हो, हम जीजा-साले बहुत ओपन हैं। मिलकर लाइफ एंजॉय करते हैं।”
उन्होंने मेरे ब्लाउज़ में हाथ डालकर मेरे निप्पल को चुटकी में पकड़कर मसलना शुरू कर दिया। मैं सिसकारी, “सीसी… उई… जीजू, मत करो। मुझे लग रही है।”
मैं उठना चाहती थी, पर जीजू बार-बार मुझे अपनी गोद में खींच लेते थे। मेरे कान में बोले, “साले साहब को तो दे दिया, मुझे कब दोगी?”
मैंने शरारत से कहा, “क्या लेना चाहते हैं आप?”
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फूफा जी बोले, “जो साले साहब को देती हो, वही मुझे भी दे दो।”
इसी तरह हँसी-मज़ाक चलता रहा। बुआ चाय, नाश्ता और मिठाई लेकर आईं। हमने बच्चों को बुलाया और सबने नाश्ता किया। बुआ ने हमारी खूब खातिरदारी की। फिर वो हमें वो घर दिखाने ले गईं, जो उन्होंने हमारे लिए देखा था। घर बहुत खूबसूरत और बड़ा था। मुझे ऐसा लगा जैसे ये मेरा ही घर हो। पहले जहाँ मैं रहती थी, वो घर मेरी सौतन का लगता था, पर ये घर मेरा था। पापा ने तुरंत जीजा को घर फाइनल करने को बोल दिया।
हम शॉपिंग करते हुए घर वापस आ गए। मैं बुआ के साथ किचन में रात का खाना बनाने में उनकी मदद करने लगी। बुआ मुझे छेड़ते हुए बोलीं, “भाभी, भैया का इतना बड़ा लंड कैसे लेती हो? जब सुहागरात की ट्रेनिंग दी थी, तब तो तुम्हारी चूत बहुत टाइट थी।”
मैंने हँसकर कहा, “दीदी, आपकी शिष्या हूँ। आपने जो सिखाया, उसी से पापा को संभाल पाई। आई लव यू, दीदी। आपने पहली बार मेरी बुर चाटी थी, वो आज भी मुझे उत्तेजित करती है।”
मैंने बाहर देखा। पापा और फूफा जी मार्केट जा रहे थे। बच्चे कमरा बंद करके कैरम खेल रहे थे। मैंने दरवाज़ा बंद किया और बुआ को किस कर लिया। बुआ मुस्कुराईं और बोलीं, “भाभी, कुछ चाहिए तो बोल दो।”
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मैं हकलाते हुए बोली, “दीदी, आपने जो मज़ा दिया था, वो फिर से चाहिए।”
बुआ ने मेरी चूचियों को सहलाना शुरू किया और मेरे होंठों को चूसने लगीं। मैंने कहा, “दीदी, मेरी बुर पी लो।”
बुआ बोलीं, “क्या, भाभी?”
मैंने कहा, “मेरी बुर बहुत चू रही है। मेरा मन आपकी चूत पीने का कर रहा है।”
बुआ ने कहा, “बच्चे हैं अभी।”
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मैंने जवाब दिया, “वो कमरा बंद करके खेल रहे हैं। बस 5 मिनट में सब हो जाएगा।”
बुआ ने मेरा उतावलापन देखा और बोलीं, “जल्दी से स्लैब पर पैर फैलाकर साड़ी उठाकर बैठो।” वो नीचे झुककर बैठ गईं और मेरी पैंटी उतारकर मुझे नंगी कर दिया। मेरी टाँगों को फैलाकर मेरी चिकनी बुर को किस किया और जीभ से चाटने लगीं। मैं सिसकार उठी, “सीसी…” मेरे हाथ उनके सिर पर थे।
बुआ बोलीं, “बन्नो रानी, इतनी गर्मी है। जैसे तुमने बताया था कि भैया रात में 3-4 बार तुम्हारी चूत मारते हैं, लगता है तुम्हारी प्यास नहीं बुझती।”
मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं, दीदी, पापा एक बार की चुदाई में ही मेरी सारी गर्मी निकाल देते हैं। पर आपके साथ बिताई वो रात मैं बहुत मिस करती हूँ।”
बुआ बोलीं, “जानती हूँ, भाभी। 18 साल की कच्ची चूत एक बार मस्त लंड खा ले, तो रोज़ 3-4 बार चुदने की इच्छा होती है। तुम्हारी उम्र में लड़कियों को लंड देखना भी नसीब नहीं होता। पर तुमने अपने परिवार को संभाला और पापा से शादी की।”
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मैंने कहा, “दीदी, आपकी सलाह से मुझे हिम्मत मिली।”
बुआ बोलीं, “ये सब छोड़ो। अपनी सुहागरात की कहानी बताओ।”
मैंने हँसकर कहा, “जैसे आपकी हुई थी। जीजू ने आपकी चूत फाड़ दी थी, वैसे ही मेरी भी।”
बुआ ने ज़िद की, “नहीं, तुम 18 साल की थीं। कुछ अलग रहा होगा। बताओ।”
मैंने कहा, “ठीक है। शादी के बाद जब पापा आपको छोड़ने आए, मैंने बच्चों को सुला दिया था और उनका इंतज़ार कर रही थी। वो आए, गेट बंद किया, और कमरे में आए। मैं घूँघट निकालकर बैठी थी। वो मेरे पास आए और मेरा घूँघट उठाया। मैं शरमा रही थी। वो बोले, ‘निशि, मेरी जान, तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। तुमने मुझ पर और मेरे बच्चों पर बड़ा एहसान किया। वरना मैं शराब में डूबकर खत्म हो जाता।’ मैंने कहा, ‘जी, ऐसी बात मत करो।’ फिर मैंने उन्हें दूध पिलाया। उन्होंने थोड़ा सा पीकर बाकी मुझे पिला दिया।”
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मैंने आगे बताया, “वो मेरे बगल में बैठे और मेरे गले में हाथ डालकर मुझे चूमने लगे। मेरे माथे, गालों, और फिर होंठों पर। फिर मेरे ब्लाउज़ के ऊपर से मेरी चूचियाँ दबाने लगे। एक-एक करके मेरे गहने और ब्लाउज़ उतार दिया। फिर साड़ी उतारी और अपने कपड़े उतारकर मुझे बाहों में ले लिया। मुझे बहुत शर्म आ रही थी कि मैं अपने पापा की बाहों में हूँ। पर अब वो मेरे पति थे। मैंने लाइट बंद करवा दी। फिर उन्होंने मेरी ब्रा और पैंटी उतार दी और मेरे दूध दबाकर पीने लगे। फिर नीचे जाकर मेरी कुँवारी चूत को चाटने लगे। मैं तड़प रही थी। मैंने उन्हें अपने ऊपर खींचा और कहा, ‘बाबू, कुछ करो। अब बर्दाश्त नहीं हो रहा।’”
मैंने आगे कहा, “उन्होंने मेरी चूत में तेल लगाया और अपने लंड का सुपाड़ा रखकर धक्के मारकर पूरा घुसा दिया। मुझे बहुत दर्द हुआ। मेरी चूत फट गई थी, खून निकल रहा था। मैं बेहोश हो गई थी। पर पापा को 1 साल बाद चूत चोदने को मिली थी। मेरी सील टूटने पर वो खुश हुए और मुझे डायमंड नेकलेस गिफ्ट किया। मैं इतना महंगा गिफ्ट पाकर खुश हो गई और दर्द भूल गई। उस रात पापा ने मुझे 4 बार चोदा। सुबह मैं इतनी थक गई थी कि करवट भी नहीं ले पा रही थी। पर पापा ने मुझे गोद में उठाकर टॉयलेट कराया।”
बुआ बोलीं, “भाभी, तुम बहुत लकी हो। भैया तुम्हें इतना प्यार करते हैं। प्रोटेक्शन लेती हो?”
मैंने कहा, “नहीं, दीदी। कंडोम से मज़ा नहीं आता।”
बुआ ने कहा, “फिर तो जल्दी खुशखबरी दे दोगी।”
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मैंने शरमाते हुए कहा, “नहीं, दीदी। अभी बच्चियाँ छोटी हैं। मैं उन्हें ही प्यार देना चाहती हूँ। बाद में बच्चा प्लान करूँगी।”
बुआ बोलीं, “बिना प्रोटेक्शन के पेट से हो जाओगी। अबॉर्शन नहीं करना चाहिए।”
मैंने कहा, “दीदी, मेरे पीरियड्स अभी शुरू नहीं हुए।”
बुआ आश्चर्य से बोलीं, “क्या? भैया की तो किस्मत खुल गई। वो दिन-रात तुम्हारी चूत में वीर्य भर सकते हैं।”
मैंने बताया, “स्कूल में डॉक्टर से पूछा था। उन्होंने कहा कि मेरे पीरियड्स 20 साल की उम्र में शुरू होंगे। ये सामान्य है।”
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बुआ बोलीं, “ये तो तुम्हारे लिए वरदान है।”
मैंने कहा, “हाँ, बाद में कॉपर टी लगवा लूँगी।”
बुआ ने आँख मारकर कहा, “भाभी, जीवन के मज़े लूटना चाहती हो।”
मैंने हँसकर कहा, “दीदी, आप मेरी गुरु हो। जैसा कहोगी, वैसा करूँगी।”
बुआ बोलीं, “दो दिन यहाँ रुको। जन्नत की सैर करवाऊँगी।”
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मैंने शरमाते हुए कहा, “दीदी, मुझे शर्म आती है।”
बुआ ने फूफा जी को फोन किया, “सुनिए, आप कहाँ हैं? साले और सलहज आए हैं। उन्हें शानदार पार्टी देनी चाहिए। दो बोतल वोडका ले आइए।”
बुआ ने मुझसे कहा, “भाभी, खाना तैयार है। तुम चटनी और पकोड़े बना लो।”
मैंने पूछा, “दीदी, क्या प्रोग्राम है?”
बुआ बोलीं, “भैया ने पिछले 2 सालों में बहुत दुख देखा। तुमने परिवार को संभाला। तुम्हारी शादी की खुशी मनाने का समय है। आज शानदार पार्टी होगी, और मर्दों का शिकार भी करवाऊँगी।”
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थोड़ी देर में सामान आ गया। बुआ ने 4 गिलास में वोडका के पैग बनाए। हमने सलाद, पकोड़े और चखने के साथ पैग लगाए। मुझे भी गिलास थमा दिया।
फूफा जी बोले, “निशि, शरमाओ मत। मैं तुम्हारा फूफा था, अब जीजू हूँ। जीजू को कुछ प्रिविलेज मिलता है, क्यों साले साहब?”
पापा बोले, “हाँ, जीजू। इस रिश्ते में छेड़खानी जायज़ है।”
बुआ ने आँख मारकर कहा, “सही कह रहे हैं।”
बुआ ने फैंटा में वोडका मिलाकर बच्चों को पिला दी। बच्चे खाना खाकर सो गए। बुआ ने उन्हें कमरे में सुलाकर एसी चालू किया और दरवाज़ा बंद कर दिया। बाहर जाकर गेट पर ताला लगाया और खिड़कियों पर पर्दे डाल दिए।
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हम बुआ के बेडरूम में आए। पापा और फूफा जी सिगरेट पीने छत पर चले गए। बुआ ने दो जालीदार सेक्सी नाइटी निकालीं। मेरी और उनकी ब्रा-पैंटी उतार दी और बोलीं, “भाभी, तुम काली पहनो, मैं लाल।” नाइटी में मेरी चूचियाँ और चूत साफ दिख रही थीं।
मैं शरमाकर बोली, “दीदी, जीजू और पापा के सामने ये मुझे नंगी दिखा रही है। कुछ और दे दो।”
बुआ बोलीं, “बन्नो, आज तुझे मर्दों का शिकार करवाऊँगी। ये मज़ा कभी नहीं भूलेगा।”
पापा और फूफा जी आए। हमें देखकर मचलने लगे। पापा ने मुझे चूमना शुरू किया, और फूफा जी ने बुआ को। बुआ ने दोनों को अलग किया और बोलीं, “पैग बनाओ और ताश खेलते हैं।”
मैंने कहा, “मुझे नहीं आता।”
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बुआ बोलीं, “भैया सिखाएँगे। तुम और भैया की जोड़ी, मेरी और फूफा जी की जोड़ी। हारने वाले को बिना शर्म के सबकी बात माननी होगी।”
हमने पैग पिए और ताश शुरू किया। पहले राउंड में बुआ हार गईं।
फूफा जी बोले, “जानू, अपनी चूचियाँ खोलो और मुझे दूध पिलाओ।”
बुआ ने नाइटी कमर पर लपेटकर अपनी चूचियाँ फूफा जी के मुँह में डाल दी। पापा ने कहा, “दीदी, नाइटी पूरी उतारकर खेलो।”
बुआ नंगी बैठ गईं। मैंने कहा, “आप नाइटी पहन लो।”
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फूफा जी बोले, “यहाँ उतरता है, पहनता नहीं। अपनी बुआ के साथ कुछ करो।”
मैंने शरमाते हुए कहा, “मैं भी बुआ का दूध पीऊँगी।”
बुआ ने हँसकर कहा, “आ, मेरी बेटी, सारा दूध पी ले।”
दूसरे राउंड में पापा हार गए। बुआ ने कहा, “नंगे होकर मुझे गोद में उठाकर कमरे का चक्कर लगाओ।”
पापा ने बुआ को नंगे ही उठाकर चक्कर लगाया। फूफा जी बोले, “अपनी बहन की चूत की मालिश करो।”
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पापा ने तेल लगाकर बुआ की जाँघों और चूत की मालिश की। मैंने कहा, “आप दोनों फूफा जी को सैंडविच मसाज़ दो।”
तीसरे राउंड में मैं हार गई। बुआ ने मेरी नाइटी उतार दी और मेरी चूचियों को सहलाने लगीं। पापा बोले, “मेरी गोद में बैठकर मुझे प्यार करो।”
मैं उनकी गोद में बैठी, मेरी चूचियाँ उनके सीने में घुस रही थीं। फूफा जी बोले, “जैसे अपने पापा की गोद में बैठी, वैसे मेरी गोद में बैठकर मुझे दूध पिलाओ।”
मैं शरमा गई। बुआ बोलीं, “शरमाओ मत। सलहज-जीजू में ये चलता है।”
पापा ने भी हँसकर कहा, “हाँ, निशि, कोई बात नहीं।”
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मैंने शरमाते हुए कहा, “प्लीज़, फूफा जी, कुछ और करवा लो।”
फूफा जी बोले, “ठीक है, एक दूसरा टास्क। मेरे मुँह पर अपनी बुर रखकर बैठो।”
मैं चीख पड़ी, “क्या, जीजू?”
सब हँसने लगे। मैं शरमाकर बोली, “ठीक है।” फूफा जी लेट गए। मैं उनके मुँह के दोनों तरफ़ पैर करके उनकी होंठों पर अपनी बुर रखकर बैठ गई। फूफा जी ने मेरी बुर को मुँह में भरकर चूसना शुरू किया और मेरी चूचियों को मसलने लगे। मैं गीली हो गई और उठने लगी। फूफा जी ने मुझे पकड़ लिया और बोले, “साले साहब, अब दूसरा खेल। बुर पीने का।”
पापा बोले, “ठीक है, जीजू।”
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फूफा जी बोले, “ये पार्टी तुम दोनों के लिए है। साले साहब, पहले तुम पसंद करो, किसकी चूत पियोगे।”
पापा ने बुआ को बुलाया, उन्हें लिटाया, और उनकी टाँगों को फैलाकर उनकी बुर चूसने लगे। मुझे थोड़ा अजीब लगा कि भाई-बहन ये कैसे कर सकते हैं। फिर सोचा, जब मैं और पापा बाप-बेटी होकर चुदाई कर सकते हैं, तो ये तो भाई-बहन हैं।
फूफा जी ने मुझे लिटाया, मेरे चूतड़ों के नीचे तकिया रखा, और मेरी टाँगों को फैलाकर मेरी चूत चूसने लगे। मैं और बुआ उत्तेजना में सिर झटक रही थीं। बुआ मेरी चूचियाँ मसलने लगीं, और मैं उनकी।
मैं बोली, “बुआ, ये तो हमारा शिकार कर रहे हैं।”
बुआ बोलीं, “भाभी, मज़ा आ रहा है तो शिकार होने में भी जीत है।”
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मैंने कहा, “हाँ, दीदी, बहुत मज़ा आ रहा है।”
बुआ ने पापा से कहा, “भैया, जीजू को भाभी की पार्टी दो।”
पापा बोले, “निशि, मैंने जीजू से वादा किया था कि तुम्हारी सुहागरात के बाद उन्हें भी तुम्हारी बुर की पार्टी देंगे। जानू, प्लीज़, जीजू को अपनी बुर दे दो।”
मैंने कहा, “पापा, अगर आप चाहते हैं कि मैं फूफा जी को अपनी चूत दूँ, तो ठीक है। पर आपको बुआ की चूत मारनी पड़ेगी। तभी मज़ा आएगा।”
मेरी चूत पानी छोड़ रही थी। मैंने फूफा जी को अपने ऊपर खींच लिया और उनके कपड़े उतार दिए। बुआ ने अपनी चूची मेरे मुँह में डाल दी, और पापा मेरी चूचियाँ चूस रहे थे। फूफा जी ने मेरी गाँड के नीचे तकिया रखकर मेरी चूत ऊपर उठाई और मेरी जाँघों को अपनी कमर पर चढ़ाकर अपने लंड का सुपाड़ा मेरी बुर पर रगड़ने लगे।
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मैंने उनका लंड छूना चाहा, पर बुआ ने मेरी कलाई पकड़ ली और बोलीं, “बन्नो, ये रात तुम कभी नहीं भूलोगी। तुम्हारी दूसरी सुहागरात है।”
पापा ने मेरी चूत पर ढेर सारी KY जेली लगाई और फूफा जी का सुपाड़ा मेरी चूत पर सेट किया। बुआ बोलीं, “भैया, भाभी की दूसरी सुहागरात के लिए म्यूज़िक चालू कर दो।”
पापा ने म्यूज़िक चालू किया। फूफा जी मेरे ऊपर लेटकर मुझे जकड़ लिया और एक ज़ोरदार धक्का मारा। मैं चीख पड़ी, “उई माँ! मर जाऊँगी! ये क्या है? पापा का तो बड़ा है, पर ये तो उससे दुगना मोटा है! मैं नहीं चुदवाऊँगी! उफ्फ… उई…”
फूफा जी ने फिर एक धक्का मारा। उनका सुपाड़ा मुश्किल से मेरी बुर में घुसा। मैं तड़प उठी। बुआ ने अपनी चूची मेरे मुँह में डाल दी। मैं बोली, “बुआ, आप जीजू को कैसे संभालती हैं? कितना मोटा है! उई… माँ… बुआ, मुझे बचा लो!”
बुआ बोलीं, “भाभी, जीजू का पापा से छोटा है, बस थोड़ा मोटा। अब मज़ा आएगा।”
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मैं बुआ की चूचियाँ चूसते हुए तड़प रही थी। फूफा जी ने थोड़ा लंड बाहर निकाला और फिर ज़ोर से धक्का मारा। 2 इंच और घुस गया। मैं दर्द से चिल्लाई, पर बुआ की चूची मेरे मुँह में थी। पापा मेरी चूचियाँ सहला रहे थे। फूफा जी ने फिर एक धक्का मारा, और उनका 5 इंच लंड मेरी चूत में समा गया। मैं रोने लगी, “बुआ, मैं और नहीं ले पाऊँगी। मर जाऊँगी! प्लीज़, जीजू को आप संभालो!”
पापा बोले, “शोना, बस हो गया।”
वो मेरी चूचियाँ चूसने लगे और मेरी क्लिट को सहलाने लगे। फूफा जी ने धीरे-धीरे लंड अंदर-बाहर किया। मेरा दर्द कम हुआ, और मैं उनकी चुदाई का मज़ा लेने लगी। फूफा जी बोले, “भाभी जी, तैयार हो?”
मैं शरमा गई। उन्होंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उनका पूरा लंड मेरी बच्चेदानी में घुस गया। मैं चिल्लाई, “आआह्ह… उई… माँ… बहुत दर्द हो रहा है!”
फूफा जी बोले, “शाबाश, भाभी जी। आपने मेरे लंड को पूरा सम्मान दिया। साले साहब, आप बहुत भाग्यशाली हो।”
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पापा बोले, “जीजा जी, हम एक परिवार हैं। आपका भी उतना ही हक़ है।”
फूफा जी का लंड पापा से मोटा था। मेरी चूत को फाड़ रहा था। कुछ देर बाद मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया, और उनका लंड चिकना होकर पिस्टन की तरह चलने लगा। फूफा जी ने मेरी टाँगों को अपने कंधों पर रखा और मुझे चोदने लगे। मैं सिसकार रही थी, “आआह्ह… उई… माँ…”
फूफा जी बोले, “भाभी जी, इतनी कसी चूत है। तुम्हारी बुआ की भी ऐसी नहीं थी।”
मैंने कहा, “जीजू, आपका बहुत मोटा है। दर्द के साथ मज़ा भी आ रहा है। ज़ोर से मारो, मैं झड़ने वाली हूँ।”
फूफा जी ने 80-85 धक्के मारे और मेरी चूत में गर्म लावा भर दिया। हम पसीने से तर-बतर एक-दूसरे को चूमने लगे। मैं शरमाकर आँखें बंद कर ली।
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उधर, पापा ने बुआ की चूत चूसकर उनका पानी पी लिया। बुआ बोलीं, “भैया, अब घुसा दो। जैसे भाभी की चूत मारी थी, वैसे मेरी भी मारो।”
पापा ने बुआ की टाँगों को अपने कंधों पर रखा और एक धक्के में 5 इंच लंड घुसा दिया। फिर दूसरे धक्के में 7 इंच। बुआ चीखीं, “आआह्ह… उफ्फ… भैया, आराम से!”
पापा ने बुआ को गठरी बाँधकर पूरा 9 इंच लंड उनकी बच्चेदानी में घुसा दिया। बुआ चीख पड़ीं, “उई माँ! मार डालोगे क्या?”
पापा बोले, “दीदी, तेरी चूत और टाइट हो गई है।”
फूफा जी मेरी चूचियाँ चूसते हुए मुझे चोद रहे थे। मैं सिसकार रही थी, “आआह्ह… उई… माँ…”
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फूफा जी बोले, “भाभी जी, बहुत मज़ा आ रहा है।”
मैंने कहा, “जीजू, ज़ोर से मारो। मैं झड़ने वाली हूँ।”
हम दोनों एक साथ झड़ गए। पापा भी बुआ की चूत में झड़ गए। हम सब नंगे बिस्तर पर बैठे। फूफा जी ने एक-एक पैग बनाया। हमने पी लिया। बुआ बोलीं, “भाभी, कैसी लगी पार्टी?”
मैं शरमाकर पापा के सीने से लग गई। बुआ फूफा जी की गोद में बैठकर उन्हें चूमने लगीं। थोड़ी देर बाद एक और पैग पिया। नशा और चढ़ गया।
बुआ बोलीं, “भाभी, अभी सरप्राइज़ पार्टी बाकी है। सैंडविच चुदाई होगी। चूत और गाँड में लंड घुसकर मज़ा आएगा।”
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मैंने कहा, “ये कैसे होगा?”
फूफा जी बोले, “तुम्हारी दीदी को बहुत मज़ा आता है।”
मैंने कहा, “पहले दीदी की सैंडविच चुदाई दिखाइए।”
बुआ ने फूफा जी का लंड चूसा। पापा ने मेरा मुँह में अपना लंड डाल दिया। मैं नशे में चूस रही थी। फूफा जी का लंड खड़ा हो गया। वो लेट गए। बुआ ने उनकी चूत में लंड लिया और उनके ऊपर लेट गईं।
फूफा जी बोले, “साले साहब, अपनी दीदी को सैंडविच बनाओ।”
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पापा ने बुआ की गाँड के छेद पर बोरोप्लस लगाया और अपने लंड का सुपाड़ा घुसा दिया। बुआ चीखीं, “आआह्ह… भैया, आराम से!”
पापा ने एक धक्का मारा, और 3 इंच लंड उनकी गाँड में घुस गया। बुआ चीखीं, “उई माँ! मर गई!”
पापा ने पूरा 9 इंच लंड उनकी गाँड में ठोक दिया। बुआ के आँसू निकल आए। मैंने उनकी चूची अपने मुँह में डाल दी। फूफा जी ने मेरी चूत में उंगली डालकर चोदना शुरू किया। बुआ झड़ गईं।
बुआ बोलीं, “भैया, बस। अब निशि को मज़ा दो।”
पापा ने मुझे लिटाया और मेरी गाँड में लंड डालने की तैयारी की। मैंने कहा, “जी, थोड़ा प्यार से। 18 साल की लड़की की गाँड कैसे मारी जाती है, आप ख्याल नहीं करते।”
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पापा बोले, “शोना, तुम्हारी कसी चूत और गाँड में लंड घुसाने में बहुत मज़ा आता है।”
पापा ने मेरी गाँड में 5 इंच लंड घुसा दिया। मैं चीखी, “उई माँ!”
फूफा जी मेरी चूत चोद रहे थे। बुआ मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए बोलीं, “सैंडविच पसंद आया?”
मैं दर्द में मुस्कुराई। पापा ने लंड निकाला और बोले, “जानू, जीजू को अपनी गाँड का मज़ा दो। मुझे तुम्हारी चूत मारनी है।”
मैंने फूफा जी का लंड अपनी गाँड में लिया। पापा ने मेरी चूत में लंड डाला। दोनों ने एक लय में मेरी सैंडविच चुदाई शुरू की। मैं सिसकार रही थी, “आआह्ह… उई… माँ…”
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हम तीनों एक साथ झड़ गए। पापा ने मेरी चूत में और फूफा जी ने मेरी गाँड में वीर्य भर दिया। हम पसीने से लथपथ थे। बुआ ने एक-एक पैग बनाया। मैं मूतने के लिए उठी, तो लड़खड़ा गई। फूफा जी मुझे बाथरूम ले गए।
वापस आकर मैं उनके और पापा के बीच लेट गई। दोनों मेरे बदन पर हाथ फेर रहे थे। मैंने कहा, “पापा, आज मैंने पहली बार दो लंड लिए। बहुत मज़ा आया, पर अभी नहीं। आप बुआ की चूत पी लो।”
पापा और फूफा जी बुआ की चूचियाँ चूसने लगे। फिर फूफा जी ने बुआ को पापा के लंड पर बिठाया और उनकी चूत में अपना लंड घुसाने की कोशिश की। बुआ चीखीं, “आआह्ह… उई माँ! ये क्या कर रहे हो? मेरी चूत फट जाएगी!”
फूफा जी बोले, “जानू, थोड़ा दर्द होगा, पर मज़ा आएगा।”
मैंने कहा, “फूफा जी, देखिए, बुआ को कितना दर्द हो रहा है।”
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फूफा जी ने बुआ की चूत में आधा लंड घुसा दिया। बुआ की चूत से खून निकलने लगा। मैंने कहा, “पापा, बुआ की चूत फट गई। छोड़ दीजिए।”
पापा बोले, “जानू, कॉफी पिला दो।”
मैं कॉफी बनाने गई। इधर, दोनों ने बुआ को चोदा। बुआ बेहोश सी हो गईं। चादर खून से सनी थी। फूफा जी बोले, “जीजा जी, इस चुदाई में बहुत मज़ा आया।”
पापा बोले, “जीजा जी, निशि अभी छोटी है। उसकी चूत एक लंड नहीं ले पाती। मैं उससे जबरदस्ती नहीं करूँगा।”
मैं पापा की बात सुनकर खुश हो गई। आधे घंटे बाद बुआ को होश आया। वो रोते हुए बोलीं, “आज आपने मेरे साथ हैवानियत की।”
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फूफा जी बोले, “सॉरी, जानू। शराब के नशे में बहक गया। माफ़ कर दो।”
बुआ बोलीं, “आपने गलत किया। अब मैं आराम करना चाहती हूँ। आप दूसरे कमरे में सोएँ।”
मैं गर्म पानी लेकर आई और बुआ की सिकाई की। फिर हम नहाकर नंगे ही सो गए।
मित्रों, इस तरह हमने बुआ के घर एक रात बिताई। आगे की कहानी के लिए आप कमेंट करके मोटिवेट करें। शुभ रात्रि।
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Chuchi teri naram naram aur nipple ho gaye kadak kadak jaise abhi aayi hai jawani
Gadraye tere chuttad aur moti gaand lagey mastani
Jhanthey teri ghungrali meri jaan aur chut se tapke tip tip paani
Chatun isko chusun isko khol ke pee jaaun iska saara paani
Lund mera funkaar maare sunghkar iski khusboo suhani
Aao chodun tumko ragad ragad kar aur sath main chodey paani
Please aur dalo
Agle din kya hua bua ka ghar
Uss ke story likho
Nice story and waiting for next update. Please update next part soon.