बेटी बनी पापा की पत्नी – 4

नमस्ते दोस्तों, आप सभी का स्वागत है। आपने कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि बुआ ने मुझे पापा से शादी के लिए मनाया। पापा मुझसे शादी करना चाहते थे, और मेरी भी इच्छा थी कि पापा जैसा जीवनसाथी मिले। पापा से शादी के बाद मैं अपनी सुहागरात मना रही थी।

कहानी का पिछला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 3

अब आगे की कहानी पढ़ें।

पापा मेरे गालों पर अपनी गर्म साँसें छोड़ते हुए मुझे प्यार से चूम रहे थे। उनकी आवाज में प्यार भरा हुआ था, “निशी, मेरी जान, तुम कितनी खूबसूरत हो। सचमुच, मुझे यकीन नहीं हो रहा कि तुम मेरी हो गई हो। क्या ये कोई सपना है? तुम्हारा ये मुलायम बदन, ये नमकीन जवानी, कहीं मुझे पागल न कर दे। मेरी जान, अपने इस दीवाने को अपनी बाहों में समेट लो।” उनकी बातें सुनकर मेरी धड़कनें तेज हो गईं। पापा के हाथ मेरी कमर पर फिसल रहे थे, मेरी त्वचा को सहलाते हुए, जैसे वो मेरे बदन की हर इंच को महसूस करना चाहते थे।

मेरे बदन पर अब सिर्फ ब्रा और लहंगा बचा था। पापा ने मुझे अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर लिटा दिया। वो मेरे ऊपर झुक गए, मेरे होंठों को चूमते हुए, उनके एक हाथ मेरी ब्रा के ऊपर से मेरी चुचियों को दबा रहे थे। उनकी उंगलियाँ मेरी चुचियों को मसल रही थीं, जैसे वो उनके रस को निचोड़ना चाहते हों। मेरी चूत में पहले से ही रस भर चुका था, और पापा जैसे जवान मर्द के स्पर्श से तो मेरी नागपुरी मुसम्मी से रस टपकने लगा था। मेरी चुचियाँ इतनी टाइट हो चुकी थीं कि ब्रा उन्हें संभाल नहीं पा रही थी। मेरे निप्पल खड़े होकर ब्रा के ऊपर से आधे बाहर झाँक रहे थे। कमरे में हमारी तेज साँसों की आवाज और मेरी चूड़ियों की खनक गूँज रही थी। मैं मस्ती में सातवें आसमान पर थी, अपनी दोनों बाहें फैलाकर चादर को मुट्ठियों में भींच रही थी। “आआह्ह… पापा… उई माँ… गुदगुदी हो रही है,” मैं सिसकार रही थी।

पापा ने अपना चेहरा नीचे किया और ब्रा के ऊपर से मेरी चुची को चूमने लगे। उनका मुँह मेरी चुचियों पर रगड़ रहा था, और मेरे निप्पल की सख्ती ब्रा के ऊपर से साफ महसूस हो रही थी। पापा ने मेरी पूरी चुची को अपने हाथों में भर लिया, धीरे-धीरे मसलते हुए। कोई भी औरत हो, जब मर्द का हाथ उसकी चुचियों पर पड़ता है, वो गर्म हो उठती है। पापा के स्पर्श और उनके गर्म चुम्बनों ने मेरे अंदर की आग को और भड़का दिया। तभी पापा ने मेरे निप्पल को ब्रा के ऊपर से अपने होंठों में दबा लिया और चूसने लगे। “आआह्ह… उई माँ… पापा… धीरे…” मैं सिसकार उठी। जीवन में पहली बार कोई मर्द मेरी चुचियों को इस तरह चूस रहा था। मेरी ब्रा उनके लार से पूरी गीली हो चुकी थी, जिससे मेरी चुचियाँ साफ नजर आने लगी थीं।

पापा मेरे ऊपर चढ़े हुए थे, मेरी चुचियों को चूस रहे थे, और उनका लंड, जो अब लोहे की पाइप की तरह कड़क हो चुका था, मेरी चूत के दरवाजे पर ठोकर मार रहा था। मैं मस्ती में बुदबुदा रही थी, “आआआ… उउउ… पापा… उईईई…” मैंने शर्माते हुए कहा, “सुनिए ना, दरवाजा खुला है, कोई आ जाएगा।” पापा ने मेरे निप्पल को चूसते हुए जवाब दिया, “नहीं, मैंने तुम्हारे सामने ही बंद किया था।” और वो फिर से मेरे निप्पल को दाँतों से हल्के से काटकर चूसने लगे। उनकी हरकतों से मेरी चूत में रस की बाढ़ आ गई थी।

पापा की एक टाँग मेरी टाँगों के बीच फँसी थी। वो अपनी बालों वाली टाँगों से मेरी चिकनी टाँगों को सहला रहे थे। साथ ही, वो अपने पैरों से मेरा लहंगा ऊपर सरका रहे थे। अब मेरी गुलाबी रंग की पैंटी साफ नजर आ रही थी। पापा का लंड मेरी चिकनी जाँघों पर रगड़ रहा था, जिससे मेरे बदन में बिजली-सी दौड़ रही थी। मैं सोच रही थी, अभी तो पापा मेरी चुचियों को ब्रा के ऊपर से चूस रहे हैं, कब वो इन्हें बेपर्दा करके चूसेंगे? तभी पापा थोड़ा ऊपर उठे और मुझे देखकर मुस्कुराने लगे। मैंने शर्म से मुँह दूसरी ओर घुमा लिया।

पापा के हाथ अब मेरी ब्रा के हुक पर पहुँच गए। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, क्योंकि अगला पल मेरे लिए अनजाना था। तभी पापा ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। जैसे ही हुक खुला, मैंने शर्म से पापा की बाहों में खुद को समेट लिया। पापा ने मुझे प्यार से थोड़ा अलग करने की कोशिश की, लेकिन मैंने उन्हें कसकर पकड़ रखा था। आखिरकार, पापा ने हल्का जोर लगाकर मुझे सीधा किया। मेरी ब्रा अब खुली हुई थी, बस मेरी चुचियों पर पड़ी थी। पापा ने अपना हाथ मेरी चुचियों पर रखा और ब्रा के साथ उन्हें मसलने लगे। फिर, उन्होंने ब्रा को खींचकर मेरे बदन से पूरी तरह अलग कर दिया। मैंने थोड़ा ऊपर उठकर उनकी मदद की, और मेरी गुलाबी ब्रा अब उनके हाथ में थी। पापा ने उसे अपने होंठों से चूमकर एक तरफ रख दिया।

मैंने शर्म से अपनी दोनों चुचियों को अपने हाथों से ढक लिया। पापा ने मुस्कुराते हुए कहा, “ये क्या, जानू? अब क्या मुझे इतना हक नहीं? अरे, हम दोनों के सिवा यहाँ कौन है, जिसे इस अप्सरा के हुस्न का दीदार करने का सौभाग्य मिले?” उनकी बात सुनकर मैंने अपनी चुचियों पर रखे हाथ ढीले कर दिए। पापा ने मेरे हाथों को पकड़कर धीरे से हटा दिया। अब मेरी नंगी चुचियाँ उनकी आँखों के सामने थीं। पहली बार कोई मर्द मेरी चुचियों को इतने करीब से, इस नंगी हालत में देख रहा था। मैंने शर्म से आँखें बंद कर लीं और मुँह एक तरफ कर लिया।

आप यह Shuhagrat sex story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा कुछ देर तक मेरी नंगी चुचियों को देखते रहे। फिर, उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरी चुचियों पर रख दिए और उन्हें अपनी मुट्ठियों में भर लिया। पहले धीरे-धीरे, फिर जोर-जोर से मसलने लगे। मैं सिसकार उठी, “सी सी… आआह… उई माँ… उई… उफ्फ… मर गई… दर्द हो रहा है…” पापा ने मेरे गुलाबी निप्पल को अपनी उंगलियों में दबाकर जोर से मसला। दर्द के साथ-साथ मुझे मस्ती का अहसास भी हो रहा था। “आआह… पापा… आराम से… मैं मर जाऊँगी…” मैं चीख रही थी। पापा ने झुककर मेरी एक चुची को अपने मुँह में लिया और मेरे निप्पल को दाँतों के बीच दबाकर खींचने लगे। कभी वो मेरी पूरी चुची को अपने मुँह में भरकर चूसने लगे। मैं तो मस्ती में डूब चुकी थी। “आआह… उई माँ… पापा… धीरे…” मेरे हाथ पापा के सिर पर थे, उनकी उंगलियाँ उनके बालों में फिर रही थीं। पापा मेरी चुचियों को ऐसे चूस रहे थे, जैसे वो कोई रसीला आम हों।

इसे भी पढ़ें   तीर्थ घुमाने लाकर माँ को चोदने लगा बेटा - पार्ट 2

पापा ने मेरी दोनों चुचियों को अपने हाथों में दबाकर बारी-बारी से चूसा। उनके दाँत मेरी चुचियों को हल्के से काट रहे थे, और मैं दर्द और मस्ती में सिसकार रही थी, “आआह्ह… उई… पापा… धीरे… उफ्फ…” मेरी चूत अब बेपनाह पानी छोड़ रही थी। मैंने अपनी बाहें फैलाकर चादर को कसकर पकड़ लिया। मेरी गांड खुद-बखुद ऊपर-नीचे होने लगी थी, जैसे मैं अब और बर्दाश्त नहीं कर सकती थी। पापा कभी मेरी चुचियों को चूसते, तो कभी मेरे होंठों पर चढ़कर उन्हें चूसने लगते। मैं कामुक आवाज में बुदबुदा रही थी, “पापा… बस कीजिए ना… आआह…”

पापा अब मेरे पैरों की उंगलियों के पास आए। उन्होंने मेरी एक उंगली को अपने मुँह में लिया और चूसने लगे। उनकी जीभ मेरी उंगलियों पर घूम रही थी, और साथ ही वो मेरा लहंगा और ऊपर सरका रहे थे। मेरी चिकनी टाँगें अब पूरी तरह उनके सामने थीं। पापा ने मेरे घुटनों को चूमा, फिर धीरे-धीरे मेरी जाँघों की ओर बढ़े। जैसे ही मेरा लहंगा मेरी जाँघों से ऊपर हुआ, पापा ने मेरी चिकनी, दूध-सी सफेद जाँघों पर अपने होंठ रख दिए। उनकी जीभ मेरी जाँघों पर घूमने लगी, और मैं गुदगुदी से सिसकार उठी, “आआह… पापा… गुदगुदी हो रही है…” पापा कभी मेरी जाँघों को अपने होंठों में भरकर चूसते, तो कभी हल्के से काट लेते। उनकी गर्म साँसें मेरी चूत के पास महसूस हो रही थीं। मेरी गुलाबी पैंटी मेरे चूत के रस से पूरी गीली हो चुकी थी।

पापा की जीभ अब मेरी पैंटी की लाइन के पास पहुँच गई थी। मेरी हालत खराब होने लगी थी। मैं बस यही चाह रही थी कि पापा जल्दी से मेरी पैंटी उतार दें और मुझे नंगी करके अपनी चूत में अपना मूसल लंड डाल दें। लेकिन शर्म के मारे मैं कुछ बोल नहीं पा रही थी। मैं बिस्तर पर मछली की तरह तड़प रही थी, अपनी बाहें फैलाकर चादर को मुट्ठियों में भींच रही थी। “आआह… जी… उई… ये क्या कर रहे हैं… गुदगुदी हो रही है… पापा… रुक जाइए ना…” मैं सिसकार रही थी।

पापा ने मेरी पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत पर अपने होंठ रख दिए। जैसे ही उनके गर्म होंठ मेरी चूत पर पड़े, मैं तड़प उठी, जैसे कोई मछली बिना पानी के छटपटा रही हो। “आआह्ह… उई माँ… पापा…” पापा मेरी पैंटी को अपने मुँह में दबाकर मेरी चूत के रस को चूसने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ रही थी। मेरी चूत अभी पैंटी से ढकी थी, लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था जैसे पापा मुझे नंगी करके मेरी चूत चाट रहे हों। मेरी चूत लगातार पानी छोड़ रही थी, और पापा उसे ऐसे चूस रहे थे जैसे कोई बरसों का प्यासा हो। मैं मस्ती में अपने हाथ उनके सिर पर रखकर उनकी चूत पर दबा रही थी, और अपनी गांड उछालकर उनकी चूत चटवाने में मदद कर रही थी। “आआह… पापा… उई… धीरे… उफ्फ…”

कुछ देर तक पापा मेरी पैंटी के ऊपर से चूत चाटते रहे। मस्ती में मेरा हाथ नीचे मेरी चूत पर चला गया, और मेरी उंगली मेरे ही रस से भीग गई। पापा ने मेरी उंगली देखी, फिर मेरी आँखों में देखने लगे। मैंने शर्म से आँखें बंद कर लीं। पापा धीरे-धीरे मेरे पास आए और मुझे अपनी बाहों में भरकर चूमने लगे। उनका एक हाथ मेरे लहंगे की डोरी पर पहुँच गया। उन्होंने डोरी को टटोला और खींचकर खोल दिया। मेरा लहंगा अब ढीला हो गया, लेकिन मेरे नीचे दबा होने के कारण फँसा हुआ था। पापा ने उसे निकालने की कोशिश की, लेकिन जब नहीं निकला, तो वो उठे और मुझे हसरत भरी नजरों से देखकर मेरे होंठों को चूमने लगे।

मैंने अपनी गांड थोड़ा ऊपर उठाई, और पापा ने मेरा लहंगा खींचकर मेरे बदन से अलग कर दिया। अब मेरे बदन पर सिर्फ एक गुलाबी पैंटी थी, जो मेरी चूत के रस से चिपककर मेरी चूत को ढक रही थी। मैं बिस्तर पर लगभग नंगी लेटी थी। पापा खड़े हुए और मेरी आँखों में देखते हुए अपने कपड़े उतारने लगे। पहले उन्होंने अपनी कमीज उतारी। उनका चौड़ा, काले घने बालों से भरा सीना देखकर मैं बस देखती रह गई। पापा मेरी ओर देखकर मुस्कुरा रहे थे। फिर, उन्होंने अपने पजामे का नाड़ा खींचकर खोल दिया। जैसे ही पजामा नीचे गिरा, उनके अंडरवियर में कैद उनका मस्त लंड मेरी आँखों के सामने था। वो इतना कड़क था कि मानो अंडरवियर को फाड़कर बाहर आ जाएगा।

पापा का काला अजगर जैसा लंड अंडरवियर में समा नहीं रहा था। उसके नीचे लटक रहे बड़े-बड़े बॉल्स मानो उसके पहरेदार हों। मैं सोच रही थी कि जब ये लंड मेरी चूत में जाएगा, तो ये बॉल्स बाहर खड़े होकर पहरा देंगे। पापा के बॉल्स में कितना माल भरा होगा, और मैं जानती थी कि आज वो सारा माल मेरी चूत में डाल देंगे। मैंने शर्म से मुँह बिस्तर पर छुपा लिया। पापा ने प्यार से कहा, “क्या हुआ, जानू? देखो ना।” मैंने मुस्कुराते हुए अपना चेहरा उठाया और उनकी आँखों में देखा।

पापा का लंड मैं पहले भी देख चुकी थी, लेकिन आज इतने करीब से देख रही थी। कितना लंबा, मोटा, और कड़क हथियार था! पापा अपने लंड को अंडरवियर के ऊपर से सहलाते हुए मेरी आँखों में देखकर मुस्कुरा रहे थे। उनकी आँखें मानो कह रही थीं, “देखो, मेरी जान, मेरा ये पहलवान आज रात तुम्हारी चूत की सैर करने को तैयार है।” मेरी चूत का पानी उनकी हरकतों को देखकर और तेजी से बहने लगा।

इसे भी पढ़ें   दिप्प्रेस्सेद भाभी को मैं थोड़े देर के लिए खुस कर दिया | Indian Hot Bhabhi Ki Chudai

पापा ने धीरे-धीरे अपने अंडरवियर को नीचे सरकाया, और उनका लंड बाहर आ गया। मैंने शर्म से आँखें झुका लीं, लेकिन उत्सुकता से फिर देखने लगी। पापा मेरे पास आए और मेरे सिर को अपने लंड की ओर झुकाने लगे। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। जैसे ही उनका लंड मेरे होंठों के पास आया, मैंने शर्म से होंठ बंद कर लिए। पापा ने अपने लंड को मेरे होंठों पर रगड़ते हुए कहा, “निशी, खोलो ना अपने होंठ। देखो, ये कैसे तड़प रहा है।” मैंने धीरे से अपने होंठ खोले, और पापा ने अपना लंड मेरे होंठों पर टिका दिया। मैंने उनके लंड के सुपाड़े को अपने होंठों से कस लिया। मेरी जीभ उनके सुपाड़े पर चलने लगी। “आआह… पापा…” मैं सिसकार उठी।

आप यह Shuhagrat sex story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

पापा के मुँह से सिसकियाँ निकलने लगीं, “आआह… निशी…” वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगे। मैं उनके लंड को चूस रही थी, जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रहा हो। मुझे अब मजा आने लगा था। मैंने अपना मुँह और खोला और जितना हो सका, उनके लंड को अपने मुँह में भर लिया। “आआह… उई… पापा… कितना मोटा है…” मैं बुदबुदा रही थी। पापा भी अपनी कमर हिलाते हुए कह रहे थे, “जानू, पहली बार किसी ने मेरा लंड चूसा है। मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझे ये मजा मिलेगा। तुमने मुझे खुश कर दिया।”

तभी पापा ने अपना लंड मेरे मुँह से निकाला। मैं सवालिया नजरों से उन्हें देखने लगी। पापा ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी दोनों टाँगों को खोलकर उनके बीच आ गए। उनका काला, मोटा लंड मेरी चूत के सामने था, जैसे कोई नाग फन फैलाकर मुझे सलामी दे रहा हो। मैं डर और उत्साह दोनों से काँप रही थी। पापा ने मेरी टाँगों को और चौड़ा किया और अपने लंड को मेरी चूत पर रख दिया। उनके लंड का गर्म सुपाड़ा मेरी चूत को छू रहा था, जैसे कोई गर्म लोहे की रॉड मेरी चूत पर रख दी हो। “आआह… पापा… धीरे…” मैं सिसकार उठी।

पापा ने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, और उनके लंड से रगड़ने से और रस छोड़ने लगी। पापा का लंड मेरे रस से चमक रहा था। उन्होंने हल्का सा धक्का मारा, लेकिन उनका मोटा लंड मेरी टाइट चूत में नहीं गया। “आआह… पापा… नहीं जाएगा… बहुत मोटा है…” मैंने शर्माते हुए कहा। पापा ने मुस्कुराकर मेरी आँखों में देखा, “जानू, चला जाएगा। सब औरतों के अंदर जाता है, तो तुम्हारे अंदर क्यों नहीं जाएगा? जितना मोटा है, उतना ही मजा देगा।”

पापा ने मुझे प्यार से लिटाया और मेरी टाँगों को और चौड़ा किया। वो झुककर मेरी चूत को अपने मुँह में ले लिया। उनकी जीभ मेरी चूत की दीवारों पर रगड़ रही थी। “आआह… उई माँ… पापा… गुदगुदी…” मैं सिसकार रही थी। पापा मेरी चूत को चूस रहे थे, और मेरी चूत से रस की धार बह रही थी। मैंने अपनी टाँगें और चौड़ी कर दीं। पापा ने मेरी चूत को चाटते हुए कहा, “जानू, तुम्हारी चूत कितनी रसीली है।” मैंने शर्माते हुए उनकी ओर देखा और कहा, “पापा… आप बहुत बदमाश हो।”

पापा ने पास रखी KY जेल की डिब्बी उठाई और मेरी चूत पर लगाई। फिर अपने लंड पर भी जेल लगाई। अब उनका मोटा सुपाड़ा मेरी चूत की दरार पर रगड़ रहा था। “आआह… पापा… धीरे…” मैं सिसकार रही थी। पापा ने अपने सुपाड़े को मेरी चूत पर दबाया। मेरी टाइट चूत धीरे-धीरे फैलने लगी। “सी सी… आआह… उई माँ… पापा… आराम से…” मैं दर्द से सिसकार रही थी। अभी आधा सुपाड़ा ही अंदर गया था कि मैंने अपनी गांड हिलाई, और लंड बाहर फिसल गया। “पापा… बहुत दर्द हो रहा है…” मैंने कहा।

पापा ने और जेल लगाई और मेरी टाँगों को कसकर पकड़ा। फिर उन्होंने अपने सुपाड़े को मेरी चूत पर सेट किया और धीरे से दबाया। इस बार सुपाड़ा अंदर घुस गया। “आआह… उई माँ… पापा… धीरे… बहुत दर्द हो रहा है…” मैं चीख रही थी। पापा मेरे ऊपर लेट गए और मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगे। वो मेरे होंठों को चूमने लगे और मेरी चुचियों को चूसने लगे। मेरे दर्द में थोड़ी राहत हुई। मैंने उनकी आँखों में देखा और कहा, “पापा… आई लव यू… धीरे करो…”

पापा ने धीरे से अपने लंड को और अंदर दबाया। अब लगभग 2 इंच अंदर था। मेरी चूत उनकी मोटाई से कसकर जकड़ रही थी। “सी सी… आआह… उई माँ… पापा… मैं मर जाऊँगी…” मैं दर्द से चीख रही थी। पापा ने मेरी चुचियों को सहलाया और मेरे निप्पल को जीभ से कुरेदने लगे। मेरा दर्द थोड़ा कम हुआ। मैंने शर्माते हुए कहा, “पापा… अब थोड़ा अच्छा लग रहा है… गुदगुदी हो रही है।”

पापा ने मेरे कान में फुसफुसाया, “जानू, अभी तो सिर्फ 2 इंच अंदर है। अभी 7 इंच बाहर है।” मैं चौंक गई, “क्या? बस 2 इंच? पापा, मेरी जान निकल रही है!” पापा ने मुस्कुराते हुए कहा, “मेरी बेटू, पहली बार है, इसलिए दर्द हो रहा है। थोड़ी देर बाद बहुत मजा आएगा।” उन्होंने अपने लंड को धीरे-धीरे बाहर निकाला और फिर हल्के से अंदर दबाया। अब 3 इंच अंदर था। मैं सिसकार रही थी, “आआह… पापा… धीरे… बहुत मोटा है…”

पापा ने मेरी कमर को पकड़ा और लंड को बाहर निकालकर फिर से जेल लगाई। फिर उन्होंने अपने सुपाड़े को मेरी चूत पर सेट किया और एक जोरदार झटका मारा। “आआआह्ह… उई माँ… पापा… मर गई…” मैं चीख पड़ी। उनका लंड 4 इंच अंदर घुस गया था। मेरी चूत की सील टूट चुकी थी। मेरी आँखों से आँसू बहने लगे, और चूत से खून की धार निकलने लगी। मैं दर्द से थरथरा रही थी। पापा रुक गए और मेरे आँसुओं को चूमने लगे। “आई लव यू, जानू… थोड़ा बर्दाश्त करो…” वो मेरी चुचियों को चूसने लगे।

थोड़ी देर बाद मेरा दर्द कम हुआ। मैंने सिसकते हुए कहा, “पापा… अब थोड़ा कम दर्द है… गुदगुदी हो रही है।” पापा ने मुस्कुराते हुए पूछा, “और डालूँ?” मैंने शर्म से उनकी ओर देखा और हल्के से सिर हिलाया। पापा ने धीरे से एक और इंच अंदर दबाया। “आआह… सी सी… पापा… धीरे…” मैं फिर सिसकार उठी। पापा ने मेरे होंठों को चूमा और कहा, “मेरी जान, तू कितनी प्यारी है। तूने अपनी चूत की सील मुझे दी, ये मेरा सबसे अनमोल गिफ्ट है।”

इसे भी पढ़ें   थोड़ा ही घुसाउंगा बोला पर पूरा पेल दिया भाई ने

आप यह Shuhagrat sex story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

मैंने शर्माते हुए कहा, “पापा… आप मेरी बहुत केयर करते हो। मैं बहुत लकी हूँ कि मुझे आप जैसे प्यारे पापा मिले।” पापा ने मेरे कान में कहा, “जानू, हम जल्दी इस शहर को छोड़कर कहीं और चले जाएँगे। वहाँ सब तुम्हें मेरी बीवी जानेंगे। मैं तुम्हें कभी दुख नहीं दूँगा।” उनकी बातें सुनकर मेरा दिल भर आया।

पापा ने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया। मेरी चूत अब पानी छोड़ रही थी, और दर्द धीरे-धीरे मजे में बदल रहा था। “आआह… पापा… अब मजा आ रहा है…” मैं सिसकार रही थी। पापा मेरी चुचियों को चूस रहे थे और धीरे-धीरे धक्के मार रहे थे। “जानू, अभी 2 इंच बाहर है। और डालूँ?” मैंने शरमाते हुए कहा, “पापा, इतने से ही मेरी जान निकल रही है। आप सुहागरात को ही अपनी नई बीवी की जान लोगे?” पापा हँसे और बोले, “जानू, मैं तेरी जान नहीं, तेरी चूत लूँगा।”

मैंने कहा, “पापा, आपको मजा आ रहा है ना?” पापा ने कहा, “बेटू, ऐसा लग रहा है जैसे मेरा लंड किसी गर्म भट्टी में फँस गया हो। तुम्हारी चूत का मक्खन मेरे लंड को मालिश कर रहा है।” उनकी बातें सुनकर मैं शरमा गई। पापा ने पूछा, “जानू, मेरा पानी कहाँ निकालूँ?” मैंने शर्माते हुए कहा, “पापा, अंदर ही निकालो। मेरी चूत को ठंडा कर दो। अभी मेरे पीरियड्स हुए हैं, सेफ है।” पापा ने मुस्कुराकर मेरे होंठ चूमे।

पापा ने धीरे-धीरे धक्के तेज किए। “आआह… उई… पापा… और जोर से…” मैं मस्ती में चीख रही थी। पापा का लंड मेरी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था। “चप… चप… चप…” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। मेरी चूत उनके लंड को कसकर जकड़ रही थी। पापा ने एक जोरदार धक्का मारा, और उनका सारा वीर्य मेरी चूत में भर गया। “आआह… पापा… बहुत मजा आ रहा है… आपकी बारिश मेरी चूत को ठंडा कर रही है…” मैं सिसकार रही थी। मैं भी चार बार पानी छोड़ चुकी थी।

पापा निढाल होकर मेरे ऊपर लेट गए। मैंने उन्हें कसकर जकड़ लिया। हम दोनों एक-दूसरे से लिपटकर बिस्तर पर लेट गए। पापा मेरे सीने पर अपना सिर रखकर मेरी चुचियों को सहलाने लगे। “पापा, बहुत मजा आया… लेकिन अभी भी दर्द हो रहा है।” पापा ने मुस्कुराकर कहा, “जानू, पहली बार है। थोड़ा दर्द तो होगा।”

कुछ देर बाद मैंने कहा, “पापा, मुझे पेशाब करना है।” पापा ने मुझे अपनी बाहों में उठाया और बाथरूम ले गए। मैं पेशाब करने लगी। पेशाब की धार की आवाज अलग थी। पापा ने गीजर चालू किया, और हम दोनों गर्म पानी में नहाने लगे। पापा ने मेरी चूत को साबुन से धोया, और पानी की पाइप से मेरी चूत को साफ किया। “पापा, ये क्या कर रहे हैं?” मैंने पूछा। पापा बोले, “जानू, अंदर तक सफाई कर रहा हूँ। इससे गर्भ की संभावना कम होती है।” मैंने शरमाते हुए कहा, “पापा, मैं सेफ हूँ।” पापा ने मेरे होंठ चूमे और मेरी चूत को फिर से चूसने लगे। “आआह… पापा… गुदगुदी…” मैं सिसकार रही थी।

हम दोनों नहाकर बाहर आए। घड़ी में रात के 12 बज रहे थे। मैंने कहा, “पापा, अब सोते हैं। मेरी चूत में अभी भी दर्द है।” पापा ने मुझे गुड़िया की तरह उठाकर बिस्तर पर लिटाया और एक पेनकिलर दी। “जानू, 15 मिनट में दर्द गायब हो जाएगा।” मुझे भूख लग रही थी। पापा ने मजाक में कहा, “केला खाएगी?” मैं शरमा गई। पापा हँसे और बोले, “अरे, असली वाला।” उन्होंने मुझे एक केला छीलकर दिया। हमने केले और संतरे खाए। फिर पापा मेरे पास लेट गए और मेरी चुचियों को सहलाने लगे। मैंने कहा, “पापा, आपका मन नहीं भरा?” पापा बोले, “बेटू, तू इतनी प्यारी है कि मन करता है तुझे प्यार करता रहूँ।” मैंने शरमाते हुए कहा, “पापा, अब कल करना। मेरी चूत बहुत दर्द कर रही है।”

पापा ने मेरी एक चुची को मुँह में लिया और हल्के से काटने लगे। “सी सी… उई माँ… पापा… धीरे…” मैं सिसकार रही थी। पापा ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया, और हम दोनों नंगे ही चिपककर सो गए। सुबह 6 बजे मैं टॉयलेट के लिए उठी। पापा ने मुझे अपनी बाहों में जकड़ रखा था। मैंने उनका हाथ हटाया और बाथरूम गई। शीशे में देखा तो मेरी चूत सूजकर कचौड़ी बन गई थी। खून और वीर्य के निशान मेरी जाँघों पर थे। पापा पीछे से आए और मुझे चूमकर बोले, “गुड मॉर्निंग, शोना।” मैंने भी कहा, “गुड मॉर्निंग, बाबू।”

हम दोनों साथ में फ्रेश हुए। पापा ने मुझे फिर बाहों में उठाकर बिस्तर पर लाया। “शोना, रात में मजा आया?” मैंने शरमाते हुए उनके सीने पर मुक्के मारे, “पापा, आप बड़े बदमाश हो।” पापा ने मेरी आँखों में देखा, “कैसी बदमाशी की?” मैंने कहा, “आप सब जानते हैं। मुझे बहुत मजा आया।” हम दोनों हँसते हुए एक-दूसरे को चूम रहे थे। इस तरह मेरी और पापा की सुहागरात मनी।

अगर आपको ये कहानी पसंद आई, तो इसे अपने दोस्तों के साथ फेसबुक और व्हाट्सएप पर शेयर करें। आपकी प्रतिक्रियाएँ कमेंट में जरूर दें।

आप यह Shuhagrat sex story हमारी वेबसाइट फ्री सेक्स कहानी डॉट इन पर पढ़ रहे है।

कहानी का अगला भाग: बेटी बनी पापा की पत्नी – 5

Related Posts

Report this post

2 thoughts on “बेटी बनी पापा की पत्नी – 4”

Leave a Comment