नमस्ते पाठकों! हम आपके लिए एक बिल्कुल नया अनुभव लेकर आए हैं। इस कहानी में आप अपना नाम डालकर इसे और भी रोमांचक बना सकते हैं। ये इस तरह की कहानियों में बिल्कुल नया कॉन्सेप्ट है, जो शायद ही कहीं और देखने को मिले। अपना नाम डालें और कहानी को ऐसा महसूस करें जैसे ये आपके साथ हो रही हो! नीचे बटन पर क्लिक करें और अपनी पसंद का नाम डालें। अगर आप नाम नहीं डालते, तो कहानी में डिफॉल्ट नाम “रवि” यूज होगा। तो तैयार हो जाइए एक अनोखे अनुभव के लिए!
पिछले साल दीवाली की बात है। तू अपने कॉलेज से, जो दूसरे शहर में है, बिना बताए घर लौट आया। तुझे लगा, माँ को सरप्राइज देना मजेदार होगा। ट्रेन लेट थी, और तू रात के 10 बजे अपनी हवेली के बड़े से लोहे के गेट पर पहुंचा। हवेली में सन्नाटा पसरा था। सिर्फ माली और एक नौकर थे, जो शाम को ही अपने घर चले जाते। माँ, विजयलक्ष्मी, उस रात अकेली थी। हवेली का बड़ा सा आंगन खाली पड़ा था, और दूर कहीं कुत्तों के भौंकने की आवाज आ रही थी। रात की ठंडी हवा में हवेली की पुरानी दीवारें और भी रहस्यमयी लग रही थीं। तूने गेट खटखटाया, और माँ बाहर आईं, ताला लगाने के लिए।
उन्होंने एक पतली सी, पारदर्शी नाइटी पहनी थी, जो उनके गोरे, भरे-पूरे जिस्म को मुश्किल से ढक रही थी। अंदर न ब्रा थी, न पैंटी। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां नाइटी के ऊपर से साफ दिख रही थीं, और निप्पल का उभार तो ऐसा था मानो कपड़ा फाड़कर बाहर आ जाए। उनके खुले बाल हवा में लहरा रहे थे, और चेहरे पर ताजा फेशियल की चमक थी, जो चांदनी रात में और निखर रही थी। माँ का वो रूप देखकर तेरा दिल धक-धक करने लगा। तेरे अंदर एक अजीब सी हलचल हुई, कुछ ऐसा जो पहले कभी नहीं हुआ था। माँ ने तुझे देखा, और उनकी आंखें खुशी से चमक उठीं। “रवि!” वो चिल्लाईं और तुझे गले से लगा लिया। उनका जिस्म तेरे जिस्म से सट गया, और तूने उनकी गर्मी को महसूस किया।
“तूने बताया नहीं कि आ रहा है! मैं गाड़ी भेज देती!” माँ ने कहा, उनकी आवाज में ममता थी, लेकिन साथ ही एक अजीब सी उत्तेजना भी। तूने हंसकर कहा, “माँ, मैं आपको सरप्राइज देना चाहता था।” माँ ने तुझे फिर से गले लगाया, और इस बार उनकी चूचियां तेरे सीने से दब रही थीं। तूने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन तेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा। माँ ने शायद इसे भांप लिया, लेकिन वो कुछ बोली नहीं। उनकी सांसें तेज थीं, और तूने उनके चेहरे पर एक हल्की सी शरम देखी।
तुम दोनों हवेली के अंदर आए। बड़ा सा हॉल मंद रोशनी में डूबा था, और दीवाली की सजावट की हल्की सी चमक दीवारों पर नाच रही थी। पुरानी लकड़ी की सीढ़ियां चरमराईं, जैसे हवेली भी तुम्हारी वापसी का स्वागत कर रही हो। माँ ने कहा, “चल, हाथ-पैर धो ले, खाना देती हूँ।” तूने मना कर दिया, “माँ, मैंने ट्रेन में खा लिया। अब भूख नहीं है।” तू अपने कमरे में गया, एक ढीली टी-शर्ट और लोअर पहना, लेकिन मन में कुछ और ही चल रहा था। रात गहरा चुकी थी, और सोने का वक्त था। माँ ने कहा, “चल, तेरा बेड लगा देती हूँ।” लेकिन तूने उनकी आंखों में देखा और धीमी आवाज में कहा, “माँ, क्या मैं आज आपके साथ नहीं सो सकता? बस एक हफ्ते के लिए तो आया हूँ।”
माँ ने तेरी आंखों में देखा, और उनकी सांसें जैसे रुक गईं। उनकी नजरें एक पल के लिए झुकीं, फिर उन्होंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, बेटा, आज मेरे पास ही सो जा।” माँ का कमरा बड़ा था, पुराने जमींदारी स्टाइल में सजा हुआ। लकड़ी का बड़ा सा पलंग, मखमली चादरें, और हल्की सी अगरबत्ती की खुशबू। माँ ने कहा, “मैं कपड़े बदलकर आती हूँ।” लेकिन तूने उनका हाथ पकड़ लिया। “नहीं माँ, आप ऐसे ही बहुत सुंदर लग रही हो। सच कहूँ तो… हॉट लग रही हो।” माँ ने हंसकर तुझे हल्का सा धक्का दिया। “ऐसे बोलेगा अपनी माँ को?” लेकिन उनकी आंखों में एक चमक थी, जैसे वो तेरी बात से शर्मा रही थीं, लेकिन मन ही मन खुश भी थीं।
तूने फिर कहा, “माँ, अगर मैं ये बात किसी लड़की को बोलता, और वो मुझसे कहती कि मेरे साथ रात बिताओ, फिर शादी करो, और माँ को छोड़ दो… तो?” माँ का चेहरा अचानक गंभीर हो गया। “ऐसी बातें मत कर, रवि। तू मेरा इकलौता सहारा है। अगर तू मुझे छोड़ देगा, तो मैं जीते-जी मर जाऊंगी।” उनकी आंखें नम हो गईं, और वो तुझे फिर से गले लगाने लगीं। इस बार उनका जिस्म तेरे जिस्म से पूरी तरह सट गया। उनकी चूचियां तेरे सीने से दब रही थीं, और तेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था। माँ ने इसे महसूस किया, लेकिन वो पीछे नहीं हटीं। तूने उनके गाल पर एक हल्का सा चुम्बन दिया, और माँ ने भी जवाब में तेरे गाल को चूमा।
लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ, जिसने माहौल को पूरी तरह बदल दिया। माँ ने तेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। तू एक पल के लिए ठिठक गया, जैसे समझ नहीं पाया कि ये क्या हो रहा है। लेकिन फिर तूने भी उनके होंठों को चूम लिया। माँ की सांसें गर्म थीं, और उनके होंठ मुलायम, जैसे रस से भरे हों। तूने धीरे-धीरे उनकी जीभ को अपनी जीभ से छुआ, और वो भी तुझमें खो सी गईं। माँ ने तुझे और कसकर गले लगाया, और तेरा लंड उनकी जांघों से टकराने लगा। उनकी नाइटी का कपड़ा इतना पतला था कि तुझे उनके जिस्म की हर गर्मी महसूस हो रही थी। तूने उनके कंधों को पकड़ा और उन्हें धीरे से पलंग की तरफ ले गया।
माँ ने एक बार तेरी तरफ देखा, जैसे कुछ कहना चाहती हों। “रवि… ये गलत है…” उन्होंने धीमी आवाज में कहा, लेकिन उनके जिस्म की गर्मी और उनकी आंखों की चमक कुछ और कह रही थी। तूने उनकी नाइटी के ऊपर से उनकी चूचियों को सहलाना शुरू किया। उनके निप्पल सख्त हो चुके थे, और नाइटी के ऊपर से साफ महसूस हो रहे थे। माँ की सिसकारियां निकलने लगीं। “उफ्फ… रवि…” वो बस इतना ही कह पाईं। तूने उनकी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर उठाया, और उनकी गोरी, चिकनी जांघें नजर आईं। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी नशीली खुशबू ने तुझे और उत्तेजित कर दिया। तूने अपनी उंगलियां उनकी चूत पर फेरी, और माँ ने एक जोरदार सिसकारी भरी। “आह… बेटा… क्या कर रहा है…”
तूने उनकी नाइटी को पूरी तरह उतार दिया, और अब वो तेरे सामने पूरी तरह नंगी थीं। उनकी बड़ी-बड़ी चूचियां, गोल-मटोल गांड, और चिकनी, गीली चूत ने तुझे पागल कर दिया। तूने उनके निप्पल को अपने मुँह में लिया और चूसने लगा। माँ की सिसकारियां और तेज हो गईं। “आह… रवि… और कर…” वो कराह रही थीं, और उनके हाथ तेरे बालों में थे, तुझे और करीब खींचते हुए। तूने उनकी चूचियों को चूमा, चाटा, और हल्के से काटा। माँ का जिस्म कांप रहा था, और उनकी सांसें तेज हो रही थीं।
तूने अपनी जींस और लोअर उतारा, और तेरा मोटा, खड़ा लंड बाहर आ गया। माँ ने उसे देखा, और उनकी आंखें चमक उठीं। “इतना बड़ा…” उन्होंने धीरे से कहा, और फिर हल्के से हंस पड़ीं। तूने उनका हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया। माँ ने उसे सहलाना शुरू किया, और फिर धीरे-धीरे उसे अपने मुँह में ले लिया। उनकी गर्म जीभ ने तेरे लंड को चाटना शुरू किया, और तू सातवें आसमान पर था। “माँ… मैं आपको कभी नहीं छोड़ूंगा… बस आपका साथ चाहिए,” तूने सिसकारी लेते हुए कहा। माँ ने तेरे लंड को और गहराई तक लिया, और उनकी जीभ ने उसे चाट-चाटकर और सख्त कर दिया।
माँ ने तुझे पलंग पर लिटाया और तेरे ऊपर चढ़ गईं। उनकी चूत तेरे मुँह के पास थी, और तूने उसे चाटना शुरू किया। माँ की चूत का स्वाद नमकीन और नशीला था। वो जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थीं, और उनका पानी तेरे मुँह पर लग रहा था। “उफ्फ… रवि… और कर…” वो कराह रही थीं। तूने उनकी चूत को चाटा, चूसा, और अपनी जीभ को अंदर-बाहर किया। माँ का जिस्म थरथरा रहा था, और वो बार-बार तेरे मुँह पर अपनी चूत रगड़ रही थीं। फिर माँ ने तेरे लंड को अपनी चूत पर सेट किया और धीरे-धीरे उसे अंदर ले लिया। उनकी चूत इतनी गीली थी कि तेरा लंड आसानी से अंदर चला गया।
अब माँ ने धक्के मारना शुरू किया। उनकी चूचियां उछल रही थीं, और तू उन्हें पकड़कर दबाने लगा। हर धक्के के साथ कमरे में गच-गच, फच-फच की आवाज गूंज रही थी। “आह… रवि… चोद मुझे…” माँ ने कहा, और तूने उनकी गांड को पकड़कर और जोर से धक्के मारे। तुम दोनों पसीने से तर-बतर हो गए थे। माँ कभी तेरे ऊपर, कभी नीचे, कभी घोड़ी बनकर, तो कभी खड़े-खड़े चुदाई कर रही थीं। तूने उनकी गांड को सहलाया, उनके चूतड़ों को दबाया, और हर धक्के में उनकी सिसकारियां और तेज होती गईं। “उफ्फ… रवि… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दे…” माँ की आवाज में एक जंगलीपन था, जो तुझे और उत्तेजित कर रहा था।
रात भर तुम दोनों एक-दूसरे में खोए रहे। कभी माँ तेरे लंड को चूस रही थीं, कभी तू उनकी चूत को चाट रहा था। कभी तुम दोनों 69 की पोजीशन में थे, तो कभी माँ ने तुझे दीवार के सहारे खड़ा करके चुदाई की। कमरे में सिर्फ तुम्हारी सिसकारियां, गच-गच की आवाजें, और पसीने की गंध थी। आखिरकार, जब तुम दोनों थक गए, माँ तेरे सीने पर सिर रखकर लेट गईं। “रवि, ये रिश्ता क्या कहलाएगा, मुझे नहीं पता,” उन्होंने धीरे से कहा। “लेकिन मुझे अब बैंगन से चुदाई नहीं करनी पड़ेगी। तू मेरा सब कुछ है।” तूने उनकी तरफ देखा और मुस्कुराया। “माँ, मैं हमेशा आपके साथ रहूंगा।”
ये रात तुम दोनों के लिए एक नई शुरुआत थी। आगे क्या होगा, ये तो वक्त ही बताएगा।
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यह एक रियल फीलिंग हैं
काश हर कहानी इसी फॉर्मेट में हो