बाप बेटी हवस में भूल कर बैठे

बाप-बेटी की नाजायज हवस कहानी – bap beti chudai kahani – taboo sex kahani: मेरी फैमिली में चार लोग हैं। मैं अखिलेश, 44 साल का, लंबा-चौड़ा, हट्टा-कट्टा, गोरा रंग, और सरकारी नौकरी में बड़े अफसरों की बॉडीगार्ड का काम करता हूँ। मेरी बीवी स्मृति, 40 साल की, गदराया हुआ जिस्म, गोरी, भरे हुए चूचे और भारी गांड, जो आज भी किसी को पागल कर दे। मेरी बड़ी बेटी खुशबू, 20 साल की, पतली कमर, छोटे-छोटे चूचे, गुलाबी निप्पल, और इतनी खूबसूरत कि कोई भी उसकी स्माइल देखकर फिदा हो जाए। मेरी छोटी बेटी नेहा, 18 साल की, थोड़ी शर्मीली, स्कूल में पढ़ती है, और अभी जवानी की दहलीज पर कदम रख रही है। हमारा घर शहर के एक शांत मोहल्ले में है, जहां दिन की भागदौड़ के बाद रात को सुकून मिलता है।

मेरा काम बड़ा टफ है। दिनभर बड़े-बड़े अफसरों के साथ रहता हूँ, उनकी मीटिंग्स, उनके दौरे, सब में उनके पीछे-पीछे। रात को घर लौटता हूँ तो शरीर टूटा हुआ होता है। स्मृति रात को मेरे पास आती, अपनी नाइटी ऊपर उठाकर अपनी गोरी जांघें दिखाती, अपने चूचे मेरे सीने पर रगड़ती, लेकिन मैं थकान की वजह से उसकी आग को ठंडा नहीं कर पाता था। वो बेचारी उछल-उछलकर मुझसे चिपटती, लेकिन मैं बस उसे गले लगाकर सो जाता। उसकी जवानी की आग मुझमें नहीं बुझ रही थी।

फिर एक दिन मेरे काम पर कुछ अनबन हो गई। गुस्से में मैंने नौकरी छोड़ दी और अपनी सिक्योरिटी एजेंसी शुरू की। शुरुआत में काम धीमा था, सुबह 10 से शाम 5 तक का शेड्यूल। इस नए रूटीन ने मुझे थोड़ा वक्त दिया, लेकिन मेरे अंदर की मर्दानगी अभी भी सोई हुई थी। तभी एक दोस्त ने मुझे एक जड़ीबूटी वाले बाबा का नाम बताया। मैंने उससे कुछ गोलियां लीं, जो उसने कहा था कि मेरी मर्दानगी को जगा देंगी। मैंने 21 दिन तक वो गोलियां खाईं, और सचमुच, मेरे अंदर जैसे आग लग गई। मेरा 7 इंच का लंड अब हर वक्त तनकर खड़ा रहता। मेरी बॉडी में गर्मी इतनी बढ़ गई कि कोई भी औरत सामने आती तो मेरा लंड सलामी देने लगता।

अब मैं रात को स्मृति को चोदने लगा। वो भी मेरी इस नई ताकत से पागल हो गई थी। रात को हमारा बेडरूम जंग का मैदान बन जाता। मैं उसे हर स्टाइल में चोदता—कभी उसे बेड पर लिटाकर, कभी उसकी गांड पकड़कर डॉगी स्टाइल में, कभी उसे अपनी गोद में बिठाकर। वो चीखती, “आह्ह… अखिलेश… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो!” उसकी चीखें इतनी तेज थीं कि एक रात खुशबू और नेहा दोनों दौड़कर कमरे में आ गईं। उन्हें लगा मम्मी को कुछ हो गया है। लेकिन वहां उन्होंने मुझे नंगा देखा, मेरा लंड स्मृति की चूत में घुसा हुआ था। वो दोनों शॉक्ड होकर भाग गईं, लेकिन खुशबू की आँखों में कुछ और ही था—जैसे कोई हवस जाग रही हो।

उस दिन के बाद खुशबू का बर्ताव बदल गया। वो मेरे आसपास ज्यादा घूमने लगी, जानबूझकर मेरे पास आती। स्मृति का ध्यान जब कहीं और होता, वो अपनी नाइटी ऊपर उठाकर अपनी जांघें दिखाती, या झुककर अपने चूचे मेरे सामने लहराती। मैं और स्मृति अब इतने हवसी हो गए थे कि हमें कुछ सूझता ही नहीं था। हमारा घर अब चुदाई का अड्डा बन गया था। मैंने स्मृति से कहा, “अब ब्रा-पैंटी मत पहना कर। जब मूड बने, हम तुरंत शुरू हो जाएंगे।” वो मान गई, और अब वो घर में सिर्फ ढीली-ढाली नाइटी पहनती।

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एक दिन दोपहर को मैं जल्दी घर आ गया, करीब 4 बजे। मैं अपने कमरे में गया। बेड पर कोई नाइटी पहने सो रहा था। मुझे लगा स्मृति है। मैंने नाइटी ऊपर उठाई, उसकी गोरी गांड देखी, और जोर से एक थप्पड़ मारा, “उठ, मेरी रानी, आज तुझे जमकर ठोकूंगा!” लेकिन अगले ही पल एक चीख सुनाई दी। वो स्मृति नहीं, खुशबू थी। वो चिल्लाते हुए उठी, अपनी गांड पकड़कर मुझे घूरने लगी। उसकी आँखों में डर था, लेकिन साथ ही एक अजीब सी चमक भी। वो भागकर अपने कमरे में चली गई। मैं शर्मिंदगी से मर गया। सोचा, अगर उसने स्मृति को बता दिया, तो मेरी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी।

मैंने फैसला किया कि उसे माफी मांगनी होगी। मैं उसके कमरे में गया। वहां नेहा सो रही थी, और खुशबू शीशे के सामने खड़ी थी, पूरी नंगी। मेरे थप्पड़ के निशान उसकी गोरी गांड पर लाल पड़ गए थे। वो अपनी गांड पर हाथ फेर रही थी, फिर उसने खुद एक थप्पड़ मारा। उसकी सिसकारियां सुनाई दीं, “उह्ह…” वो अपने चूचे दबा रही थी, अपनी चूत में उंगली डाल रही थी, और फिर उसी उंगली को चाट रही थी। मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, लेकिन मैं चुपके से अपने कमरे में लौट आया।

उस दिन के बाद खुशबू का बर्ताव और अजीब हो गया। वो जानबूझकर मेरे पास आती, अपनी गांड मेरे शरीर से टकराती। स्मृति जब किचन में होती, वो मेरे सामने झुककर अपने चूचे दिखाती, या अपनी नाइटी ऊपर उठाकर अपनी चिकनी जांघें चमकाती। मैं समझ नहीं पा रहा था कि उसे कैसे समझाऊं। एक दिन स्मृति ने कहा, “खुशबू को बाइक पर कॉलेज छोड़ दो।” मैं उसे लेकर निकला। रास्ते में उसने हद कर दी। उसने मेरे लंड को टच किया, फिर उसे जोर से दबा दिया। “खुशबू, ये क्या कर रही है?” मैंने गुस्से में बाइक रोकी। लेकिन वो बस हंसती रही, “पापा, मजा आया ना?” उसकी आँखों में शरारत थी।

पानी अब सर से ऊपर जा चुका था। कुछ दिन बाद स्मृति को किसी काम से बाहर जाना था। मैं घर पहुंचा। खुशबू मुझे देखकर खुश हो गई। उसने नॉर्मल कपड़े पहने थे, लेकिन मुझे देखते ही वो नाइटी पहनकर आ गई, वो भी बिना ब्रा-पैंटी के। उसकी नाइटी इतनी पतली थी कि उसके गुलाबी निप्पल साफ दिख रहे थे। मैंने उसे अपने कमरे में बुलाया, सोचा कि उसे समझाऊंगा। लेकिन वो मेरी गोद में आकर बैठ गई। उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मुझे किस करने लगी। उसकी जीभ मेरे मुंह में नाच रही थी। मैंने उसे हटाने की कोशिश की, “खुशबू, ये गलत है! मैं तेरा बाप हूँ!”

वो रोने लगी, “पापा, क्या मैं अच्छी नहीं दिखती? मम्मी से भी ज्यादा सुंदर हूँ ना?” उसकी आँखों में आंसू थे, लेकिन उसकी आवाज में हवस थी। मैंने उसे समझाया, “तू बहुत खूबसूरत है, लेकिन ये नहीं हो सकता। तुझे कोई अच्छा लड़का मिलेगा।” लेकिन वो नहीं मानी। उसने मेरी पैंट की जिप खोल दी और मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाल लिया। “पापा, बस एक बार देखना है, प्लीज!” उसने कहा, और मेरे लंड को अपने नाजुक हाथों से हिलाने लगी।

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उसके मुलायम हाथों ने मेरे लंड को छुआ, और वो गोलियां मेरे दिमाग पर हावी हो गईं। मेरा लंड तनकर पत्थर जैसा हो गया। वो उसे लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। “आह्ह… खुशबू…” मैं सिसकने लगा। उसका मुंह छोटा था, मेरा पूरा लंड उसमें नहीं समा रहा था, लेकिन वो उसे चूसती रही। उसकी जीभ मेरे सुपाड़े पर घूम रही थी, और मैं पागल हो रहा था। वो मेरे लंड को चाट रही थी, फिर नीचे मेरे टट्टों को चूसने लगी। “पापा… आपका लंड इतना मोटा है… आह्ह…” वो सिसक रही थी।

वो अचानक खड़ी हुई और अपनी नाइटी उतार दी। उसका गोरा जिस्म मेरे सामने था। छोटे-छोटे चूचे, गुलाबी निप्पल, और नीचे उसकी चिकनी, गुलाबी चूत। उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया। “पापा, मुझे सजा दो। मैंने गलती की ना? मेरी चूत को मारो!” उसकी आवाज में हवस थी। उसकी चूत गीली थी, उसकी महक मेरे दिमाग में चढ़ रही थी। उसने मेरी उंगलियां अपने मुंह में डालीं और चूसने लगी। “उह्ह… पापा… ये कितना अच्छा लग रहा है…” वो सिसक रही थी।

मैंने उसे अपनी ओर खींचा और उसकी गोद में बिठाकर किस करना शुरू कर दिया। उसका मुंह छोटा था, लेकिन उसकी जीभ मेरे मुंह में नाच रही थी। “आह्ह… पापा…” वो सिसक रही थी। मैंने उसकी गांड पर एक जोरदार थप्पड़ मारा, और वो “उह्ह…” करके चीखी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी गांड में उंगली डाल दी। वो मेरी उंगलियों को चूस रही थी, और मैं उसकी गांड को सहला रहा था। फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसकी चूत पर मुंह लगा दिया।

उसकी चूत की गुलाबी पंखुड़ियां मेरे होंठों पर रगड़ रही थीं। मैंने उसका दाना चूसा, और वो “आह्ह… पापा… और चाटो… मेरी चूत को खा जाओ…” चीखने लगी। उसकी चूत का पानी मेरे मुंह में आ रहा था। वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबा रही थी, “पापा… और जोर से… उह्ह…” मैंने उसकी चूत को चाटा, उसकी महक मेरे दिमाग में समा रही थी। फिर मैंने उसकी चूत में एक उंगली डाली, और वो “आह्ह… पापा… और डालो…” चीखने लगी। मैंने दो उंगलियां डालीं, और उसकी चूत टाइट थी, लेकिन गीली थी।

फिर उसने मेरे लंड पर थूक लगाया और उस पर बैठने लगी। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड अंदर जाते ही दर्द करने लगा। “आह्ह… पापा… दर्द हो रहा है…” वो चीखी। थोड़ा खून निकला, और मैंने कहा, “डर मत, ऐसा होता है।” मैंने उसे धीरे-धीरे हिलाना शुरू किया। उसकी चूत धीरे-धीरे मेरे लंड को निगलने लगी। वो “आह्ह… उह्ह…” करती रही, और मैं उसकी कमर पकड़कर उसे ऊपर-नीचे करने लगा।

पांच मिनट बाद उसने मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया। मैं हैरान था कि इतनी टाइट चूत में मेरा 7 इंच का लंड कैसे समा गया। वो अब चरम पर थी, उसकी आँखें बंद थीं, होंठ काट रही थी, और चूचे उछल रहे थे। मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत में जोर-जोर से धक्के मारने लगा। “घप… घप… घप…” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। वो चीख रही थी, “पापा… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो… आह्ह…”

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मैंने उसे गोद में उठाया और हवा में चोदने लगा। वो मेरे गले से लटक रही थी, और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक जा रहा था। “उह्ह… पापा… कितना मोटा है आपका लंड… आह्ह…” वो चीख रही थी। उसकी चूत का पानी मेरी जांघों से होता हुआ नीचे टपक रहा था। मैंने उसे फिर से बेड पर लिटाया और उसकी टांगें चौड़ी करके उसे चोदने लगा। उसकी चूत अब पूरी गीली थी, और हर धक्के के साथ “चप… चप…” की आवाज आ रही थी।

मैंने उसे उल्टा किया और डॉगी स्टाइल में उसकी गांड पकड़कर चोदना शुरू किया। उसकी गांड लाल हो रही थी, और वो “आह्ह… पापा… मेरी गांड मारो… और जोर से…” चीख रही थी। मैंने उसकी गांड पर थप्पड़ मारे, और वो हर थप्पड़ के साथ और जोर से चीखती। फिर मैंने उसे फिर से लिटाया और उसकी चूत में अपना लंड डालकर जोर-जोर से ठोकने लगा। वो अपने निप्पल मसल रही थी, “पापा… और चोदो… मेरी चूत को रगड़ डालो…”

मेरा माल अब निकलने वाला था। मैंने उसे घुटनों पर बिठाया और अपना लंड उसके मुंह के सामने हिलाने लगा। वो मेरे सुपाड़े को चाटने लगी, “पापा… आपका माल मुझे दो…” उसने कहा। मैंने जोर-जोर से लंड हिलाया, और मेरा माल उसके हाथों में निकल गया। उसने उसे फेंक दिया, और फिर नंगी ही अपने कमरे में चली गई। मैंने खुद को तौलिये से साफ किया और बेड पर लेट गया।

तभी स्मृति आई। उसने मुझे नंगा देखा और जमीन पर मेरा माल देखकर गुस्सा हो गई। “तुम कितने खुदगर्ज हो! थोड़ा इंतजार नहीं कर सकते थे? मैं तो बस आने वाली थी!” वो चिल्लाई। मैं चुप रहा, क्योंकि वो नहीं जानती थी कि असल में क्या हुआ था। उस दिन के बाद मेरा और खुशबू का रिश्ता बदल गया। अब वो जब भी मौका मिलता, मेरे पास आती और मैं उसे बेरहमी से चोदता। उसके चूचे अब बड़े हो गए थे, उसकी गांड और भारी हो गई थी।

स्मृति को शक होने लगा। वो कहती, “देखो जी, इसकी चाल-ढाल बदल गई है। जरूर ये किसी के नीचे सो रही है।” मैं बात को टाल देता। अब पांच साल हो गए हैं, और स्मृति को आज तक कुछ पता नहीं चला। मैं अब खुशबू के लिए लड़का ढूंढ रहा हूँ, लेकिन उसकी हवस अभी भी मेरे साथ है।

आपको ये कहानी कैसी लगी? क्या आपको लगता है कि खुशबू और अखिलेश का रिश्ता अब और कैसे बदलेगा? अपने विचार कमेंट में जरूर बताएं।

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