बहन से लण्ड चुसवाया – आइसक्रीम का लालच देकर

हेलो दोस्तों, मेरा नाम कमल है, और इस वक्त मेरी उम्र 20 साल है। मैं कॉलेज में पढ़ता हूँ, और आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे दिल में एक आग की तरह सुलग रही है। ये बात कुछ साल पुरानी है, जब मैं जवानी की दहलीज पर कदम रख रहा था, और मेरे मन में वो उलझनें थीं जो उस उम्र में हर लड़के को सताती हैं। मैंने सोचा कि अपनी ये कहानी आप सबके साथ शेयर कर लूँ, ताकि मेरा मन थोड़ा हल्का हो जाए।

बात उन दिनों की है जब मेरे घर कुछ दूर के रिश्तेदार कुछ दिन के लिए रहने आए थे। उनके साथ उनके दो बच्चे भी थे—राहुल और नैन्सी। राहुल मेरी उम्र का था, यानी करीब 18 साल का, और नैन्सी मुझसे दो साल छोटी थी, यानी उस वक्त वो 16 साल की रही होगी। जब भी वो दोनों हमारे घर आते, मेरा मन खुशी से झूम उठता। हम तीनों मिलकर खूब मस्ती करते, घंटों खेलते, और घर में हंसी-मजाक का माहौल बन जाता। नैन्सी की मासूम हंसी, उसकी चुलबुली हरकतें, और उसका बिंदास अंदाज़ मुझे हमेशा से कुछ ज्यादा ही पसंद था। उसकी बड़ी-बड़ी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे बार-बार अपनी ओर खींचती थी। लेकिन मैंने कभी उस बारे में गहराई से नहीं सोचा था—शायद इसलिए कि वो मेरी रिश्तेदार थी, और मैं नहीं चाहता था कि कोई गलतफहमी हो।

हमारा घर दो मंजिला है, और ऊपर की छत पर एक छोटा सा कमरा था, जहाँ जनरेटर रखा रहता था। वो कमरा इतना तंग था कि वहाँ मुश्किल से एक इंसान खड़ा हो सकता था। उस कमरे में कोई नहीं जाता था, क्योंकि वहाँ अंधेरा और धूल-मिट्टी थी। हम तीनों अक्सर नीचे वाली छत पर छुपन-छुपाई खेलते, लेकिन ऊपर कभी नहीं जाते थे। मैंने राहुल को डराने के लिए कहा था कि उस कमरे में भूत रहता है। राहुल डरपोक था, और मेरी बात पर यकीन करके वो कभी ऊपर नहीं जाता था। उसकी ये आदत मेरे लिए उस दिन काम आई, जब मेरे मन में कुछ शरारत सूझी।

एक दोपहर की बात है, गर्मी का मौसम था। आसमान में बादल छाए थे, और हल्की-हल्की हवा चल रही थी। घर में बाकी लोग या तो सो रहे थे या अपने कामों में व्यस्त थे। हम तीनों ने छुपन-छुपाई खेलने का फैसला किया। पहली बारी राहुल की थी। जैसे ही उसने आँखें बंद कीं और गिनती शुरू की, मैंने नैन्सी का हाथ पकड़ा और उसे चुपके से जनरेटर वाले कमरे की तरफ ले गया। वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन मेरे भरोसे पर वो मेरे साथ चल दी। मैंने उसे पहले कमरे में धकेला और फिर खुद उसके पीछे घुस गया। कमरा इतना छोटा था कि हम दोनों एक-दूसरे से चिपक गए। मैंने जल्दी से दरवाजे की कुंडी लगा दी, ताकि कोई हमें डिस्टर्ब न करे।

नैन्सी ने मासूमियत से पूछा, “भैया, ये जगह तो बहुत छोटी है। हम दोनों यहाँ कैसे छुपेंगे? राहुल हमें ढूंढ लेगा।”

मैंने हंसते हुए कहा, “अरे, यही तो मज़ा है। राहुल यहाँ कभी नहीं आएगा। वो तो डरपोक है, उसे लगता है यहाँ भूत रहता है। तू फिकर मत कर, हम यहाँ बिल्कुल सेफ हैं।”

नैन्सी हंस पड़ी, और उसकी हंसी में वो मासूमियत थी जो मुझे हमेशा पसंद थी। लेकिन उस दिन मेरे मन में कुछ और ही चल रहा था। नैन्सी ने उस दिन एक छोटी सी गुलाबी स्कर्ट और ढीला-ढाला सफेद टॉप पहना था, जो गर्मी की वजह से हल्का और पतला था। उसका टॉप इतना पतला था कि उसके छोटे-छोटे उभरते हुए स्तनों का आकार साफ दिख रहा था। मैं सिर्फ बनियान और पजामा पहने था, और उस तंग कमरे में हम दोनों इतने करीब थे कि उसकी सांसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। उसकी गर्म सांसों और उसकी देह की हल्की सी खुशबू ने मेरे मन में एक तूफान सा उठा दिया।

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मैंने धीरे-धीरे अपनी कमर हिलानी शुरू की, जैसे कि मैं बस जगह बनाने की कोशिश कर रहा हूँ। मेरी जांघें उसकी स्कर्ट के ऊपर से उसकी नरम जांघों को छू रही थीं। नैन्सी ने थोड़ा असहज होकर कहा, “भैया, आप ये क्या कर रहे हो? रुको ना, मुझे गुदगुदी हो रही है।”

मैंने हल्के से हंसते हुए कहा, “अरे, कुछ नहीं, बस गर्मी में थोड़ा हिल-डुल रहा हूँ। तू तो जानती है, ये कमरा कितना तंग है।”

लेकिन मेरी नीयत अब साफ नहीं थी। मैंने अपने शरीर का सारा वजन उस पर डाल दिया, और मेरी कमर अब और तेज़ी से हिलने लगी। नैन्सी की स्कर्ट ऊपर खिसक गई थी, और उसकी नरम जांघें मेरे पजामे के ऊपर से मेरी टांगों को छू रही थीं। उसकी सांसें तेज़ होने लगीं, और उसने फिर कहा, “भैया, प्लीज़, ये क्या कर रहे हो? मुझे अजीब लग रहा है।”

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मैंने उसकी बात को अनसुना कर दिया और अपना एक हाथ उसके टॉप के ऊपर से उसके छोटे-छोटे उभरते हुए स्तनों पर रख दिया। वो चौंक गई और बोली, “भैया, ये आप क्या कर रहे हो? प्लीज़, ऐसा मत करो।”

मैंने मज़ाक के लहजे में कहा, “अरे, कुछ नहीं, बस देख रहा हूँ कि तुझे गुदगुदी होती है या नहीं।”

नैन्सी ने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, भैया, होती तो है, लेकिन बहुत कम।”

उसके इस जवाब ने मेरे मन की आग को और भड़का दिया। मैंने मौका देखते हुए अपना एक हाथ उसके टॉप के अंदर डाल दिया और उसके नरम, गोल स्तनों को धीरे-धीरे सहलाने लगा। उसकी त्वचा इतनी मुलायम थी कि मेरे हाथ खुद-बखुद उसकी गर्मी में डूबने लगे। वो फिर से बोली, “भैया, प्लीज़, ये गलत है। मुझे शर्म आ रही है।”

मैंने फिर मज़ाक में कहा, “अरे, कुछ गलत नहीं है। मैं तो बस तुझे चेक कर रहा हूँ। देख, मेरे सीने पर कितने तिल हैं।” ये कहते हुए मैंने अपनी बनियान उतार दी और अपने सीने को उसके सामने कर दिया। मेरा सीना चौड़ा था, और गर्मी की वजह से पसीने से चमक रहा था।

नैन्सी ने मेरे सीने को देखा और बोली, “हाँ, भैया, सचमुच, बहुत सारे तिल हैं।”

मैंने हंसते हुए कहा, “अच्छा, अब तू दिखा, तेरे पास कितने तिल हैं।”

उसके जवाब का इंतज़ार किए बिना, मैंने उसका टॉप ऊपर खींच दिया। उसकी छोटी-छोटी चूचियाँ मेरे सामने थीं, और उनके गुलाबी निप्पल्स को देखकर मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ गई। मैंने एक निप्पल को अपनी उंगलियों से हल्के से दबाया और कहा, “अरे, ये तो तिल से भी बड़ा है!”

नैन्सी शर्म से लाल हो गई और बोली, “नहीं, भैया, ये तिल नहीं है। मम्मी कहती हैं कि यहाँ से दूध निकलता है।”

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए उसके निप्पल्स को धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया। उसकी सांसें अब और तेज़ हो रही थीं, और उसकी आँखों में एक अजीब सा मिश्रण था—शर्म, डर, और कुछ ऐसा जो मैं समझ नहीं पा रहा था। मैंने मौका देखकर अपना पजामा नीचे सरका दिया और अपने खड़े हुए लंड को उसके सामने कर दिया। नैन्सी की नज़र मेरे लंड पर पड़ी, और वो दो मिनट तक उसे गौर से देखती रही। उसका चेहरा आश्चर्य और जिज्ञासा से भरा था। फिर उसने मासूमियत से पूछा, “भैया, ये क्या है? इतना मोटा डंडा, ये किस काम आता है?”

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मैंने हल्के से हंसते हुए कहा, “अरे, ये तो भगवान हर लड़के को देता है। अब तू दिखा, भगवान ने तुझे क्या दिया है।”

ये कहते हुए मैंने उसकी स्कर्ट और पैंटी को एक झटके में नीचे खींच दिया। उसकी चूत मेरे सामने थी—बिल्कुल चिकनी, बिना एक भी बाल के। उसकी गुलाबी चूत को देखकर मेरे बदन में जैसे आग लग गई। मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगलियों से उसकी चूत को सहलाना शुरू किया। उसकी चूत गीली होने लगी थी, और वो धीरे-धीरे मदहोश सी होने लगी। उसकी सांसें भारी हो रही थीं, और वो मेरे कंधे पर अपना सिर टिका रही थी।

मैंने अपने लंड को हिलाते हुए कहा, “नैन्सी, ये कोई साधारण डंडा नहीं है। ये जादू का डंडा है।”

वो हैरानी से बोली, “जादू का डंडा? इसमें क्या जादू है, भैया?”

मैंने कहा, “तू इसे अपने हाथ में पकड़, फिर देख तुझे खुद पता चल जाएगा।”

जैसे ही उसने मेरे लंड को अपने नरम हाथों में पकड़ा, मेरा लंड और सख्त हो गया। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड पर कस रही थीं, और उसकी गर्मी मुझे पागल कर रही थी। मैंने कहा, “देखा, तेरे हाथ लगते ही इसमें करंट दौड़ गया। अब अगर तुझे आइसक्रीम चाहिए, तो इसे ऊपर-नीचे कर, जरा ज़ोर से।”

नैन्सी को आइसक्रीम बहुत पसंद थी। उसकी आँखों में एक चमक सी आई, और वो मेरे लंड को अपने छोटे-छोटे हाथों से ऊपर-नीचे करने लगी। उसकी हरकतें इतनी मासूम थीं, लेकिन मेरे लिए वो आग में घी डालने जैसी थीं। मैंने उसकी चूत को और तेज़ी से सहलाना शुरू किया। मेरी उंगलियाँ अब उसकी चूत के होंठों को खोल रही थीं, और वो गीली होती जा रही थी। उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं, और वो धीरे-धीरे मेरे कंधे को कसकर पकड़ रही थी।

कुछ ही देर में मेरे लंड ने अपना सारा पानी छोड़ दिया। नैन्सी ने हैरानी से मेरे पानी को अपने हाथों में लिया और बोली, “भैया, ये तो गरम आइसक्रीम है! ये नीचे गिर रही है!”

मैंने हंसते हुए कहा, “हाँ, नैन्सी, ये खास आइसक्रीम है। इसे तूने अपने हाथों से गरम किया, तभी तो निकली।”

उसने मेरे लंड के पानी को अपनी उंगलियों से छुआ और फिर धीरे से उसे चाट लिया। उसकी जीभ मेरे लंड के पानी को चाट रही थी, और वो बोली, “भैया, ये तो सचमुच टेस्टी है!”

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मैंने कहा, “हाँ, और इसे और टेस्टी बनाने के लिए तुझे इसे और गरम करना होगा।” ये कहते हुए मैंने उसके सामने फिर से अपने लंड को हिलाना शुरू किया। इस बार मैंने उसे अपने लंड को चूसने के लिए कहा। वो थोड़ा हिचकिचाई, लेकिन उसकी जिज्ञासा और आइसक्रीम का लालच उसे रोक नहीं पाया। उसने धीरे-धीरे मेरे लंड को अपने होंठों से छुआ, और फिर अपनी जीभ से उसे चाटना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड पर फिसल रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था।

मैंने उसकी चूत को फिर से सहलाना शुरू किया, और इस बार मैंने अपनी एक उंगली धीरे-धीरे उसकी चूत के अंदर डाल दी। वो सिहर उठी, और उसकी सिसकारी और तेज़ हो गई। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगली को अंदर जाने में मुश्किल हो रही थी, लेकिन उसकी गीली चूत ने मेरी उंगली को धीरे-धीरे अंदर खींच लिया। मैंने धीरे-धीरे अपनी उंगली को अंदर-बाहर करना शुरू किया, और नैन्सी की सांसें अब और भारी हो गई थीं। वो मेरे लंड को और तेज़ी से चूस रही थी, और उसका मासूम चेहरा अब पूरी तरह से वासना में डूबा हुआ था।

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कुछ देर बाद मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और कमरे की दीवार के सहारे खड़ा कर दिया। मैंने उसकी स्कर्ट को पूरी तरह उतार दिया और उसकी चूत को अपने मुँह से चूमना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत के होंठों को चाट रही थी, और वो सिसकारियाँ लेते हुए मेरे सिर को अपने हाथों से दबा रही थी। उसकी चूत का स्वाद मुझे पागल कर रहा था, और मैं अपनी जीभ को और गहराई तक ले गया। नैन्सी अब पूरी तरह से मेरे कंट्रोल में थी। उसकी सिसकारियाँ और तेज़ हो रही थीं, और वो बार-बार “भैया… प्लीज़…” कह रही थी।

मैंने उसे दीवार के सहारे खड़ा रखा और अपने लंड को उसकी चूत के पास ले गया। मैंने धीरे से अपने लंड को उसकी चूत के होंठों पर रगड़ा, और वो सिहर उठी। मैंने उससे पूछा, “नैन्सी, क्या तू तैयार है मेरे जादू के डंडे का पूरा जादू देखने के लिए?”

वो शर्म से लाल हो गई, लेकिन उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। उसने धीरे से हामी भरी। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत में डालना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे बहुत धीरे-धीरे आगे बढ़ना पड़ा। वो दर्द से सिसकारी, लेकिन उसने मुझे रोका नहीं। मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया, और कुछ ही देर में उसका दर्द आनंद में बदल गया। वो अब मेरे हर धक्के के साथ सिसकार रही थी, और उसकी चूत मेरे लंड को कसकर जकड़ रही थी।

हम दोनों उस तंग कमरे में पूरी तरह से खो गए थे। मैंने उसे और तेज़ी से चोदना शुरू किया, और वो मेरे कंधों को कसकर पकड़ रही थी। उसकी सिसकारियाँ अब चीखों में बदल रही थीं, और मैं डर रहा था कि कहीं उसकी आवाज़ बाहर न चली जाए। लेकिन उस वक्त हमें कुछ और नहीं सूझ रहा था। मैंने अपने धक्कों की रफ्तार और बढ़ा दी, और कुछ ही देर में मैंने अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। वो भी उसी वक्त झड़ गई, और उसकी चूत मेरे लंड को और कसकर जकड़ रही थी।

थककर हम दोनों दीवार के सहारे बैठ गए। नैन्सी की सांसें अभी भी तेज़ थीं, और उसका चेहरा लाल हो रहा था। उसने मासूमियत से कहा, “भैया, ये आइसक्रीम तो बहुत टेस्टी थी। लेकिन अब मुझे डर लग रहा है।”

मैंने उसे गले लगाते हुए कहा, “अरे, डरने की कोई बात नहीं। ये हमारा छोटा सा राज़ है। किसी को नहीं बताएंगे, ठीक है?”

वो मुस्कुराई और बोली, “ठीक है, भैया। लेकिन ये आइसक्रीम मुझे फिर से चाहिए।”

हमने अपने कपड़े ठीक किए और चुपके से नीचे चले गए। उस दिन के बाद, मैं नैन्सी को रोज़ “आइसक्रीम” खिलाने लगा। वो छोटा सा कमरा हमारा गुप्त ठिकाना बन गया, जहाँ हम अपनी जवानी के मज़े लेते थे।

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दोस्तों, मुझे उम्मीद है कि आपको मेरी ये कहानी पसंद आई होगी। ये मेरे दिल के बहुत करीब है, और इसे आपसे शेयर करके मेरा मन हल्का हो गया। मुझे आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा।

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