Real brother sister sex story – Behan ke boobs sex story: मेरा नाम अल है, कराची के एक आम से मोहल्ले में अम्मी, अब्बू और अपनी बड़ी बहन लैबा के साथ रहता हूँ। दो साल पहले की बात है, मैं अभी-अभी 16 का हुआ था, मैट्रिक पास करके छुट्टियाँ मना रहा था और लैबा उन्नीस की थी, माइक्रोबायोलॉजी ऑनर्स की स्टूडेंट, उसका फिगर और रंगत बिल्कुल मानिशा लांबा जैसी, लंबी हाइट, गोरा बदन, भरे हुए बूब्स और इतने गोल-गोल कूल्हे कि कोई भी देखे तो लंड खड़ा हो जाए, बस मेरी हाइट उससे थोड़ी ज्यादा थी इसलिए बाहर लोग मुझे ही बड़ा भाई समझते थे। पहले कभी मैंने उसे गंदी नज़र से नहीं देखा था, ना ही कोई गंदी फैंटसी थी, लेकिन एक रात सब कुछ बदल गया। केबल वाले ने गलती से “गर्लफ्रेंड” फिल्म चला दी, जिसमें ईशा कोपिकर और अमृता अरोड़ा एक-दूसरे को चूम रही थीं, घर में ऐसी फिल्में देखना सख्त मना था, मैंने झट से टीवी बंद कर दिया और सब अपने कमरे में चले गए। हमारा और लैबा का कमरा एक ही था, सिर्फ दो बेड अलग-अलग थे, बीच में एक फुट का फासला।
रात के दो बजे एक मच्छर ने काटा तो मेरी नींद खुल गई, लैबा अपने बेड पर नहीं थी, मैं चुपके से दरवाज़ा खोलकर बाहर निकला तो लाउंज में वो अकेली बैठी फिल्म का लेस्बियन क्लाइमेक्स देख रही थी, उसकी साँसें तेज़ थीं, होंठों पर हल्की मुस्कान, मैं हैरान रह गया कि मेरी सीधी-सादी बहन भी इतनी खूँवार है। मैं वापस लेट गया, नींद नहीं आ रही थी, बस यही सोच रहा था कि लैबा भी बाकी लड़कियों जैसी ही है, तभी वो कमरे में आई और अपने बेड पर लेट गई। अभी मैं उस हैरानी से बाहर नहीं निकला था कि बेड हिलने की हल्की-हल्की आवाज़ आई, मैंने गौर से देखा तो लैबा उल्टी लेटी थी, कमर धीरे-धीरे ऊपर-नीचे कर रही थी, शलवार में हाथ डालकर अपनी चूत सहला रही थी, हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रही थी, “ह्म्म्म… आह… हाय…” जैसे उसके मुँह से अपने आप निकल रहा हो, मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं, लंड अपने आप खड़ा हो गया, लेकिन थकावट इतनी थी कि कब सो गया पता ही नहीं चला।
उस रात के बाद से मैं लैबा को नई नज़र से देखने लगा, जब वो झाड़ू लगाने झुकती तो गहरी क्लीवेज दिखती, दुपट्टे के अंदर से उसके भरे हुए बूब्स हिलते, मैं उसके साथ और फ्री होने लगा, रात को लंबी बातें, हँसी-मज़ाक, थप्पड़ मारना, गुड़गुदी करना, कई बार गुड़गुदी करते-करते मेरा हाथ उसके मुलायम बूब्स से टच हो जाता और मैं बिना चड्डी के सोता था इसलिए जब वो मुझे गुड़गुदी करती तो उसका हाथ मेरे खड़े लंड से टकरा जाता, मुझे बस यही चाहिए था कि उसे पता चले कि मैं भी एक नॉर्मल लड़का हूँ जिसका लंड भी सख्त होता है।
एक रात बातें करते-करते हम दोनों सो गए, थोड़ी देर बाद बेड हिलने की आवाज़ से नींद खुली, लैबा फिर अपनी चूत में उँगलियाँ चला रही थी, मैंने दूसरी तरफ मुँह करके उल्टा लेट गया और जानबूझकर बेड हिलाने लगा, ज़ोर-ज़ोर से झटके देने लगा, अपना लंड पकड़कर सहलाने लगा, वो तुरंत रुक गई, शायद मेरी तरफ देख रही थी, मैंने एक्टिंग की जैसे सो रहा हूँ, बस उसे ये दिखाना था कि मैं भी उसके जैसा ही खूँवार हूँ। अगले दिन से मैं उसके और करीब रहने लगा, मौका देखकर क्लीवेज देखता, टच करता, पहले वो दुपट्टा गिरने पर संभाल लेती थी, अब जानबूझकर हटा देती थी, मुझे पूरा यकीन हो गया कि वो भी मुझे अपनी बॉडी दिखाना चाहती है।
रात को फिर वही सीन चला, वो उल्टी लेटकर मज़े ले रही थी, उसके कूल्हे मेरी तरफ थे, हमारे बेड में बहुत कम फासला था, मैंने कंट्रोल खो दिया और अपना पाँव उसके गर्म-गर्म कूल्हों से सटा दिया, वो तुरंत रुक गई और मेरी तरफ देखने लगी, मैं सोने की एक्टिंग करने लगा, थोड़ी देर बाद उसने मेरा पाँव धीरे से हटा दिया। सुबह वो मुझे अजीब शरारती नज़रों से देख रही थी, मैं उसके पास गया और गुड़गुदी शुरू की, वो पलटकर मुझे करने लगी, मैंने उसका हाथ पकड़ा और जानबूझकर अपने खड़े लंड से रगड़ते हुए हटा दिया, जैसे बस गुड़गुदी रोक रहा हूँ।
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अगली रात मैं नींद में था कि अचानक कुछ भारी और गर्म चीज़ मेरे लंड पर महसूस हुई, देखा तो लैबा का पाँव था, मेरा लंड पत्थर जैसा खड़ा हो गया, मैंने उसके पाँव को अपने लंड पर रगड़ना शुरू कर दिया, बहुत मज़ा आ रहा था, लेकिन डर था कि माल न निकल जाए और उसका पाँव गंदा हो जाए, इसलिए मैं बाथरूम में जाकर मुठ मार आया, अब मुझे सौ फीसदी यकीन हो गया था कि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है।
दोपहर में घर पूरी तरह खाली हो जाता था, अम्मी स्कूल में और अब्बू ऑफिस में, लैबा दो बजे यूनिवर्सिटी से आ जाती थी, उस दिन मैंने ठान लिया था कि आज कुछ न कुछ करके रहूँगा, सुबह ही कंडोम का पैकेट खरीद लिया और उसका इंतज़ार करने लगा। वो आई, नहाकर फ्रेश हुई, खाना खाया और पढ़ने बैठ गई, मैं उसे छेड़ने लगा, वो मज़ाक में मुझे मारने के लिए मेरे पीछे कमरे तक आई, मैंने पहले से खिड़कियाँ-पर्दे बंद कर रखे थे, जैसे ही वो अंदर आई मैंने उसे पकड़कर गुड़गुदी शुरू कर दी, वो हँसते-हँसते बेड पर गिर पड़ी, मैं उसके ऊपर चढ़कर बैठ गया, मेरा खड़ा लंड सीधा उसकी चूत से टकरा रहा था, मैंने गुड़गुदी के बहाने उसका एक बूब जोर से दबा दिया, वो साँस खींचकर बोली “अल… ये क्या कर रहे हो…”, मैंने उसके चेहरे को दोनों हाथों से पकड़ा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए।
पहले उसने मुझे धक्का दिया, मैं डर गया कि अब नाराज़ हो जाएगी, लेकिन उसके चेहरे पर शरारती मुस्कान देखकर समझ गया कि अब वो पूरी तरह बोतल में उतर चुकी है, वो बोली “ये सही नहीं… हम भाई-बहन हैं…”, मैंने हँसते हुए कहा “देखो लैबा, तुम लड़की हो मैं लड़का, हमारी भी सेक्स की भूख होती है, कल रात तुमने मेरा लंड अपने पाँव से नहीं रगड़ा था क्या?”, और फिर उसके होंठ चूसने लगा, जीभ अंदर डालकर उसकी जीभ से खेलने लगा, दोनों हाथों से उसके भारी बूब्स मसलने लगा, वो भी अब मेरा साथ देने लगी थी, उसने अचानक सिसकते हुए कहा “अपना लंड पकड़वाओ ना…”, मैंने फटाफट पैंट उतारी और अपना गरम लंड उसके हाथ में थमा दिया, उसने सहलाना शुरू किया फिर झुककर मुँह में ले लिया, ग्ग्ग्ग… ग्ग्ग्ग… गी… गी… गों… गों… गोग… पूरा लंड गले तक ले जा रही थी, मैं उसके बाल पकड़कर मुँह चोदने लगा, उसके बूब्स दबा रहा था, उसने कमीज़ और ब्रा उतार दी, फिर शलवार-पैंटी भी, पूरी नंगी होकर फिर मेरा लंड चूसने लगी।
मैंने कंडोम निकाला और लंड पर चढ़ा लिया, जब मैं पलटा तो लैबा बेड पर लेटी अपनी गुलाबी चूत में दो उँगलियाँ डालकर चोद रही थी, पानी चमक रहा था, वो तड़प रही थी “जल्दी करो अल… सह नहीं पा रही… आह्ह्ह…”, मैं उसके ऊपर चढ़ गया, उसकी टांगें फैलायीं, लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रगड़ने लगा, वो कूल्हे ऊपर उठा रही थी “डालो ना… हाय… आह्ह्ह…”, मैंने धीरे-धीरे अंदर करना शुरू किया, उसकी चूत बहुत टाइट थी, वो मुँह बंद करके “आह इह्ह… ओह्ह… धीरे अल… आह्ह्ह… फट जाएगी…” कर रही थी, जब पूरा लंड अंदर चला गया तो मैंने बाहर निकाला फिर ज़ोर से अंदर ठोका, फिर बाहर, फिर अंदर, अब मैं तेज़-तेज़ झटके मारने लगा, उसके बूब्स लाल हो गए थे मेरे दबाने से, मैं उसके होंठ चूस रहा था, वो नीचे से कमर उठा-उठाकर पूरा साथ दे रही थी, “आह ह ह ह ह्हीईई… अल… और तेज़… चोदो मुझे… ओह्ह्ह ऊउइ… ऊईईई… हाँ… बस… आ गया… आह्ह्ह्ह…”, उसकी चूत ने मेरे लंड को जोर से जकड़ लिया, मेरी भी माल कंडोम में निकल गई, हम दोनों पसीने से तर, एक-दूसरे से लिपटे काफी देर तक लेटे रहे।
इस तरह मेरा पहला सेक्स अपनी सगी बड़ी बहन लैबा के साथ हुआ था, सब कुछ आपसी सहमति और बराबर की चाहत से हुआ, ना मैंने कभी ज़बरदस्ती की और ना लैबा ने कभी मना किया, जब दोनों तरफ दिल में आग लगी हो तो बस एक छोटा सा इशारा काफी होता है।
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जो लड़के अपनी बहन के साथ कुछ करना चाहते हैं लेकिन डरते हैं, उन्हें याद रखना चाहिए कि बहनों का भी मन होता है, उनकी भी इच्छाएँ होती हैं, वो भी उतनी ही खूँवार और हॉट होती हैं जितनी कोई गर्लफ्रेंड, बस कभी भी ज़बरदस्ती मत करना, सिर्फ इशारे समझो, अगर वो भी चाह रही है तो धीरे-धीरे आगे बढ़ो, उसका दिल जीतो, उसकी सहमति सबसे ऊपर है, तब जाकर वो पल ज़िंदगी भर याद रहते हैं जैसे मेरे और लैबा के याद हैं।