बेटों को गर्म किया

हेलो दोस्तों, कैसे हो आप! मेरा नाम अंजलि है और आज मैं आपको अपनी एक बेस्ट इन्सेस्ट सेक्स स्टोरी मेरी चुदाई बताने जा रही हूँ। मेरी उम्र 42 साल है और मेरा रंग एकदम गोरा है। मेरी फिगर और पर्सनालिटी को देखकर कोई मुझे ये नहीं कह सकता कि मेरी उम्र 42 साल है बल्कि सबको मेरी उम्र 28-30 लगती है। मेरी फिगर पर भी काफी लोग मरते हैं क्योंकि मेरी फिगर 38-32-34 है।

दोस्तों, मेरी शादी हो रखी है और मेरे दो बड़े-बड़े लड़के हैं और मैं अपने पति और बच्चों के साथ लुधियाना में रहती हूँ। मेरे पति का नाम विजय है और मैं प्यार से उन्हें (लड्डू) बुलाती हूँ। मेरे दो बच्चे हैं जो एक ही कॉलेज में पढ़ते हैं। मेरे बड़े लड़के का नाम मनीष और छोटे लड़के का नाम राघव है और मनीष राघव से सिर्फ 3 मिनट ही बड़ा है।

दोस्तों, मैंने अपनी फैमिली के बारे में तो बता दिया अब मैं आपको अपने और अपने पति के बारे में बताती हूँ। सबसे पहले तो ये कि मैं एक हिंदी टीचर हूँ और स्कूल में पढ़ाती हूँ। मेरे लड्डू यानी मेरे पति का खुद का बिजनेस है और उनका इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट का बिजनेस है जिसकी वजह से उन्हें घर से 2 या 3 महीने बाहर ही रहना पड़ता है।

मेरे पति मुझसे बहुत प्यार करते हैं और मैं उनसे भी बे-इंतहा मोहब्बत करती हूँ। जब भी मेरे पति फ्री होते हैं यानी अपने बिजनेस को छोड़कर कुछ दिन घरवालों के लिए निकालते हैं तो हम सब कहीं बाहर घूमने भी जाते हैं।

पता है घूमने से मुझे अपने पहले हनीमून की याद आ जाती है क्योंकि मैं जब अपने पहले हनीमून पर आई थी तब हमने खूब एंजॉयमेंट की थी और एक-दूसरे को खूब भी किया था। अब आप सोच रहे होंगे कि पहला हनीमून, हाँजी मेरा शादी के बाद वो पहला हनीमून था और फिर मैं अपने पति के साथ दूसरी बार हनीमून पर भी गई थी और उसके आने पर ही मुझे माँ बनने की खुशखबरी मिल गई थी और पूरे 9 महीने बाद मैंने दो लड़कों को जन्म दिया था जो कि अब आपके सामने हैं जिनका नाम मनीष और राघव है।

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मेरे पति अक्सर जब भी आते हैं तो मुझे खूब प्यार करते हैं और जितने भी दिन आते हैं तो मैं और बच्चे उनके लिए बहुत खुश होते हैं। बच्चे तो इसलिए खुश होते हैं क्योंकि उनके आने पर हम हमेशा घूमने जाते हैं और मेरी खुशी तो उनसे चुदने की होती है और मेरे पति मुझे बहुत अच्छी तरह से संतुष्ट करते हैं और मैं अपने पति और बच्चों के साथ बहुत ज्यादा खुश हूँ।

ये बात आज से एक साल पुरानी है जब मेरे पति को बिजनेस के काम के लिए मुंबई जाना था और आप ये तो पहले से ही जानते हो कि मेरे पति घर पर 2 या 3 दिन के लिए ही आते थे और तब भी मेरे लड्डू घर पर आ रखे थे मुंबई जाने से 2 दिन पहले। मैं बहुत खुश थी कि मेरी चुदाई आज फिर से होगी और मैं उनका लंड अपने मुँह में डालकर चूसूँगी। वैसे मुझे लंड को चूसने में बहुत मजा आता था और जब भी मेरे पति घर पर होते थे मैं दिन में भी बच्चों के न होने पर उनके लंड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लेती थी।

बात उस दिन की है जब मेरे पति घर पर ही थे और रात का खाना खाने के बाद मैं अपने पति से प्यार पाने और उन्हें प्यार करने के लिए एक शॉर्ट पिंक नाइटी पहनकर, पिंक लिपस्टिक लगा कर अपने पति के लिए तैयार हो गई और अपना कमरा भी पूरा फूलों से सजा दिया और अपने पति का बे-सब्री से इंतजार करने लग गई।

फिर जब रात को मेरे पति कमरे में आए तो मैंने उनके हाथ को चूमकर उनका स्वागत किया और म्यूजिक लगाकर उनके साथ थोड़ा डांस भी किया। दोस्तों मुझे डांस करना बहुत पसंद है और मेरे पति को डांस करवाना बहुत पसंद है। पति के साथ डांस किया और उनके साथ बेड पर उनकी गोद में बैठकर उनसे प्यार करने लग गई।

मेरे पति ने मेरे कपड़े उतार दिए और मैंने उनके कपड़े उतार दिए और हम एक-दूसरे के होंठों में होंठ डालकर चूसने लग गए और वो मेरे बड़े-बड़े बूब्स को हाथ में लेकर दबाने लग गए और मैं उनके लंड को हाथ में लेकर ऊपर-नीचे करने लग गई।

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अब मैंने उनके लंड को मुँह में लिया और चूसने लग गई और मेरे पति मेरी चूत को जीभ से चाट-चाटकर मेरा पानी निकालने में लग गए। हम दोनों एक-दूसरे से प्यार कर ही रहे थे कि मेरे पति का फोन रिंग किया तो उन्होंने देखकर फोन उठा लिया। फोन उनके मैनेजर का था और उसने ये कहने के लिए फोन किया था कि मेरे पति विजय को अभी मुंबई के लिए निकलना पड़ेगा और अगर नहीं गए तो 30 लाख का नुकसान हो जाएगा।

ये सुनते ही मेरे पति मुझ पर से उठकर तैयार होने लग गए और मुझे ऐसे ही तड़पता छोड़कर चले गए। आज से पहले ये कभी नहीं हुआ था और मैं ये उम्मीद भी नहीं कर पा रही थी कि मेरे पति भी ऐसा कुछ कर सकते हैं। उस रात मैं ऐसे ही तड़पती रही और अपने पति के प्यार को याद कर रोती रही और ना जाने उस रात नींद ने भी साथ नहीं दिया।

फिर जब सुबह हुई तो मुझे लगा कि शायद मेरे पति कुछ ही दिनों में वापस आ जाएँगे क्योंकि वो पहले ही 3 महीने बाद आए थे और मैं उनके लिए बहुत तड़प रही थी और मेरी चूत तो उनके लंड के लिए जान दे रही थी। मैं उनका इंतजार कर ही रही थी कि उनका फोन आया तो मुझे लगा कि घर वापस आने के बारे में होगा पर यहाँ तो मुझे बुरा ही सुनने को मिल गया।

उन्होंने बताया कि मुझे काम के सिलसिले में लंदन जाना पड़ सकता है इसलिए अब मैं 3 महीने तक ही घर वापस आऊँगा। ये सुनकर तो मैं जैसे मर ही गई क्योंकि मैं पहले ही उनकी याद में तड़प रही थी और अब मुझे और 3 महीने उनके बिना गुजारने थे। मेरी हर रात बिना सोए उनकी ही याद में निकल जाती और मेरे बच्चे भी सुबह 6 बजे जिम के लिए चले जाते और मैं उनके पीछे से उनके लिए ब्रेकफास्ट बनाती और फिर उनके 7 बजे आने पर उन्हें ब्रेकफास्ट करवाकर 8 बजे अपने स्कूल के लिए निकल जाती और बच्चे भी कॉलेज के लिए निकल पड़ते और फिर वापस मैं 2 बजे करीब आती और बच्चे 3 बजे आते।

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बाहर से आकर हम अपने-अपने रूम में रेस्ट करते और शाम को उठकर वॉक पर जाते और फिर रात का डिनर एक साथ करके टी.वी देखने बैठ जाते। जिसको जितनी देर टीवी देखने का मन होता वो उतनी देर देखता और फिर अपने कमरे में जाकर सो जाता। हमारी डेली की यही रूटीन थी और मेरे लिए तो रातें काटना बहुत मुश्किल हो रहा था।

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ऐसे ही 4 दिन निकल गए और मैं डेली रात को पति की याद में तड़पती हुई सो जाती थी। कभी तो मेरा मन करता था कि किसी और से चुद जाऊँ और वैसे भी मेरे ऊपर तो काफी लोग फिदा थे पर मैं ये सब करने से डरती थी। मेरे दिन ऐसे ही बच्चों साथ निकल जा रहे थे और ऐसे ही पति की तड़प में रातें भी गुजर जा रही थी।

मेरा मन बहुत बेचैन था और सारा दिन ऐसे ही निकल जा रहा था। मेरे दोनों बेटों का अलग-अलग बेडरूम था जो कि मेरे कमरे से अटैच स्टडी रूम के साथ लगता था और उन दोनों के रूम के बीच में एक वॉशरूम था जो कि दोनों के कमरों से अटैच था। हम जब रात का खाना कर अपने रूम में सोने के लिए आते तो सब अपने-अपने कमरे में ही सोते। मैं भी सुबह जल्दी उठने के चक्कर में डेली 10 बजे तक सो जाती थी और कभी-कभी बच्चों के न होने पर कम्प्यूटर पर बैठकर चैटिंग कर लिया करती थी जो कि मेरी एक फ्रेंड ने मुझे सिखाया था। ऐसे ही पति की तड़प में 10-12 दिन निकल चुके थे।

फिर एक दिन मैंने रात का खाना खाया और मुझे बहुत तेज नींद आने लग गई तो मैंने उस दिन बिना टीवी देखे अपने रूम में जाकर सो गई और मैं हमेशा सोते वक्त अपने रूम में पानी का ग्लास रखती हूँ जो कि शायद उस दिन नींद की वजह से रखना भूल गई। मैं जैसे ही कमरे में जाकर लेटी मेरी आँख लग गई और फिर रात के 1:30 बजे करीब मेरी आँख खुली और मुझे उस समय ऐसा लगा कि कोई आवाज आई है पर उस टाइम कमरे में मेरे इलावा कोई भी नहीं था।

मैं बेड से उठी और वॉशरूम में जाकर फ्रेश हुई और बाहर आकर पानी देखा तो वहाँ पानी नहीं पड़ा था इसलिए मैं अब किचन में जाकर पानी पीने लग गई और फिर जब मैं अपने रूम की तरफ आ रही थी तो मैं स्टडी रूम के पास आकर डर गई और वही रुक गई क्योंकि स्टडी रूम की लाइट ऑन थी जो कि मैंने खुद बंद की थी।

अब मैं स्टडी रूम के थोड़ा पास गई तो मुझे अंदर से आह्ह्ह आह्ह्ह की आवाजें सुनाई देने लग गई जिसको सुनकर मैं हैरान हो गई और फिर मैंने दरवाजा को खोलना चाहा पर उस टाइम मेरे दिमाग ने पता नहीं क्या खेल खेला, ना ही मैंने डोर खोला और ना ही नॉक किया बल्कि होल में से अंदर देखने लग गई।

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मैंने जब अंदर देखा तो मैं हैरान रह गई क्योंकि सामने कम्प्यूटर पर सेक्सी वीडियो चल रही थी और मेरे दोनों बेटे अपने लोअर को नीचे कर अपने हाथों में अपना लंड पकड़कर ऊपर-नीचे कर रहे थे। और तभी मेरे छोटे बेटे राघव ने मनीष को कहा कि ‘भाई तू ये वीडियो कहाँ से लाया है बहुत ही मजेदार है’।

मैं उनकी ये सब बातें सुन रही थी और उनके लंड को देखकर तो मैं हैरान ही रह गई क्योंकि उनके लंड कम से कम 9 इंच लंबे और 4 इंच मोटे थे। मैं उनके लंडों की तरफ देख ही रही थी और सोच रही थी कि अब मेरे बेटे जवान हो गए हैं कि तभी उनके लंड ने पानी की पिचकारी निकाल दी और दोनों अब कम्प्यूटर बंद करके अपने कमरे में चले गए। पर मैं उनसे पहले कमरे में आ गई और लेटकर सोचने लग गई कि जब भी मेरे पति विजय आएँगे, उनसे बच्चों की शादी की बात कर उनकी शादी करवाऊँगी और यही सोचती हुई सो गई।

फिर अगले दिन जब मैं उठी तो मेरे बच्चे जिम के लिए जा चुके थे और मैंने उनके आने से पहले ब्रेकफास्ट बनाकर और काम करने लग गई और फिर जब वो आए तो उन्हें ब्रेकफास्ट देकर स्कूल के लिए चली गई और फिर जब मैं रात के समय खाना बनाकर जल्दी सो गई और आज मैं सिर्फ जल्दी सोने का नाटक कर रही थी और रात को 12:30 बजे उठकर स्टडी रूम में जाकर देखा तो लाइट ऑन थी और फिर मैंने होल में से देखा तो वो अभी कम्प्यूटर ऑन ही कर रहे थे।

तभी मनीष बोला – राघव तू देखकर तो आया है ना कि मम्मी सो रही हैं।

राघव- हाँ हाँ अच्छे से देखकर आया हूँ।

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अब वो दोनों बैठकर मूवी देखने लग गए और अपने लंडों को बाहर निकालकर फिर से ऊपर-नीचे करने लग गए। मैं ये सब देखती रही और एक बार तो मन में आया कि अंदर जाकर एक-एक थप्पड़ लगा दूँ पर मैंने ऐसा नहीं किया और उनके तने हुए लंडों को देखती रही और फिर उन्होंने मेरी आँखों के सामने ही अपना पानी निकाल दिया और कम्प्यूटर बंद करके अपने कमरे में सोने के लिए चले गए। आज भी मैं उनसे पहले कमरे में आ गई।

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फिर अगली दो रात स्टडी रूम की लाइट ऑफ ही रही और फिर तीसरे दिन वही हुआ जो कि पहले दो दिन हुआ था और मैं फिर ये सब देखकर सो गई। सुबह बच्चों ने मुझसे कहा कि मम्मी हम आज बाहर घूमने जा रहे हैं तो मैंने भी उन्हें नहीं रोका और स्कूल से जल्दी आकर कम्प्यूटर पर बैठकर चैटिंग करने लग गई। ये सब करते वक्त मेरी बात एक रमेश नाम के लड़के से हुई जो कि मुंबई का था 28-29 साल का था। हमारी बातें चलती रही और मैंने उससे अपनी लाइफ के बारे में बताया और उसने मुझे अपनी लाइफ के बारे में बताया।

मेरे बारे सुनकर वो थोड़ा सैड हो गया और बोला – आप तो बोर हो जाती होगी।

मैं – हाँ हो तो जाती हूँ पर करूँ भी तो क्या करूँ।

मेरी ये सब बातें सुनकर उसने मुझे एक साइट बताई जिसके बारे में मैंने उससे पूछा तो वो कहने लग गया कि जब आप ओपन करोगी तो आपको सब समझ आ जाएगा। और ये सब कहकर वो साइन आउट हो गया और मैं भी उसके साइन आउट होने के बाद उस लिंक पर क्लिक किया और जो भी मैंने देखा वो सब देखकर मैं हैरान रह गई और मेरी आँखें तो फटी की फटी रह गई।

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मैंने उस पर माँ-बेटे, बाप-बेटी, भाई-बहन की चुदाई के बारे में देखा जिसमें से मैंने माँ-बेटे की कहानी को ओपन कर पढ़ना शुरू कर दिया। मेरा मन ये सब करने को नहीं मान रहा था पर फिर भी मैं कहानी पढ़ी जा रही थी और फिर जब पढ़ ली तो मैंने कम्प्यूटर बंद कर दिया और वहाँ से उठ गई और मेरे मन में ये ही चल रहा था कि दुनिया में ऐसा कुछ भी हो सकता है।

फिर ऐसे ही रात का खाना बनाने लग गई और तब मैंने देखा कि मनीष और राघव भी आ गए थे और हमने एक साथ बैठकर खाना खाया और मैं अब अपने रूम में जाकर लेट गई पर मेरी आँखों में तो नींद दूर-दूर तक नहीं थी। ऐसे ही 12 बज गए और फिर 1 तो मैं उठी और स्टडी रूम के पास जाकर देखा तो आज लाइट बंद थी पर मेरा मन वो स्टोरी पढ़ने को कर रहा था पर फिर भी मैं अपने कमरे में आकर सो गई और सुबह जब उठी तो बच्चे जिम जा चुके थे।

ऐसे ही अगला दिन भी निकल गया और रात को फिर से खाना खाकर 9 बजे अपने रूम में आ गई पर आज फिर मेरी आँखों में नींद नहीं थी और फिर करीब 12 बजे उठकर मैं स्टडी रूम की तरफ गई तो देखा कि लाइट ऑन थी और मैंने तभी होल में से अंदर देखना शुरू कर दिया। आज बच्चे फिर से लंड को पकड़कर ऊपर-नीचे कर रहे थे पर मुझे आज ये सब देखकर उन पर गुस्सा नहीं बल्कि प्यार आ रहा था और इधर मेरे शरीर में भी करंट दौड़ने लग गया था और मेरा हाथ चुपके से चूत पर जाकर चूत को रगड़ने लग गया था।

अब राघव और मनीष अपना निकालकर फ्री हो गए थे और मैं भी वहाँ से सीधा अपने वॉशरूम में गई और अपनी नाइटी ऊपर कर अपनी चूत में जोर-जोर से उंगली ऊपर-नीचे करने लग गई और करीब 5 मिनट बाद मेरी चूत ने पानी निकाल दिया और मैं बेड पर आ गई।

मैं अपने बेड पर लेट गई पर मुझे नींद नहीं आ रही थी और मेरी आँखों के सामने मेरे बच्चों के बड़े-बड़े लंड दिखाई दे रहे थे और जिनको देखकर मैं तड़प रही थी। मैं जब भी आँखें बंद करती तो मेरी आँखों के सामने मेरे बच्चों के बड़े-बड़े लंड दिखते और फिर मुझे ऐसा लगने लग गया कि जैसे वो कह रहे हो ‘आयी मम्मी हम आपकी प्यास बुझाते हैं और आप हमारी बुझा दो’।

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ये सब सोचते-सोचते मेरी आँखें खुल गई और सारी रात ऐसे ही तड़प में निकल गई और सुबह जब उठी तो बच्चे जिम जा चुके थे और मैंने फिर से उनके लिए खाना बनाया और उन्हें ब्रेकफास्ट देकर स्कूल चली गई पर वहाँ पर भी मेरा मन नहीं लगा और घर जल्दी आ गई।

फिर जब बच्चे आए तो उन्हें देखकर मेरा मन और खराब हो गया और मेरी समझ में कुछ नहीं आने लगा और फिर हार के रात के 9 बजे और हमने एक साथ बैठकर खाना खाया और उसके बाद मैं अपने कमरे में आकर लेट गई। पर वो रात भी मुझे नींद नहीं आ रही थी और फिर रात को 12 बजे उठकर देखा तो आज बच्चे सो रहे थे। मेरा मन उनके साथ वही वीडियो देखने का कर रहा था और फिर मैं अपने रूम में आ गई और सोचने लग गई कि जो मैंने कहानी पढ़ी थी क्या सच में वैसा हो सकता है। क्या मैं अपने ही बच्चों से अपनी प्यास बुझवा सकती हूँ और यही सोचते-सोचते मेरी आँख लग गई और मैंने सुबह स्कूल ना जाने का फैसला लिया।

स्कूल में ये बहाना मारकर छुट्टी ली कि आज मेरी तबीयत ठीक नहीं है और बच्चों के कॉलेज जाने के बाद मैं कम्प्यूटर पर बैठकर बाकी सारी कहानियाँ पढ़ने लग गई ताकि मैं अगर अपने बच्चों से खुद को चुदवाऊँ तो उन्हें कैसे पटाया जाए। और ये सब कहानियाँ पढ़कर मैंने रमेश से बात भी करनी चाही पर वो ऑफलाइन था इसलिए मैंने उससे थैंक्स कह दिया और 1 बजे करीब कम्प्यूटर को बंद करके मैंने अपने बच्चों से चुदने की प्लानिंग कर ली थी। और जब वो कॉलेज से आए तो मैं पूरी तरह से रेडी हो गई थी।

आज मैंने लो कट वाली नाइटी पहनी थी जो कि मैं सिर्फ अपने पति के सामने ही पहनती थी क्योंकि उसमें से मेरी ब्रा और पैंटी नजर आते थे। दोपहर को मेरे बच्चे आकर सो गए और फिर जब रात को मैंने खाना बनाकर बाहर डाइनिंग टेबल पर रख दिया तो उसके बाद बच्चों को आवाज लगाई और फिर बच्चे बाहर आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गए।

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आज मैं अपने बच्चों के सामने पहली बार ऐसे आने वाली थी क्योंकि आज से पहले मैंने उनके सामने ये कभी नहीं डाला था। मैं जब बच्चों के सामने गई तो देखा कि बच्चों ने मुझे जैसे ही देखा तो उनकी आँख में एक अलग ही चमक थी और दोनों एक-दूसरे को देखकर मुस्कुरा रहे थे। मैंने उन्हें थोड़ा झुककर खाना परोसा तो मेरी ब्रा और उसमें छिपे बूब्स दिख रहे थे जिसको मेरे बच्चे देख रहे थे।

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अब हमने एक साथ बैठकर खाना खाया और फिर मैं आज अपने बच्चों के सामने सोफे पर बैठ गई ताकि उनकी नजर मेरे ऊपर ही टिकी रहे। मैंने देखा कि बच्चे मुझे चोरी आँखों से देख रहे थे और जब भी वो मुझे देखते मैं कभी अपने बूब्स पर हाथ फेरती तो कभी उन्हें ऊपर करने लग जाती।

मैं ये जानकर बहुत खुश थी कि मेरा पहला तीर सीधा निशाने पर लगा था और फिर रात के 10 बजे अपने कमरे में आकर सो गई और फिर 12 बजे उठी तो देखा आज बच्चे सो रहे थे। यही सब 2-3 दिन चलता रहा और लास्ट थ्री डेज बच्चे भी स्टडी रूम में नहीं आए थे।

मुझे तब लगा कि मैंने जो भी किया शायद उसका उन पर कोई असर नहीं हुआ और फिर मैंने अगली रात बच्चों को खाना देकर उनके सामने बैठ गई और अपने बूब्स को ऐसे छेड़ने लग गई जैसे कि खुजली हो रही हो और ये सब बच्चे देख रहे थे और देख-देखकर अपने लंड को सहला रहे थे। मैंने ये सब देखा तो बहुत खुश हुई कि मेरा प्लान काम कर रहा है।

और जब भी मैं उनकी तरफ देखती तो वो मुझे देख अपना लंड ऊपर-नीचे करने लग जाते और फिर मैं 9 बजे आकर सो गई और फिर जब 12 बजे उठी तो देखा कि आज भी स्टडी रूम की लाइट बंद थी और फिर मैं अपने रूम में आकर सो गई और जब सुबह उठी तो सीधा बच्चों के कमरे में गई तो देखा बच्चे वहाँ नहीं थे, वो जिम जा चुके थे।

अब मैंने पीछे से अपने वॉशरूम की टैप को खराब कर दिया और उनके आने पर मनीष के कमरे में ही दोनों को नाश्ता दे दिया और बोली – मनीष क्या मैं यहीं नहा लूँ, मेरे वॉशरूम की टैप खराब हो गई है।

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मैंने इतना कहा और अपने कमरे में से ब्रा, पैंटी और अपने और कपड़े लाकर वॉशरूम में चली गई। मैं ये सब जान-बूझकर कर रही थी क्योंकि मैं देखना चाहती थी कि जो प्लान मैंने बनाया है वो काम कर भी रहा था कि नहीं। और अगर वो काम नहीं किया तो मेरी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी।

अब मैंने होल में से देखा कि बच्चे फटाफट ब्रेकफास्ट खत्म करने में लग गए थे और मनीष वॉशरूम की तरफ आ रहा था और राघव अपने कमरे में चला गया था। मैं समझ गई थी कि वो मुझे नंगी देखने आ रहे हैं और मैं फिर पीछे हो गई और जब दोनों ने की होल पर आँख लगाई तो मैंने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए और फिर उनके सामने अपने बूब्स और चूत दिखा-दिखाकर नहाने लग गई। मैं अपनी चूत को रगड़-रगड़कर मसल रही थी और फिर वो दोनों बाहर खड़े अपनी नंगी माँ को नहाते देख रहे थे और फिर मैं नहाकर कपड़े पहनने लग गई।

मैं जब बाहर आई तो देखा कि वो बैठे तो मैंने पूछा तो वो बोले – मम्मी हमने ब्रेकफास्ट कर लिया है।

अब मैं अपने कमरे में आकर खुश हुई क्योंकि मैं जीत गई थी और फिर रात होने पर खाना खिलाकर मैं अपने रूम में आकर सो गई और जब 12 बजे उठी तो देखा कि स्टडी रूम की लाइट ऑन थी और मैंने झट से अपनी आँखें उस पर लगा दी और अपने दोनों बच्चों के लंडों को देखने लग गई। उन्होंने अपने लंड को हाथों में ले रखा था और ऊपर-नीचे कर रहे थे। तभी मुझे उनकी बातें सुनाई पड़ी।

राघव – भाई एक बात कहूँ आप नाराज तो नहीं होंगे?

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मनीष – नहीं, आज तक कभी हुआ हूँ क्या, बोल क्या बात है।

राघव- माँ को देखो आजकल वो कुछ ज्यादा ही सेक्सी बनी जा रही है।

मनीष – हाँ भाई, पर क्या करें हमारी मम्मी है ही इतनी सेक्सी। मेरा मन तो करता है कि ये वीडियो को छोड़कर आज हम अपनी माँ के नाम का मुठ मारते हैं।

राघव- हाँ भाई, ठीक है।

और फिर वो दोनों मेरे नाम का मुठ मारकर फ्री हो गए और ये देखकर मुझे भी बहुत खुशी हुई कि आज मेरे बच्चों ने मेरे नाम का मुठ मारा है और अब बस एक और इशारा देने पर वो अपने लंड भी मुझे दे देंगे।

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ये सब सोचती हुई मैं अपने कमरे में आ गई और लेटकर नए सपने संजोने लग गई।

मुझे अपना फीडबैक देने के लिए कृपया कहानी को ‘लाइक’ जरूर करें, ताकि कहानियों का ये दौर आपके लिए यूं ही चलता रहे।

कहानी का अगला भाग: दोनों जवान बेटों ने की मेरी जमकर चुदाई

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